महारानी देवरानी
अपडेट 96
रगड़ाई अभी बाकी है
सुहागरात सुबह 6 बजे
देवरानी, "राजाजी सुबह हो गई है घड़ी की ओर देखिये 6 बज गए हैं।"
बलदेव मुस्कुराता है और देवरानी को अपने गोद में उठा कर फिर बिस्तर पर ले आता है।
"मेरी पत्नी, मेरी रानी शायद आप भूल गई आज दोपहर तक, आज आपका पति, आपका बेटा, आपकी ठुकाई करेगा ऐसा वह राजमहल में सबको सूचित कर आया है।"
ये सुनते हे देवरानी शर्मा कर बलदेव के सीने में अपना मुंह छुपा लेती है। वह अंदर ही अंदर मुस्कुरा रही थी जिसे देख कर बलदेव भी मुस्कुरा देता है।
"क्यू रानी शर्मा रही हो, अपने बेटे का प्यार और नहीं चाहिए आपको?"
देवरानी बलदेव के गले लगे हुए अपने नाखुन बलदेव के पीठ पर चुभाती है।
बलदेव: उह आह साली! "
बलदेव देवरानी को बिस्तार पर पटक देता है।
देवरानी: हेहेह आह राजा!
बलदेव के पास रखा तेल उठा लेता है और फिर से सरसो के तेल देवरानी के पागल कर देने वाले शरीर पर उड़ेल देता है।
"साली तेरी चूत में भी कम खुजली नहीं है मेरी रानी माँ!"
"भूल गया मैं तेरी माँ भी हूँ तो तुमसे कम नहीं हूँ मेरे जंगली घोड़े!"
"क्या कहा तूने?"
"घोड़ा!"
और देवरानी हस देती है।
बलदेव देवरानी के ऊपर चढ़ जाता है।
"अभी बताता हूँ।"
"तो बता दो मना किसने क्या है।"
"ये ले मेरी रानी!"
बलदेव अपना बड़ा लौड़ा जो हथोड़े-सा कड़ा हो गया था और तेल लगाने पर गरम लोहे-सा दहक रहा था, देवरानी के बड़े पपीतो के बीच घिसने लगा ।
देवरानी आहे भारते हुए अपने दूध पर लगे तेल को मल रही थी । बलदेव अपने लौड़े को पकड़े आगे पीछे अपनी माँ के दूधो के बीच लौड़ा फंसाए अपनी माँ के भारी मम्मो को चोद रहा था।
"आआआह माँ कितने मुलायम और रसीले वक्ष है आआह आपके आआह!"
"आह बेटा! इसलिए ये तेरा सांप मेरे वक्षो को घिस के अपना बिल बनाने का प्रयास कर रहा है।"
"आह माँ तुम्हारे इन भारी वक्षो को हिलते हुए देख बहुत तड़पा हु। इन्हे चोद कर ही मेरा लौड़ा ठंडा होगा। आह इन दोनों ने मेरे लंड को बहुत परेशान किया है।"
"आह राजा ऐसा है क्या, तो ले आआह इसे रगड़ दू। सब गुस्सा थूक देगा ये हथौड़ा।"
देवरानी बलदेव को पीछे ढकेलती है, खुद अपने हाथो में भारी मम्मो को दबाये अपने बेटे का लंड अपने वक्षो के बीच दबाये घिसने लगती है और ऊपर नीचे करने लगती है।
" आआह माँ आआह ऐसे ही माँ । चूत चोदने में इतना मजा नहीं आया जितना तेरे ये वक्षो को चोदने में आ रहा है।
"आह राजा चोद न। रात से सुबह हो गई पर तेरा ये वीर सोने का नाम नहीं ले रहा। आह!"
"तेरे जैसा माल के होते हुए ये सो जाए ऐसा हो नहीं सकता।"
ये कहते हुए बलदेव देवरानी को धक्का दे कर लिटा देता है और अपना लौड़ा देवरानी की चूत पर रखता है देवरानी अपनी टाँगे खोल लेती है।
बलदेव बिना समय गवाए "खच्च से" अपना लौड़ा अपनी माँ की चूत में घुसा देता है।
"आआह राजा!"
देवरानी की चुत पर ये करारा प्रहार था जिसे वह आहे भर के दर्द बर्दाश्त कर लेती है। बलदेव अपनी गति से लौड़ा आगे पीछे करने लगता है।
"आआह राज आआआ आआआह राआआआआ आआहह!"
