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Adultery Naina - नारीशक्ति का घमंड

कहानी में क्या चाहते हो आप ?


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Rachit Chaudhary

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Update - 4


नैना आगे बढ़ती हुई गब्बर सिंह को खा जाने वाली नजरो से घूरे जा रही थी ।

उधर गब्बर सिंह की भी पैंट गीली हो गयी , क्योंकि गब्बर सिंह को नैना का डर नही था । गब्बर सिंह को डर था तो नैना के पीछे गांव की भीड़ का ।
जिस गब्बर सिंह से किसी की नजर मिलाने की औकात नही थी , जिस गब्बर सिंह के सामने किसी की सर उठाकर चलने की हिम्मत नही हुई थी वही गांव की भीड़ आज गब्बर सिंग की हवेली में लाठी डंडे भाले लेकर उसके सामने बड़े रौब से खड़ी थी ।


नैना अभी तक बिल्कुल शांत खड़ी थी गब्बर सिंह के सामने और पूरे गांव की भीड़ भी अभी तक शांत ही थी । चारो तरफ थी ति बस शांति । हवा चलने से जो पेड़ हिल रहे थे उनके पत्तों की आवाज तो सुनाई दे रही थी लेकिन किसी भी इंसान की आवाज सुनाई नही दे रही थी ।
तभी नैना गब्बर सिंह के सामने आकर खड़ी हो जाती है । गब्बर सिंह की आंखों में और गब्बर सिंह के चेहरे को घूरे जा रही थी नैना ।
गब्बर सिंह भी नैना को देख रहा था अपनी खून उतरती आंखों से ।
लेकिन तभी अचानक गब्बर सिंह की नजरें एकाएक झुक गयी , गब्बर सिंह ने बहुत कोशिश की नैना की नजरों में झांकने की लेकिन वह अपनी नजर नही उठा पाया ।


ये सब गब्बर सिंह को भी हैरान कर रहा था । इलाके के बड़े से बड़े नेता भी गब्बर सिंह से नजर नही मिला पाते थे लेकिन आज पता नही क्यों गब्बर सिंह लाख कोशिशों के बाद भी अपनी नजरें नैना से नही मिला पा रहा था ।
गब्बर सिंह बार बार अपनी नजरे उठाता लेकिन उसकी नजरें अपने आप ही झुक जातीं गब्बर सिंह फिर नजर मिलाता लेकिन फिर उसकी नजरें झुक जातीं । नैना के मुख के तेज के सामने गब्बर सिंह की नजर ठहर ही नही पा रही थी ।


दोस्तों अगर मैं गलत नही हूँ तो शायद इसी को
नारीशक्ति की ताकत कहते हैं और नैना की इसी नारीशक्ति का घमंड था ।


नैना - शीतल कहाँ है ?


नैना की आवाज सुनकर गब्बर सिंह नैना से आंख तो नही मिला पा रहा था लेकिन अपने चेहरे पर हैवानियत भरी कुटिल हंसी के साथ जोर जोर से हंसने लगा । गब्बर सिंह इतनी जोर जोर से हंसने लगा कि सब गांव वाले डर गए । क्योंकि जैसा कि आप जानते हैं कि अकेले गब्बर सिंह में 30 इंसानों की ताकत थी तो उसकी हंसी भी ऐसी थी जैसे एक साथ एक ही लय में तीस रावण जोर जोर से हंस रहे हों । गब्बर सिंह के साथ साथ उसके गुंडे भी जोर जोर से हंसने लगे ।
। काफी देर हंसने के बाद गब्बर सिंह ने हंसते हुए ही बोलना शुरू किया ।


गब्बर सिंह - हाहाहा हा तू क्या हाहा तू क्या समझती है कि तू इन गांव वालों को उल्टे सीधे पहाड़े पढ़ाकर लाएगी और गजब ये हुआ कि ये आ भी गए । हाहाहा तू जानती है मैं कौन हूँ । हाहाहा गब्बर सिंह हूं मैं । तेरे साथ साथ शाम तक इनकी बहन बेटियों को शाम तक अपनी हवेली पर ले आऊंगा हाहाहा । हाहाहा ।


गब्बर सिंह ने जब ऐसा कहा तो सारे गांव वालों का दिल दहल उठा क्योंकि वो सब गब्बर सिंह की क्रूरता से अच्छी तरह से परिचित थे ।
सभी गांव वालों ने पहले तो एकदूसरे की आंखों में देखा जैसे कुछ पूछ रहे हों फिर सभी गांव वाले पीछे की तरफ मुड़ गए वापस जाने के लिए ।
ये सब देखकर तो गब्बर सिंह फूला नही समाया । गब्बर सिंह और उसके गुंडे जोर जोर से हंसने लगे ।


गब्बर सिंह हंसते हुए - हाहाहा देख तेरे जैसी कबूतरी को अकेला छोड़कर चल दिये तेरे गांव वाले हाहाहा । साथ मे गब्बर सिंह के आदमी भी जोर जोर से हंस रहे थे ।


नैना को कुछ समझ नहीं आया उसने पीछे की तरफ गर्दन घुमाकर देखा तो नैना को अपनी आंखों पर विश्वास नही हुआ ।
गांव वालों में जो विश्वास भरकर वो लायी थी वो विश्वास गब्बर सिंह के डर के आगे फीका पड़ गया था ।
गांव वालों को जाते हुए उनकी पीठ को ताक रही थी नैना ।


तभी --


तभी --


नैना ने पूरी जान से एक चांटा गब्बर सिंह के गाल पर मारा ।
चटाक्क--------------


चांटा इतनी जोर से पड़ा गब्बर सिंह के गाल पर की गब्बर से पहले तो चार पांच कदम पीछे हटा फिर जमीन पर गिर पड़ा ।
नैना के थप्पड़ में इतनी जान थी कि उसके थप्पड़ की आवाज पूरे वातावरण में गूंज उठी ।


गांव वालों के कदम एकसाथ ठिठक गए ये आवाज सुनकर । क्योंकि इस थप्पड़ की आवाज के साथ ही गब्बर सिंह और उसके गुंडो की हंसी जैसे लुप्त हो गयी थी । उनके चेहरे ऐसे दिखाई पड़ रहे थे जैसे वो कभी हंसते ही ना हों ।


गांव वालों में एक विश्वास फिर से भर उठा कि नैना अकेली होकर भी उस गुंडे के सामने गिड़गिड़ाई नही तो फिर हम तो हजारों है । दरअसल बात ये है दोस्तों की एक लड़की की इतनी हिम्मत देखकर गांव वाले सभी मर्द शर्मिंदा हो गए थे । गांव की भीड़ फिर से वापस नैना की तरफ मुड़कर बढ़ने लगी ।


उधर गब्बर सिंह को अभी तक नैना के थप्पड़ से तारे दिखाई दे रहे थे । गब्बर ने जिंदगी में पहली बार ऐसा दर्द सहा था वो भी एक थप्पड़ से । गब्बर को यकीन नही हो रहा था क्योंकि उसके सारे गुंडे एकसाथ मिलकर जब गब्बर सिंह से कुश्ती करते थे तो बड़ी ही आसानी से गब्बर सिंह उनको चित कर देता था, और उसके सारे गुंडे मिलकर भी गब्बर सिंह को हिला भी नही पाते थे । लेकिन यहाँ एक लड़की के थप्पड़ से गब्बर सिंह जमीन पर गिर पड़ा था ।


तभी नैना की चीख भरी आवाज वातावरण में गूंजी - देख हबसी कुत्ते देख मेरे साथी फिर मेरे साथ हैं और अगर इन सबने एक एक चांटा भी तुझे मारा तो तेरी खाल उधड़ जाएगी । मैं लास्ट बार पूछ रही हूं शीतल कहाँ है । अगर नही बताया तो ये दरांती तेरी आंतो को तेरे पेट से बाहर ले आएगी ।


गब्बर सिंह के चेहरे पर ख़ौफ़ छा गया नैना की रौबदार आवाज सुनकर । नैना की आवाज में एक निडरपना था । गब्बर सिंह इतना डर गया कि उसके मुंह से बोल भी नही निकला , गब्बर सिंह ने उंगली से कमरे की तरफ इशारा करते हुए हाथ उठाकर इशारा किया ।


नैना तुरंत कमरे की तरफ भागी ।
जैसे ही नैना कमरे की तरफ भागी तुरंत गब्बर सिंह ने फोन निकालकर एक मंत्री को कॉल किया ।


गब्बर सिंह फोन पर - भोसड़ी के बस चुपचाप सुन । एक लफड़ा पड़ गया है तुरंत हवेली पर भीड़ के लिए फोर्स भेज वर्ना शाम तक तू या तो भगवान को प्यार हो जाएगा या ससपेंड हो जाएगा और सुन मादरचोद -----
गब्बर सिंह बोल ही रहा था कि तभी गांववालों की भीड़ ने फोन छीनकर तोड़ दिया । गब्बर की आंखों में ख़ौफ़ छा गया लेकिन अपनी ताकत पर बड़ा घमंड था गब्बर सिंह को ।


गांववालों ने गब्बर सिंह के गुंडो को नीचे लिटाकर उनमें लात घूंसे बरसाने शुरू कर दिए ।
गब्बर सिंह को भी लात मार-मारकर गांववालों ने नीचे गिरा लिया जमीन पर ।
तभी गब्बर सिंह को गुस्सा आया उसने उठकर अपने दोनों हाथों में एक एक आदमी को उठाया और भीड़ पर फेंकना शुरू कर दिया ।
एक आदमी के मुंह पर मुक्का मारा उस आदमी के सारे दांत टूट गए और मुंह से खून की उल्टियां करते हुए जमीन पर गिर पड़ा ।
गब्बर सिंह एक आदमी को जमीन पर गिरकर उसके ऊपर पैर रखकर खड़ा हो गया उसकी जीभ तुरंत निकालकर बाहर आगयी और वो भी मर गया ।
इस तरह गब्बर सिंह ने जब 50, 60 गांव वालों को तुरंत मौत की नींद सुला दिया तो सारी भीड़ की गांड फट गई गब्बर सिंह की ताकत देखकर ।


उधर जैसे ही नैना कमरे में घुसी उसके मुंह से चीख निकली - नहीं ---- शीतल --- शीतल
नैना ने करीब जाकर देखा तो मर चुकी थी शीतल । उसकी जांघो के बीच चूत वाली जगह से खून बह रहा था अभी भी । नैना ने ध्यान से देखा तो उसे शीतल की चूत तो दिखाई ही नही दी उसे बस चूत का छेद दिखाई दिया । और वो छेद कोई छेद नही बल्कि मोटी वाली पाइप के बराबर चौड़ा था ।


नैना ने सोचा कि शीतल की चूत में कोई मोटा डंडा घुसाकर बड़ी क्रूरता और निर्दयता से उसकी जान ली है गब्बर सिंह ने । क्योंकि कोई भी शीतल को देखकर ये नही कह सकता था कि शीतल चुदते हुए मरी है क्योंकि उसकी चूत का छेद कम से कम 5 इंच चौड़ा था जिसमे से खून बह रहा था ।


