तेरे जाने का ग़म ,
और न आने का ग़म ,
फिर ज़माने का ग़म ,
क्या करें ?
राह देख नज़र ,
रात भर जागकर ,
पर तेरी तो खबर न मिले...
बहुत आई गई यादें ,
मगर इस बार तुम ही आना ,
इरादे फिर से जाने के ,
नहीं लाना , तुम ही आना...
मेरे दहलीज से होकर ,
बहारें जब गुजरती हैं ,
यहां क्या धूप क्या सावन ,
हवाएं भी बरसती हैं...
हमें पूछो क्या होता है ,
बिना दिल के जिए जाना ,
बहुत आई गई यादें ,
मगर इस बार तुम ही आना ,
कोई तो राह वो होगी ,
जो मेरे घर को आती है ,
करो पीछा सदाओं का ,
सुनो क्या कहना चाहती हैं ,
तुम आओगे मुझे मिलने ,
खबर ये भी तुम ही लाना ,
बहुत आई गई यादें ,
मगर इस बार तुम ही आना ,