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Incest Maa bete ka safar..

Bambi

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Very very nice,interesting and erotic story writing.
ekdom faddu aur kamaal ka kaaahi
 
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मामला काफी गर्म और बेहद नाजुक मोड़ पर आ चुका था, स्वाति जो आज से पहले पतिव्रता और सौम्य सभ्य दहलीज के भीतर अपने शरीर के ताप को दबाए या यूं कहूं नजरंदाज किए जिए जा रही थी, प्रमिला ने सिर्फ चंद घंटों में उसे पूरा शोला बना दिया था जो इतना दहक चुका है कि अब खुद स्वाति के बस से बाहर हो चुका है, यौवन से भरपूर बदन अंग अंग में तरंग सर्प की तरह लहराती काया अमृत रस से लबरेज चूत के साथ यौवन अर्क से सुगंधित दो अति अदभुत विशाल वक्ष किसी पूर्ण पुरुष को लालायित करने में किसी भी तरह कमतर नहीं हैं स्वयं कामदेव एक बार इस नारी को अगर देख ले तो मैं दावे से कह सकता हूं वो रति को सदा के लिए भूलकर यही पृथ्वी लोक में ही बस जाए।
प्रमिला का स्तन मर्दन दोनों चिकने हाथों से तेजी के साथ अनवरत रूप से सक्रिय था, स्वाति के सबसे मादक अंग में बिजलियां दौड़ रही थी और नीचे की नदी ठाठे मार रही थी पूर्ण मदहोशी की अवस्था में इसके पूरे शरीर और मन को उस सुख की अनुभूति हो रही थी जिसके लिए उसकी बेशकीमती काया आज तक तरस रही थी। प्रमिला के मादक चुम्बन ने रहा सहा जब्त भी बहा दिया था जांघों के बीच के दरिया के पानी के साथ। प्रमिला का पहला और आखरी लक्ष्य था स्वाति को अपनी बनाना, कि आज के बाद यदि स्वाति के सबसे करीब कोई हो तो वो सिर्फ प्रमिला हो वो आदमी भी नही जो उसे पूर्ण संतुष्ट करने वाला था निकट भविष्य में। शायद प्रमिला का दिल स्वाति पर पूरी तरह आ गया था, वजह उसे भी पता नहीं चल रही थी, खैर ये तो उसके मन की बात थी लेकिन अब वो स्वाति के वक्ष छोड़कर उठी और उसके पैरों की ओर बढ़ी उसने स्वाति की दोनो टांगों को खींचकर जमीन से टिका दिया स्वाति का धड़ पलग पर था स्वाति की आंखे बंद थी वासना में डूबी दोनों हाथों को गद्दों में धसाएं कंधों को बैचनी में हिलाए जा रही थी और हाय हाय ,,,,,,,, मां मेरा क्या होगा ऐसा तो इस चूत और बेरहम बोबों ने मुझे आज तक नहीं सताया था वह प्रमिला के अगले बार का इंतजार कर रही थी, प्रमिला नीचे जमीन पर बैठी और उसने स्वाति की दोनों टांगों को एक दूसरे से दूर किया, आज तक की सबसे सुंदर अत्यंत गोरी नाजुक और बेहद कम चुदी रसीली चूत उसके सामने थी, उसको अंदाजा भी नहीं था स्वाति की चूत इतनी बेदाग होगी क्योंकि शादी के कुछ साल बाद ही गोरी से गोरी चमड़ी वाली औरत की चूत पर कालिमा की परत चढ़ने लग जाती है और इस चूत के दोनों होठों के आसपास जहां से लंड देव प्रवेश करते है और ऊपर की हड्डी की चमड़ी पर जहां टकसाल की ठुकाई होती है अति तीव्र वेग से , वे हिस्से चूत के तो काले होना लाजमी है, मगर ईश्वर ने न