Ramesh के बदन में आश्चर्य के साथ सुरसुराहट होने लगी क्योंकि पीछे से अपनी मां को थामने में उस का टनटनाया हुआ लंड उसकी मां की भरावदार गांड की फांखों के बीच फंस गया था। उसे आनंद तो बहुत आया लेकिन लेकिन एक बात उसको आश्चर्य में डाल दी थी। क्योंकि उसकी मां पेटीकोट पहनी हुई थी। लेकिन इस वक्त सीढ़ियों से उतरते समय जिस तरह से उसका लंड सटाक करके गांड की फांकों के बीच फस गया था , इससे तो यही लग रहा था उसे कि उसकी मां ने पेटीकोट नहीं पहनी है। ramesh को अजीब लग रहा था ' तभी उसकी मां ने बोली।
ओहहहहह.... बेटा तूने मुझे फिर से एक बार गिरने से बचा लिया और कहां मैं तुझे कह रही थी कि मै सभाल लूंगी। तेरा बहुत-बहुत शुक्रिया बेटा।
इसमें शुक्रिया कैसा मम्मी यह तो मेरा फर्ज है।
तू बहुत समझदार हो गया और बड़ा भी। ( इतना कहकर sunita हंस दी, उसके कहने का कुछ और मतलब था लेकिन उसका मतलब ramesh समझ नहीं पाया sunita कुछ देर तक सीढ़ियों पर खड़ी थी ramesh भी उसे अपनी बाहों में लिए खड़ा था उसका लंड sunita की भरावदार गांड में फंसा हुआ था जो कि यह बात sunita बहुत अच्छी तरह से जानतीे थी। वह इसी लिए तो जान बूझकर अपनी पेटीकोट को छत पर उतार आई थी, क्योंकि वह जानती थी की सीढ़ियों से उतरते समय कुछ ऐसा ही दृश्य बनने वाला था। sunita के साथ साथ ramesh की भी सांसे तीव्र गति से चल रही थी।
Ramesh तो अपनी मां की गांड के बीचो बीच लंड फंसाए आनंदीत भी हो रहा था और आश्चर्यचकित भी हो रहा था। उसने अपनी मन की आशंका को दूर करने के लिए एक हाथ को अपनी मम्मी के कमर के नीचे स्पर्श कराया तो उसके आश्चर्य का ठिकाना ही ना रहा। उसकी हथेली sunita की जांघो पर स्पर्श हो रही थी और जांघो को स्पर्श करते ही वह समझ गया कि उसकी कमर से नीचे बिल्कुल नंगी थी। उसके मन में अब ढेर सारे सवाल पैदा होने लगे कि यह पेटीकोट कैसे उतरी क्योंकि उसकी आंखों के सामने तो उसकी मां ने सिर्फ अपनी साड़ी को उतार फेंकी थी। साड़ी को उतार फेंकने के बाद उसके बदन पर ब्लाउज और पेटीकोट रह गई थी।
तो यह पेटीकोट कब और कैसे उतर गई, कहीं मम्मी ने अंधेरे में तो नहीं अपनी पेटीकोट उतार कर नंगी हो गई। क्योंकि बिना पेटीकोट की डोरी खोलें ऐसी तेज बारिश में भी पेटीकोट अपने आप उतर नहीं सकती थी।
इसलिए जानबुझकर मम्मी ने अपनी पेटीकोट की डोरी खोलकर पेटीकोट उतार दी' इसका मतलब यही था कि मम्मी भी कुछ चाह रही है। कहीं ऐसा तों नहीं कि मम्मी भी इस मौके का फायदा उठाना चाहती है। जो भी हो उसमें तो मेरा ही फायदा है। यही सब बातें कशमकश ramesh के मन में चल रही थी।
