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Only Two line sher o shayri

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
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अहल-ए-उल्फ़त के हवालों पे हँसी आती है
लैला मजनूँ की मिसालों पे हँसी आती है

लोग अपने लिए औरों में वफ़ा ढूँडते हैं
उन वफ़ा ढूँडने वालों पे हँसी आती है

देखने वालो तबस्सुम को करम मत समझो
उन्हें तो देखने वालों पे हँसी आती है

चाँदनी रात मोहब्बत में हसीं थी 'फ़ाकिर'
अब तो बीमार उजालों पे हँसी आती है
Waaah kya baat,,,,:claps:
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
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दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई
जैसे एहसान उतारता है कोई

आईना देख के तसल्ली हुई
हम को इस घर में जानता है कोई

पक गया है शज़र पे फल शायद
फिर से पत्थर उछालता है कोई

फिर नज़र में लहू के छींटे हैं
तुम को शायद मुग़ालता है कोई

देर से गूँजतें हैं सन्नाटे
जैसे हम को पुकारता है कोई
 
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Romeo 22

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तेरी मजबूरियाँ दुरुस्त मगर
तू ने वादा किया था याद तो कर..
 
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Romeo 22

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मैं उस के वादे का अब भी यक़ीन करता हूँ
हज़ार बार जिसे आज़मा लिया मैं ने...
 

Romeo 22

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झूटे वादे भी नहीं करते आप
कोई जीने का सहारा ही नहीं..
 
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Romeo 22

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जल कर गिरा हूँ सूखे शजर से उड़ा नहीं
मैं ने वही किया जो तक़ाज़ा वफ़ा का था...
 

The Immortal

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झूटे वादे भी नहीं करते आप
कोई जीने का सहारा ही नहीं..
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TheBlackBlood

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जल कर गिरा हूँ सूखे शजर से उड़ा नहीं
मैं ने वही किया जो तक़ाज़ा वफ़ा का था...
Bahut khoob,,,,, :claps:
 
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