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Incest Ma ki pyass

Sanu9

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Writer Ji ?

Aap story me Galat naam dalkar MAZA kharab kar dete hai, kabhi MAA ka naam Alka likhte hai to kabhi Sunita,
aise hi Bete ka naam kabhi Ramesh likhte hai to kabhi Rahul.

Thoda dhyan dijeaga to Readers ko Confusion nahi hoga.
Mistake has been corrected
 

Sanu9

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Subeh jab nind khuli to sunita ko kuch halka mehsus ho rha tha lekin jism ki aag aur bhadhak gayi thi kyoki uske boor ko mote lund se hi chain Milne wala tha.
Yahi sab sochkar wo uthi aur fresh hoke kitchen me chali gayi aur khana banane lagi aur sochne lagi kab meri pyas bujhegi sayad mujhe hi kuch karna padega varna ramesh kabhi Saram se aage nhi bad payega.
Fir usne khana banaya aur aur apne bete ko khilaya fir ramesh bahar ghoomne chala gaya.
Sham ko mausam thoda suhana tha aise lag rha tha kabhi bhi bearish ho sakti hai.
Ramesh jaldi jaldi ghar pahucha aur uski maa khana banake uska intazaar karti hai. Jaise hi ramesh ghar me aate hai sunita kehti hai beta hath muh dho lo mai khana lagati hu. Fir dono khana khane ke baad sunita bàrtan leke kitchen me chali jaati. Hai . Aur issi bahut tez bàrish suru ho jati hai. Dhire dhire raat bhi hone lagti hai.
 
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Sanu9

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बारिश का जोर बढ़ता ही जा रहा था। sunita जानती थी की छत पर जाकर कपड़े समेटने का कोई मतलब नहीं था क्योंकि सारे के सारे कपड़े गीले हो चुके ही होंगे। लेकिन फिर भी वह छत की तरफ जाने लगी, तेज हो रही बारिश की वजह से राहुल की भी नींद खुल चुकी थी। वह भी उठकर कमरे से बाहर आ गया। ऐसी तेज बारिश में ramesh का मन बहक रहा था । उसे इस समय स्त्री संसर्ग की ज्यादा ही जरूरत महसूस हो रही थी। उसके लंड में अपने आप ही तनाव आ गया था। इस समय उसके बदन पर सिर्फ एक टॉवल ही लिपटी हुई थी. और तो और उसने कमरे में ही अंडरवियर उतार फेंका था, वैसे भी वह कमरे में पूरी तरह से नंगा ही लेटा हुआ था वह तो बारिश की वजह से बाहर आते ही टॉवेल लपेट लिया था। उसका मन इधर उधर भटक रहा था। खास करके उसे इस समय उसकी मां ही याद आ रही थी। उसकी मतवाली मटकती भरावदार गांड और उसका नंगा बदन राहुल के होश उड़ाए हुए था। टॉवल के अंदर लंड का तनाव बढ़ता ही जा रहा था कि तभी उसे सीढ़ी पर से ऊपर की तरफ जाते हुए उसकी मां नजर आई व सोच में पड़ गया कि इतनी रात गए मम्मी कहां जा रही है छत पर वो भी इस बारिश में . वैसे इस समय सीढ़ियों पर चढ़ते हुए अपनी मां को देखकर उसका मन डोल ने लगा था क्योंकि ramesh की प्यासी आँखे उसकी मां की गोल गोल बड़ी गांड पर ही टीकी हुई थी। वैसे भी मन जब चुदवासा हुआ होता है तब औरत का हर एक अंग मादक लगने लगता है लेकिन यहां तो हल्का सर से पांव तक मादकता का खजाना थी। सीढ़ियों पर चढ़ते समय जब वह एक एक कदम ऊपर की तरफ रखती थी. तब जब भी वह अपने कदम को शिढ़ी पर रखने के लिए ऊपर की तरफ बढ़ाती तब उसकी भरावदार गांड और भी ज्यादा उभरकर बाहर की तरफ निकल जाती जिसे देखकर ramesh के लंड में एेंठन होना शुरू हो गया था। बस यह नजारा दो-तीन सेकंड का ही था और उसकी मां आगे बढ़ गई लेकिन यह दो-तीन सेकेंड का नजारा उसके बदन में कामुकता भर दिया। वह भी अपनी मां के पीछे पीछे सीढ़ियों से ऊपर चढ़ने लगा। बारिश तेज हो रही थी sunita जानती थी की छत पर जाने पर वह भी भीग जाएगी लेकिन ना जाने क्यों आज उसका मन भीगने को ही कर रहा था। वह छत पर पहुंच चुकी थी, और बारिश की बूंदे उसके बदन को भिगोते हुए ठंडक पहुंचाने लगे। बारिश की बूंदे जब उसके बदन पर पड़ती तो sunita के पूरे बदन में सिरहन सी दौड़ने लगती। अलका को आनंद का अहसास हो रहा था। लेकिन sunita की नजरें छत पर कुछ और ढूंढ रही थी। वह छत पर अपनी नजरों को इधर उधर दौडा़ रही थी, ramesh दीवार की ओट लेकर
अपनी मां को बारीश मे भीगते हुए देख रहा था। धीरे धीरे करके बारिश के पानी में उसका पूरा बदन. भीगने लगा। साड़ी के साथ-साथ उसका ब्लाउज पेटीकोट ब्रा और पेंटी भी पूरी तरह से गीली हो गई। राहुल अपनी मां के मदमयी बदन को देख कर उत्तेजित होने लगा।
लेकिन यह देख कर आश्चर्य में था कि उसकी मां छत पर इधर उधर नजरें दौड़ाकर क्या ढूंढ रही थी। एक तो अलका का गीला बदन उसे परेशान किए हुए था, और फिर उसका इधर-उधर ढूंढना राहुल से रहा नहीं गया वह भी छत पर आ गया उसके बदन को भी बारिश की बूंदे भीगाेने लगी, वैसे भी वह पूरी तरह से ही नंगा था बस एक टॉवल ही थी जो उसके नंगेपन को छिपाए हुए थी।े बारिश के पानी में वह भी गीला होने लगा था।
Ramesh उत्तेजना में सरोबोर हो चुका था और ऊपर से यह बारिश का पानी उसे और ज्यादा चुदवासा बना रहा था।
Sunita की पीठ राहुल की तरफ थी'। पूरी तरह से भीगी बाल खुले हुए थे, जो कि पानी में भीगते हुए बिखर कर एक दूसरे में उलझे हुए थे जिससे पीछे का भाग और भी ज्यादा खूबसूरत लग रहा था। sunita की साड़ी कपड़े पूरी तरह से गीले हो कर बदन से ऐसे चिपके थे कि बदन का हर भाग हर कटाव और उसका उभार साफ साफ नजर आ रहा था ramesh तो यह देख कर एकदम दीवाना हो गया उसकी टावल भी तंबू की वजह से उठने लगी थी। ramesh को अपनी मां के खूबसूरत बदन का आकर्षण इस कदर बढ़ गया था कि उसके बदन में मदहोशी सी छाने लगी थी उसे अब यह डर भी नहीं था कि कहीं उसकी मां जांघों के बीच बने उठे हुए तंबू को ना देख ले, ramesh भी शायद अब यही चाहता था कि होता है जो हो जाने दो। इसलिए वह खुद भी यही चाहता था कि' उसकी मां की नजर उसके खड़े लंड पर जाए। ramesh भी बारिश के पानी का मजा ले रहा था लेकिन बारिश का यह ठंडा पानी उसके बदन की तपन को बुझाने की वजाय और ज्यादा भड़का रहीे थी। उसकी मां भी अब कुछ ढूंढ़ नहीं रही थी बल्कि भीगने का मजा ले रही थी पहली बार यु आधी रात को वह छत पर भीेगने के लिए आई थी। शायद बारिश के ठंडे पानी से अपने बदन की तपन को बुझाना चाहतीे थी लेकिन, लेकिन इस बारिश के पानी से sunita के भी मन की प्यास भड़क रही थी। उसे अपनी जवानी के दिन याद आने लगे जब ऐसी ही किसी भीगती बारिश में उसके पति ने उसकी जमकर चुदाई किया था। उस पल को याद करके अलका और भी ज्यादा उत्तेजित होने लगी और उत्तेजना के मारे भीगती बारिश में उसके दोनों हाथ खुद-ब-खुद उसकी चूचियों पर चले गए जिसे वह जोर जोर से दबा रही थी, राहुल आंख फाड़े अपनी मां के इस हरकत को देख रहा था। उत्तेजना के मारे ramesh के लंड में मीठा मीठा दर्द होने लगा। लंड की एठन ओर
दर्द उस पर और ज्यादा बढ़ गया जब ramesh ने देखा कि उसकी मां की दोनों हथेलियां चूचियों पर से बारिश के पानी के साथ सरकते सरकते कमर से होते हुए उसकी भारी भरकम भरावदार गांड पर चली गई और गांड पर हथेली रखते ही उसकी मां उसे जोर जोर से दबाने लगी।
अपनी मां को अपनी मदमस्त पानी में भीगी हुई भरावदार गांड को दबाते हुए देखकर ramesh से रहा नहीं गया वह मदहोश होने लगा उसकी आंखों में खुमारी सी छाने लगी। एक बार तो उसके जी में आया कि पीछे से जाकर अपनी मां के बदन से लिपट जाए और तने हुए लंड कोें उसकी बड़ी बड़ी गांड की फांकों के बीच धंसा दे। लेकिन अपने आपको रोके रहा। अपनी मां की कामुक अदा को देखकर ramesh की बर्दाश्त करने की शक्ति क्षीण होती जा रही थी। लंड में इतनी ज्यादा ऐठन होने लगी थी कि किसी भी वक्त उसका लावा फूट सकता था। अभी भी उसकी मां के दोनों हाथ उसीकी भरावदार नितंबों पर ही टिकी हुई थी। sunita को भी अपने उठे हुए नितम्ब पर नाज होता था।
Ramesh वहीं इसके पीछे खड़े खड़े अपनी मां को ही देख कर पागल हुए जा रहा था उसकी हर एक अदा पर उसका लंड ठुनकी मारने लग रहा था। ramesh की कामुक नजरें अपनी मां के मदमस्त बदन, चिकनी पीठ, गहरी कमर और उभरे हुए नितम्ब जोकि भीगने की वजह से साफ साफ नजर आ रही थी ऊस पर फीर रही थी।
उसे डर लग रहा था कि कहीं उसकी मां पीछे मुड़कर उसे देख ली तो उसे अपने आप को देखता हुआ पाकर कहीं गुस्सा ना हो जाए इसलिए वह बोला।

