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Adultery Naina - नारीशक्ति का घमंड

कहानी में क्या चाहते हो आप ?


  • Total voters
    269

Naik

Well-Known Member
21,534
77,425
258
Update - 3.

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आपने पीछे update- 2 में पढ़ा था -----
साधु महात्मा बोले - बालक मैं तुझे उस कन्या की कुछ विशेषताओं के बारे में बता देता हूँ जिससे तुझे उस कन्या को खोजने में आसानी होगी लेकिन अपनी खोज तुझे स्वयं करनी होगी । तो सुन उस कन्या की विशेषताएं ---

1- उस कन्या का शरीर उसकी उम्र से ज्यादा बड़ा प्रतीत होगा ।

2- उस कन्या के वक्ष जैसे उसकी छातियां और नितंब भी विशालकाय होंगे।

3- उस कन्या को तेरे अलावा कोई और संतुष्ट नही कर पायेगा ।

4- और उस कन्या की सबसे बड़ी विशेषता यह होगी कि उसके शरीर से उसके मूत्र की महक हर समय बिखरेगी, लेकिन उसे वही सूंघ पायेगा जिसके सामने वो नग्न होगी या जब उसके कोई बिल्कुल करीब होगा ।।

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अब आगे ---------

ऐसा कहकर साधु महात्मा अपनी पत्नी को लेकर चले गए ।
उस दिन से आज तक मैं उस लड़की की तलाश करता आ रहा हूं और मेरे नीचे जो भी लड़की आती है वह संभोग करते हुए ही मर जाती है । अब तक सैकड़ों लड़कियां मर चुकी हैं लेकिन वह आज तक नहीं मिली जिसकी मुझे तलाश है ।

शीतल तो यह सुनकर कांप गयी मानो उसे कानों पर विश्वास नही हो रहा था ।

शीतल- नहीं वह लड़की में नहीं हूं । मेरी जान मत लो । आखिर तुम कैसे कह सकते हो कि वो लड़की मैं ही हूं ।


गब्बर सिंह - ये तुम अपनी नजर से देख रही हो, मेरी नजर से देखो। कितना भारी पिछवाड़ा है तुम्हारा , हल्के मोटे इंसान को तो 1 मिनट भी नहीं रुकने दोगी अपने ऊपर ।

यह सुनकर बुरी तरह से शर्मा गयी शीतल ।

शीतल अपने मुंह पर उदासी लाते हुए - देखिए आप की कहानी जो भी है मैं समझ सकती हूं , लेकिन मुझे अपनी जान बहुत प्यारी है । मैं मरना नहीं चाहती ।


गब्बर सिंह- मेरा भी उद्देश्य तुम्हें मारने का का नहीं है , लेकिन मुझे लग रहा है तुम्हारा पिछवाड़ा इतना निकला हुआ है और तुम्हारी छातियां भी गोल गोल है , तो हो सकता है तूम ही निकल आओ वह लड़की और तुम मुझे जानती हो कि यह मैं जबर्दस्ती भी कर सकता हूं और मैं करूंगा ही । अब तुम पर निर्भर करता है कि अपनी मर्जी से मुझे यह करने दोगी या मैं जबर्दस्ती करूं ।


शीतल सुनकर डर गई अपनी इज्जत को बहुत ज्यादा प्यार करती थी।
उधर गब्बर सिंह ने अपना कुर्ता उतार दिया और अपना पजामा भी निकाल दिया ।
शीतल की तो आंखें फटी की फटी रह गई शीतल मन में सोचने लगी यह आदमी है या दानव । आज तक मैंने किसी भी लड़के या आदमी का ऐसा शरीर नहीं देखा । कितनी चौड़ी छाती है इस गुंडे की , दोनों निपल्स के बीच दो बिलांद का फासला है और कितने मांसल जांघ है इसकी । यह तो मेरी जान ही निकाल देगा तभी शीतल की नजर गब्बर सिंह के अंडरवियर पर पड़ी तो उसके हाथ उसके मुंह पर आ गए । क्योंकि कोई गोला सा रखा हुआ था गब्बर सिंह के अंडर वियर में ।

गब्बर सिंह ने अपना अंडरवियर भी उतार किया जैसे ही गब्बर सिंह ने अंडरवियर उतारा तो उसके अंडरवियर में गोला जैसी कोई और चीज नहीं बल्कि गब्बर सिंह का सोया हुआ महालंड था जो अंडर वियरउतरते ही लंबा होकर लटक गया । सोया हुआ लंड भी कम से कम 13 इंच का होगा ।


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शीतल की तो जान ही हलक को आ गई गब्बर सिंह का सोया हुआ महालंड देखकर । पहली बार लंड देखा था अपनी जिंदगी में शीतल ने लेकिन उसने पोर्न फिल्मों में सेक्स देखा था लेकिन उनके खड़े हुए लंड भी इतने लंबे उसने नहीं देखे थे जितना गब्बर सिंह का सोया हुआ लंड था । उसके सोए हुए लंड की मोटाई ही कलाई के बराबर थी ।


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गब्बर सिंह हंसते हुए बोला - मुंह पर हाथ क्यों रखती है लंड का स्वागत कर। अगर तू इस लंड के नीचे टिक गई तो तेरी जिंदगी बचेगी वरना मर जाएगी। अब फैसला करना है कि तुम मेरे लंड को कैसे झेलोगी इसलिए अपने इस रोते हुए मुंह पर वासना ला और अपने पिछवाड़े को तैयार कर मेरे लंड का सामना करने के लिए और अपनी चूत में पानी ला मेरे लंड की रगड़ झेलने के लिए । यही एक रास्ता है बस तेरे पास बचने का ।

कमरे में सन्नाटा था लेकिन तभी कुछ देर बाद बाद एक भयंकर थप्पड़ की आवाज आई । बहुत ही ताकत से मारा गया थप्पड़ था ये ।

दोस्तों आप सोच रहे होगे कि कहानी में क्या ट्विस्ट आने वाला है लेकिन ऐसा कुछ नहीं है हा हा हा हा । हां दोस्तों यह नैना का थप्पड़ नहीं बल्कि गब्बर सिंह का थप्पड़ था , जो शीतल की भारी भरकम गांड पर पड़ा था ।

बेशक शीतल के कूल्हे भरे हुए थे लेकिन फिर भी गब्बर सिंह जैसे दानव और ताकतवर गुंडे का थप्पड़ गांड पर पड़ते ही मुंह के बल गद्दे पर जा गिरी ।
शीतल के दोनों कूल्हे बुरी तरह से हिल गए शीतल के मुंह से एक दर्द भरी आह निकली शीतल हैरान रह गई उसकी ताकत का ये नमूना देखकर।
शीतल को विश्वास नहीं हुआ कि किसी इंसान के अंदर इतनी ताकत भी हो सकती हैं ।


गब्बर सिंह शीतल की गांड को बड़े ध्यान से देखे जा रहा था । जींस में फंसे हुए नितंब जीन्स फाड़कर बाहर आने को उतावले थे ।
गब्बर सिंह ने शीतल की जींस को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और चर्रर की आवाज से उसकी जीन्स को फाड़ दिया।


