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Incest Kingdom ~ Alok and Sid in 14 century

Update Hindi main chahiye yaa hinglish

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Carry Minati

Tushar
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New story 😁😁😁😁

Update bhi dhasu tha ab Sid beti chod bnega .... 😂

Sid- Baki SB ma chudane jao muze beti chodni h kya mal dikhti h ....


Mst vala update tha bro waiting for next
 

Yasasvi3

Darkness is important 💀
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अध्याय - 1 नई शुरुआत

"का हो भैया , और बतावा कैसेन आहा?"

"अब का ही बताई हो लाखन , तू तो जानत आहा बहुत बेकार हाल बा और तो ऊपर से इ बारिश साली होत ही नही बा अगर एह बार बारिश ना होए तो बहुत नुकसान होई जाए?".

"यार भाया बारिश के वजह से तो हमारो बहुत चीज़ रुकी बा , ऊपर से सिंध के राजा ने फसल पर 35% कर लगाए हायेन और डाकू अनुराधा को भी देना पड़ता है बहुत दिक्कत बा हो ऊपर से जंगली जानवरों का अलग खतरा".

"भाया नहर से पानी अगर मिल जाए तो हम सब किसानन के फसलीय बच जाए".

"नाही हो लाखन , बहुत मुस्किल बा मुल्तान से आनी वाली नदी के पानी के मुल्तान रोक देह बा और अभी सिंध और गुजरात के बीच के मोहाल बहुत खराब बा और अभिन सिंध के राजा जयराज गुजरात से मुद्दा सुलझाने में बहुत बिजी आहे".

"चला हो तब अपन नहर से पानी ले के फसल तक डाले और एह मामले के बिना हम सब के यहा के सूबेदार से बात करना पड़ेगा".

वही इन सब बात करते हुए चले जा रहे था और नहर के काम में जूट गया और नहर के पानी को मोड़ते वक्त पानी दूसरी दिशा में मुड़ जाता है जहा दूसरी बड़ी पहाड़ी थी और उस बहते पानी की कुछ बूंदे वहा लेटे एक लड़के पर पड़ती है।

"अह्ह्ह्ह मम्मी मैं कहा हूं"ही
"पूरा सर फटा जा रहा इसकी बहन का पकोड़ा".

"आस पास कोई है भी नही , की मैं उनसे पूछ लूं?, तनु दीदी ने कहा था मैं किसी अलग डाइमेंशन में चला जाऊंगा?"

आलोक वही उठ कर आस पास कुछ ढूढने लगता है तभी उसके कान में कुछ आवाज़ पड़ती है.

"आह्ह्ह यार क्या हो रहा है , पता नही कौन कौन आ जाता है सही से चोदने भी नही देता?"-

आलोक सीड की आवाज सुन कर हैरान हो जाता है और कहता है ," अबे बहनचोद सिद्धार्थ तू यह क्या कर रहा है बे ?"

जैसे ही सीड वो आवाज सुनता है तो और हैरान हो जाता है

"अरे तेरी मां की मैं यहां कैसे आ गया? मैं तो रूही की बजा रहा था और ...."।

उसकी आवाज सुन कर आलोक हसने लगता है और कहता है "तू भी मेरी तरह यह गायब हो गया"।

सीड उसकी बात सुन कर इरिटेट हो जाता है और कहता है,"गांडू तेरी वजह से मैं यहां आ गया और साला तू आया तो आया मैं क्या आ गया".

"अबे वो चूत मारी के मैं क्यों तेरे से जलने लगा बे, और तुझे लगता है तेरी पत्नियों की मर्जी के बिना तू यहाँ आ सकता है शायद वो खुद चाहती हो की तू ताकतवर बने और उन्हें हासिल करे साबित करे, और फिर क्या पता मेरे भाई क्या दिक्कत हुई हो"।

आलोक जैसे ही बोलना खत्म करता है सीड उससे बोलता है," जा बे झाटू तूने चूत मारी के अपनी मढ़ी खो दी और पूरे किए के लोड़े लगा दिए वैसे हम कहा है"।

"उठते ही कुत्ते की तरह मेरे ऊपर भौंकना शुरू कर दिया और मुझसे पूछ रहा हम कहा है तेरी गांड में है भूतनी के भाई भोस्डकी के हम 1400 के टाइम में आ गया है सिंध राज्य में"।

आलोक सीड को समझता है और कहता है "हमे अपना सब कुछ वापिस पाना होगा हमे अगर हमारी शक्तियां मिल गई तो हम वापिस जा पाएंगे लेकिन वो शक्तियां के लिए यह सब सुलझाना पड़ेगा और नागलोक का मंदिर ढूढना पड़ेगा और नाग मंदिर तब खुलेगा जब हमारी सारी पत्नियां मिल जाएगी और तब हमे हमारी शक्ति मिल जाएगी , और एक बात अब से सीड मत बोलना अपना नाम याद करो सिद्धार्थ है ये पुराने टाइम पर ये सब नाम नही होते थे शॉर्ट फॉर्म उसी टाइम के लिया सही होता था"।


जैसे ही आलोक बोलना बंद करता है सिद्धार्थ बोलना शुरू करता है ,"नही हमे हमारी शक्ति मिल जाएंगी लेकिन कुछ सही नही है टाइम के साथ छेड़ छाड़ हुई है, कोई नही चाहता की हम दोनो को सिस्टम मिला और कोई है जिसने टाइम मैं छेड़ छाड़ की है"।

