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Romance Love in College. दोस्ती प्यार में बदल गई❣️ (completed)

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
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dhparikh

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अन्तिम अपडेट :

अगले दिन दोपहर में सभी को वापस निकलना था, तो त्रिपाठी सर और स्पोर्ट्स सर ने सुबह 8 बजे सबको एकट्ठा किया और बोले:

देखो बच्चों, आज दोपहर 2 बजे हम सब वापस लौटेंगे, तो जिसको भी जो कुछ लेना हो, या कहीं इधर उधर जाना हो, वो 12 बजे पहले कर उसके बाद खाना खा कर वापस बस में बैठना है। मुझे सब के सब 1.30 पे बस मुझे चाहिए।

“अभी के लिए आप सब जा सकते हैं”

इतना बोलके सर वहां से चले जाते हैं। बाकी स्टूडेंट्स भी वहां से जाने लगते हैं, रह जाते हैं तो बस अपने वीर, प्रिया, सनी और कंचन।

सनी: यार वीरे, अपनी तो लग गई यार!

"साला इसकी जात का चौधरी मारू"

Bc, सारी छुटियो के ऐसी तैसी करदी साले ने। हम तो दो दिनों के अंदर घूम ही नहीं पाए?

वीर: "अब क्या हो सकता है? भाई"

कंचन: सुनिए! एक उपाय है, अगर हम सब मिल कर त्रिपाठी सर को मना लें, तो काम हो सकता है।

सनी: हा यार ये तो हो सकता है, और मेरा मान-ना है कि अगर हम उससे बात करें तो हो सकता है वो मना भी नहीं करेगा।

वीर: अबे मेरे सुरखाब के पर लगे है क्या? मुझे भी तो मना कर सकता है!

सनी: याद है उनके साथ तेरा लगाव है, तो हो सकता है मान जाये!

वीर: चलो फिर चलते हैं उनके पास! बात तो करनी ही पड़ेगी, माने तो ठीक, नहीं माने तो वापस तो जाना ही पड़ेगा।

चारो मिलके त्रिपाठी सर के कमरे में जाते हैं, उनको एक साथ देख कर त्रिपाठी जी चौंक गए!

त्रिपाठी: क्या बात हो गई बच्चों अचानक यहाँ पे? सब ठीक तो है ना?

सभी: हां सर, सब ठीक ही है, हम तो आपसे एक रिक्वेस्ट करने आये हैं!

त्रिपाठी: हां..! कहो क्या बात है, मेरे हाथ में जो भी होगा करूंगा, क्यों मैं जानता हूं आप सब अच्छे छात्र हैं।

वीर: सर, आप तो जानते ही हैं, कि हम चारों घूम फिर नहीं पाए यहां, क्यों कि हमारे साथ ये हादसा हो गया, आपसे कुछ छुपा भी नहीं है।

त्रिपाठी: हां.. मेरे बच्चे में सब समझता हूं, और मुझे इस बात का दुख भी है, लेकिन मैं मजबूर हूं, मैं ये यात्रा और आगे नहीं बढ़ सकता, प्रिंसिपल सर से मुझे इसकी अनुमति नहीं है।

वीर: सर, मुझे आपकी बात समझ आ रही है! लेकिन मैं कुछ और कहना चाहता हूं, हम सब आपसे ये रिक्वेस्ट करने के लिए आए हैं कि क्या हम लोग एक दो दिन के लिए यहां और रुक सकते हैं?

त्रिपाठी: लेकिन ये कैसा संभव है? हम छात्रों को ऐसे अकेले कैसे छोड़ें? हमारे ऊपर उनकी पूरी जिम्मेदारी है।

वीर: मैं समझ सकता हूँ सर! लेकिन क्या करे? मै इन्सब की ज़िम्मेदारी लेता हूँ। आप कृपया हमें 2 दिन का समय दे दीजिए।

त्रिपाठी: {काफ़ी देर सोचने के बाद!} ठीक है वीर, तुम एक ज़िम्मेदार लड़के हो, तो तुम पे विश्वास कर के मैं ये बात मान लेता हूँ, मैं प्रिंसिपल से बात कर लूँगा, लेकिन तीसरे दिन तुम सुबह ही यहां से निकल लोगे !

सभी: जी सर! हम वादा करते हैं कि तीसरे दिन हम सुबह ही यहां से निकल लेंगे!!

त्रिपाठी: अच्छी बात है फिर, जाओ घूमो फिरो, अपना ध्यान रखना और मिलते हैं 2 दिन बाद। त्रिपाठी सर से बात कर के वो चारों वहां से निकल जाते हैं, और सनी के कमरे में इकट्ढा होते हैं, कमरे का गेट बंद करते हैं वह चारो एक साथ:

हुर्र्री!!

सनी: "मजा आया अब 2 दिन खूब मजा आएगा यार, ना तो कोई डिस्टर्ब करने वाला है ना कोई रोक टोक है खूब घूमेंगे फिरेंगे और मस्ती करेंगे"

सभी: हा यार मजा आ गया. फिर सभी नास्ता करके घूमें निकल जाते हैं, पूरा दिन घूम फिर के फुल मस्ती मज़ाक करते हैं और रात में फिल्म देखने का प्रोग्राम बनता है। रात को चारों फिल्म देखने जाते हैं। वाह सनी टिकट लेने जाता है जो बालकनी में कोने वाली सीट की टिकट लेकर आता है। फिल्म शुरू होती है सभी ध्यान से देखने लगते हैं सिवाय सनी के, उसका तो पूरा ध्यान कंचन में होता है! कुछ देर में कंचन को भी इस बात का आभास हो जाता है, वो भी कनखियो से उसको ही देख रही थी।

जब सनी को लगा कि कंचन उसे देख रही है तो वो आगे देखने लगता है, कुछ देर में एक रोमांटिक सीन आता है जिसे देखने के बाद वीर और प्रिया एक दूसरे की और देखने लगते हैं, वो दोनो एक दूसरे की आंखो में देख रहे थे।

सनी ने जब ये देखा! तो उसने कंचन को कोहनी मारी, कंचन हल्की मुस्कुराई और सनी की तरफ प्रश्नवाचक निगाहों से देखा!

सनी: (कंचन को धीरे से बोलता है) जरा वहा देखो डियर, क्या हो रहा है? ऐसा लग रहा है कि बरसों के बिछड़े प्रेमी आज मिले हैं।

कंचन अपनी नज़र रघुवीर और सुप्रिया की और घुमती है तो देखती है दोनों एक दूसरे में खोए हुए हैं, और धीरे-धीरे एक दूसरे को चूमने लग जाते हैं, कंचन जब ये देखती है तो वो शर्मा के अपनी नज़र नीचे कर लेती है!, और सनी को जैसे ही ये एहसास होता है तो वो हल्की मुस्कुराहट के साथ धीरे से कंचन के कान में बोलता है।

"कंचन"


कंचन शर्माते हुए अपने दोनो हाथ से अपना चेहरा छुपा लेती है।
सनी कंचन के हाथों को अपने हाथों से हटाता है, लेकिन उसकी नजरें अभी भी झुकी हुई थी। सनी धीरे से उसकी थोड़ी को पकड़ कर उसका चेहरा ऊपर की और उठाता है! कंचन अपनी आंखें खोल कर सनी को शर्म और प्यार से देखती है। और सनी से कहती है:

"मुझे शर्म आती है छोड़िये! "

सनी: कंचन क्या तुम मुझे प्यार नहीं करती?