नैना की आंखों में भी खून उतर आया । नैना ने तुरंत शीतल को अपनी गोद मे उठाया ऐसे ही और उसे गोद मे लेकर हाथ मे अपनी दरांती भी ले ली और बाहर आने लगी ।


जैसे ही नैना बाहर आयी उसने देखा कि कोई 20-25 गाड़ियां खड़ी हैं पुलिस की और गाड़ियों के आगे बड़े से बड़े अधिकारी गब्बर सिंह के सामने गर्दन झुकाए खड़े है । गांव की भीड़ भी एक तरफ खड़ी है और गब्बर सिंह उनके बीच मे बैठकर हुक्का पी रहा है ।


जैसे ही नैना बाहर आई तुरंत चार पुलिस वालों ने उसे पकड़ लिया ।


तभी गब्बर सिंह ने बीच मे दहाड़कर पूछा - शीतल को किसने मारा है ।


पूरे गांव की भीड़ एक ही सुर में एक ही लय में एक साथ बोली - नैना ने । नैना ने ।


नैना को तो अपनी आंख और कान दोनों पर विश्वास नही हुआ ।
नैना ( मन ही मन मे )- कितने जाहिल है ये गांव वाले , गब्बर सिंह का पाला भारी देखकर कुत्तों ने अपना जमीर बेचकर तुरंत पार्टी बदल ली , नामर्द हैं साले नपुंसक । )


पुलिस वालों ने नैना के हाथों में हथकड़ियां डाल दीं ।


तभी एक बड़ा अधिकारी गब्बर सिंह से बोला - मालिक आप चिंता मत कीजिये इस लौंडियाँ पर ऐसी धारा लगाएंगे की साली की उम्र निकल जायेगी जेल में चक्की पीसते हुए ।


नैना सब सुन रही थी । नैना चुप थी क्योंकि जब उसके अपने गांव वालों ने ही उससे एक मिनट में मुंह फेर लिया तो फिर अब बचा ही क्या है । नैना को इस तरह का जज्बाती सदमा पहली बार लगा था ।


गब्बर सिंह - हाहाहा हां इतना तो विश्वास है मुझे भोसड़ी वालों तुमपर । ले जाओ इसे वरना अभी इसकी हड्डी पसलियों का चूरन बना दूंगा ।


इतना सुनते ही चारों पुलिस वाले नैना को लेकर गाड़ी की तरफ बढ़ने लगे , और गब्बर सिंह हुक्का पीने में व्यस्त हो गया ।
गांव वालों की तरफ नैना की पीठ थी और उसे चार पुलिस वाले लेकर गाड़ी की तरफ बढ़े जा रहे थे ।


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नैना भी आखिर नैना थी आपको तो पता ही है दोस्तों । जैसे जैसे नैना उन पुलिस वालों के साथ आगे बढ़ रही थी वैसे ही गांव वाले अपने आपको रोक ना सके , और सब नैना को आंखे फाड़ फाड़कर देखने लगे ।
उसकी वजह थी नैना के शरीर का डील-डौल । नैना का भारी पिछवाड़ा । गांव वालों को लग रहा था जैसे वो कोई सपना देख रहे है । उनके ही गांव की नैना को पहली बार पूरे गांव के मर्द खड़े होकर आंखे फाड़ फाड़कर देख रहे थे ।

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और अब तो नैना के भारी भरकम पिछवाड़े को हिलता देखकर गांव वालों की आंखों के साथ साथ उनका मुँह भी खुलता जा रहा था जैसे कोई अविश्वसनीय चीज को पहली बार देख रहे हों ।


नैना थी ही ऐसी उसकी कमर इतनी पतली थी कि देखकर विश्वास नही होता था कि इस पतली सी कमर के नीचे इतना चौड़ा और भारी पिछवाड़ा भी हो सकता है । जांघे भी नैना के कूल्हों अनुसार मोटी मोटी थीं क्योंकि इतनी भारी गांड का वजन संभालने के लिए जांघे भी तो मोटी और सुडौल चाहिए । वैसी ही मोटी मोटी जांघे थी नैना की फैले फैले नितंबों को संभालने के लिए ।


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गांव वालों की फटी हुई आंखे और मुह देखकर गब्बर सिंह को कुछ अजीब सा लगा । गब्बर सिंह ने जैसे ही गांववालों की नजरों का पीछा करते हुए पीछे की तरफ गर्दन घुमाकर देखा तब तक नैना गाड़ी के अंदर बैठ चुकी थी ।
गब्बर सिंह ने सोचा हो सकता है गांव वाले पुलिस को देख रहे हैं क्योंकि कभी जगतपुर में पुलिस नही आती थी , गब्बर सिंह का ही राज चलता था ।


पुलिस इंस्पेक्टर को नैना के साथ वाली सीट पर ही बैठने का निर्देश दिया गया । एक इंस्पेक्टर नैना के साथ ही बैठ गया उसकी सीट पर । एक पुलिस वाला आगे ड्राइवर के साथ बैठ गया । टोटल चार लोग बैठे थे गाड़ी में ।
नैना की गाड़ी के आगे दस गाड़ियां चल रही थीं और कम से कम 7, 8 गाड़ियां पीछे चल रही थी ।


नैना चुप बैठी थी , गाड़ी थाने की तरफ बढ़ती जा रही थी । नैना अभी भी अपनी सोच में डूबी हुई थी शायद कुछ गहरा सोच रही थी ।
तभी नैना के साथ जो इंस्पेक्टर बैठा था जिसका नाम मुकेश था उसे कुछ अजीब लगा ।
इंस्पेक्टर ने इधर उधर देखा गाड़ी में उसे ऐसी कोई चीज दिखाई नही दी । गाड़ी के शीशे भी बंद थे कोई बाहर से भी हवा नही आरही थी । उस इंस्पेक्टर की ऐसी हालत नैना के बिल्कुल नजदीक बैठने की वजह से थी । इंस्पेक्टर ने फिर सीट के नीचे देखा वहां पर भी कुछ नही था । गाड़ी बिल्कुल ही साफ सुथरी थी ।
इंस्पेक्टर फिर से अपना मुंह इधर उधर घुमाकर सूंघने लगा लेकिन फिर वही गंध ।
दरअसल बात ये थी दोस्तों नैना के बिल्कुल नजदीक बैठने की वजह से इंस्पेक्टर की नाक में मूत की महक आरही थी । हां ऐसा ही था । नैना ही है वो । नैना की चूत हमेशा उसके पेशाब की महक छोड़ती रहती थी । और उसकी चूत से इतनी ज्यादा मूत गंध आती थी कि साथ बैठे इंसान को आसानी से पता चल सकता था । इससे ही आप अंदाजा लगा सकते है कि अगर नैना नंगी हो जाए तो उसकी गंध कहाँ तक जाएगी ।


तभी इंसपेक्टर ने नैना की तरफ देखा और बोला - क्यों री यहाँ बैठी बैठी मूत रही है क्या सीट पर , या डर के मारे पेशाब निकल गया ।

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नैना जो पहले से ही दुखी थी उसने एक बार अपनी चिन्ताभरी नजरों से इंस्पेक्टर को घूरा ,लेकिन तभी इंस्पेक्टर ने नैना की बाजू पकड़ी और बोला - चल जरा खड़ी हो जरा सीट पर से देखूं तो ।


नैना अभी किसी बहस के मूड में नही थी , नैना गाड़ी में सीट पर से उठी ।
इंस्पेक्टर ने सीट पर हाथ लगाकर देखा सीट तो बिल्कुल सूखी थी ।


इंस्पेक्टर - चल बैठ जा ।


नैना दोबारा से वहीं सीट पर बैठ गयी ।


इंस्पेक्टर - मूता भी नही है तूने फिर ये पेशाब की गंध कहाँ से आरही है ।


नैना कुछ नही बोली चुपचाप रही । तभी थाना आगया ।


नैना गाड़ी से उतरी तुरंत दो लेडीज कांस्टेबल नैना को गाड़ी से उतारकर अंदर ले जाने लगी ।


इंस्पेक्टर और ड्राइवर पीछे गाड़ी के पास ही खड़े थे । नैना को चलती देख फिर से उन दोनो की वही हालत हो गयी जो अभी थोड़ी देर पहले जगतपुर गांव की हुई थी ।
नैना चलती हुई दिखती ही सबसे अलग थी । नैना को चलते देख आंखों का चौड़ा हो जाना और लौड़े में करंट आजाना स्वाभाविक ही था ।

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क्योंकि नैना की गांड बेशक सबसे भारी और मोटी थी लेकिन उसके शरीर के हिसाब से वो मोटी नही लगती थी । कोई भी नैना को देखकर गदराई हुई माल कह सकता था लेकिन मोटी बिल्कुल नही कह सकता था । नैना के शरीर की बनावट ही कुछ ऐसी थी कि अगर उससे जरा भी हल्का पिछवाड़ा होता तो वो इतनी अच्छी नही लगती जितनी कि वो अब लगती थी । इसलिए ये बिल्कुल मत समझना दोस्तों की नैना मोटी थी । हां नैना का शरीर ही इतना तगड़ा तंदरुस्त था कि इतने मोटे चूचे , थलथलाते हुए नितंब और मोटी मोटी जांघे उसे एक गदरायी हुई भरे बदन वाली लड़की बनाते थे ।

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नैना को चलती देख इंस्पेक्टर बर्दास्त नही कर पाया और पैंट में ही झड़ गया ।
इंस्पेक्टर ने तुरंत अपने लंड वाली जगह को पकड़ा और एक लंबी आह की तभी इंस्पेक्टर एकसाथ चोंका जब उसे एक और आह सुनाई दी । उसने तुरंत अपने साइड में देखा तो उसकी ही तरह ड्राइवर भी झड़ रहा था अपने लंड को पैंट के ऊपर से ही पकड़कर ।


ड्राइवर - माफ करना साहब , रोक नही पाया ये चीज ही ऐसी है कि पैंट में ही झड़ गया ।


इंस्पेक्टर - कोई नही , कोई नही । सही कहा तूने साली में कुछ तो बात है वरना मैं अपनी बीवी के ऊपर चढ़कर एक घंटे में उतरता हूं और इसका तो फिगर ही अलग है साली का । इतनी जानलेवा गांड है कि मैं पहली बार आज ऐसे पैंट में झड़ा हूं ।


फिर ड्राइवर और इंस्पेक्टर दोनों एकदूसरे को देखते हुए और एकदूसरे से शर्मिंदा होते हुए थाने की तरफ बढ़ने लगते हैं ।



कहानी आगे भी जारी रहेगी ।
दोस्तो कहानी कैसी चल रही है बताना जरूर । आपके पास चार शब्दो का एक comment लिखने का वक्त जरूर होगा तो बताना जरूर ।

आपका अपना - Rachit .
 