मजा दोनों को आ रहा था,खड़े लंड का युं मस्त मस्त भरावदार गांड में फसने का सुख चुदाई के सुख से कम नहीं था। sunita तीन सीढ़ियां ही उतरी थी और वहीं पर ठीठक गई थी। अपने बेटे की जांघों का स्पर्श अपनी जाँघो पर होते ही हल्का को समझते देर नहीं लगा की उसका बेटा भी पूरी तरह से नंगा है। अपने बेटे के लंड की मजबूती का एहसास उसे अपनी गांड की दरारो के बीच बराबर महसूस हो रहा था। बादलों की गड़गड़ाहट अपने पूरे शबाब में थी बारिश होगा जोर कम होने का नाम ही नहीं ले रहा था कुल मिलाकर माहौल एकदम गरमा चुका था। बारिश की ठंडी ठंडी हवाओं के साथ पानी की बौछार मौसम में कामुकता का असर फैआ रही थी। sunita कि साँसे भारी हो चली थी रह-रहकर उसके मुंह से गर्म सिसकारी फूट पड़ रही थी। लेकिन बारिश और हवा का शोर इतना ज्यादा था कि अपनी मां की गरम सिसकारी इतनी नजदीक होते हुए भी राहुल सुन नहीं पा रहा था। तभी sunita अपने बेटे से बोली।
कसकर मुझे पकड़े रहना बेटा क्योंकि छत का पानी सीढ़ीयो से भी बह रहा है। और हम दोनों भीगे हुए हैं इसलिए पैर फिसलने का डर ज्यादा है इसलिए निसंकोच मुझे पीछे से कस के पकड़े रहना।
( sunita का इरादा कुछ और था बस वह पेेर फीसलने का बहाना बना रही थी। आज sunita भी अपने बेटे के साथ हद से गुजर जाना चाहती थी। और ramesh भी अपनी मां के कहने के साथ ही पीछे से अपने दोनों हाथ को कमर के ऊपर लपेटे हुए कस के पकड़ लिया और इस बार कस के पकड़ते ही उसने अपनी कमर का दबाव अपनी मां की गांड पर बढ़ा दिया, जिससे उसके लंड का सुपाड़ा सीधे उसकी गांड की भूरे रंग के छेंद पर दस्तक देने लगा। उस भूरे रंग के छेद पर सुपाड़े की रगड़ का गरम एहसास होते ही sunita के बदन में सुरसुरी सी फैल़ गई एक बारगी उसका बदन कांप सा गया। sunita के बदन में इतनी ज्यादा उत्तेजना भर चुकी थी कि उसके होठों से लब्ज भी कपकपाते हुए निकल रहे थे। वह कांपते स्वर में बोली।
बबबबब....बेटा ... कस के पकड़ा है ना।
हहहह...हां मम्मी ramesh की भी हालत ठीक उसकी मां की तरह ही थी उसके बदन में भी उत्तेजना का संचार तीव्र गति से हो रहा था खास करके उसके तगड़े लंड में जो की अपनी ही मां की गांड की दरार में उस भूरे रंग के छेद पर टिका हुआ था जहां पर अपने बेटे के लंड का स्पर्श पाकर sunita पूरी तरह से गनगना गई थी। sunita की बुर से मदन रस रीस नहीं बल्कि टपक रहा था। sunita पूरी तरह से कामोत्तेजना में सराबोर हो चुकी थी। उसकी आंखों में नशा सा चढ़ने लगा था। बरसात की भी आवाज किसी रोमांटिक धुन की तरह लग रही थी। अपने बेटे का जवाब सुनकर अपना पैर सीढ़ियों पर उतारने के लिए बढ़ाई अब तक ramesh का लंड sunita की गांड में फंसा हुआ था। लेकिन जैसे ही sunita ने अपने पैर को अगली सीढी पर उतारी और उसी के साथ ramesh अपनी मां को पीछे से बाहों में जकड़े हुए जैसे ही अपनी मां के साथ साथ पैर को अगली सीढ़ी पर उतारा उसका लंड गांड की गहरी दरार से सरक कर गांड की ऊपरी सतह से सट गई। ramesh अपनी मां को पीछे से कस के पकड़े हुए था उसकी मां भी बार बार करते पकड़े रहने की हिदायत दे रही थी। और मन ही मन अपने बेटे के भोलेपन को कोस रही थी क्योंकि इतने में तो, कोई भी होता अपने लंड को थोड़ा सा हाथ लगाकर उसकी बुर में डाल दिया हो तो उसके लिए ramesh भोला का भोला ही रहेगा।