ये सुनते ही कंचन अचानक से भारी नजरों से सनी को देखती है! और उसकी आँखों में पानी आ जाता है।

कंचन: आपने कैसे सोचा सनी की मैं आपको नहीं चाहती?, आप मेरे लिए मेरी जान से भी कीमती हो! मैं आपके लिए कुछ भी कर सकती हूँ!!

सनी: (कंचन के आंसू पोंछते हुए) अरे पगली मै तो ऐसे ही मजाक कर रहा था। वैसे अगर तुम बोल ही रही हो तो फिर हो जाए!

"सत्य-कल्प-ध्रुम" :love1:

कंचन: ये क्या होता है?

सनी: (मुस्कुराते हुए) बाजू वालों को देखो! समझ जाओगी.

कंचन: सनी को मारते हुए!


"धत्त"

सनी भी कंचन के दोनों हाथ पकड़ लेता है जिसे कंचन छुड़ाने की कोसिस करती है, लेकिन कोसिस खोखली थी। जो सनी से छुपी नहीं वो कंचन के और नजदीक हो जाता है और उसकी आँखों में देखने लगता है! धीरे-धीरे दोनों एक दूसरे के करीब आने लगते हैं, और फिर दोनों के लब एक दूसरे से टकरा जाते हैं, :kiss1:


"कंचन शर्मा जाती है" और पीछे हटने लगती है पर सनी उसे दोनो हाथो से पकड़ लेता है, और मुस्कुराते हुए फिर से चूमने लगता है!

अभी 2 मिनट बाद लाइट ऑन हो जाती है, तो चारों के चारों तरफ हलचल मच जाती है, और सभी एक दूसरे की और देखते हैं!

जहां वीर और सनी एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे थे! वही प्रिया और कंचन एक दूसरे को देख कर सरमा रही थी।

फिर वहां से सब लोग कैंटीन में चले जाते हैं, वीर सबके लिए पॉपकॉर्न ख़रीदता है! और सनी को आवाज़ लगता है!

"क्या पियेगी सानिया" :D

जिसे सुनके प्रिया, कंचन, और वीर तीनो हँसते हैं।

"तू जो भी पिलाये बिल्लो"

फिर वीर अपने और सनी के लिए कोका-कोला और प्रिया-कंचन के लिए जूस लेता है और पेमेंट कर के थिएटर में चला जाता है सब। जहां थोड़ी देर में सबका नास्ता पहुंच जाता है। कुछ देर में ही फिल्म शुरू हो जाती है।

चारो फिल्म देख कर वहां से निकल जाते हैं। रात को चारो होटल में ही रुकते है। सुप्रिया और रघुवीर अपना अपना सामान ले के वीर के रूम में चले जाते है।( इस मामले में दोनों की बात पहले ही हो चुकी थी)


सुप्रिया जाते ही नहाने चली जाती है। और रघुवीर बैठा रहता है अपने मोबाइल में गेम खेलने लगता है तभी सुप्रिया आ जाती है। रघुवीर सुप्रिया को देखते ही रह जाता है।


तुम मुझे छोड़ के जाओगे तो मर जाऊँगा यूँ करो जाने से पहले मुझे पागल कर दो” .


सुप्रिया रघुवीर के पास आ जाती है, और कहती है क्या हुआ?, तो रघुवीर कहता तुम बहुत सुंदर दिख रही हो,


“उस के चेहरे की चमक के सामने सादा लगा, आसमां पे चांद पूरा था मगर आधा लगा।“

सुप्रिया शर्माते हुए कहती है, मैं तो सुंदर ही हूँ! जाओ नहालो , 😊और फिर रघुवीर भी चला जाता है नहाने।
रघुवीर नहाकर बहार निकलता है और वो टॉवल में ही बाहर आ जाता है।

वीर भूल गया की प्रिया भी उसके साथ है। प्रिया, वीर को देखने लगती है और वीर के पास आ जाती है। और वीर को गले लगा लेती है। वीर भी प्रिया को गले लगा लेता है, दोनों एक दूसरे को किश करने लगते है। वीर कहता है:

" प्रिया क्या यह सही है?",

प्रिया कहती है: जो भी हो रहा सब सही हो रहा वीर!"
आज तुम मुझे अपना बना लो बहुत दिनों के बाद मुझे मेरा प्यार मिला है।


"मोहब्बत से बनी जयमाला को पहना कर सारी खुशी तेरे दामन में सजाऊंगा तेरी मोहब्बत के सजदे में खुद को नीलाम कर जाऊंगा..!!

IMG-20240809-WA0021

इतना कहके वीर प्रिया को गोदी में उठा लेता है और बेड पर लिटा देता है, दोनों प्यार करने लगते है।

दोनों सब कुछ भूल जाते है एक दूसरे में। वीर प्रिया को किश करता है, पैरो से लेकर ऊपर तक, प्रिया को बहुत अच्छा लगता है। प्रिया वीर को अपने ऊपर खींच लेती है, और दोनों किश करने लगते है, सब कुछ भूल कर प्यार करने लगते है। और दोनों एक दूसरे से समागम करते हैं!
फिर दोनों सो जाते है। सुबह हो जाती है सुप्रिया उठ के अपने कपड़ पहनने लगती है, और फिर वीर को भी उठा देती है।

प्यार की आग दोनो तरफ बराबर लग चुकी थी, पर एक रात साथ बिताने के बाद भी सुबह दोनो काफी समय तक शांत बैठे रहते हैं।
तभी प्रिया की आवाज वीर के कानों में गूंजती है!! प्रिया कहती है:

" वीर! मैं अब तुम्हारे बिना नहीं रह सकती !!"

वीर को लगा जैसे की वो अभी तक सपना देख रहा था, और अचानक उसका सपना सच हो गया! वीर भी कहता है मैं भी नहीं रह सकता तुम्हारे बिना!! और अब हमे अपने मम्मी पापा को कहना चाहीए शादी की बात करने के लिए।

प्रिया कहती है: हां वीर! मै भी घर पर बातकरुंगी, अब मै तुमसे एक पल भी दूर नही रह सकती।

हम कॉलेज नहीं जायँगे, हम यही से ही घर चलते है। अब हम दोनों एक दूसरे के बिना एक पल भी नहीं रह सकते,

इधर ये सारी बातें वीर सनी को बता देता है! और फिर चारो ने वापस जाने का फैसला लिया। और गाड़ी बुक करके अपने -अपने घर चले जाते है।

घर जाते ही दोनों अपने मम्मी पापा से बात करने लगते है। दोनों की फैमली एक दूसरे को जानती है, तो मना नहीं करती, बस कुछ कहा सुनी के बाद मान जाते है।

कुछ समय बाद सुप्रिया का कॉल आता है। और रघुवीर भी सुप्रिया को कॉल करने वाला था, तो फोन वही उठाता है!