Last edited:

Rachit Chaudhary

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Superb hot update bhai.......bhai nina ko pure gaaw ke samne nangi karwana haat peer bandhke.......phir gaaw ka har mard nina ki chut aur gaand me ungli daale.....sirf upar upar se maze le
Dost kahani ka pura concept mere dimag me save ho chuka h... M kosis karunga ki apki bhi fantasy ka dhyan rakh sku
 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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Update - 4


नैना आगे बढ़ती हुई गब्बर सिंह को खा जाने वाली नजरो से घूरे जा रही थी ।

उधर गब्बर सिंह की भी पैंट गीली हो गयी , क्योंकि गब्बर सिंह को नैना का डर नही था । गब्बर सिंह को डर था तो नैना के पीछे गांव की भीड़ का ।
जिस गब्बर सिंह से किसी की नजर मिलाने की औकात नही थी , जिस गब्बर सिंह के सामने किसी की सर उठाकर चलने की हिम्मत नही हुई थी वही गांव की भीड़ आज गब्बर सिंग की हवेली में लाठी डंडे भाले लेकर उसके सामने बड़े रौब से खड़ी थी ।


नैना अभी तक बिल्कुल शांत खड़ी थी गब्बर सिंह के सामने और पूरे गांव की भीड़ भी अभी तक शांत ही थी । चारो तरफ थी ति बस शांति । हवा चलने से जो पेड़ हिल रहे थे उनके पत्तों की आवाज तो सुनाई दे रही थी लेकिन किसी भी इंसान की आवाज सुनाई नही दे रही थी ।
तभी नैना गब्बर सिंह के सामने आकर खड़ी हो जाती है । गब्बर सिंह की आंखों में और गब्बर सिंह के चेहरे को घूरे जा रही थी नैना ।
गब्बर सिंह भी नैना को देख रहा था अपनी खून उतरती आंखों से ।
लेकिन तभी अचानक गब्बर सिंह की नजरें एकाएक झुक गयी , गब्बर सिंह ने बहुत कोशिश की नैना की नजरों में झांकने की लेकिन वह अपनी नजर नही उठा पाया ।


ये सब गब्बर सिंह को भी हैरान कर रहा था । इलाके के बड़े से बड़े नेता भी गब्बर सिंह से नजर नही मिला पाते थे लेकिन आज पता नही क्यों गब्बर सिंह लाख कोशिशों के बाद भी अपनी नजरें नैना से नही मिला पा रहा था ।
गब्बर सिंह बार बार अपनी नजरे उठाता लेकिन उसकी नजरें अपने आप ही झुक जातीं गब्बर सिंह फिर नजर मिलाता लेकिन फिर उसकी नजरें झुक जातीं । नैना के मुख के तेज के सामने गब्बर सिंह की नजर ठहर ही नही पा रही थी ।


दोस्तों अगर मैं गलत नही हूँ तो शायद इसी को नारीशक्ति की ताकत कहते हैं और नैना की इसी नारीशक्ति का घमंड था ।


नैना - शीतल कहाँ है ?


नैना की आवाज सुनकर गब्बर सिंह नैना से आंख तो नही मिला पा रहा था लेकिन अपने चेहरे पर हैवानियत भरी कुटिल हंसी के साथ जोर जोर से हंसने लगा । गब्बर सिंह इतनी जोर जोर से हंसने लगा कि सब गांव वाले डर गए । क्योंकि जैसा कि आप जानते हैं कि अकेले गब्बर सिंह में 30 इंसानों की ताकत थी तो उसकी हंसी भी ऐसी थी जैसे एक साथ एक ही लय में तीस रावण जोर जोर से हंस रहे हों । गब्बर सिंह के साथ साथ उसके गुंडे भी जोर जोर से हंसने लगे ।
। काफी देर हंसने के बाद गब्बर सिंह ने हंसते हुए ही बोलना शुरू किया ।


गब्बर सिंह - हाहाहा हा तू क्या हाहा तू क्या समझती है कि तू इन गांव वालों को उल्टे सीधे पहाड़े पढ़ाकर लाएगी और गजब ये हुआ कि ये आ भी गए । हाहाहा तू जानती है मैं कौन हूँ । हाहाहा गब्बर सिंह हूं मैं । तेरे साथ साथ शाम तक इनकी बहन बेटियों को शाम तक अपनी हवेली पर ले आऊंगा हाहाहा । हाहाहा ।


गब्बर सिंह ने जब ऐसा कहा तो सारे गांव वालों का दिल दहल उठा क्योंकि वो सब गब्बर सिंह की क्रूरता से अच्छी तरह से परिचित थे ।
सभी गांव वालों ने पहले तो एकदूसरे की आंखों में देखा जैसे कुछ पूछ रहे हों फिर सभी गांव वाले पीछे की तरफ मुड़ गए वापस जाने के लिए ।
ये सब देखकर तो गब्बर सिंह फूला नही समाया । गब्बर सिंह और उसके गुंडे जोर जोर से हंसने लगे ।


गब्बर सिंह हंसते हुए - हाहाहा देख तेरे जैसी कबूतरी को अकेला छोड़कर चल दिये तेरे गांव वाले हाहाहा । साथ मे गब्बर सिंह के आदमी भी जोर जोर से हंस रहे थे ।


नैना को कुछ समझ नहीं आया उसने पीछे की तरफ गर्दन घुमाकर देखा तो नैना को अपनी आंखों पर विश्वास नही हुआ ।
गांव वालों में जो विश्वास भरकर वो लायी थी वो विश्वास गब्बर सिंह के डर के आगे फीका पड़ गया था ।
गांव वालों को जाते हुए उनकी पीठ को ताक रही थी नैना ।


तभी --


तभी --


नैना ने पूरी जान से एक चांटा गब्बर सिंह के गाल पर मारा ।
चटाक्क--------------


चांटा इतनी जोर से पड़ा गब्बर सिंह के गाल पर की गब्बर से पहले तो चार पांच कदम पीछे हटा फिर जमीन पर गिर पड़ा ।
नैना के थप्पड़ में इतनी जान थी कि उसके थप्पड़ की आवाज पूरे वातावरण में गूंज उठी ।


गांव वालों के कदम एकसाथ ठिठक गए ये आवाज सुनकर । क्योंकि इस थप्पड़ की आवाज के साथ ही गब्बर सिंह और उसके गुंडो की हंसी जैसे लुप्त हो गयी थी । उनके चेहरे ऐसे दिखाई पड़ रहे थे जैसे वो कभी हंसते ही ना हों ।


गांव वालों में एक विश्वास फिर से भर उठा कि नैना अकेली होकर भी उस गुंडे के सामने गिड़गिड़ाई नही तो फिर हम तो हजारों है । दरअसल बात ये है दोस्तों की एक लड़की की इतनी हिम्मत देखकर गांव वाले सभी मर्द शर्मिंदा हो गए थे । गांव की भीड़ फिर से वापस नैना की तरफ मुड़कर बढ़ने लगी ।


उधर गब्बर सिंह को अभी तक नैना के थप्पड़ से तारे दिखाई दे रहे थे । गब्बर ने जिंदगी में पहली बार ऐसा दर्द सहा था वो भी एक थप्पड़ से । गब्बर को यकीन नही हो रहा था क्योंकि उसके सारे गुंडे एकसाथ मिलकर जब गब्बर सिंह से कुश्ती करते थे तो बड़ी ही आसानी से गब्बर सिंह उनको चित कर देता था, और उसके सारे गुंडे मिलकर भी गब्बर सिंह को हिला भी नही पाते थे । लेकिन यहाँ एक लड़की के थप्पड़ से गब्बर सिंह जमीन पर गिर पड़ा था ।


तभी नैना की चीख भरी आवाज वातावरण में गूंजी - देख हबसी कुत्ते देख मेरे साथी फिर मेरे साथ हैं और अगर इन सबने एक एक चांटा भी तुझे मारा तो तेरी खाल उधड़ जाएगी । मैं लास्ट बार पूछ रही हूं शीतल कहाँ है । अगर नही बताया तो ये दरांती तेरी आंतो को तेरे पेट से बाहर ले आएगी ।


गब्बर सिंह के चेहरे पर ख़ौफ़ छा गया नैना की रौबदार आवाज सुनकर । नैना की आवाज में एक निडरपना था । गब्बर सिंह इतना डर गया कि उसके मुंह से बोल भी नही निकला , गब्बर सिंह ने उंगली से कमरे की तरफ इशारा करते हुए हाथ उठाकर इशारा किया ।


नैना तुरंत कमरे की तरफ भागी ।
जैसे ही नैना कमरे की तरफ भागी तुरंत गब्बर सिंह ने फोन निकालकर एक मंत्री को कॉल किया ।


गब्बर सिंह फोन पर - भोसड़ी के बस चुपचाप सुन । एक लफड़ा पड़ गया है तुरंत हवेली पर भीड़ के लिए फोर्स भेज वर्ना शाम तक तू या तो भगवान को प्यार हो जाएगा या ससपेंड हो जाएगा और सुन मादरचोद -----
गब्बर सिंह बोल ही रहा था कि तभी गांववालों की भीड़ ने फोन छीनकर तोड़ दिया । गब्बर की आंखों में ख़ौफ़ छा गया लेकिन अपनी ताकत पर बड़ा घमंड था गब्बर सिंह को ।


गांववालों ने गब्बर सिंह के गुंडो को नीचे लिटाकर उनमें लात घूंसे बरसाने शुरू कर दिए ।
गब्बर सिंह को भी लात मार-मारकर गांववालों ने नीचे गिरा लिया जमीन पर ।
तभी गब्बर सिंह को गुस्सा आया उसने उठकर अपने दोनों हाथों में एक एक आदमी को उठाया और भीड़ पर फेंकना शुरू कर दिया ।
एक आदमी के मुंह पर मुक्का मारा उस आदमी के सारे दांत टूट गए और मुंह से खून की उल्टियां करते हुए जमीन पर गिर पड़ा ।
गब्बर सिंह एक आदमी को जमीन पर गिरकर उसके ऊपर पैर रखकर खड़ा हो गया उसकी जीभ तुरंत निकालकर बाहर आगयी और वो भी मर गया ।
इस तरह गब्बर सिंह ने जब 50, 60 गांव वालों को तुरंत मौत की नींद सुला दिया तो सारी भीड़ की गांड फट गई गब्बर सिंह की ताकत देखकर ।


उधर जैसे ही नैना कमरे में घुसी उसके मुंह से चीख निकली - नहीं ---- शीतल --- शीतल
नैना ने करीब जाकर देखा तो मर चुकी थी शीतल । उसकी जांघो के बीच चूत वाली जगह से खून बह रहा था अभी भी । नैना ने ध्यान से देखा तो उसे शीतल की चूत तो दिखाई ही नही दी उसे बस चूत का छेद दिखाई दिया । और वो छेद कोई छेद नही बल्कि मोटी वाली पाइप के बराबर चौड़ा था ।


नैना ने सोचा कि शीतल की चूत में कोई मोटा डंडा घुसाकर बड़ी क्रूरता और निर्दयता से उसकी जान ली है गब्बर सिंह ने । क्योंकि कोई भी शीतल को देखकर ये नही कह सकता था कि शीतल चुदते हुए मरी है क्योंकि उसकी चूत का छेद कम से कम 5 इंच चौड़ा था जिसमे से खून बह रहा था ।


नैना की आंखों में भी खून उतर आया । नैना ने तुरंत शीतल को अपनी गोद मे उठाया ऐसे ही और उसे गोद मे लेकर हाथ मे अपनी दरांती भी ले ली और बाहर आने लगी ।