जाने किस मिट्टी और कहां के अमृत तुल्य पानी से स्वाति को गढ़ा था, उसकी चूत को लेश मात्र भी असर नहीं हुआ था, प्रमिला की चूत ने इस नायाब चूत को देखकर थोड़ा स्त्राव बाहर को धकेला और प्रमिला के वक्ष मादकता से चिन्हुके और उसकी जीभ सरपट बूंद बूंद टपकती मधुर सुगंध छोड़ती गहरी खाई की ओर लपकी और उसके भगनासा क्लोट्रिस को जबान की नोंक से कुरेदने लगी। मैं मरी मेरी मां, स्वाति बहुत जोर से चिल्लाई, चूंकि घर में कोई और नहीं था इसलिए कुछ अनहोनी का डर नहीं था, पम्मी क्या आज मेरी चूत का अंतिम संस्कार कर के ही दम लेगी , ऐसा कह कर स्वाति दोनों हाथों और साथ ही दोनों पैरों को पटकने लगी , अनंत मजे के सागर में हिचकोले खाती हुई, aaaaah aaaaaae ईईईईई रीरीरिर मेरे मालिक ये आज कहां मेरी किस्मत ले आई आज अगर चली गई होती तो मेरी किस्मत हमेशा के लिए फुट गई होती, पम्मी पम्मी मेरी जान, आज से मेरा अंग अंग तेरे नाम हुआ, में कसम खाती हूं आज से मैं तेरी हुई सम्पूर्ण समस्त मेरी आत्मा और शरीर सहित, ये कहते हुए वो निरंतर मछली की तरह मचलती जा रही थी, उसकी चूत जो धारा प्रवाह रस बहा रही थी प्रमिला का हाथ जो चूत के निचले हिस्से पर था अभिषेक की तरह भीगने लगा, अब उसकी जीभ ने नीचे झरने की मुख्य नलिका में प्रवेश करना प्रारंभ कर दिया था, जैसे ही जीभ अंदर घुसी प्रमिला तो शुद्ध खटास से भरे जल से धन्य होती हुई अपनी नासिका चूत के ऊपरी भाग में दबाने लगी जिससे स्वाति की उत्तेजना अपने चरम पर पहुंच चुकी थी, दिल की धड़कन किसी धोकनी की तरह धड़ धड़ हो रही थी, मारे उत्तेजना के उसके मुंह से आवाज निकालना बंद हो गई थी सारा सेंसेशन शरीर का चूत को सम्हालने में व्यस्त हो गया था, जबरदस्त चुसाई किसी मस्त औरत की वो भी बड़ी देर से गर्म की हुई चूत की, मेरे पास स्वाति के अहसास को बयां करने के लिए न तो शब्द हैं ना ही तजुर्बा क्योंकि में नारी नहीं पुरुष हूं ये वर्णन तो कोई इस अनुभव से गुजरी नारी ही कर सकती है। खैर कब तक संयम का बांध हिम्मत रखता , स्वाति का भी संयम टूटने को ही था उसको टूटने में प्रमिला की इंडेक्स फिंगर जो स्वाति के चूत रस सराबोर थी ने किया, प्रमिला ने धीरे धीरे स्वाति की चौड़ी गांड के छेद पर वो उंगली घीसनी शुरू की, उसकी चूत चुसाई अपने तीव्र वेग पर चालू थी , घिसते घिसते प्रमिला ने धीरे से उंगली स्वाति की गांड में सरका दी, स्वाति की धड़कन एक धड़क चूक गई और वो अपनी चूत को पूरी ताकत से ऊपर उछल कर फव्वारा छोड़ बैठी चूत से क्योंकि उस उछाल से प्रमिला का मुंह चूत से हट चूका था पर उंगली गांड में ही थी जिसे उसने अब बकायदा एक इंच तक अंदर बाहर करना जारी रखा था, फव्वारा चलाता रहा प्रमिला का मुख भीगता रहा, और मेरी समस्त मादा पाठिकाओं का रस उनकी उंगलियों को भिगोता हुआ बह रहा हैं अनवरत , यकीन न हो तो वे स्वयं ये देख लें नीचे झुककर।
lovely,interesting update,bahot bahot garam aur exciting writing!!
 