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हां दोस्तों गब्बर सिंह में इतनी ताकत थी कि उसने डेनिम की जींस को अपने हाथों से दो भागों में चीर कर फाड़ दिया।
शीतल के कूल्हे आजाद हो गए और गब्बर सिंह दोनों कूल्हों को विपरीत दिशा में खोलकर बड़े ही ध्यान से देखने लगा ।

शीतल की गांड का छेद ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे बार-बार खुल रहा हो और बंद हो रहा हो उसके नीचे शीतल की झांटों के बाल थे जिन्होंने शीतल की चूत को बिल्कुल ढका हुआ था ।

दोस्तों आप लोग गब्बर सिंह की ताकत का अंदाजा तो लगा ही चुके होंगे ।
शीतल इस ताकत के सामने अपने आपको बेबस महसूस कर रही थी । शीतल को कोई भी विरोध गब्बर सिंह के गुस्से को बढ़ा सकता था। इसलिए शीतल ने चुप रहना ही उचित समझा।


गब्बर सिंह ने अपनी नाक को शीतल के चूतड़ों के बीच रखा और ऐसे ही 1 मिनट तक सूंघ कर ऊपर उठा और बोला।

गब्बर सिंह - हां खुशबू तो तेरे मूत की ही है ।

शीतल ने शर्म की वजह से अपना मुंह गद्दे में छुपाया हुआ था।

गब्बर सिंह बोला - खड़ी हो मैं भी तो देखूं कि मेरे नीचे टिकने वाली लड़की आखिर दिखती कैसी है । चल मुझे इस कमरे में चल कर दिखा।

शीतल बिल्कुल मौन थी अपनी फटी हुई जींस को पहने हुए ही वह खड़ी हुई और कमरे में घूमने लगी। जींस फटी होने की वजह से उसके नितंब आजाद हो गए थे और चलते हुए काफी हिल रहे थे उन्ही हिलते हुए चूतड़ों को देखकर वासना और हवस का शिकार हो गया गब्बर सिंह और उसने अपने लोड़े को हिलाना शुरू कर दिया । लंड धीरे-धीरे अपनी औकात में आने लगा।


गब्बर सिंह - क्या खाकर जना है तेरी मां ने तुझे जो तू इतनी गदरायी हुई है । तुझे तो चूतों की राजकुमारी होना चाहिए । मेरे लंड लीलने के लिए तेरे जैसी भरी हुई लौंडिया ही होनी चाहिए । तू ही है जो मेरे लोड़े को अपनी चूत में उतार पाएगी । चला आजा ।


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ऐसा कहकर गब्बर सिंह गद्दे पर लेट गया ।
शीतल ने जैसे ही गब्बर सिंह को लेटा हुआ देखा तो उसके आश्चर्य की सीमा ना रही क्योंकि गब्बर सिंह का लोड़ा शीतल के हाथ की कोहनी के बराबर था।
इतना लंबा मोटा महालंड कैसे झेलेगी वह यही सोच रही थी शीतल।

धीरे-धीरे कदमों से गब्बर सिंह के पास गयी शीतल ।
गब्बर सिंह ने उसका हाथ पकड़कर उसे झटका दिया और अपनी तरफ खींच लिया ।

किसी बच्चे की तरह गब्बर सिंह के बराबर में लेट गई शीतल ।

गब्बर सिंह ने उसके कपड़ों को उतार दिया और बिल्कुल नंगी कर दिया शीतल को ।

शीतल ने तो अपने हाथों को अपने मुंह पर रख लिया अपनी आंखें मूंद ली। लेकिन गब्बर सिंह की आंखें सिर्फ एक जगह पर टिकी हुई थी और वह थी शीतल की झांटों से भरी हुई चूत ।

गब्बर सिंह ने चूत के जंगल में हाथ फेरा तो गनगना उठी शीतल ।

गब्बर सिंह- तेरी चूत पर तो झांटें ऐसे पहरा दे रही हैं जैसे इस खाजाने की रक्षा कर रही हों ।

शीतल - हम्म मुझे जाने दो प्लीज ।

गब्बर सिंह (झांटों में उंगलियां घूमाते हुए )- जाने दूंगा पहले लंड तो डाल दुं तेरी इस गीली चूत में ।

गब्बर सिंह ने शीतल की टांगों को मोड़ कर उसकी छाती से लगाया अब तो शीतल की चूत खुलकर सामने आगयी ।
मोटी मोटी जांघों के बीच में काली झांटों से भरी हुई वो चूत देखकर गब्बर सिंह को यकीन हो गया कि शीतल ही उसका लंड झेल पाएगी ।

अब गब्बर सिंह अपने मुंह से शीतल की चूत पर थूकना शुरू कर देता है ।गब्बर सिंह ने शीतल की चूत पर एक या दो बार नहीं बल्कि लगातार दो मिनट तक थूकता ही रहा । गब्बर सिंह से उनके मुंह से थूक निकलकर सीधा शीतल की चूत पड़ता और झांटों में उलझ जाता।
शीतल को कुछ अजीब सा लगा तो उसने देखा कि गब्बर सिंह उसकी टांगों को उसकी छाती से लगाकर उसकी चूत पर थूकता ही चला जा रहा है ।

शीतल को अपनी तरफ देखते हुए गब्बर सिंह बोला- हैरान मत हो मेरे लंड को झेलने के लिए तेरी चूत को पूरी तरह से तैयार कर रहा हूं । जितना ज्यादा थूक तेरी चूत पर थुकूँगा उतना ही आराम से झेल पाएगी मेरे लोड़े को।


शीतल ने फिर शर्म से अपना चेहरा छुपा लिया । लगभग दो-तीन मिनट तक शीतल की चूत पर थूकने के बाद गब्बर सिंह ने देखा कि शीतल की चूत उसके थूक से सन गई है । शीतल की चूत जो अभी झांटों की वजह से काली नजर आ रही थी वह अब सफेद नजर आने लगी थी।

गब्बर सिंह ने पास में रखी तेल की शीशी ली और उसमें से तेल निकालकर अपने लोड़े पर लगाने लगा । कम से कम आधी शीशी तेल लोड़े पर मलने के बाद अपने लंड को चिकनाहट से चमका लिया ।
तेल की कुछ बूंदे लोड़े के सुपड़े से होते हुए नीचे टपकने लगी। यह बूंदे नीचे गद्दे पर नहीं बल्कि सीधी शीतल की चूत पर गिर रही थी ।

अजीब नशा हुआ शीतल को इसका और ना चाहते हुए भी उसका हाथ अपनी चूत पर चला गया । शीतल अपनी छातियों को छत उठाकर चूत सहलाते हुए किसी मछली की तरह तड़पने लगी ।गब्बर सिंह शीतल की यह हालत देखकर मुस्कुराया और बोला ।

गब्बर सिंह- आज तेरी इस पनियाती हुई चूत में अपना लंड डालकर मैं तुझे अपनी रानी बना लूंगा, फिर कभी नहीं तड़पने दूंगा इस तरह तुझे लंड के लिए । तुझे देख कर ही लग रहा है कि तू एक गर्म लौंडिया है , ले झेल मेरा लौड़ा ।
ऐसा कहकर गब्बर सिंह ने अपने लंड का सुपाड़ा शीतल की चूत पर रखा और शीतल की चूत को अपने लंड से रगड़ने लगा ।