जैसे ही नैना बाहर आयी उसने देखा कि कोई 20-25 गाड़ियां खड़ी हैं पुलिस की और गाड़ियों के आगे बड़े से बड़े अधिकारी गब्बर सिंह के सामने गर्दन झुकाए खड़े है । गांव की भीड़ भी एक तरफ खड़ी है और गब्बर सिंह उनके बीच मे बैठकर हुक्का पी रहा है ।


जैसे ही नैना बाहर आई तुरंत चार पुलिस वालों ने उसे पकड़ लिया ।


तभी गब्बर सिंह ने बीच मे दहाड़कर पूछा - शीतल को किसने मारा है ।


पूरे गांव की भीड़ एक ही सुर में एक ही लय में एक साथ बोली - नैना ने । नैना ने ।


नैना को तो अपनी आंख और कान दोनों पर विश्वास नही हुआ ।
नैना ( मन ही मन मे )- कितने जाहिल है ये गांव वाले , गब्बर सिंह का पाला भारी देखकर कुत्तों ने अपना जमीर बेचकर तुरंत पार्टी बदल ली , नामर्द हैं साले नपुंसक । )


पुलिस वालों ने नैना के हाथों में हथकड़ियां डाल दीं ।


तभी एक बड़ा अधिकारी गब्बर सिंह से बोला - मालिक आप चिंता मत कीजिये इस लौंडियाँ पर ऐसी धारा लगाएंगे की साली की उम्र निकल जायेगी जेल में चक्की पीसते हुए ।


नैना सब सुन रही थी । नैना चुप थी क्योंकि जब उसके अपने गांव वालों ने ही उससे एक मिनट में मुंह फेर लिया तो फिर अब बचा ही क्या है । नैना को इस तरह का जज्बाती सदमा पहली बार लगा था ।


गब्बर सिंह - हाहाहा हां इतना तो विश्वास है मुझे भोसड़ी वालों तुमपर । ले जाओ इसे वरना अभी इसकी हड्डी पसलियों का चूरन बना दूंगा ।


इतना सुनते ही चारों पुलिस वाले नैना को लेकर गाड़ी की तरफ बढ़ने लगे , और गब्बर सिंह हुक्का पीने में व्यस्त हो गया ।
गांव वालों की तरफ नैना की पीठ थी और उसे चार पुलिस वाले लेकर गाड़ी की तरफ बढ़े जा रहे थे ।


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नैना भी आखिर नैना थी आपको तो पता ही है दोस्तों । जैसे जैसे नैना उन पुलिस वालों के साथ आगे बढ़ रही थी वैसे ही गांव वाले अपने आपको रोक ना सके , और सब नैना को आंखे फाड़ फाड़कर देखने लगे ।
उसकी वजह थी नैना के शरीर का डील-डौल । नैना का भारी पिछवाड़ा । गांव वालों को लग रहा था जैसे वो कोई सपना देख रहे है । उनके ही गांव की नैना को पहली बार पूरे गांव के मर्द खड़े होकर आंखे फाड़ फाड़कर देख रहे थे ।

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और अब तो नैना के भारी भरकम पिछवाड़े को हिलता देखकर गांव वालों की आंखों के साथ साथ उनका मुँह भी खुलता जा रहा था जैसे कोई अविश्वसनीय चीज को पहली बार देख रहे हों ।


नैना थी ही ऐसी उसकी कमर इतनी पतली थी कि देखकर विश्वास नही होता था कि इस पतली सी कमर के नीचे इतना चौड़ा और भारी पिछवाड़ा भी हो सकता है । जांघे भी नैना के कूल्हों अनुसार मोटी मोटी थीं क्योंकि इतनी भारी गांड का वजन संभालने के लिए जांघे भी तो मोटी और सुडौल चाहिए । वैसी ही मोटी मोटी जांघे थी नैना की फैले फैले नितंबों को संभालने के लिए ।


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गांव वालों की फटी हुई आंखे और मुह देखकर गब्बर सिंह को कुछ अजीब सा लगा । गब्बर सिंह ने जैसे ही गांववालों की नजरों का पीछा करते हुए पीछे की तरफ गर्दन घुमाकर देखा तब तक नैना गाड़ी के अंदर बैठ चुकी थी ।
गब्बर सिंह ने सोचा हो सकता है गांव वाले पुलिस को देख रहे हैं क्योंकि कभी जगतपुर में पुलिस नही आती थी , गब्बर सिंह का ही राज चलता था ।


पुलिस इंस्पेक्टर को नैना के साथ वाली सीट पर ही बैठने का निर्देश दिया गया । एक इंस्पेक्टर नैना के साथ ही बैठ गया उसकी सीट पर । एक पुलिस वाला आगे ड्राइवर के साथ बैठ गया । टोटल चार लोग बैठे थे गाड़ी में ।
नैना की गाड़ी के आगे दस गाड़ियां चल रही थीं और कम से कम 7, 8 गाड़ियां पीछे चल रही थी ।


नैना चुप बैठी थी , गाड़ी थाने की तरफ बढ़ती जा रही थी । नैना अभी भी अपनी सोच में डूबी हुई थी शायद कुछ गहरा सोच रही थी ।
तभी नैना के साथ जो इंस्पेक्टर बैठा था जिसका नाम मुकेश था उसे कुछ अजीब लगा ।
इंस्पेक्टर ने इधर उधर देखा गाड़ी में उसे ऐसी कोई चीज दिखाई नही दी । गाड़ी के शीशे भी बंद थे कोई बाहर से भी हवा नही आरही थी । उस इंस्पेक्टर की ऐसी हालत नैना के बिल्कुल नजदीक बैठने की वजह से थी । इंस्पेक्टर ने फिर सीट के नीचे देखा वहां पर भी कुछ नही था । गाड़ी बिल्कुल ही साफ सुथरी थी ।
इंस्पेक्टर फिर से अपना मुंह इधर उधर घुमाकर सूंघने लगा लेकिन फिर वही गंध ।
दरअसल बात ये थी दोस्तों नैना के बिल्कुल नजदीक बैठने की वजह से इंस्पेक्टर की नाक में मूत की महक आरही थी । हां ऐसा ही था । नैना ही है वो । नैना की चूत हमेशा उसके पेशाब की महक छोड़ती रहती थी । और उसकी चूत से इतनी ज्यादा मूत गंध आती थी कि साथ बैठे इंसान को आसानी से पता चल सकता था । इससे ही आप अंदाजा लगा सकते है कि अगर नैना नंगी हो जाए तो उसकी गंध कहाँ तक जाएगी ।


तभी इंसपेक्टर ने नैना की तरफ देखा और बोला - क्यों री यहाँ बैठी बैठी मूत रही है क्या सीट पर , या डर के मारे पेशाब निकल गया ।

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नैना जो पहले से ही दुखी थी उसने एक बार अपनी चिन्ताभरी नजरों से इंस्पेक्टर को घूरा ,लेकिन तभी इंस्पेक्टर ने नैना की बाजू पकड़ी और बोला - चल जरा खड़ी हो जरा सीट पर से देखूं तो ।


नैना अभी किसी बहस के मूड में नही थी , नैना गाड़ी में सीट पर से उठी ।
इंस्पेक्टर ने सीट पर हाथ लगाकर देखा सीट तो बिल्कुल सूखी थी ।


इंस्पेक्टर - चल बैठ जा ।


नैना दोबारा से वहीं सीट पर बैठ गयी ।


इंस्पेक्टर - मूता भी नही है तूने फिर ये पेशाब की गंध कहाँ से आरही है ।


नैना कुछ नही बोली चुपचाप रही । तभी थाना आगया ।


नैना गाड़ी से उतरी तुरंत दो लेडीज कांस्टेबल नैना को गाड़ी से उतारकर अंदर ले जाने लगी ।


इंस्पेक्टर और ड्राइवर पीछे गाड़ी के पास ही खड़े थे । नैना को चलती देख फिर से उन दोनो की वही हालत हो गयी जो अभी थोड़ी देर पहले जगतपुर गांव की हुई थी ।
नैना चलती हुई दिखती ही सबसे अलग थी । नैना को चलते देख आंखों का चौड़ा हो जाना और लौड़े में करंट आजाना स्वाभाविक ही था ।

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क्योंकि नैना की गांड बेशक सबसे भारी और मोटी थी लेकिन उसके शरीर के हिसाब से वो मोटी नही लगती थी । कोई भी नैना को देखकर गदराई हुई माल कह सकता था लेकिन मोटी बिल्कुल नही कह सकता था । नैना के शरीर की बनावट ही कुछ ऐसी थी कि अगर उससे जरा भी हल्का पिछवाड़ा होता तो वो इतनी अच्छी नही लगती जितनी कि वो अब लगती थी । इसलिए ये बिल्कुल मत समझना दोस्तों की नैना मोटी थी । हां नैना का शरीर ही इतना तगड़ा तंदरुस्त था कि इतने मोटे चूचे , थलथलाते हुए नितंब और मोटी मोटी जांघे उसे एक गदरायी हुई भरे बदन वाली लड़की बनाते थे ।

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नैना को चलती देख इंस्पेक्टर बर्दास्त नही कर पाया और पैंट में ही झड़ गया ।
इंस्पेक्टर ने तुरंत अपने लंड वाली जगह को पकड़ा और एक लंबी आह की तभी इंस्पेक्टर एकसाथ चोंका जब उसे एक और आह सुनाई दी । उसने तुरंत अपने साइड में देखा तो उसकी ही तरह ड्राइवर भी झड़ रहा था अपने लंड को पैंट के ऊपर से ही पकड़कर ।


ड्राइवर - माफ करना साहब , रोक नही पाया ये चीज ही ऐसी है कि पैंट में ही झड़ गया ।


इंस्पेक्टर - कोई नही , कोई नही । सही कहा तूने साली में कुछ तो बात है वरना मैं अपनी बीवी के ऊपर चढ़कर एक घंटे में उतरता हूं और इसका तो फिगर ही अलग है साली का । इतनी जानलेवा गांड है कि मैं पहली बार आज ऐसे पैंट में झड़ा हूं ।


फिर ड्राइवर और इंस्पेक्टर दोनों एकदूसरे को देखते हुए और एकदूसरे से शर्मिंदा होते हुए थाने की तरफ बढ़ने लगते हैं ।



कहानी आगे भी जारी रहेगी ।
दोस्तो कहानी कैसी चल रही है बताना जरूर । आपके पास चार शब्दो का एक comment लिखने का वक्त जरूर होगा तो बताना जरूर ।

आपका अपना - Rachit .
:reading:
 
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Rachit Chaudhary

B a Game Changer ,world is already full of players
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Rachit bhai apne hisab se kahani likhe jo fantasy aap ki hai wahi badhiya hai bas naina ka pehla sex gabbar se hi karbana
Dhanyavad
 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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Update - 4


