37 - जलन
जयसिंह : पर तुम्ही तो मेरी गर्लफ्रेंड हो , बताओ ना डार्लिंग क्या में तुम्हारा बॉयफ्रेंड नही हू ?
मनिका : वो...वो..... तो आप हो
जयसिंह : तो अपने इस बॉयफ्रेंड को एक किस दो ना
( जयसिंह का आशय होंठ पर किस लेने का था )
मनिका जयसिंह का असली आशय समझते हुए शर्मा जाती हे और अपने सुर्ख गुलाबी होंठ जैसे ही आगे बढाने का सोचती हे
तभी दरवाजा खटखटाने की आवाज आती हे ।
अब आगे
मनिका एकदम से घबरा जाती हे और जयसिंह की गोद से उठने की कोशिश करती हे पर जयसिंह उसे और कस के अपनी बांहों में भर लेता हे ।
मनिका : (गभराते हुए) पापा छोड़ो मुझे कोई आ गया हे
जयसिंह : डार्लिंग ऐसे घभराने से काम नही चलेगा , पहले गहरी सांस लो और इस सिचुएशन को आराम से हैंडल करो
मनिका : पापा ये वक्त बाते करने का नही है
जयसिंह : डार्लिंग ऐसे केसे काम चलेगा , प्यार किया तो डरना क्या , तुम आराम से जाओ और और दरवाजा खोलो जेसे सब कुछ नॉर्मल है। (जयसिंह चाहता था के मनिका अपने डर का सामना करे )
मनिका : okay पापा.....
मनिका अब उठ जाती हे और दरवाजा खोलने के लिए आगे बढ़ती हे।
मनिका डर रही थी पर उसने अपने चहरे पर इसके भाव आने नही दिए थे , मनिका आराम से दरवाजा खोलती है।
दरवाजे पर कनिका खड़ी थी , कनिका बोल पड़ी दीदी इतनी देर लगा दी दरवाजा खोलने में और दरवाजा बंध क्यू था ?
मनिका : अरे कुछ नही बस टहल रहे थे और ये दरवाजा आवाज ज्यादा करता है इसलिए बंध करना पड़ता है।
तब तक कनिका खुली छत पर आ चुकी थी , उसकी पहली नजर पड़ते ही उसके शब्द फुट पड़े " woww , amazing " " this is so beautiful "
कनिका मनिका की और देखते हुए कहती हे , कल तक तो छत पर कुछ नही था ये अचानक गार्डन और झूला कहा से आ गए ?
मनिका : वो पापा ने मुझे गिफ्ट दिया हे , ये सब....
कनिका : wow दीदी you are so lucky.....
( कनिका के मन ही मन अब जलन का एक बीज फूट पड़ा था , क्योंकि जयसिंह और मनिका के बीच में एक अलग ही तरह की केमिस्ट्री पहले से थी और जयसिंह सबसे ज्यादा मनिका को ही लाड करता था , इन सब बातो से कनिका को कोई फर्क नहीं पड़ा था पर आज अपनी बड़ी बहन को मिलता गिफ्ट देख कर उससे रहा नही गया , कनिका सोच रही थी पापा ने आज तक मुझे छोटी मोटी चीज ही दिलवाई हे कभी इस तरह का गिफ्ट नही दिया )
मनिका : चलो अब में तुम्हे पूरा मिनी गार्डन दिखाती हूं।
कनिका : रहने दो दीदी मैं पापा के साथ ही देखूंगी पता तो चले देने वाले क्या क्या दिया हे
( कनिका के स्वर में तिखाश और जलन साफ नजर आ रही थी)
कनिका के इस तरह बोलने से गहन विचार में डूबे जयसिंह की तंद्रा टूट जाती हे जो किसी मूर्ति की तरह झूले पर बैठा था ।
( जयसिंह मन में सोच रहा था , ये कनिका कहा से आ गई कम्बखत ने मेरे और मनिका के किस को रोक दिया , वाह क्या टाइमिंग हे कनिका की और गालियां भी बक रहा था)
कनिका झूले के पास आकर बोलती हे पापा चलो ना मुझे दिखाओ क्या क्या हे आप के इस गिफ्ट में और दीदी तब तक आप झूला झूलो , कनिका इतना कह कर हंस देती हे
जयसिंह भी कनिका की रिक्वेस्ट को मना नही कर पाया और उठके कनिका के साथ चल देता हे और एक एक करके पूरी छत पर घूमाते हुए सारे पौधे उसे दिखाता हे ।
कनिका छत के एक कोने पे आके रुक जाती हे जहा से मनिका को कुछ सुनाई ना दे वह धीरे से कहती हे पापा आपने सारे पौधे लगवा दिए पर एक पौधा अभी भी बाकी है बताओ ऐसा क्यू हे?
