आईने में अपने सुर्ख हो चले गाल को देख कर वो खुद ही शरमा गई। पल पल उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी चूचियों पर भीेची हुई हथेली धीरे-धीरे पेट पर से सरकते हुए नाभि से गुजरते हुए जांघों के बीच जाकर तपती हुई दरार पर जाकर ठहर गई। sunita ईस समय इतनी ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी की उत्तेजना मे उसने अपनी हथेली से अपनी बुर को दबोच ली। बुर को दबोचते ही फिर से उसके मुंह से सिसकारी छूट गई। बुर के साथ-साथ उसकी बुर पर ऊगी हुई झांटों की झुरमुटे भी उसकी हथेली में भींच गई जिससे उसे हल्के दर्द का एहसास हुआ तब उसे एकाएक याद आया की 2 दिन पहले ही उसने बाजार से लौटते समय वीट क्रीम खरीदी थी, अपने बालों को साफ करने के लिए। वह झट से अलमारी की तरफ बढ़ी और ड्रोवर खोल कर उसमें से वीट क्रीम को बाहर निकाल ली। वीट क्रीम को हथेली में लेते ही उसके बदन में उत्तेजना का संचार बड़ी ही तीव्र गति से होने लगा। उसकी बुर से नमकीन पानी अमृत की बूंद बनकर रिसना शुरू हो गई। sunita को यह एहसास अब अच्छा लगने लगा था। अलका ने वीट क्रीम के ढक्कन को खोलकर अपनी एक टांग को आईने के टेबल पर रख दी और थोड़ा सा अपनी टांगो को फैला दी ताकि वह क्रीम को ठीक से लगा सकें। उसने सीधे क्रीम को बालों से सटाकर ट्यूब को दबाई और ढेर सारी क्रीम को अपने बालों पर छोड़ दी, जरूरत जितनी क्रीम को बालों पर निकाल कर ट्यूब को टेबल पर रख दी ओर प्लास्टिक की पट्टी से क्रीम को बालो पर फैलाने लगी। बहुत ही कामुक नजारा बना हुआ था। sunita पुरी तरह से नंगी होकर के आईने के सामने एक टांग को टेबल पर टिका कर अपनी बालों से भरी बूर पर
क्रीम को चुपड़ रही थी। एक टांग को उठाकर के टेबल पर रखने की वजह से उसकी भारी-भरकम गांड और भी ज्यादा उभार लिए हुए दिखाई दे रही थी। सच में अगर इस समय sunita के रूप को कोई भी मर्द देख ले तो उसका खड़े-खड़े ही पानी छूट जाए।
Sunita अपने बालों पर पूरी तरह से क्रीम को लगा चुकी थी। वह भी बड़ी उत्सुक थी अपनी बालों से भरी बुर को एकदम चिकनी देखने के लिए। वह ट्यूब को वापस खोखे में रख कर ड्रोवर में डाल दी। और कमरे में ही चेहरे करनी करते हुए नजर को अपने ही बदन पर ऊपर से नीचे तक आगे से पीछे तक दोड़ाते हुए अपनी चाल-ढाल का जायजा लेने लगी। खास करके उसकी नजर पीछे को उसके पिछवाड़े पर ही जा रही थी क्योंकि चलते वक्त वो कुछ ज्यादा ही थिरकन लिए हुए थी। अपनी उधर ही बड़ी बड़ी गांड को मटकते हुए देख कर उसे अपने बदन पर और भी ज्यादा फक्र होने लगा था।
वह यूं ही चहल कदमी करते हुए कुछ समय बिता रही थी ताकी क्रीम मैं डूबे हुए उसके झांट के बाल नरम पड़ जाए।
वही दूसरे कमरे में ramesh भी परेशान था आज उसने जो हरकत किया था इससे उसके पूरे बदन में अभी तक झुनझुनी सी मची हुई थी। वह बिस्तर पर लेटा हुआ था उसका पाजामा नीचे घुटनों तक सरका हुआ था।।
और उसकी मुठ्ठी उसके टनटनाए हुए लंड पर भींची हुई थी और वह जोर-जोर से लंड को हिलाते हुए मुठ मार रहा था। और उसके जेहन में बस उसकी मां की ही कल्पना चल रही थी। उसने कभी सोचा भी नहीं था कि वह इतनी हिम्मत दिखा पाएगा। करता भी क्या इतनी बड़ी बड़ी और गोल गोल गांड को देखकर वह अपने आपे से बाहर हो गया था इसलिए अपनी मां को गले लगाने के बहाने उसके चूतड़ों के बीच अपने टनटनाए हुए लंड को रगड़ने का आनंद लेने से अपने आप को रोक नहीं पाया। इस वक्त उसे मुठ मारने में कुछ ज्यादा ही आनंद की प्राप्ति हो रही थी क्योंकि वह आंखों को मुंद कर अपनी मां के बारे में गंदी कल्पना कर रहा था वह मन ही मन में सोच रहा था कि वह वैसे ही रसोई घर में खाना बना रही है और वह रसोई घर में जाता है , और वह अपनी मां को खाना बनाते हुए देखता है लेकिन उसकी नजर सीधे जा कर उस की उभरी हुई बड़ी बड़ी गांड पर ही टीक जाती है। पल में ही उसका सोया हुआ लंड टनटना कर खड़ा हो जाता है, वह एकदम कामातूर होकर सीधे अपनी मम्मी के पीछे जाकर खड़ा हो जाता है और तुरंत उसकी साड़ी को उसकी कमर तक उठा कर एक टांग को रसोईघर की टेबल पर रख कर पीछे से अपना खड़ा लंड पेल देता है,