मम्मी ईतनी रात को ओर ईस बारीस मे क्यों भीग रही हो और क्या ढूंढ रही थी?
( पीछे से आती आवाज सुनकर sunita चौंक गई और चौक कर पीछे अपने बेटे को खड़ा पाकर तुरंत अपने नितंबों पर से हाथ हटा ली। और हड़बड़ाते हुए बोली।)

ककक...कुछ नही ....युं ही.... बारिश हो रही थी तो मैं छत पर कपड़े लेने आई थी लेकिन यहां तो......

कपड़े मैंने समेट लिए थे मम्मी( अपनी मां की बात पूरी होने से पहले ही ramesh बीच में बोल पड़ा।)

वोह तभी मैं कहूं कि कपड़े कहां चले गए। वैसे भी बेटा गरमी इतनी थी कि बारिश देखकर मुझे नहाने की इच्छा हो गई और मैं यहीं रुक गई। लेकिन तुम कब आए।

मैं अभी-अभी आया हूं मुझेे ऐसी बारिश में नींद नहीं आ रही थी और मैंने आपको सीढ़ियों से ऊपर आते देखा तो मै भी आपके पीछे पीछे आ गया। ( रह रह कर बादलों की गड़गड़ाहट के साथ बिजली भी चमक जा रही थी। ramesh का लंड पूरी तरह से तना हुआ था. टॉवेल आगे से उठकर एकदम तंबू बनी हुई थी। जो के पानी में भीगने की वजह से रह रहे कर सरकने लगती और ramesh उसे हाथ से संभाल लेता। अभी तक sunita की नजर उस के तने हुए लंड पर नहीं पडी़े थी। लेकिन ramesh की नजर अपनी मां के बदन के हर एक कोने तक पहुंच रही थी। पानी में भिगोकर sunita का ब्लाउज उसकी चूचियों के चिपक गया था जिससे ब्लाउज के अंदर गुलाबी रंग की ब्रा भी साफ साफ नजर आ रही थी। राहुल ललचाई आंखों से पानी में भीगी हुई अपनी मां की चुचियों को देख रहा था sunita ने तुरंत उसकी नजरों के सिध को भांप ली। अपने बेटे की कामुक नजरो को अपनी चूची पर घूमती हुई देखकर उसकी बुर में सुरसुराहट होने लगी। तभी sunita की नजरें उसके बेटे की नंगी छातियों पर पारी जोकि अच्छी खासी चोड़ी थी गठीला बदन देखते sunita भी उत्तेजित होने लगी
बारिश का जोर और ज्यादा बढ़ने लगा था बिजली की चमक और बादलों की गड़गड़ाहट बढ़ने लगी थी एक तरह से यह तूफानी बारिश थी। लेकिन इतनी तूफानी बारिश में भी दोनों मां बेटे एक दूसरे को अपनी तरफ आकर्षित करने में लगे हुए थे। तेज बारिश में भी अपनी मां के ऊपर नीचे हो रही है छातियों को राहुल साफ-साफ देख रहा था। साड़ी भीगकर एक तरफ हो गई थी।
जिससे अलका का गोरा चिकना पेट पर पेट के बीचमें नीचे की तरफ गहरी नाभि एकदम साफ दिखाई दे रही थी जिस पर रह रहकर राहुल की नजर चली जा रही थी। sunita अपने बेटे की नजर को अपने बदन के नीचे जाति देख उसकी नजर भी अपने बेटे की कमर से ज्यों नीचे गई उसका दिल धक्क से कर गया। उसकी भीगी बुर मे से भी मदन रस चु गया। sunita कर भी क्या सकते थे अपने बेटे के कमर के नीचे का नजारा ही कुछ ऐसा देख ली थी कि उसकी बुर पर उसका कंट्रोल ही नहीं रहा। sunita आंख फाड़े अपने बेटे की कमर के नीचे देख रही थी। बारिश के पानी मे ramesh के साथ साथ उसकी टावल भी एकदम गीली हो चुकी थी। टावल का कपड़ा भीगने की वजह से गीला होकर और ज्यादा वजनदार हो गया था। लेकिन टॉवल के अंदर ramesh का लंड एकदम टाइट हो कर आसमान की तरफ देख रहा था जिससे टॉवल भी तन कर तंबू बन गया था। यह नजारे को देखकर sunita समझ गई थी कि उसके बेटे का लंड बहुत ज्यादा ताकतवर और तगड़ा है। और इस तरह से अपने बेटे के लंड खड़े होने का कारण भी वह जान गई थी ।

वह अच्छी तरह से जान गई थी की उसके कामुक भीगे हुए बदन को देखकर ही उसके बेटे का लंड खड़ा हुआ है। sunita ऐसी तूफानी बारिश में भी sunita पुरी तरह से गर्म हो चुकी थी।
Ramesh भी जान गया था कि उसकी मां की नजर उसके खड़े लंड पर पड़ चुकी है। इस पल एक दूसरे को देख कर दोनों मां बेटे चुदवासे हो चुके थे। बादलों की गड़गड़ाहट की आवाज माहौल को और गर्म कर रहा था। न sunita से रहा जा रहा था और ना ही ramesh से दोनों मां-बेटे अपने आप को संभाल पाने में असमर्थ साबित हो रहे थे। दोनों तैयार थे लेकिन दोनों अपनी अपनी तरफ से यह देख रहे थे कि पहल कौन करता है।
दोनों एक दूसरे को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए सब कुछ कर चुके थे और कर भी रहे थे लेकिन पहल करने में डरते थे। तभी ramesh अपनी मां को अपनी तरफ देखते हुए देख कर बोला।

क्या देख रही हो मम्मी?
( अपने बेटे के इस सवाल का जवाब एकदम ठंडे दिमाग से देते हुए बोली।)

कुछ नहीं बेटा मैं बस यह देख रही हूं कि मेरा साथ देने के लिए तुम इतनी रात को भी छत पर भीगने चले आए इसलिए आज मेरा जी भर के मन कर रहा है की इस बारिश मे मै खुब नहाऊं। ( इतना कहने के साथ हुई sunita अपने बेटे को लुभाने के लिए अपने हाथ से साड़ी को उतारने लगी यह देखकर ramesh के बदन में कामाग्नी भड़क उठी। और ramesh के देखते ही देखते sunita ने अपने बदन से साड़ी को उतार फेंकी और सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज में ही बारिश में भीगने का मजा लेने लगी। शायद sunita को देखकर बरसात भी उसकी दीवानी हो गई थी इसलिए तो साड़ी को उतारते हुए बरसात और तेज पड़ने लगी बादलों की गड़गड़ाहट बढ़ गई बिजली की चमक वातावरण को और ज्यादा गर्म करने लगे। अलका साड़ी को उतार फेंकते हैं बारिश में भीगने का मजा लेने लगी मजा क्या लेने लगी वह अपनी कामुक अदा से अपने ही बेटे को लुभाने लगी। वह जानती थी कि गीले कपड़ो मे से उसके गोरे बदन का पोर पोर झलक रहा हे और उसे देखकर उसका बेटा उत्तेजित भी हो रहा है इसलिए वह उसे और ज्यादा दिखा कर अपने बेटे को अपना दीवाना बना रही थी।
 