जयसिंह के तो जेसे इस बात को सुन के कान खड़े हो गए, ( वह मन में सोचने लगा लगता है कनु आज सारा प्लान बिगाड़ने का मन बना कर ही आई हे, खामखा ही कबाब में हड्डी बन रही है , इसे जल्द से जल्द यहा से भगाना पड़ेगा )
जयसिंह अंजान बनते हुए बोल पड़ा कोनसा पोधा कनु मुझे मालूम नही ।
कनिका एसे रिएक्ट करती हे जेसे उससे इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ा और वह बोल देती हे " पापा चलो अब मुझे भी झूला पे बैठना है "
जयसिंह को उसे जल्दी भगाना था सो वह उसकी हां में हां मिलाते हुए बोल देता हे । " हां चलो ना झूला झूलते हे "
जयसिंह जल्दी में आगे जाके मनिका की बगल में झूलेपे बैठ जाता हे जिस पर कनिका मौके का न गंवाते हुए सीधा जयसिंह की गोद में बैठ जाती हे और मनिका को चिढ़ाते हुए जीभ दिखाती है और हंस देती हे।
मनिका तो जेसे जलभुन गई थी और सोचने लगी ऐसे केसे मेरी जगह पर बैठ गई , मनिका से रहा नही गया और वो बोल पड़ी पापा देखो ना केसे मुझे चिढ़ा रही है ।
जयसिंह ठहाके मारके हुए हंसने लगता है और मनिका से कहता हे, अरे मनी कनु तुमसे छोटी हे अभी लड़ाई नही करेगी तो कब करेंगी ( जयसिंह का एक हाथ मनिका के कंधे पर था और दूसरा हाथ झूले की पाइप पर था जिसे देख कर मनिका को थोड़ी राहत मिली थी )
मनिका अब शांत हो चुकी थी और कनिका को आंखे दिखाते हुए जेसे कहना चाह रही थी " उठ मेरी जगह पर से "
कनिका उसे नजरंदाज करते हुए जयसिंह से बडे ही मासूमियत से कहती हे , " पापा आपने इतना अच्छा गिफ्ट दीदी को दिया मुझे क्या दोगे ? "
जयसिंह मुस्कुराते हुए कहता हे देखो कनु , मनी कुछ ही दिनों में दिल्ली चली जाने वाली हे इसलिए उसके लिए एक बढ़िया गिफ्ट तो बनता ही है और रही बात तुम्हारी तो तुम अपने बोर्ड के एग्जाम में अच्छे नंबर से पास हो जाओ फिर तुम्हे भी ऐसा सरप्राइजिंग गिफ्ट मिलेगा ।
कनिका खुश होते हुए कहती हे " सच पापा " फिर तो में और मेहनत करुंगी पढ़ाई में और देखना दीदी से भी अच्छे नंबर लाऊंगी ।
इस बात पर मनिका को मिर्ची लग जाती हे और वो तीखे स्वर में कहती हे ये कुछ नही कर पाएगी , देखना तुम मेरी कंपीटीशन नही कर पाओगी।
जयसिंह हंसते हुए कहता हे बस करो नोकजोक मुझे ऑफिस जाना है और कनु तुम्हे अभी स्कूल जाना चाहिए ।
कोई आगे कुछ बोलता उससे पहले आवाज आती हे " अरे ये छोरी को सबको बुलाने के लिए भेजा था और वो खुद ही यह आके बैठ गई "
ये आवाज मधु की थी जो सीडियां चढ़ते हुए बोल रही थी ,
मधु अब खुली छत पर आ चुकी थी उसकी पहली नजर पड़ते ही उसके बोल फुट पड़े " बाप रे आपने तो इस तरह का गिफ्ट कभी मुझे नही दिया " खेर काफी अच्छा बना दिया हे छत को ,
चलो सब लोग अब ,
कनु तुम्हे स्कूल जाना नही जाना क्या , और आप भी ऑफिस के लिए निकलो अब , मनी तुम्हे भी कुछ न कुछ पढ़ाई तो करनी ही चाहिए ।
जयसिंह मधु के इस व्यवहार से चिढ़ जाता हे और बोल पड़ता है अरे बंध करो सबको डांटना हमलोग क्या आराम से बैठ भी नही सकते क्या ।
जयसिंह आगे कहता हे चलो सब लोग मुझे भी ऑफिस के लिए देर हो रही हे।
