Afruza Sumi
Active Member
- 700
- 675
- 93
bahut hi mazader aurअब जबकि स्वाति रानी का बांध फूट चुका था और प्रमिला देवी रस के सागर में आकंठ डूबी हुई थी, वह इस खारे अमृत को हौले हौले स्वाद लेते हुए ग्रहण कर रही थी , स्वाति का नशा अब धरातल पर आ चुका था उसने प्रमिला को अपने छोड़े गए चूत रस को पूरे दिल से गटकते देखा उसे प्रमिला में एक सच्ची साथी नजर आने लगी, क्योंकि सेक्स अपनी जगह है और किसी को पूर्णतया आत्मसात कर लेना जो प्रमिला ने स्वाति को किया है स्वाति दिल से प्रमिला का सम्मान करने लगी अभी तक वो पति की बड़ी बहन के नाते आदर दिया करती थी मगर आज उसने जाना कि उसके तन मन और आत्मा को किस तरह खुद में समाहित कर सकता है वो प्रमिला ने उसके लिए किया है।
अब प्रमिला की बारी थी यौन सुख को भोगने की, उसने मुंह पास पड़े नेपकिन से पौंछ कर स्वाति के हाथ अपने कामेच्छा से लहर खाते वक्षों पर रख दिया और इंगित किया इनका भी तो उद्धार करो स्वाति महारानी।
स्वाति ने वक्ष पकड़ तो लिए मगर औपचारिक तरीके से, उसके मन में कुछ और चल रहा था, बोली दीदी आपने क्षणिक सुख तो दिया है मगर मेरी उस प्रार्थना का क्या होगा जो मैं अभी आप से कर रही थी। प्रमिला को झटका लगा ओह तो इसकी प्यास नहीं बुझी है अभी तक ये वाकई एक बहुत भयंकर चूदाई की आस लिए बैठी है वो भी एक स्पेशल मोटे लंबे और देर तक टिकने वाले लंड से।
दीदी, अच्छा तो मैं अब मेरी स्वा की दीदी बन गई जरा सा ज्वार क्या उतरा चूत की गर्मी का देवी को होश आ गया है, मेरी बन्नो अब मुझे पम्मो से दीदी बुलाएगी तेरी ये हिमाकत और ऐसा कहते हुए उसने स्वाति की घुंडियो को प्यार से मगर जोर से उमेठ दिया, स्वाति फारिग तो हुई थी मगर संतुष्ट नहीं, यौवन की कशिश उसके तन में पहले से भी ज्यादा तेज हो गई थी जब से उसने जाना था दीदी उसके लिए सब कुछ करेगी। वो aaaahhhh पम्मो कितना सताती है री तू, सुनकर प्रमिला बोली अब लाइन पर आई है, तेरे अनुरोध को जब तू पूरी चुदेल होकर गिड़गिड़ा रही थी मुझे तब ही यकीन हो चला था मेरी इस बेहद खूबसूरत काम वासना में जलती हुई सहेली का उद्धार करना ही है चाहे कुछ भी हो जाए। लेकिन एक बात बता क्या तेरा ही शरीर वासना के चरमोत्कर्ष किए तड़प सकता है क्या कोई और तुझे अभी नजर नहीं आ रहा जो तेरी सेवा करते हुए भी उसी ज्वाला में तूझसे भी अधिक जलता रहा है।
तुरंत स्वाति को बोध हुआ वह अपने स्वार्थ में दीदी की जलती काया को तो भूल ही गई , जो सुख आज इन्होंने दिया है क्या कभी में इसकी कल्पना भी कर सकती थी, लंड जैसा मैं सोच रही हूं वैसा मिले ना मिले मगर मेरा प्रथम कर्त्तव्य दीदी को उनके दिए से दुगना देना है।
अब उसने सोच लिया था वो किस तरह ये करेगी।
स्वाति ने कमान सम्हालते हुए प्रमिला को बिस्तर पर पीठ के बल सीधा लेटा दिया और उसी क्रीम से सिर्फ दोनों हाथों की उंगलियां बहुत गीली कर ली और प्रमिला की दाहिनी ओर बैठकर सीधी उनकी आंखो में देखते हुए उनके विशाल चूचों की सिर्फ घुंडियां उंगलियों और अंगूठे से पकड़ कर ज्यादा जोर देकर मसलने लगी, कोई भी औरत इस अहसास और सुख को जानती जब उसके पूर्ण मादक होने पर ऐसा किया जाता है। प्रमिला भी सिसक पड़ी, uunnhuun uunnnhuunnn स्वाति मैं कहां हूं ये क्या हो रहा है मुझे,
क्या हो रहा है पम्मो
तू तो जैसे जानती ही नहीं तेरे पास तो बोबें और चूत तो है ही नही जैसे, अरे मेरी मां मैं तो सच में आज मरी।
