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Romance Love in College. दोस्ती प्यार में बदल गई❣️ (completed)

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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Last edited:

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
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बेटी का बाप 😁😁....ye story to complete kar do यार एक अपडेट के चक्कर में rok rakhi h🤔🤔idea nahi aa raha end ka ya man nahi h🤨🤨
Aaj. Raat aayega update 100%👍
Ib to raji ke?😊😂
 
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Raj_sharma

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अन्तिम अपडेट :

अगले दिन दोपहर में सभी को वापस निकलना था, तो त्रिपाठी सर और स्पोर्ट्स सर ने सुबह 8 बजे सबको एकट्ठा किया और बोले:

देखो बच्चों, आज दोपहर 2 बजे हम सब वापस लौटेंगे, तो जिसको भी जो कुछ लेना हो, या कहीं इधर उधर जाना हो, वो 12 बजे पहले कर उसके बाद खाना खा कर वापस बस में बैठना है। मुझे सब के सब 1.30 पे बस मुझे चाहिए।

“अभी के लिए आप सब जा सकते हैं”

इतना बोलके सर वहां से चले जाते हैं। बाकी स्टूडेंट्स भी वहां से जाने लगते हैं, रह जाते हैं तो बस अपने वीर, प्रिया, सनी और कंचन।

सनी: यार वीरे, अपनी तो लग गई यार!

"साला इसकी जात का चौधरी मारू"

Bc, सारी छुटियो के ऐसी तैसी करदी साले ने। हम तो दो दिनों के अंदर घूम ही नहीं पाए?

वीर: "अब क्या हो सकता है? भाई"

कंचन: सुनिए! एक उपाय है, अगर हम सब मिल कर त्रिपाठी सर को मना लें, तो काम हो सकता है।

सनी: हा यार ये तो हो सकता है, और मेरा मान-ना है कि अगर हम उससे बात करें तो हो सकता है वो मना भी नहीं करेगा।

वीर: अबे मेरे सुरखाब के पर लगे है क्या? मुझे भी तो मना कर सकता है!

सनी: याद है उनके साथ तेरा लगाव है, तो हो सकता है मान जाये!

वीर: चलो फिर चलते हैं उनके पास! बात तो करनी ही पड़ेगी, माने तो ठीक, नहीं माने तो वापस तो जाना ही पड़ेगा।

चारो मिलके त्रिपाठी सर के कमरे में जाते हैं, उनको एक साथ देख कर त्रिपाठी जी चौंक गए!

त्रिपाठी: क्या बात हो गई बच्चों अचानक यहाँ पे? सब ठीक तो है ना?

सभी: हां सर, सब ठीक ही है, हम तो आपसे एक रिक्वेस्ट करने आये हैं!

त्रिपाठी: हां..! कहो क्या बात है, मेरे हाथ में जो भी होगा करूंगा, क्यों मैं जानता हूं आप सब अच्छे छात्र हैं।

वीर: सर, आप तो जानते ही हैं, कि हम चारों घूम फिर नहीं पाए यहां, क्यों कि हमारे साथ ये हादसा हो गया, आपसे कुछ छुपा भी नहीं है।

त्रिपाठी: हां.. मेरे बच्चे में सब समझता हूं, और मुझे इस बात का दुख भी है, लेकिन मैं मजबूर हूं, मैं ये यात्रा और आगे नहीं बढ़ सकता, प्रिंसिपल सर से मुझे इसकी अनुमति नहीं है।

वीर: सर, मुझे आपकी बात समझ आ रही है! लेकिन मैं कुछ और कहना चाहता हूं, हम सब आपसे ये रिक्वेस्ट करने के लिए आए हैं कि क्या हम लोग एक दो दिन के लिए यहां और रुक सकते हैं?

त्रिपाठी: लेकिन ये कैसा संभव है? हम छात्रों को ऐसे अकेले कैसे छोड़ें? हमारे ऊपर उनकी पूरी जिम्मेदारी है।

वीर: मैं समझ सकता हूँ सर! लेकिन क्या करे? मै इन्सब की ज़िम्मेदारी लेता हूँ। आप कृपया हमें 2 दिन का समय दे दीजिए।

त्रिपाठी: {काफ़ी देर सोचने के बाद!} ठीक है वीर, तुम एक ज़िम्मेदार लड़के हो, तो तुम पे विश्वास कर के मैं ये बात मान लेता हूँ, मैं प्रिंसिपल से बात कर लूँगा, लेकिन तीसरे दिन तुम सुबह ही यहां से निकल लोगे !

सभी: जी सर! हम वादा करते हैं कि तीसरे दिन हम सुबह ही यहां से निकल लेंगे!!

त्रिपाठी: अच्छी बात है फिर, जाओ घूमो फिरो, अपना ध्यान रखना और मिलते हैं 2 दिन बाद। त्रिपाठी सर से बात कर के वो चारों वहां से निकल जाते हैं, और सनी के कमरे में इकट्ढा होते हैं, कमरे का गेट बंद करते हैं वह चारो एक साथ:

हुर्र्री!!

सनी: "मजा आया अब 2 दिन खूब मजा आएगा यार, ना तो कोई डिस्टर्ब करने वाला है ना कोई रोक टोक है खूब घूमेंगे फिरेंगे और मस्ती करेंगे"

सभी: हा यार मजा आ गया. फिर सभी नास्ता करके घूमें निकल जाते हैं, पूरा दिन घूम फिर के फुल मस्ती मज़ाक करते हैं और रात में फिल्म देखने का प्रोग्राम बनता है। रात को चारों फिल्म देखने जाते हैं। वाह सनी टिकट लेने जाता है जो बालकनी में कोने वाली सीट की टिकट लेकर आता है। फिल्म शुरू होती है सभी ध्यान से देखने लगते हैं सिवाय सनी के, उसका तो पूरा ध्यान कंचन में होता है! कुछ देर में कंचन को भी इस बात का आभास हो जाता है, वो भी कनखियो से उसको ही देख रही थी।

जब सनी को लगा कि कंचन उसे देख रही है तो वो आगे देखने लगता है, कुछ देर में एक रोमांटिक सीन आता है जिसे देखने के बाद वीर और प्रिया एक दूसरे की और देखने लगते हैं, वो दोनो एक दूसरे की आंखो में देख रहे थे।

सनी ने जब ये देखा! तो उसने कंचन को कोहनी मारी, कंचन हल्की मुस्कुराई और सनी की तरफ प्रश्नवाचक निगाहों से देखा!

