Enigma bhai
Aaj के update के लिए इतना ही कहूँगा 1998 का दृश्य बहुत ही jaghanya और हिंसक तो था ही लेकिन ये 2004 तो हृदय विदारक और ग़मगीन कर गया. ये हम सब को पता है कि ये middle class सदा से ही समाज और उसके नियमो से इस हद तक बंधा है कि उसके आगे ना तो परिवार आता है और ना उस व्यक्ति की अच्छाई. हरेक व्यक्ति को हरेक gatanakram के साथ हरेक बार अपने को समाज और उसके नियमों की कसौटी पर खरा उतरने के परिक्षा मैं उत्तीर्ण भी होना parata है यही समाज का नियम भी है और नियति भी.
Post हर बार की तरह अद्भुत भी था फ्यूचर की तरह
Unpredictable और डरावना भी. साधुवाद....
Aaj के update के लिए इतना ही कहूँगा 1998 का दृश्य बहुत ही jaghanya और हिंसक तो था ही लेकिन ये 2004 तो हृदय विदारक और ग़मगीन कर गया. ये हम सब को पता है कि ये middle class सदा से ही समाज और उसके नियमो से इस हद तक बंधा है कि उसके आगे ना तो परिवार आता है और ना उस व्यक्ति की अच्छाई. हरेक व्यक्ति को हरेक gatanakram के साथ हरेक बार अपने को समाज और उसके नियमों की कसौटी पर खरा उतरने के परिक्षा मैं उत्तीर्ण भी होना parata है यही समाज का नियम भी है और नियति भी.
Post हर बार की तरह अद्भुत भी था फ्यूचर की तरह
Unpredictable और डरावना भी. साधुवाद....