दूसरे अध्याय का सत्रहवाँ भाग
दूसरे दिन फिर से अक्ष साक्षी को लेकर सूरत चल पड़ता है। घर पहुँच कर दोनों मिलकर घर की सफाई करते हैं और भूख लगने पर बाहर जाकर खाना खाते हैं। कुछ जरूरी सामान लेकर दोनों घर वापस आ जाते हैं। तभी मानसी का फ़ोन आ जाता है तो साक्षी उसे घर पर ही खाने के लिए बुला लेती है। अक्ष दरवाज़ा खोलता है तो मानसी को देख कर फिर से अलग दुनिया में खो जाता है।
दूसरे दिन अक्ष साक्षी को कॉलेज छोड़ देता है और अपने काम पर चल जाता है। कॉलेज में शाहिद और प्रियंका साक्षी के साथ बदतमीज़ी करते हैं तो साक्षी प्रियंका तो थप्पड़ मार देती है। मानसी साक्षी को अपनी दोस्तों दीक्षा और कविता से मिलाती है। वहां पर साक्षी को कविता का बर्ताव मानसी के लिए बनावटी लगता है जिसे वो मानसी से बोल देती है।
मानसी साक्षी को छोटे कपड़े पहनने के लिए बोलती है तो वो मनाकर देती है, लेकिन अक्ष और मानसी के सामने एक नहीं चलती और उसे कपड़े खरीदने के लिए जाना पड़ता है।
बहुत ही बेहतरीन सर जी।
साक्षी ने बहुत बड़ा पंगा ले लिया है कविता प्रियंका और शाहिद के साथ। देखते हैं आगे क्या होता है।
दूसरे दिन फिर से अक्ष साक्षी को लेकर सूरत चल पड़ता है। घर पहुँच कर दोनों मिलकर घर की सफाई करते हैं और भूख लगने पर बाहर जाकर खाना खाते हैं। कुछ जरूरी सामान लेकर दोनों घर वापस आ जाते हैं। तभी मानसी का फ़ोन आ जाता है तो साक्षी उसे घर पर ही खाने के लिए बुला लेती है। अक्ष दरवाज़ा खोलता है तो मानसी को देख कर फिर से अलग दुनिया में खो जाता है।
दूसरे दिन अक्ष साक्षी को कॉलेज छोड़ देता है और अपने काम पर चल जाता है। कॉलेज में शाहिद और प्रियंका साक्षी के साथ बदतमीज़ी करते हैं तो साक्षी प्रियंका तो थप्पड़ मार देती है। मानसी साक्षी को अपनी दोस्तों दीक्षा और कविता से मिलाती है। वहां पर साक्षी को कविता का बर्ताव मानसी के लिए बनावटी लगता है जिसे वो मानसी से बोल देती है।
मानसी साक्षी को छोटे कपड़े पहनने के लिए बोलती है तो वो मनाकर देती है, लेकिन अक्ष और मानसी के सामने एक नहीं चलती और उसे कपड़े खरीदने के लिए जाना पड़ता है।
बहुत ही बेहतरीन सर जी।
साक्षी ने बहुत बड़ा पंगा ले लिया है कविता प्रियंका और शाहिद के साथ। देखते हैं आगे क्या होता है।