थोड़ी ही देर में उसकी मां भी अपने बेटे का साथ देते हुए अपनी भारी भरकम गांड को पीछे की तरफ ठेलते हुए ramesh के लंड को अपनी बुर में तेजी से लेने का प्रयास करती है। यह कल्पना करते हुए ramesh थोड़ी ही देर में लंड की पिचकारी छोड़ता है जोकि खुद उसके ऊपर जांघो पर आ कर गिरता है।
Ramesh के मन में चल रहे वासना का तूफान जैसे ही शांत होता है उसे अपने किए पर पछतावा होने लगता है। ramesh फिर से अपने आप को भला बुरा कह कर आइंदा से ऐसी गंदी हरकत ना करने की कसम खा कर सो जाता है।
कमरे में sunita अभी भी चहल कदमी करते हुए बार-बार कभी बालों पर लगी क्रीम को तो कभी अपने पिछवाड़े को देख कर संतुष्ट हो रही थी। क्रीम को साफ करने का समय हो चुका था। sunita को बड़ी बेसब्री से इंतजार था अपनी चिकनी बुर को देखने के लिए, उसने बिस्तर पर रखे हुए टावल को उठाई और टॉवल से घिस घिसकर क्रीम को साफ करने लगी , टावल से क्रीम को पूरे इत्मीनान से साफ कर लेने के बाद वह जैसे ही टावल को अपनी बुर पर से हटाई तो अपनी बुर को देख कर वह खुद हैरान रह गई। वह कभी अपनी बुर की तरफ तो कभी आईने में दिख रही उसकी बुर के अक्स की तरफ नजरें दौड़ा रही थी। झांटों के झुरमुटो को क्रीम से साफ करने के बाद उसमें आई चिकनाई को देखकर वह बहुत आश्चर्य चकित हुई। अपनी बुर की खूबसूरती को देखकर वह खुद ही कायल हो चुकी थी।
उसकी बुर की गुलाबी पत्तियां हल्के से बाहर की तरफ झांक रही थी। जिस पर नजर पड़ते ही sunita का मन एकदम से उत्तेजना से भर गया और वह ना चाहते हुए भी अपनी हथेली को उन गुलाबी पत्तियों के ऊपर रख कर मसल दी जिससे पुनः उसके मुख से सिसकारी छूट गई।
ससससससससस......
Sunita का बदन पूरी तरह से कसमसा गया और वह और भी ज्यादा दबाव देते हुए हथेली को बुर की गुलाबी पत्तियों पर रगड़ने लगी। आज बरसों के बाद उसने अपनी बुर को इतनी ध्यान से निहार रही थी, अपनी ब** को देख देखकर और बार-बार उस पर हथेली रगड़ने की वजह से उसकी बुर से मदन रस की बूंदें टपक पड़ती थी।
Sunita उत्तेजना से सरो बोर हो चुकी थी बुर पर मसल रही हथेली से कब एक उंगली उसकी बुर मे समा गई उसे खुद को पता ही नहीं चला। मस्ती के सागर में हिलोरे लेते हुए उसने अपनी आंखोें को मूंद ली।
उसकी उत्तेजना दबाए नहीं दब रही थी उसने अपनी एक हथेली को अपनी बड़ी बड़ी चूची पर रखकर दबाने लगी, sunita आईने के सामने एकदम निर्वस्त्र खड़ी थी टांगे फैलाकर एक उंगली से अपनी उतेजना को शांत करने की कोशिश कर रही थी। sunita के अंदर बरसों से दलीप यार अब उछलने लगी थी आखिरकार औरत का मन नदी के पानी के बहाव की तरह होता है कब तक वह उसे मिट्टी का रोड़ा बनाकर रोक सकती है। एक ना एक दिन तो पानी के बहाव में वह मिट्टी का रोड़ा बह जाना था। sunita के मन के अंदर का बांध टूट चुका था। एक उंगली से बुर को चोदते हुए वह गर्म सिसकारी भर रही थी उसे अब लगने लगा था कि उसकी बुर की प्यास एक उंगली से नहीं बुझने वाली है इसलिए वह अपनी दूसरी उंगली को भी रसीली चिकनी बुर में प्रवेश करा दी।
ऊउउममममममममममम...सससससससहहहहहहह....
आहहहहहहहह.......ऊईईई....म्मा....
( sunita अब दोनों अंगुलियों को बुर के अंदर बाहर करते हुए अपनी बुर की चुदाई कर रही थी और गरम गरम सिसकारियां छोड़कर पूरे कमरे का माहौल गर्म किए हुए थी। sunita जिंदगी में पहली बार आज अपनी उंगलियों से हस्तमैथुन करते हुए अपने आप को संतुष्ट करने की कोशिश कर रही थी। वह पूरे लय में अपनी उंगली को अंदर बाहर तीव्र गति से कर रही थी और उसी लय में अपनी कमर को भी आगे पीछे करते हुए मजा ले रही थी। वह अपनी बुर को उंगली से तो चोद रही थी लेकिन उसके जेहन में ramesh के पजामे में बने तंबू का ही ख्याल आ रहा था। बुर में उंगली पेलते हुई उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी बुक में उसकी उंगली नहीं बल्कि उसके बेटे का लंड अंदर बाहर हो रहा है। अपनी गदराई गांड पर अपने बेटे के लंड की चुभन को याद करके वह और भी ज्यादा चुदवासी हो गई।