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Mera shayri ka thread

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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ULTRA

Life isn't a film, don't End it..,
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Kabhi bhi koshish nahi ki hai hindi mein erotica poem likhne ki....... Ye first attempt hai Ristrcted Rahul Akki ❸❸❸ bhai batana kaisi lagi....
P.S :- I respect every gender and this poem is just a writing


मेरे संग ए मरमर से जिस्म को
बे लिबास कर दिया
मेरे दोनों पंछियों को आजाद कर दिया
मैं कुछ समझ पाती उसके पहले ही
उन दोनों को उसने अपने हाथों के पिंजरे में कैद कर लिया
उन्हें छूते ही मेरा तन बदन मचलने लगा
उन्हें वो पागलों की तरह चूमने लगा
मेरा रोम-रोम झूमने लगा
उन दोनों की चोच को वो सहलाने लगा
मेरी जवानी को वो बहलाने लगा
मेरी यौवन की तपती भट्टी पर उसने अपने होठों को रख दिया
हर बार कैची की तरह चलने वाली मेरी जुबान को,
कांपने के लिए मजबूर कर दिया
देखते ही देखते उसकी जुबान गहराइयां नापने लगी
मैं धीरे-धीरे हाफने लगी
धीरे-धीरे मेरे हाव-भाव बदलने लगे
मेरे सोए हुए अरमान मचलने लगे
मैं किसी बलखाती नागिन की तरह उसके जिस्म से लिपटने लगी
मैं उसे पागलों की तरह बेतहाशा चूमने लगी
मैं अपनी सारी अक्ल व जेहन खोने लगी
मैं अपने उभारों को उसके होठों पर रगड़ने लगी
मेरे अंदर की चिंगारी शोला बनकर धधकने लगी
मेरे नाखून उसके जिस्म में गढ़ने लगे
मेरी मोहब्बत का फ़साना उसके जिस्म पर उकेरने लगे
उसकी सांसे मेरी सांसों में घूलने लगी
मेरे जिस्म की महक इत्रसी महकने लगी
वो धीरे-धीरे मेरी कलाई को मरोड़ने लगा
एक-एक कर मेरी चूड़ियां टूटने लगी
धीरे-धीरे हम दोनों के दरमियान की दूरियां घटने लगी
मैं अपने आपे से छूटने लगी
उसकी बाहों में आकर टूटने लगी
उसकी उंगलियां मेरे हर एक मोड़ से होते हुए,
मेरे उभारों को छूते हुए,
अपने आखिरी अंजाम तक पहुंचने लगी
उसके होंठ इंच दर इंच मेरे जिस्म को नापने लगे
अपनी मोहब्बत की निशानियों को मेरे जिस्म पर छापने लगे
वो धीरे-धीरे मेरी पंखुड़ियों को मसलने लगा
उसका हाथ मेरे जिस्म पर फिसलने लगा
मेरी यौवन की कली को वो कुचलने लगा
मेरा रोम-रोम मचलने लगा
मैं कसमसाने लगी
मैं ताश के पत्तों की तरह बिखरने लगी
वो मुझे संवारने लगा
मैं उसके आगोश में सिमटने लगी
बिस्तर की सिलवटें बढ़ने लगी
मेरे अंदर की औरत तड़पने लगी
वासना की अग्नि भड़कने लगी
यौवन की भट्टी तपने लगी
किसी मोम की तरह मैं धीरे-धीरे पिघलने लगी
वो धीरे-धीरे मुझ पर हावी होने लगा
वो मुझे औरत होने का एहसास दिलाने लगा
उसे जो चाहिए था उसे वो मिलने लगा
मेरी कलियां धीरे-धीरे खुलने लगी
उनपर सुनहरी बूंदे चमकने लगी
अगले ही पल वो मेरे भीतर दाखिल होते हुए,महसूस होने लगा
वो मेरी गहराइयों को धीरे-धीरे छूने लगा
मैं ना हंस पा रही थी,ना रो पा रही थी
ना सेह पा रही थी,ना केह पा रही थी
उस मीठे से दर्द में कहीं खो सी जा रही थी।
:claps: bahut behtreen rachna hai dost...
 

ULTRA

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करीब आने की आतुरता
अपनी बातों में झलकाती हो
आती है जब बारी एक दूजे में समाने की
बहुत सकपकाती हो..

मोहब्बत के रंग निगाहों में छुपाती हो
होती है जब मीयाद इनसे रंगने की
बड़ा शर्माती हो..

प्यास अपने लबों पे छलकाती हो
आती है जब घड़ी बुझाने की
क्यूं घबराती हो..

लालसा अपनी दांतों से होठों को काट जाती हो
आता है आलम जब बेकरारी मिटाने का
क्यूं डर जाती हो..