नैना आगे बढ़ती हुई गब्बर सिंह को खा जाने वाली नजरो से घूरे जा रही थी ।

उधर गब्बर सिंह की भी पैंट गीली हो गयी , क्योंकि गब्बर सिंह को नैना का डर नही था । गब्बर सिंह को डर था तो नैना के पीछे गांव की भीड़ का ।
जिस गब्बर सिंह से किसी की नजर मिलाने की औकात नही थी , जिस गब्बर सिंह के सामने किसी की सर उठाकर चलने की हिम्मत नही हुई थी वही गांव की भीड़ आज गब्बर सिंग की हवेली में लाठी डंडे भाले लेकर उसके सामने बड़े रौब से खड़ी थी ।


नैना अभी तक बिल्कुल शांत खड़ी थी गब्बर सिंह के सामने और पूरे गांव की भीड़ भी अभी तक शांत ही थी । चारो तरफ थी ति बस शांति । हवा चलने से जो पेड़ हिल रहे थे उनके पत्तों की आवाज तो सुनाई दे रही थी लेकिन किसी भी इंसान की आवाज सुनाई नही दे रही थी ।
तभी नैना गब्बर सिंह के सामने आकर खड़ी हो जाती है । गब्बर सिंह की आंखों में और गब्बर सिंह के चेहरे को घूरे जा रही थी नैना ।
गब्बर सिंह भी नैना को देख रहा था अपनी खून उतरती आंखों से ।
लेकिन तभी अचानक गब्बर सिंह की नजरें एकाएक झुक गयी , गब्बर सिंह ने बहुत कोशिश की नैना की नजरों में झांकने की लेकिन वह अपनी नजर नही उठा पाया ।


ये सब गब्बर सिंह को भी हैरान कर रहा था । इलाके के बड़े से बड़े नेता भी गब्बर सिंह से नजर नही मिला पाते थे लेकिन आज पता नही क्यों गब्बर सिंह लाख कोशिशों के बाद भी अपनी नजरें नैना से नही मिला पा रहा था ।
गब्बर सिंह बार बार अपनी नजरे उठाता लेकिन उसकी नजरें अपने आप ही झुक जातीं गब्बर सिंह फिर नजर मिलाता लेकिन फिर उसकी नजरें झुक जातीं । नैना के मुख के तेज के सामने गब्बर सिंह की नजर ठहर ही नही पा रही थी ।


दोस्तों अगर मैं गलत नही हूँ तो शायद इसी को नारीशक्ति की ताकत कहते हैं और नैना की इसी नारीशक्ति का घमंड था ।


नैना - शीतल कहाँ है ?


नैना की आवाज सुनकर गब्बर सिंह नैना से आंख तो नही मिला पा रहा था लेकिन अपने चेहरे पर हैवानियत भरी कुटिल हंसी के साथ जोर जोर से हंसने लगा । गब्बर सिंह इतनी जोर जोर से हंसने लगा कि सब गांव वाले डर गए । क्योंकि जैसा कि आप जानते हैं कि अकेले गब्बर सिंह में 30 इंसानों की ताकत थी तो उसकी हंसी भी ऐसी थी जैसे एक साथ एक ही लय में तीस रावण जोर जोर से हंस रहे हों । गब्बर सिंह के साथ साथ उसके गुंडे भी जोर जोर से हंसने लगे ।
। काफी देर हंसने के बाद गब्बर सिंह ने हंसते हुए ही बोलना शुरू किया ।


गब्बर सिंह - हाहाहा हा तू क्या हाहा तू क्या समझती है कि तू इन गांव वालों को उल्टे सीधे पहाड़े पढ़ाकर लाएगी और गजब ये हुआ कि ये आ भी गए । हाहाहा तू जानती है मैं कौन हूँ । हाहाहा गब्बर सिंह हूं मैं । तेरे साथ साथ शाम तक इनकी बहन बेटियों को शाम तक अपनी हवेली पर ले आऊंगा हाहाहा । हाहाहा ।


गब्बर सिंह ने जब ऐसा कहा तो सारे गांव वालों का दिल दहल उठा क्योंकि वो सब गब्बर सिंह की क्रूरता से अच्छी तरह से परिचित थे ।
सभी गांव वालों ने पहले तो एकदूसरे की आंखों में देखा जैसे कुछ पूछ रहे हों फिर सभी गांव वाले पीछे की तरफ मुड़ गए वापस जाने के लिए ।
ये सब देखकर तो गब्बर सिंह फूला नही समाया । गब्बर सिंह और उसके गुंडे जोर जोर से हंसने लगे ।


गब्बर सिंह हंसते हुए - हाहाहा देख तेरे जैसी कबूतरी को अकेला छोड़कर चल दिये तेरे गांव वाले हाहाहा । साथ मे गब्बर सिंह के आदमी भी जोर जोर से हंस रहे थे ।


नैना को कुछ समझ नहीं आया उसने पीछे की तरफ गर्दन घुमाकर देखा तो नैना को अपनी आंखों पर विश्वास नही हुआ ।
गांव वालों में जो विश्वास भरकर वो लायी थी वो विश्वास गब्बर सिंह के डर के आगे फीका पड़ गया था ।
गांव वालों को जाते हुए उनकी पीठ को ताक रही थी नैना ।


तभी --


तभी --


नैना ने पूरी जान से एक चांटा गब्बर सिंह के गाल पर मारा ।
चटाक्क--------------


चांटा इतनी जोर से पड़ा गब्बर सिंह के गाल पर की गब्बर से पहले तो चार पांच कदम पीछे हटा फिर जमीन पर गिर पड़ा ।
नैना के थप्पड़ में इतनी जान थी कि उसके थप्पड़ की आवाज पूरे वातावरण में गूंज उठी ।


गांव वालों के कदम एकसाथ ठिठक गए ये आवाज सुनकर । क्योंकि इस थप्पड़ की आवाज के साथ ही गब्बर सिंह और उसके गुंडो की हंसी जैसे लुप्त हो गयी थी । उनके चेहरे ऐसे दिखाई पड़ रहे थे जैसे वो कभी हंसते ही ना हों ।


गांव वालों में एक विश्वास फिर से भर उठा कि नैना अकेली होकर भी उस गुंडे के सामने गिड़गिड़ाई नही तो फिर हम तो हजारों है । दरअसल बात ये है दोस्तों की एक लड़की की इतनी हिम्मत देखकर गांव वाले सभी मर्द शर्मिंदा हो गए थे । गांव की भीड़ फिर से वापस नैना की तरफ मुड़कर बढ़ने लगी ।


उधर गब्बर सिंह को अभी तक नैना के थप्पड़ से तारे दिखाई दे रहे थे । गब्बर ने जिंदगी में पहली बार ऐसा दर्द सहा था वो भी एक थप्पड़ से । गब्बर को यकीन नही हो रहा था क्योंकि उसके सारे गुंडे एकसाथ मिलकर जब गब्बर सिंह से कुश्ती करते थे तो बड़ी ही आसानी से गब्बर सिंह उनको चित कर देता था, और उसके सारे गुंडे मिलकर भी गब्बर सिंह को हिला भी नही पाते थे । लेकिन यहाँ एक लड़की के थप्पड़ से गब्बर सिंह जमीन पर गिर पड़ा था ।


तभी नैना की चीख भरी आवाज वातावरण में गूंजी - देख हबसी कुत्ते देख मेरे साथी फिर मेरे साथ हैं और अगर इन सबने एक एक चांटा भी तुझे मारा तो तेरी खाल उधड़ जाएगी । मैं लास्ट बार पूछ रही हूं शीतल कहाँ है । अगर नही बताया तो ये दरांती तेरी आंतो को तेरे पेट से बाहर ले आएगी ।


गब्बर सिंह के चेहरे पर ख़ौफ़ छा गया नैना की रौबदार आवाज सुनकर । नैना की आवाज में एक निडरपना था । गब्बर सिंह इतना डर गया कि उसके मुंह से बोल भी नही निकला , गब्बर सिंह ने उंगली से कमरे की तरफ इशारा करते हुए हाथ उठाकर इशारा किया ।


नैना तुरंत कमरे की तरफ भागी ।
जैसे ही नैना कमरे की तरफ भागी तुरंत गब्बर सिंह ने फोन निकालकर एक मंत्री को कॉल किया ।


गब्बर सिंह फोन पर - भोसड़ी के बस चुपचाप सुन । एक लफड़ा पड़ गया है तुरंत हवेली पर भीड़ के लिए फोर्स भेज वर्ना शाम तक तू या तो भगवान को प्यार हो जाएगा या ससपेंड हो जाएगा और सुन मादरचोद -----
गब्बर सिंह बोल ही रहा था कि तभी गांववालों की भीड़ ने फोन छीनकर तोड़ दिया । गब्बर की आंखों में ख़ौफ़ छा गया लेकिन अपनी ताकत पर बड़ा घमंड था गब्बर सिंह को ।


गांववालों ने गब्बर सिंह के गुंडो को नीचे लिटाकर उनमें लात घूंसे बरसाने शुरू कर दिए ।
गब्बर सिंह को भी लात मार-मारकर गांववालों ने नीचे गिरा लिया जमीन पर ।
तभी गब्बर सिंह को गुस्सा आया उसने उठकर अपने दोनों हाथों में एक एक आदमी को उठाया और भीड़ पर फेंकना शुरू कर दिया ।
एक आदमी के मुंह पर मुक्का मारा उस आदमी के सारे दांत टूट गए और मुंह से खून की उल्टियां करते हुए जमीन पर गिर पड़ा ।
गब्बर सिंह एक आदमी को जमीन पर गिरकर उसके ऊपर पैर रखकर खड़ा हो गया उसकी जीभ तुरंत निकालकर बाहर आगयी और वो भी मर गया ।
इस तरह गब्बर सिंह ने जब 50, 60 गांव वालों को तुरंत मौत की नींद सुला दिया तो सारी भीड़ की गांड फट गई गब्बर सिंह की ताकत देखकर ।


उधर जैसे ही नैना कमरे में घुसी उसके मुंह से चीख निकली - नहीं ---- शीतल --- शीतल
नैना ने करीब जाकर देखा तो मर चुकी थी शीतल । उसकी जांघो के बीच चूत वाली जगह से खून बह रहा था अभी भी । नैना ने ध्यान से देखा तो उसे शीतल की चूत तो दिखाई ही नही दी उसे बस चूत का छेद दिखाई दिया । और वो छेद कोई छेद नही बल्कि मोटी वाली पाइप के बराबर चौड़ा था ।


नैना ने सोचा कि शीतल की चूत में कोई मोटा डंडा घुसाकर बड़ी क्रूरता और निर्दयता से उसकी जान ली है गब्बर सिंह ने । क्योंकि कोई भी शीतल को देखकर ये नही कह सकता था कि शीतल चुदते हुए मरी है क्योंकि उसकी चूत का छेद कम से कम 5 इंच चौड़ा था जिसमे से खून बह रहा था ।


नैना की आंखों में भी खून उतर आया । नैना ने तुरंत शीतल को अपनी गोद मे उठाया ऐसे ही और उसे गोद मे लेकर हाथ मे अपनी दरांती भी ले ली और बाहर आने लगी ।


जैसे ही नैना बाहर आयी उसने देखा कि कोई 20-25 गाड़ियां खड़ी हैं पुलिस की और गाड़ियों के आगे बड़े से बड़े अधिकारी गब्बर सिंह के सामने गर्दन झुकाए खड़े है । गांव की भीड़ भी एक तरफ खड़ी है और गब्बर सिंह उनके बीच मे बैठकर हुक्का पी रहा है ।


