Aaryapatel
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You ar Right brother aaj update aa raha the aur wo bhi 3,4 update aa rahe the pata nhi abhi tak upload kyu nhi kiye Rachit brother ne.....Jitani badiya story utane hi slow update yaha ka rule ban gaya jese
kahan hai aap Ka Update Rachit Bhaiआज दिन में update आएगा यारो ।
Bilkul different socha h apne .. please complete kijiyeUpdate- 2
_____अब तक आपने पढ़ा_____
बिस्तर पर जब गब्बर सिंह सोने लगा कि अचानक उसने फिर से वही खामोशि महसूस की और उसने अपने कानों पर हाथ रख लिए ।
दोस्तो इसकी वजह ये थी कि गब्बर सिंह के कानों में बस एक ही आवाज गूंज रही थी ।
और वो आवाज थी गांव वालों की - नैना नैना नैना नैना ---------
_______अब आगे_______
अब इस घटना को 10 - 15 दिन बीत चुके थे ।
उधर गब्बर सिंह की नींद उड़ी हुई थी । वह पाना चाहता था शीतल को क्योंकि जिस लड़की की उसे तलाश थी वही शीतल है ऐसा गब्बर सिंह को लग रहा था ।
गांव में भी हालात नॉर्मल होने लगे।
1 दिन गब्बर सिंह ने भीमा को बुलाया ।
गब्बर सिंह - भीमा मैं देखना चाहता हूं कि शीतल वही लड़की है क्या जिसकी मुझे तलाश है ।
भीमा - मालिक मुझे तो वही लड़की लगती है। क्योंकि उसकी गांड और चूत नहीं देखे क्या आपने ?
तभी गब्बर सिंह ने घूरते हुए भीमा की तरफ देखा , भीमा सपकपा गया।
भीमा - माफी चाहता हूं मालिक , मैं अपनी होने वाली भाभी के बारे में ऐसा बोला। मैं तो कहता हूं शीतल ही हमारी भाभी है । जिसकी आपको तलाश है।
यह सुनकर गब्बर सिंह मुस्कुरा पड़ा ।
गब्बर सिंह - भीमा हम उस लड़की की पहचान करना चाहते हैं। हम देखना चाहते हैं कि वह वही लड़की है क्या या कोई सामान्य लड़की । इसलिए आज अपने आदमियों को लेकर जाओ और उसे हमारी हवेली पर लेकर आओ । हम तैयार मिलेंगे ।
भीमा समझ गया उसे क्या करना है , वो बस इतना ही बोल पाया- जी मालिक । और गब्बर सिंह के सामने से चला गया ।
दोस्तों गब्बर सिंह की हवेली गांव के बिल्कुल बीचो-बीच बनी हुई थी ।
उसकी हवेली से 200 मीटर के आस पास कोई घर नहीं था , बिल्कुल खाली जगह में बनाई थी गब्बर सिंह ने अपनी हवेली ।
भीमा अपने साथ 10-15 गुंडे लेकर निकल गया।
उधर शीतल अपने घर बैठे हुई थी । शीतल अपनी मां सावित्री से बिल्कुल खुली हुई थी
कहने का मतलब है दोनों मां बेटियों में दोस्ती का रिश्ता कुछ ज्यादा था।
इसलिए दोनों अपने दिल की बात एक दूसरे से शेयर कर लेती थी ।
घर पर केवल शीतल और उसकी मां सावित्री थे ।
सावित्री- बेटी में सोच रही हूं तेरी शादी कर देनी चाहिए ।