सनी: (कंचन को धीरे से बोलता है) जरा वहा देखो डियर, क्या हो रहा है? ऐसा लग रहा है कि बरसों के बिछड़े प्रेमी आज मिले हैं।

कंचन अपनी नज़र रघुवीर और सुप्रिया की और घुमती है तो देखती है दोनों एक दूसरे में खोए हुए हैं, और धीरे-धीरे एक दूसरे को चूमने लग जाते हैं, कंचन जब ये देखती है तो वो शर्मा के अपनी नज़र नीचे कर लेती है!, और सनी को जैसे ही ये एहसास होता है तो वो हल्की मुस्कुराहट के साथ धीरे से कंचन के कान में बोलता है।

"कंचन"

कंचन शर्माते हुए अपने दोनो हाथ से अपना चेहरा छुपा लेती है।
सनी कंचन के हाथों को अपने हाथों से हटाता है, लेकिन उसकी नजरें अभी भी झुकी हुई थी। सनी धीरे से उसकी थोड़ी को पकड़ कर उसका चेहरा ऊपर की और उठाता है! कंचन अपनी आंखें खोल कर सनी को शर्म और प्यार से देखती है। और सनी से कहती है:

"मुझे शर्म आती है छोड़िये! "

सनी: कंचन क्या तुम मुझे प्यार नहीं करती?

ये सुनते ही कंचन अचानक से भारी नजरों से सनी को देखती है! और उसकी आँखों में पानी आ जाता है।

कंचन: आपने कैसे सोचा सनी की मैं आपको नहीं चाहती?, आप मेरे लिए मेरी जान से भी कीमती हो! मैं आपके लिए कुछ भी कर सकती हूँ!!

सनी: (कंचन के आंसू पोंछते हुए) अरे पगली मै तो ऐसे ही मजाक कर रहा था। वैसे अगर तुम बोल ही रही हो तो फिर हो जाए!

"सत्य-कल्प-ध्रुम" :love1:

कंचन: ये क्या होता है?

सनी: (मुस्कुराते हुए) बाजू वालों को देखो! समझ जाओगी.

कंचन: सनी को मारते हुए!

"धत्त"

सनी भी कंचन के दोनों हाथ पकड़ लेता है जिसे कंचन छुड़ाने की कोसिस करती है, लेकिन कोसिस खोखली थी। जो सनी से छुपी नहीं वो कंचन के और नजदीक हो जाता है और उसकी आँखों में देखने लगता है! धीरे-धीरे दोनों एक दूसरे के करीब आने लगते हैं, और फिर दोनों के लब एक दूसरे से टकरा जाते हैं, :kiss1:


"कंचन शर्मा जाती है" और पीछे हटने लगती है पर सनी उसे दोनो हाथो से पकड़ लेता है, और मुस्कुराते हुए फिर से चूमने लगता है!


अभी 2 मिनट बाद लाइट ऑन हो जाती है, तो चारों के चारों तरफ हलचल मच जाती है, और सभी एक दूसरे की और देखते हैं!

जहां वीर और सनी एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे थे! वही प्रिया और कंचन एक दूसरे को देख कर सरमा रही थी।

फिर वहां से सब लोग कैंटीन में चले जाते हैं, वीर सबके लिए पॉपकॉर्न ख़रीदता है! और सनी को आवाज़ लगता है!

"क्या पियेगी सानिया" :D

जिसे सुनके प्रिया, कंचन, और वीर तीनो हँसते हैं।

"तू जो भी पिलाये बिल्लो"

फिर वीर अपने और सनी के लिए कोका-कोला और प्रिया-कंचन के लिए जूस लेता है और पेमेंट कर के थिएटर में चला जाता है सब। जहां थोड़ी देर में सबका नास्ता पहुंच जाता है। कुछ देर में ही फिल्म शुरू हो जाती है।

चारो फिल्म देख कर वहां से निकल जाते हैं। रात को चारो होटल में ही रुकते है। सुप्रिया और रघुवीर अपना अपना सामान ले के वीर के रूम में चले जाते है।( इस मामले में दोनों की बात पहले ही हो चुकी थी)

सुप्रिया जाते ही नहाने चली जाती है। और रघुवीर बैठा रहता है अपने मोबाइल में गेम खेलने लगता है तभी सुप्रिया आ जाती है। रघुवीर सुप्रिया को देखते ही रह जाता है।


तुम मुझे छोड़ के जाओगे तो मर जाऊँगा यूँ करो जाने से पहले मुझे पागल कर दो” .


सुप्रिया रघुवीर के पास आ जाती है, और कहती है क्या हुआ?, तो रघुवीर कहता तुम बहुत सुंदर दिख रही हो,


“उस के चेहरे की चमक के सामने सादा लगा, आसमां पे चांद पूरा था मगर आधा लगा।“


सुप्रिया शर्माते हुए कहती है, मैं तो सुंदर ही हूँ! जाओ नहालो , 😊और फिर रघुवीर भी चला जाता है नहाने।
रघुवीर नहाकर बहार निकलता है और वो टॉवल में ही बाहर आ जाता है।

वीर भूल गया की प्रिया भी उसके साथ है। प्रिया, वीर को देखने लगती है और वीर के पास आ जाती है। और वीर को गले लगा लेती है। वीर भी प्रिया को गले लगा लेता है, दोनों एक दूसरे को किश करने लगते है। वीर कहता है:

" प्रिया क्या यह सही है?",

प्रिया कहती है: जो भी हो रहा सब सही हो रहा वीर!"
आज तुम मुझे अपना बना लो बहुत दिनों के बाद मुझे मेरा प्यार मिला है।


"मोहब्बत से बनी जयमाला को पहना कर सारी खुशी तेरे दामन में सजाऊंगा तेरी मोहब्बत के सजदे में खुद को नीलाम कर जाऊंगा..!!