जैसे ही नैना बाहर आई तुरंत चार पुलिस वालों ने उसे पकड़ लिया ।


तभी गब्बर सिंह ने बीच मे दहाड़कर पूछा - शीतल को किसने मारा है ।


पूरे गांव की भीड़ एक ही सुर में एक ही लय में एक साथ बोली - नैना ने । नैना ने ।


नैना को तो अपनी आंख और कान दोनों पर विश्वास नही हुआ ।
नैना ( मन ही मन मे )- कितने जाहिल है ये गांव वाले , गब्बर सिंह का पाला भारी देखकर कुत्तों ने अपना जमीर बेचकर तुरंत पार्टी बदल ली , नामर्द हैं साले नपुंसक । )


पुलिस वालों ने नैना के हाथों में हथकड़ियां डाल दीं ।


तभी एक बड़ा अधिकारी गब्बर सिंह से बोला - मालिक आप चिंता मत कीजिये इस लौंडियाँ पर ऐसी धारा लगाएंगे की साली की उम्र निकल जायेगी जेल में चक्की पीसते हुए ।


नैना सब सुन रही थी । नैना चुप थी क्योंकि जब उसके अपने गांव वालों ने ही उससे एक मिनट में मुंह फेर लिया तो फिर अब बचा ही क्या है । नैना को इस तरह का जज्बाती सदमा पहली बार लगा था ।


गब्बर सिंह - हाहाहा हां इतना तो विश्वास है मुझे भोसड़ी वालों तुमपर । ले जाओ इसे वरना अभी इसकी हड्डी पसलियों का चूरन बना दूंगा ।


इतना सुनते ही चारों पुलिस वाले नैना को लेकर गाड़ी की तरफ बढ़ने लगे , और गब्बर सिंह हुक्का पीने में व्यस्त हो गया ।
गांव वालों की तरफ नैना की पीठ थी और उसे चार पुलिस वाले लेकर गाड़ी की तरफ बढ़े जा रहे थे ।


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नैना भी आखिर नैना थी आपको तो पता ही है दोस्तों । जैसे जैसे नैना उन पुलिस वालों के साथ आगे बढ़ रही थी वैसे ही गांव वाले अपने आपको रोक ना सके , और सब नैना को आंखे फाड़ फाड़कर देखने लगे ।
उसकी वजह थी नैना के शरीर का डील-डौल । नैना का भारी पिछवाड़ा । गांव वालों को लग रहा था जैसे वो कोई सपना देख रहे है । उनके ही गांव की नैना को पहली बार पूरे गांव के मर्द खड़े होकर आंखे फाड़ फाड़कर देख रहे थे ।

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और अब तो नैना के भारी भरकम पिछवाड़े को हिलता देखकर गांव वालों की आंखों के साथ साथ उनका मुँह भी खुलता जा रहा था जैसे कोई अविश्वसनीय चीज को पहली बार देख रहे हों ।


नैना थी ही ऐसी उसकी कमर इतनी पतली थी कि देखकर विश्वास नही होता था कि इस पतली सी कमर के नीचे इतना चौड़ा और भारी पिछवाड़ा भी हो सकता है । जांघे भी नैना के कूल्हों अनुसार मोटी मोटी थीं क्योंकि इतनी भारी गांड का वजन संभालने के लिए जांघे भी तो मोटी और सुडौल चाहिए । वैसी ही मोटी मोटी जांघे थी नैना की फैले फैले नितंबों को संभालने के लिए ।


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गांव वालों की फटी हुई आंखे और मुह देखकर गब्बर सिंह को कुछ अजीब सा लगा । गब्बर सिंह ने जैसे ही गांववालों की नजरों का पीछा करते हुए पीछे की तरफ गर्दन घुमाकर देखा तब तक नैना गाड़ी के अंदर बैठ चुकी थी ।
गब्बर सिंह ने सोचा हो सकता है गांव वाले पुलिस को देख रहे हैं क्योंकि कभी जगतपुर में पुलिस नही आती थी , गब्बर सिंह का ही राज चलता था ।


पुलिस इंस्पेक्टर को नैना के साथ वाली सीट पर ही बैठने का निर्देश दिया गया । एक इंस्पेक्टर नैना के साथ ही बैठ गया उसकी सीट पर । एक पुलिस वाला आगे ड्राइवर के साथ बैठ गया । टोटल चार लोग बैठे थे गाड़ी में ।
नैना की गाड़ी के आगे दस गाड़ियां चल रही थीं और कम से कम 7, 8 गाड़ियां पीछे चल रही थी ।


नैना चुप बैठी थी , गाड़ी थाने की तरफ बढ़ती जा रही थी । नैना अभी भी अपनी सोच में डूबी हुई थी शायद कुछ गहरा सोच रही थी ।
तभी नैना के साथ जो इंस्पेक्टर बैठा था जिसका नाम मुकेश था उसे कुछ अजीब लगा ।
इंस्पेक्टर ने इधर उधर देखा गाड़ी में उसे ऐसी कोई चीज दिखाई नही दी । गाड़ी के शीशे भी बंद थे कोई बाहर से भी हवा नही आरही थी । उस इंस्पेक्टर की ऐसी हालत नैना के बिल्कुल नजदीक बैठने की वजह से थी । इंस्पेक्टर ने फिर सीट के नीचे देखा वहां पर भी कुछ नही था । गाड़ी बिल्कुल ही साफ सुथरी थी ।
इंस्पेक्टर फिर से अपना मुंह इधर उधर घुमाकर सूंघने लगा लेकिन फिर वही गंध ।
दरअसल बात ये थी दोस्तों नैना के बिल्कुल नजदीक बैठने की वजह से इंस्पेक्टर की नाक में मूत की महक आरही थी । हां ऐसा ही था । नैना ही है वो । नैना की चूत हमेशा उसके पेशाब की महक छोड़ती रहती थी । और उसकी चूत से इतनी ज्यादा मूत गंध आती थी कि साथ बैठे इंसान को आसानी से पता चल सकता था । इससे ही आप अंदाजा लगा सकते है कि अगर नैना नंगी हो जाए तो उसकी गंध कहाँ तक जाएगी ।


तभी इंसपेक्टर ने नैना की तरफ देखा और बोला - क्यों री यहाँ बैठी बैठी मूत रही है क्या सीट पर , या डर के मारे पेशाब निकल गया ।

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नैना जो पहले से ही दुखी थी उसने एक बार अपनी चिन्ताभरी नजरों से इंस्पेक्टर को घूरा ,लेकिन तभी इंस्पेक्टर ने नैना की बाजू पकड़ी और बोला - चल जरा खड़ी हो जरा सीट पर से देखूं तो ।


नैना अभी किसी बहस के मूड में नही थी , नैना गाड़ी में सीट पर से उठी ।
इंस्पेक्टर ने सीट पर हाथ लगाकर देखा सीट तो बिल्कुल सूखी थी ।


इंस्पेक्टर - चल बैठ जा ।


नैना दोबारा से वहीं सीट पर बैठ गयी ।


इंस्पेक्टर - मूता भी नही है तूने फिर ये पेशाब की गंध कहाँ से आरही है ।


नैना कुछ नही बोली चुपचाप रही । तभी थाना आगया ।


नैना गाड़ी से उतरी तुरंत दो लेडीज कांस्टेबल नैना को गाड़ी से उतारकर अंदर ले जाने लगी ।


इंस्पेक्टर और ड्राइवर पीछे गाड़ी के पास ही खड़े थे । नैना को चलती देख फिर से उन दोनो की वही हालत हो गयी जो अभी थोड़ी देर पहले जगतपुर गांव की हुई थी ।
नैना चलती हुई दिखती ही सबसे अलग थी । नैना को चलते देख आंखों का चौड़ा हो जाना और लौड़े में करंट आजाना स्वाभाविक ही था ।

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क्योंकि नैना की गांड बेशक सबसे भारी और मोटी थी लेकिन उसके शरीर के हिसाब से वो मोटी नही लगती थी । कोई भी नैना को देखकर गदराई हुई माल कह सकता था लेकिन मोटी बिल्कुल नही कह सकता था । नैना के शरीर की बनावट ही कुछ ऐसी थी कि अगर उससे जरा भी हल्का पिछवाड़ा होता तो वो इतनी अच्छी नही लगती जितनी कि वो अब लगती थी । इसलिए ये बिल्कुल मत समझना दोस्तों की नैना मोटी थी । हां नैना का शरीर ही इतना तगड़ा तंदरुस्त था कि इतने मोटे चूचे , थलथलाते हुए नितंब और मोटी मोटी जांघे उसे एक गदरायी हुई भरे बदन वाली लड़की बनाते थे ।

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नैना को चलती देख इंस्पेक्टर बर्दास्त नही कर पाया और पैंट में ही झड़ गया ।
इंस्पेक्टर ने तुरंत अपने लंड वाली जगह को पकड़ा और एक लंबी आह की तभी इंस्पेक्टर एकसाथ चोंका जब उसे एक और आह सुनाई दी । उसने तुरंत अपने साइड में देखा तो उसकी ही तरह ड्राइवर भी झड़ रहा था अपने लंड को पैंट के ऊपर से ही पकड़कर ।


ड्राइवर - माफ करना साहब , रोक नही पाया ये चीज ही ऐसी है कि पैंट में ही झड़ गया ।


इंस्पेक्टर - कोई नही , कोई नही । सही कहा तूने साली में कुछ तो बात है वरना मैं अपनी बीवी के ऊपर चढ़कर एक घंटे में उतरता हूं और इसका तो फिगर ही अलग है साली का । इतनी जानलेवा गांड है कि मैं पहली बार आज ऐसे पैंट में झड़ा हूं ।


फिर ड्राइवर और इंस्पेक्टर दोनों एकदूसरे को देखते हुए और एकदूसरे से शर्मिंदा होते हुए थाने की तरफ बढ़ने लगते हैं ।



कहानी आगे भी जारी रहेगी ।
दोस्तो कहानी कैसी चल रही है बताना जरूर । आपके पास चार शब्दो का एक comment लिखने का वक्त जरूर होगा तो बताना जरूर ।

आपका अपना - Rachit .
Behad hi shandar or jabardast update
 

Raj_Singh

Banned
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Update - 4


नैना आगे बढ़ती हुई गब्बर सिंह को खा जाने वाली नजरो से घूरे जा रही थी ।

उधर गब्बर सिंह की भी पैंट गीली हो गयी , क्योंकि गब्बर सिंह को नैना का डर नही था । गब्बर सिंह को डर था तो नैना के पीछे गांव की भीड़ का ।
जिस गब्बर सिंह से किसी की नजर मिलाने की औकात नही थी , जिस गब्बर सिंह के सामने किसी की सर उठाकर चलने की हिम्मत नही हुई थी वही गांव की भीड़ आज गब्बर सिंग की हवेली में लाठी डंडे भाले लेकर उसके सामने बड़े रौब से खड़ी थी ।