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शीतल के लिए भी बर्दाश्त से बाहर हुआ जब चिकना लंड झांटों से भरी हुई चूत पर फिसलने लगा तो शीतल की चूत ने पानी उड़ेल दिया ।

अब गब्बर सिंह ने शीतल की दोनों टांगों को छाती से लगाया और शीतल के ऊपर आ गया ।

ऊपर छत की तरफ से देखने पर सिर्फ गब्बर सिंह ही दिखाई दे रहा था , शीतल तो उसके नीचे दिख ही नहीं रही थी , ऐसा शरीर था गब्बर सिंह का।


गब्बर सिंह अपने लंड को उसकी चूत पर रखने के बाद धीरे-धीरे सहलाते हुए चूत के छेद को टटोलने लगा ।
इतना मोटा सुपाड़ा होगा तो छेद का तो दोस्तों पता ही नहीं चलेगा और यही वजह थी की समझ नहीं आ रहा था गब्बर सिंह को की लंड कहां घुसाए और कहां नही ।


शीतल की जांघो पर मानो कोई पहाड़ रख दिया हो इतना वजन महसूस कर रही थी शीतल ।
तभी शीतल को महसूस हुआ कोई जैसे उसकी चूत में कोई गेंद घुसने की कोशिस कर रही हो , लेकिन ये कोई गेंद नहीं बल्कि गब्बर सिंह के महालंड का सुपाड़ा था ।

शीतल ने एक बार अपनी चूत को सहलाया तभी गब्बर सिंह बोला - हां मेरी गदरायी हुई भैंस अब ये चूत लौड़ा खाने के लिए तैयार है ।

जैसे ही गब्बर सिंह ने ऐसा बोला तो शीतल ने शर्म से अपना चेहरा दोनों हाथों से ढक लिया तभी शीतल को अपने चेहरे पर कुछ गीला गीला लगा , ये क्या ये तो गब्बर सिंह का थूक था जो गब्बर ने उसकी चूत पर 2,3 मिनट तक थूका था । शीतल ने तुरंत हाथ हटा लिए मुह से ।

अपनी चौड़ी चौड़ी जांघो को फैलाये गब्बर सिंह जैसे महाबली ताकतवर इंसान के नीचे लेटी हुई शीतल किसी कामदेवी से कम नही लग रही थी और अब तो मादकता की हद पार हो गयी जब उसने गलती से अपना ही चेहरा गब्बर सिंह के थूक से सान लिया ।
तभी---

तभी गब्बर सिंह ने अपनी कमर पर थोड़ा दबाव बनाया लेकिन शीतल की चूत पर ज्यादा थूक होने की वजह से लंड शीतल की चूत से फिसलकर उसकी गांड के छेद से रगड़ते हुए फिसल गया ।

शीतल गनगना गयी । गब्बर सिंह ने फिर अपने लंड को अपने हाथ से पकड़ा शीतल यह देखकर हैरान रह गयी की गब्बर सिंह इंसान के चौड़े हाथ से लंड पकड़ने के बाद भी आधे से ज्यादा लंड तो हाथ से बाहर लटक रहा था ।

गब्बर सिंह ने दोबारा से शीतल की जांघो को चौड़ाया और अपने हाथ से अपना महालंड पकड़कर शीतल की चूत के छेद पर रखा । गब्बर सिंह ने अपने हाथ से कसकर पकड़ रखा था लौड़े को ताकि फिसल ना जाये ।

तभी ----


अपनी कमर में हल्की सी जान इक्कठी करके (हां दोस्तों गब्बर सिंह जैसे ताकतवर इंसान को थोड़ी सी ही जान लगाने की जरूरत थी) एक झटका लगाया । झटका लगाया ही था कि तभी ---

aaaaaaaaaaiiiiiiiiiiieeeeeeeeeeeeeehhhhaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaoooooooooooooooooooiiiiiiiiiiiiiiiiii mmaaaaarrrrrrrrr ggyyyyyiiiiiiiiiieeeeeeeeeee maaa

गब्बर सिंह का आलू जैसा सुपाड़ा चूत में घुस चुका था दोस्तों जिस वजह से ये भयंकर चीख शीतल के मुँह से निकली । चीख इतनी भयंकर और तेज थी कि पूरा कमरा गूंज गया शीतल की चीख से । गेट लगा होने के बाद भी ये चीख बाहर गब्बर सिंह के गुंडों ने साफ सुनी और आपस मे बात करने लगे ।


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भीमा उदास सा होते हुए - लगता है ये भी मर गयी साली ।

दूसरा गुंडा (जिसका नाम जगवीर था लेकिन पूरा इलाका इसे जग्गा डाकू के नाम से जानता था ) बोला - हां यार भीमा सही कह रहा है इसकी चीख सुनकर तो यही लग रहा है कि इसका भी सबकी तरह काम तमाम हो गया ।

दोस्तों इन गुंडों को अभी ये पता नही था कि ये चीख तो सिर्फ सुपाड़ा घुसने से निकली थी ।

उधर शीतल की दोनों आंखों से आंसू बहकर साइड से नीचे गिरने लगे । शीतल अपनी पूरी ताकत से गब्बर सिंह को हटाने की कोशिस करने लगी लेकिन शीतल की ताकत का मानो गब्बर सिंह पर कोई असर ही नही हो रहा था । शीतल ने अपनी पूरी ताकत से गब्बर सिंह की छाती में मुक्के मारने शुरू किये और शीतल हैरान रह गयी । क्योंकि शीतल पूरी ताकत से घूंसे मार रही थी और बदले में गब्बर सिंह मुस्कुरा रहा था ।

अब गब्बर सिंह ने शीतल की हालत को देखकर उसे नॉर्मल करने के लिए एक अंगूठे से शीतल की चूत के दाने को सहलाना शुरू किया । शीतल के चुचों को सहलाना शुरू किया । पांच मिनट तक सहलाने के बाद भी शीतल की हालत में कोई सुधार नही हुआ । शीतल का मुंह लाल पड़ गया आंखों से आंसू बहने लगे , होंठ लगातार थरथरा रहे थे । कमरे में ac होने के बावजूद भी पसीने - पसीने थी शीतल ।

अब गब्बर सिंह ने देर करना उचित नही समझा उसने फिर एक झटका लगाया -
aaaaaaaaaaiiiiiiiiiiieeeeeeeeeeeeeehhhhaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaoooooooooooooooooooiiiiiiiiiiiiiiiiii mmaaaaarrrrrrrrr ggyyyyyiiiiiiiiiieeeeeeeeeee maaa

झटका मारते वक्त गब्बर सिंह ने अपना पूरा वजन शीतल के ऊपर डाल दिया था । इतने भारी और बलशाली पुरुष के धक्के से पूरा लंड अंदर चला जाता लेकिन गब्बर सिंह का चार इंच लौड़ा ही शीतल की चूत में उतर पाया । इसकी वजह थी महालंड की मोटाई ।

शीतल की हालत तो बयां ही ना हो पाए ऐसी हालत हो चली थी शीतल की । चूत में कोई खूंटा गाढ़ रहा हो ऐसा लग रहा था शीतल को ।
शीतल का मुंह अब O के आकार में खुला हुआ था और माथे पर पसीना ।


