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Bahut khoob,,,,,Rukhsat hua tou aankh milaa kar nahi gaya
Wo kyun gaya hai ye bhi bata kar nahi gaya
Bahut khoob,,,,,Rukhsat hua tou aankh milaa kar nahi gaya
Wo kyun gaya hai ye bhi bata kar nahi gaya
Waaah kya baat,,,,अहल-ए-उल्फ़त के हवालों पे हँसी आती है
लैला मजनूँ की मिसालों पे हँसी आती है
लोग अपने लिए औरों में वफ़ा ढूँडते हैं
उन वफ़ा ढूँडने वालों पे हँसी आती है
देखने वालो तबस्सुम को करम मत समझो
उन्हें तो देखने वालों पे हँसी आती है
चाँदनी रात मोहब्बत में हसीं थी 'फ़ाकिर'
अब तो बीमार उजालों पे हँसी आती है
Bahut khoob,,,,,जल कर गिरा हूँ सूखे शजर से उड़ा नहीं
मैं ने वही किया जो तक़ाज़ा वफ़ा का था...