भाग एक
मेरा नाम रोहन है और मैं दिल्ली से करीब 3 घण्टे की दूरी पर रामपुर नाम के गांव में रहता हूं ।जिसमे करीब तीन हजार से ऊपर लोग रहते है ।वैसे तो हमारे गांव में हर तरह की सुविधा है लेकिन इसके बाद भी यंहा के लोगो का मुख्य काम खेती का ही है। जैसा कि आप लोगो को मालूम है कि मेरे पापा तीन भाई और दो बहन है(समय पर इन लोगो का इण्ट्रो दूंगा) जिसमे से बड़े चाचा को सरकारी जॉब है तो उनका परिवार तीनो भाई में सबसे अमीर है पर उनको इस बात का बहुत ही घमण्ड है और जिसकी वजह से यह सीधी तरह से किसी से बात नही करते है ।इनके परिवार में इनके अलावा सभी बहुत ही प्रेम से बात करते है। अब बात कर ले छोटे चाचा की तो वह हमेशा से बाहर ही रहे है तो उनके हिस्से की पूरी खेती पापा ही अपने देख रेख में मजदूरों से करवाते है।
यह तो हो गयी परिवार की बात और अब बात करते है घर की तो हमारा मकान दो मंजिला है और उसमें मेरा और छोटे चाचा का परिवार साथ ही रहते है । नीचे के फ्लोर पर किचन तीन बैडरूम और एक गेस्ट रूम है।जिसमे से एक कमरे मे माँ और पापा दसरे में चाचा और चाची रहते है ।तीसरे कमरे मे मनीष अपना पूरा समान रखता है और जब कभी भी गांव आता है तो उसमें ही रहता है । ऊपर चार कमरा है जिसमे से एक कमरे में बड़ी दीदी दूसरे में प्रीति और सोनिया दीदी रहती है और उन के बगल में मेरा कमरा है ।इसके बाद बड़ी दीदी के बगल में जो कमरा सबसे बड़ा है वह सलोनी भाभी का यानि की मेरे भैया का । अब एक बात बता दु की सभी लोगो के कमरे बाथरूम के साथ है । वही दूसरी तरफ बड़े चाचा ने अपने लिए एक अलग घर बनाया है जो कि एक मंजिला ही है और सबके अलग अलग रूम है
वैसे तो मेरा परिवार ना तो बहुत अमीर है और ना ही गरीब भैया के शादी से पहले घर की कमाई का जरिया भैया की जॉब और पापा की खेती ही थी पर भैया की शादी लव मैरिज हुई है जो कि उनके फ्रेंड की बहन थी दिल्ली सिटी की और वह लोग एक साथ पढ़ाई करते थे पर बाद में भाई की जॉब लगने के बाद भाभी की पढ़ाई में उनकी अच्छी खासी हेल्प की थी ताकि वह अपनी पढ़ाई पूरी कर सके और अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद एक अच्छी कम्पनी में काम करने लगी तो उन्होंने भैया से शादी कर ली ।इस बारे में मुझे बाद में मालूम हुआ था । उनके आने के बाद पिछले कुछ समय से घर के हालात में तेजी से सुधार हुआ है।अभी हम जिस घर मे रहते है वह उनकी शादी के बाद बनी है जिसमे पापा छोटे चाचा भैया और भाभी सभी ने मिलकर ही घर बनाया है ।भाभी की एक फ्रेंड ने घर के डेकोरेशन में हेल्प की अभी अपनी पढ़ाई कर रही है और साथ मे ऐसे छोटे काम लेकर अपना खर्च निकाल लेती है। जिसकी वजह से घर पूरी तरह से शहरी मॉडल में बना हुआ है ।
अब कहानी सुरु करते है
मैं अपने कमरे में सोया हुआ था तभी मेरे कमरे में नीलू दीदी आती है और मुझे सोया हुआ देख कर मेरे पास आती है और मुझे उठाते हुए बोलती है
नीलू दीदी - बाबू उठ ना कब तक सोएगा ।आज तेरा रिजल्ट आने वाला है इसलिए माँ ने बोला है कि मन्दिर जा कर पूजा कर और भगवान के दर्शन कर ले ।
नीलू दीदी के उठाने से मैं उठ जाता हूं और फिर दीदी को देख कर उनके गले लग कर उन्हें गुडमार्निंग बोला और बाथरूम की तरफ जाते हुए बोला
मैं - क्या दीदी आप भी जानती है कि जब मैंने सुबह आपको देख लिया तो मेरा दिन वैसे ही बहुत अच्छा जाने वाला है ।आप मेरे लिए लकी हो इसलिए ही तो मैं आपके जगाने के बाद ही उठता हु।