Sunita अपने बेटे को भोला समझ रही थी लेकिन उसे क्या मालूम था कि वह इससे पहले दो सिखरो की चढ़ाई कर चुका था। ऐसे ही ऐसे एक दूसरे से चिपके हुए दो सीढ़ियां और उतर गए। sunita की तड़प बढ़ती जा रही थी इतनी नजदीक लंड के होते हुए भी उसकी बुर अभी तक प्यासी थी और उसकी प्यास sunita से बर्दाश्त नहीं हो रही थी। उसे लगने लगा था कि उसे ही कुछ करना है जैसे जैसे नीचे उतारती जा रही थी अंधेरा और भी गहराता जा रहा था और बारिश तो ऐसे बरस रही थी कि जैसे आज पूरे शहर को निगल ही जाएगी। लेकिन यह तूफानी बारिश दोनों को बड़ी ही रोमांटिक लग रही थी। तभी sunita ने सीढ़ी पर रुक कर अपने दोनों हाथ को पीछे ले जाकर ramesh की कमर को पकड़ते हुए थोड़ा सा पीछे की तरफ करते हुए बोली।
बेटा थोड़ा ठीक से पकड़ नहीं तो मेरा पैर फिसल जाएगा( पर इतना कहते हैं कि साथ ही वापस अपने हाथों को हटा ली,)
ठीक है मम्मी (इतना कहने के साथ ही ramesh का लंड अपने आप एडजस्ट होकर वापस गांड की गहरी दरार में फस गया। और sunita यही करने के लिए बहाना बनाई थी। sunita अपनी बाहों में में पूरी तरह से कामयाब हो चुकी थी क्योंकि इस बार उसका लंड उसकी गांड के भुरे छेंद से नीचे की तरफ उसकी बुर की गुलाबी छेद के मुहाने पर जाकर सट गया। बुर के गुलाबी छेद पर अपने बेटे के लंड के सुपाड़े का स्पर्श होते हैं sunita जल बिन मछली की तरह तड़प उठी, उसकी हालत खराब होने लगी वह सोचने लगी थी की वह क्या करें कि उसके बेटे का मोटा लंड उसकी बुर में समा जाए और दो औरतों की चुदाई कर चुका ramesh भी अच्छी तरह से समझ चुका था कि उसके लंड का सुपाड़ा उसकी मम्मी के कौन से अंग पर जाकर टिक गया है। ramesh का लंड तो तप ही रहा था। लेकिन उसकी मां की बुरउसके लंड से कहीं ज्यादा गरम होकर तप रही थी। अपनी मां की बुर की तपन का एहसास लंड पर होते हैं ramesh को लगने लगा की कहीं उसका लंड पिघल ना जाए। क्योंकि बुर का स्पर्श होते ही उसके लंड का कड़कपन एक दम से बढ़ चुका था और उसमे से मीठा मीठा दर्द का एहसास हो रहा था। sunita पुरी तरह से गनगना चुकी थी। क्योंकि आज बरसों के बाद उस की नंगी बुर पर नंगे लंड का स्पर्शा हो रहा था।
बरसों से सूखी हुई उसकी जिंदगी में आज इस बारिश में हरियाली का एहसास जगह आया था। उत्तेजना के मारे sunita के रोंगटे खड़े हो गए थे। अपने बेटे के लंड के मोटे सुपाड़े को वह अपनी बुर के मुहाने पर अच्छी तरह से महसूस कर रही थी वह समझ गई थी कि उसकी बुर के छेद से उसके बेटे के लंड का सुपाड़ा थोड़ा बड़ा था।