शीतल- मुझे नहीं करनी अभी शादी वादी । अभी तो मेरे खेलने खाने के दिन है मम्मी ।
सावित्री- रहने दे बेटी । तू मेरा मुंह मत खुलवाया कर ।
शीतल हंसते हुए - अब मेरी कमीनी मां फिर कुछ ना कुछ उल्टा सीधा बोलेगी।
सावित्री - क्यों ना बोलूं उल्टा सीधा जब तू बात ही ऐसी करती है कि अभी तो मेरे खेलने खाने के दिन हैं । बेटी अब तेरे खेलने खाने के नहीं अपने ऊपर चढ़ाने के दिन हैं ।
मम्मी- कितनी गंदी बातें करती हैं आप । मुझे शर्म आती है ।
सावित्री- पगली यह शर्म ही तो लड़की का गहना होती है । जो लड़की जितनी शर्मीली होती उसके अंदर उतनी ही ज्यादा एक बेशर्म औरत होती है । अब तू इतनी शर्मीली है तो सोच रही हूं कि बेशर्म कितनी होगी तू ।
शीतल - मुझे तो लगता है मम्मी मैं बेशर्म हूं या नहीं लेकिन आप पक्की बेशर्म हो ।
सावित्री - जब मैं बेशर्म हूं तभी तो तू बेशर्म है , आखिर तू बेटी किसकी है।
अचानक शीतल को कुछ शैतानी सूझी वह मुस्कुराते हुए बोली- मैं उसकी बेटी हूं जिसे चलते हुए अपने नितंब हिलाने में मजा आता है , जिसे अपना पिछवाड़ा हिलाकर चलने में मजा आता है ।
सावित्री - अपनी मां का पिछवाड़ा तो तूने देख लिया अपना भी देख लिया कर मेरी बेटी । मुझसे भी 10 कदम आगे लगती है । मेरा तो पिछवाड़ा ही हिलने लगा है लेकिन तेरे चूतड़ कैसे पीछे लटकने से लगे हैं , इसका राज तो बता ।
यह सुनकर शीतल शर्मा गयी ।
शीतल - रहने दो मम्मी आपको तो बस में ऐसी ही लगूंगी जैसी आप खुद हो । अभी मैं बच्ची हूं , कह दिया तो कह दिया। मुझे नहीं करनी अभी शादी ।
सावित्री - ना बेटी ना शादी तो तेरी करनी पड़ेगी क्योंकि अभी से तू ऐसी हो गई है जैसे दिन-रात जमकर किसी के नीचे सो रही हो , दो चार साल बाद तो जलवे खड़े कर देगी । फिर तेरे लायक में लड़का कहां से ढूंढूंगी । फिर तेरी मारने वाला लड़का बड़ी मुश्किल से मिलेगा। तू अब इस लायक हो गई है कि अच्छे अच्छों को बिस्तर में हरा सके ।
शीतल बुरी तरह शरमा गई गई लेकिन वे शरारत से अपनी मां की बात से बात मिलाते बोली ।
शीतल - अपनी बेटी को कमजोर मत समझो मम्मी मैं अभी भी हरा सकती हूं ।
इतनी बात हो ही रही थी तभी दरवाजे पर भीमा दिखाई दिया ।
शीतल और सावित्री की तो जैसे जान ही सूख गई ।
भीमा- ये रही दोनों मां बेटियां । इसकी बेटी को उठा लो ।
तभी 4-5 गुंडों ने शीतल की तरफ लपक्का मारा और शीतल को दबोच लिया ।
एक ने रुमाल निकाल कर शीतल के मुंह को बंद कर दिया ।
और शीतल को जबरदस्ती घर से बाहर ले जाकर गाड़ी में डाल दिया ।