Sanu9

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Ramesh भी अपनी मां की अदाओं को देखकर एकदम ज्यादा उत्तेजित हो चुका था इतना ज्यादा उत्तेजित कि उसे डर था कि कहीं उसके लंड का लावा फूट ना पड़े।
लंड की नसों में खून का दौरा दुगनी गति से दौड़ रहा था। उसका लंड इतना ज्यादा टाइट हो चुका था कि टॉवल के दोनों छोर को जहां से बांधा हुआ था। लंड के तगड़ेपन की वजह से टॉवल का वह छोर हट गया था या युं कह सकते हैं कि लंड टॉवल फाड़कर बाहर आ गया था। अपनी मां को देखकर ramesh की सांसे बड़ी ही तीव्र गति से चलने लगी थी। वह एक टक अपनी मां को देखे ही जा रहा था sunita के अंदर ना जाने कैसी मदहोसी आ गई थी कि वह पानी में भीगते हुए लगभग नाच रही थी। sunita के बदन में चुदासपन का उन्माद चढ़ा हुआ था। उत्तेजना और उन्माद की वजह से उस की चिकनी बुर पूरी तरह से फुल चुकी थी। वह भीगने में मस्त थी। और ramesh उसे देखने में मस्त था। टॉवल से बाहर झांक रहे लंड को वापस छुपाने की बिल्कुल भी दरकार नहीं ले रहा था बल्कि वह तो यही चाहता था कि
उसकी मां की नजर के नंगे लंड पर पड़े और उसे देख कर दोनों बहक जाएं। और यही हुआ भी बारिश में भीगते भीगते sunita की नजर अपने बेटे के टावल में से झांक रहे मोटे तगड़े लंड पर पड़ी ओर उसकी मोटाई देख कर sunita की बुर फुलने पिचकने लगी। उसके बदन में झनझनाहट सी फैल गई। ramesh अच्छी तरह से जान रहा था कि इस समय उसकी मां की नजर उस के नंगे लंड पर टिकी हुई है। और जीस मदहोशी और खुमारी के साथ वह लंड को देख रही थी ramesh को लगने लगा था कि बात जरूर बन जाएगी।
Sunita उत्तेजना के परम शिखर पर विराजमान हो चुकी थी वह इससे आगे कुछ सोच पाती थी तभी। इतनी तेज बादल गरजा की, पूरे शहर की बिजली गुल हो गई छत पर जल रहा बल्ब भी बंद हो गया ' चारों तरफ घोर अंधेरा छा गया इतना अंधेरा की ईस तेज बारिश में वह दोनों एक दूसरे का चेहरा भी नहीं देख पा रहे थे। रह रह कर बिजली चमकती तब जाकर कहीं दोनों एक दूसरे को देख पा रहे थे।

पूरे शहर की लाइट गुल हो चुकी थी, sunita और ramesh दोनों छत पर भीग रहे थे। अंधेरा इस कदर छाया हुआ था कि एक दूसरे को देखना भी नामुमकिन सा लग रहा था। बारिश जोरों पर थी बादलों की गड़गड़ाहट बढ़ती ही जा रही थी। यह ठंडी और तूफानी बारिश दोनों के मन में उत्तेजना के एहसास को बढ़ा रहे थे। sunita की सांसे तो चल नहीं रही बल्कि दौड़ रही थी, ramesh बेताब था तड़प रहा था उसका लंड अभी भी टावल से बाहर था। जिसे देखने के लिए sunita की आंखें इस गाढ़ अंधेरे में तड़प रही थी लेकिन देख नहीं पा रही थी। ramesh इस कदर उत्तेजित था उसकी लंड की नसें उभर सी गई थी। ऐसा लगने लगा था कि कहीं यह नसे फट ना जाए। तभी ramesh बोला।

मम्मी यहां तो बहुत अंधेरा हो गया कुछ भी देख पाना बड़ा मुश्किल हो रहा है।

हां बेटा नहाने का पूरा मजा किरकिरा हो गया अब हमें नीचे चलना होगा।( इतना कहते हुए sunita ramesh की तरफ बढ़ी ही थी कि हल्का सा उसका पैर फिसला और वह ramesh की तरफ गिरने लगी कि तभी अचानक ramesh ने अपनी मां को थाम लिया उसकी मां गिरते-गिरते बची थी वह तो अच्छा था कि ramesh के हाथों में गीरी थी वरना उसे चोट भी लग सकती थी। लेकिन बचते-बचाते में sunita सीधे अपने बेटे की बाहों में आ गई थी। जिससे sunita का बदन अपने बेटे के बदन से बिल्कुल सट गया था। दोनों के बदन से बारिश की बूंदें नीचे टपक रही थी। हवा इतनी तेज थी कि दोनों अपने आप को ठीक से संभाल नहीं पा रहे थे। अचानक जो एक दूसरे के बदन से सटने पर टॉवल से बाहर झांक रहा ramesh का तना हुआ लंड पेटीकोट सहित उसकी मां की जांघों के बीच सीधे उसकी बुर वाली जगह पर हल्का सा दबाव देते हुए धंस गया , sunita को अपनी बुर पर अपने बेटे के लंड के सुपाड़े का गरम एहसास होते ही sunita एकदम से गरम हो कर मस्त हो गई। आज एकदम ठीक जगह लंड की ठोकर लगी थी। लंड की रगड़ बुर पर महसुस होते ही , sunita इतनी ज्यादा गर्म हो गई थी कि उसके मुंह से हल्की सी सिसकारी छूट पड़ी , लेकिन शायद तेज बारिश की आवाज में वह सिसकारी दब कर रह गई। sunita को भी अच्छा लग रहा था वह तो ऊपर वाले का शुक्र मनाने लगे कि फिसल कर ठीक जगह पर गई थी फिर भी औपचारिकतावश बोली।

अच्छा हुआ बेटा तुमने मुझे थाम लिया वरना में गिर गई होती।

मेरे होते हुए आप कैसे गिर सकती है मम्मी।( ramesh अपनी मम्मी को थामने से मिले इस मौके को हांथ से जाने नही देना चाहता था इसलिए वह अपनी मम्मी को अभी तक अपनी बाहों में ही भरा हुआ था उसकी मां भी शायद इसी मौके की ताक में थी तभी तो अपने आप को अपने बेटे की बाहों से अलग नहीं कर रही थी।
और ramesh भी था मिलने के बहाने अपनी कमर को और ज्यादा आगे की तरफ बढ़ाते हुए अपने लंड को अपनी मां की बुर वाली जगह पर दबा रहा था। ramesh का ल** रसोईघर की तरह पेंट में नहीं था बल्कि एकदम नंगा था और एक दम शुरुर में था और इतना ज्यादा ताकतवर था कि इस बार पेटीकोट सहित लंड का सुपाड़ा sunita की बुर में हल्का सा अंदर घुस गया। सुपाड़ा बुर के ऊपरी सतह पर ही था। लेकिन sunita के लिए इतना ही बहुत था आज बरसों के बाद लंड उसकी बुर के मुहाने तक पहुंच पाया था। इसलिए तो sunita एकदम से मदहोश हो गई उसके पूरे बदन में एक नशा सा छाने लगा और वह खुद ही अपने बेटे को अपनी बाहों में भींचते हुए अपनी बुर के दबाव को अपने बेटे के लंड पर बढ़ाने लगी। दोनों परम उत्तेजित हो चुके थे। अपनी मां की बुर के और लंड के बीच सिर्फ वह पटना का पेटीकोट ही दीवार बना हुआ था यह दीवार पेटीकोट की नहीं बल्की शर्म की थी। क्योंकि उसकी मां की जगह अगर कोई और औरत होती तो यह पेटीकोट रुपी दीवार ramesh खुद अपने हाथों से गिरा दिया होता ' और sunita खुद अगर इस समय यह उसका बेटा ना होता तो वह खुद ही इस दीवार को ऊपर उठा कर लंड को अपनी बुर में ले ली होती।
सब्र का बांध तो टूट चुका था लेकिन शर्म का बांध टूटना बाकी था। मां बेटे दोनों चुदवासे हो चुके थे। एक चोदने के लिए तड़प रहा था तो एक चुदवाने के लिए तड़प रही थी। दोनों की जरूरते एक थी मंजिले एक थी और तो ओर रास्ता भी एक था। बस उस रास्ते के बीच में शर्म मर्यादा और संस्कार के रोड़े पड़े हुए थे।
मां बेटे दोनो एक दूसरे में समा जाना चाहते थे। दोनों एक दूसरे की बाहों में कस के चले जा रहे थे बारिश अपनी ही धुन में नाच रही थी sunita की बड़ी बड़ी चूचियां उसके बेटे के सीने पर कत्थक कर रहीे थी। ramesh का सीना अपनी मां की चुचियों में समा जाना चाहता था। तेज बारिश और हवा के तेज झोंकों में राहुल की टावल उसके बदन से कब गिर गई उसे पता ही नहीं चला ramesh एकदम नंगा अपनी मां को अपनी बाहों में लिए खड़ा था। उसका तना हुआ लंड उसकी मां की बुर में पेटीकोट सहित धंशा हुआ था। sunita की हथेलियां अपने बेटे की नंगी पीठ पर फिर रहीे थी। उसे यह नहीं पता था कि उसका बेटा पूरी तरह से नंगा होकर उससे लिपटा पड़ा है। sunita की बुर एकदम गर्म रोटी की तरह फूल चुकी थी। बुर से मदन रस रिस रहा था जो कि बारिश के पानी के साथ नीचे बहता चला जा रहा था। तभी आसमान में इतनी तेज बादल गरजा कि जैसे दोनोे को होश आया हो , दोनों एक दूसरे की आंखों में देखे जा रहे थे लेकिन अंधेरा इतना था कि कुछ दिखाई नहीं दे रहा था वह तो रह रह कर बिजली के चमकने हल्का-हल्का दोनों एक दूसरे के चेहरे को देख ले रहे थे। sunita मस्त हो चुकी थी' बुर में लंड लेने की आकांक्षा बढ़ती ही जा रही थी। मैं थोड़ा बहुत अपने बेटे से दुखी थी और दुखी इस बात से थी कि उसका बेटा ये भी नहीं जानता था कि औरत के मन में क्या चल रहा है क्योंकि वह जानती थी कि ramesh की जगह अगर कोई और लड़का होता तो इस मौके का भरपूर फायदा उठाते हुए कब से उसकी चुदाई करने लगा होता।
Sunita भी इस मौके को हाथ से जाने नहीं देना चाहती थी छत पर नजर दौड़ाते हुए कुछ सोचने लगे क्योंकि आज वह भी यही चाहती थी कि होता है जो वो हो जाने दो।
बारिश रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी बारिश पल-पल तेज होती जा रही थी छोटी-छोटी बुंदे अब बड़ी होने लगी थी जो बदन पर पड़ते ही एक चोट की तरह लग रही थी। sunita कोई उपाय सोच रही थी क्योंकि उसे रहा नहीं जा रहा था बारिश के ठंडे पानी में उसकी बुर की गर्मी को बढ़ा दिया था। जिस पर अभी भी उसके बेटे का लंड पेटीकोट सहित सटा हुआ था। sunita अपने बेटे की नंगी पीठ पर हाथ फिराते हुए बोलि।