पम्मी जब से आई हूं देख रही हूं कैसी छमक झल्लो बनकर पूरे घर में भटकती रहती हैं।
प्रमिला क्या कह रही हो तुम, आंख खोलकर स्वाति को देखते हुए बोली।
स्वाति जिस तरह मैने अपने मन को दीदी आपके सामने बेझिझक खोल दिया, इतना कह कर उसने अपने हाथ उसके वक्ष से हटा लिए, और बोली क्या आप मुझे अपने बारे में सत्य नही बताओगी, और वह प्रमिला की आंखों में देखती हुई उत्तर की प्रतीक्षा करने लगी।
कुछ सेकंड्स के लिए काम खेल में विश्राम आ गया था, प्रमिला मस्ती के आलम से बाहर निकली और सोचने लगी , बात तो स्वाति सही कह रही है क्या उसे मुझे पूरी तरह जानने का हक नहीं है। हां पूरा है उसने खुद से कहा और वह पूरे मन से फिर खेल में शामिल होती हुई एकदम से बैठ गई और बोली स्वाति जैसे तुमने अपनी वास्तविकता मेरे सामने जाहिर कर दी है में भी तैयार हूं खुद को तुम्हारे सामने सब कुछ कहने को, पूछो क्या जानना और कहना चाह रही थी अभी मुझसे मेरी बन्नो, और स्वाति को आलिंगन भरा और उसके मीठे रस से भरे होंठो को अपने होठों में भींच कर एक गहरा सेक्स से भरा चुम्बन लेना प्रारंभ किया। दोनों डूब गए एक बार फिर से चूत की प्यास में। दोनों की चूतेँ चरमराई और दोनों चूतें खिसक कर आपस में मिल गई, दोनों के हाथ एक दूसरे के चूचों को मसल रहे थे और चू तें हौले हौले एक दूसरे से रगड़ खा रही थी।
जिस जिस पाठिका का बहुत बुरा हाल है और खुद पर काबू नहीं है चूत रस भरभरा कर बह रहा हैं कॉमेंट box में स्वीकार करें, इस कहानी ने उनकी चूत को एक नया एहसाह और अंतहीन खलिश दी है, मुझे प्रेरणा मिलेगी और बेहतर देने के। नमन देवियों को, उनके असीम आनंद के लिए मैं कटी बद्ध हूं।
bilkool faadu update diya hai bidu maja agayaअब जबकि स्वाति रानी का बांध फूट चुका था और प्रमिला देवी रस के सागर में आकंठ डूबी हुई थी, वह इस खारे अमृत को हौले हौले स्वाद लेते हुए ग्रहण कर रही थी , स्वाति का नशा अब धरातल पर आ चुका था उसने प्रमिला को अपने छोड़े गए चूत रस को पूरे दिल से गटकते देखा उसे प्रमिला में एक सच्ची साथी नजर आने लगी, क्योंकि सेक्स अपनी जगह है और किसी को पूर्णतया आत्मसात कर लेना जो प्रमिला ने स्वाति को किया है स्वाति दिल से प्रमिला का सम्मान करने लगी अभी तक वो पति की बड़ी बहन के नाते आदर दिया करती थी मगर आज उसने जाना कि उसके तन मन और आत्मा को किस तरह खुद में समाहित कर सकता है वो प्रमिला ने उसके लिए किया है।
अब प्रमिला की बारी थी यौन सुख को भोगने की, उसने मुंह पास पड़े नेपकिन से पौंछ कर स्वाति के हाथ अपने कामेच्छा से लहर खाते वक्षों पर रख दिया और इंगित किया इनका भी तो उद्धार करो स्वाति महारानी।
स्वाति ने वक्ष पकड़ तो लिए मगर औपचारिक तरीके से, उसके मन में कुछ और चल रहा था, बोली दीदी आपने क्षणिक सुख तो दिया है मगर मेरी उस प्रार्थना का क्या होगा जो मैं अभी आप से कर रही थी। प्रमिला को झटका लगा ओह तो इसकी प्यास नहीं बुझी है अभी तक ये वाकई एक बहुत भयंकर चूदाई की आस लिए बैठी है वो भी एक स्पेशल मोटे लंबे और देर तक टिकने वाले लंड से।