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इतना कहके वीर प्रिया को गोदी में उठा लेता है और बेड पर लिटा देता है, दोनों प्यार करने लगते है।

दोनों सब कुछ भूल जाते है एक दूसरे में। वीर प्रिया को किश करता है, पैरो से लेकर ऊपर तक, प्रिया को बहुत अच्छा लगता है। प्रिया वीर को अपने ऊपर खींच लेती है, और दोनों किश करने लगते है, सब कुछ भूल कर प्यार करने लगते है। और दोनों एक दूसरे से समागम करते हैं!
फिर दोनों सो जाते है। सुबह हो जाती है सुप्रिया उठ के अपने कपड़ पहनने लगती है, और फिर वीर को भी उठा देती है।

प्यार की आग दोनो तरफ बराबर लग चुकी थी, पर एक रात साथ बिताने के बाद भी सुबह दोनो काफी समय तक शांत बैठे रहते हैं।
तभी प्रिया की आवाज वीर के कानों में गूंजती है!! प्रिया कहती है:

" वीर! मैं अब तुम्हारे बिना नहीं रह सकती !!"
वीर को लगा जैसे की वो अभी तक सपना देख रहा था, और अचानक उसका सपना सच हो गया! वीर भी कहता है मैं भी नहीं रह सकता तुम्हारे बिना!! और अब हमे अपने मम्मी पापा को कहना चाहीए शादी की बात करने के लिए।

प्रिया कहती है: हां वीर! मै भी घर पर बातकरुंगी, अब मै तुमसे एक पल भी दूर नही रह सकती।

हम कॉलेज नहीं जायँगे, हम यही से ही घर चलते है। अब हम दोनों एक दूसरे के बिना एक पल भी नहीं रह सकते,

इधर ये सारी बातें वीर सनी को बता देता है! और फिर चारो ने वापस जाने का फैसला लिया। और गाड़ी बुक करके अपने -अपने घर चले जाते है।

घर जाते ही दोनों अपने मम्मी पापा से बात करने लगते है। दोनों की फैमली एक दूसरे को जानती है, तो मना नहीं करती, बस कुछ कहा सुनी के बाद मान जाते है।

कुछ समय बाद सुप्रिया का कॉल आता है। और रघुवीर भी सुप्रिया को कॉल करने वाला था, तो फोन वही उठाता है!

प्रिया: हेलो !

वीर: हेलो प्रिया मैं अभी तुझे ही कॉल करने वाला था

प्रिया: चल झूठे!

वीर: नहीं सच्ची!

प्रिया: छोड़ो, सुनो मेरे मम्मी -पापा ने हम दोनों की शादी के लिए हां कह दी !

वीर: याहु ssss मेरे भी मम्मी पापा मान गए! और शाम को अपने मम्मी पापा के साथ तुम्हारे घर आ रहा हूँ !!

प्रिया: जल्दी आना मैं इंतजार करुँगी !

फिर दोनों फ़ोन रख देते है, दोनों बहुत खुश होते है। प्रिया अपने मम्मी पापा को बताती है कि वीर के मम्मी पापा आने वाले हैं शाम को, और तैयारी करने लगती है।

टाइम कब बीत जाता है पता ही नहीं चलता प्रिया तैयार होने लगती है। शाम होते ही वीर अपने मम्मी पापा के साथ प्रिया के घर पहुच जाता है। प्रिया के घर जाते सब को नमस्ते करते है।
दोनों परिवार बाते करते है और खुश होते है, और एक दूसरे का मुँह मीठा कराते है। और जल्दी ही दोनों को एक करने की सोचते है। अगले दिन पंडित को बुलाकर शादी की तारिख फिक्स करने लगते है।

प्रिया और वीर दोनों बहुत खुश होते है। बहुत जल्दी ही दोनों की शादी हो जाती है! और दोनों परिवार बहुत खुश होते है।

वीर और प्रिया दोनों हनीमून पे चले जाते है, और कुछ ही महीनो में वीर और प्रिया की एक प्यारी सी बेबी होती है, दोनों बहुत खुश होते है।


तो दोस्तों प्रिया और वीर का प्यार किस्मत में था !! और इन दोनों का प्यार आज भी उतना ही है।




💐समाप्त 💐
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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Bahut hi acha and pyara update hai, aur bich bich me jo kavitayen aati hai, char chand laga deti hai

Superb update ..Ye to koi film ka scene jaisa lag raha hai Supriya ki ragging aur hero ki entry 👏👏👏

Awesome update

बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा

Raj_sharma bhai jara idhar bhi apni kripa drishti dalen priya kidnap hoke rakhi ha kuchh ulta sidha na ho jaye 🙂🙂🙂🙂🙂

Awesome update
Aakhir sunny ki samajhdari aur veer ki bahaduri se Priya ko bacha liya gya
Shivnarayan aur Mohit aur unke sab sathi police ke hathe Chad gaye

Shandar jabardast update 👌

Ttttthhhhhhrrrrrrrriiiiiiilllllllliiiiiinnnnnnggggg update
Kya baat hai aisa lga jese koi Sunny Deol ki film chal rhi hai
Adbhut uupdate


depositphotos-16977575-Wow-Surprised-Word-Astonished-Surprising-1

N

Nice update....

Awesome update Bhai but utna khaas update nhi hai

aapne Mohit ko saste me nipta diya thoda aur kootna tha .......

Aree kabhi hame bhi personal mention ker diya kijiye 😂🤪

बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रोमांचक अपडेट है भाई मजा आ गया
ये प्रिया का अपहरण मोहित और उसका बाप शिवचरण की गांड फाडने वाला हो गया अब तक पुलिस से बच रहें थे लेकीन अब पुलिस के हाथ लग गये तो वहा उनकी अच्छेसे खातिरदारी होगी ही
सनी और वीर की सुझबुझ और हिंमत से सनी के पिता के सहायता से प्रिया को मोहित के चुंगल से सही सलामत छूडा लिया और सब कुशल मंगल हो गया
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा

Badhiya mast or thrilling update

Sunny ki samjhdari se priya ka pata lag gaya jahan sunny hosh se kam le raha tha wahin veer josh se kam le raha tha bahut badhiya dhoya ha veer ne mohit ko jo apne bap ke dam per itna uchhal raha tha uska bap bhi ab jail me ja chuka ha action ke bad reaction bhi hua kher ant me sab sahi ho gaya sab mil gaye wapas

Lajawab lekhni adhbhut Jabardast superb mast ekdum dhasu update

:congrats: For completed 100 pages on your story thread....

Nice update....

Nice and superb update....

Ohhho
To aaj poori ho jaaoo FREE😉😉😉😉

Wah pandit ji... action toh acha aaya..

Lekin yeh kya sun raha hu.. ki aap kahani end kar rahe ho!!

Bhai manna ke aapne yeh kahani asli kissae se shuru ki thi. Lekin fantasy mirch masala daal ke aage bhi toh badha sakte ho..

Waise marzi aap ki hai.. bhale log kitna hi gyaan de.. lekin jab tak lekhak ka mood na ho toh kahani aage badhana fizul hai..

Agle update ka intezaar rahega...