प्रिया: हेलो !

वीर: हेलो प्रिया मैं अभी तुझे ही कॉल करने वाला था

प्रिया: चल झूठे!

वीर: नहीं सच्ची!

प्रिया: छोड़ो, सुनो मेरे मम्मी -पापा ने हम दोनों की शादी के लिए हां कह दी !

वीर: याहु ssss मेरे भी मम्मी पापा मान गए! और शाम को अपने मम्मी पापा के साथ तुम्हारे घर आ रहा हूँ !!

प्रिया: जल्दी आना मैं इंतजार करुँगी !

फिर दोनों फ़ोन रख देते है, दोनों बहुत खुश होते है। प्रिया अपने मम्मी पापा को बताती है कि वीर के मम्मी पापा आने वाले हैं शाम को, और तैयारी करने लगती है।

टाइम कब बीत जाता है पता ही नहीं चलता प्रिया तैयार होने लगती है। शाम होते ही वीर अपने मम्मी पापा के साथ प्रिया के घर पहुच जाता है। प्रिया के घर जाते सब को नमस्ते करते है।
दोनों परिवार बाते करते है और खुश होते है, और एक दूसरे का मुँह मीठा कराते है। और जल्दी ही दोनों को एक करने की सोचते है। अगले दिन पंडित को बुलाकर शादी की तारिख फिक्स करने लगते है।

प्रिया और वीर दोनों बहुत खुश होते है। बहुत जल्दी ही दोनों की शादी हो जाती है! और दोनों परिवार बहुत खुश होते है।

वीर और प्रिया दोनों हनीमून पे चले जाते है, और कुछ ही महीनो में वीर और प्रिया की एक प्यारी सी बेबी होती है, दोनों बहुत खुश होते है।


तो दोस्तों प्रिया और वीर का प्यार किस्मत में था !! और इन दोनों का प्यार आज भी उतना ही है।




💐समाप्त 💐
Nice update....
 

Raj_sharma

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अगले दिन दोपहर में सभी को वापस निकलना था, तो त्रिपाठी सर और स्पोर्ट्स सर ने सुबह 8 बजे सबको एकट्ठा किया और बोले:

देखो बच्चों, आज दोपहर 2 बजे हम सब वापस लौटेंगे, तो जिसको भी जो कुछ लेना हो, या कहीं इधर उधर जाना हो, वो 12 बजे पहले कर उसके बाद खाना खा कर वापस बस में बैठना है। मुझे सब के सब 1.30 पे बस मुझे चाहिए।

“अभी के लिए आप सब जा सकते हैं”

इतना बोलके सर वहां से चले जाते हैं। बाकी स्टूडेंट्स भी वहां से जाने लगते हैं, रह जाते हैं तो बस अपने वीर, प्रिया, सनी और कंचन।

सनी: यार वीरे, अपनी तो लग गई यार!

"साला इसकी जात का चौधरी मारू"

Bc, सारी छुटियो के ऐसी तैसी करदी साले ने। हम तो दो दिनों के अंदर घूम ही नहीं पाए?

वीर: "अब क्या हो सकता है? भाई"

कंचन: सुनिए! एक उपाय है, अगर हम सब मिल कर त्रिपाठी सर को मना लें, तो काम हो सकता है।

सनी: हा यार ये तो हो सकता है, और मेरा मान-ना है कि अगर हम उससे बात करें तो हो सकता है वो मना भी नहीं करेगा।

वीर: अबे मेरे सुरखाब के पर लगे है क्या? मुझे भी तो मना कर सकता है!

सनी: याद है उनके साथ तेरा लगाव है, तो हो सकता है मान जाये!

वीर: चलो फिर चलते हैं उनके पास! बात तो करनी ही पड़ेगी, माने तो ठीक, नहीं माने तो वापस तो जाना ही पड़ेगा।

चारो मिलके त्रिपाठी सर के कमरे में जाते हैं, उनको एक साथ देख कर त्रिपाठी जी चौंक गए!

त्रिपाठी: क्या बात हो गई बच्चों अचानक यहाँ पे? सब ठीक तो है ना?

सभी: हां सर, सब ठीक ही है, हम तो आपसे एक रिक्वेस्ट करने आये हैं!

त्रिपाठी: हां..! कहो क्या बात है, मेरे हाथ में जो भी होगा करूंगा, क्यों मैं जानता हूं आप सब अच्छे छात्र हैं।

वीर: सर, आप तो जानते ही हैं, कि हम चारों घूम फिर नहीं पाए यहां, क्यों कि हमारे साथ ये हादसा हो गया, आपसे कुछ छुपा भी नहीं है।

त्रिपाठी: हां.. मेरे बच्चे में सब समझता हूं, और मुझे इस बात का दुख भी है, लेकिन मैं मजबूर हूं, मैं ये यात्रा और आगे नहीं बढ़ सकता, प्रिंसिपल सर से मुझे इसकी अनुमति नहीं है।

वीर: सर, मुझे आपकी बात समझ आ रही है! लेकिन मैं कुछ और कहना चाहता हूं, हम सब आपसे ये रिक्वेस्ट करने के लिए आए हैं कि क्या हम लोग एक दो दिन के लिए यहां और रुक सकते हैं?

त्रिपाठी: लेकिन ये कैसा संभव है? हम छात्रों को ऐसे अकेले कैसे छोड़ें? हमारे ऊपर उनकी पूरी जिम्मेदारी है।

वीर: मैं समझ सकता हूँ सर! लेकिन क्या करे? मै इन्सब की ज़िम्मेदारी लेता हूँ। आप कृपया हमें 2 दिन का समय दे दीजिए।

त्रिपाठी: {काफ़ी देर सोचने के बाद!} ठीक है वीर, तुम एक ज़िम्मेदार लड़के हो, तो तुम पे विश्वास कर के मैं ये बात मान लेता हूँ, मैं प्रिंसिपल से बात कर लूँगा, लेकिन तीसरे दिन तुम सुबह ही यहां से निकल लोगे !

सभी: जी सर! हम वादा करते हैं कि तीसरे दिन हम सुबह ही यहां से निकल लेंगे!!

त्रिपाठी: अच्छी बात है फिर, जाओ घूमो फिरो, अपना ध्यान रखना और मिलते हैं 2 दिन बाद। त्रिपाठी सर से बात कर के वो चारों वहां से निकल जाते हैं, और सनी के कमरे में इकट्ढा होते हैं, कमरे का गेट बंद करते हैं वह चारो एक साथ:

हुर्र्री!!

