mysteryman
Active Member
- 921
- 1,559
- 139
कम
कमलकल बनता धड़ के बिना ,
मल बनता सिरहीन।
थोड़ा हूँ पैर कटे तो ,
अक्षर केवल तीन।
कमलकल बनता धड़ के बिना ,
मल बनता सिरहीन।
थोड़ा हूँ पैर कटे तो ,
अक्षर केवल तीन।
घडीसदा ही मैं चलती रहती;
फिर भी कभी नहीं मैं थकती;
जिसने मुझसे किया मुकाबला;
उसका ही कर दिया तबादला;
बताओ तो मैं हूँ कौन?
पपीहाआगे 'प' है मध्य में भी 'प';
अंत में इसके 'ह' है;
कटी पतंग नहीं ये भैया;
न बिल्ली चूहा है;
वन में पेड़ों पर रहता है;
सुर में रहकर कुछ कहता है।
बताओ क्या?