जयसिंह मनिका को आंखो से रूकने का इशारा करता है , पहले मधु बादमें कनिका और फिर मनिका चल देती हे जो थोड़ी धीरे चल रही थी ।
मधु और कनिका सीडियां उतर चुकी थी ,
जयसिंह मनिका को छत पर बने केबिन के अंदर पीछे से अपनी बांहों में लेते हुए उसके कान में कहता हे डार्लिंग शाम को तुम्हारे लिए एक और गिफ्ट लाऊंगा और जयसिंह सीधा मनिका के गाल पे किस दे देता हे ।
मनिका मुस्कुराते हुए कहती हे पापा चलो भी अब आपको ऑफिस जाना चाहिए और में भी अपनी सहेलियों से रियूनियन के लिए मिलने जा रही हूं।
अब दोनो ही सीडियां उतर चुके थे अपनी अपनी तय जगह पर जाने के लिए ।
जयसिंह ऑफिस जा चुका था , हितेश और कनिका भी स्कूल जा चुके थे ।
मनिका अपने रूम में अपनी सहेलियों से मिलने के लिए तैयार हो रही थी और अपना सामान अलमारी में ढूंढ रही थी आज वह अपनी सहेलियों को जलाने का कोई भी मौका गवाना नही चाहती थी और उसके हाथ में जयसिंह द्वारा दी गई अंगूठी आ जाती हे ।
मनिका सोचने लगती है ये अंगूठी तो बहुत ज्यादा महंगी हे केसे इसे अपनी सहेलियों को दिखाऊं और जलाऊ भी , हां में इसे तीन लाख की ना बता कर एक लाख की बात दूंगी और कह दूंगी के ये डायमंड नकली हे ।
( मनिका और सोच रही थी के केसे आज सबसे पहले कनु फिर मम्मी और सारी सहेलियों को जलाने का मौका मिला है, ये सब सिर्फ और सिर्फ पापा की वजह से हुआ हे अगर पापा नही होते तो कुछ नही होता )
मनिका आईने में खुदको देखते हुए खुदसे कहती हे " i love you papa में आपके लिए कुछ भी करुंगी " और वह शर्मा जाती हे ।
तभी मनिका को वो पल याद आ जाता हे जब जयसिंह ने उससे किस मांगी थी , और वह और भी शर्मा जाती हे और खुदको आईने में निहारने लगती है , ( मनिका मनमें सोचने लगी " पापा तो जेसे पागल होते जा रहे हे अपनी ही बेटी से किस मांग रहे थे " " नही नही मेरा बॉयफ्रेंड मुझसे किस मांग रहा था " , shittt ये में क्या सोच रही हूं " भला पापा ने इतना सब मेरे लिए किया और में उन्हें एक किस भी नही दे सकती " )
मनिका अपने विचारो से आश्चर्य चकित होते हुए बोल पड़ती है " ohh god क्या क्या चलता रहता है मेरे दिमाग में "
मनिका अब अपना मेकअप का सामान निकाल लेती है और
मनिका मेकअप करके तैयार हो जाती हे , उसने आज गुलाबी सलवार सूट पहना था जो पूरी तरह से स्लीवलेस था , या ये कहो ही कंधे पर बस एक डोरी थी साथ में हरे रंग की एक चुन्नी थी ।
मनिका ने अपने बाल खोल रखे थे , उसके पहले से गुलाबी होंठ पर गुलाबी लिपस्टिक उसे और आकर्षक बना रहे थे , ऊपर से उसने आज आंखे में काजल और मसकारा भी लगा रखा था , कोई भी मनिका की कातिल निगाहों से बच नहीं सकता था ।
इतने से मनिका का मन नहीं भरा तो उसने अपने आईब्रो पर ब्लैक हाईलाइटर लगा दी साथ ही जयसिंह द्वारा दी गई अंगूठी पहनी और अपने सूट को थोड़ा नीचे किया जिससे उसकी क्लीवेज साफ नजर आ रही थी ।
मनिका
मनिका आज कयामत लग रही थी , वह साक्षात मोहिनी का अवतार लग रही थी जो किसी भी विश्वामित्र का तप भंग कर सकती थी।