इतना बोल कर मैं बाथरूम में चला जाता हूं और मेरे जाने के बाद दीदी अपनी जगह से उठते हुए मन मे सोचती है
दीदी - (मन मे) तेरी इन्ही बातो से पता नही यह दिल कब अपने ही सगे भाई के लिए धड़कने लगा यह मुझे भी मालूम नही हुआ।अब तो डर लगता है कि जब तुझसे दूर होना होगा तो मैं कैसे जाउंगी ।
कुछ देर तक रूम में मेरा इन्तजार करने के बाद वह माँ के बुलाने पर नीचे चली गयी ।इधर मैं नहाने के बाद अपने कपड़े पहन कर नीचे आया तो देखा कि नीचे मेरी नीलम दीदी सोनिया दीदी रूही प्रीति और सोनम दीदी सभी एक जगह बैठी मेरा ही इंतजार कर रही थी ।मुझे आते हुए देख कर प्रीति बोलती है
प्रीति - क्या भैया कबसे हम सब आपका इन्तजार कर रहे है और आप का कोई पता ही नही है ।आपके वजह से हम लोगो ने अभी तक नाश्ता तक नही किया है।
अब प्रीति की बात मेरे समझ मे नही आई तो मैं दीदी की तरफ देखने लगा तब नीलू दीदी बोली
नीलू दीदी - वह माँ ने बोला है कि मन्दिर से आने के बाद ही सभी को कुछ भी खाने को मिलेगा इसलिए सभी तेरे आने का इन्तजार कर रहे है ताकि हम सब चल सके।
नीलू दीदी की बात सुनकर मैं सभी बहनो पर एक नजर डाली तो सबने सूट सलवार पहन रखा था और रूही के हाथों में पूजा की थाली थी और वह मुझे देख कर खड़ी होते हुए बोली
रूही - चल अब बाते बाद में कर लेना उसके पहले हमको मन्दिर चलना है ।अगर पण्डित जी चले गए तो फिर तुझे ही उनको बुलाने जाना पड़ेगा।।
रूही की बात सुनकर सभी लोग खड़े हुए और पूजा करने मन्दिर चलने लगे तब मैं चलते हुए बोला
मैं - दीदी आज क्यों ना हम लोग इधर से सीधे बाजार चले और आज का नाश्ता बाहर ही करते है।
मेरी बात सुनकर प्रीति खुशी से चहक उठी और मेरे हाथ को पकड़ते हुए बोली
प्रीति - हा भैया आपने यह बात तो बिल्कुल ठीक कही ।वैसे भी हम सब लोग एक साथ बहुत कम ही बाहर आते है तो ऐसे में आज बाहर का नाश्ता तो बनता ही है क्यों दीदी मैं सही बोल रही हूं ना।
प्रीति की बात सुनकर नीलम दीदी और सोनम दीदी दोनो लोग हँसने लगी और दूसरी तरफ रूही और सोनिया दीदी ने अपना मुंह बना लिया तो यह देख कर मुझे कुछ भी समझ मे नही आया कि यह सब क्यों ऐसे विहेब कर रही है तो मैं बोला
मैं - क्या बात है दीदी मैंने कुछ गलत बोला है क्या जो आप दोनों ऐसे हंस रही है और इन दोनों लोगो को क्या हुआ है जो ऐसे अपना मुंह बिगाड़ रही है।
मेरी बात सुनकर रूही मेरे ऊपर गुस्सा करते हुए बोलती है
रूही - आज हम दोनों का रिजल्ट आने वाला है और तुझे कोई चिन्ता नही है ।तू तो बहुत ही रिलेक्स दिखाई दे रहा है और ऊपर से पहले ही नाश्ता करने को बोल रहा है ।अब इसी बात पर हम दोनों,(सोनिया दीदी और रूही) ने दोनों बड़ी दीदी (नीलम दीदी और सोनम दीदी )" में वेट लगी थी की तू ऐसा करेगा या नही और जो हारेगा उसको सभी को नाश्ता कराना होगा।
रूही की बात सुनकर मैं सब कुछ समझ गया कि आज भी नीलू दीदी और सोनम दीदी ने इन दोनों को अपनी जाल में फंसा लिया है और यह दोनों आराम से उनकी बातों में आ गयी है ।यह इन लोगो का हमेशा का काम है तो मैंने इसमे कुछ भी बोलना ठीक नही समझा क्यूंकि अगर मैं कुछ भी बोलता तो सब मेरे ऊपर ही आ जाता इसलिए मैं इन लोगो से थोड़ा तेज चलकर प्रीति के साथ मंदिर चल दिया ।मन्दिर पर जाकर हम सब लोगो ने पूजा किया और इसके बाद हम सब लोग मन्दिर के पास में ही एक अच्छी सी दुकान थी जिसमे बहुत ही बढ़िया नाश्ता मिलता था तो हम सबने पेट भर कर नाश्ता किया और इसके बाद हसी मजाक करते हुए घर वापस आ गये।