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mastmast123

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I am facing right now internet issue my jio fibre is not functional and it will take 3-4 days to restore , I am sorry to all so please bear with me, as soon as it is restored I am there to please you with story.
 
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Sadia Jahan Prova

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मामला काफी गर्म और बेहद नाजुक मोड़ पर आ चुका था, स्वाति जो आज से पहले पतिव्रता और सौम्य सभ्य दहलीज के भीतर अपने शरीर के ताप को दबाए या यूं कहूं नजरंदाज किए जिए जा रही थी, प्रमिला ने सिर्फ चंद घंटों में उसे पूरा शोला बना दिया था जो इतना दहक चुका है कि अब खुद स्वाति के बस से बाहर हो चुका है, यौवन से भरपूर बदन अंग अंग में तरंग सर्प की तरह लहराती काया अमृत रस से लबरेज चूत के साथ यौवन अर्क से सुगंधित दो अति अदभुत विशाल वक्ष किसी पूर्ण पुरुष को लालायित करने में किसी भी तरह कमतर नहीं हैं स्वयं कामदेव एक बार इस नारी को अगर देख ले तो मैं दावे से कह सकता हूं वो रति को सदा के लिए भूलकर यही पृथ्वी लोक में ही बस जाए।
प्रमिला का स्तन मर्दन दोनों चिकने हाथों से तेजी के साथ अनवरत रूप से सक्रिय था, स्वाति के सबसे मादक अंग में बिजलियां दौड़ रही थी और नीचे की नदी ठाठे मार रही थी पूर्ण मदहोशी की अवस्था में इसके पूरे शरीर और मन को उस सुख की अनुभूति हो रही थी जिसके लिए उसकी बेशकीमती काया आज तक तरस रही थी। प्रमिला के मादक चुम्बन ने रहा सहा जब्त भी बहा दिया था जांघों के बीच के दरिया के पानी के साथ। प्रमिला का पहला और आखरी लक्ष्य था स्वाति को अपनी बनाना, कि आज के बाद यदि स्वाति के सबसे करीब कोई हो तो वो सिर्फ प्रमिला हो वो आदमी भी नही जो उसे पूर्ण संतुष्ट करने वाला था निकट भविष्य में। शायद प्रमिला का दिल स्वाति पर पूरी तरह आ गया था, वजह उसे भी पता नहीं चल रही थी, खैर ये तो उसके मन की बात थी लेकिन अब वो स्वाति के वक्ष छोड़कर उठी और उसके पैरों की ओर बढ़ी उसने स्वाति की दोनो टांगों को खींचकर जमीन से टिका दिया स्वाति का धड़ पलग पर था स्वाति की आंखे बंद थी वासना में डूबी दोनों हाथों को गद्दों में धसाएं कंधों को बैचनी में हिलाए जा रही थी और हाय हाय ,,,,,,,, मां मेरा क्या होगा ऐसा तो इस चूत और बेरहम बोबों ने मुझे आज तक नहीं सताया था वह प्रमिला के अगले बार का इंतजार कर रही थी, प्रमिला नीचे जमीन पर बैठी और उसने स्वाति की दोनों टांगों को एक दूसरे से दूर किया, आज तक की सबसे सुंदर अत्यंत गोरी नाजुक और बेहद कम चुदी रसीली चूत उसके सामने थी, उसको अंदाजा भी नहीं था स्वाति की चूत इतनी बेदाग होगी क्योंकि शादी के कुछ साल बाद ही गोरी से गोरी चमड़ी वाली औरत की चूत पर कालिमा की परत चढ़ने लग जाती है और इस चूत के दोनों होठों के आसपास जहां से लंड देव प्रवेश करते है और ऊपर की हड्डी की चमड़ी पर जहां टकसाल की