सिद्धार्थ की बात सुन कर आलोक हैरान हो जाता है और कहता है ,"अगर ऐसा है तो अब समझ आया साक्षी ने हम सब को वहा से क्यों गायब कर दिया यानी उस टाइम में हम सब मर चुके है , साक्षी के पास हम सब को बचाने का यही तरीका था लेकिन वो जो भी है हम सब से आगे है"।

आलोक की बात सुन कर सिद्धार्थ कहता है ,"गांडू कोई तेरा साथ खेल के चला गया, तेरी गांड फाड़ गया और तेरा जरिए हमे समय में फसा गया और तू कहता है कहता है हा, अबे मादरचोद नादमंदिर में जो हमारा सिस्टम है वो हमे ऐसा मिल जाएगा क्या, और नाग मंदिर कहा है तुझे नहीं पता जिस राज्य में होगा वहा की सल्तनत हमे उसको लेने देगी ना?".

सिद्धार्थ की बात सुन कर आलोक कहता है, "हा हम कर लेंगे वैसे एक बात तो है, तू है बड़ा मादरचोद अगर टाइम पर इतना दिमाग लगा लेता तो हम यहां नही होते"।

आलोक की बात सुन कर सिद्धार्थ एक किनारे बैठ जाता है और धीरे से कहता है ," मुझे बहुत याद आ रही तुम सब की तनु"।

फिर अगले ही पल सिध्दार्थ और आलोक जो अपने अपना किए पर पछता रहे थे उन्हे अब समझ आ गया था की वो सब बस प्यादे थे तनु ने उन सब को बचाने के लिए सब कुछ खो दिया और जब तक तनु जिंदा थी उसने ये सच सामने नही आने दिया उन पर कोई आंच नही आने दी।

"सिद्धार्थ इस टाइमलाइन में तनु होगी सब होंगे हमारे पास मौका है, वो शक्तिशाली नही तो क्या हुआ हम तो बन सकता है तुम तो फिर भी ठीक हमारा सोचो?"।

तभी उन दोनो को कुछ आवाज़ आने लगती हैं।

"सैनिकों इन दोनो को बंदी बना लो"।

"हा हा हा हा हा"

आलोक और सिद्धार्त को घेरे हुए कई सैनिक जब हसी की आवाज़ सुनते है तो उनका मुखिया जो उस सैनिक दल का पभारी था वो थोड़ा हैरान हो जाता है और अपनी तलवार निकलता है।

तभी सिद्धार्थ उसकी तलवार निकालने से पहले ही उसका गला दबा देता है और बाकी के सैनिक अपनी तलवार और भाला ले कर सिद्धार्थ की तरफ आ जाते है और उसके पहले ही आलोक उन सब पर हमला कर देता है और उन्हें एक एक कर के मारने लगता है।

"आलोक किसी को भी मारना मत"।

"सिद्धार्थ ये तू क्या कह रहा है, हमारे पास अच्छा मौका है, ये हम दोनो को मारने आया थे, अभी ये सब बेहोश है " आलोक सिद्धार्थ को समझाने लगता है लेकिन उसके पहले ही उसके कान में आवाज़ आती है।

"हमला करने वाला हर कोई दुश्मन नही होता, आलोक ये यहां है तो जरूर इसके पीछे कुछ वजह होगी? , चलो यहां से" ये कहते हुए सिद्धार्थ आगे आता है और उनके प्रभारी को देखता हैं और उसके कपड़े उतारने लगता है।

उसकी ये हरकत देख कर आलोक हैरान हो जाता है और कहता है, " अब क्या लडको की भी गांड मारेगा मैं तो कहता हूं चलो मार देता है।"

"अबे गांडू अपने कपड़े बदल और चल यहां से", ये कहते हुए सिद्धार्थ आगे बढ़ जाता है और उसके पीछे आलोक भी आने लगता है।

आलोक सिद्धार्थ को ही देखता रहता है और मन मैं कहता है , "ये अभी ही इतना मजा दे रहा जबकि इसका मूड खराब है कुछ दिन मैं ये नॉर्मल हो जाएगा तो अपना रंग दिखाएगा थरकी , वैसे तुम्हारा जवाब नही सिद्धार्थ इसमें कोई डाउट नही की लड़कियां तेरी दीवानी थी"।

"वैसे सिद्धार्थ एक सवाल पूछूं?"

"हां पूछ ना"-

"तूने उन्हे क्यों नहीं मारा?"

"आलोक जिंदगी के दांव है और समय समय पर हमे दांव खेलना पड़ेगा , साम्राज्य केवल युद्ध से नही बनाएं जाते और बस मैंने एक दांव ही खेला है।"

"वैसे हम दोनो कहा चल रहे है"

"लड़कियां को नहाते हुए देखने", सिद्धार्थ ने एक प्यारी आवाज के साथ बोला।

सिद्धार्थ आगे कुछ बोलता उसके पहले ही उसको कुछ हसीं की आवाज़ सुनाई पड़ती है, और सिद्धार्थ उसी तरफ चल पड़ता है।


"ही ही ही मैं जा रही उड़ने, मुझे महल मैं अच्छा नही लगता , आपको नही पता दीदी , मैं उड़ने के लिए बनी हूं चिड़िया हूं मैं।"