सनी: "मजा आया अब 2 दिन खूब मजा आएगा यार, ना तो कोई डिस्टर्ब करने वाला है ना कोई रोक टोक है खूब घूमेंगे फिरेंगे और मस्ती करेंगे"

सभी: हा यार मजा आ गया. फिर सभी नास्ता करके घूमें निकल जाते हैं, पूरा दिन घूम फिर के फुल मस्ती मज़ाक करते हैं और रात में फिल्म देखने का प्रोग्राम बनता है। रात को चारों फिल्म देखने जाते हैं। वाह सनी टिकट लेने जाता है जो बालकनी में कोने वाली सीट की टिकट लेकर आता है। फिल्म शुरू होती है सभी ध्यान से देखने लगते हैं सिवाय सनी के, उसका तो पूरा ध्यान कंचन में होता है! कुछ देर में कंचन को भी इस बात का आभास हो जाता है, वो भी कनखियो से उसको ही देख रही थी।

जब सनी को लगा कि कंचन उसे देख रही है तो वो आगे देखने लगता है, कुछ देर में एक रोमांटिक सीन आता है जिसे देखने के बाद वीर और प्रिया एक दूसरे की और देखने लगते हैं, वो दोनो एक दूसरे की आंखो में देख रहे थे।

सनी ने जब ये देखा! तो उसने कंचन को कोहनी मारी, कंचन हल्की मुस्कुराई और सनी की तरफ प्रश्नवाचक निगाहों से देखा!

सनी: (कंचन को धीरे से बोलता है) जरा वहा देखो डियर, क्या हो रहा है? ऐसा लग रहा है कि बरसों के बिछड़े प्रेमी आज मिले हैं।

कंचन अपनी नज़र रघुवीर और सुप्रिया की और घुमती है तो देखती है दोनों एक दूसरे में खोए हुए हैं, और धीरे-धीरे एक दूसरे को चूमने लग जाते हैं, कंचन जब ये देखती है तो वो शर्मा के अपनी नज़र नीचे कर लेती है!, और सनी को जैसे ही ये एहसास होता है तो वो हल्की मुस्कुराहट के साथ धीरे से कंचन के कान में बोलता है।

"कंचन"


कंचन शर्माते हुए अपने दोनो हाथ से अपना चेहरा छुपा लेती है।
सनी कंचन के हाथों को अपने हाथों से हटाता है, लेकिन उसकी नजरें अभी भी झुकी हुई थी। सनी धीरे से उसकी थोड़ी को पकड़ कर उसका चेहरा ऊपर की और उठाता है! कंचन अपनी आंखें खोल कर सनी को शर्म और प्यार से देखती है। और सनी से कहती है:

"मुझे शर्म आती है छोड़िये! "

सनी: कंचन क्या तुम मुझे प्यार नहीं करती?

ये सुनते ही कंचन अचानक से भारी नजरों से सनी को देखती है! और उसकी आँखों में पानी आ जाता है।

कंचन: आपने कैसे सोचा सनी की मैं आपको नहीं चाहती?, आप मेरे लिए मेरी जान से भी कीमती हो! मैं आपके लिए कुछ भी कर सकती हूँ!!

सनी: (कंचन के आंसू पोंछते हुए) अरे पगली मै तो ऐसे ही मजाक कर रहा था। वैसे अगर तुम बोल ही रही हो तो फिर हो जाए!

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कंचन: ये क्या होता है?

सनी: (मुस्कुराते हुए) बाजू वालों को देखो! समझ जाओगी.

कंचन: सनी को मारते हुए!


"धत्त"

सनी भी कंचन के दोनों हाथ पकड़ लेता है जिसे कंचन छुड़ाने की कोसिस करती है, लेकिन कोसिस खोखली थी। जो सनी से छुपी नहीं वो कंचन के और नजदीक हो जाता है और उसकी आँखों में देखने लगता है! धीरे-धीरे दोनों एक दूसरे के करीब आने लगते हैं, और फिर दोनों के लब एक दूसरे से टकरा जाते हैं, :kiss1:


"कंचन शर्मा जाती है" और पीछे हटने लगती है पर सनी उसे दोनो हाथो से पकड़ लेता है, और मुस्कुराते हुए फिर से चूमने लगता है!

अभी 2 मिनट बाद लाइट ऑन हो जाती है, तो चारों के चारों तरफ हलचल मच जाती है, और सभी एक दूसरे की और देखते हैं!

जहां वीर और सनी एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे थे! वही प्रिया और कंचन एक दूसरे को देख कर सरमा रही थी।

फिर वहां से सब लोग कैंटीन में चले जाते हैं, वीर सबके लिए पॉपकॉर्न ख़रीदता है! और सनी को आवाज़ लगता है!

"क्या पियेगी सानिया" :D

जिसे सुनके प्रिया, कंचन, और वीर तीनो हँसते हैं।

"तू जो भी पिलाये बिल्लो"

फिर वीर अपने और सनी के लिए कोका-कोला और प्रिया-कंचन के लिए जूस लेता है और पेमेंट कर के थिएटर में चला जाता है सब। जहां थोड़ी देर में सबका नास्ता पहुंच जाता है। कुछ देर में ही फिल्म शुरू हो जाती है।

चारो फिल्म देख कर वहां से निकल जाते हैं। रात को चारो होटल में ही रुकते है। सुप्रिया और रघुवीर अपना अपना सामान ले के वीर के रूम में चले जाते है।( इस मामले में दोनों की बात पहले ही हो चुकी थी)


सुप्रिया जाते ही नहाने चली जाती है। और रघुवीर बैठा रहता है अपने मोबाइल में गेम खेलने लगता है तभी सुप्रिया आ जाती है। रघुवीर सुप्रिया को देखते ही रह जाता है।


तुम मुझे छोड़ के जाओगे तो मर जाऊँगा यूँ करो जाने से पहले मुझे पागल कर दो” .


सुप्रिया रघुवीर के पास आ जाती है, और कहती है क्या हुआ?, तो रघुवीर कहता तुम बहुत सुंदर दिख रही हो,


“उस के चेहरे की चमक के सामने सादा लगा, आसमां पे चांद पूरा था मगर आधा लगा।“

सुप्रिया शर्माते हुए कहती है, मैं तो सुंदर ही हूँ! जाओ नहालो , 😊और फिर रघुवीर भी चला जाता है नहाने।
रघुवीर नहाकर बहार निकलता है और वो टॉवल में ही बाहर आ जाता है।

वीर भूल गया की प्रिया भी उसके साथ है। प्रिया, वीर को देखने लगती है और वीर के पास आ जाती है। और वीर को गले लगा लेती है। वीर भी प्रिया को गले लगा लेता है, दोनों एक दूसरे को किश करने लगते है। वीर कहता है:

" प्रिया क्या यह सही है?",

प्रिया कहती है: जो भी हो रहा सब सही हो रहा वीर!"
आज तुम मुझे अपना बना लो बहुत दिनों के बाद मुझे मेरा प्यार मिला है।


"मोहब्बत से बनी जयमाला को पहना कर सारी खुशी तेरे दामन में सजाऊंगा तेरी मोहब्बत के सजदे में खुद को नीलाम कर जाऊंगा..!!