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जैसे ही ये दूसरी चीख बाहर गुंडों के कान में पहुंची अचानक उनमें खुशियों का माहौल सा छा गया ।
भीमा - अरे जग्गा ये तो जिन्दी है बे , मतलब ये वही लड़की है hahahaha । मतलब ये झेल गयी मालिक के महालंड को ।

जग्गा - अरे हां भीमा तूने सही बोला क्योंकि आजतक किसी लड़की की दूसरी चीख नही सुनाई दी हर लड़की मालिक के पहले झटके में ही मर जाती है ।

भीमा - आखिर मालिक को भी मिल गयी आज उनकी दुल्हन । मुझे पहले से ही पता था ये लड़की ही झेल पाएगी मालिक को ।

जग्गा - हां देखा नही है क्या कितनी गदरायी हुई माल है , ऐसी गदरायी हुई लौंडियों को ही जरूरत होती है मोटे तगड़े लौड़े की ।

भीमा - चलो तो देर किस बात की मालिक को मनाने दो अपनी सुहागरात दिन में ही और हम लोग पार्टी शुरू करते है ।

जग्गा - हां भीमा वैसे भी मालिक आज तक झड़े नही हैं कभी भी आज मालिक का वीर्य पहली बार उनके महालंड से बाहर निकलेगा । खुसी की तो बात है ही पार्टी में देरी कैसी फिर ।

ऐसा कहकर सभी गुंडे ठहाका लगाकर हंस पड़े ।
(दोस्तों अगर आपको पता नही हो तो बता दूं कि गांव में तो गब्बर सिंह का राज चलता ही था, साथ मे गब्बर सिंह के खुद के दस शराब के ठेके भी चलते थे जिनमें से एक ठेका गांव में ही खोल रखा था गब्बर सिंह ने)
तभी भीमा ने ठेके वाले को फोन किया और कहा आज मालिक बहुत खुश है उन्होंने खाने का इंतजाम करने को बोला है पांच मिनट में ।
भीमा ने आर्डर दिया - दारू की दो पेटियां मंगाई और 30 किलो मुर्गा ।

तकरीबन पांच मिनट बाद ही एक गाड़ी हवेली में घुसी जो order लेकर आया था ।
पार्टी शुरू हो चुकी थी बाहर गब्बर सिंह के सभी गुंडों की । बिना ये जाने की कमरे के अंदर क्या गब्बर सिंह और शीतल के बीच क्या चल रहा है ।

उधर कमरे में गब्बर सिंह अपना 4 इंच लौड़ा शीतल की चूत में उतरकर उसके ऊपर चढ़ा बैठा था ।
जब शीतल का दर्द असहनीय हो गया तो शीतल ने अपने हाथों से गब्बर सिंह की पीठ पर नोचा लेकिन गब्बर सिंह को कोई असर नही हुआ । गब्बर सिंह अपने भयानक चेहरे से शीतल को देखता रहा । शीतल के नाखूनों में गब्बर सिंह की पीठ की खाल भी नोचने के साथ छीलकर आगयी लेकिन गब्बर सिंह को कोई असर नही पड़ा । शीतल की चूत से खून निकालकर गद्दों पर गिरने लगा ।

तजरीबन दो मिनट तक ऐसे ही शीतल को दबोचे हुए अपना महालंड हल्का सा बाहर खींचना चाहा गब्बर सिंह ने लेकिन उसे ऐसा महसूस हुआ जैसे शीतल भी उसके साथ उठती चली जायेगी , यह देखकर गब्बर सिंह रुक गया ।

गब्बर सिंह ने शीतल की मोटी मोटी जांघो को सहलाया । गब्बर सिंह ने देखा तो उसका एक चौथाई महालंड शीतल की चूत में फसा हुआ था । उसका आधा मोटा लौड़ा शीतल की चूत की झांटों ने घेरा हुआ था ।

गब्बर सिंह ने इस बार थोड़ा जोर लगाकर एक हुंकार भरते हुए लौड़ा अंदर ठेलने के लिए झटका मारा ।
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झटका इतना जोरदार मारा गया कि शीतल की चूत साइडों से चीरती हुई चली गयी , इतना बलशाली झटका खाकर शीतल बेहोश हो गयी । गब्बर सिंह ने अपने चूतड़ों को भींचकर ये धक्का मारा था जिस वजह से गब्बर सिंह के आधा महालंड यानी 8 या 9 इंच लौड़ा चूत में उतर गया ।


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गब्बर सिंह ने देखा कि शीतल अभी होश में नही है । गब्बर सिंह फूला नही समा रहा था खुसी से क्योंकि उसका आधा महालंड भी आजतक कोई लड़की नही झेल पाई थी , लेकिन शीतल की चूत भी फटी खून भी बह रहा था लेकिन शीतल मरी नही थी सिर्फ बेहोश हुई थी ।
अब गब्बर सिंह को यकीन हो चला था कि शीतल ही वो लड़की है जिसकी तलाश उसे थी ।

बाहर गब्बर सिंह के गुंडो ने जैसे ही तीसरी चीख सुनी अब तो वो ताली मार-मारकर हंसने लगे और दारू मुर्गा उधेड़ने लगे ।

अंदर तकरीबन 5 मिनट बाद शीतल को होश आया जब गब्बर सिंह ने शीतल के गालों को चाटा ।
(प्रिय पाठकों यहाँ आप लोग सोच रहे होंगे कि कैसी चुदाई लिख रहा है राइटर । ना कोई किस चुम्मी , ना कोई चूत लंड चाटा-चाटी डायरेक्ट लौड़ा डलवा दिया, गाल भी चाटा तो होश में लाने के लिए , तो प्रिय पाठकों मै कहानी के अनुसार ही लिख रहा हूँ क्योंकि गब्बर सिंह को सबसे पहले उस लड़की की तलाश थी फिर उसे देखना था कि वो ही ये लड़की है या नही इसलिए चुम्मा चाटी में समय नही गंवाता था गब्बर सिंह । बाकी आप समझ गए होंगे )

अब तकरीबन पांच मिनट बाद शीतल को होश आया उसकी आंखें खुली ।
आंखे खुलते ही फिर से शीतल के चेहरे पर डर छा गया जब उसकी नजर मुस्कुराते हुए गब्बर सिंह पर पड़ी । शीतल को अब गब्बर सिंह का वजन झेलने में भी परेशानी हो रही थी इतना भारी भी था गब्बर सिंह । शीतल की मोटी गांड भी गद्दों में धंस गयी थी ।

गब्बर सिंह ने शीतल की आंखों में देखते हुए अपनी पूरी जान लगाकर झटका मारा , ये पहला झटका था जिसमे गब्बरसिंह ने जान लगाई थी--

इसबार कोई चीख नही कोई प्रितिक्रिया नही हुई शीतल की तरफ से ।
इसबार हुआ ये था कि गब्बर सिंह का लौड़ा शीतल के बच्चेदानी को फाड़ता हुआ , चूत की धज्जियां उड़ाता हुआ जड़ थक उतर गया था , उतर गया था कहना गलत होगा यारों गब्बर सिंह का महालंड चूत को चीरता हुआ जड़ तक ठुक गया था ।
यही वजह थी कि शीतल इसे सहन नही कर पाई और गब्बर सिंह की तरफ देखते हुए उसने अपनी आखरी सांस ली और इस दुनिया से विदा हो गयी ।