नैना अभी तक बिल्कुल शांत खड़ी थी गब्बर सिंह के सामने और पूरे गांव की भीड़ भी अभी तक शांत ही थी । चारो तरफ थी ति बस शांति । हवा चलने से जो पेड़ हिल रहे थे उनके पत्तों की आवाज तो सुनाई दे रही थी लेकिन किसी भी इंसान की आवाज सुनाई नही दे रही थी ।
तभी नैना गब्बर सिंह के सामने आकर खड़ी हो जाती है । गब्बर सिंह की आंखों में और गब्बर सिंह के चेहरे को घूरे जा रही थी नैना ।
गब्बर सिंह भी नैना को देख रहा था अपनी खून उतरती आंखों से ।
लेकिन तभी अचानक गब्बर सिंह की नजरें एकाएक झुक गयी , गब्बर सिंह ने बहुत कोशिश की नैना की नजरों में झांकने की लेकिन वह अपनी नजर नही उठा पाया ।


ये सब गब्बर सिंह को भी हैरान कर रहा था । इलाके के बड़े से बड़े नेता भी गब्बर सिंह से नजर नही मिला पाते थे लेकिन आज पता नही क्यों गब्बर सिंह लाख कोशिशों के बाद भी अपनी नजरें नैना से नही मिला पा रहा था ।
गब्बर सिंह बार बार अपनी नजरे उठाता लेकिन उसकी नजरें अपने आप ही झुक जातीं गब्बर सिंह फिर नजर मिलाता लेकिन फिर उसकी नजरें झुक जातीं । नैना के मुख के तेज के सामने गब्बर सिंह की नजर ठहर ही नही पा रही थी ।


दोस्तों अगर मैं गलत नही हूँ तो शायद इसी को
नारीशक्ति की ताकत कहते हैं और नैना की इसी नारीशक्ति का घमंड था ।


नैना - शीतल कहाँ है ?


नैना की आवाज सुनकर गब्बर सिंह नैना से आंख तो नही मिला पा रहा था लेकिन अपने चेहरे पर हैवानियत भरी कुटिल हंसी के साथ जोर जोर से हंसने लगा । गब्बर सिंह इतनी जोर जोर से हंसने लगा कि सब गांव वाले डर गए । क्योंकि जैसा कि आप जानते हैं कि अकेले गब्बर सिंह में 30 इंसानों की ताकत थी तो उसकी हंसी भी ऐसी थी जैसे एक साथ एक ही लय में तीस रावण जोर जोर से हंस रहे हों । गब्बर सिंह के साथ साथ उसके गुंडे भी जोर जोर से हंसने लगे ।
। काफी देर हंसने के बाद गब्बर सिंह ने हंसते हुए ही बोलना शुरू किया ।


गब्बर सिंह - हाहाहा हा तू क्या हाहा तू क्या समझती है कि तू इन गांव वालों को उल्टे सीधे पहाड़े पढ़ाकर लाएगी और गजब ये हुआ कि ये आ भी गए । हाहाहा तू जानती है मैं कौन हूँ । हाहाहा गब्बर सिंह हूं मैं । तेरे साथ साथ शाम तक इनकी बहन बेटियों को शाम तक अपनी हवेली पर ले आऊंगा हाहाहा । हाहाहा ।


गब्बर सिंह ने जब ऐसा कहा तो सारे गांव वालों का दिल दहल उठा क्योंकि वो सब गब्बर सिंह की क्रूरता से अच्छी तरह से परिचित थे ।
सभी गांव वालों ने पहले तो एकदूसरे की आंखों में देखा जैसे कुछ पूछ रहे हों फिर सभी गांव वाले पीछे की तरफ मुड़ गए वापस जाने के लिए ।
ये सब देखकर तो गब्बर सिंह फूला नही समाया । गब्बर सिंह और उसके गुंडे जोर जोर से हंसने लगे ।


गब्बर सिंह हंसते हुए - हाहाहा देख तेरे जैसी कबूतरी को अकेला छोड़कर चल दिये तेरे गांव वाले हाहाहा । साथ मे गब्बर सिंह के आदमी भी जोर जोर से हंस रहे थे ।


नैना को कुछ समझ नहीं आया उसने पीछे की तरफ गर्दन घुमाकर देखा तो नैना को अपनी आंखों पर विश्वास नही हुआ ।
गांव वालों में जो विश्वास भरकर वो लायी थी वो विश्वास गब्बर सिंह के डर के आगे फीका पड़ गया था ।
गांव वालों को जाते हुए उनकी पीठ को ताक रही थी नैना ।


तभी --


तभी --


नैना ने पूरी जान से एक चांटा गब्बर सिंह के गाल पर मारा ।
चटाक्क--------------


चांटा इतनी जोर से पड़ा गब्बर सिंह के गाल पर की गब्बर से पहले तो चार पांच कदम पीछे हटा फिर जमीन पर गिर पड़ा ।
नैना के थप्पड़ में इतनी जान थी कि उसके थप्पड़ की आवाज पूरे वातावरण में गूंज उठी ।


गांव वालों के कदम एकसाथ ठिठक गए ये आवाज सुनकर । क्योंकि इस थप्पड़ की आवाज के साथ ही गब्बर सिंह और उसके गुंडो की हंसी जैसे लुप्त हो गयी थी । उनके चेहरे ऐसे दिखाई पड़ रहे थे जैसे वो कभी हंसते ही ना हों ।


गांव वालों में एक विश्वास फिर से भर उठा कि नैना अकेली होकर भी उस गुंडे के सामने गिड़गिड़ाई नही तो फिर हम तो हजारों है । दरअसल बात ये है दोस्तों की एक लड़की की इतनी हिम्मत देखकर गांव वाले सभी मर्द शर्मिंदा हो गए थे । गांव की भीड़ फिर से वापस नैना की तरफ मुड़कर बढ़ने लगी ।


उधर गब्बर सिंह को अभी तक नैना के थप्पड़ से तारे दिखाई दे रहे थे । गब्बर ने जिंदगी में पहली बार ऐसा दर्द सहा था वो भी एक थप्पड़ से । गब्बर को यकीन नही हो रहा था क्योंकि उसके सारे गुंडे एकसाथ मिलकर जब गब्बर सिंह से कुश्ती करते थे तो बड़ी ही आसानी से गब्बर सिंह उनको चित कर देता था, और उसके सारे गुंडे मिलकर भी गब्बर सिंह को हिला भी नही पाते थे । लेकिन यहाँ एक लड़की के थप्पड़ से गब्बर सिंह जमीन पर गिर पड़ा था ।


तभी नैना की चीख भरी आवाज वातावरण में गूंजी - देख हबसी कुत्ते देख मेरे साथी फिर मेरे साथ हैं और अगर इन सबने एक एक चांटा भी तुझे मारा तो तेरी खाल उधड़ जाएगी । मैं लास्ट बार पूछ रही हूं शीतल कहाँ है । अगर नही बताया तो ये दरांती तेरी आंतो को तेरे पेट से बाहर ले आएगी ।


गब्बर सिंह के चेहरे पर ख़ौफ़ छा गया नैना की रौबदार आवाज सुनकर । नैना की आवाज में एक निडरपना था । गब्बर सिंह इतना डर गया कि उसके मुंह से बोल भी नही निकला , गब्बर सिंह ने उंगली से कमरे की तरफ इशारा करते हुए हाथ उठाकर इशारा किया ।


नैना तुरंत कमरे की तरफ भागी ।
जैसे ही नैना कमरे की तरफ भागी तुरंत गब्बर सिंह ने फोन निकालकर एक मंत्री को कॉल किया ।


गब्बर सिंह फोन पर - भोसड़ी के बस चुपचाप सुन । एक लफड़ा पड़ गया है तुरंत हवेली पर भीड़ के लिए फोर्स भेज वर्ना शाम तक तू या तो भगवान को प्यार हो जाएगा या ससपेंड हो जाएगा और सुन मादरचोद -----
गब्बर सिंह बोल ही रहा था कि तभी गांववालों की भीड़ ने फोन छीनकर तोड़ दिया । गब्बर की आंखों में ख़ौफ़ छा गया लेकिन अपनी ताकत पर बड़ा घमंड था गब्बर सिंह को ।


गांववालों ने गब्बर सिंह के गुंडो को नीचे लिटाकर उनमें लात घूंसे बरसाने शुरू कर दिए ।
गब्बर सिंह को भी लात मार-मारकर गांववालों ने नीचे गिरा लिया जमीन पर ।
तभी गब्बर सिंह को गुस्सा आया उसने उठकर अपने दोनों हाथों में एक एक आदमी को उठाया और भीड़ पर फेंकना शुरू कर दिया ।
एक आदमी के मुंह पर मुक्का मारा उस आदमी के सारे दांत टूट गए और मुंह से खून की उल्टियां करते हुए जमीन पर गिर पड़ा ।
गब्बर सिंह एक आदमी को जमीन पर गिरकर उसके ऊपर पैर रखकर खड़ा हो गया उसकी जीभ तुरंत निकालकर बाहर आगयी और वो भी मर गया ।
इस तरह गब्बर सिंह ने जब 50, 60 गांव वालों को तुरंत मौत की नींद सुला दिया तो सारी भीड़ की गांड फट गई गब्बर सिंह की ताकत देखकर ।


उधर जैसे ही नैना कमरे में घुसी उसके मुंह से चीख निकली - नहीं ---- शीतल --- शीतल
नैना ने करीब जाकर देखा तो मर चुकी थी शीतल । उसकी जांघो के बीच चूत वाली जगह से खून बह रहा था अभी भी । नैना ने ध्यान से देखा तो उसे शीतल की चूत तो दिखाई ही नही दी उसे बस चूत का छेद दिखाई दिया । और वो छेद कोई छेद नही बल्कि मोटी वाली पाइप के बराबर चौड़ा था ।


नैना ने सोचा कि शीतल की चूत में कोई मोटा डंडा घुसाकर बड़ी क्रूरता और निर्दयता से उसकी जान ली है गब्बर सिंह ने । क्योंकि कोई भी शीतल को देखकर ये नही कह सकता था कि शीतल चुदते हुए मरी है क्योंकि उसकी चूत का छेद कम से कम 5 इंच चौड़ा था जिसमे से खून बह रहा था ।


नैना की आंखों में भी खून उतर आया । नैना ने तुरंत शीतल को अपनी गोद मे उठाया ऐसे ही और उसे गोद मे लेकर हाथ मे अपनी दरांती भी ले ली और बाहर आने लगी ।


जैसे ही नैना बाहर आयी उसने देखा कि कोई 20-25 गाड़ियां खड़ी हैं पुलिस की और गाड़ियों के आगे बड़े से बड़े अधिकारी गब्बर सिंह के सामने गर्दन झुकाए खड़े है । गांव की भीड़ भी एक तरफ खड़ी है और गब्बर सिंह उनके बीच मे बैठकर हुक्का पी रहा है ।