अच्छा हुआ बेटा कि तू छत पर आ गया वरना मुझे गिरते हुए कौन संभालता।( इतना कहते हुए एक हाथ से अपनी पेटीकोट की डोरी को खोलने लगी, क्योंकि वह जानती थी की डोरी खुलते ही उसे पेटीकोट उतारने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी क्योंकि बारिश इतनी तेज गिर रही थी कि बारिश की बोछार से खुद ही उसकी पेटीकोट नीचे सरक जाएगी। और अगले ही पल उसने पेटीकोट की डोरी को खोल दी। ramesh जवाब देते हुए बोला।)

मैं इसलिए तो यहां आया था मम्मी ताकि मुसीबत में मैं काम आ सकुं, और तुम्हें गिरते हुए बचा कर मुझे अच्छा लग रहा है।
( अपनी बेटे की बात को सुनकर sunita खुश हो गई और लंड की रगड़ से एकदम रोमांचित हो गई। और रोमांचित होते हुए अपने बेटे के गाल को चुमने के लिए अपने होठ आगे बढ़ाई अंधेरा इतना गाढ़ा था कि एक दूसरे का चेहरा भी नहीं दिखाई दे रहा था इसलिए sunita के होठ ramesh के गाल पर ना जाकर सीधे उसके होंठ से टकरा गए। होठ से होठ का स्पर्श होते ही ramesh के साथ साथ खुद sunita भी काम विह्ववल हो गई। ramesh तो लगे हाथ गंगा में डुबकी लगाने की सोच ही रहा था इसलिए तुरंत अपनी मां के होठों को चूसने लगा बारिश का पानी चेहरे से होते हुए हॉठ चुसाई की वजह से एक दूसरे के मुंह में जाने लगा। दोनों मस्त हो गई. Ramesh तो पागलों की तरह अपनी मां की गुलाबी होंठों को चुसे जा रहा था। उसकी मां भी अपने बेटे का साथ देते हुए उसके होठों को चूस रही थी । यहां चुंबन दुलार वाला चुंबन नहीं था बल्कि वासना में लिप्त चुंबन था। दोनों चुंबन में मस्त थे और धीरे-धीरे पानी के बाहावं के साथ साथ sunita की पेटीकोट भी उसकी कमर से नीचे सरक रही थी। या यों कहो कि बारिश का पानी धीरे-धीरे sunita को नंगी कर रहा था। दोनों की सांसे तेज चल रही थी ramesh अपनी कमर का दबाव आगे की तरफ अपनी मां पर बढ़ाए ही जा रहा था और उसका तगड़ा लंड बुर की चिकनाहट की वजह से पेटीकोट सहित हल्के हल्के अंदर की तरफ सरक रहा था। दोनों का चुदासपन बढ़ता जा रहा था की तभी बहुत जोर से फिर बादल गरजा ओर ईस बार फीर से दोनों की तंद्रा भंग हो गई। sunita की सांसे तीव्र गति से चल रही थी। वह लगभग हांफ रही थी। और इस बार खुद को ramesh की बाहों से थोड़ा अलग करते हुए बोली।


बेटा शायद यह बारिश रुकने वाली नहीं है वैसे भी लाइट चले जाने पर नहाने का सारा मजा किरकिरा हो गया है अब हमें नीचे चलना चाहिए। ( वैसे तो ramesh का नीचे जाने का मन बिल्कुल भी नहीं था उसे छत पर ही मजा आ रहा था। फिर भी वह एतराज जताते हुए बोला।)

हां मम्मी लेकिन कैसे जाएंगे नहीं थे यहां इतना अंधेरा है कि हम दोनो एक दूसरे को भी नहीं देख पा रहे हैं। हम दोनों का बदन भी पानी से पूरी तरह से भीग चुका है, ऐसे नहीं सीढ़ियां चढ़कर नीचे उतर कर जाना हम लोग फेशल भी सकते हैं और वैसे भी सीढ़ी भी दिखाई नहीं दे रही है।

( मन तो sunita का भी नहीं कर रहा था नीचे जाने को लेकिन वह जानती थी कि अगर सारी रात भी छत पर रुके रहो तो भी बस बाहों में भरने के सिवा आगे राहुल बढ़ नहीं पाएगा। और वैसे भी अलग का आगे का प्लान सोच रखी थी इसलिए नीचे जाना भी बहुत जरूरी था।

नीचे तो चलना पड़ेगा बेटा और वैसे भी जब तुम मुझे संभाल सकते हो तो क्या मैं तुम्हें गिरने दूंगी। ( sunita इतना कह रही थी तब तक पेटिकोट सरक कर घुटनों से नीचे जा रही थी sunita मन ही मन बहुत खुश हो रही थी। क्योंकि नीचे से वह पूरी तरह से नंगी होती जा रही थी। माना कि उसका बेटा उसे नंगी होते हुए देख नहीं पा रहा था लेकिन फिर भी अंधेरे मे ही सही अपने बेटे के सामने नंगी होने में।

Sunita के बदन में एक अजीब से सुख की अनुभूति हो रही थी। वह रोमांचित होते हुए बोली।