"राजकुमारी साक्षी कृपया रुक जाइए वर्ना बड़ी राजकुमारी को पता चेलेगा की आप यहा है तो वो हम सब का खून पी जाएंगी"

"तो मत बताना तुम उन्हे , ही ही ही वैसे भी हमे वैद जी की कड़वी कड़वी दवा पीनी पड़ती है उन्हे बताओ तुम की मैं तो चिड़िया हूं ना, वो हमे उड़ने से रोक देते है।"

"राजकुमारी साक्षी कृपया रुकिए, हम आपके साथ सारे खेल खेलेंगे अभी रुक जाइए"

"वादा करो काया"

साक्षी काया से बोल ही रही थी की उसे एहसास हुआ की कोई उसको देख रहा है तो वो अपनी नज़र घुमा कर देखती है।


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"अरे तुम हमें चोरों के भाती हमे देखते हो, जानते नही हो अभी हमे हम सिंध की राजकुमारी साक्षी है"

साक्षी को अपनी तरफ़ देखते देख सिद्धार्थ तो जैसे एक जगह जम सा गया, उसकी ये हरकते बच्चों जैसी उसकी ये अटखेली

"अरे अब बोलते क्यों नही, चुप क्यों हो बोलो वर्ना सर कलम करवा देंगे तुम्हारा", साक्षी की आवाज़ सुन कर सिद्धार्थ अपने विचारो से बाहर आ जाता है।

"हा मैं तो तुम्हे देख रहा था, कोई मेरी तरह चिड़िया है तो मैं तुम्हे देखने लगा , क्या ये कोई गुनाह है सक्षुऊ"

"अरे हमारा नाम बिगाड़ते हो , और तुम चिड़िया नही हो वो तो मैं हूं"

साक्षी ने मुंह बनाते हुए बोलना शुरू किया और तभी उसके कान में आवाज़ आती है ,"चलो हमे पकड़ के दिखाओ फिर तुम्हारी बात मान लेंगे हम"

सिद्धार्थ की आवाज़ सुन कर साक्षी उसके पीछे भाग पड़ती है और सिद्धार्थ भी भागने लगता है और हसने लगता है।

तभी साक्षी की दासी काया उसको पकड़ लेती है और कहती है," राजकुमारी आप ये क्या कर रही है चलिए और तुम चले जाओ इसके पहले की हम तुम्हे कारागार में डलवा दे."

"अरे हमने क्या किया हम तो बस राजकुमारी के साथ खेलने आए थे, राजकुमारी हमने कोई गलत बात कही?"

"ही ही ही, तुम्हारा क्या नाम है हा?"

सिद्धार्थ साक्षी के पास आता है और धीरे से कहता है "बताया तो चिड़िया"

"ही ही ही , मेरा नाम सिद्धार्थ वैसे आपके साथ भी कोई नही खेलता ना" सिद्धार्थ उदास होते हुआ बोलता है जिससे सुन कर साक्षी कहती है ," हा सब मुझे देख कर कहते है मेरा दिमाग नही है , बताओ तुम क्या मेरा दिमाग छोटा है नही ना"

सिद्धार्थ उसकी बात सुन कर कहता है ,"नही बिलकुल नही आपका दिमाग बच्चों जैसा बिल्कुल नही है आपका दिमाग तो बहुत प्यारा है"

"वैसे तुम्हारे साथ कोई क्यों नही खेलता हा तुम्हारे कोई दोस्त नहीं है क्या ?"

"नही कोई मेरा दोस्त ही नही बनता, हमे भगा देते है और कहता है जाओ राजकुमारी के साथ खेलो"

"ही ही ही कितना झूठ बोलते हो, हमसे झूट तो नही कह रहे ना जानते हो ना हम सिंध की राजकुमारी है।"

"राजकुमारी अपना पल्लू सही कीजिए और सैनिकों , सब के सब कहा मर गए।"

काया अब गुस्सा में थी और उसको गुस्सा में देख कर सिद्धार्थ भाग कर साक्षी के पीछे छुप जाता है और धीरे से कहता है देखो सखी ये मुझे डरा रही है।

तभी साक्षी अपनी आंखे खोलती है और सिद्धार्थ को देखते हुए कहती है ,"ही ही ही सखा, ठीक है हम हमारे साथ खेलने आना, तुम्हे कोई खेल आता है।"

"हा आता है ना , बहुत से खेल आते है हमे , हम आपको बहुत सारे खेल इतने सारे के आप खुद नही समझ पाएंगी, बस हमारी रक्षा करेंगी ना आप मेरी साक्षी।"

"ही ही तुम अच्छे लगे हमे, हम अब जा रहे है आपको बाद में मिलते है वर्ना हमारी बहन हमे बहुत डाटेंगी।"

तभी सारे सैनिक आ जाते है और काया राजकुमारी को ले कर जाने लगती है और धीरे से कहती है "मुझे रूही को बताना होगा कि अब साक्षी सुरक्षित नही , गुजरात के राजा अब साक्षी के लिए अपनी गतिविधि बढ़ा दिया है ये जरूर गुजरात का कोई होगा, तुम्हारी जान तो ये काया ही लेगी सिद्धार्थ"

जैसे ही वो लोग चले जाते है तो सीड आजू बाजू देखता है तो उसको आलोक नही मिलता ,"अरे मादरचोद ये कहा गया , वैसे साक्षी कितनी हॉट लग रही है उफ्फ रानी के वेश भूषा मैं वो सुंदर लगती है ।".