उधर सावित्री ने भी रोना पीटना शुरू कर दिया - मेरी बेटी को छोड़ दो, कहां ले जा रहे हो मेरी बेटी को । तुम्हें जो चाहिए मुझसे लो मेरी बेटी को छोड़ दो।
लेकिन भीमा और उसके गुंडों ने उन दोनों की चीखों को अनसुना कर दिया और शीतल को गाड़ी में डालकर चल पड़े हवेली की तरफ ।
तभी शीतल की मां रोते हुए दौड़ती हुई नैना के घर गई (बलराज सिंह के घर गई ) ।
सावित्री बलराज से गेट पर रोती हुई बोली - भाई साहब मेरी बेटी को बचा लो । मेरी बेटी को गब्बर सिंह के आदमी उठाकर ले गए हैं , वो मेरी बेटी को भी मार देगा।
हां प्रिय पाठकों यही सच्चाई थी कि जिस लड़की को भी गब्बर सिंह के गुंडे उठाकर गब्बर सिंह के पास ले जाते थे उसकी लाश ही वापस आती थी ।
अंदर घर में नैना खाना खा रही थी । नैना ने जैसी ही यह सुना उसे लगा कि ये तो सावित्री की मां की आवाज है । नैना तुरंत भाग खड़ी हुई और पेट पर आई ।
नैना - क्या हुआ चाची जी ।
सावित्री ने रोते हुए बताया - नैना बेटी तेरी सहेली शीतल को गब्बर सिंह के आदमी उठाकर ले गए हैं ।
नैना ने जैसी ही यह सुना , नैना की आंखों में सफेद रंग की जगह लाल रंग ने ले ली ।
उसकी आंखों में चंडी उतर आई ,
नैना का गुस्सा उसके सर पर तांडव करने लगा ।
उसकी मुट्ठियाँ भिंचती हुई चली गयी ।
दूसरी तरफ जैसे ही शीतल को गाड़ी से उतारकर हवेली में ले जाया गया ।
गब्बर सिंह की आंखों में एक अजीब चमक आ गई । उसके माथे पर हैरानी के भाव दिखे क्योंकि शीतल को देखकर गब्बर सिंह का मुंह खुला का खुला रह गया ।
शीतल इस वक्त जींस टॉप में गजब की कयामत थी । उसकी गदरायी हुई जांघे थोड़ा सा बाहर को निकल हुआ पिछवाड़ा जानलेवा लग रहा था ।
गब्बर सिंह बोला- इसे हमारे शयनकक्ष में ले जाकर छोड़ दो मैं इससे वही मिलता हूं ।
शीतल को एक कमरे में पहुंचा दिया गया। शीतल ने वह कमरा देखा तो उसकी आंखें बड़ी हो गई और उसके मुंह से निकला - नहीं -- मेरी इज्जत बचा लो भगवान ।
क्योकि दोस्तों कमरे में ना कोई बैड था , ना कोई सोफा , ना कोई कुर्सी , ना ही कमरे में कुछ सामान था , ना ही कोई अलमारी ।
उस कमरे में नीचे मोटे मोटे गद्दे बिछे हुए थे और गद्दों पर सफेद रंग की चादर और उस पर कुछ गुलाब के फूल ।
जैसे ही शीतल कमरे में घुसी तुरंत भीमा ने दरवाजा बाहर से लगा दिया।
शीतल दरवाजा पकड़ कर रह गई । आने वाले पल के बारे में सोच कर घबराने लगी । तभी शीतल की नजर अपने पैरों पर गई उसने चप्पल पहने हुई थी । शीतल गद्दों पर खड़ी थी जिस वजह से उसकी चप्पल से सफेद चादर गंदी हो रही थी ।
अचानक उसके मन में पता नहीं क्या आया उसने अपनी चप्पल उतार कर एक तरफ रख दी और नंगे पैर बेड पर खड़ी हो गयी।