जो की बुर के मुहाने पर एकदम चिपका हुआ था। sunita अपनी गर्म सिस्कारियों को दबाने की पूरी कोशिश कर रही थी लेकिन उसकी हर कोशिश उत्तेजना के आगे नाकाम सी हो रही थी। ना चाहते हुए भी उसके मुंह से कंपन भरी आवाज निकल रही थी।
बबबबब.....बेटा ....पपपपपप...पकड़ा है ना ठीक से।
हंहंहंहंहं....हां .... मम्मी ( ramesh भी उत्तेजना के कारण हकलाते हुए बोला)
अब मैं सीढ़ियां उतरने वाली हूं मुझे ठीक से पकड़े रहना। ( इतना कहने के साथ ही एक बहाने से वह खुद ही अपनी गांड को हल्के से पीछे ले जाकर गोल-गोल घुमाते हुए अपने आप को सीढ़िया उतरने के लिए तैयार करने लगी। ramesh भी गरम सिसकारी लेते हुए हामी भर दिया। ramesh की भी हालत खराब होते जा रही थी। वह मन ही मन में यह सोच रहा था कि इतनी उत्तेजित अवस्था में तो वह kabhi नहीं था जितना उत्तेजित वह इस समय अपनी मां के साथ था। रिमझिम गिरती तूफानी बारिश और बादलों की गड़गड़ाहट एक अजीब सा समा बांधे हुए थी। sunita जानती थी कि इस बार संभालकर सीढ़ियां उतरना है वरना फिर से इधर उधर होने से ramesh का लंड अपनी सही जगह से छटककर कहीं और सट जाएगा। इसलिए वह वापस अपने दोनों हाथ को पीछे की तरफ ले जाकर अपने बेटे के कमर को कस के पकड़ते हुए अपनी गांड से सटाते हुए बोली बेटा इधर फीसल़ने का डर कुछ ज्यादा है पूरी सीढ़ियों पर पानी ही पानी है।
इसलिए तु मुझे कस के पकड़े रहना मैं नीचे उतर रही हूं
( इतना कहने के साथ ही sunita अपने पैर को नीचे सीढ़ियों पर संभालकर रखने लगे और ramesh को बराबर अपने बदन से चिपकाए रही। इस तरह से ramesh की कमर पकड़े हुए वह आधी सीढ़ियो तक आ गई। इस बीच ramesh का लंड उसकी मां की बुर पर बराबर जमा रहा। अपनी बुर पर गरम छुपाने की रगड़ पाकर sunita पानी पानी हुए जा रही थी उसकी बुर से मदन रस टपक रहा था जो कि ramesh के लंड के सुपाड़े से होता हुआ नीचे सीढ़ियों पर चु रहा था। sunita के तो बर्दाश्त के बाहर था ही लेकिन ramesh से तो बिल्कुल भी यह तड़प सही नहीं जा रही थी। औरतों की चुदाई कर चुका ramesh या अच्छी तरह से जानता था कि, उसका लंड उसके मां की उस अंग से सटा हुआ था जहां पर हल्का सा धक्का लगाने पर लंड का सुपाड़ा सीधे बुर के अंदर जा सकता था लेकिन ramesh अभी भी शर्म और रीश्तो के बंधन में बंधा हुआ था। ramesh को अभी भी शर्म की महसूस हो रही थी यह तो अंधेरा था इस वजह से इतना आगे बढ़ चुका था। वह अपने मन मे बोल भी रहा था की इस समय अगर इसकी मां की जगह कोई और औरत होती तो वह कब से अपना समूचा लंड बुर में पेल दिया होता। लेकिन ramesh की मां इसके विपरीत
सोच रही थी, उसे ramesh नादान लग रहा था क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि किसी को भी अगर इतनी छूट दी जाए तो इतने से ही सब कुछ कर गुजर गया होता। लेकिन ramesh इतना नादान और भोला है कि जन्नत के द्वार पर बस लंड की टीकाए खड़ा है।