ठुकाई होती है अति तीव्र वेग से , वे हिस्से चूत के तो काले होना लाजमी है, मगर ईश्वर ने न जाने किस मिट्टी और कहां के अमृत तुल्य पानी से स्वाति को गढ़ा था, उसकी चूत को लेश मात्र भी असर नहीं हुआ था, प्रमिला की चूत ने इस नायाब चूत को देखकर थोड़ा स्त्राव बाहर को धकेला और प्रमिला के वक्ष मादकता से चिन्हुके और उसकी जीभ सरपट बूंद बूंद टपकती मधुर सुगंध छोड़ती गहरी खाई की ओर लपकी और उसके भगनासा क्लोट्रिस को जबान की नोंक से कुरेदने लगी। मैं मरी मेरी मां, स्वाति बहुत जोर से चिल्लाई, चूंकि घर में कोई और नहीं था इसलिए कुछ अनहोनी का डर नहीं था, पम्मी क्या आज मेरी चूत का अंतिम संस्कार कर के ही दम लेगी , ऐसा कह कर स्वाति दोनों हाथों और साथ ही दोनों पैरों को पटकने लगी , अनंत मजे के सागर में हिचकोले खाती हुई, aaaaah aaaaaae ईईईईई रीरीरिर मेरे मालिक ये आज कहां मेरी किस्मत ले आई आज अगर चली गई होती तो मेरी किस्मत हमेशा के लिए फुट गई होती, पम्मी पम्मी मेरी जान, आज से मेरा अंग अंग तेरे नाम हुआ, में कसम खाती हूं आज से मैं तेरी हुई सम्पूर्ण समस्त मेरी आत्मा और शरीर सहित, ये कहते हुए वो निरंतर मछली की तरह मचलती जा रही थी, उसकी चूत जो धारा प्रवाह रस बहा रही थी प्रमिला का हाथ जो चूत के निचले हिस्से पर था अभिषेक की तरह भीगने लगा, अब उसकी जीभ ने नीचे झरने की मुख्य नलिका में प्रवेश करना प्रारंभ कर दिया था, जैसे ही जीभ अंदर घुसी प्रमिला तो शुद्ध खटास से भरे जल से धन्य होती हुई अपनी नासिका चूत के ऊपरी भाग में दबाने लगी जिससे स्वाति की उत्तेजना अपने चरम पर पहुंच चुकी थी, दिल की धड़कन किसी धोकनी की तरह धड़ धड़ हो रही थी, मारे उत्तेजना के उसके मुंह से आवाज निकालना बंद हो गई थी सारा सेंसेशन शरीर का चूत को सम्हालने में व्यस्त हो गया था, जबरदस्त चुसाई किसी मस्त औरत की वो भी बड़ी देर से गर्म की हुई चूत की, मेरे पास स्वाति के अहसास को बयां करने के लिए न तो शब्द हैं ना ही तजुर्बा क्योंकि में नारी नहीं पुरुष हूं ये वर्णन तो कोई इस अनुभव से गुजरी नारी ही कर सकती है। खैर कब तक संयम का बांध हिम्मत रखता , स्वाति का भी संयम टूटने को ही था उसको टूटने में प्रमिला की इंडेक्स फिंगर जो स्वाति के चूत रस सराबोर थी ने किया, प्रमिला ने धीरे धीरे स्वाति की चौड़ी गांड के छेद पर वो उंगली घीसनी शुरू की, उसकी चूत चुसाई अपने तीव्र वेग पर चालू थी , घिसते घिसते प्रमिला ने धीरे से उंगली स्वाति की गांड में सरका दी, स्वाति की धड़कन एक धड़क चूक गई और वो अपनी चूत को पूरी ताकत से ऊपर उछल कर फव्वारा छोड़ बैठी चूत से क्योंकि उस उछाल से प्रमिला का मुंह चूत से हट चूका था पर उंगली गांड में ही थी जिसे उसने अब बकायदा एक इंच तक अंदर बाहर करना जारी रखा था, फव्वारा चलाता रहा प्रमिला का मुख भीगता रहा, और मेरी समस्त मादा पाठिकाओं का रस उनकी उंगलियों को भिगोता हुआ बह रहा हैं अनवरत , यकीन न हो तो वे स्वयं ये देख लें नीचे झुककर।
absolutely hot and erotic update,amazingly well written story
 