दीदी, अच्छा तो मैं अब मेरी स्वा की दीदी बन गई जरा सा ज्वार क्या उतरा चूत की गर्मी का देवी को होश आ गया है, मेरी बन्नो अब मुझे पम्मो से दीदी बुलाएगी तेरी ये हिमाकत और ऐसा कहते हुए उसने स्वाति की घुंडियो को प्यार से मगर जोर से उमेठ दिया, स्वाति फारिग तो हुई थी मगर संतुष्ट नहीं, यौवन की कशिश उसके तन में पहले से भी ज्यादा तेज हो गई थी जब से उसने जाना था दीदी उसके लिए सब कुछ करेगी। वो aaaahhhh पम्मो कितना सताती है री तू, सुनकर प्रमिला बोली अब लाइन पर आई है, तेरे अनुरोध को जब तू पूरी चुदेल होकर गिड़गिड़ा रही थी मुझे तब ही यकीन हो चला था मेरी इस बेहद खूबसूरत काम वासना में जलती हुई सहेली का उद्धार करना ही है चाहे कुछ भी हो जाए। लेकिन एक बात बता क्या तेरा ही शरीर वासना के चरमोत्कर्ष किए तड़प सकता है क्या कोई और तुझे अभी नजर नहीं आ रहा जो तेरी सेवा करते हुए भी उसी ज्वाला में तूझसे भी अधिक जलता रहा है।
तुरंत स्वाति को बोध हुआ वह अपने स्वार्थ में दीदी की जलती काया को तो भूल ही गई , जो सुख आज इन्होंने दिया है क्या कभी में इसकी कल्पना भी कर सकती थी, लंड जैसा मैं सोच रही हूं वैसा मिले ना मिले मगर मेरा प्रथम कर्त्तव्य दीदी को उनके दिए से दुगना देना है।
अब उसने सोच लिया था वो किस तरह ये करेगी।
स्वाति ने कमान सम्हालते हुए प्रमिला को बिस्तर पर पीठ के बल सीधा लेटा दिया और उसी क्रीम से सिर्फ दोनों हाथों की उंगलियां बहुत गीली कर ली और प्रमिला की दाहिनी ओर बैठकर सीधी उनकी आंखो में देखते हुए उनके विशाल चूचों की सिर्फ घुंडियां उंगलियों और अंगूठे से पकड़ कर ज्यादा जोर देकर मसलने लगी, कोई भी औरत इस अहसास और सुख को जानती जब उसके पूर्ण मादक होने पर ऐसा किया जाता है। प्रमिला भी सिसक पड़ी, uunnhuun uunnnhuunnn स्वाति मैं कहां हूं ये क्या हो रहा है मुझे,
क्या हो रहा है पम्मो
तू तो जैसे जानती ही नहीं तेरे पास तो बोबें और चूत तो है ही नही जैसे, अरे मेरी मां मैं तो सच में आज मरी।
पम्मी जब से आई हूं देख रही हूं कैसी छमक झल्लो बनकर पूरे घर में भटकती रहती हैं।
प्रमिला क्या कह रही हो तुम, आंख खोलकर स्वाति को देखते हुए बोली।
स्वाति जिस तरह मैने अपने मन को दीदी आपके सामने बेझिझक खोल दिया, इतना कह कर उसने अपने हाथ उसके वक्ष से हटा लिए, और बोली क्या आप मुझे अपने बारे में सत्य नही बताओगी, और वह प्रमिला की आंखों में देखती हुई उत्तर की प्रतीक्षा करने लगी।
कुछ सेकंड्स के लिए काम खेल में विश्राम आ गया था, प्रमिला मस्ती के आलम से बाहर निकली और सोचने लगी , बात तो स्वाति सही कह रही है क्या उसे मुझे पूरी तरह जानने का हक नहीं है। हां पूरा है उसने खुद से कहा और वह पूरे मन से फिर खेल में शामिल होती हुई एकदम से बैठ गई और बोली स्वाति जैसे तुमने अपनी वास्तविकता मेरे सामने जाहिर कर दी है में भी तैयार हूं खुद को तुम्हारे सामने सब कुछ कहने को, पूछो क्या जानना और कहना चाह रही थी अभी मुझसे मेरी बन्नो, और स्वाति को आलिंगन भरा और उसके मीठे रस से भरे होंठो को अपने होठों में भींच कर एक गहरा सेक्स से भरा चुम्बन लेना प्रारंभ किया। दोनों डूब गए एक बार फिर से चूत की प्यास में। दोनों की चूतेँ चरमराई और दोनों चूतें खिसक कर आपस में मिल गई, दोनों के हाथ एक दूसरे के चूचों को मसल रहे थे और चू तें हौले हौले एक दूसरे से रगड़ खा रही थी।
जिस जिस पाठिका का बहुत बुरा हाल है और खुद पर काबू नहीं है चूत रस भरभरा कर बह रहा हैं कॉमेंट box में स्वीकार करें, इस कहानी ने उनकी चूत को एक नया एहसाह और अंतहीन खलिश दी है, मुझे प्रेरणा मिलेगी और बेहतर देने के। नमन देवियों को, उनके असीम आनंद के लिए मैं कटी बद्ध हूं।