जैसे ही नैना बाहर आई तुरंत चार पुलिस वालों ने उसे पकड़ लिया ।


तभी गब्बर सिंह ने बीच मे दहाड़कर पूछा - शीतल को किसने मारा है ।


पूरे गांव की भीड़ एक ही सुर में एक ही लय में एक साथ बोली - नैना ने । नैना ने ।


नैना को तो अपनी आंख और कान दोनों पर विश्वास नही हुआ ।
नैना ( मन ही मन मे )- कितने जाहिल है ये गांव वाले , गब्बर सिंह का पाला भारी देखकर कुत्तों ने अपना जमीर बेचकर तुरंत पार्टी बदल ली , नामर्द हैं साले नपुंसक । )


पुलिस वालों ने नैना के हाथों में हथकड़ियां डाल दीं ।


तभी एक बड़ा अधिकारी गब्बर सिंह से बोला - मालिक आप चिंता मत कीजिये इस लौंडियाँ पर ऐसी धारा लगाएंगे की साली की उम्र निकल जायेगी जेल में चक्की पीसते हुए ।


नैना सब सुन रही थी । नैना चुप थी क्योंकि जब उसके अपने गांव वालों ने ही उससे एक मिनट में मुंह फेर लिया तो फिर अब बचा ही क्या है । नैना को इस तरह का जज्बाती सदमा पहली बार लगा था ।


गब्बर सिंह - हाहाहा हां इतना तो विश्वास है मुझे भोसड़ी वालों तुमपर । ले जाओ इसे वरना अभी इसकी हड्डी पसलियों का चूरन बना दूंगा ।


इतना सुनते ही चारों पुलिस वाले नैना को लेकर गाड़ी की तरफ बढ़ने लगे , और गब्बर सिंह हुक्का पीने में व्यस्त हो गया ।
गांव वालों की तरफ नैना की पीठ थी और उसे चार पुलिस वाले लेकर गाड़ी की तरफ बढ़े जा रहे थे ।


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नैना भी आखिर नैना थी आपको तो पता ही है दोस्तों । जैसे जैसे नैना उन पुलिस वालों के साथ आगे बढ़ रही थी वैसे ही गांव वाले अपने आपको रोक ना सके , और सब नैना को आंखे फाड़ फाड़कर देखने लगे ।
उसकी वजह थी नैना के शरीर का डील-डौल । नैना का भारी पिछवाड़ा । गांव वालों को लग रहा था जैसे वो कोई सपना देख रहे है । उनके ही गांव की नैना को पहली बार पूरे गांव के मर्द खड़े होकर आंखे फाड़ फाड़कर देख रहे थे ।

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और अब तो नैना के भारी भरकम पिछवाड़े को हिलता देखकर गांव वालों की आंखों के साथ साथ उनका मुँह भी खुलता जा रहा था जैसे कोई अविश्वसनीय चीज को पहली बार देख रहे हों ।


नैना थी ही ऐसी उसकी कमर इतनी पतली थी कि देखकर विश्वास नही होता था कि इस पतली सी कमर के नीचे इतना चौड़ा और भारी पिछवाड़ा भी हो सकता है । जांघे भी नैना के कूल्हों अनुसार मोटी मोटी थीं क्योंकि इतनी भारी गांड का वजन संभालने के लिए जांघे भी तो मोटी और सुडौल चाहिए । वैसी ही मोटी मोटी जांघे थी नैना की फैले फैले नितंबों को संभालने के लिए ।


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गांव वालों की फटी हुई आंखे और मुह देखकर गब्बर सिंह को कुछ अजीब सा लगा । गब्बर सिंह ने जैसे ही गांववालों की नजरों का पीछा करते हुए पीछे की तरफ गर्दन घुमाकर देखा तब तक नैना गाड़ी के अंदर बैठ चुकी थी ।
गब्बर सिंह ने सोचा हो सकता है गांव वाले पुलिस को देख रहे हैं क्योंकि कभी जगतपुर में पुलिस नही आती थी , गब्बर सिंह का ही राज चलता था ।


पुलिस इंस्पेक्टर को नैना के साथ वाली सीट पर ही बैठने का निर्देश दिया गया । एक इंस्पेक्टर नैना के साथ ही बैठ गया उसकी सीट पर । एक पुलिस वाला आगे ड्राइवर के साथ बैठ गया । टोटल चार लोग बैठे थे गाड़ी में ।
नैना की गाड़ी के आगे दस गाड़ियां चल रही थीं और कम से कम 7, 8 गाड़ियां पीछे चल रही थी ।


नैना चुप बैठी थी , गाड़ी थाने की तरफ बढ़ती जा रही थी । नैना अभी भी अपनी सोच में डूबी हुई थी शायद कुछ गहरा सोच रही थी ।
तभी नैना के साथ जो इंस्पेक्टर बैठा था जिसका नाम मुकेश था उसे कुछ अजीब लगा ।
इंस्पेक्टर ने इधर उधर देखा गाड़ी में उसे ऐसी कोई चीज दिखाई नही दी । गाड़ी के शीशे भी बंद थे कोई बाहर से भी हवा नही आरही थी । उस इंस्पेक्टर की ऐसी हालत नैना के बिल्कुल नजदीक बैठने की वजह से थी । इंस्पेक्टर ने फिर सीट के नीचे देखा वहां पर भी कुछ नही था । गाड़ी बिल्कुल ही साफ सुथरी थी ।
इंस्पेक्टर फिर से अपना मुंह इधर उधर घुमाकर सूंघने लगा लेकिन फिर वही गंध ।
दरअसल बात ये थी दोस्तों नैना के बिल्कुल नजदीक बैठने की वजह से इंस्पेक्टर की नाक में मूत की महक आरही थी । हां ऐसा ही था । नैना ही है वो । नैना की चूत हमेशा उसके पेशाब की महक छोड़ती रहती थी । और उसकी चूत से इतनी ज्यादा मूत गंध आती थी कि साथ बैठे इंसान को आसानी से पता चल सकता था । इससे ही आप अंदाजा लगा सकते है कि अगर नैना नंगी हो जाए तो उसकी गंध कहाँ तक जाएगी ।


तभी इंसपेक्टर ने नैना की तरफ देखा और बोला - क्यों री यहाँ बैठी बैठी मूत रही है क्या सीट पर , या डर के मारे पेशाब निकल गया ।

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नैना जो पहले से ही दुखी थी उसने एक बार अपनी चिन्ताभरी नजरों से इंस्पेक्टर को घूरा ,लेकिन तभी इंस्पेक्टर ने नैना की बाजू पकड़ी और बोला - चल जरा खड़ी हो जरा सीट पर से देखूं तो ।


नैना अभी किसी बहस के मूड में नही थी , नैना गाड़ी में सीट पर से उठी ।
इंस्पेक्टर ने सीट पर हाथ लगाकर देखा सीट तो बिल्कुल सूखी थी ।


इंस्पेक्टर - चल बैठ जा ।


नैना दोबारा से वहीं सीट पर बैठ गयी ।


इंस्पेक्टर - मूता भी नही है तूने फिर ये पेशाब की गंध कहाँ से आरही है ।


नैना कुछ नही बोली चुपचाप रही । तभी थाना आगया ।


नैना गाड़ी से उतरी तुरंत दो लेडीज कांस्टेबल नैना को गाड़ी से उतारकर अंदर ले जाने लगी ।


इंस्पेक्टर और ड्राइवर पीछे गाड़ी के पास ही खड़े थे । नैना को चलती देख फिर से उन दोनो की वही हालत हो गयी जो अभी थोड़ी देर पहले जगतपुर गांव की हुई थी ।
नैना चलती हुई दिखती ही सबसे अलग थी । नैना को चलते देख आंखों का चौड़ा हो जाना और लौड़े में करंट आजाना स्वाभाविक ही था ।

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क्योंकि नैना की गांड बेशक सबसे भारी और मोटी थी लेकिन उसके शरीर के हिसाब से वो मोटी नही लगती थी । कोई भी नैना को देखकर गदराई हुई माल कह सकता था लेकिन मोटी बिल्कुल नही कह सकता था । नैना के शरीर की बनावट ही कुछ ऐसी थी कि अगर उससे जरा भी हल्का पिछवाड़ा होता तो वो इतनी अच्छी नही लगती जितनी कि वो अब लगती थी । इसलिए ये बिल्कुल मत समझना दोस्तों की नैना मोटी थी । हां नैना का शरीर ही इतना तगड़ा तंदरुस्त था कि इतने मोटे चूचे , थलथलाते हुए नितंब और मोटी मोटी जांघे उसे एक गदरायी हुई भरे बदन वाली लड़की बनाते थे ।

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नैना को चलती देख इंस्पेक्टर बर्दास्त नही कर पाया और पैंट में ही झड़ गया ।
इंस्पेक्टर ने तुरंत अपने लंड वाली जगह को पकड़ा और एक लंबी आह की तभी इंस्पेक्टर एकसाथ चोंका जब उसे एक और आह सुनाई दी । उसने तुरंत अपने साइड में देखा तो उसकी ही तरह ड्राइवर भी झड़ रहा था अपने लंड को पैंट के ऊपर से ही पकड़कर ।


ड्राइवर - माफ करना साहब , रोक नही पाया ये चीज ही ऐसी है कि पैंट में ही झड़ गया ।


इंस्पेक्टर - कोई नही , कोई नही । सही कहा तूने साली में कुछ तो बात है वरना मैं अपनी बीवी के ऊपर चढ़कर एक घंटे में उतरता हूं और इसका तो फिगर ही अलग है साली का । इतनी जानलेवा गांड है कि मैं पहली बार आज ऐसे पैंट में झड़ा हूं ।


फिर ड्राइवर और इंस्पेक्टर दोनों एकदूसरे को देखते हुए और एकदूसरे से शर्मिंदा होते हुए थाने की तरफ बढ़ने लगते हैं ।



कहानी आगे भी जारी रहेगी ।
दोस्तो कहानी कैसी चल रही है बताना जरूर । आपके पास चार शब्दो का एक comment लिखने का वक्त जरूर होगा तो बताना जरूर ।

आपका अपना - Rachit .

Writer ji ne NAINA ko itna Lachar dikha diya ki Jail chupchap chal di, aise Lachar ko to GABBAR patak-patak kar CHOD deta, agar wo NAINA ko pahchan jata to. :fuck1:

NAINA ka BHAI ya BAAP Zinda bhi hai ya Writer ne kahani me mar diye hai. :waiting1:

Writer ke anusar "Nari Sakti ka Ghamand" to Mujhe yahi lag raha hai ki GHAMAND aur NAKHRA dikhate hue NAINA aakhir me GABBAR se hi CHUDTI dikhegi. :hehe:
 

Rachit Chaudhary

B a Game Changer ,world is already full of players
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Writer ji ne NAINA ko itna Lachar dikha diya ki Jail chupchap chal di, aise Lachar ko to GABBAR patak-patak kar CHOD deta, agar wo NAINA ko pahchan jata to. :fuck1:

NAINA ka BHAI ya BAAP Zinda bhi hai ya Writer ne kahani me mar diye hai. :waiting1:

Writer ke anusar "Nari Sakti ka Ghamand" to Mujhe yahi lag raha hai ki GHAMAND aur NAKHRA dikhate hue NAINA aakhir me GABBAR se hi CHUDTI dikhegi. :hehe:
भाई मूवी में हीरो हमेशा rock ही नही करता । सब हालातों के हिसाब से होता है ।
 
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