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mastmast123

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Don't know who's prarthana fruited and my internet resumed in six hours only , must be a great fan of mine prayed because she he must be missing my story badly. So let's continue.
 
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Wonderful, superb, awesome story
 
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kasif

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Wonderful, superb, awesome, extraordinary,erotic and amazing update!!!
 
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mastmast123

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अब जबकि स्वाति रानी का बांध फूट चुका था और प्रमिला देवी रस के सागर में आकंठ डूबी हुई थी, वह इस खारे अमृत को हौले हौले स्वाद लेते हुए ग्रहण कर रही थी , स्वाति का नशा अब धरातल पर आ चुका था उसने प्रमिला को अपने छोड़े गए चूत रस को पूरे दिल से गटकते देखा उसे प्रमिला में एक सच्ची साथी नजर आने लगी, क्योंकि सेक्स अपनी जगह है और किसी को पूर्णतया आत्मसात कर लेना जो प्रमिला ने स्वाति को किया है स्वाति दिल से प्रमिला का सम्मान करने लगी अभी तक वो पति की बड़ी बहन के नाते आदर दिया करती थी मगर आज उसने जाना कि उसके तन मन और आत्मा को किस तरह खुद में समाहित कर सकता है वो प्रमिला ने उसके लिए किया है।
अब प्रमिला की बारी थी यौन सुख को भोगने की, उसने मुंह पास पड़े नेपकिन से पौंछ कर स्वाति के हाथ अपने कामेच्छा से लहर खाते वक्षों पर रख दिया और इंगित किया इनका भी तो उद्धार करो स्वाति महारानी।
स्वाति ने वक्ष पकड़ तो लिए मगर औपचारिक तरीके से, उसके मन में कुछ और चल रहा था, बोली दीदी आपने क्षणिक सुख तो दिया है मगर मेरी उस प्रार्थना का क्या होगा जो मैं अभी आप से कर रही थी। प्रमिला को झटका लगा ओह तो इसकी प्यास नहीं बुझी है अभी तक ये वाकई एक बहुत भयंकर चूदाई की आस लिए बैठी है वो भी एक स्पेशल मोटे लंबे और देर तक टिकने वाले लंड से।
दीदी, अच्छा तो मैं अब मेरी स्वा की दीदी बन गई जरा सा ज्वार क्या उतरा चूत की गर्मी का देवी को होश आ गया है, मेरी बन्नो अब मुझे पम्मो से दीदी बुलाएगी तेरी ये हिमाकत और ऐसा कहते हुए उसने स्वाति की घुंडियो को प्यार से मगर जोर से उमेठ दिया, स्वाति फारिग तो हुई थी मगर संतुष्ट नहीं, यौवन की कशिश उसके तन में पहले से भी ज्यादा तेज हो गई थी जब से उसने जाना था दीदी उसके लिए सब कुछ करेगी। वो aaaahhhh पम्मो कितना सताती है री तू, सुनकर प्रमिला बोली अब लाइन पर आई है, तेरे अनुरोध को जब तू पूरी चुदेल होकर गिड़गिड़ा रही थी मुझे तब ही यकीन हो चला था मेरी इस बेहद खूबसूरत काम वासना में जलती हुई सहेली का उद्धार करना ही है चाहे कुछ भी हो जाए। लेकिन एक बात बता क्या तेरा ही शरीर वासना के चरमोत्कर्ष किए तड़प सकता है क्या कोई और तुझे अभी नजर नहीं आ रहा जो तेरी सेवा करते हुए भी उसी ज्वाला में तूझसे भी अधिक जलता रहा है।
