माननीय एनिग्मा भाई क्य्या आप पर अतिरिक्त दबाव है.......??? आछी खासी चल रही कहानी स्थगित/विलंब कर के अन्यत्र संलिप्त होना ......प्रश्न करने का मुख्य वजह यह है मुझे अपने अनुभवों से ऐसा प्रतीत होता है वर्तमान में आपके लेखनी को देखते हुवे अब आप एक लेखक न होकर एक व्यापारी के रूप में संलिप्त हो कर इसे लिख रहे हैं .....निसंदेह ये मेरे द्वारा कहे गये अब तक के बड़े वाक्य हैं परन्तु इसकी एक बड़ी मुख्य वजह यह है आपकी लेखनी का अध्यन करने के उपरांत पाठक का सम्मोहन अपनी रचना के प्रति बरकरार रख पाने में आप किसी न किसी तरह से विफल हो रहे हैं.......उदाहरण स्वरूप किसी भी भाग के अंत मे आप एक राज/असमंजस की स्थिति उत्पन्न करने की आपकी कोशिस जिस से आपके पाठक का सम्मोहन आपकी रचना के प्रति बरकरार आगे के लिये रह सके ......इस तरह के कृत्य बहूत ही बनावटी लगते है और जैसा कि पहले भी कहा गया है यह एक ऐसी रचना है जिस से हर किसी की मुलाकात प्रतिदिन नहीं हो सकती लगभग असंभव ही कहे और दूसरी बात व्यापारी वाली लेखनी से मतलब इतना था इतने भाग सुरु से पढ़ने के उपराँत आपको अनुभव होने लगता है अत्यंत लघु स्वरूप में ही सही ....लेखक इसे अब दिल लगा कर नहीं लिख पा रहा या तो उसका ध्यान केंद्रित नहीं है अन्य कार्यो में संलिप्त होने की वजह से अथवा यू कहे तो लेखक के सोचने की पद्धति कुछ बदल सी गयी है या वो इसे इसी तरह खींचना चाहता हो बजाय इसके की इसे बार -बार पढ़ कर याद रख सके कि लेखनी ऐसी भी हो सकती है .....कहने को तो हृदय के उदगार ढेर सारे हैं वस्तुतः अन्य ऐसे बिंदु हैं जिस पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है .........किसका प्रत्यक्ष रूप से बखान कर आपकी लेखनी का अनादर नहीं करना चाहूँगा....... लेखनी निसंदेह आपकी एक व्यक्तिगत सोच है जिसका में हमेशा से सम्मान करता आया हूँ और इसे आप एक पाठक के हृदय के द्वन्द्व के रूप में ही देखेंगे ऐसी उम्मीद रखते हैं ।
धन्यवाद
माननीय स्माइल117 भाई क्या आप पर अतिरिक्त दबाव है.......??? अच्छी-खासी चल रही कहानी पर त्रुटि लगाकर एवं लेखक महोदय को व्यापारी बोल क्यूँ संतुलन बिगाड़ना....प्रश्न करने की मुख्य वजह यह है कि मुझे अपने अनुभवों से ऐसा प्रतीत होता है कि आपका कमियां बताना बेहतरी के लिए न होकर निंदनीय अधिक है। पाठक का सम्मोहन लेखक महोदय अपनी रचना के प्रति बरकरार रख पाने में विफल होते, तो क्या वेटिंग लिख कर पाठकगण 20-30 पृष्ट का भरण कर पाते?
भाग के अंत मे राज/असमंजस की स्थिति उत्पन्न करना आपको बनावटी प्रतीत हो रहा है लेकिन आप बताइए कि कौनसी कहानी, फिल्म या उपन्यास है जिसकी शैली रोमांच और कौतुहल भरी हो और उसका अंत राज/ असमंजस भरा न हो?.....उदाहरण स्वरूप बाहुबली के अंत में ऐसा सस्पेंस बना दिया गया था कि महीनों उस पर चर्चा हुई थी और ब्लॉक बस्टर रही वो... तो क्या सस्पेंस उत्पन्न करना व्यर्थ है ? अगर आप सच में " प्यार- 100 बार" के पाठक रहे हो तो आपको ज्ञात होगा कि इसमें कोई एक विशेष रूप से शैली नहीं है बल्कि इसमें आपको हर किस्म का रस मिल जाएगा, ऐसी स्तिथि में आप और क्या आशा करोगे?
रही बात "लेखक इसे अब दिल लगा कर नहीं लिख पा रहा या तो उसका ध्यान केंद्रित नहीं है अन्य कार्यो में संलिप्त होने की वजह से" की तो लेखक महोदय ने अपनी टिप्पणी में स्वयं अपनी दिनचर्या और जीवनशैली बताये हैं फिर भी सोचने की पद्दति बदल जाना या कहानी को खींचने वाली जो बात है इसपर मैं अपने दृष्टिकोण से बोलूँ तो मुझे अभी के अपडेट्स में ऐसी कोई कमी नहीं लग रही इसके विपरीत मैं शुरुआत के 50 अपडेट देखता हूँ तो उसमे कहीं न कहीं कमियां या अंतर्वस्तु अव्यवस्थित लगती है, जिसका सीधा मतलब यह है कि कहानी पहले से बेहतर ही हो रही है, दृश्य और तरतीब ज्यादा व्यवस्थित है। फिर भी सबका अपना दृष्टिकोण होता है तो हो सकता है आप इन सब से सहमत न हों तब भी अपनाया तो वही जाएगा ना जो बहुमत को पसंद आए?
इसके अलावा लेखक जी ने कई बार ये कहा है कि ये केवल एक कहानी नहीं है उनके लिए, तो जेसा की बहुत सी कहानियो में होता है कि लेखक पूछता है अब क्या करूँ आगे, यहां वैसा कभी नहीं हुआ क्योंकि ये लिखेंगे वही जो सोचा है।
कई बार हो जाता है ऐसा भी की आने वाली संभावना को बनाने के लिए कुछ भाग आपको बेमतलब कहानी को खींचना लगते होंगे, संतुष्टियों के बीच असंतुष्टि भी आती होगी लेकिन ज़रूरी तो वह भी है मेरे भाई, यही तो जीवन है।
Enigma भाई कुछ ग़लत कह दिया हो जाने-अनजाने तो क्षमा चाहूँगा
धन्यवाद