शीतल बिल्कुल मौन चुपचाप घबराए हुए अपनी आंखों से आंसू बहाते हुए खड़ी थी ।
भीमा गब्बर सिंह से आकर बोला - मालिक पहुंचा दिया है आपके कमरे में , जाइये और पहचान कर लीजिए ।
गब्बर सिंह अपनी सोच में डूबा हुआ बैठा था तभी भीमा की आवाज से उसे झटका सा लगा और बोला ।
गब्बर सिंह- हां मैं भी यही सोच रहा हूं लेकिन भीमा यदि यह शीतल मर गई तो ।
भीमा मालिक इतना मत सोचिए आपको जिस लड़की की तलाश है उसकी पहचान कीजिए। मर भी जाएगी तो भी आप का कोई बाल भी नहीं उखाड़ सकता । आप चिंता मत कीजिए ।
यह सुनकर गब्बर सिंह शीतल के कमरे की तरफ चलने लगा।
उसने कुर्ता पजामा पहना हुआ था काले रंग का । ऊपर से गब्बर सिंह का रंग भी काला था । लेकिन दोस्तों गजब की फुर्ती और ताकत थी गब्बर सिंह में ।
गब्बर सिंह में अकेले 30 आदमियों का सामना करने की ताकत थी। इतना ताकतवर था वो । अपनी ताकत के दम पर ही अपने इलाके में राज करता था ।
शीतल को महसूस हुआ जैसे दरवाजे को कोई बाहर से खोल रहा हो। शीतल के दिल की धड़कन बढ़ गयीं।
तभी शीतल को दरवाजे पर गब्बर सिंह दिखा , क्योंकि दरवाजा खुल चुका था ।
गब्बर सिंह के चेहरा और उसके शरीर को देखकर कांप गई शीतल ।
उसके अंदर का भय और घबराहट शीतल के चेहरे पर दिखने लगी ।
गब्बर सिंह ने दरवाजा बंद कर दिया जूते उतार कर एक तरफ रख दिये।
कमरे के बीचो बीच गद्दों पर आकर खड़ा हो गया ।
बड़ी गौर से से शीतल को देखने लगा । शीतल की जीन्स का साइज तो बड़ा लग रहा था लेकिन वो जीन्स फंसी हुई थी शीतल की जांघो में ।
शीतल के बदन को देखकर गब्बर सिंह बोला - मुझे तुझसे कोई दुश्मनी नहीं है लेकिन मैं तुझ में अपना भविष्य देख रहा हूं । शीतल तुम मुझे एक गुंडा समझती हो मैं जानता हूं लेकिन। तुम यह भी जानती हो कि मैंने आज तक किसी लड़की को नहीं छेड़ा। किसी भी लड़की के साथ गुंडागर्दी नहीं की । मैं मानता हूं कि मैंने लोगों को मौत के घाट उतारा है । मैं जानता हूं कि मेरे खिलाफ बोलने वाले हर शख्स की गर्दन कटती आई है आज तक लेकिन मैंने आज तक कभी किसी औरत या लड़की को नहीं छेड़ा ।
शीतल ने जैसे ही ये सुना उसकी आँखों ने डर की जगह नफरत और गुस्से ने ले ली । तभी शीतल चीखते हुए बोली ।
शीतल - तुम्हारे जैसा कमीना गुंडा और जल्लाद इंसान मैने आजतक नही देखा । तुम कहते हो कि तुमने आजतक किसी लड़की को नही छेड़ा बल्कि सच्चाई तो सारा गांव जनता है कि तुम सैकड़ो लड़कियों की हत्या कर चुके हो उन्हें अगवा करके । पता नही कितनी लड़कियों को अगवा किया है तुमने ।
गब्बर सिंह ने पूछा - तुम मुझसे जानना नहीं चाहोगी इसकी वजह क्या है ?