दोनों से बर्दाश्त नहीं हो रहा था दोनों एक दूसरे की पहल में लगे हुए थे। लेकीन ईस समय जो हो रहा था। उससे भी कम आनन्द प्राप्त नही हो रहा था। ईस तरह से भी दोनो संभोग की पराकाष्ठा का अनुभव कर रहे थे।
दोनों की सांसे लगभग उखड़ने लगी थी। sunita तो यह सोच रही थी कि वह क्या करें कि उसके बेटे का लंड उसकी बुर में समा जाए। सीढ़ियां उतरते समय sunita का लँड उसकी मां की गांड में गदर मचाए हुए था, ramesh का लंड sunita की गांड की दरार के बीचोबीच कभी बुर पर तो कभी भुरे रंग के छेंद पर रगड़ खा रहा था।
Sunita तो मदहोश हुए जा रही थी उसकी दोनों टांगे कांप रही थी। ramesh की भी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी। वह बराबर अपनी मां को कमर से पकड़ कर अपने बदन से चिपकाए हुए था। इसी तरह से पकड़े हुए दोनों सीढ़ियां लगभग उतर चुके थे , ramesh अपनी मां को अपनी बाहों में जकड़ा हुआ था और sunita भी अपने दोनों हाथों से अपने बेटे के कमर को पकड़ कर अपने बदन से चिपकाए हुए थी। मां बेटे दोनों संभोग का सुख प्राप्त करने के लिए तड़प रहे थे।
लेकिन अब ramesh से बर्दाश्त नहीं हो रहा था क्योंकि कई दिन बीत चुके थे उसने बुर में लंड नहीं डाला था। और इस समय दोनों के बीच इस तरह के हालात पैदा हुए थे की ऐसे में तो चुदाई ही ईसकी मंजिल बनती थी। ramesh अजीब सी परिस्थिति में फंसा हुआ था। उसके अंदर मनो मंथन सा चल रहा था। वह अपनी ओर।अपनी मम्मी के हालात के बारे में गौर करने लगा क्योंकि यह सारी परिस्थिति उसकी मां ने ही पैदा की थी। उसका इस तरह से उसके सामने साड़ी उतार कर बारिश में नहाना अपने अंगो का प्रदर्शन करना और जान बूझकर अपनी पेटीकोट उतार फेकना , और तो और सीढ़ियां उतरते समय अपने बदन से चिपका लेना। यह सब यही दर्शाता था कि खुद उसकी मां भी वही चाहती थी जो कि राहुल खुद जाता था यह सब सोचकर ramesh का दिमाग और खराब होने लगा।. अब उसी से यह कामुकता की हद सही नहीं जा रही थी तीन-चार सीढ़ीया ही बाकी रह जा रही थी। इस समय जो बातें ramesh के मन में चल रही थी वही बातें sunita के मन में भी चल रही थी sunita भी यही चाहती थी कि कैसे भी करके उसके बेटे का लंड उसकी बुर में प्रवेश कर जाए। उसको भी यही चिंता सताए जा रहे थे की बस तीन चार सीढ़ियां ही रह गई थी। जो होना है ईसी बीच हो जाता तो अच्छा था। एक तो पहले से ही ramesh के लंड ने उसकी बुर को पानी पानी कर दिया था। कामातूर होकर sunita ने ज्यों ही अपने कदम को नीचे सीढ़ियों की तरफ बढ़ाई और ramesh था की इस मौके को हाथ से जाने नहीं देना चाहता था इसलिए वह अपनी मां को पीछे से अपनी बाहों में भरे हुए हल्के से अपनी कमर को नीचे की तरफ झुकाते हुए