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इतना कहके वीर प्रिया को गोदी में उठा लेता है और बेड पर लिटा देता है, दोनों प्यार करने लगते है।

दोनों सब कुछ भूल जाते है एक दूसरे में। वीर प्रिया को किश करता है, पैरो से लेकर ऊपर तक, प्रिया को बहुत अच्छा लगता है। प्रिया वीर को अपने ऊपर खींच लेती है, और दोनों किश करने लगते है, सब कुछ भूल कर प्यार करने लगते है। और दोनों एक दूसरे से समागम करते हैं!
फिर दोनों सो जाते है। सुबह हो जाती है सुप्रिया उठ के अपने कपड़ पहनने लगती है, और फिर वीर को भी उठा देती है।

प्यार की आग दोनो तरफ बराबर लग चुकी थी, पर एक रात साथ बिताने के बाद भी सुबह दोनो काफी समय तक शांत बैठे रहते हैं।
तभी प्रिया की आवाज वीर के कानों में गूंजती है!! प्रिया कहती है:

" वीर! मैं अब तुम्हारे बिना नहीं रह सकती !!"

वीर को लगा जैसे की वो अभी तक सपना देख रहा था, और अचानक उसका सपना सच हो गया! वीर भी कहता है मैं भी नहीं रह सकता तुम्हारे बिना!! और अब हमे अपने मम्मी पापा को कहना चाहीए शादी की बात करने के लिए।

प्रिया कहती है: हां वीर! मै भी घर पर बातकरुंगी, अब मै तुमसे एक पल भी दूर नही रह सकती।

हम कॉलेज नहीं जायँगे, हम यही से ही घर चलते है। अब हम दोनों एक दूसरे के बिना एक पल भी नहीं रह सकते,

इधर ये सारी बातें वीर सनी को बता देता है! और फिर चारो ने वापस जाने का फैसला लिया। और गाड़ी बुक करके अपने -अपने घर चले जाते है।

घर जाते ही दोनों अपने मम्मी पापा से बात करने लगते है। दोनों की फैमली एक दूसरे को जानती है, तो मना नहीं करती, बस कुछ कहा सुनी के बाद मान जाते है।

कुछ समय बाद सुप्रिया का कॉल आता है। और रघुवीर भी सुप्रिया को कॉल करने वाला था, तो फोन वही उठाता है!

प्रिया: हेलो !

वीर: हेलो प्रिया मैं अभी तुझे ही कॉल करने वाला था

प्रिया: चल झूठे!

वीर: नहीं सच्ची!

प्रिया: छोड़ो, सुनो मेरे मम्मी -पापा ने हम दोनों की शादी के लिए हां कह दी !

वीर: याहु ssss मेरे भी मम्मी पापा मान गए! और शाम को अपने मम्मी पापा के साथ तुम्हारे घर आ रहा हूँ !!

प्रिया: जल्दी आना मैं इंतजार करुँगी !

फिर दोनों फ़ोन रख देते है, दोनों बहुत खुश होते है। प्रिया अपने मम्मी पापा को बताती है कि वीर के मम्मी पापा आने वाले हैं शाम को, और तैयारी करने लगती है।

टाइम कब बीत जाता है पता ही नहीं चलता प्रिया तैयार होने लगती है। शाम होते ही वीर अपने मम्मी पापा के साथ प्रिया के घर पहुच जाता है। प्रिया के घर जाते सब को नमस्ते करते है।
दोनों परिवार बाते करते है और खुश होते है, और एक दूसरे का मुँह मीठा कराते है। और जल्दी ही दोनों को एक करने की सोचते है। अगले दिन पंडित को बुलाकर शादी की तारिख फिक्स करने लगते है।

प्रिया और वीर दोनों बहुत खुश होते है। बहुत जल्दी ही दोनों की शादी हो जाती है! और दोनों परिवार बहुत खुश होते है।

वीर और प्रिया दोनों हनीमून पे चले जाते है, और कुछ ही महीनो में वीर और प्रिया की एक प्यारी सी बेबी होती है, दोनों बहुत खुश होते है।


तो दोस्तों प्रिया और वीर का प्यार किस्मत में था !! और इन दोनों का प्यार आज भी उतना ही है।




💐समाप्त 💐
कहानी का समापन बहुत ही अप्रतिम हुआ हैं
बस सनी और कंचन की प्रेम कहानी आगे बढी या और कुछ ये समझ नहीं आया
दो शब्द उनके लिये भी होते तो उन पात्रों के साथ भी न्याय हो जाता
ऐसा मुझे लगता हैं
खैर एक सुंदर कहानी का सुंदर समापन
 

Shetan

Well-Known Member
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259
Update 13

पिछले-अध्याय में आपने पढ़ा की कैसे सुप्रिया नींद में रघुवीर के गले के पास ही सुप्रिया के लिप्स लगने लगते है तभी रघुवीर को कुछ-कुछ होने लगता है।

रघुवीर सुप्रिया को कस के पकड़ लेता है सुप्रिया भी रघुवीर को पकड़ लेती है ना जाने क्या होता दोनों को? एक मस्ती और प्यार भरे एहसास में डूब जाते हैं वो।

अब आगे:

रघुवीर भी अपने आपको संभाल नहीं सका, सुप्रिया इतना करीब आ गयी थी।
सुप्रिया और रघुवीर के लिप्स एक दूसरे के बहुत करीब आ जाते है, और रघुवीर सुप्रिया को किश करने लगता है , और सुप्रिया भी साथ देती है।

दोनों एक दूसरे में खो जाते हैं। सुप्रिया को रघुवीर प्यार से अपनी और खीच लेता है, और दोंनो एक दूसरे को किश करते रहते है, तभी अचानक बस रुक जाती है , और रघुवीर दूर हो जाता है, तभी सुप्रिया रघुवीर को अपनी और खीचने लगती है, पर रघुवीर कहता नही प्रिया! ये ठीक नही है।

फिर सुप्रिया मुस्कराते हुए दूर हो जाती है।
सुहाने सफर की सुहानी रात कट गई , ठंड भरी हवा के साथ सुबह का उजाला हुआ,

सुप्रिया आराम से वीर की गोद में सिर रख के सो रही थी,

वही वीर सीट में बैठे बैठे सुप्रिया के सिर पे हल्का हल्का सा हाथ फेर रहा था, वीर एक टक बस सुप्रिया को निहारे जा रहा था।

“इक लफ़्ज़-ए-मोहब्बत का अदना ये फ़साना है सिमटे तो दिल-ए-आशिक़, फैले तो ज़माना है “

और यही हालत आगे बैठे सनी और कंचन की भी थी,
दोनो ही एक दूसरे की आँखो में खोए हुए थे!
कुछ ही समय में बस अपनी मेंजिल पे आ गई बस में सभी उठ चुके थे, बाहर निकलते ही !