झरने के पास

"अरे ये आवाज़ कैसी , ये लड़की कौन है बड़ी प्यारी आवाज़ है देखू तो जरा।".

जैसे ही आलोक आगे आता है उसको झरने में एक लड़की नहाते हुए दिखाई पड़ती है।

उसको देखते ही एक बार आलोक की पूरी नियत डोल गई अब आलोक को समझ आया की उसने अपनी उस जिंदगी मैं क्या खो दिया पहली बार उसको किसी लड़की को देख कर उसकी दिल की धड़कन बढ़ गई है।

"आह्ह्ह्ह ये क्या हो रहा आज पहली बार मुझे चुम्बन मिलेगा।"

ये कहते हुए आलोक उसका गीला बदन देखता रहता है जो पानी मैं भीगा हुआ था और उसको देखते ही आलोक की सांसें बढ़ जाती है और अपने आप को कंट्रोल नही कर पाता और पानी मैं आ जाता है।

जैसे ही वो लड़की के पीछे आता है वो लड़की बिना पलते कहती है सखी कहा रह गई थी तू हा ," इतनी देर हो गई"

तभी उसको अहसास होता है की किसी का हाथ उसके मुलायम चूचों पर होता है और बहुत जोर से चिल्लाती है और पलट जाती है और सामने इंसान को देख कर उसकी सास अटक जाती है और वो एक थप्पड़ मारती है वही आलोक उसकी चूची को दबाते हुए कहता है "सॉफ्ट है", वही आलोक को वो लड़की बहुत जोर से धक्का देती है और रोने लगती है और आलोक को जो चाकू से हमला करने वाली होती है वो चाकू फेक कर रोने लगती है।

उसका शोर सुन कर आस पास से एक लड़की आती है और चिल्लाती है "क्या हुआ आस्था बोल मुझे?".

वही सीड जो साक्षी को सोचते हुआ बैठा था उसको जैसे ही चीख सुनाई पड़ती है तो वो है भागने लगता है और कहता है," ये बहन का चोदा पेलवा दिया मैं ही गांडू हो जो चूतिए को जाने दिया अकेले।"

जैसे ही सिद्धार्थ आता है और देखता है आलोक और 2 लड़की वही खड़े थे एक लड़की रो रही थी और दूसरी लड़की पूछ रही थी क्या हुआ।

"क क कुछ नही , मैं डर गई थी बहुत तो इसीलिए चिल्ला दी"

"तू भी ना आस्था की बच्ची , फालतू मैं डरवा दिया" तभी आस्था रोते हुए थोड़ा लड़के की तरफ इशारा करती है।

वो लड़की कहती है," आ आलोक भाई जिंदा हो"

"क्या हो रहा है यहा , आलोक?" सिद्धार्थ हापते हुए पूछता है।

वही वो दूसरी लड़की जो दूर खड़ी थी, वो सिद्धार्थ के लहराते हुए बाल और उसका मासूम चहरा देखती है तो उसकी आंखे नम हो जाती है।

और सिद्धार्थ उस लड़की को देखता है तो उसको तनु का छोटा सा अंश नजर आता है और वो मन मैं कहता है ,"मेरी बेटी काव्या"

वही काव्या दौड़ कर आती है और उसके गले लग जाती है ,"आप आप जिंदा है"

ये कहते हुए वो रोने लगती है फूट फूट कर और सीड उसमें तनु को देख कर खुश था।



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तभी जैसे ही आस्था अपनी सहेली को दूर जाते हुए देखती है वो कहती है रोते हुए आलोक से ,"भैया आपको अपनी ही बहन के साथ ऐसा करने मैं शर्म नही आई अपनी ही सगी बहन से।"

वही आलोक ये सुन कर डर जाता है और सीड के पास आ कर खड़ा हो जाता है और मन मैं कहता है ," बेटी चोद सिद्धार्थ ही ये सब सही कर सकता है।"

वो सीड से कहता है "चलो अब तुम खुश हो काव्या तुम्हारा भाई मिल गया तुम्हे क्यों सीड"

काव्या आलोक को ऐसे देखती है जैसे पागलखाने से कोई पागल आ गया हो।

तभी आस्था एक जोरदार तमाचा मारती है आलोक को और कहती है ,"माफ करना काव्या मेरा भाई पागल है तू खुश हो जा देख तेरा सुहाग आ गया है तेरी मांग का सिंदूर

तुझे मिल गया।"

वही ये सुन कर सीड कहता है," क्या बकवास है ये मां की चूत।"
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To be continued..... Update de diya ab review aur like thok dena ka.... Stay tunned guyss.... target - 10
Bohot hi aacha update 😒thode regular update de do to kya bigad jayaga aapka 🤭🤭chalo koi na aaj phala update aaya h dekhte h aage ke update kab tak aate h
 

Werewolf

ʀᴏɢᴜᴇ
Supreme
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Bhai sorry' Bhai story thodi late padh Raha hu

Maine yek Tarik Tak wait Kiya. Fir mujhe laga ap nahi dalo ge isliye kafi time se iss website PE active hi nahi huya ajj jab yese hi normal dekha to pata chala

Apne update daal Diya hai

Isliye jaldi se update padh ke login kar ke I'd se reply Diya.



