मेरा जो पुराना ऑफिस था वो शाम के 6:30 बजे तक रहता था
ये बात नवरात्री के पहले दिन की है
मुझे ओवरटाइम के लिए रुकना पड़ा जब निकला तो शाम के 7:30 बज रहे थे
घर जाने की जल्दी थी
क्योंकि दुर्गा पूजन की मूर्तियां और झांकियां निकलती थी जो लोग ले जाते थे स्थापित करने के लिए पूजा के लिए
मुझे मालूम था की अब लेट हो गया है
रास्ते में ट्रैफिक जाम मिलेगा
घर के रास्ते में ही वो जगह थी जहाँ बंगाली लोग मूर्तियां बनाते थे
जब में वहां पहुंचा तो दूर से जाम दिखा
तो मैंने जल्दी में एक गली पहले लेफ्ट टर्न लिया
मतलब एक हॉस्पिटल है बहुत बड़ा उसके बाद एक लेफ्ट टर्न था और उसके आगे अगले लेफ्ट टर्न पे झांकियां बनती थी
तो मैं जैसे ही हॉस्पिटल पहुंचा तो उसके बगल से लेफ्ट टर्न लिया की यहाँ से जाता हूँ आगे से दो बार राइट टर्न करके वापस उसी रोड पे आ जाऊंगा तो बीच का ट्रैफिक जाम नही मिलेगा
अब लेफ्ट टर्न लिया तो उस गली में 3-4 मकान हैं जो की govt. quaters हैं और उसमें लोग रहते भी हैं उसके पीछे वाली गली में भी खूब सारे govt. quaters हैं लेकिन खंडर हैं सालों से
मुझे ये पता नही था क्योंकि वो मुख्य सडक से नही दीखते हैं
अब मुख्य सडक से लेफ्ट टर्न लिया उसे 3-4 मकान बाद राइट टर्न लिया तो गली के दोनों तरफ खंडर मकान थे
मुझे तो देख के ही सनसनी आ गयी की साला किधर आ गया मैं मरने ऊपर से रात का समय
मैंने सोचा गाडी भगाता हूँ और जल्दी से निकल जाऊंगा
अब पहला इंटरसेक्शन आया उसके बाद और थोड़ा सीधा आया तो सामने मुख्य सडक तो दिखी लेकिन वहां जा नही सकते थे क्योंकि कटीली तारों से रास्ता बंद किया हुआ था
अब फटी की अब वापस वहीँ से जाना पड़ेगा
तो वापस गाडी घुमाई और भगाना चालू वापस पहले इंटरसेक्शन पे पहुंचा जो की उस गली का बीचो बीच का हिस्सा था तब मेरी नज़र पड़ी उस इंटरसेक्शन के राइट साइड वाले कोने के मकान पे
उसके मुख्य द्वार पे एक महिला शादी के लाल जोड़े में सर पे पल्लू डाले नीचे सर करके खड़ी थी
मैंने कहा ये अभी तो नही थी जाते समय अब कहाँ से आ टपकी
तब कुछ कुछ समझ में आया
और ये बात सिर्फ कुछ seconds की थी अब गाडी का गियर बदला चौथे से तीसरे पे की बाइक थोड़ी रफ़्तार पकड़ लेगी
पर उसी समय gaadi का गियर फँस गया और रफ़्तार भी कम होने लगी
गाडी चल रही थी लेकिन फटी पड़ी थी
अब याद आयी हनुमान चालीसा
तो पढ़ना शुरू किया तो चार लाइनो के बाद कुछ याद नही
सब भूल गया...
जैसे तैसे मैंने वापिस रोड पे आया तब गाडी ठीक हुई और फिर जो भगाई तो सीधे घर पे
घर जाके बताया तो सब बोले कोई ज़िंदा महिला होगी
कोई मेरी बात मान ही नही रहा
फिर एक दिन एक अंकल आंटी आये जो पापा के परिचित थे और उन्होंने कोई हादसे में मारे किसी आदमी का ज़िक्र किया तो उस हॉस्पिटल से सम्बंधित था मतलब उसे वहां ले जाया गया होगा...
बहरहाल इसका मेरी घंटा से कोई लेना देना नही है
लेकिन पापा ने जब ये सुना तो उन्हें मेरी घटना याद आयी तो उन्होंने अंकल से इसका ज़िक्र किया तो अंकल बोले की हाँ सच में ऐसा हुआ होगा क्योंकि वो सारे मकान सालों से खंडर पड़े है और उस रास्ते पे भी सालों से कोई आता जाता नही है और पास का जो हॉस्पिटल था उसका मुर्दा घर भी उस गली के बिलकुल पास ही था....
फिर सबको मेरी बात का यकीन हुआ...
पर अपनी तो उस दिन जान ही निकल गयी थी...