सुप्रिया : (चारो तरफ बर्फ की चादर से ढकी हुई सड़के देख के) कितना खूबसूरत नजारा है ये मन करता है यहीं पे बस जाऊ ।


वीर: अभी तो सिर्फ शुरुवात है इससे भी अच्छे नजारे है यह देखने के लिए ।

मनाली की वादियों में सफेद रजाई ओढ़े बैठा है,
अभी आधा मनाली तंदूर की गरमी के सामने बैठा है।
कोई आए मनाली, घी बाड़ी ओर छिल्दा ना खाए,
मुमकिन है वो जरूर किसी ओर मनाली में बैठा है।“



सुप्रिया : तो चलो चलते है देखने, मुझसे तो रुका नहीं जा रहा ये ख़ूबसूरती देख कर।


वीर : इतनी भी जल्दी क्या है? अभी तो हम आए है यहां पे, और देखने के लिए ही आये तो थोड़ा सबर कर।

सनी : किसको किस बात की जल्दी है भाई?

वीर : प्रिया को अभी से घूमने की जल्दी है ।

सनी: (हस्ते हुए धीरे से वीर से) अच्छा हुआ शादी की बात नही बोली, कहीं ये बोलने लग जाए चलो अभी फेरे ले- लेते हैं।

वीर : क्या बोल रहा है बे? बेटा मेरा तो पता नहीं? पर तेरी जरूर खाट खड़ी हो जायेगी! तू जानता है ना उसका गुस्सा।


सनी : जरा सोच तो अगर ऐसा हो जाय तो लड़को से ज्यादा लड़किया माहिर हो जाती लड़को को पटाने में !

हमे तो कुछ करने की जरूरत नहीं पड़ती !! दोनो साथ में हसने लगे इनकी हसी सुन के प्रिया ने पूछा !


प्रिया : किस बात पे इतनी हसी आ रही है दोनो को?

वीर : सनी भी यही कह रहा है यहीं सेटल हो जाएं हमलोग इसीलिए हसीं आगई !



प्रिया : ज्यादा होशियार मत बनो तुम समझे ! (सनी से) और तुमने क्या बोला है? सब समझती हू मै, कंचन ने बताया था मुझे जो बात करते हो तुम !

इतने बोल के प्रिया कंचन के पास चली गई इधर सनी ने वीर से कहा..


सनी : अबे अभी से ऐसा एटीट्यूड है इसका, शादी के बाद क्या करेगी ये तेरे साथ? सोच के ही डर लग रहा है !!

वीर : शादी तो मेरी होगी इससे, तुझे क्यों डर लग रहा है?

सनी : अबे अभी तेरे सामने सुना के निकल गई मुझे, शादी के बाद तो कंचन भी सूरी हो जाएगी भाई !!


वीर : (हस्ते हुए) कॉलेज में नैन मटक्का करने से पहले ऐसी बाते दिमाग में आती कहा है भाई, ये सब शादी के बाद सोचता है इंसान !

वैसे अपनी खुद की गलती पर हंसना आपकी उम्र बढ़ा सकता है! लेकिन गर्लफ्रेंड की गलती पर हंसने से आपकी उम्र घट सकती है!!!

दोनो दोस्त साथ हसने लगे तभी टीचर ने सबको एक साथ बुलाया सभी स्टूडेंट्स को होटल में ले गए लड़कियों को 2–2 के ग्रुप में 1 रूम दिया गया और लड़को को भी जिसमे कंचन और प्रिया साथ में थे, इधर वीर और सनी साथ में थे ।

कुछ वक्त के आराम के बाद सभी तैयार होके होटल के एक हाल में आ गये, जहा सबने नाश्ता साथ में किया ।
फिर निकल गए घूमने साथ में
मनाली के खूबसूरत वादियों का आनंद लेने , जहा सभी स्टूडेंट्स साथ थे, वहीं आज प्रिया बिना सोचे आज वीर के साथ कदम से कदम मिला के चल रही थी.


वीर : (प्रिया के चेहरे की मुस्कुराहट को ही देखे जा रहा था)


फिर दिल के आंगन में उतरा उसका सारा रूप, उस चेहरे की शीतल किरणें, उस मुखड़े की धूप!! नामी सी आंखों में, और होठ भी भीगे हुए से हैं, ये भीगापन ही देखो मुस्कुराहट होती जाती है।“



सनी : (कंचन के साथ चल रहा था) कंचन तुमने आगे का क्या सोचा है? पढ़ाई के बाद ।

कंचन : पढ़ाई के बाद एक अच्छी सी जॉब करुगी और क्या?

सनी : अच्छा उसके बाद क्या?

कंचन : उसके बाद क्या? मैं जॉब करूगी पापा को घर पर आराम करने दुगी !

सनी :(झल्ला कर) अरे सिर्फ जॉब ही करती रहोगी शादी- ब्याह नही करोगी क्या?

कंचन : हां करूगी ना, जब पापा मम्मी लड़का ढूंढेंगे उससे करूगी !


सनी : (उतरे हुआ मु बना के) हा ठीक है।


पीछे चल रहे वीर और प्रिया दोनो की बात सुन के हसने लगे ।

कंचन : (जोर से हस्ते हुए प्रिया के पास चली गई)
सनी ना समझ की तरह तीनों को हस्ते हुए देखने लगा, तभी प्रिया बोली!


प्रिया : बुद्धू के बुद्धू ही रहोगे तुम ! अब क्या लड़की ही बोलेगी सारी बात तुम्हे !! (कंचन का हाथ पकड़ के हस्ते हुए आगे बाकी के स्टूडेंट्स के पास चली गई)

वीर : क्यों भाई अभी तो पहला साल खत्म भी नही हुआ है कॉलेज का, अभी से जल्दी है तुझे शादी करने की?

सनी : यार बात वो नही है मैने ऐसे ही पूछा भाई, लेकिन ये प्रिया अभी क्या बोल के गई ये समझ नही आई बात?


वीर : (जोर से हस्ते हुए) मैं भी कभी कभी ऐसी ही शायरी करता हू, वो भी तो तुझे कभी समझ आई है क्या? जो ये समझ आएगि? अरे बावली- गांड इसका मतलब है कि तेरी लाइन क्लियर है।

सनी : (जोर से) हुरे.ssss..याहु.uuuu सनी की चिल्लाने की आवाज सुन के दूर खड़ी हुई कंचन और प्रिया भी उसको देखने लगती है, और उसकी हालत देख कर हंसने लगती है।

कंचन के मुँह से हस्ते हुई एक ही शब्द निकलता है! (पागल !!)

जारी रहेगी ✍️
Purana flow pane ke lie muje kai update fir se padhne pade.

Kanchan ki shararat muje jyada pasand aai. Bholi bhali bankar sunny ko budhu bana gai. Maza aaya ye moment padhkar. Amezing. Chhote chhote ye pal kahani me jatana bahot jaruri hai. Usi se bhavnae judti hai
 

Raj_sharma

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Ye sararat pem or moh badhati hai shetan ji, welcome back :thanx:
Thanks for your wonderful review and support :hug:
 
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Shetan

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Update 14

सनी : (जोर से) हुरे.ssss..याहु.uuuu सनी की चिल्लाने की आवाज सुन के दूर खड़ी हुई कंचन और प्रिया भी सुनकर उसको देखने लगती है, और उसकी हालत देख कर हंसने लगती है।


कंचन के मुँह से हस्ते हुई एक ही शब्द निकलता है! (पागल !!)