Thankyou so much Bhai story start karne ke liye kafi time se wait kar Raha tha main



Buss Bhai yek request hai update jaldi jaldi Dena jada wait maat karna apka purana reader hu isliye pata hai hai ap kabhi kabhi gayab ho jate ho



Aur baki all the best for your story

And congratulations 🎉🎉🎉🎉



Dua karu ga ki werewolf Bhai ka record thuta jaye apki iss story se.
Tag kar ke mention kiya kar na. Aise me mujhe pata kaise chalega mere baare me baat ho rahi hai? :D
 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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Ghost Rider ❣️

..BeLiEvE iN YoUrSeLf..
Banned
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अध्याय - 2 एक छोटा कदम
तभी आस्था एक जोरदार तमाचा मारती है आलोक को और कहती है ,"माफ करना काव्या मेरा भाई पागल है तू खुश हो जा देख तेरा सुहाग आ गया है तेरी मांग का सिंदूर तुझे मिल गया।"

वही ये सुन कर सीड कहता है," क्या बकवास है ये मां की चूत।"

अब आगे ---

काव्या सिद्धार्थ की बात सुन कर आंखे उठा कर देखती है और सिद्धार्थ धीरे से हस्ते हुए कहता है ,"ही ही ही! वो तो मैं सोच रहा था की देखो मेरी कितनी प्यारी वाइफ है , मासूम सी"

वही ये सब सुन कर आलोक धीरे से पीछे हट जाता है और मन में कहता है ," सिद्धार्थ तेरी तो मेरे से बुरे लगे है भाई , तेरी बीबी तेरी हो चुकी बेटी निकली"

इन सब से दूर अभी सिद्धार्थ खुश था कम से कम उसके पास उसकी बेटी थी, बेशक यहा पर उसकी बेटी उसके बीबी के रूप में थी लेकिन उसके पास थी तो और बाकी सारी बात तो बाद में बाद मै देख लूंगा।

सिद्धार्थ बस अपनी नज़र काव्या पर बनाए हुए था, और प्यार से उसको देखता है और पहचान जाता है , पूरी की पूरी तनु पर गई है। वैसे ही तीखे नैन नक्श , वैसे ही कयामत जैसी आंखें वैसे ही मासूम चहरा और प्यारी सी छोटी सी नाक ही ही मेरी काव्या तो बड़ी हो कर और भी प्यारी हो गई है।

वही काव्या जो देख रही थी की सिद्धार्थ उसको ऐसे सब के सामने घूर रहा था तो उसके गाल ही थोड़े लाल हो गए और वो अपने मन में धीरे से कहती है," ये आप क्या कर रहे है कम से कम सकुशल तो है, ये इतने दिन से नही आए तो हम सब डर गए थे, हम सब को लगा की आप अब नही रहे।"

ये कहते हुए काव्या की आंखो से पानी की कुछ बूंदे झलक गई।

इधर सिद्धार्थ काव्या की आखों में आसू देखता है तो उसके आसू अपने हाथों से पोछता है और काव्या कहती है तब ,"चलिए अब घर चलते है स्वामी , बहुत सालो से आप नही आए थक गया होंगे।"

उसकी बात सुन कर धीरे से सिद्धार्थ अपने मन में सोचता है,"अरे बाप अब ये घर पर इतनी सुंदर सुंदर बन के बैठेगी , नही नही मुझे ये याद रखना है ये मेरी बेटी है , तनु की हमसकल से पहले ये मेरी बेटी है जो मेरी बाहों में चिपक कर सोना पसंद करती थी"

"चले चलो चलते है।", सिद्धार्थ ने काव्या को और आलोक को देखते हुए जवाब दिया और अब काव्या के चहरे पर अजीब सी चमक थी और वो तिरछी नज़र से सिद्धार्थ को घूरती है जैसे अब उसको दुनिया का सबसे हसीन इंसान मिल गया हो।


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इधर काव्या और सिद्धार्थ आगे चले जा रहे थे और आलोक और आस्था पीछे पीछे आ रहे थे और आस्था बढ़ जाती है और आलोक उसके पीछे पीछे चलने लगता है l

तभी आस्था को अहसास होता है की कोई उसे घूर रहा है तो वो अपना सर घुमा कर देखती है तो आलोक को उसके पिछवाड़े को घूरती हुई पाती है तो वो उसके पास आ जाती है और उसको अपने साथ चलता देख आलोक धीरे से कहता है ,"अरे आगे जाओ ना"

"नही जाना मुझे कही भी? अपनी ही बहन के साथ ऐसा करते हुए तुम्हे तनिक भी लज्जा नही आती।"

"क्या और क्यों आयेगी हमे लज्जा अपनी चांद जैसी बहन को देखना को खराब है क्या ?"

"मौन रहो , वर्ना हम तुम्हारी आंखे नोच लेंगे चलो घर।"

तभी वो लोग अपने घर में आ जाते है और काव्या और आस्था दोनो एक साथ एक झोपड़ी को देखते है तो उसके आस पास कुछ लड़के खड़े थे।

तभी आलोक आगे आता है और धीरे से उनकी तरफ देखती है और कहता है ,"जल्दी बताओ हमारी कुटिया कौन सी है हमे थकान हो रही है और रात्रि से पहले थोड़ा आराम करना है,"

उन लडको के कान में जैसे ही आलोक की आवाज़ जाती है तो वो धीरे से कहते है "क्या आस्था तेरा भाई आ गया तो हम चले जायेंगे क्या , हमे हमारी मुद्रा चाहिए जो तूने ब्याज पर ली थी और अब तो तेरे मिट्टी के बर्तन चलने लगे है अब दे हमारी मोहरे वर्ना हम तुम दोनो के आसियाने को ले लेंगे।

तभी सिद्धार्थ आगे आता है और काव्या जो थोड़ा सीरियस हो कर कुछ बोलने वाली थी उसके पास आ कर कहता है," हमारी कुटिया कौन सी है?"