जैसे ही गब्बर सिंह की नजर शीतल की पथराई आंखों और रुकी हुई सांसो पर पड़ी गब्बर सिंह के मुंह से निकला - ये भी गयी भोसड़ी वाली , ये भी वो लड़की नही है ।

ऐसा कहकर गब्बर सिंह ने अपना लौड़ा बाहर खींचा तो शीतल की चुत की खाल भी खींचने लगी उसकी मोटाई की वजह से लेकिन अब क्या मर चुकी थी शीतल तो । गब्बरसिंह ने एक झटके से महालंड बाहर खींच लिया । लौड़ा बाहर आते ही खून की नाली सी बहने लगी शीतल की चूत से ।
गब्बर सिंह ने खून में लथपथ लौड़े को साफ किया और कमरे में टंगे दूसरे कुर्ते पजामा पहन लिया ।

गब्बर सिंह चिल्लाते हुए गेट खोलने लगा - भीमा ओ भीमा लगा दे भोसड़ी वाली की लाश को ठिकाने ।

लेकिन भीमा , जग्गा और सभी तो पार्टी में व्यस्त और मग्न थे ।

गेट खोलते ही जैसे ही गब्बर सिंह की नजर बाहर हॉल में पड़ी तो वहां सब दारू पी रहे थे मुर्गा खा रहे थे।

गब्बर सिंह( मन ही मन में) - इनकी मा का भोसड़ा , यहाँ जिस लड़की की तलाश है वो मिल नही रही , एक लड़की मर गयी ऊपर से ये माधरचोद यहाँ दारू मुर्गा के मजे ले रहे है ।

ऐसा सोचकर गब्बर सिंह ने अपनी पिस्तौल निकाली और सीधी तान दी अपने गुंडो के ऊपर ।

------ धाआयं -----

ये गोली एक गुंडे के माथे पर लगी जिससे वो वहीं पर ढेर हो गया।
गोली चलते ही सारे गुंडों का नशा एक सेकंड में मा की चूत में चला गया । hahaha मतलब एक सेकंड में सारा नशा उतर गया ।
सभी के हाथ कांपने लगे, माथे पर पसीने के साथ साथ ख़ौफ़ भी छा गया ।

सबके मुँह से एक ही बात निकली - म-मालिक हमसे क्या गलती हो गयी ।

गब्बर सिंह - बहन-के-लौड़ों ये किस बात की खुसी मनाई जा रही है । आज तुम्हारी जिंदगी का आखिरी दिन है ।

यह सुनकर सभी डरने लगे तब भीमा आगे आया (जो गब्बर सिंह का राइट हैंड था) और बोला - गुस्ताखी माफ करना मालिक । ये खुसी हमारी नही बल्कि आपकी है । आजतक किसी भी लड़की की दूसरी चीख नही सुनी थी हमने लेकिन आज जब दो तीन चीखें सुनी तो हमारी खुसी का ठिकाना नही रहा की मालिक को मिल गयी उनकी दुल्हन । इसलिए ये खुसी मनाई जा रही थी मालिक ।

जब गब्बर सिंह ने ये सुना तो उसका गुस्सा शांत हो गया उसने सोचा कि मेरे गुर्गे भी मेरे दुख से दुखी और सुख से सूखी होते है , कितने अच्छे बंदे रखे हैं मैंने । ऐसा सोचकर गब्बर सिंह बोला - नही भीमा , ये भी मर गयी ।

जैसे ही ये सुना सबने अपने मुँह पर हाथ रख लिया और एक ही बात निकली - क्या मालिक ।

तभी ----

तभी ----

गब्बर की हवेली ले बाहर किसी की चीख सुनकर सबके चेहरे गेट की तरफ मुड़ गए ।
कोई कुछ समझ पाता उससे पहले मेन गेट खुला और सबकी आंखे उस दृश्य पर जम गयीं ।

सबसे आगे नैना खड़ी थी और उसके पीछे पूरे गांव की भीड़ ।
नैना की लाल आंखे , खुले बाल बिल्कुल चंडी का रूप धारण किया हुआ था नैना ने ।
नैना के हाथ मे फसल काटने वाली दरांती थी जिसपर खून लगा हुआ था ।


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आज पहली बार गब्बर सिंह को नैना के फिगर का अंदाजा हुआ । क्योंकि आज नैना ने भी एक white टॉप और नीली लैगिंग पहनी हुई थी ।
गब्बर सिंह नैना को देखकर , नैना की तुलना शीतल से करने लगा । गब्बर सिंह को अहसास हुआ कि शीतल भी गदरायी हुई है पूरी लेकिन फिर भी नैना और शीतल के फिगर में जमीन आसमान का अंतर है । गब्बर से अपने मन में दोनों की तुलना करने लगा कि अगर दोनों को एक जैसे कपड़े पहनाकर खड़ा किया जाए तो दोनों कैसी लगेंगी ।
गब्बर सिंह ने मन मे मंथन करके दोनों के फिगर की जब कल्पना की तो वो कुछ ऐसी थी -
जैसी नीचे फ़ोटो में दी गयी है ।



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गब्बर सिंह को समझते देर ना लगी कि नैना ने बाहर गेट पर खड़े उसके गुंडे को दरांती से मार दिया है ।

नैना धीरे धीरे आगे बढ़ने लगी साथ मे पूरे गांव की भीड़ भी ।

********
कहानी जारी रहेगी दोस्तों । बताना जरूर कहानी कैसी चल रही है ।

आपके comments पढ़कर ही आगे लिखने का मन करता है ।
आपका अपना - Rachit .

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Zaberdast bahot shaandaar mazedaar lajawab update dost
 
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Rachit Chaudhary

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Update - 4


नैना आगे बढ़ती हुई गब्बर सिंह को खा जाने वाली नजरो से घूरे जा रही थी ।

उधर गब्बर सिंह की भी पैंट गीली हो गयी , क्योंकि गब्बर सिंह को नैना का डर नही था । गब्बर सिंह को डर था तो नैना के पीछे गांव की भीड़ का ।
जिस गब्बर सिंह से किसी की नजर मिलाने की औकात नही थी , जिस गब्बर सिंह के सामने किसी की सर उठाकर चलने की हिम्मत नही हुई थी वही गांव की भीड़ आज गब्बर सिंग की हवेली में लाठी डंडे भाले लेकर उसके सामने बड़े रौब से खड़ी थी ।


नैना अभी तक बिल्कुल शांत खड़ी थी गब्बर सिंह के सामने और पूरे गांव की भीड़ भी अभी तक शांत ही थी । चारो तरफ थी ति बस शांति । हवा चलने से जो पेड़ हिल रहे थे उनके पत्तों की आवाज तो सुनाई दे रही थी लेकिन किसी भी इंसान की आवाज सुनाई नही दे रही थी ।
तभी नैना गब्बर सिंह के सामने आकर खड़ी हो जाती है । गब्बर सिंह की आंखों में और गब्बर सिंह के चेहरे को घूरे जा रही थी नैना ।
गब्बर सिंह भी नैना को देख रहा था अपनी खून उतरती आंखों से ।
लेकिन तभी अचानक गब्बर सिंह की नजरें एकाएक झुक गयी , गब्बर सिंह ने बहुत कोशिश की नैना की नजरों में झांकने की लेकिन वह अपनी नजर नही उठा पाया ।