बेटा तू बिल्कुल भी चिंता मत कर बस तू मुझे पकड़कर
मेरा सहारा लेते हुए मेरे पीछे पीछे सीढ़ियां उतरना। ( इतना कहने के साथ ही सरक कर पैरों में गिरी हुई पेटीकोट को पैरों का ही सहारा देकर टांग से निकाल दी। अब sunita कमर के नीचे बिल्कुल नंगी हो चुकी थी, उसके मन में यह हूक रहे जा रहीे थीे कि काश उसे नंगी होते हुए उसका बेटा देख पाता तो शायद वह कुछ आगे करता लेकिन फिर भी जो उसने सोच रखी थी वह अगर कामयाब हो गया तो आज की ही रात दोनों एक हो जाएंगे। sunita के बदन पर मात्र उसका ब्लाउज ही रह गया था और अंदर ब्रा बाकी वह बिल्कुल नंगी हो चुकी थी। ramesh तो पहले से ही एकदम नंगा हो चुका था। आने वाले तूफान के लिए दोनों अपने आपको तैयार कर रहे थे। इसलिए तो sunita ने अपने बदन पर से पेटीकोट उतार फेंकी थी और ramesh बारिश की वजह से नीचे गिरी टावल को उठाकर लपेटने की बिल्कुल भी दरकार नहीं ले रहा था। और बारिश थी की थमने का नाम ही नहीं ले रही थी। sunita नीचे जाने के लिए तैयार थी बादलों की गड़गड़ाहट से मौसम रंगीन बनता जा रहा था तेज हवा दोनों के बदन में सुरसुराहट पैदा कर रही थी।
Sunita नीचे उतरने के लिए नीचे जाती सीढ़ियों की तरफ जाने के लिए कदम बढ़ाएं और एक हाथ से टटोलकर ramesh को इशारा करते हुए अपने पीछे आने को कही क्योंकि सीढ़ियों वाला रास्ता बहुत ही संकरा था वहां से सिर्फ एक ही इंसान गुजर सकता था इसलिए ramesh को अपने पीछे ही रहने को कहीं अंधेरा इतना था कि वह खुद ramesh का हाथ पकड़कर अपने कंधे पर रख दी ताकि वह धीरे धीरे नीचे आ सके। sunita सीढ़ियों के पास पहुंच चुकी थी क्योंकि रह रह कर जब बिजली चमकती तो उसके उजाले में ज्यादा तो नहीं बस हल्का हल्का नजर आ रहा था। बारिश का शोर बहुत ज्यादा था। अब वह सीढ़ियों से नीचे उतरने वाली थी इसलिए ramesh को बोली।
बेटा संभलकर अब हम नीचे उतारने जा रहे हैं अगर डर लग रहा हो तो मुझे पीछे से पकड़ लेना। ( sunita ने टॉवल से बाहर झांकते उसके लंड को देख चुकी थी और वह यही चाहती थी कि ramesh सीढ़ियां उतरते समय उसे पीछे से पकड़ेगा तो उसका लंड गांड में जरूर रगड़ खाएगा। उसकी मां की यह बात ramesh के लिए तो सोने पर सुहागा था। इससे तो उसे खुला मौका मिल जाएगा। वह कुछ बोला नहीं बस हामी भर दीया।
Sunita धीरे धीरे सीढ़िया उतरने लगे और उसके पीछे पीछे राहुल, sunita आराम से दो तीन सीढ़ियां उतर गई, और ramesh भी बस कंधे पर हाथ रखे हुए नीचे आराम से उतर रहा था। दोनों तरफ रहे थे कल का चाह रही थी कि ramesh पीछे से उसे पकड़ ले ramesh भी यही चाह रहा था कि अपनी मां के बदन पर पीछे से जाकर सट जाए। लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा था। sunita तो तड़प रही थी उसे जल्द ही कुछ करना था वरना यह मौका हाथ से जाने वाला था दोनों अगर ऐसा ही होता रहा है तो शर्म के मारे यह सुनहरा मौका हाथों से चला जाएगा। इसलिए sunita ने शिढ़ी पर फिसलने का बहाना करते हुए आगे की तरफ झटका खाते हुए।

ऊईईईई....मां ....गई रे.....
( इतना सुनते ही ramesh बिना वक्त गवाएं झट से अपनी मां को पीछे से पकड़ लिया, अब लगा पीछे से अपने बेटे की बाहों में थी। ramesh का बदन अपनी मां के बदन से बिल्कुल सटा हुआ था इतना सटा हुआ कि दोनों के बीच में से हवा को आने जाने की भी जगह नहीं थी। लेकिन अपनी मां को संभालने संभालने मे उसका लंड जोकी पहले से ही टनटनाया हुआ था वह ऊसकी मां की बड़ी बड़ी भरावदार गांड की फांको के बीच जाकर फंस गया। ramesh के बदन मे आश्चर्य के साथ सुरसुराहट होने लगी।
 

Sanu9

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Ramesh के बदन में आश्चर्य के साथ सुरसुराहट होने लगी क्योंकि पीछे से अपनी मां को थामने में उस का टनटनाया हुआ लंड उसकी मां की भरावदार गांड की फांखों के बीच फंस गया था। उसे आनंद तो बहुत आया लेकिन लेकिन एक बात उसको आश्चर्य में डाल दी थी। क्योंकि उसकी मां पेटीकोट पहनी हुई थी। लेकिन इस वक्त सीढ़ियों से उतरते समय जिस तरह से उसका लंड सटाक करके गांड की फांकों के बीच फस गया था , इससे तो यही लग रहा था उसे कि उसकी मां ने पेटीकोट नहीं पहनी है। ramesh को अजीब लग रहा था ' तभी उसकी मां ने बोली।

ओहहहहह.... बेटा तूने मुझे फिर से एक बार गिरने से बचा लिया और कहां मैं तुझे कह रही थी कि मै सभाल लूंगी। तेरा बहुत-बहुत शुक्रिया बेटा।

इसमें शुक्रिया कैसा मम्मी यह तो मेरा फर्ज है।

तू बहुत समझदार हो गया और बड़ा भी। ( इतना कहकर sunita हंस दी, उसके कहने का कुछ और मतलब था लेकिन उसका मतलब ramesh समझ नहीं पाया sunita कुछ देर तक सीढ़ियों पर खड़ी थी ramesh भी उसे अपनी बाहों में लिए खड़ा था उसका लंड sunita की भरावदार गांड में फंसा हुआ था जो कि यह बात sunita बहुत अच्छी तरह से जानतीे थी। वह इसी लिए तो जान बूझकर अपनी पेटीकोट को छत पर उतार आई थी, क्योंकि वह जानती थी की सीढ़ियों से उतरते समय कुछ ऐसा ही दृश्य बनने वाला था। sunita के साथ साथ ramesh की भी सांसे तीव्र गति से चल रही थी।
Ramesh तो अपनी मां की गांड के बीचो बीच लंड फंसाए आनंदीत भी हो रहा था और आश्चर्यचकित भी हो रहा था। उसने अपनी मन की आशंका को दूर करने के लिए एक हाथ को अपनी मम्मी के कमर के नीचे स्पर्श कराया तो उसके आश्चर्य का ठिकाना ही ना रहा। उसकी हथेली sunita की जांघो पर स्पर्श हो रही थी और जांघो को स्पर्श करते ही वह समझ गया कि उसकी कमर से नीचे बिल्कुल नंगी थी। उसके मन में अब ढेर सारे सवाल पैदा होने लगे कि यह पेटीकोट कैसे उतरी क्योंकि उसकी आंखों के सामने तो उसकी मां ने सिर्फ अपनी साड़ी को उतार फेंकी थी। साड़ी को उतार फेंकने के बाद उसके बदन पर ब्लाउज और पेटीकोट रह गई थी।
तो यह पेटीकोट कब और कैसे उतर गई, कहीं मम्मी ने अंधेरे में तो नहीं अपनी पेटीकोट उतार कर नंगी हो गई। क्योंकि बिना पेटीकोट की डोरी खोलें ऐसी तेज बारिश में भी पेटीकोट अपने आप उतर नहीं सकती थी।
इसलिए जानबुझकर मम्मी ने अपनी पेटीकोट की डोरी खोलकर पेटीकोट उतार दी' इसका मतलब यही था कि मम्मी भी कुछ चाह रही है। कहीं ऐसा तों नहीं कि मम्मी भी इस मौके का फायदा उठाना चाहती है। जो भी हो उसमें तो मेरा ही फायदा है। यही सब बातें कशमकश ramesh के मन में चल रही थी।
मजा दोनों को आ रहा था,खड़े लंड का युं मस्त मस्त भरावदार गांड में फसने का सुख चुदाई के सुख से कम नहीं था। sunita तीन सीढ़ियां ही उतरी थी और वहीं पर ठीठक गई थी। अपने बेटे की जांघों का स्पर्श अपनी जाँघो पर होते ही हल्का को समझते देर नहीं लगा की उसका बेटा भी पूरी तरह से नंगा है। अपने बेटे के लंड की मजबूती का एहसास उसे अपनी गांड की दरारो के बीच बराबर महसूस हो रहा था। बादलों की गड़गड़ाहट अपने पूरे शबाब में थी बारिश होगा जोर कम होने का नाम ही नहीं ले रहा था कुल मिलाकर माहौल एकदम गरमा चुका था। बारिश की ठंडी ठंडी हवाओं के साथ पानी की बौछार मौसम में कामुकता का असर फैआ रही थी। sunita कि साँसे भारी हो चली थी रह-रहकर उसके मुंह से गर्म सिसकारी फूट पड़ रही थी। लेकिन बारिश और हवा का शोर इतना ज्यादा था कि अपनी मां की गरम सिसकारी इतनी नजदीक होते हुए भी राहुल सुन नहीं पा रहा था। तभी sunita अपने बेटे से बोली।