🃏

congrats ....BRO for 100 pages ..................
:vhappy:

बेटी का बाप 😁😁....ye story to complete kar do यार एक अपडेट के चक्कर में rok rakhi h🤔🤔idea nahi aa raha end ka ya man nahi h🤨🤨
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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अन्तिम अपडेट :

अगले दिन दोपहर में सभी को वापस निकलना था, तो त्रिपाठी सर और स्पोर्ट्स सर ने सुबह 8 बजे सबको एकट्ठा किया और बोले:

देखो बच्चों, आज दोपहर 2 बजे हम सब वापस लौटेंगे, तो जिसको भी जो कुछ लेना हो, या कहीं इधर उधर जाना हो, वो 12 बजे पहले कर उसके बाद खाना खा कर वापस बस में बैठना है। मुझे सब के सब 1.30 पे बस मुझे चाहिए।

“अभी के लिए आप सब जा सकते हैं”

इतना बोलके सर वहां से चले जाते हैं। बाकी स्टूडेंट्स भी वहां से जाने लगते हैं, रह जाते हैं तो बस अपने वीर, प्रिया, सनी और कंचन।

सनी: यार वीरे, अपनी तो लग गई यार!

"साला इसकी जात का चौधरी मारू"

Bc, सारी छुटियो के ऐसी तैसी करदी साले ने। हम तो दो दिनों के अंदर घूम ही नहीं पाए?

वीर: "अब क्या हो सकता है? भाई"

कंचन: सुनिए! एक उपाय है, अगर हम सब मिल कर त्रिपाठी सर को मना लें, तो काम हो सकता है।

सनी: हा यार ये तो हो सकता है, और मेरा मान-ना है कि अगर हम उससे बात करें तो हो सकता है वो मना भी नहीं करेगा।

वीर: अबे मेरे सुरखाब के पर लगे है क्या? मुझे भी तो मना कर सकता है!

सनी: याद है उनके साथ तेरा लगाव है, तो हो सकता है मान जाये!

वीर: चलो फिर चलते हैं उनके पास! बात तो करनी ही पड़ेगी, माने तो ठीक, नहीं माने तो वापस तो जाना ही पड़ेगा।

चारो मिलके त्रिपाठी सर के कमरे में जाते हैं, उनको एक साथ देख कर त्रिपाठी जी चौंक गए!

त्रिपाठी: क्या बात हो गई बच्चों अचानक यहाँ पे? सब ठीक तो है ना?

सभी: हां सर, सब ठीक ही है, हम तो आपसे एक रिक्वेस्ट करने आये हैं!

त्रिपाठी: हां..! कहो क्या बात है, मेरे हाथ में जो भी होगा करूंगा, क्यों मैं जानता हूं आप सब अच्छे छात्र हैं।

वीर: सर, आप तो जानते ही हैं, कि हम चारों घूम फिर नहीं पाए यहां, क्यों कि हमारे साथ ये हादसा हो गया, आपसे कुछ छुपा भी नहीं है।

त्रिपाठी: हां.. मेरे बच्चे में सब समझता हूं, और मुझे इस बात का दुख भी है, लेकिन मैं मजबूर हूं, मैं ये यात्रा और आगे नहीं बढ़ सकता, प्रिंसिपल सर से मुझे इसकी अनुमति नहीं है।

वीर: सर, मुझे आपकी बात समझ आ रही है! लेकिन मैं कुछ और कहना चाहता हूं, हम सब आपसे ये रिक्वेस्ट करने के लिए आए हैं कि क्या हम लोग एक दो दिन के लिए यहां और रुक सकते हैं?

त्रिपाठी: लेकिन ये कैसा संभव है? हम छात्रों को ऐसे अकेले कैसे छोड़ें? हमारे ऊपर उनकी पूरी जिम्मेदारी है।

वीर: मैं समझ सकता हूँ सर! लेकिन क्या करे? मै इन्सब की ज़िम्मेदारी लेता हूँ। आप कृपया हमें 2 दिन का समय दे दीजिए।

त्रिपाठी: {काफ़ी देर सोचने के बाद!} ठीक है वीर, तुम एक ज़िम्मेदार लड़के हो, तो तुम पे विश्वास कर के मैं ये बात मान लेता हूँ, मैं प्रिंसिपल से बात कर लूँगा, लेकिन तीसरे दिन तुम सुबह ही यहां से निकल लोगे !

सभी: जी सर! हम वादा करते हैं कि तीसरे दिन हम सुबह ही यहां से निकल लेंगे!!

त्रिपाठी: अच्छी बात है फिर, जाओ घूमो फिरो, अपना ध्यान रखना और मिलते हैं 2 दिन बाद। त्रिपाठी सर से बात कर के वो चारों वहां से निकल जाते हैं, और सनी के कमरे में इकट्ढा होते हैं, कमरे का गेट बंद करते हैं वह चारो एक साथ:

हुर्र्री!!

सनी: "मजा आया अब 2 दिन खूब मजा आएगा यार, ना तो कोई डिस्टर्ब करने वाला है ना कोई रोक टोक है खूब घूमेंगे फिरेंगे और मस्ती करेंगे"

सभी: हा यार मजा आ गया. फिर सभी नास्ता करके घूमें निकल जाते हैं, पूरा दिन घूम फिर के फुल मस्ती मज़ाक करते हैं और रात में फिल्म देखने का प्रोग्राम बनता है। रात को चारों फिल्म देखने जाते हैं। वाह सनी टिकट लेने जाता है जो बालकनी में कोने वाली सीट की टिकट लेकर आता है। फिल्म शुरू होती है सभी ध्यान से देखने लगते हैं सिवाय सनी के, उसका तो पूरा ध्यान कंचन में होता है! कुछ देर में कंचन को भी इस बात का आभास हो जाता है, वो भी कनखियो से उसको ही देख रही थी।

जब सनी को लगा कि कंचन उसे देख रही है तो वो आगे देखने लगता है, कुछ देर में एक रोमांटिक सीन आता है जिसे देखने के बाद वीर और प्रिया एक दूसरे की और देखने लगते हैं, वो दोनो एक दूसरे की आंखो में देख रहे थे।

सनी ने जब ये देखा! तो उसने कंचन को कोहनी मारी, कंचन हल्की मुस्कुराई और सनी की तरफ प्रश्नवाचक निगाहों से देखा!