फिर अंडकोष और नितम्ब टकराने पर आवाज आने लगती है ।
"घप्पप्प घप्पप्प घप्प-घप्प घप्प आआआह राआआआआ आह!"
"आआह राजा तूने तो अपनी माँ के अंग अंगको खोल के रख दिया! राजा हा ऐसे हे राजा आआह मेरे राजकुमार मेरे पति देव आआह ऐसे ही!"
"आह माँ तेरी जवानी का मजा किसी ने लूटा नहीं कभी। तेरी जवानी तो दिन रात मजा लेने के लिए ही बनी! आह ये ले आह्हः!"
"गहप्पप्प घप्प पच्छ पछ" की आवाज के साथ चूडियो और पायल की छन्न-छन्न की आवाज गूंज रही थी"
"मां तुम खुश तो हो ना मुझसे ब्याह रचा के? आह ये ले!"
"आह धीरे आह राजा तुझ जैसा चोदू पति पाकर मैं धन्य हो गई! आआह ऐसे ही आह!"
"आह माँ ये ले! आह लगता है तेरी मुनिया पानी छोड़ रही है । आआह बहुत प्यासी थी ना तेरी मुनिया?"
"हाँ राजा बहुत तड़पी, आहा हा बहुत तरसी है ये । बहुत बरसो तक अकाल रहा इस धरती पर । मुनिया सालों की प्यासी थी, अब इसका सच्चा रखवाला मिल गया है जो इसे हमेशा हरा भरा रखेगा।"
बलदेव ये सुन कर जोश में आ जाता है फिर ज़ोर से धक्के लगाने लगता है।
"आआआह आआ आआआ नहीं आआआह! मैं मर गई । आआआह रुक्कक ओह्ह आआह! धीरे राजा नहीं आआआह ओह जानवर आआआह आराम से ।"
देवरानी को धक्के लगाते हुए बलदेव देवरानी की गांड पर थप्पड मार रहा था । देवरानी दर्द और प्यार दोनों के मिश्रन से एक नए प्रकार के सुख पा रही थी। जैसा उसने कभी सोचा भी नहीं था।
"आह रानी क्या हुआ फट गई चूत आह ये ले" घप्प"आआह क्यू लौड़ा निकाल दू आह" घप्प! "
"आह राजाआ आह दर्द हो रहा है पेट में । आआह हर धक्के से, आआह राजा ऐसे मैं कभी नहीं चुदी! आआह ऐसे ही करते रहो। मत निकालो भले में कुछ भी कहू। मेरी इस योनि ने बहुत पानी निकाला है । इस मजबूत लिंग ने!"
"आह माँ आज इस चूत की गर्मी ना झाड़ दी, तो मेरा नाम बलदेव नहीं। बहुत परेशान करती थी ना मेरी माँ को!"
"हाँ आह राजा!"
"माँ पलट जाओ ताकि पीछे से पेल लू अब!"
देवरानी ये सुनते हे पतिवर्ता पत्नी की तरह बात मानते हुए चरण पलट कर घोड़ी बन जाती है। "
"घोड़ी बन जा माँ!"
"बन गई ना घोड़ी!"
"हाँ अब तेरा घोड़ा तेरा बेटा तुझे पीछे से पेलेगा!"
"आह राजा घोड़ी तैयार है चढ़ जा । पेल ले!"
बलदेव देवरानी के दोनों मोटे नितम्ब हाथ में पकड़ कर दबा लेता है।
"आह माँ इन मटको जैसी गांड को जब तू मटकती थी तो मेरे दिल की धड़कन रुक जाती थी । आह!"
बलदेव अपना लौड़ा अपनी माँ की गांड में फंसा कर आगे पीछे करने लगता है।
आआह! राजा ऐसा लग रहा है कि मैंने ये सब सपने में देखा है। आह उम्म्म! "
"क्या देखा सपने में, कब देखा बोलो देवरानी?"
