UPDATE-22
उसकी नाक मेरे क्लाइटोरिस (चूत का दाना ) पर दवाब डालती हुई रगड़ खा रही थी .
उफ़ मस्ती का वो आलम था कि मेरा एक हाथ अपने आप उसके सिर तक गया और उसके बालो को पकड़ लिया
आअह्ह्ह ..,,,,,,,
मेरी कमर कमान की तरह ऊपर तन गई कि मेरी चूत ने अपना दवाब अब उसके होठो पर दिया ,,,,,,
मेरे मुँह से बेशर्मी से भरे शब्द निकले ,,, " खा जा ,,, खा अह्ह्ह "
उसने मेरी बात जरूर सुन ली होगी तभी तो उसने एक दम अपना मुँह खोला और चूत को पूरी तरह अपने मुँह में भर कर भभोड़ दिया
माँ माँ आअह्ह्ह ,,,,,
दर्द कि टीस,,, और मस्ती कि कंपकपी ...,,,
उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़
वो पल थे या आग का वक़्त था जो मेरे वजूद को सेक्स से जलाता चला गया
में बेबस सी बस बहती चली गई
भभोड़ना पूरा भी न हुआ था कि मैंने अपनी चूत के छेद में कुछ फिसलता मसहूस किया , उफ्फफ्फ्फ़
उसकी एक ऊँगली ने मेरी बिना इज़ाज़त के मेरी गहराई नाप ली
चिहुंक उठी मैं,,, हल्का दर्द और मस्ती कि तरंग ,,,
बस मेरे हलक से आआआआ हह अहह भरी सिसकी ही निकल पाई ,
कास कर उसके बालो को मैंने मस्ती में खींचा, इतना क्या मेरा करना हुआ कि बदले में उस निगोड़े इंसान ने हरकत कर ही दी
आईईईई .........,,,,,
उसकी दूसरी ऊँगली अपनी साथी ऊँगली का साथ देने मेरे अंदर चली आई ,जैसे उसके बाप का राज़ हो
माँ अह्ह्ह्ह
और वही हुआ जिसका ख्याल एक दम बस आया ही था मेरे दिमाग कि ये न हो जाये , उसने अपनी तीसरी ऊँगली , इस बार , हाँ कह सकती हूँ मैं , उसने अपनी तीसरी ऊँगली बेदर्दी से मेरे अंदर घुसेड़ दी ,,
एआईईईए नो नो ंन्न न न न न ीीी आईएईएइ
हल्की चीख के साथ मैंने पलटना चाहा मगर उसने अपना चेहरा मेरे पेट पर लेकर वो दवाब बनाया कि कि मैं अपनी गांड और कमर का निचला हिस्सा हिला भी न सकी,
अगले ही पल एक झटका दिया उसने अपने हाथ को और ,,,माँ मा आइए अह्ह्ह रुक जा ,,,,,,
तीनो उँगलियों को एक बलशाली बेदर्द साथ जो मिला तो वो मेरे अंदर झटके के साथ गुस्ती चली गई
इस बार वार इतना तीखा था कि उसके हाथ छोटी ऊँगली और अंगूठा इतने जोर से मेरे चूत के मांस से टकराया कि लगा हड्डी और उसके अंगूठे के बीच पीसकर चूत का मांस फट जायगा ,
आह माँ उफ्फ्फफ्फ्फ़ ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
और बोल भी क्या सकती मैं उस वक़्त
समर अब थोड़ा सा पीछे हटा , मुझे सिर से पाँव तक घूरने लगा , अब मैं ठीक होने लगी थी , उसके घूरने पर मैं मुस्कुराई
क्या बोल रही थी ,,,
समर के इस सवाल पर मैं कुछ न बोल पाई ,,,
बोल न ,,,
फिर से उसने पुछा ,,,
खा जा ,,हम्म ये बोल रही है जान बोल ,बोल
समर जैसे मुझे छेड़ने लगा ,
मैंने शर्म से आँख निचे झुखा ली ,, उसका शरीर थोड़ा आगे बड़ा और मेरे पेट नाभि पर हाथ फेरता हुआ समर मेरी बगल में लेट गए ,
उनका हाथ मेरे शरीर पर कोमलता से फिसलता हुआ मेरे बूब पर आया और अह्ह्ह ,,, हल्के से उन्होंने दबाया , जैसे अपने किये कि माफ़ी मांग रहे हो , हुए मेरे कान का निचला भाग ,, उफ्फ्फ
उनके होठो कि गिरफ्त में कब आया मैं जान भी न सकी ,,
स्स्स्सस्स्स्श ,, आआ हह
सिरहन सी दौड़ पड़ी मेरे अंदर , मेरे कानो को उनकी जींद ने छुआ और होठो ने गीलेपन के साथ मेरे कानो के लॉ को चुबलाना शुरू कर दिया ,
समर समर समर,,, उफ्फ्फ उसकी जुबान मेरी कानो के होल से टकराई ,,अह्ह्ह माँ
और जैसे वो मेरे कान के अंदर जाने कि कोशिश कर रही हो ,, अंदर तो न जा पाई मगर उस कोशिश में मेरे कान गीले हो रहे थे और माँ अह्ह्ह ,,,
ब्यान न कर पाऊँगी उस पल को ,,वो अहसास ,,,
आइए ीे इ इ मेरे निप्पल को उनके उँगलियों ने छेड़ना शुरू कर दिया था ,, और निप्पल को हल्का बहार कि तरफ खींचते हुआ अब उनके होठ मेरी नरम गर्दन के साइड पर हल्के हल्के चूमते हुए वहां अपने होठ रगड़ रहे थे , यही मेरी कमजोरी है , अगर कोई अपने होठ गर्दन पर रगड़ना शुरू कर दे तोह मैं बहक जाती हूँ
और यहां तो मैं बहक चुकी थी पहले से ही
अब मेरे अंदर सेक्स का उबाल शुरू हुआ ,, मेरी दोनों टाँगे बलखाने लगी , जाँघे भी आपस में मिलकर खुद को रगड़ रही थी ,