सनी: (कंचन को धीरे से बोलता है) जरा वहा देखो डियर, क्या हो रहा है? ऐसा लग रहा है कि बरसों के बिछड़े प्रेमी आज मिले हैं।

कंचन अपनी नज़र रघुवीर और सुप्रिया की और घुमती है तो देखती है दोनों एक दूसरे में खोए हुए हैं, और धीरे-धीरे एक दूसरे को चूमने लग जाते हैं, कंचन जब ये देखती है तो वो शर्मा के अपनी नज़र नीचे कर लेती है!, और सनी को जैसे ही ये एहसास होता है तो वो हल्की मुस्कुराहट के साथ धीरे से कंचन के कान में बोलता है।

"कंचन"


कंचन शर्माते हुए अपने दोनो हाथ से अपना चेहरा छुपा लेती है।
सनी कंचन के हाथों को अपने हाथों से हटाता है, लेकिन उसकी नजरें अभी भी झुकी हुई थी। सनी धीरे से उसकी थोड़ी को पकड़ कर उसका चेहरा ऊपर की और उठाता है! कंचन अपनी आंखें खोल कर सनी को शर्म और प्यार से देखती है। और सनी से कहती है:

"मुझे शर्म आती है छोड़िये! "

सनी: कंचन क्या तुम मुझे प्यार नहीं करती?

ये सुनते ही कंचन अचानक से भारी नजरों से सनी को देखती है! और उसकी आँखों में पानी आ जाता है।

कंचन: आपने कैसे सोचा सनी की मैं आपको नहीं चाहती?, आप मेरे लिए मेरी जान से भी कीमती हो! मैं आपके लिए कुछ भी कर सकती हूँ!!

सनी: (कंचन के आंसू पोंछते हुए) अरे पगली मै तो ऐसे ही मजाक कर रहा था। वैसे अगर तुम बोल ही रही हो तो फिर हो जाए!

"सत्य-कल्प-ध्रुम" :love1:

कंचन: ये क्या होता है?

सनी: (मुस्कुराते हुए) बाजू वालों को देखो! समझ जाओगी.

कंचन: सनी को मारते हुए!


"धत्त"

सनी भी कंचन के दोनों हाथ पकड़ लेता है जिसे कंचन छुड़ाने की कोसिस करती है, लेकिन कोसिस खोखली थी। जो सनी से छुपी नहीं वो कंचन के और नजदीक हो जाता है और उसकी आँखों में देखने लगता है! धीरे-धीरे दोनों एक दूसरे के करीब आने लगते हैं, और फिर दोनों के लब एक दूसरे से टकरा जाते हैं, :kiss1:


"कंचन शर्मा जाती है" और पीछे हटने लगती है पर सनी उसे दोनो हाथो से पकड़ लेता है, और मुस्कुराते हुए फिर से चूमने लगता है!

अभी 2 मिनट बाद लाइट ऑन हो जाती है, तो चारों के चारों तरफ हलचल मच जाती है, और सभी एक दूसरे की और देखते हैं!

जहां वीर और सनी एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे थे! वही प्रिया और कंचन एक दूसरे को देख कर सरमा रही थी।

फिर वहां से सब लोग कैंटीन में चले जाते हैं, वीर सबके लिए पॉपकॉर्न ख़रीदता है! और सनी को आवाज़ लगता है!

"क्या पियेगी सानिया" :D

जिसे सुनके प्रिया, कंचन, और वीर तीनो हँसते हैं।

"तू जो भी पिलाये बिल्लो"

फिर वीर अपने और सनी के लिए कोका-कोला और प्रिया-कंचन के लिए जूस लेता है और पेमेंट कर के थिएटर में चला जाता है सब। जहां थोड़ी देर में सबका नास्ता पहुंच जाता है। कुछ देर में ही फिल्म शुरू हो जाती है।

चारो फिल्म देख कर वहां से निकल जाते हैं। रात को चारो होटल में ही रुकते है। सुप्रिया और रघुवीर अपना अपना सामान ले के वीर के रूम में चले जाते है।( इस मामले में दोनों की बात पहले ही हो चुकी थी)


सुप्रिया जाते ही नहाने चली जाती है। और रघुवीर बैठा रहता है अपने मोबाइल में गेम खेलने लगता है तभी सुप्रिया आ जाती है। रघुवीर सुप्रिया को देखते ही रह जाता है।


तुम मुझे छोड़ के जाओगे तो मर जाऊँगा यूँ करो जाने से पहले मुझे पागल कर दो” .


सुप्रिया रघुवीर के पास आ जाती है, और कहती है क्या हुआ?, तो रघुवीर कहता तुम बहुत सुंदर दिख रही हो,


“उस के चेहरे की चमक के सामने सादा लगा, आसमां पे चांद पूरा था मगर आधा लगा।“

सुप्रिया शर्माते हुए कहती है, मैं तो सुंदर ही हूँ! जाओ नहालो , 😊और फिर रघुवीर भी चला जाता है नहाने।
रघुवीर नहाकर बहार निकलता है और वो टॉवल में ही बाहर आ जाता है।

वीर भूल गया की प्रिया भी उसके साथ है। प्रिया, वीर को देखने लगती है और वीर के पास आ जाती है। और वीर को गले लगा लेती है। वीर भी प्रिया को गले लगा लेता है, दोनों एक दूसरे को किश करने लगते है। वीर कहता है:

" प्रिया क्या यह सही है?",

प्रिया कहती है: जो भी हो रहा सब सही हो रहा वीर!"
आज तुम मुझे अपना बना लो बहुत दिनों के बाद मुझे मेरा प्यार मिला है।


"मोहब्बत से बनी जयमाला को पहना कर सारी खुशी तेरे दामन में सजाऊंगा तेरी मोहब्बत के सजदे में खुद को नीलाम कर जाऊंगा..!!

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इतना कहके वीर प्रिया को गोदी में उठा लेता है और बेड पर लिटा देता है, दोनों प्यार करने लगते है।

दोनों सब कुछ भूल जाते है एक दूसरे में। वीर प्रिया को किश करता है, पैरो से लेकर ऊपर तक, प्रिया को बहुत अच्छा लगता है। प्रिया वीर को अपने ऊपर खींच लेती है, और दोनों किश करने लगते है, सब कुछ भूल कर प्यार करने लगते है। और दोनों एक दूसरे से समागम करते हैं!
फिर दोनों सो जाते है। सुबह हो जाती है सुप्रिया उठ के अपने कपड़ पहनने लगती है, और फिर वीर को भी उठा देती है।

प्यार की आग दोनो तरफ बराबर लग चुकी थी, पर एक रात साथ बिताने के बाद भी सुबह दोनो काफी समय तक शांत बैठे रहते हैं।
तभी प्रिया की आवाज वीर के कानों में गूंजती है!! प्रिया कहती है:

" वीर! मैं अब तुम्हारे बिना नहीं रह सकती !!"