अब आगे:

मनाली की खूबसूरती सबके मन को मोह रही थी, पहाड़ों पर बिखरी हुई बर्फ की चादर, चारो तरफ हरियाली तरह-तरह के पेड़ पोधे सब का मन हर्षित कर रहे थे।


वीर: यार मैंने पता किया है कि यहां से कुछ दूरी पर एक झरना है, और उसके पास में ही एक पार्क और कैफे भी है, चलो हम लोग वहां चलते हैं।


सभी: हा हा क्यू नहीं जब इतनी दूर आये तो पूरा मनोरंजन होना चाहिए।

सभी लोग वहां से कैब बुक करके निकल जाते हैं, गाड़ी उन्हें कुछ 10 किमी. दूर ले जाकर छोड़ देती है, गाड़ी वाला कहता है कि भैया गाड़ी यहां से आगे नहीं जाएगी!! यहाँ से आगे केवल पहाड़ है और पगडंडी है।


सभी लोग आपस में बातें करते हुए पगडंडी से पहाड़ पर चढ़ के आगे की और निकल जाते हैं, आगे जाने पर उन्हें पहाड़ पर बने हुए घर दिखाते हैं, और चारो तरफ की हरियाली को देख कर कंचन प्रिया को बोलती है!



कंचन: यार प्रिया यहाँ की ख़ूबसूरती देख कर मन करता है बस यहीं रह जाऊँ!


प्रिया: हाँ यार तू सही कह रही है !कितनी सुन्दरता और सुकून है यहाँ!


सनी : (तभी सनी बीच में बोलता है,मुस्कानके साथ) बिल्कुल ठीक बोल रही हो कंचन तुम! अगर कहो तो आपन दोनों यहीं बस जाते हैं,


कंचन: तू रुक अभी मार खाएगा मुझसे....कहते हुए उसके पीछे दौड़ते हुए !! सनी भागते हुए कहता है! सोच ले कंचन तुम मेरे साथ खुश रहोगी, और मै, वीर, और प्रिया हम सब साथ ही रहेंगे।
कहता हुआ वाहा से आगे भाग जाता है, उसकी बातें सुनके सब लोग हँसते हैं जबकी कंचन बनावटी गुस्सा दिखती है।


ये लोग ऐसे ही बात करते हैं हमें पहाड़ी रास्ते से नीचे उतारते हुए आगे बढ़ते हैं, जहां झरने की आवाज उन्हें सुनाई देती है। आवाज सुनके वीर जोर से बोलता है!


वीर: प्रिया, सनी, कंचन!! हम लोग झरने के पास ही हैं! ध्यान से सुनो, झरने की आवाज सुनाई दे रही है!


सभी लोग जल्दी जल्दी चलते झरने की और जाने लगते हैं, कोई आधा किलोमीटर चलने के बाद इनके सामने जो नजारा आए वो अति मन-मोहक था।


सनी और प्रिया का तो ध्यान एक साथ चारों और भटक रहा था,
तो वही कंचन और वीर मानो कहीं खो ही गए थे !!
चारो के मुँह खुले के खुले रह गए।


सुप्रिया: यार वीर इस से भी खूबसूरत जगह भला और क्या होगी? कितनी शांति है याहा? जबकी झरने का किनारा भी है। चारो तरफ हरियाली, और झरने के दोनों तरफ हरे-भरे पेड़, और कई तरह के फूल खिले हुए हैं।

क्यू कंचन और सनी सही कहा ना मैंने! कसम से आज तक ऐसा नजारा मैंने कहीं नहीं देखा।


वीर: हाँ सही कहा आपने श्रीमती जी !! ये जगह वाकाई शानदार है. मैं तो हनीमून यहीं मनाने आऊंगा।


प्रिया: (प्रिया के गाल लाल हो जाते हैं सुनके!) जरूर आना तुम्हारी इच्छा!

एक मिनट!

तुमने अभी क्या कहा? श्रीमती ??? रुक तेरी तो...... वीर हंसते हुए हुए सनी को इशारा करता है, और दोनों भागते हुए टी-शर्ट निकाल कर बैग को तरफ फेंकते हैं और तपाक से झरने के नीचे भरे हुए पानी में कूद जाते हैं।


“आ जा मेरी चिकुड़ी”
अब पकड़ के दिखा!!


प्रिया: तुझे तो देख लुंगी तोते!

सनी: आजाओ यार तुम भी नहाओ इस झरने का पानी बहुत सुकून देता है ।


प्रिया: ना ना.. हम नहीं नहाएंगे! पानी बहुत ठंडा है!


वीर: सनी सही कह रहा है प्रिया! ये पानी बहुत बढ़िया है. ज़्यादा ठंडा नहीं है यार संकोच मत करो और नहा लो, ऐसा मोका बार-बार नहीं मिलेगा, हम यहां रोज-रोज घूमने तो नहीं आएंगे ना!!


प्रिया कंचन की और देखती है! कंचन कुछ सोच के हा का इशारा कर देती है, तो प्रिया बोलती है कि हमें तुमलोगो के साथ नहाने में थोड़ी शर्म आती है।


वीर: ऐसी कोई बात नहीं है यार हम कोई तुमको खाने वाले नहीं हैं।
रही बात साथ नहाने की तो एक काम करो वो चट्टानें दिख रही है ना उसके पास नहा लो वो जगह थोड़ी दूर है यहाँ से।


दोनों लड़कियाँ हामी भारती हैं, और उधर चली जाती हैं। पानी की ठंडक तन में महसूस करते ही एक ताजगी का एहसास इनके के तन बदन में समाहित हो गया!

कुछ देर तक पानी में अठखेलियां करती रही प्रिया और कंचन का ध्यान अचानक दूर पानी मे तैर रहे एक सांप पर गया तो दोनों के मुंह से एक साथ चीख निकल गई...

सांप...सांप...

जिसे सुनके अर्ध-नंगे शरीर ही वो दोनो पानी में तैरते हुए उनके पास पहुचे!

सनी और वीर को देखते ही प्रिया और कंचन जल्दी से उनके गले लग जाती है!

प्रिया वीर के और कंचन सनी के गले लग कर चिल्लाती है, "सांप-2"


वीर: कहा है बताओ तो??


दोनो: उस-और है!

वीर प्रिया को हटा कर उधर जाने लगता है, लेकिन प्रिया उसे वापस पकड़ कर उससे लिपट जाती है।


प्रिया: नहीं वीर तुम मत जाओ काट लेगा वो, मैं तुम्हें नहीं खो सकती, चलो बाहर निकलो पानी से!

