तेरी गर्म सांसों की सरगोशियों से
मैं थोड़ा बहक जाता हूँ
तेरे जिस्म के हर उभार पर थोड़ा ठहर कर
फिर बहक जाता हूँ
तर ब तर तुम भी हो मैं भी हूँ
सिलवटों के बहाने के लिए
मैं तुमपर बिखर जाता हूँ
सब रफ़्तार में है
और वक़्त ठहरा है
शोर है कानों में
मगर ख़ामोशियों का पहरा है
तेरे शबनम की हर बूंद से
मैं रोम रोम महक जाता हूँ
खरोचों मुझे पुरज़ोर से
भींच लो मुझे उस छोर में
कि यूँ भिगो कर तुम्हें
मैं... दहक जाता हूँ।
This one is more passionate and soulful