वीर को लगा जैसे की वो अभी तक सपना देख रहा था, और अचानक उसका सपना सच हो गया! वीर भी कहता है मैं भी नहीं रह सकता तुम्हारे बिना!! और अब हमे अपने मम्मी पापा को कहना चाहीए शादी की बात करने के लिए।

प्रिया कहती है: हां वीर! मै भी घर पर बातकरुंगी, अब मै तुमसे एक पल भी दूर नही रह सकती।

हम कॉलेज नहीं जायँगे, हम यही से ही घर चलते है। अब हम दोनों एक दूसरे के बिना एक पल भी नहीं रह सकते,

इधर ये सारी बातें वीर सनी को बता देता है! और फिर चारो ने वापस जाने का फैसला लिया। और गाड़ी बुक करके अपने -अपने घर चले जाते है।

घर जाते ही दोनों अपने मम्मी पापा से बात करने लगते है। दोनों की फैमली एक दूसरे को जानती है, तो मना नहीं करती, बस कुछ कहा सुनी के बाद मान जाते है।

कुछ समय बाद सुप्रिया का कॉल आता है। और रघुवीर भी सुप्रिया को कॉल करने वाला था, तो फोन वही उठाता है!

प्रिया: हेलो !

वीर: हेलो प्रिया मैं अभी तुझे ही कॉल करने वाला था

प्रिया: चल झूठे!

वीर: नहीं सच्ची!

प्रिया: छोड़ो, सुनो मेरे मम्मी -पापा ने हम दोनों की शादी के लिए हां कह दी !

वीर: याहु ssss मेरे भी मम्मी पापा मान गए! और शाम को अपने मम्मी पापा के साथ तुम्हारे घर आ रहा हूँ !!

प्रिया: जल्दी आना मैं इंतजार करुँगी !

फिर दोनों फ़ोन रख देते है, दोनों बहुत खुश होते है। प्रिया अपने मम्मी पापा को बताती है कि वीर के मम्मी पापा आने वाले हैं शाम को, और तैयारी करने लगती है।

टाइम कब बीत जाता है पता ही नहीं चलता प्रिया तैयार होने लगती है। शाम होते ही वीर अपने मम्मी पापा के साथ प्रिया के घर पहुच जाता है। प्रिया के घर जाते सब को नमस्ते करते है।
दोनों परिवार बाते करते है और खुश होते है, और एक दूसरे का मुँह मीठा कराते है। और जल्दी ही दोनों को एक करने की सोचते है। अगले दिन पंडित को बुलाकर शादी की तारिख फिक्स करने लगते है।

प्रिया और वीर दोनों बहुत खुश होते है। बहुत जल्दी ही दोनों की शादी हो जाती है! और दोनों परिवार बहुत खुश होते है।

वीर और प्रिया दोनों हनीमून पे चले जाते है, और कुछ ही महीनो में वीर और प्रिया की एक प्यारी सी बेबी होती है, दोनों बहुत खुश होते है।


तो दोस्तों प्रिया और वीर का प्यार किस्मत में था !! और इन दोनों का प्यार आज भी उतना ही है।




💐समाप्त 💐
Kya bat hai
VERY BRILLIANT UPDATE Raj_sharma BHAI 💐 💐 💐 💐 maja aagaya mast ending dii aapne story ko apne
Aakhir kar mil gay Veer or Priya dono ne mil ke suruvat ker Lee apne ek nayy safar ki
Bahut khoob bhai
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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259

Raj_sharma

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Bohot-2 dhanyawaad 🥰 mere bhai, ye sab tum jaise dosto ke sath se hi sambhav hua hai, special thanks to you 🥰 DEVIL MAXIMUM 💐
 

Rajizexy

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अन्तिम अपडेट :

अगले दिन दोपहर में सभी को वापस निकलना था, तो त्रिपाठी सर और स्पोर्ट्स सर ने सुबह 8 बजे सबको एकट्ठा किया और बोले:

देखो बच्चों, आज दोपहर 2 बजे हम सब वापस लौटेंगे, तो जिसको भी जो कुछ लेना हो, या कहीं इधर उधर जाना हो, वो 12 बजे पहले कर उसके बाद खाना खा कर वापस बस में बैठना है। मुझे सब के सब 1.30 पे बस मुझे चाहिए।

“अभी के लिए आप सब जा सकते हैं”

इतना बोलके सर वहां से चले जाते हैं। बाकी स्टूडेंट्स भी वहां से जाने लगते हैं, रह जाते हैं तो बस अपने वीर, प्रिया, सनी और कंचन।

सनी: यार वीरे, अपनी तो लग गई यार!

"साला इसकी जात का चौधरी मारू"

Bc, सारी छुटियो के ऐसी तैसी करदी साले ने। हम तो दो दिनों के अंदर घूम ही नहीं पाए?

वीर: "अब क्या हो सकता है? भाई"

कंचन: सुनिए! एक उपाय है, अगर हम सब मिल कर त्रिपाठी सर को मना लें, तो काम हो सकता है।

सनी: हा यार ये तो हो सकता है, और मेरा मान-ना है कि अगर हम उससे बात करें तो हो सकता है वो मना भी नहीं करेगा।

वीर: अबे मेरे सुरखाब के पर लगे है क्या? मुझे भी तो मना कर सकता है!

सनी: याद है उनके साथ तेरा लगाव है, तो हो सकता है मान जाये!

वीर: चलो फिर चलते हैं उनके पास! बात तो करनी ही पड़ेगी, माने तो ठीक, नहीं माने तो वापस तो जाना ही पड़ेगा।

चारो मिलके त्रिपाठी सर के कमरे में जाते हैं, उनको एक साथ देख कर त्रिपाठी जी चौंक गए!

त्रिपाठी: क्या बात हो गई बच्चों अचानक यहाँ पे? सब ठीक तो है ना?

सभी: हां सर, सब ठीक ही है, हम तो आपसे एक रिक्वेस्ट करने आये हैं!

त्रिपाठी: हां..! कहो क्या बात है, मेरे हाथ में जो भी होगा करूंगा, क्यों मैं जानता हूं आप सब अच्छे छात्र हैं।

वीर: सर, आप तो जानते ही हैं, कि हम चारों घूम फिर नहीं पाए यहां, क्यों कि हमारे साथ ये हादसा हो गया, आपसे कुछ छुपा भी नहीं है।

त्रिपाठी: हां.. मेरे बच्चे में सब समझता हूं, और मुझे इस बात का दुख भी है, लेकिन मैं मजबूर हूं, मैं ये यात्रा और आगे नहीं बढ़ सकता, प्रिंसिपल सर से मुझे इसकी अनुमति नहीं है।

वीर: सर, मुझे आपकी बात समझ आ रही है! लेकिन मैं कुछ और कहना चाहता हूं, हम सब आपसे ये रिक्वेस्ट करने के लिए आए हैं कि क्या हम लोग एक दो दिन के लिए यहां और रुक सकते हैं?