वह भी अपनी मां के साथ साथ नीचे कदम बढ़ाया ही था कि उसका खड़ा लंड उसकी मां की बुर के सही पोजीशन में आ गया और जैसे ही ramesh के कदम सीढ़ी पर पड़े तुरंत उसके लंड का सुपाड़ा उसकी मां की पनियाई बुर मे करीब आधा समा गया' और जैसे ही सुपाड़े का करीब आधा ही भाग बुर में समाया sunita का समुचा बदन बुरी तरह से गंनगना गया। उसकी आंखों से चांद तारे नजर आने लगे। एक पल को तो उसे समझ में ही नहीं आया कि क्या हुआ है आज बरसों के बाद उसकी बुर में लँड के सुपाड़े का सिर्फ आधा ही भाग गया था। और वह सुपाड़े को अपनी बुर में महसूस करते ही मदहोश होने लगी उसकी आंखों में खुमारी सी छाने लगी। और एकाएक उसके मुंह से आह निकल गई, अपनी मां की आह सुनकर ramesh से रहा नहीं गया और वह अपनी मां से पूछ बैठा।
क्या हुआ मम्मी।
( अब sunita अपने बेटे के इस सवाल का क्या जवाब देती, जबकि ramesh भी अच्छी तरह से जानता था कि उसका लंड किसमे घुसा है फिर भी वो अनजान बनते हुए अपनी मां से सवाल पूछ रहा था। तो sunita भी तो अभी इतनी बेशर्म नहीं हुई थी कि अपने बेटे को साफ साफ कह दें कि तेरा लंड मेरी बुर में घुस गया है। जब ramesh सब कुछ जानते हुए भी अनजान बना हुआ था तो उसे भी अनजान बने रहने में क्या हर्ज था और वैसे भी अनजान बने रहने में ही ज्यादा मजा आ रहा था। इसलिए वह कांपते स्वर में बोली।)
कककककक.... कुछ नहीं बेटा .....पाव दर्द करने लगे हैं।
( अपनी मां की बात सुनकर ramesh अनजान बनता हुआ बोला।)
आराम से चलो मम्मी कोई जल्दबाजी नहीं है वैसे भी अंधेरा इतना है कि कुछ देखा नहीं जा रहा है।
( ramesh तो इसी इंतजार में था कि कब उसकी मम्मी अगलीे सीढ़ी उतरे और वह अपना आधा लंड उसकी बुर में डाल सके। और तभी sunita अपने आप को संभालते हुए वह भी यही सोचते हुए की शायद अगले सीढ़ी उतरते समय उसके बेटे का पूरा सुपाड़ा उसकी बुरमें समा जाए। और यही सोचते हैं उसने सीढ़ी उतरने के लिए अपना कदम नीचे बढ़ाई और ramesh भी मौका देखते हुए अपनी मां को यूंही बाहों में दबोचे हुए अपनी कमर को थोड़ा और नीचे ले जाकर हल्का सा धक्का लगाया ही था कि, sunita अपने आप को संभाल नहीं पाई उत्तेजना के कारण उसके पांव कांपने लगे और वह लड़खड़ाकर बाकी की बची दो सीढ़ियां उतर गई और ramesh के लंड का सुपाड़ा जितना घुसा था वह भी बाहर आ गया। दोनों गिरते-गिरते बचे थे ramesh का लंड डालने का मौका जा चुका था और sunita का भी लंड डलवाने का मौका हाथ से निकल चुका था।
Sunita अपनी किस्मत को कोस रही थी कि अगर ऐन मौके पर उसका पेर ना फिसला होता तो अब तक उसके बेटे का लंड उसकी बुर में समा गया होता और ramesh भी खड़े लंड पर ठोकर लगने से दुखी नजर आ रहा था। दोनों सीढ़ियां उतर चुके थे और ramesh अपनी मां से पूछा।
क्या हुआ मम्मी आप ऐसे लड़खड़ा क्यों गई?