कसकर मुझे पकड़े रहना बेटा क्योंकि छत का पानी सीढ़ीयो से भी बह रहा है। और हम दोनों भीगे हुए हैं इसलिए पैर फिसलने का डर ज्यादा है इसलिए निसंकोच मुझे पीछे से कस के पकड़े रहना।
( sunita का इरादा कुछ और था बस वह पेेर फीसलने का बहाना बना रही थी। आज sunita भी अपने बेटे के साथ हद से गुजर जाना चाहती थी। और ramesh भी अपनी मां के कहने के साथ ही पीछे से अपने दोनों हाथ को कमर के ऊपर लपेटे हुए कस के पकड़ लिया और इस बार कस के पकड़ते ही उसने अपनी कमर का दबाव अपनी मां की गांड पर बढ़ा दिया, जिससे उसके लंड का सुपाड़ा सीधे उसकी गांड की भूरे रंग के छेंद पर दस्तक देने लगा। उस भूरे रंग के छेद पर सुपाड़े की रगड़ का गरम एहसास होते ही sunita के बदन में सुरसुरी सी फैल़ गई एक बारगी उसका बदन कांप सा गया। sunita के बदन में इतनी ज्यादा उत्तेजना भर चुकी थी कि उसके होठों से लब्ज भी कपकपाते हुए निकल रहे थे। वह कांपते स्वर में बोली।

बबबबब....बेटा ... कस के पकड़ा है ना।

हहहह...हां मम्मी ramesh की भी हालत ठीक उसकी मां की तरह ही थी उसके बदन में भी उत्तेजना का संचार तीव्र गति से हो रहा था खास करके उसके तगड़े लंड में जो की अपनी ही मां की गांड की दरार में उस भूरे रंग के छेद पर टिका हुआ था जहां पर अपने बेटे के लंड का स्पर्श पाकर sunita पूरी तरह से गनगना गई थी। sunita की बुर से मदन रस रीस नहीं बल्कि टपक रहा था। sunita पूरी तरह से कामोत्तेजना में सराबोर हो चुकी थी। उसकी आंखों में नशा सा चढ़ने लगा था। बरसात की भी आवाज किसी रोमांटिक धुन की तरह लग रही थी। अपने बेटे का जवाब सुनकर अपना पैर सीढ़ियों पर उतारने के लिए बढ़ाई अब तक ramesh का लंड sunita की गांड में फंसा हुआ था। लेकिन जैसे ही sunita ने अपने पैर को अगली सीढी पर उतारी और उसी के साथ ramesh अपनी मां को पीछे से बाहों में जकड़े हुए जैसे ही अपनी मां के साथ साथ पैर को अगली सीढ़ी पर उतारा उसका लंड गांड की गहरी दरार से सरक कर गांड की ऊपरी सतह से सट गई। ramesh अपनी मां को पीछे से कस के पकड़े हुए था उसकी मां भी बार बार करते पकड़े रहने की हिदायत दे रही थी। और मन ही मन अपने बेटे के भोलेपन को कोस रही थी क्योंकि इतने में तो, कोई भी होता अपने लंड को थोड़ा सा हाथ लगाकर उसकी बुर में डाल दिया हो तो उसके लिए ramesh भोला का भोला ही रहेगा।
Sunita अपने बेटे को भोला समझ रही थी लेकिन उसे क्या मालूम था कि वह इससे पहले दो सिखरो की चढ़ाई कर चुका था। ऐसे ही ऐसे एक दूसरे से चिपके हुए दो सीढ़ियां और उतर गए। sunita की तड़प बढ़ती जा रही थी इतनी नजदीक लंड के होते हुए भी उसकी बुर अभी तक प्यासी थी और उसकी प्यास sunita से बर्दाश्त नहीं हो रही थी। उसे लगने लगा था कि उसे ही कुछ करना है जैसे जैसे नीचे उतारती जा रही थी अंधेरा और भी गहराता जा रहा था और बारिश तो ऐसे बरस रही थी कि जैसे आज पूरे शहर को निगल ही जाएगी। लेकिन यह तूफानी बारिश दोनों को बड़ी ही रोमांटिक लग रही थी। तभी sunita ने सीढ़ी पर रुक कर अपने दोनों हाथ को पीछे ले जाकर ramesh की कमर को पकड़ते हुए थोड़ा सा पीछे की तरफ करते हुए बोली।

बेटा थोड़ा ठीक से पकड़ नहीं तो मेरा पैर फिसल जाएगा( पर इतना कहते हैं कि साथ ही वापस अपने हाथों को हटा ली,)

ठीक है मम्मी (इतना कहने के साथ ही ramesh का लंड अपने आप एडजस्ट होकर वापस गांड की गहरी दरार में फस गया। और sunita यही करने के लिए बहाना बनाई थी। sunita अपनी बाहों में में पूरी तरह से कामयाब हो चुकी थी क्योंकि इस बार उसका लंड उसकी गांड के भुरे छेंद से नीचे की तरफ उसकी बुर की गुलाबी छेद के मुहाने पर जाकर सट गया। बुर के गुलाबी छेद पर अपने बेटे के लंड के सुपाड़े का स्पर्श होते हैं sunita जल बिन मछली की तरह तड़प उठी, उसकी हालत खराब होने लगी वह सोचने लगी थी की वह क्या करें कि उसके बेटे का मोटा लंड उसकी बुर में समा जाए और दो औरतों की चुदाई कर चुका ramesh भी अच्छी तरह से समझ चुका था कि उसके लंड का सुपाड़ा उसकी मम्मी के कौन से अंग पर जाकर टिक गया है। ramesh का लंड तो तप ही रहा था। लेकिन उसकी मां की बुरउसके लंड से कहीं ज्यादा गरम होकर तप रही थी। अपनी मां की बुर की तपन का एहसास लंड पर होते हैं ramesh को लगने लगा की कहीं उसका लंड पिघल ना जाए। क्योंकि बुर का स्पर्श होते ही उसके लंड का कड़कपन एक दम से बढ़ चुका था और उसमे से मीठा मीठा दर्द का एहसास हो रहा था। sunita पुरी तरह से गनगना चुकी थी। क्योंकि आज बरसों के बाद उस की नंगी बुर पर नंगे लंड का स्पर्शा हो रहा था।
बरसों से सूखी हुई उसकी जिंदगी में आज इस बारिश में हरियाली का एहसास जगह आया था। उत्तेजना के मारे sunita के रोंगटे खड़े हो गए थे। अपने बेटे के लंड के मोटे सुपाड़े को वह अपनी बुर के मुहाने पर अच्छी तरह से महसूस कर रही थी वह समझ गई थी कि उसकी बुर के छेद से उसके बेटे के लंड का सुपाड़ा थोड़ा बड़ा था।
जो की बुर के मुहाने पर एकदम चिपका हुआ था। sunita अपनी गर्म सिस्कारियों को दबाने की पूरी कोशिश कर रही थी लेकिन उसकी हर कोशिश उत्तेजना के आगे नाकाम सी हो रही थी। ना चाहते हुए भी उसके मुंह से कंपन भरी आवाज निकल रही थी।

बबबबब.....बेटा ....पपपपपप...पकड़ा है ना ठीक से।

हंहंहंहंहं....हां .... मम्मी ( ramesh भी उत्तेजना के कारण हकलाते हुए बोला)

अब मैं सीढ़ियां उतरने वाली हूं मुझे ठीक से पकड़े रहना। ( इतना कहने के साथ ही एक बहाने से वह खुद ही अपनी गांड को हल्के से पीछे ले जाकर गोल-गोल घुमाते हुए अपने आप को सीढ़िया उतरने के लिए तैयार करने लगी। ramesh भी गरम सिसकारी लेते हुए हामी भर दिया। ramesh की भी हालत खराब होते जा रही थी। वह मन ही मन में यह सोच रहा था कि इतनी उत्तेजित अवस्था में तो वह kabhi नहीं था जितना उत्तेजित वह इस समय अपनी मां के साथ था। रिमझिम गिरती तूफानी बारिश और बादलों की गड़गड़ाहट एक अजीब सा समा बांधे हुए थी। sunita जानती थी कि इस बार संभालकर सीढ़ियां उतरना है वरना फिर से इधर उधर होने से ramesh का लंड अपनी सही जगह से छटककर कहीं और सट जाएगा। इसलिए वह वापस अपने दोनों हाथ को पीछे की तरफ ले जाकर अपने बेटे के कमर को कस के पकड़ते हुए अपनी गांड से सटाते हुए बोली बेटा इधर फीसल़ने का डर कुछ ज्यादा है पूरी सीढ़ियों पर पानी ही पानी है।