मनिका अपने आप को आईने देखने लगती है और अपने ही सौंदर्य में डूबते हुए खुदसे कहती हे मुझे सबसे पहले देखने का हक सिर्फ पापा का हे और वह अपना मोबाइल निकाल कर अपने तीन चार फोटोज लेती हे ।
वह जयसिंह को मल्टीमीडिया मेसेज भेजने के लिए अपने फोटोज मेसेज में अटैच करती हे पर जब उसकी नजर अपनी क्लीवेज पर जाती हे तो वह सहम जाती हे पर खुदको दिलासा देते हुए खुद् से कहती हे " he is my boyfriend and I'm his girlfriend it is normal between us" और में उनकी बेटी हूं तो क्या फिर भी यह हमारे बीच नॉर्मल हे और आखिरकार मनिका send का बटन दबा ही देती हे ।
मनिका अब अपने को आईने निहारते हुए शर्मा रही थी और खुदके गुलाबी होंठ काट रही थी और सोच रही थी " हाय... पापा क्या सोचेंगे मेरे बारे में " " वही कितनी ब्यूटीफुल हु में और फिर लट्टू की तरह मेरे पीछे भागेंगे डार्लिंग डार्लिंग कहते हुए " " शाम को देखती हूं क्या हाल होता है मेरे इस आशिक का "
मनिका अब अपनी एक फ्रेंड को फोन लगती है जो उसे अपनी नई BMW लेके लेने आने वाली थी ।
मनिका की फ्रेंड आ चुकी थी सो वह अपनी ड्रेस ऊपर करती हे और चुन्नी से अपनी छाती ढंक लेती हैं उसे पता था उसकी मां इस बात का कितना बतंगड़ बना सकती है क्योंकि जयसिंह घर पर नहीं था जो मधु को रोक सके ।
सारी सहेलियां आज एक बडे मॉल के फूड कोर्ट में मिल रही थी , सभी सहेलियां सज धज कर आई थी पर मनिका ही इन सबमें कमाल लग रही थी जिससे बाकी की लड़किया कही न कही जल रही थी ।
मनिका अपनी सहेलियों की मनोस्थिति भांप चुकी थी पर कुछ नही कहती ।
सारी सहेलियां कॉलेज की और इधर उधर की बाते साथ ही किसका किसके साथ लफड़ा है ये सब बातें कर रही थी ।
इन सबके के बीच मनिका की बेस्ट फ्रेंड तनीशा उसकी रिंग देख लेती है जो मनिका ने बांए हाथ की पहली उंगली पर पहनी थी ।
तनीशा मनिका का हाथ पकड़ लेती है सबको कहती हे " देखो तो हमारी मनी को कोई मिल गया हे ऐसा लगता है "
सारी सहेलियां बोल पड़ती है " wow क्या अंगूठी हे यार " किसने दिलाई , कितने की हे?
मनिका तो जेसे इसी मौके के इंतजार में थी वह कहती हे " मेरे पापा ने दिलाई ही बस एक लाख की हे "
तनीशा : no way ये अंगूठी उससे भी ज्यादा की महंगी लगती है और इसमें डायमंड भी हे
मनिका : वैसे अंगूठी डेढ़ लाख की हे पर जौहरी पापा के दोस्त हे साथ में उनका बिजनेस रिलेशन भी हे सो सस्ते में पड़ गई और ये डायमंड स्पेशल किस्म के नकली हे ।
(मनिका के बोलने के भाव में जलाने का मूड साफ था )
इतने में तनीशा मनिका की पहली उंगली से रिंग निकाल कर उसकी रिंग फिंगर पर पहनाते हुए कहती हे इसे तो तेरी इसी फिंगर पर होना चाहिए बहुत खूबसूरत लगती है ।
मनिका : क्या बकवास करती हो ये इंगेजमेंट रिंग फिंगर हे
तनीशा : तो क्या हुआ तेरे पापा तेरे बॉयफ्रेंड जेसे ही तो हे
( सारी सहेलियां हंस पड़ती है , और कहती हे हां यार तनीशा सच तो कह रही हे)
तनीशा आगे बोलती हे बताओ हम में से किसीको भी हमारे पापा ने ऐसी कोई गिफ्ट दी हे?