( कुछ देर पहले लंड के एहसास से वह पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी उसके सांसे अभी भी तेज चल रही थी। उत्तेजना उसके सर पर सवार थी यह नाकामी उससे बर्दाश्त नहीं हो रही थी। लेकिन फिर भी अपने आप को संभालते हुए वह बोली।)
कुछ नहीं बेटा एकाएक मुझे कुछ चुभता हुआ महसूस हुआ और मुझे दर्द होने लगा इसलिए मैं अपने आप को संभाल नहीं पाए और गिरते गिरते बची और तुझे तो चोट नहीं लगी ना बेटा।
नहीं मम्मी मुझे चोट नहीं लगी है लेकिन यह बताओ क्या चुभ रहा था और किस जगह पर। ( sunita यह अच्छी तरह से जानतीे थी कि ramesh भोला बनने की कोशिश कर रहा था वह सब कुछ जानता था, वरना यूं इतनी देर से उसका लंड खड़ा नहीं रहता। वैसे भी इस समय पहले वाली sunita नहीं थी यह sunita बदल चुकी थी। शर्मीले संस्कारों और मर्यादा में रहने वाली sunita इस समय कहीं खो चुकी थी उसकी जगह वासना मई sunita ने ले ली थी। जिसके सर पर इस समय वासना सवार थी। इतनी ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी कि रिश्ते नाते सब कुछ भूल चुकी थी और अपने बेटे के सवाल का जवाब देते हुए बड़े ही कामुक अंदाज में बोली।)
अब क्या बताऊं बेटा तुझे की ं क्या चुभ रहा है और कौन सी जगह चुभ रहा है। इतने अंधेरे में तो तुझे दिखाई भी नहीं देगा। ( वैसे भी शीढ़ी वाली गैलरी में अंधेरा कुछ ज्यादा ही था बारिश अभी भी तेज बरस रही थी बादलों की गड़गड़ाहट लगातार सुनाई दे रही थी। sunita हाथ में आए मौके को गंवाते हुए देखकर अंदर ही अंदर झुंझलाहट महसूस कर रही थी। उसके हाथ से एक सुनहरा मौका निकल चुका था। वह फिर से कोई रास्ता देख रहे थे कि फिर से कोई काम बन जाए। इसलिए और ramesh से बोली।)
चलो कोई बात नहीं बेटा हम दोनों काफी समय से भीग रहे हैं, अब हम दोनों को बाथरूम में चलकर अपने गीले कप्प......( इतना कहते ही sunita थोड़ा रुक कर बोली।)
बेटा जब तु मेरे बदन से चिपका हुआ था तो मुझे ऐसा एहसास हो रहा था कि बेटा तू बिल्कुल नंगा था।
( sunita अब खुलेपन से बोलना शुरू कर दी थी अपनी मां के इस बात पर ramesh हड़बड़ाते हुए बोला।)
वो...वो...मम्मी ....वो टॉवल.... ऊपर तेज हवा चल रही थी तो छत पर ही छूट गई और अंधेरे में कहां गिरी दिखाई नहीं दी..... लेकिन मम्मी मुझे भी ऐसा लग रहा है कि नीचे से आप पूरी तरह से नंगी है। आप तो पेटीकोट पहनी हुई थी....तो.....
अरे हां उपर कितनी तेज बारिश गिर रही थी वैसे भी मुझसे तो मेरी साड़ी भी नहीं संभाले जा रही थी। और शायद तेज बारिश की वजह से मेरी पेटीकोट सरक कर कब नीचे गिर गई मुझे पता ही नहीं चला। वैसे भी तू तो देख ही रहा है कि अंधेरा कितना घना है हम दोनों एक दूसरे को भी ठीक से देख नहीं पा रहे है. तो वह क्या खाक दिखाई देती। इसलिए मैं भी बिना पेटीकोट पहने ही ईधर तक आ गई। ( तभी धीमी आवाज में बोली।) तुझे कुछ दिख रहा है क्या?
नहीं मम्मी कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा है अगर दिखाई देता तो सीढ़ियां झट से ना उतर गया होता, यू आपसे चिपक कर क्यों उतरता ।
( दोनों जानते थे कि दोनों एक दूसरे को झूठ बोल रहे थे दोनों की हालत एक दूसरे से छिपी नहीं थी। दोनों इस समय सीढ़ियों के नीचे नंगे ही खड़े थे। sunita कमर से नीचे पूरी तरह से नंगी थी और ramesh तो संपूर्ण नग्नावस्था में अंधेरे में खड़ा था तभी sunita बोली।
चल कोई बात नहीं बाथरूम में चलकर कपड़े बदल लेते हैं ( इतना कहते ही sunita अंधेरे में अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपने बेटे का हाथ पकड़ना चाहि कि तभी ) ज्यादा देर तक अगर ऐसे ही भीगे खड़े रहें तो तबीयत खरा......( इतना तो ऐसे ही हो आश्चर्य के साथ खामोश हो गई और हड़ बड़ाते हुए बोली....)