वीर: देखो प्रिया ऐसा कुछ नहीं है, वो भी एक जानवर है, चला जाएगा अपने आप! तुमने देखा नहीं क्या वहां दूसरी तरफ और भी लड़के लड़के नहा रही है ! कोई ख़तरा नहीं है यहाँ।

अगर यहां डर लग रहा है तो चलो उधर चलते हैं जहां हम नहा रहे थे।

चारो वहां से दूसरी जगह चले जाते हैं जहां पहले वीर और सनी नहा रहे थे। जब सारी स्थिति सामान्य होती है, तो प्रिया का ध्यान अपनी, कंचन की और वीर और सनी की हालत पर जाता है।

जिसे देख कर वो कंचन की और देखती है और सरमा जाती है, दोनों के गाल गुलाबी हो जाते हैं।


उन्हें देख कर वीर और सनी भी मामला समझ जाते हैं। वीर के मुंह से 2 शब्द निकलते हैं प्रिया को देख कर:



अगर फ़ुरसत मिले पानी की लहरों को पढ़ लेना, हर इक दरिया हजारों साल का अफ़साना लिखता है” “हम इंतिज़ार करें हमको इतना ताब नहीं, पिला दो तुम हमें लब, अगर शराब नहीं”



प्रिया : इतना सुनते ही वीर के सीने से सरमा के लिपट जाती है और मुक्का मारती है, उसके मुँह से निकलता है, “बेशरम तोते!!”


उधर इन दोनो की बाते सुन रहे सनी और कंचन का भी जवान खून और माहोल की रवानी में बहकते हुए सनी ने नजरे झुकाए हुए कंचन का हाथ पकड़ लिया और उसे अपनी और खींच लिया।


कंचन के पूरे शरीर में झुरझुरी दौड़ जाती है, वो नजरे झुके हुए गुलाबी गालों के साथ अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करती है, जबकी उसकी कोशिश में दम नहीं था ये सनी समझ चुका था।



सनी उसको अपनी और खींच लेता है, कंचन अमर बेल की तरह सनी से लिपट जाती है, उसकी सांसे तेज चलने लगती है! यहीं हाल सनी का भी था, उसका भी दिल जोरों से धड़क रहा था, वह भी डरता-डरता अपने दोनों हाथ अपने सीने से लगी हुई कंचन के दोनो और से लपेट लेता है।


सनी जब ये देखता है कि कंचन उसके सीने से लगी हुई शरमा रही है, और कोई रिप्लाई नहीं दे रही है तो वो समझ जाता है कि मामला क्या है? 😀

उसने भी धड़कने दिल से कंचन के चेहरे को पकड़ कर ऊपर उठाया।


सनी: कंचन मेरी आँखों में देखो!


कंचन: नहीं सनी मुझे शर्म आती है! और प्रिया और वीर भी तो यहीं हैं।


वीर: ना भाई ना!! हमने कुछ नहीं सुना, हम दोनों दूसरी और जा रहे हैं,


चल प्रिया। ये सुनकर सनी सिर्फ मुस्कुराता है! और वीर की तरफ इशारा करता है, जो प्रिया भी देखकर हस्ती है।
तभी कंचन तपाक से बोलती है !!


कंचन: नहीं नहीं उसकी जरुरत नहीं है. ये सनी बस पागल है और कुछ नहीं।


इतना कह कर कंचन सनी से अलग होने लगती है, तभी सनी उसको वापस पकड़ कर एक झटका देता है और वो फिर से उसके सीने से लग जाती है।


सनी उसका मुंह पकड़ कर ऊपर उठाता है, दोनों की नजरें मिलती है, और दोनों एक दूसरे मुझे खो जाते हैं. धीरे-धीरे उनके चेहरे के पास आने लगते हैं, और कुछ ही पल में दोनों के लब-से लब टकरा जाते हैं।


दोनों एक गहरे चुम्बन में डूब जाते हैं। जिस में किंचित मात्र भी वासना नहीं होती है, होता है तो बस केवल निश्चल प्रेम।


उधर उनको देख कर वीर का मन भी बहकने लगता है, और वो भी प्रिया की और प्रेम भरी दृष्टि से देखता है, जिसे देख कर प्रिया समझ जाती है, और शरमाते हुए वहाँ से जाने लगती है !!


ये देख कर वीर आगे बढ़कर उसे पकड़ लेता है और बोलता है!

"प्रिया"

मैं तुझे बचपन से बहुत प्यार करता हूँ! और तुझे कभी खोना नहीं चाहता, इसी लिए आज तक ईस राज को अपने सीने मे दबाए रखा है।।


प्रिया: सच! क्या तुम सच बोल रहे हो वीर! (ये कहते हुए प्रिया की आँखों में पानी आ जाता है)
मैं भी तुम्हें बचपन से ही पसंद करती हूँ, और जाने कब वो पसंद प्यार में बदल गई मुझे भी नहीं पता लगा।


बातें करते-करते दोनों एक दूसरे से गले लग जाते हैं, और एक दूसरे की आंखों में देखते हुए खो जाते हैं।


अचानक किसी पक्षी की आवाज सुनकर वीर की तंद्रा टूटी और वो इधर-उधर देखता है, तो सनी और कंचन को चूमते हुए देख कर ना जाने वीर को क्या होता है!!!


वो सुप्रिया को पकड़ कर बेतहाशा चुम्बन करने लगता है, प्रिया भी आपको रोक नहीं पाई और वह भी वीर का साथ देने लगती है।


प्रिया रघुवीर से कहती है : मै तुमसे बहुत प्यार करती हूँ वीर !!

रघुवीर भी कहता है: मैं भी बहुत प्यार करता हूँ “प्रिया” पर हमारी दोस्ती ख़राब ना हो इस लिए कभी कहा नहीं, फिर दोनों गले लग जाते है।


“दोस्ती प्यार में बदल गई”



जारी है...✍️
Amezing pal kya romantic seen likha hai. Ye seen se to muje aksay Kumar ki ek film hai. Ye wakt hamara hai yaad aa gai. Jisme sunil sethi bhi hai.

Ye ladke pyar ka ikarar nahi huaa to shadi ka pata nahi fir bhi hanimune turant planing karne laga. Wah.
 

Raj_sharma

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कहानी का समापन बहुत ही अप्रतिम हुआ हैं
बस सनी और कंचन की प्रेम कहानी आगे बढी या और कुछ ये समझ नहीं आया
दो शब्द उनके लिये भी होते तो उन पात्रों के साथ भी न्याय हो जाता
ऐसा मुझे लगता हैं
खैर एक सुंदर कहानी का सुंदर समापन
Aapne sahi kaha mujhe unke baare me bhi likhna chahiye tha, waise aapko ye jankar khusi hogi ki sunny aur kanchan ki bhi saadi hui thi, ha ye baat alag hai ki kafi jaddo jahad ke baad:D
Thank you very much for your wonderful review and support bhai :hug:
 

Shetan

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Ye sararat pem or moh badhati hai shetan ji, welcome back :thanx:
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Are thoda time mila to socha padh leti hu. Aaj dophar se hi start ki. Abhi aap ki ye story ke alava aur bhi kai purani story jo bich me chhodi hai vo start karungi.

Kisi ne tantra mantra par kuchh likha hai. Abhi start hi kiya hai. Me gai. Kuchh redars ki bakvas padhkar ruk gai.
 
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