काव्या धीरे से कहती है ,"वो वाली जहा 2 बैल है, वही हमारी कुटिया है और"

काव्या कुछ कहती उसके पहले ही सिद्धार्थ काव्या का हाथ पकड़ कर उसको ले कर कुटिया में चल देता है और आलोक को इशारा करता है की वो भी अपनी कुटिया में चले जो उसकी कुटिया के पास मै थी।

"खबरदार! सिद्धार्थ अगर कुटिया में जाने की कोशिश की तो देख भाया ये पहले ही तय हो चुका था, अब ये कुटिया हमारी है वैसे भी तुम भूल रहे हो! हा हा हा हा चुप चाप कहता हूं चले जाओ अब यह से"

वो आदमी कुछ और कहता उसके पहले ही सिद्धार्थ कहता है," ठीक है जाओ घर जाओ , आज हमारा दिमाग अच्छा है रात को आ कर अपनी मोहरे ले जाना"

ये कह कर सिद्धार्थ आगे बढ़ जाता है और सिद्धार्थ को आगे बढ़ता देख वो आदमी कहता है ," बस अब बहुत हुआ सिद्धार्थ"

जैसे ही वो आगे बढ़ता है, आलोक उसकी गर्दन पकड़ कर दबा देता है और पेड़ से सटा कर उसका गला दबाने लगता है जिससे उसकी आवाज़ आनी बंद हो गई और आस्था अब गर्व भरी नजरो से अपने भाई को देख रही थी।

तभी सिद्धार्थ आगे आता है और आलोक को उसको छोड़ने को कहता है और उस आदमी के पास आ कर कहता है.

"एक बार जो बोला जाए उतना सुना करो! गरम हम केवल सिर्फ स्त्री और चाय लेते है किसी के तेवर नही!, इस बार छोड़ रहे है अगली बार जिंदा नही बचोगे।"

"सिद्धार्थ इतना अहंकार - "

वो आदमी कुछ और बोलता उसके पहले ही जोर दार चीख पूरे मोहाल में फैल जाती है।

वही ये नज़ारा देख कर काव्या और आस्था पूरी तरह से हिल जाती है।

आस्था काप जाती है काव्या को पकड़ लेती है और आलोक हस्ते हुए कहता है ," बहन चोद को समझा रहा था! चला जा चला जा लेकिन इसकी गांड में चुन्ना काट रहा था!"

"आआआह्हह मेरी आंख, मेरी आंख, मेरी आंख!"

वही सिद्धार्थ अपनी चाकू उसकी आंख मैं डाले चाकू घुमा रहा था और धीरे से कहता है ,"क्या समझें"

"य य य यही की एक बार मैं बात सुन लेनी चाहिए , मुझे जिंदा छोर दो , मुझे माफ कर दो?"

सिद्धार्थ उसकी दूसरी आंख से अपना चाकू केवल 1 इंच दूर रखता है और हस्ते हुए कहता है," अगर दूसरी आंख सलामत चाहीए तो एक चीज याद रखना मेरी काव्या के ऊपर एक नज़र भी मत डालना , काव्या पर उठने वाली कोई भी नज़र बर्दास्त नही की जाएगी, फिर वो कोई भी हो, और सिर्फ़ काव्या ही नही मेरी कोई भी रानी , गांव की कोई भी लड़की के ऊपर अब तू नज़र डालने से पहले 100 बार सोचना!, अब जा यहा से इसके पहले हमारा मन बदल जाए"

ये कहते हुए सिद्धार्थ काव्या के पास आता है और कहता है "चले बेगम"

तभी काव्या और आस्था अंदर चली जाती है।

आस पास लगी भीड़ बातें करने लग जाती है।

"अरे भाया देखा तुमने, सूबेदार के चाहते और इस रियासत के मालिक के इकलौते बेटे की आंख फोड़ दी और अब इसका क्या होगा"

"अरे होगा क्या देखो जो होता है , लेकिन आलोक की आंखो में डर का एक कतरा नही नज़र आ रहा और सिद्धार्थ तो मज़ा हुआ खिलाड़ी लग रहा है!"

"अरे आप लोग देखो और अपने अपने हाथों में चूड़ी पहन लो, अपनी अपनी स्त्रीयो के मान की रक्षा तो कर नही सके तुम सब और उन्हें देखो आते ही अपनी बीबी की मान की कैसे रक्षा की"-

"ए लक्ष्मण तुम अंदर जा , ये औरतों का खेल नही है जहा तू कुछ भी बोल रही है, जानती है ना यहा की रियासत किसके पास है और ऊपर से डाकू का हमला और लूट हम इस स्थिति में नहीं है कितना युद्ध कर सके , हमारे पास इतना मौका नही है और राजा इस समय युद्ध में परेशान है तो युद्ध खत्म होने का इंतजार करो, अगर युद्ध नही होता तो अभी तक सब सही होता और आज शायद डाकू भी आए"