तुरंत स्वाति को बोध हुआ वह अपने स्वार्थ में दीदी की जलती काया को तो भूल ही गई , जो सुख आज इन्होंने दिया है क्या कभी में इसकी कल्पना भी कर सकती थी, लंड जैसा मैं सोच रही हूं वैसा मिले ना मिले मगर मेरा प्रथम कर्त्तव्य दीदी को उनके दिए से दुगना देना है।
अब उसने सोच लिया था वो किस तरह ये करेगी।
स्वाति ने कमान सम्हालते हुए प्रमिला को बिस्तर पर पीठ के बल सीधा लेटा दिया और उसी क्रीम से सिर्फ दोनों हाथों की उंगलियां बहुत गीली कर ली और प्रमिला की दाहिनी ओर बैठकर सीधी उनकी आंखो में देखते हुए उनके विशाल चूचों की सिर्फ घुंडियां उंगलियों और अंगूठे से पकड़ कर ज्यादा जोर देकर मसलने लगी, कोई भी औरत इस अहसास और सुख को जानती जब उसके पूर्ण मादक होने पर ऐसा किया जाता है। प्रमिला भी सिसक पड़ी, uunnhuun uunnnhuunnn स्वाति मैं कहां हूं ये क्या हो रहा है मुझे,
क्या हो रहा है पम्मो
तू तो जैसे जानती ही नहीं तेरे पास तो बोबें और चूत तो है ही नही जैसे, अरे मेरी मां मैं तो सच में आज मरी।
पम्मी जब से आई हूं देख रही हूं कैसी छमक झल्लो बनकर पूरे घर में भटकती रहती हैं।
प्रमिला क्या कह रही हो तुम, आंख खोलकर स्वाति को देखते हुए बोली।
स्वाति जिस तरह मैने अपने मन को दीदी आपके सामने बेझिझक खोल दिया, इतना कह कर उसने अपने हाथ उसके वक्ष से हटा लिए, और बोली क्या आप मुझे अपने बारे में सत्य नही बताओगी, और वह प्रमिला की आंखों में देखती हुई उत्तर की प्रतीक्षा करने लगी।
कुछ सेकंड्स के लिए काम खेल में विश्राम आ गया था, प्रमिला मस्ती के आलम से बाहर निकली और सोचने लगी , बात तो स्वाति सही कह रही है क्या उसे मुझे पूरी तरह जानने का हक नहीं है। हां पूरा है उसने खुद से कहा और वह पूरे मन से फिर खेल में शामिल होती हुई एकदम से बैठ गई और बोली स्वाति जैसे तुमने अपनी वास्तविकता मेरे सामने जाहिर कर दी है में भी तैयार हूं खुद को तुम्हारे सामने सब कुछ कहने को, पूछो क्या जानना और कहना चाह रही थी अभी मुझसे मेरी बन्नो, और स्वाति को आलिंगन भरा और उसके मीठे रस से भरे होंठो को अपने होठों में भींच कर एक गहरा सेक्स से भरा चुम्बन लेना प्रारंभ किया। दोनों डूब गए एक बार फिर से चूत की प्यास में। दोनों की चूतेँ चरमराई और दोनों चूतें खिसक कर आपस में मिल गई, दोनों के हाथ एक दूसरे के चूचों को मसल रहे थे और चू तें हौले हौले एक दूसरे से रगड़ खा रही थी।



जिस जिस पाठिका का बहुत बुरा हाल है और खुद पर काबू नहीं है चूत रस भरभरा कर बह रहा हैं कॉमेंट box में स्वीकार करें, इस कहानी ने उनकी चूत को एक नया एहसाह और अंतहीन खलिश दी है, मुझे प्रेरणा मिलेगी और बेहतर देने के। नमन देवियों को, उनके असीम आनंद के लिए मैं कटी बद्ध हूं।
 
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