प्रमिला क्या सोच रही है मन में उसे कोई अहसास नहीं है वो रवि को पूरा सुख देना चाहती है और चाहती कि रवि जवान है उसका लं ड बेमिसाल है उसकी मोटाई और लबाई का कोई मुकाबला नहीं है वो कई chooto का उद्धार कर सकता है, मेरा बेटा कितना शक्तिशाली है और इसे लेकर मैं कितनी selfish हूं की इसे सिर्फ अपने तक ही बांधे रखना चाहती हूं, सेक्स की दुनियां में जब एक बार सीमा लांघ ली जाए तो फिर मर्यादा का कोई स्थान नहीं रह जाता है, जैसे में खुद अपने पति को धोखा देकर अपने ही बेटे का लोड़ा चूस रही हूं, तो उसे कैसे सिर्फ एक ही औरत का होकर रहने का वादा ले सकती हूं।
बहुत वैचारिक मंथन के बाद वो तय करती है कि रवि को भी घर की अन्य औरतों के साथ संभोग और काम क्रीड़ा करने का पूरा पूरा हक है, में स्वयं ये बात उसे सिखाऊंगी,
ये सोचकर वो सुबह उठाती है रवि पास ही सो रहा था उसे सेक्स के साथ साथ रवि की ईच्छा पूर्ति की भी भावना आ रही है, वो रवि का माथा चूमकर नीचे चली जाती है।
नीचे उसका भाई और स्वाति जाने की तैयारी में लगे थे।
प्रमिला भाई से - तू कह रहा था तुझे एक डेढ़ महीने बाद फिर से कुछ दिनों के लिए जाना है
भाई - हां दीदी
प्रमिला तो फिर स्वाति को यही छोड़ जा मेरा तो मन भरा ही नहीं हम तो ठीक से मिले ही नहीं, क्यों स्वाति
स्वाति हां दीदी मैं भी रुकना चाहती थी कुछ दिन यहीं
भाई ने कहा अगर ऐसा है तो रोक लो दीदी इसको , लेकिन इसको कोई कष्ट न हो , वो प्रमिला को छेड़ते हुए कहता है, तेरे से ज्यादा अगर इसको सुख मैने नही दिया तो कभी फिर इसे मत लाना , कहते हुए उसने स्वाति की तरफ मुंह करते हुए उसको आंख मारी और उसका हाथ धीरे से दबा दिया, स्वाति कुछ न समझकर भी शर्म से लाल हो गई और सोचने लगी ये कोनसा सुख देने वाली हैं मुझे और नजरें नीची कर लेती हैं।
भाई बोला दीदी मैं तो आपको छेड़ रहा था वैसे ही sorry,
प्रमिला बोली लेकिन मैं तो सच बोल रही हूं जब तू आयेगा तब खुद ही पूछ लेना कितना सुख दिया है मैने मेरी लाडली सुंदर कमाल भाभी को,
हंसी मजाक के बीच भाई अकेला चला गया।
तब स्वाति बोली मुझे आपसे बात करनी है दीदी , प्रमिला बोली हां बोलो, यहां नहीं अंदर कमरे में चलो, दोनों अंदर गए जहां स्वाति और भाई को रुकाया था, तब स्वाति ने प्रमिला का हाथ दोनों हाथों से पकड़ कर शरमाते हुए चूमा और पूछा दीदी सच बताओ आप किस सुख की बात कर रही थी, और कहते कहते स्वाति शर्म से दोहरी हो गई, स्वाति अभी कड़क जवान थी भरे हुए स्तन 38 वाले और गडराई गांड की मालकिन थी, आज प्रमिला ने उसको पूरे ध्यान से देखा था, पता नहीं क्यों उसको अहसास हुआ उसकी भाभी बहुत बहुत प्यासी है, उसने प्यार से उसके गाल पर हाथ फेरा और प्यार से चपत लगाते हुए बोली अभी सुबह के सब काम पड़े हैं वो निपटा कर, जब सब चले जायेंगे तब तुझे में अच्छे से समझाऊंगी और ऐसा बोलकर उसकी एक चूची को अच्छे से दबा दिया, स्वाति हाय दीदी बोलकर उनसे लिपट गई और देर तक दोनो के स्तन आपस में टकराते रहे और स्वाति की आंखों में खुशी के आंसू आ गए और वो कान में धीरे से बोली बहुत सारा थैंक्स , आज मुझे लगा कोई है जिसे मेरी खुशी की परवाह है और खुशी से देर तक सुबकती रही, प्रमिला ने उसके गीले गालों से आंसू को जीभ से चाट लिया और उसके हांठोंको एक गीला चुम्बन देते हुए बोली, अभी चले महारानी जी दिन में सब खोलकर समझाऊंगी, और उसके दोनो चूतड के बीच दरार में उंगली डालते हुए उसे खींच कर बाहर ले आई।