सच कहूं तो मुझे तुम्हारे पापा के सामने लेके मत जाना, वरना में तो उन्हे प्रपोज ही कर दूंगी , वैसे दिखने में काफी हैंडसम हे तुम्हारे पापा, इसीलिए तो तुम किसीभी लड़के को भाव नही देती ( और सारी सहेलियां हंस पड़ती हे )
मनिका : (तनीशा के कान पकड़ते हुए) तनीशा तुम कुछ ज्यादा नही बोल रही
(मनिका अंगूठी को इंगेजमेंट फिंगर पर ही रहने देती हे )
तनीशा : आउच... छोड़ा ना यार बस मस्ती कर रही थी।
इस तरह सारी सहेलियां मस्ती मजाक करते हुए एक दूसरे को अलविदा कहती हे ।
करीब 3 बज रहे थे मनिका अब अपने घर आ चुकी थी , वह आराम करने के दिए चेंज करने लगती है तभी उसकी नजर अपने बांए हाथ की रिंग पर जाता हे और वह मुस्कुरा देती हे और खुद्से कहती हे " सच ही तो कह रही थी तनीशा पापा मेरे बॉयफ्रेंड ही तो हे और में उनकी गर्लफ्रेंड "
मनिका अपनी रिंग उसी फिंगर पर रहने देती हे और कपड़े चेंज न करते हुए दरवाजा लॉक करने के बाद , अपनी ब्रा का हुक खोल देती हे , पीछे से सूट की डोरी और सलवार की डोरी खोल के फूल AC चला के सोने के लिए पीठ के बल लेट जाती हे ।
कुछ ही देर में उसे नींद आ जाती हे और उसे थोड़ा ही सपना आता हे जिसमे जयसिंह उसे गुलाब दे रहा हे और साथ ही उसे किस कर रहा हे ।
उधर जयसिंह अपनी ऑफिस में लगातार अपने काम में डूबा था क्योंकि उससे किसी भी हाल में कनिका से पहले घर पर पहुंचना था नही तो उसका प्लान फेल हो जाता ।
करीब चार बजे जयसिंह मनिका को मैसेज देने के लिए फोन निकालता हे और मेसेज टाइप करता है " डार्लिंग रेडी रहना में 5 बजे घर आ जाऊंगा , छत पर मिलते हे"
" Love you sweetheart
"
जयसिंह के मोबाइल का इंटरनेट बंध था सो मनिका का मल्टीमीडिया मेसेज उसे मिला नही थी , लेकिन उसे क्या सूझा के वह इंटरनेट ऑन करता है और धड़ाधड़ मनिका के तीन मेसेज आते हे जिसमे मनिका ने अपने अलग अलग पोज में फोटोज लिए थे ।
जयसिंह को जेसे हलक में जबान आ गई थी उसका गला सुख गया और उससे कुछ बोले ना बन रहा था वह पानी पिता हे और बोलता हे " my god क्या माल लग रही है मनिका " " इसके गुलाबी होंठ क्या लग रहे हे " " ऊपर उसके जानलेवा ये बोबे " लगता है आज तो कच्छा ही चबा जाऊंगा ।
जयसिंह अपने आप को संभालते हुए खुदसे कहता हे " आज तो में ये गुलाबी होंठ की किस लेके ही रहूंगा " " आज केसे भी करके मुझे इस गुलाबी होंठो का रस पीना ही हे "
जयसिंह मनिका के फोटोज को zoom करते हुए उसके होंठ पर मोबाइल स्क्रीन पर ही किस करने लगता है ।
जयसिंह मन में बोल पड़ता है " आज शाम को मिलते हे डार्लिंग "
और फिर जयसिंह अपने काम में व्यस्त हो जाता हे क्योंकि उसे जल्दी जो जाना था ।