"आह राजा जब हमारा प्रेम आरंभ ही हुआ था शायद तब मेरे सपने में एक हट्टा कट्टा जवान आया वह मुझे ऐसे ही भोग रहा था जैसे तुम कर रहे हो और अंत में जा कर जब उसका चेहरा दिखा तो वह तुम थे।"
"आह रानी तो मेरे प्रेम में पड़ कर मेरे से उसने खुद को सपने में चुदवाया था"
"हाँ राजा या तब ये मुनिया बहुत परेशान रहती थी"।
"मेरी पत्नी जी आप अपना खज़ाना हमें कब लूटने दोगी, किले को तो चोद लिया खज़ाना भी लूटने दो जिसे आज तक छू नहीं पाया।"
"आह राजा जी अब तो हम जीवन भर साथ रहेंगे इतने उतावले क्यू हो रहे हो मैं पूरी आपके हूँ।"
"आह माँ मुझे तुम्हारी इस मटको जैसी गांड ने मुझे बहुत सताया है । इसे खोद के, इस मटके को फोड़ अपने हिस्से का पानी पीना चाहता हूँ ।"
"राजा जी क्षमा करे मुझे मना नहीं करना चाहिए अपने पति को, पर अगर आज आपने मेरे पीछे किया तो मैं मर जाऊंगी इतनी थकी हुई हूँ मैं आज ।"
"आह ऐसा है । चलो कोई नहीं रानी, आज रात में तुम्हारी गांड के छक्के छुड़ा दूंगा अभी चूत की आग ठंडी कर दूं।"
ये कहते हुए बलदेव अपना लौड़ा देवरानी की चूत के मुहाने पर रखता है।
"आह माँ चूत कितनी गरम हो रही है आह पीछे आओ आआह ले लो अपने बेटे का मूसल!"
देवरानी पीछे अपनी गांड को करती है।
"आआह राजा लोहे जैसा लौड़ा है आपका आआह!"
पीछे जाते हुए देवरानी अपनी चूत में लौड़ा लेने लगी फिर एक बार कमरे में फच्च पच की आवाज गूंजने लगी । बलदेव ने जोरदार झटके मारना शुरू कर दिए!
"आआआह माआआ ये ले "घप्प"आआआह माआआ मेरी पत्नी आआआह ये ले "घप्प ! "
"आह राजा ऐसे ही आआह मेरे पेट में चुभ रहा है, तुम्हारा मूसल महारानी देवरानी
हाआए आआह मैं मर गयी! "
कुछ देर यू ही पेलने के बाद देवरानी झड़ने लगती ! है.
“आआआह आआआहह गई मैं राजाआआआआआह ओह्ह्ह्ह आआआ ! ”
देवरानी चिल्लाते हुए आखे बंद किये झड़ रही थी . बलदेव झटके मारे जा रहा था . कुछ देर में अपने बदन को ऐठते हुई देवरानी पूरी झड़ जाती है.
"आआह राजा मेरे घुटने दुख गए आआह आराम से करो . "
"आह माँ तुम्हारी चूत ने पूरा पानी मेरे लौड़े पर छोड़ दिया आह ! "
"आह राजा आह ! "
बलदेव देखता है उसकी मां के घुटने अब कांप रहे थे देवरानी अपनी भारी भरकम बदन झुके झुके पिलवाती हुई थक गई थी.
बलदेव "सट्ट"से अपना लौड़ा खीचता है और बिस्तार पर लेट जाता है.
"मां आजाओ मेरे ऊपर! "
देवरानी झट से ऊपर चढ़ जाती है और बलदेव के खड़े लंड को अपनी चूत के मुहाने पर रख बैठ जाती है.
"आआआह माआआ आआआह! मेरी रानी तुम कितनी कामुक स्त्री हो. "
"आह राजा सिर्फ और सिर्फ मेरे पति के लिए हूं. "
देवरानी अपनी बड़ी गांड को ऊपर ले कर अपने बेटे के लौड़े पर पटकती है और बलदेव आहे भरते हुए अपनी माँ की चूत के मजे ले रहा था.
"आआह माँ ऐसे ही आआआह मजा आ गया क्या कैसी हुई चूत है आआह! "
कुछ देर ऊपर करते हुए देवरानी अब धीरे-धीरे उठक बैठक करने लगी और लंबी सांसे भर रही थी जिसे बलदेव गौर से देख रहा था.
तभी कुछ गिरने की आवाज आती है या दोनों का ध्यान भंग होता है देवरानी या बलदेव दोनों का रुक कर ध्यान से सुनते हैं तभी एक आवाज आती है.
"ओ राधा कहा मर गयी? रसोई में आ नाश्ते की तैयारी करनी है. "
देवरानी: कमला है! मेरे राजा !