यययययय......ये.....ककककक.....क्कया....है।
( sunita ने अंधेरे में अपने बेटे का हाथ पकड़ने के लिए अपना हाथ बढ़ाई थी लेकिन उसके हाथ में उसके बेटे का टनटनाया हुआ खड़ा लंड आ गया और एकाएक हाथ में आया मोटे लंड की वजह से sunita एकदम से हड़बड़ा गई थी। sunita को अपने बेटे कां लंड हथेली में कुछ ज्यादा ही मोटा लग रहा था। sunita पुरी तरह से गनगना गई थी। जब उसे यह एहसास हुआ कि उसके हाथ में ramesh के हाथ कीे जगह क्या आ गया है तो वह एकदम से रोमांचित हो गई और उत्तेजना के मारे उसकी बुर फूलने पीचकने लगी। ramesh जी उत्तेजना के समंदर में गोते लगाने लगा, अपनी मम्मी के हाथ में अपना लंड आते ही राहुल भी पुरी तरह से गनगना गया था।
Sunita से अब बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था वह एकदम से चुदवासी हो चुकी थी। इसलिए वह तुरंत उसका लंड छोड़कर ramesh का हाथ थाम ली और बाथरुम की तरफ जाते हुए बोली।
चल बाथरूम में चलकर अपना बदन पहुंचकर कपड़े बदल लेते हैं वरना सर्दी लग जाएगी।
अंधेरा इतना था तुमसे कोई दिखाई नहीं दे रहा था फिर भी रह-रहकर बिजली चमकने की वजह से खिड़की से उस की रोशनी अंदर आ रही थी। जिससे बाथरूम कहां है यह थोड़ा-थोड़ा दिखाई दे रहा था। थोड़ी ही देर में दोनों बाथरुम के अंदर थे, यहां भी कुछ दिखाई नहीं दे रहा था और बाथरूम की खिड़की की वजह से आती रोशनी में हल्का-हल्का झलक रहा था। तभी अचानक
Ramesh के कानों में वही उस दिन वाली बाथरूम में से आ रही है सीटी की आवाज सुनाई देने लगी ramesh का माथा ठनक गया , उसे समझते देर नहीं लगेगी उसकी मम्मी के सामने ही भले ही नहीं दिखाई दे रहा है फिर भी पास में बैठ कर पेशाब कर रही थी। ramesh एकदम मदहोश होने लगा है उससे रहा नहीं जा रहा था उसके लंड का कड़क पन बढ़ता ही जा रहा था। वह सब कुछ जानते हुए भी अपनी मां से बोला।
क्या हुआ मम्मी क्या कर रही हो?
Sunita जानती थी कि पेशाब करते वक़्त उसकी बुर से
सीटी की आवाज बड़े जोरों से आ रहे थे और यह आवाज ramesh भी साफ साफ सुन रहा था और ramesh जानता भी था कि वह क्या कर रही है लेकिन फिर भी वो जानबूझकर पूछ रहा था इसलिए sunita भी मादकता लिए चुदवासी आवाज में बोली।
क्या बेटा यह भी कोई पूछने वाली बात है बड़े जोरों की आई थी इसलिए यहीं बैठ कर पेशाब कर रही हूं अगर तुझे भी लगी हो तो ले कर ले इस अंधेरे में कहां कुछ दिखने वाला है।
अपनी मां की सी बातें सुनकर ramesh और ज्यादा उत्तेजित हो गया। उससे रहा नहीं गया और वह भी वही खड़े होकर पेशाब करने लगा कि तभी लाइट आ गई।