ये सब गब्बर सिंह को भी हैरान कर रहा था । इलाके के बड़े से बड़े नेता भी गब्बर सिंह से नजर नही मिला पाते थे लेकिन आज पता नही क्यों गब्बर सिंह लाख कोशिशों के बाद भी अपनी नजरें नैना से नही मिला पा रहा था ।
गब्बर सिंह बार बार अपनी नजरे उठाता लेकिन उसकी नजरें अपने आप ही झुक जातीं गब्बर सिंह फिर नजर मिलाता लेकिन फिर उसकी नजरें झुक जातीं । नैना के मुख के तेज के सामने गब्बर सिंह की नजर ठहर ही नही पा रही थी ।


दोस्तों अगर मैं गलत नही हूँ तो शायद इसी को
नारीशक्ति की ताकत कहते हैं और नैना की इसी नारीशक्ति का घमंड था ।


नैना - शीतल कहाँ है ?


नैना की आवाज सुनकर गब्बर सिंह नैना से आंख तो नही मिला पा रहा था लेकिन अपने चेहरे पर हैवानियत भरी कुटिल हंसी के साथ जोर जोर से हंसने लगा । गब्बर सिंह इतनी जोर जोर से हंसने लगा कि सब गांव वाले डर गए । क्योंकि जैसा कि आप जानते हैं कि अकेले गब्बर सिंह में 30 इंसानों की ताकत थी तो उसकी हंसी भी ऐसी थी जैसे एक साथ एक ही लय में तीस रावण जोर जोर से हंस रहे हों । गब्बर सिंह के साथ साथ उसके गुंडे भी जोर जोर से हंसने लगे ।
। काफी देर हंसने के बाद गब्बर सिंह ने हंसते हुए ही बोलना शुरू किया ।


गब्बर सिंह - हाहाहा हा तू क्या हाहा तू क्या समझती है कि तू इन गांव वालों को उल्टे सीधे पहाड़े पढ़ाकर लाएगी और गजब ये हुआ कि ये आ भी गए । हाहाहा तू जानती है मैं कौन हूँ । हाहाहा गब्बर सिंह हूं मैं । तेरे साथ साथ शाम तक इनकी बहन बेटियों को शाम तक अपनी हवेली पर ले आऊंगा हाहाहा । हाहाहा ।


गब्बर सिंह ने जब ऐसा कहा तो सारे गांव वालों का दिल दहल उठा क्योंकि वो सब गब्बर सिंह की क्रूरता से अच्छी तरह से परिचित थे ।
सभी गांव वालों ने पहले तो एकदूसरे की आंखों में देखा जैसे कुछ पूछ रहे हों फिर सभी गांव वाले पीछे की तरफ मुड़ गए वापस जाने के लिए ।
ये सब देखकर तो गब्बर सिंह फूला नही समाया । गब्बर सिंह और उसके गुंडे जोर जोर से हंसने लगे ।


गब्बर सिंह हंसते हुए - हाहाहा देख तेरे जैसी कबूतरी को अकेला छोड़कर चल दिये तेरे गांव वाले हाहाहा । साथ मे गब्बर सिंह के आदमी भी जोर जोर से हंस रहे थे ।


नैना को कुछ समझ नहीं आया उसने पीछे की तरफ गर्दन घुमाकर देखा तो नैना को अपनी आंखों पर विश्वास नही हुआ ।
गांव वालों में जो विश्वास भरकर वो लायी थी वो विश्वास गब्बर सिंह के डर के आगे फीका पड़ गया था ।
गांव वालों को जाते हुए उनकी पीठ को ताक रही थी नैना ।


तभी --


तभी --


नैना ने पूरी जान से एक चांटा गब्बर सिंह के गाल पर मारा ।
चटाक्क--------------


चांटा इतनी जोर से पड़ा गब्बर सिंह के गाल पर की गब्बर से पहले तो चार पांच कदम पीछे हटा फिर जमीन पर गिर पड़ा ।
नैना के थप्पड़ में इतनी जान थी कि उसके थप्पड़ की आवाज पूरे वातावरण में गूंज उठी ।


गांव वालों के कदम एकसाथ ठिठक गए ये आवाज सुनकर । क्योंकि इस थप्पड़ की आवाज के साथ ही गब्बर सिंह और उसके गुंडो की हंसी जैसे लुप्त हो गयी थी । उनके चेहरे ऐसे दिखाई पड़ रहे थे जैसे वो कभी हंसते ही ना हों ।


गांव वालों में एक विश्वास फिर से भर उठा कि नैना अकेली होकर भी उस गुंडे के सामने गिड़गिड़ाई नही तो फिर हम तो हजारों है । दरअसल बात ये है दोस्तों की एक लड़की की इतनी हिम्मत देखकर गांव वाले सभी मर्द शर्मिंदा हो गए थे । गांव की भीड़ फिर से वापस नैना की तरफ मुड़कर बढ़ने लगी ।


उधर गब्बर सिंह को अभी तक नैना के थप्पड़ से तारे दिखाई दे रहे थे । गब्बर ने जिंदगी में पहली बार ऐसा दर्द सहा था वो भी एक थप्पड़ से । गब्बर को यकीन नही हो रहा था क्योंकि उसके सारे गुंडे एकसाथ मिलकर जब गब्बर सिंह से कुश्ती करते थे तो बड़ी ही आसानी से गब्बर सिंह उनको चित कर देता था, और उसके सारे गुंडे मिलकर भी गब्बर सिंह को हिला भी नही पाते थे । लेकिन यहाँ एक लड़की के थप्पड़ से गब्बर सिंह जमीन पर गिर पड़ा था ।


तभी नैना की चीख भरी आवाज वातावरण में गूंजी - देख हबसी कुत्ते देख मेरे साथी फिर मेरे साथ हैं और अगर इन सबने एक एक चांटा भी तुझे मारा तो तेरी खाल उधड़ जाएगी । मैं लास्ट बार पूछ रही हूं शीतल कहाँ है । अगर नही बताया तो ये दरांती तेरी आंतो को तेरे पेट से बाहर ले आएगी ।


गब्बर सिंह के चेहरे पर ख़ौफ़ छा गया नैना की रौबदार आवाज सुनकर । नैना की आवाज में एक निडरपना था । गब्बर सिंह इतना डर गया कि उसके मुंह से बोल भी नही निकला , गब्बर सिंह ने उंगली से कमरे की तरफ इशारा करते हुए हाथ उठाकर इशारा किया ।


नैना तुरंत कमरे की तरफ भागी ।
जैसे ही नैना कमरे की तरफ भागी तुरंत गब्बर सिंह ने फोन निकालकर एक मंत्री को कॉल किया ।