"वही ये सब दूर से बैठा लड़का ये सारी हरक़त देख कर दूर से ही सिद्धार्थ को घूर रहा था"

तभी सिद्धार्थ चुप चाप बात सुनता है जो लोग कह रहा है था और धीरे से हस्ता है और कहता है," आप सब को कुछ करने की जरूरूत नही , ना ही मैं कुछ चाहता हूं बस मेरे इस कदम से आप सब की मदद हुई ये बहुत है जाइए आराम से और सो जाइए बाकी हम सब देख लेंगे"-


उनमें से एक लड़का कहता है," तुम ये मत समझना की हम कायर है , हम बस हर चीज से हार चुका है ना ही साधन है ना ही कुछ, और ना ही जल फसल के लिए इसलिए थोड़ा डरे हुआ हैं"

"डरना तो संसार का नियम है, भाया और हमने कहा ना हम सब देख लेंगे तुम बस आराम करो वक्त आने पर हम साधन भी उपलब्ध करा देंगे"

तभी सिद्धार्थ की नज़र दूर पड़े एक लड़के पर पड़ती है और वो लड़का कूद कर चला जाता है जिसके हाथ में धनुष था और सिद्धार्थ हसने लगता है और आलोक उसके पास आ कर कहता है अब मुझे समझाओ तुम्हारा इन सब से क्या क्या मतलब था।

"आलोक अगर तुम्हे ऊपर जाना होता है तो क्या करता हो?"

आलोक गुस्सा में कहता है,"सीढ़ी चढ़ता हूं"

"तो एक एक सीढ़ी चढ़ते हो ना? या सीधे ऊपर चढ़ जाते हो ये इस रियासत की प्रजा है इनका विश्वास जीतना है और इन्हें खुस करना है बस, ताकि वक्त आने पर ये हमारे लिए लॉयल रहे"

सिद्धार्थ आलोक की तरफ देखता है और कहता है-
"तुम्हारा बस एक काम है, लोगो का विश्वास जीतो और थोड़ा समय परिवार पर दो, लोगो का विश्वास जीतो और जिनका कोई ना हो अनाथ हो और जो योद्धा हो उन्हे अपने लिया काम पर लगाओ, और इस पूरी रियासत के बारे में पता करो और काम पर लगाने के पहले बस उनका विश्वास जीतो और हा बस विश्वास जीतो जो गरीब हो उनकी मदद करो बस विश्वास जीतना है!"

"हा हा हा सिद्धार्थ ये काम हो जाएगा इसमें तो मैं माहिर हूं, लेकिन हमे सिंध के राजा जयराज से मदद चाहिए होगी"

"वो मेरा काम है आलोक तुम टेंशन मत लो, लेकिन अभी बस हमे जरूरत है विश्वास की "-

आलोक सिध्दार्थ को देखता है और कहता है,"अब मुझे समझ आया तू हमेशा हिस्ट्री में टॉप पर क्यों था!"

तभी सिध्दार्थ अंदर अपनी झोपड़ी में आता है और सामने काव्या को देखता है जो अंधेरा होने की वजह से लालटेन जला रही थी और इस समय उसने अपना पल्लू हटाया हुआ था, उसके हल्के टपकते हुआ पसीना और उसका कसा हुआ बदन देख एक बार को सिद्धार्थ की नज़र ही रुक गई और सास थम गई और तभी काव्या को अहसास होता है की कोई आया है तो वो धीरे से कहती है,"अरे आप आ गए, आप आंगन में चलिए हम आपका जल से मुंह धुलवा दे"

तभी सिद्धार्थ को दरवाज़ा बंद होने की आवाज़ आती है तो वो देखता है की दरवाज़ा काव्या ने बंद कर दिया और पानी ले कर उसकी तरफ़ आती है और धीरे से कहती है ," जल ये रहा चलिए! मुंह धूल लीजिए"

तभी सिद्धार्थ की आंख उसकी कमर पर टिक जाती है और धीरे से वो उसके उभारों को देखने लगता है और धीरे से कहता है,"आप ऐसे खुले केश मैं अच्छी लगती है!"

"हा! तभी हमे छोर कर चले गए, शादी के तुरंत बाद ना , क्युकी हम बहुत अच्छे थे।", ये कहते हुए काव्या के आंखो से आसू टपकने लगते है और वो ना चाहते हुए भी उसको अपने सीने से लगा लेता है।

और काव्या जो रो रही थी वो उसकी सांसें अटक जाती है और वो एक पल को डर जाती है और उसका पूरा बदन काप गया और सिद्धार्थ जो काव्या को अपनी बाहों में भरे हुआ था, उसको अपने सीने में गर्म गर्म सास महसूस होने लगती है जिससे उसकी सासें भारी होने लगती है।

तभी उसके दिमाग में उसकी और काव्या की शादी की पूरी यादें आनी लगती है और वो उस समय वो भूल गया की उसने काव्या को अपनी बाहों के भर रखा है। सिद्धार्थ उन यादों में देखता है उसकी शादी काव्या से हुई और कैसे हुई, और शादी के तुरन्त बाद सिद्धार्थ कही गया और सीधा पहाड़ी पर उठा।

तभी सिद्धार्थ को कुछ सुनाई पड़ता है।

"आआआह्हह्ह!"