शीतल- एक गुंडे की वजह क्या हो सकती है ये सब जानते है ।
गब्बर सिंह बोलने लगा - शीतल जब मैं 18 साल का था तब मैंने एक साधु महात्मा की धर्मपत्नी को छेड़ दिया था, उनका रेप कर दिया था मैंने और उसी बीच वह साधु महात्मा वहां पहुंच गए । उन्होंने मुझे अपनी बीवी के साथ जबरदस्ती करते हुए देख लिया । उन्होंने दरवाजे पर खड़े हुए अपनी ऊंची आवाज में मुझे श्राप दिया ।
साधू महात्मा - हे नीच बालक अपनी इस ताकत के मद में चूर होकर तूने मेरी पतिव्रता धर्मपत्नी पर अपनी ताकत का प्रदर्शन करके मेरी पत्नी के पतिव्रता व्रत को तोड़ा है । मैं तुझे श्राप देता हूं कि तेरी यही ताकत 30 मनुष्यों के बराबर हो जाए , तुझमे अकेले ही एक हाथी के बराबर बल आजाये । और इतनी ताकत आने के बाद तेरे नीचे तेरे शयन कक्ष में जो भी औरत या कन्या तेरे साथ सोएगी वह तेरे लिंग के प्रहारों से मर जाएगी , तेरे लिंग की ताकत से वो कन्या मर जाएगी जिस वजह से तू कभी स्खलन का सुख नही ले पायेगा , मेरा श्राप है तू कभी यौन सुख का आनंद नही ले पायेगा ।
गब्बर सिंह - हां शीतल यही सच है श्राप मिलने के बाद मैंने देखा कि मेरा शरीर दोगुना हो गया है । मेरे अंदर एक अजीब सी ताकत आ गई । मैंन जो कपड़ें पहन रखे थे वो चर्रर चर्रर करते हुए फट गए । मैं खुद हैरान रह गया क्योंकि 30 इंसानों की ताकत आने की वजह से और मेरा शरीर दोगुना होने की वजह से मेरे लिंग का साइज भी दोगुना हो गया। मेरा लिंग उस वक्त 8 इंच का था जो कि 16 इंच का हो गया । मैं बिल्कुल घबरा गया मैं रोते हुए बाबा के साधु महात्मा के चरणों में गिर गया
और माफी मांगने लगा - हे साधु महात्मा जी मुझे माफ कर दीजिए मुझसे घोर अपराध हुआ है मुझे यह श्राप मत दीजिए । मैं आपका ऋणी रहूंगा। मुझे आप श्रापमुक्त कीजिए। जब मैं ज्यादा रोने पीटने लगा तो साधु महात्मा को मुझ पर दया आ गई और वे बोले।
साधू महात्मा - यह श्राप मेरा दिया हुआ है इसलिए कभी वापस नहीं हो सकता है लेकिन इसका उपाय जरूर हो सकता है बालक । मैं तुझे श्राप के साथ साथ एक वरदान भी देता हूं । कुछ समय के बाद इस धरती पर एक ऐसी कन्या जन्म लेगी जो पूरी दुनिया में सबसे अलग होगी । तेरी ही तरह तगड़ी होगी । जब तू उस कन्या के साथ संभोग करेगा तो वह कन्या नहीं मरेगी केवल वही कन्या होगी जो तुझे सहन कर पाएगी , तेरा सामना कर पाएगी , तेरे लिंग के प्रहारों को केवल उसी की योनी झेल पाएगी। उसकी तलाश तुझे खुद करनी होगी।
मैं फिर रोते हुए बोला - महात्मा जी इतनी बड़ी दुनिया में उस लड़की की तलाश कैसे करूंगा मैं ।
साधु महात्मा बोले - बालक मैं तुझे उस कन्या की कुछ विशेषताओं के बारे में बता देता हूँ जिससे तुझे उस कन्या को खोजने में आसानी होगी लेकिन अपनी खोज तुझे स्वयं करनी होगी । तो सुन उस कन्या की विशेषताएं ---
1- उस कन्या का शरीर उसकी उम्र से ज्यादा बड़ा प्रतीत होगा ।
2- उस कन्या के वक्ष जैसे उसकी छातियां और नितंब भी विशालकाय होंगे।
3- उस कन्या को तेरे अलावा कोई और संतुष्ट नही कर पायेगा ।
4- और उस कन्या की सबसे बड़ी विशेषता यह होगी कि उसके शरीर से उसके मूत्र की महक हर समय बिखरेगी, लेकिन उसे वही सूंघ पायेगा जिसके सामने वो नग्न होगी या जब उसके कोई बिल्कुल करीब होगा ।।
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कहानी जारी रहेगी next update एक दो दिन में ही आएगा ।
दोस्तों कहानी का प्लॉट कैसा है बताना जरूर ।
आपका अपना - रचित भाई।
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