गब्बर सिंह फोन पर - भोसड़ी के बस चुपचाप सुन । एक लफड़ा पड़ गया है तुरंत हवेली पर भीड़ के लिए फोर्स भेज वर्ना शाम तक तू या तो भगवान को प्यार हो जाएगा या ससपेंड हो जाएगा और सुन मादरचोद -----
गब्बर सिंह बोल ही रहा था कि तभी गांववालों की भीड़ ने फोन छीनकर तोड़ दिया । गब्बर की आंखों में ख़ौफ़ छा गया लेकिन अपनी ताकत पर बड़ा घमंड था गब्बर सिंह को ।


गांववालों ने गब्बर सिंह के गुंडो को नीचे लिटाकर उनमें लात घूंसे बरसाने शुरू कर दिए ।
गब्बर सिंह को भी लात मार-मारकर गांववालों ने नीचे गिरा लिया जमीन पर ।
तभी गब्बर सिंह को गुस्सा आया उसने उठकर अपने दोनों हाथों में एक एक आदमी को उठाया और भीड़ पर फेंकना शुरू कर दिया ।
एक आदमी के मुंह पर मुक्का मारा उस आदमी के सारे दांत टूट गए और मुंह से खून की उल्टियां करते हुए जमीन पर गिर पड़ा ।
गब्बर सिंह एक आदमी को जमीन पर गिरकर उसके ऊपर पैर रखकर खड़ा हो गया उसकी जीभ तुरंत निकालकर बाहर आगयी और वो भी मर गया ।
इस तरह गब्बर सिंह ने जब 50, 60 गांव वालों को तुरंत मौत की नींद सुला दिया तो सारी भीड़ की गांड फट गई गब्बर सिंह की ताकत देखकर ।


उधर जैसे ही नैना कमरे में घुसी उसके मुंह से चीख निकली - नहीं ---- शीतल --- शीतल
नैना ने करीब जाकर देखा तो मर चुकी थी शीतल । उसकी जांघो के बीच चूत वाली जगह से खून बह रहा था अभी भी । नैना ने ध्यान से देखा तो उसे शीतल की चूत तो दिखाई ही नही दी उसे बस चूत का छेद दिखाई दिया । और वो छेद कोई छेद नही बल्कि मोटी वाली पाइप के बराबर चौड़ा था ।


नैना ने सोचा कि शीतल की चूत में कोई मोटा डंडा घुसाकर बड़ी क्रूरता और निर्दयता से उसकी जान ली है गब्बर सिंह ने । क्योंकि कोई भी शीतल को देखकर ये नही कह सकता था कि शीतल चुदते हुए मरी है क्योंकि उसकी चूत का छेद कम से कम 5 इंच चौड़ा था जिसमे से खून बह रहा था ।


नैना की आंखों में भी खून उतर आया । नैना ने तुरंत शीतल को अपनी गोद मे उठाया ऐसे ही और उसे गोद मे लेकर हाथ मे अपनी दरांती भी ले ली और बाहर आने लगी ।


जैसे ही नैना बाहर आयी उसने देखा कि कोई 20-25 गाड़ियां खड़ी हैं पुलिस की और गाड़ियों के आगे बड़े से बड़े अधिकारी गब्बर सिंह के सामने गर्दन झुकाए खड़े है । गांव की भीड़ भी एक तरफ खड़ी है और गब्बर सिंह उनके बीच मे बैठकर हुक्का पी रहा है ।


जैसे ही नैना बाहर आई तुरंत चार पुलिस वालों ने उसे पकड़ लिया ।


तभी गब्बर सिंह ने बीच मे दहाड़कर पूछा - शीतल को किसने मारा है ।


पूरे गांव की भीड़ एक ही सुर में एक ही लय में एक साथ बोली - नैना ने । नैना ने ।


नैना को तो अपनी आंख और कान दोनों पर विश्वास नही हुआ ।
नैना ( मन ही मन मे )- कितने जाहिल है ये गांव वाले , गब्बर सिंह का पाला भारी देखकर कुत्तों ने अपना जमीर बेचकर तुरंत पार्टी बदल ली , नामर्द हैं साले नपुंसक । )


पुलिस वालों ने नैना के हाथों में हथकड़ियां डाल दीं ।


तभी एक बड़ा अधिकारी गब्बर सिंह से बोला - मालिक आप चिंता मत कीजिये इस लौंडियाँ पर ऐसी धारा लगाएंगे की साली की उम्र निकल जायेगी जेल में चक्की पीसते हुए ।


नैना सब सुन रही थी । नैना चुप थी क्योंकि जब उसके अपने गांव वालों ने ही उससे एक मिनट में मुंह फेर लिया तो फिर अब बचा ही क्या है । नैना को इस तरह का जज्बाती सदमा पहली बार लगा था ।


गब्बर सिंह - हाहाहा हां इतना तो विश्वास है मुझे भोसड़ी वालों तुमपर । ले जाओ इसे वरना अभी इसकी हड्डी पसलियों का चूरन बना दूंगा ।


इतना सुनते ही चारों पुलिस वाले नैना को लेकर गाड़ी की तरफ बढ़ने लगे , और गब्बर सिंह हुक्का पीने में व्यस्त हो गया ।
गांव वालों की तरफ नैना की पीठ थी और उसे चार पुलिस वाले लेकर गाड़ी की तरफ बढ़े जा रहे थे ।


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नैना भी आखिर नैना थी आपको तो पता ही है दोस्तों । जैसे जैसे नैना उन पुलिस वालों के साथ आगे बढ़ रही थी वैसे ही गांव वाले अपने आपको रोक ना सके , और सब नैना को आंखे फाड़ फाड़कर देखने लगे ।
उसकी वजह थी नैना के शरीर का डील-डौल । नैना का भारी पिछवाड़ा । गांव वालों को लग रहा था जैसे वो कोई सपना देख रहे है । उनके ही गांव की नैना को पहली बार पूरे गांव के मर्द खड़े होकर आंखे फाड़ फाड़कर देख रहे थे ।

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और अब तो नैना के भारी भरकम पिछवाड़े को हिलता देखकर गांव वालों की आंखों के साथ साथ उनका मुँह भी खुलता जा रहा था जैसे कोई अविश्वसनीय चीज को पहली बार देख रहे हों ।


नैना थी ही ऐसी उसकी कमर इतनी पतली थी कि देखकर विश्वास नही होता था कि इस पतली सी कमर के नीचे इतना चौड़ा और भारी पिछवाड़ा भी हो सकता है । जांघे भी नैना के कूल्हों अनुसार मोटी मोटी थीं क्योंकि इतनी भारी गांड का वजन संभालने के लिए जांघे भी तो मोटी और सुडौल चाहिए । वैसी ही मोटी मोटी जांघे थी नैना की फैले फैले नितंबों को संभालने के लिए ।


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गांव वालों की फटी हुई आंखे और मुह देखकर गब्बर सिंह को कुछ अजीब सा लगा । गब्बर सिंह ने जैसे ही गांववालों की नजरों का पीछा करते हुए पीछे की तरफ गर्दन घुमाकर देखा तब तक नैना गाड़ी के अंदर बैठ चुकी थी ।
गब्बर सिंह ने सोचा हो सकता है गांव वाले पुलिस को देख रहे हैं क्योंकि कभी जगतपुर में पुलिस नही आती थी , गब्बर सिंह का ही राज चलता था ।