बलदेव: क्या आवाज थी ये?
देवरानी: अरे मेरे राजा चिंता क्यों करते हो बर्तन गिरने की आवाज थी ये, कमला और राधा फिर आपस में लड़ रही होंगी .
बलदेव हाथ आगे बढ़ा कर देवरानी की गांड पकड़ कर नीचे से ऊपर की तरफ करारा झटका मारता है.
"आह राजा ! "
" इन लोगो को रसोई का काम करने दो, मुझे मेरी रानी की सेवा करने दो. "
"हैट बेशर्म! "
कह कर देवरानी नीचे हाथ ले जा कर लौड़ा को अपनी चूत से निकलते हुए उठती है.
पर जैसे बलदेव के लंड का सुपारा चूत में फंस जाता है.
"आह ये क्या. ये तो निकलने का नाम नहीं ले रहा है. "
"मां इसे आपकी मुनिया से प्यार हो गया है . आपकी मुनिया भी इसे नहीं छोड़ रही है . बैठ जाओ वापस! "
"अपने मुन्ना को समझाओ मुझे शौच जाना है. "
"अच्छा तो ऐसा कहो ना ऊपर उठो . चूत का मुँह छोटा होने के कारण फंस गया है. "
देवरानी ऊपर उठती है और बलदेव नीचे से खीचता है.
"स्लूरप् करके ढक्क्न खुलने की आवाज के साथ लैंड का सोपारा बाहर आता है यो चूत से ढेर सारा पानी नीचे गिरता है.
"माँ जल्दी आना! "
"बेटा सुबह हो गई है कमला कभी भी आ सकती है नाश्ता ले कर. और मेरा शरीर पूरा, तेल में डूबा हुआ है, नहा लेती हूं"
"माँ मैं भी चलू साथ में ?"
"मैं तुरन्त आती हूं मेरे राजा. "
"और इसका क्या . कुछ इसका ही करो. "
"ये तो दिन रात ऐसे ही खड़ा रहेगा तो अब हर काम बंद कर दू क्या इन महाशय के लिए. "
और देवरानी हसने लगती है जिसे देख बलदेव मुस्कुरा देता है.
देवरानी शौच हजार और फिर स्नान करने के लिए स्नान गृह में घुस जाती है . बलदेव चित पड़ा अपने और माँ के बीच बीती रात चुदाई के दृश्य को सोच मन हे मन गद गद हो रहा था उसे पता नहीं क्या सूझता है उठ खड़ा हो जाता है तो देखता है स्नानघर का दरवाज़ा खुला हुआ है.
बलदेव मन में ) माँ अब दरवाज़ा खुला रख कर नहा रही है तो मेरी क्या गलती
बलदेव स्नान घर में झाँक कर देखता है.
देवरानी अपनी धुन में नहा रही थी और उसके बड़े मोटे दूध हिल रहे थे.
"आह मां नहाते हुए अप्सरा लग रही हो" ये कह कर बलदेव स्नानघर में जाने लगता है. देवरानी चलने की आवाज सुनते हुए ही सब समझ जाती है और उसके मुंह से अपना आप निकल पड़ता है
"रुक जाइये ना जी आती हूँ ना मैं बाहर ! "
पर बलदेव कहा कुछ सुनने वाला था. वो अंदर घुस जाता है और देवरानी को भीगी हुई देख कर उसका लैंड तुनका मार कर और तन जाता है..बलदेव देवरानी की नजर मिलती है.
"मुझे पता था आप नहीं मानोगे"
"देवरानी जब पता है तो पूछो मत . मेरी जान! "
बलदेव आगे बढ़ कर देवरानी के भीगे वक्षो को पकड़ कर साबुन लगा कर झाग बना कर स्तन दबाने लगता है.
"आह राजा जी आप ना बड़े नटखट हो. "
"देवरानी अब हम पति पत्नी हैं और हम आज से साथ हैं ही नहाएंगे. "
"जैसा आपकी आज्ञा महाराज बलदेव. "
"महारानी देवरानी अब मेरे इस शेर को शांत कर दो. "
"महाराज कितना बड़ा है ये , कितना कड़ा है मेरे हाथ में नहीं आ रहा हैं. "
देवरानी बलदेव का लौड़ा अपने हाथ में लिए हुए हिलाते हुए कहती है.
जारी रहेगी