इसलिए तु मुझे कस के पकड़े रहना मैं नीचे उतर रही हूं
( इतना कहने के साथ ही sunita अपने पैर को नीचे सीढ़ियों पर संभालकर रखने लगे और ramesh को बराबर अपने बदन से चिपकाए रही। इस तरह से ramesh की कमर पकड़े हुए वह आधी सीढ़ियो तक आ गई। इस बीच ramesh का लंड उसकी मां की बुर पर बराबर जमा रहा। अपनी बुर पर गरम छुपाने की रगड़ पाकर sunita पानी पानी हुए जा रही थी उसकी बुर से मदन रस टपक रहा था जो कि ramesh के लंड के सुपाड़े से होता हुआ नीचे सीढ़ियों पर चु रहा था। sunita के तो बर्दाश्त के बाहर था ही लेकिन ramesh से तो बिल्कुल भी यह तड़प सही नहीं जा रही थी। औरतों की चुदाई कर चुका ramesh या अच्छी तरह से जानता था कि, उसका लंड उसके मां की उस अंग से सटा हुआ था जहां पर हल्का सा धक्का लगाने पर लंड का सुपाड़ा सीधे बुर के अंदर जा सकता था लेकिन ramesh अभी भी शर्म और रीश्तो के बंधन में बंधा हुआ था। ramesh को अभी भी शर्म की महसूस हो रही थी यह तो अंधेरा था इस वजह से इतना आगे बढ़ चुका था। वह अपने मन मे बोल भी रहा था की इस समय अगर इसकी मां की जगह कोई और औरत होती तो वह कब से अपना समूचा लंड बुर में पेल दिया होता। लेकिन ramesh की मां इसके विपरीत
सोच रही थी, उसे ramesh नादान लग रहा था क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि किसी को भी अगर इतनी छूट दी जाए तो इतने से ही सब कुछ कर गुजर गया होता। लेकिन ramesh इतना नादान और भोला है कि जन्नत के द्वार पर बस लंड की टीकाए खड़ा है।
दोनों से बर्दाश्त नहीं हो रहा था दोनों एक दूसरे की पहल में लगे हुए थे। लेकीन ईस समय जो हो रहा था। उससे भी कम आनन्द प्राप्त नही हो रहा था। ईस तरह से भी दोनो संभोग की पराकाष्ठा का अनुभव कर रहे थे।
दोनों की सांसे लगभग उखड़ने लगी थी। sunita तो यह सोच रही थी कि वह क्या करें कि उसके बेटे का लंड उसकी बुर में समा जाए। सीढ़ियां उतरते समय sunita का लँड उसकी मां की गांड में गदर मचाए हुए था, ramesh का लंड sunita की गांड की दरार के बीचोबीच कभी बुर पर तो कभी भुरे रंग के छेंद पर रगड़ खा रहा था।
Sunita तो मदहोश हुए जा रही थी उसकी दोनों टांगे कांप रही थी। ramesh की भी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी। वह बराबर अपनी मां को कमर से पकड़ कर अपने बदन से चिपकाए हुए था। इसी तरह से पकड़े हुए दोनों सीढ़ियां लगभग उतर चुके थे , ramesh अपनी मां को अपनी बाहों में जकड़ा हुआ था और sunita भी अपने दोनों हाथों से अपने बेटे के कमर को पकड़ कर अपने बदन से चिपकाए हुए थी। मां बेटे दोनों संभोग का सुख प्राप्त करने के लिए तड़प रहे थे।
लेकिन अब ramesh से बर्दाश्त नहीं हो रहा था क्योंकि कई दिन बीत चुके थे उसने बुर में लंड नहीं डाला था। और इस समय दोनों के बीच इस तरह के हालात पैदा हुए थे की ऐसे में तो चुदाई ही ईसकी मंजिल बनती थी। ramesh अजीब सी परिस्थिति में फंसा हुआ था। उसके अंदर मनो मंथन सा चल रहा था। वह अपनी ओर।अपनी मम्मी के हालात के बारे में गौर करने लगा क्योंकि यह सारी परिस्थिति उसकी मां ने ही पैदा की थी। उसका इस तरह से उसके सामने साड़ी उतार कर बारिश में नहाना अपने अंगो का प्रदर्शन करना और जान बूझकर अपनी पेटीकोट उतार फेकना , और तो और सीढ़ियां उतरते समय अपने बदन से चिपका लेना। यह सब यही दर्शाता था कि खुद उसकी मां भी वही चाहती थी जो कि राहुल खुद जाता था यह सब सोचकर ramesh का दिमाग और खराब होने लगा।. अब उसी से यह कामुकता की हद सही नहीं जा रही थी तीन-चार सीढ़ीया ही बाकी रह जा रही थी। इस समय जो बातें ramesh के मन में चल रही थी वही बातें sunita के मन में भी चल रही थी sunita भी यही चाहती थी कि कैसे भी करके उसके बेटे का लंड उसकी बुर में प्रवेश कर जाए। उसको भी यही चिंता सताए जा रहे थे की बस तीन चार सीढ़ियां ही रह गई थी। जो होना है ईसी बीच हो जाता तो अच्छा था। एक तो पहले से ही ramesh के लंड ने उसकी बुर को पानी पानी कर दिया था। कामातूर होकर sunita ने ज्यों ही अपने कदम को नीचे सीढ़ियों की तरफ बढ़ाई और ramesh था की इस मौके को हाथ से जाने नहीं देना चाहता था इसलिए वह अपनी मां को पीछे से अपनी बाहों में भरे हुए हल्के से अपनी कमर को नीचे की तरफ झुकाते हुए वह भी अपनी मां के साथ साथ नीचे कदम बढ़ाया ही था कि उसका खड़ा लंड उसकी मां की बुर के सही पोजीशन में आ गया और जैसे ही ramesh के कदम सीढ़ी पर पड़े तुरंत उसके लंड का सुपाड़ा उसकी मां की पनियाई बुर मे करीब आधा समा गया' और जैसे ही सुपाड़े का करीब आधा ही भाग बुर में समाया sunita का समुचा बदन बुरी तरह से गंनगना गया। उसकी आंखों से चांद तारे नजर आने लगे। एक पल को तो उसे समझ में ही नहीं आया कि क्या हुआ है आज बरसों के बाद उसकी बुर में लँड के सुपाड़े का सिर्फ आधा ही भाग गया था। और वह सुपाड़े को अपनी बुर में महसूस करते ही मदहोश होने लगी उसकी आंखों में खुमारी सी छाने लगी। और एकाएक उसके मुंह से आह निकल गई, अपनी मां की आह सुनकर ramesh से रहा नहीं गया और वह अपनी मां से पूछ बैठा।

क्या हुआ मम्मी।
( अब sunita अपने बेटे के इस सवाल का क्या जवाब देती, जबकि ramesh भी अच्छी तरह से जानता था कि उसका लंड किसमे घुसा है फिर भी वो अनजान बनते हुए अपनी मां से सवाल पूछ रहा था। तो sunita भी तो अभी इतनी बेशर्म नहीं हुई थी कि अपने बेटे को साफ साफ कह दें कि तेरा लंड मेरी बुर में घुस गया है। जब ramesh सब कुछ जानते हुए भी अनजान बना हुआ था तो उसे भी अनजान बने रहने में क्या हर्ज था और वैसे भी अनजान बने रहने में ही ज्यादा मजा आ रहा था। इसलिए वह कांपते स्वर में बोली।)
कककककक.... कुछ नहीं बेटा .....पाव दर्द करने लगे हैं।

( अपनी मां की बात सुनकर ramesh अनजान बनता हुआ बोला।)

आराम से चलो मम्मी कोई जल्दबाजी नहीं है वैसे भी अंधेरा इतना है कि कुछ देखा नहीं जा रहा है।
( ramesh तो इसी इंतजार में था कि कब उसकी मम्मी अगलीे सीढ़ी उतरे और वह अपना आधा लंड उसकी बुर में डाल सके। और तभी sunita अपने आप को संभालते हुए वह भी यही सोचते हुए की शायद अगले सीढ़ी उतरते समय उसके बेटे का पूरा सुपाड़ा उसकी बुरमें समा जाए। और यही सोचते हैं उसने सीढ़ी उतरने के लिए अपना कदम नीचे बढ़ाई और ramesh भी मौका देखते हुए अपनी मां को यूंही बाहों में दबोचे हुए अपनी कमर को थोड़ा और नीचे ले जाकर हल्का सा धक्का लगाया ही था कि, sunita अपने आप को संभाल नहीं पाई उत्तेजना के कारण उसके पांव कांपने लगे और वह लड़खड़ाकर बाकी की बची दो सीढ़ियां उतर गई और ramesh के लंड का सुपाड़ा जितना घुसा था वह भी बाहर आ गया। दोनों गिरते-गिरते बचे थे ramesh का लंड डालने का मौका जा चुका था और sunita का भी लंड डलवाने का मौका हाथ से निकल चुका था।
Sunita अपनी किस्मत को कोस रही थी कि अगर ऐन मौके पर उसका पेर ना फिसला होता तो अब तक उसके बेटे का लंड उसकी बुर में समा गया होता और ramesh भी खड़े लंड पर ठोकर लगने से दुखी नजर आ रहा था। दोनों सीढ़ियां उतर चुके थे और ramesh अपनी मां से पूछा।