ऐसे ही हँसी मजाक करते हुए दोपहर हो जाती है तो रूही अपना लेपटॉप लेकर आती है और नेट से कनेक्ट करने के बाद साइट खोल कर चेक करने लगती है ।कुछ देर प्रयास करने के बाद आखिर कर सफलता मिल ही जाती है तो सबसे पहले रूही खुद का देखती है तो उसे 95%मार्क्स मिले थे। जिसे देखने के बाद सब लोग बहुत ही खुश हो जाते है ।इसके बाद वह मेरा देखने को होती है तो मैं अपने आंखे बन्द कर लेता हूं डर की वजह से और जितने भी भगवान का नाम याद था सबका नाम ले लिया था पर कुछ वक्त बित जाने के बाद भी जब कोई आवाज नही आती है तो मैं अपनी आंखें खोल कर देखता हूं तो मेरी सारी बहने आंखे फाडे स्क्रीन पर देख रही थी तो मैं डरते हुए बोला
मैं - क्या हुआ आप लोग ऐसे क्या देख रहे हो कही मैं फेल तो नही हो गया ना।
मेरी बात सुनकर सभी लोग होश में आते है और सब मिल कर मेरे गले लग जाते है और सबसे आगे तो रूही थी वह मेरे गले लग कर बोलती है
रूही - भाई तूने तो मुझे भी पीछे कर दिया आखिर कर तूने यह कैसे किया ।
रूही की बात सुनकर मुझे खुद भी यकीन नही हुआ तो मैंने चेक किया तो पता चला कि मेरा 98.5 % मार्क मिला है । इसके बाद मैंने सबसे पहले माँ पापा से आशीर्वाद लिया और उसके बाद सभी बड़ी बहनो भाभी और चाची से भी लिया। इसके बाद मैं और रूही दोनो ही अपने पॉकेट मनी में से मिलकर मिठाई लाये और सभी को खिलाया तभी मेरे पास आते हुए बोलती है
प्रीति - भाई ऐसे काम नही चलेगा हम लोगो को पार्टी चाहिए समझे आप।
उसकी बात सुनकर सभी बहने हम दोनों को पकड़ लिया तो कुछ देर के बहस के बाद भाभी बोली जो काफी देर से हमारी बाते सुन रही थी तो वह बोली
भाभी - आप सब लोग मेरे देवर जी को मत परेशान कीजिए आज की पार्टी मेरी तरफ से दे दूंगी ।बस आप लोग अब शान्त हो जाओ।
अब बात यह है कि भाभी अक्सर करके मुझे हर तरफ से बचा लेती है चाहे मैं किसी भी मुश्किल में रहता हूं वह बिना बताए जान जाती है और उसका निवारण भी कर देती है । अब भाई का अलग जॉब है और इन्होंने भी MBA कर रखा है तो यह भी एक बड़ी कंपनी में जॉब करती है और अच्छे खासे पैसे कमाती है और मैं ज्यादातर पैसे इनसे ही लेता हूं या यूं कहें कि यह खुद ही दे देती है बिना मांगे तो आज भी वह मेरी मुश्किल समझ कर सारा निवारण कर दिया तो इस बात पर नीलू दीदी बोली
नीलू दीदी - वही तो मैं सोचु की अब तक मेरे भाई की बीवी कुछ बोली क्यों नही और इतना समय बीत जाने के बाद भी शान्त खड़ी है ।अब समझी कि मेरी भाभी जी सही समय का इन्तजार कर रही थी।
अब बात यह है कि भाभी जो है कि भैया के होने पर भी उनसे ज्यादा मेरा ख्याल रखती है तो मेरी सारी बहने उनको यही बोलती है कि वह बस शादी करके बड़े भैया के साथ आई है वरना वह तो रोहन की वाइफ है और भाभी भी इस बात को लेकर कभी भी बुरा नही मानती है तो इसके बाद यह बात फाइनल हुई कि शाम को हम सब लोग डिनर के लिए बाहर चलेंगे । अब ऐसे ही खुशी में शाम हो गयी और इस बीच माँ ने बगल में सभी लोगो को मिठाई भिजवा दी थी मेरे पास होने की खुशी में ।अब गांव में तो यह होता ही रहता है । शाम को अंधेरा होने पर सब लोग तैयार हो कर चल दिये सिवाय पापा और चाचा के इन लोगो को खाना वंहा से लेकर आना था। अब हम लोग इतने ज्यादा थे तो एक भाभी की गाड़ी और दूसरी बड़े चाचा की गाड़ी में सभी लोग होटल के लिए चल दिए।।