त्रिपाठी: लेकिन ये कैसा संभव है? हम छात्रों को ऐसे अकेले कैसे छोड़ें? हमारे ऊपर उनकी पूरी जिम्मेदारी है।

वीर: मैं समझ सकता हूँ सर! लेकिन क्या करे? मै इन्सब की ज़िम्मेदारी लेता हूँ। आप कृपया हमें 2 दिन का समय दे दीजिए।

त्रिपाठी: {काफ़ी देर सोचने के बाद!} ठीक है वीर, तुम एक ज़िम्मेदार लड़के हो, तो तुम पे विश्वास कर के मैं ये बात मान लेता हूँ, मैं प्रिंसिपल से बात कर लूँगा, लेकिन तीसरे दिन तुम सुबह ही यहां से निकल लोगे !

सभी: जी सर! हम वादा करते हैं कि तीसरे दिन हम सुबह ही यहां से निकल लेंगे!!

त्रिपाठी: अच्छी बात है फिर, जाओ घूमो फिरो, अपना ध्यान रखना और मिलते हैं 2 दिन बाद। त्रिपाठी सर से बात कर के वो चारों वहां से निकल जाते हैं, और सनी के कमरे में इकट्ढा होते हैं, कमरे का गेट बंद करते हैं वह चारो एक साथ:

हुर्र्री!!

सनी: "मजा आया अब 2 दिन खूब मजा आएगा यार, ना तो कोई डिस्टर्ब करने वाला है ना कोई रोक टोक है खूब घूमेंगे फिरेंगे और मस्ती करेंगे"

सभी: हा यार मजा आ गया. फिर सभी नास्ता करके घूमें निकल जाते हैं, पूरा दिन घूम फिर के फुल मस्ती मज़ाक करते हैं और रात में फिल्म देखने का प्रोग्राम बनता है। रात को चारों फिल्म देखने जाते हैं। वाह सनी टिकट लेने जाता है जो बालकनी में कोने वाली सीट की टिकट लेकर आता है। फिल्म शुरू होती है सभी ध्यान से देखने लगते हैं सिवाय सनी के, उसका तो पूरा ध्यान कंचन में होता है! कुछ देर में कंचन को भी इस बात का आभास हो जाता है, वो भी कनखियो से उसको ही देख रही थी।

जब सनी को लगा कि कंचन उसे देख रही है तो वो आगे देखने लगता है, कुछ देर में एक रोमांटिक सीन आता है जिसे देखने के बाद वीर और प्रिया एक दूसरे की और देखने लगते हैं, वो दोनो एक दूसरे की आंखो में देख रहे थे।

सनी ने जब ये देखा! तो उसने कंचन को कोहनी मारी, कंचन हल्की मुस्कुराई और सनी की तरफ प्रश्नवाचक निगाहों से देखा!

सनी: (कंचन को धीरे से बोलता है) जरा वहा देखो डियर, क्या हो रहा है? ऐसा लग रहा है कि बरसों के बिछड़े प्रेमी आज मिले हैं।

कंचन अपनी नज़र रघुवीर और सुप्रिया की और घुमती है तो देखती है दोनों एक दूसरे में खोए हुए हैं, और धीरे-धीरे एक दूसरे को चूमने लग जाते हैं, कंचन जब ये देखती है तो वो शर्मा के अपनी नज़र नीचे कर लेती है!, और सनी को जैसे ही ये एहसास होता है तो वो हल्की मुस्कुराहट के साथ धीरे से कंचन के कान में बोलता है।

"कंचन"


कंचन शर्माते हुए अपने दोनो हाथ से अपना चेहरा छुपा लेती है।
सनी कंचन के हाथों को अपने हाथों से हटाता है, लेकिन उसकी नजरें अभी भी झुकी हुई थी। सनी धीरे से उसकी थोड़ी को पकड़ कर उसका चेहरा ऊपर की और उठाता है! कंचन अपनी आंखें खोल कर सनी को शर्म और प्यार से देखती है। और सनी से कहती है:

"मुझे शर्म आती है छोड़िये! "

सनी: कंचन क्या तुम मुझे प्यार नहीं करती?

ये सुनते ही कंचन अचानक से भारी नजरों से सनी को देखती है! और उसकी आँखों में पानी आ जाता है।

कंचन: आपने कैसे सोचा सनी की मैं आपको नहीं चाहती?, आप मेरे लिए मेरी जान से भी कीमती हो! मैं आपके लिए कुछ भी कर सकती हूँ!!

सनी: (कंचन के आंसू पोंछते हुए) अरे पगली मै तो ऐसे ही मजाक कर रहा था। वैसे अगर तुम बोल ही रही हो तो फिर हो जाए!

"सत्य-कल्प-ध्रुम" :love1:

कंचन: ये क्या होता है?

सनी: (मुस्कुराते हुए) बाजू वालों को देखो! समझ जाओगी.

कंचन: सनी को मारते हुए!


"धत्त"

सनी भी कंचन के दोनों हाथ पकड़ लेता है जिसे कंचन छुड़ाने की कोसिस करती है, लेकिन कोसिस खोखली थी। जो सनी से छुपी नहीं वो कंचन के और नजदीक हो जाता है और उसकी आँखों में देखने लगता है! धीरे-धीरे दोनों एक दूसरे के करीब आने लगते हैं, और फिर दोनों के लब एक दूसरे से टकरा जाते हैं, :kiss1:


"कंचन शर्मा जाती है" और पीछे हटने लगती है पर सनी उसे दोनो हाथो से पकड़ लेता है, और मुस्कुराते हुए फिर से चूमने लगता है!

अभी 2 मिनट बाद लाइट ऑन हो जाती है, तो चारों के चारों तरफ हलचल मच जाती है, और सभी एक दूसरे की और देखते हैं!

जहां वीर और सनी एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे थे! वही प्रिया और कंचन एक दूसरे को देख कर सरमा रही थी।

फिर वहां से सब लोग कैंटीन में चले जाते हैं, वीर सबके लिए पॉपकॉर्न ख़रीदता है! और सनी को आवाज़ लगता है!