क्या हुआ मम्मी आप ऐसे लड़खड़ा क्यों गई?
( कुछ देर पहले लंड के एहसास से वह पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी उसके सांसे अभी भी तेज चल रही थी। उत्तेजना उसके सर पर सवार थी यह नाकामी उससे बर्दाश्त नहीं हो रही थी। लेकिन फिर भी अपने आप को संभालते हुए वह बोली।)

कुछ नहीं बेटा एकाएक मुझे कुछ चुभता हुआ महसूस हुआ और मुझे दर्द होने लगा इसलिए मैं अपने आप को संभाल नहीं पाए और गिरते गिरते बची और तुझे तो चोट नहीं लगी ना बेटा।

नहीं मम्मी मुझे चोट नहीं लगी है लेकिन यह बताओ क्या चुभ रहा था और किस जगह पर। ( sunita यह अच्छी तरह से जानतीे थी कि ramesh भोला बनने की कोशिश कर रहा था वह सब कुछ जानता था, वरना यूं इतनी देर से उसका लंड खड़ा नहीं रहता। वैसे भी इस समय पहले वाली sunita नहीं थी यह sunita बदल चुकी थी। शर्मीले संस्कारों और मर्यादा में रहने वाली sunita इस समय कहीं खो चुकी थी उसकी जगह वासना मई sunita ने ले ली थी। जिसके सर पर इस समय वासना सवार थी। इतनी ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी कि रिश्ते नाते सब कुछ भूल चुकी थी और अपने बेटे के सवाल का जवाब देते हुए बड़े ही कामुक अंदाज में बोली।)

अब क्या बताऊं बेटा तुझे की ं क्या चुभ रहा है और कौन सी जगह चुभ रहा है। इतने अंधेरे में तो तुझे दिखाई भी नहीं देगा। ( वैसे भी शीढ़ी वाली गैलरी में अंधेरा कुछ ज्यादा ही था बारिश अभी भी तेज बरस रही थी बादलों की गड़गड़ाहट लगातार सुनाई दे रही थी। sunita हाथ में आए मौके को गंवाते हुए देखकर अंदर ही अंदर झुंझलाहट महसूस कर रही थी। उसके हाथ से एक सुनहरा मौका निकल चुका था। वह फिर से कोई रास्ता देख रहे थे कि फिर से कोई काम बन जाए। इसलिए और ramesh से बोली।)

चलो कोई बात नहीं बेटा हम दोनों काफी समय से भीग रहे हैं, अब हम दोनों को बाथरूम में चलकर अपने गीले कप्प......( इतना कहते ही sunita थोड़ा रुक कर बोली।)
बेटा जब तु मेरे बदन से चिपका हुआ था तो मुझे ऐसा एहसास हो रहा था कि बेटा तू बिल्कुल नंगा था।
( sunita अब खुलेपन से बोलना शुरू कर दी थी अपनी मां के इस बात पर ramesh हड़बड़ाते हुए बोला।)

वो...वो...मम्मी ....वो टॉवल.... ऊपर तेज हवा चल रही थी तो छत पर ही छूट गई और अंधेरे में कहां गिरी दिखाई नहीं दी..... लेकिन मम्मी मुझे भी ऐसा लग रहा है कि नीचे से आप पूरी तरह से नंगी है। आप तो पेटीकोट पहनी हुई थी....तो.....


अरे हां उपर कितनी तेज बारिश गिर रही थी वैसे भी मुझसे तो मेरी साड़ी भी नहीं संभाले जा रही थी। और शायद तेज बारिश की वजह से मेरी पेटीकोट सरक कर कब नीचे गिर गई मुझे पता ही नहीं चला। वैसे भी तू तो देख ही रहा है कि अंधेरा कितना घना है हम दोनों एक दूसरे को भी ठीक से देख नहीं पा रहे है. तो वह क्या खाक दिखाई देती। इसलिए मैं भी बिना पेटीकोट पहने ही ईधर तक आ गई। ( तभी धीमी आवाज में बोली।) तुझे कुछ दिख रहा है क्या?

नहीं मम्मी कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा है अगर दिखाई देता तो सीढ़ियां झट से ना उतर गया होता, यू आपसे चिपक कर क्यों उतरता ।

( दोनों जानते थे कि दोनों एक दूसरे को झूठ बोल रहे थे दोनों की हालत एक दूसरे से छिपी नहीं थी। दोनों इस समय सीढ़ियों के नीचे नंगे ही खड़े थे। sunita कमर से नीचे पूरी तरह से नंगी थी और ramesh तो संपूर्ण नग्नावस्था में अंधेरे में खड़ा था तभी sunita बोली।


चल कोई बात नहीं बाथरूम में चलकर कपड़े बदल लेते हैं ( इतना कहते ही sunita अंधेरे में अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपने बेटे का हाथ पकड़ना चाहि कि तभी ) ज्यादा देर तक अगर ऐसे ही भीगे खड़े रहें तो तबीयत खरा......( इतना तो ऐसे ही हो आश्चर्य के साथ खामोश हो गई और हड़ बड़ाते हुए बोली....)
यययययय......ये.....ककककक.....क्कया....है।
( sunita ने अंधेरे में अपने बेटे का हाथ पकड़ने के लिए अपना हाथ बढ़ाई थी लेकिन उसके हाथ में उसके बेटे का टनटनाया हुआ खड़ा लंड आ गया और एकाएक हाथ में आया मोटे लंड की वजह से sunita एकदम से हड़बड़ा गई थी। sunita को अपने बेटे कां लंड हथेली में कुछ ज्यादा ही मोटा लग रहा था। sunita पुरी तरह से गनगना गई थी। जब उसे यह एहसास हुआ कि उसके हाथ में ramesh के हाथ कीे जगह क्या आ गया है तो वह एकदम से रोमांचित हो गई और उत्तेजना के मारे उसकी बुर फूलने पीचकने लगी। ramesh जी उत्तेजना के समंदर में गोते लगाने लगा, अपनी मम्मी के हाथ में अपना लंड आते ही राहुल भी पुरी तरह से गनगना गया था।
Sunita से अब बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था वह एकदम से चुदवासी हो चुकी थी। इसलिए वह तुरंत उसका लंड छोड़कर ramesh का हाथ थाम ली और बाथरुम की तरफ जाते हुए बोली।

चल बाथरूम में चलकर अपना बदन पहुंचकर कपड़े बदल लेते हैं वरना सर्दी लग जाएगी।

अंधेरा इतना था तुमसे कोई दिखाई नहीं दे रहा था फिर भी रह-रहकर बिजली चमकने की वजह से खिड़की से उस की रोशनी अंदर आ रही थी। जिससे बाथरूम कहां है यह थोड़ा-थोड़ा दिखाई दे रहा था। थोड़ी ही देर में दोनों बाथरुम के अंदर थे, यहां भी कुछ दिखाई नहीं दे रहा था और बाथरूम की खिड़की की वजह से आती रोशनी में हल्का-हल्का झलक रहा था। तभी अचानक
Ramesh के कानों में वही उस दिन वाली बाथरूम में से आ रही है सीटी की आवाज सुनाई देने लगी ramesh का माथा ठनक गया , उसे समझते देर नहीं लगेगी उसकी मम्मी के सामने ही भले ही नहीं दिखाई दे रहा है फिर भी पास में बैठ कर पेशाब कर रही थी। ramesh एकदम मदहोश होने लगा है उससे रहा नहीं जा रहा था उसके लंड का कड़क पन बढ़ता ही जा रहा था। वह सब कुछ जानते हुए भी अपनी मां से बोला।

क्या हुआ मम्मी क्या कर रही हो?

Sunita जानती थी कि पेशाब करते वक़्त उसकी बुर से
सीटी की आवाज बड़े जोरों से आ रहे थे और यह आवाज ramesh भी साफ साफ सुन रहा था और ramesh जानता भी था कि वह क्या कर रही है लेकिन फिर भी वो जानबूझकर पूछ रहा था इसलिए sunita भी मादकता लिए चुदवासी आवाज में बोली।

क्या बेटा यह भी कोई पूछने वाली बात है बड़े जोरों की आई थी इसलिए यहीं बैठ कर पेशाब कर रही हूं अगर तुझे भी लगी हो तो ले कर ले इस अंधेरे में कहां कुछ दिखने वाला है।


अपनी मां की सी बातें सुनकर ramesh और ज्यादा उत्तेजित हो गया। उससे रहा नहीं गया और वह भी वही खड़े होकर पेशाब करने लगा कि तभी लाइट आ गई।
 
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