चाहत का नशा अपनी
जुल्फ़ें बलखा कर जताती हो
आता हूँ जब उनकी छांव मांगने
दूर हट जाती हो..

कमर लचकाती हुई गज़ब का क़हर ढाती हो
आती है रूत जब मिलन की
मुझसे कतराती हो..

यौवन की लाली गालों पे टहकाती हो
आती है बेला जब उन्हें छूने की
पीछे सरक जाती हो..

तन कर अपने जोबन को ललचाती हो
आता हूँ लेने जब तुम्हें आगोश में
पीछे छुप जाती हो..
superb
 

Iron Man

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Rahul

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करीब आने की आतुरता
अपनी बातों में झलकाती हो
आती है जब बारी एक दूजे में समाने की
बहुत सकपकाती हो..

मोहब्बत के रंग निगाहों में छुपाती हो
होती है जब मीयाद इनसे रंगने की
बड़ा शर्माती हो..

प्यास अपने लबों पे छलकाती हो
आती है जब घड़ी बुझाने की
क्यूं घबराती हो..

लालसा अपनी दांतों से होठों को काट जाती हो
आता है आलम जब बेकरारी मिटाने का
क्यूं डर जाती हो..

चाहत का नशा अपनी
जुल्फ़ें बलखा कर जताती हो
आता हूँ जब उनकी छांव मांगने
दूर हट जाती हो..

कमर लचकाती हुई गज़ब का क़हर ढाती हो
आती है रूत जब मिलन की
मुझसे कतराती हो..

यौवन की लाली गालों पे टहकाती हो
आती है बेला जब उन्हें छूने की
पीछे सरक जाती हो..

तन कर अपने जोबन को ललचाती हो
आता हूँ लेने जब तुम्हें आगोश में
पीछे छुप जाती हो..
bahut badhiya bhai ji kya baat kahi hai:applause:
 
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Rahul

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कर रही हो जो ये शरारत,कहीं महंगी ना पड़ जाए
तुम्हें चूमने के चक्कर में,

मेरे होठों और जुबान में कहीं जंग ना छिड़ जाए
अगर ये जंग छिड़ गई,

तो इसका खामियाजा तुम्हें ही भुगतना होगा
मेरे होठों के साथ-साथ,
तुम्हें मेरी जुबान को भी खुश करना होगा

अगर होंठों से होंठ सट गए,
तो तेरी बोलती बंद हो जाएगी

तुझे कुछ समझ में आए, इसके पहले ही,
मेरी जुबान तेरे जिस्म के हर एक हिस्से को छू जाएगी

तैरे संग-ए-मरमर से जिस्म पर,
मेरी जुबान कारीगिरी करती नजर आएगी

तेरे बदन के हर एक हिस्से पर,मेरी याद छोड़ती चली जाएगी
छूते ही तुम्हारे जिस्म को,मेरी उंगलियां धड़क उठेंगी,

दबी है जो तुम्हारे सीने में औरत नाम की चिंगारी,
वो शोला बनके धधक उठेगी

फिर चाह कर भी मुझे रोक नहीं पाओगी,
अगले ही पल मुझे,
तुम्हारे भीतर दाखिल होते हुए,महसूस कर पाओगी

ना हंस पाओगी,ना रो पाओगी,
ना सेह पाओगी,ना कह पाओगी

उस मीठे से दर्द में कहीं खो जाओगी
मगर ये सब करने से पहले
तुम मेरी GF से मेरी WIFE हो जाओगी
awesome bhai ji
 
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करीब आने की आतुरता
अपनी बातों में झलकाती हो
आती है जब बारी एक दूजे में समाने की
बहुत सकपकाती हो..

मोहब्बत के रंग निगाहों में छुपाती हो
होती है जब मीयाद इनसे रंगने की
बड़ा शर्माती हो..

प्यास अपने लबों पे छलकाती हो
आती है जब घड़ी बुझाने की
क्यूं घबराती हो..

लालसा अपनी दांतों से होठों को काट जाती हो
आता है आलम जब बेकरारी मिटाने का
क्यूं डर जाती हो..

चाहत का नशा अपनी
जुल्फ़ें बलखा कर जताती हो
आता हूँ जब उनकी छांव मांगने
दूर हट जाती हो..

कमर लचकाती हुई गज़ब का क़हर ढाती हो
आती है रूत जब मिलन की
मुझसे कतराती हो..

यौवन की लाली गालों पे टहकाती हो
आती है बेला जब उन्हें छूने की
पीछे सरक जाती हो..

तन कर अपने जोबन को ललचाती हो
आता हूँ लेने जब तुम्हें आगोश में
पीछे छुप जाती हो..

Tharki poem. :D It seems like speaking aloud thoughts of every man. Very sexually charged but unfortunately not my type. I like a dominant man who takes what he wants either by force or manipulation. Try something like that some time? :D
 
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