"क्या पियेगी सानिया" :D

जिसे सुनके प्रिया, कंचन, और वीर तीनो हँसते हैं।

"तू जो भी पिलाये बिल्लो"

फिर वीर अपने और सनी के लिए कोका-कोला और प्रिया-कंचन के लिए जूस लेता है और पेमेंट कर के थिएटर में चला जाता है सब। जहां थोड़ी देर में सबका नास्ता पहुंच जाता है। कुछ देर में ही फिल्म शुरू हो जाती है।

चारो फिल्म देख कर वहां से निकल जाते हैं। रात को चारो होटल में ही रुकते है। सुप्रिया और रघुवीर अपना अपना सामान ले के वीर के रूम में चले जाते है।( इस मामले में दोनों की बात पहले ही हो चुकी थी)


सुप्रिया जाते ही नहाने चली जाती है। और रघुवीर बैठा रहता है अपने मोबाइल में गेम खेलने लगता है तभी सुप्रिया आ जाती है। रघुवीर सुप्रिया को देखते ही रह जाता है।


तुम मुझे छोड़ के जाओगे तो मर जाऊँगा यूँ करो जाने से पहले मुझे पागल कर दो” .


सुप्रिया रघुवीर के पास आ जाती है, और कहती है क्या हुआ?, तो रघुवीर कहता तुम बहुत सुंदर दिख रही हो,


“उस के चेहरे की चमक के सामने सादा लगा, आसमां पे चांद पूरा था मगर आधा लगा।“

सुप्रिया शर्माते हुए कहती है, मैं तो सुंदर ही हूँ! जाओ नहालो , 😊और फिर रघुवीर भी चला जाता है नहाने।
रघुवीर नहाकर बहार निकलता है और वो टॉवल में ही बाहर आ जाता है।

वीर भूल गया की प्रिया भी उसके साथ है। प्रिया, वीर को देखने लगती है और वीर के पास आ जाती है। और वीर को गले लगा लेती है। वीर भी प्रिया को गले लगा लेता है, दोनों एक दूसरे को किश करने लगते है। वीर कहता है:

" प्रिया क्या यह सही है?",

प्रिया कहती है: जो भी हो रहा सब सही हो रहा वीर!"
आज तुम मुझे अपना बना लो बहुत दिनों के बाद मुझे मेरा प्यार मिला है।


"मोहब्बत से बनी जयमाला को पहना कर सारी खुशी तेरे दामन में सजाऊंगा तेरी मोहब्बत के सजदे में खुद को नीलाम कर जाऊंगा..!!

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इतना कहके वीर प्रिया को गोदी में उठा लेता है और बेड पर लिटा देता है, दोनों प्यार करने लगते है।

दोनों सब कुछ भूल जाते है एक दूसरे में। वीर प्रिया को किश करता है, पैरो से लेकर ऊपर तक, प्रिया को बहुत अच्छा लगता है। प्रिया वीर को अपने ऊपर खींच लेती है, और दोनों किश करने लगते है, सब कुछ भूल कर प्यार करने लगते है। और दोनों एक दूसरे से समागम करते हैं!
फिर दोनों सो जाते है। सुबह हो जाती है सुप्रिया उठ के अपने कपड़ पहनने लगती है, और फिर वीर को भी उठा देती है।

प्यार की आग दोनो तरफ बराबर लग चुकी थी, पर एक रात साथ बिताने के बाद भी सुबह दोनो काफी समय तक शांत बैठे रहते हैं।
तभी प्रिया की आवाज वीर के कानों में गूंजती है!! प्रिया कहती है:

" वीर! मैं अब तुम्हारे बिना नहीं रह सकती !!"

वीर को लगा जैसे की वो अभी तक सपना देख रहा था, और अचानक उसका सपना सच हो गया! वीर भी कहता है मैं भी नहीं रह सकता तुम्हारे बिना!! और अब हमे अपने मम्मी पापा को कहना चाहीए शादी की बात करने के लिए।

प्रिया कहती है: हां वीर! मै भी घर पर बातकरुंगी, अब मै तुमसे एक पल भी दूर नही रह सकती।

हम कॉलेज नहीं जायँगे, हम यही से ही घर चलते है। अब हम दोनों एक दूसरे के बिना एक पल भी नहीं रह सकते,

इधर ये सारी बातें वीर सनी को बता देता है! और फिर चारो ने वापस जाने का फैसला लिया। और गाड़ी बुक करके अपने -अपने घर चले जाते है।

घर जाते ही दोनों अपने मम्मी पापा से बात करने लगते है। दोनों की फैमली एक दूसरे को जानती है, तो मना नहीं करती, बस कुछ कहा सुनी के बाद मान जाते है।

कुछ समय बाद सुप्रिया का कॉल आता है। और रघुवीर भी सुप्रिया को कॉल करने वाला था, तो फोन वही उठाता है!

प्रिया: हेलो !

वीर: हेलो प्रिया मैं अभी तुझे ही कॉल करने वाला था

प्रिया: चल झूठे!

वीर: नहीं सच्ची!

प्रिया: छोड़ो, सुनो मेरे मम्मी -पापा ने हम दोनों की शादी के लिए हां कह दी !

वीर: याहु ssss मेरे भी मम्मी पापा मान गए! और शाम को अपने मम्मी पापा के साथ तुम्हारे घर आ रहा हूँ !!

प्रिया: जल्दी आना मैं इंतजार करुँगी !

फिर दोनों फ़ोन रख देते है, दोनों बहुत खुश होते है। प्रिया अपने मम्मी पापा को बताती है कि वीर के मम्मी पापा आने वाले हैं शाम को, और तैयारी करने लगती है।

टाइम कब बीत जाता है पता ही नहीं चलता प्रिया तैयार होने लगती है। शाम होते ही वीर अपने मम्मी पापा के साथ प्रिया के घर पहुच जाता है। प्रिया के घर जाते सब को नमस्ते करते है।
दोनों परिवार बाते करते है और खुश होते है, और एक दूसरे का मुँह मीठा कराते है। और जल्दी ही दोनों को एक करने की सोचते है। अगले दिन पंडित को बुलाकर शादी की तारिख फिक्स करने लगते है।

प्रिया और वीर दोनों बहुत खुश होते है। बहुत जल्दी ही दोनों की शादी हो जाती है! और दोनों परिवार बहुत खुश होते है।

वीर और प्रिया दोनों हनीमून पे चले जाते है, और कुछ ही महीनो में वीर और प्रिया की एक प्यारी सी बेबी होती है, दोनों बहुत खुश होते है।


तो दोस्तों प्रिया और वीर का प्यार किस्मत में था !! और इन दोनों का प्यार आज भी उतना ही है।




💐समाप्त 💐
Super dupr story, ended well
✅✅✅✅✅✅✅
👌👌👌👌👌
💯💯💯
 
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