तभी सिद्धार्थ होश में आता है और उसको अहसास होता है की वो उसने अभी काव्या को हग कर रखा है तो वो काव्या को देखता है जिसकी आंखे बंद होती है और तेज तेज चलती सासों से उसके सीने ऊपर नीचे हो रहा था।

"काव्या"

"हम्मन! केकेकेके कहिए?"

"मैने जो भी किया उसके लिए माफ कर दो? तुम हमेसा से मेरे लिया बहुत खास हो और हमेशा खास रहोगी मेरी पत्नी हो तुम कृपया हमे माफ करोगी हम अब आपको छोर कर कही नही जाएंगे बिना बताए!"

ये कहते हुआ सिद्धार्थ के हाथ काव्या की कमर पर कसने लगते है और उसके पीठ पर खुले हिस्सा पर चलने लगते है और इस समय सिद्धार्थ की सास इतनी तेज थी वो किसी भी समय सब भूल सकता है और उसके पकड़ इतनी तेज थी की काव्या की आह पूरे आंगन में फैल रही थी।

"केकेके कोई बात नन नहीं ,आप मेरे सब कुछ है!"

काव्या के मुंह से अल्फाज़ बड़ी मुस्कील से निकल रहे थे वो भी टूटे हुए।

तभी काव्या को अपनी अपनी नाभि पर कुछ चुभता हुआ महसूस हुआ तो वो और ज्यादा कापकपा गई और उसको ऐसे कपकपता देख सिद्धार्थ उसको और टाइट हग कर देता है जिससे वो गिरे नही और इतना टाइट हग होने से काव्या के दोनो उभार सिद्धार्थ के सीने में धस जाते है।

तभी सिद्धार्थ अपना मुंह काव्या के गले पर लाता है जहा पसीने की कुछ बूंदे थी और वो उन्हे चूम लेता है और धीरे से अपना हाथ काव्या की नाजुक कमर पर फिराता है जिससे काव्या की आहे और तेज सीत्कार के साथ फूट पड़ती है।

*थक थक थक*
*थक थक थक*

"अरे काव्या सुनती हो?"

जैसे ही ये आवाज़ आती है काव्या बहुत धीरे से कहती है.

"केकेके कोई आया है!"

और आवाज़ सुन कर काव्या को सिद्धार्थ छोड़ देता है और गुस्सा में दरवाज़ा को देखता है।

और काव्या जो बहुत बुरी तरह काप रही थी और सिद्धार्थ उसको सभलता है और धीरे से कहता है ," हमे माफ करे काव्या हमे आपको ऐसे नही पकड़ना था, हमे माफ करे हमे लगा की ऐसे आप चुप हो जाएंगी लेकिन हम माफ चाहते है"

काव्या जो बुरी तरह काप रही थी वो कापते हुए आगे चली जाती है तभी सिद्धार्थ उसको पकड़ लेता है और उसका पल्लू सही करता है और उसके पीठ पर अंचल डालता है और फिर उससे माफी लगता है। और सिद्धार्थ अपने मन मैं कहता है,"तुम मेरी अमानत हो, वादा रहा किसी को भी तुम्हारी इस मासूमियत का फायदा नही उठाने दूंगा, पता नही कैसे मैं बहक गया, मैं मेरा वो मतलब नही था मैं तो तुम्हे देखते ही तुम्हारे प्रेम में पड़ गया हूं काव्या तुम्हारा, कैसे माफी मागु। मेरा मतलब तुम्हे रुलाना और डरना नही था, मैं"

वही ये सब सिद्धार्थ जो मन मैं सोच रहा था लेकिन गलती से ये सब उसके मुंह से बाहर आ गया और हर एक बात काव्या के कानो में पड़ी और वो धीरे से कापते हुए हाथो से सिद्धार्थ का हाथ थामती है।

तभी काव्या उठ कर एक छोटी सी डीबी लाती है और उसमें सिंदूर होता है और वो धीरे से कहती है ," मैं मैं चाहती हूं की मेरी मांग हमेशा आप भरे"

तभी सिद्धार्थ उसकी मांग भर देता है और वो तेजी से भाग जाती है।

तभी दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आती है।

"क्या रे बावली पति के मिलते ही हमे भूल गई, हम वो कंदमूल लेने आए है चल दे"

आस्था धीरे से कहती है तभी वो काव्या को देखती है जिसकी आंखे गुस्सा से लाल हुई पड़ी थी और पूरे बाल बिखरे पड़े थे गर्दन पर दात के निशान था।

"ललल लगता है हम गलत वक्त पर आ गया, अच्छा हम जा रहे है किसी और चीज की सब्जी बना लेंगे?"


मोहनजो- दरों - सिंध राज्य की राजधानी
महल~

"महाराज की जय हो, राजकुमारी साक्षी महल में नही है?"
"और महाराजा एक लड़का आज राजकुमारी साक्षी आज एक लड़के से मिली काया ने बताया और उससे मिलने के बाद राजकुमारी की काफी खिली खिली लग रही थी आपको इस सिलसिले में वैद जी बात करना
चहिए और राजकुमारी यशस्वी कल सुबह महल में आ रही है, जो राखीगढ़ी रियासत मैं हुए विद्रोह को शांत करने गई थी हम बहुत बुरी हालत में है महाराज "


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to be continued well well Guysss update posted .... like thok do... aur review dena ka.... dhere dhere sid apna kadam badha rha hai.... .... see you saioyonara!!!! Next update dusri Story par kal....
 
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