पुलिस इंस्पेक्टर को नैना के साथ वाली सीट पर ही बैठने का निर्देश दिया गया । एक इंस्पेक्टर नैना के साथ ही बैठ गया उसकी सीट पर । एक पुलिस वाला आगे ड्राइवर के साथ बैठ गया । टोटल चार लोग बैठे थे गाड़ी में ।
नैना की गाड़ी के आगे दस गाड़ियां चल रही थीं और कम से कम 7, 8 गाड़ियां पीछे चल रही थी ।


नैना चुप बैठी थी , गाड़ी थाने की तरफ बढ़ती जा रही थी । नैना अभी भी अपनी सोच में डूबी हुई थी शायद कुछ गहरा सोच रही थी ।
तभी नैना के साथ जो इंस्पेक्टर बैठा था जिसका नाम मुकेश था उसे कुछ अजीब लगा ।
इंस्पेक्टर ने इधर उधर देखा गाड़ी में उसे ऐसी कोई चीज दिखाई नही दी । गाड़ी के शीशे भी बंद थे कोई बाहर से भी हवा नही आरही थी । उस इंस्पेक्टर की ऐसी हालत नैना के बिल्कुल नजदीक बैठने की वजह से थी । इंस्पेक्टर ने फिर सीट के नीचे देखा वहां पर भी कुछ नही था । गाड़ी बिल्कुल ही साफ सुथरी थी ।
इंस्पेक्टर फिर से अपना मुंह इधर उधर घुमाकर सूंघने लगा लेकिन फिर वही गंध ।
दरअसल बात ये थी दोस्तों नैना के बिल्कुल नजदीक बैठने की वजह से इंस्पेक्टर की नाक में मूत की महक आरही थी । हां ऐसा ही था । नैना ही है वो । नैना की चूत हमेशा उसके पेशाब की महक छोड़ती रहती थी । और उसकी चूत से इतनी ज्यादा मूत गंध आती थी कि साथ बैठे इंसान को आसानी से पता चल सकता था । इससे ही आप अंदाजा लगा सकते है कि अगर नैना नंगी हो जाए तो उसकी गंध कहाँ तक जाएगी ।


तभी इंसपेक्टर ने नैना की तरफ देखा और बोला - क्यों री यहाँ बैठी बैठी मूत रही है क्या सीट पर , या डर के मारे पेशाब निकल गया ।

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नैना जो पहले से ही दुखी थी उसने एक बार अपनी चिन्ताभरी नजरों से इंस्पेक्टर को घूरा ,लेकिन तभी इंस्पेक्टर ने नैना की बाजू पकड़ी और बोला - चल जरा खड़ी हो जरा सीट पर से देखूं तो ।


नैना अभी किसी बहस के मूड में नही थी , नैना गाड़ी में सीट पर से उठी ।
इंस्पेक्टर ने सीट पर हाथ लगाकर देखा सीट तो बिल्कुल सूखी थी ।


इंस्पेक्टर - चल बैठ जा ।


नैना दोबारा से वहीं सीट पर बैठ गयी ।


इंस्पेक्टर - मूता भी नही है तूने फिर ये पेशाब की गंध कहाँ से आरही है ।


नैना कुछ नही बोली चुपचाप रही । तभी थाना आगया ।


नैना गाड़ी से उतरी तुरंत दो लेडीज कांस्टेबल नैना को गाड़ी से उतारकर अंदर ले जाने लगी ।


इंस्पेक्टर और ड्राइवर पीछे गाड़ी के पास ही खड़े थे । नैना को चलती देख फिर से उन दोनो की वही हालत हो गयी जो अभी थोड़ी देर पहले जगतपुर गांव की हुई थी ।
नैना चलती हुई दिखती ही सबसे अलग थी । नैना को चलते देख आंखों का चौड़ा हो जाना और लौड़े में करंट आजाना स्वाभाविक ही था ।

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क्योंकि नैना की गांड बेशक सबसे भारी और मोटी थी लेकिन उसके शरीर के हिसाब से वो मोटी नही लगती थी । कोई भी नैना को देखकर गदराई हुई माल कह सकता था लेकिन मोटी बिल्कुल नही कह सकता था । नैना के शरीर की बनावट ही कुछ ऐसी थी कि अगर उससे जरा भी हल्का पिछवाड़ा होता तो वो इतनी अच्छी नही लगती जितनी कि वो अब लगती थी । इसलिए ये बिल्कुल मत समझना दोस्तों की नैना मोटी थी । हां नैना का शरीर ही इतना तगड़ा तंदरुस्त था कि इतने मोटे चूचे , थलथलाते हुए नितंब और मोटी मोटी जांघे उसे एक गदरायी हुई भरे बदन वाली लड़की बनाते थे ।

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नैना को चलती देख इंस्पेक्टर बर्दास्त नही कर पाया और पैंट में ही झड़ गया ।
इंस्पेक्टर ने तुरंत अपने लंड वाली जगह को पकड़ा और एक लंबी आह की तभी इंस्पेक्टर एकसाथ चोंका जब उसे एक और आह सुनाई दी । उसने तुरंत अपने साइड में देखा तो उसकी ही तरह ड्राइवर भी झड़ रहा था अपने लंड को पैंट के ऊपर से ही पकड़कर ।


ड्राइवर - माफ करना साहब , रोक नही पाया ये चीज ही ऐसी है कि पैंट में ही झड़ गया ।


इंस्पेक्टर - कोई नही , कोई नही । सही कहा तूने साली में कुछ तो बात है वरना मैं अपनी बीवी के ऊपर चढ़कर एक घंटे में उतरता हूं और इसका तो फिगर ही अलग है साली का । इतनी जानलेवा गांड है कि मैं पहली बार आज ऐसे पैंट में झड़ा हूं ।


फिर ड्राइवर और इंस्पेक्टर दोनों एकदूसरे को देखते हुए और एकदूसरे से शर्मिंदा होते हुए थाने की तरफ बढ़ने लगते हैं ।



कहानी आगे भी जारी रहेगी ।
दोस्तो कहानी कैसी चल रही है बताना जरूर । आपके पास चार शब्दो का एक comment लिखने का वक्त जरूर होगा तो बताना जरूर ।

आपका अपना - Rachit .
Very nice update brother
 

Rachit Chaudhary

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Very nice update brother
दिल से धन्यवाद भाई जी को
 
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sonal01

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Upadate acha tha. Par naina ko jail nahi jana chahiue tha. Ab gayi hai to bell b gabbar se karwana. Aur gabbar ko ek shak b aaye ki naina vo larki hai. Par vo kuch na kar paye....
 

Rachit Chaudhary

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Upadate acha tha. Par naina ko jail nahi jana chahiue tha. Ab gayi hai to bell b gabbar se karwana. Aur gabbar ko ek shak b aaye ki naina vo larki hai. Par vo kuch na kar paye....
अच्छा साहब जी । दिल से धन्यवाद
 
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Rachit Chaudhary

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Waiting next update bro.....ab intazar nahi hota.....thora jaldi update dene ki try kariyega
जी साहब
 
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