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Incest Pyar hai toh pariwar hai

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" प्यार है तो परिवार है " , प्यार और विश्वास किसी भी रिश्ते की सबसे अहम कड़ी होती है । खुद के फेमिली में ही नहीं बल्कि रिश्तेदारों में , दोस्ती में , यहां तक कि व्यापार में भी ।

शीर्षक बहुत ही बढ़िया रखा है आपने कहानी का । बिल्कुल कहानी के अनुरूप ।
मुझे लगता है -
यश को बचपन में फेमिली से दूर रखने का फैसला सही नहीं लिया गया था । बच्चे बचपन में शरारती होते ही हैं । यह बात अलग है कुछ ज्यादा ही शरारती होते हैं । हमने अकसर देखा है जो बच्चे बचपन में जितना ज्यादा शरारती होते हैं , जवानी में उतना ही गंभीर हो जाते हैं । यही बात हम बचपन में शर्मिला और शांत रहने वाले बच्चों के लिए भी कह सकते हैं । जवानी में ऐसे बच्चे काफी बातूनी और ओवर स्मार्ट हो जाते हैं । ऐसा अधिकांशतः देखा है मैंने पर यह ऐसा भी नहीं कि हंड्रेड परसेंट सच है ।

दस बारह साल का बच्चा अपने परिवार से बहुत दूर चंडीगढ़ भेज दिया गया पढ़ाई-लिखाई करने के लिए । आठ साल से अपनी फेमिली से मिला तक नहीं । ऐसे हालात में उसके मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ना ही था । हाइपरटेंशन का शिकार होना ही था ।
लेकिन ऐसा उसके खुद के लिए गए फैसले के कारण हुआ । वो अपने परिवार से मिलना ही नहीं चाहता था ।
वो तो बच्चा था पर उसके माता-पिता तो बच्चे नहीं थे । ऐसा हो ही नहीं सकता कि वो अपने बच्चे से मिलने का मन बनाएं और उससे मिल न पाएं !
माता पिता की गलती और उदासीनता ने यश को मेंटली बिमार कर दिया । शुक्र था उसके टीचर काया मैडम का जिसने उसे अपने बच्चे की तरह पाला । बिमारी मालूम पड़ने पर मनोरोगी एक्सपर्ट डॉ को दिखाया ।
( वैसे एक फुल अपडेट था डॉ मनीषा और उनके वीडियो क्लिप पर । गजब ही लिखा था आपने उस अपडेट को ।)
सात आठ सालों तक उन्होंने उसे वो दिया जो उसके मां बाप ने नहीं दिया ।
बच्चों का पहला क्रश अधिकतर अपने से बड़ी उम्र की महिलाओं से होता है । उसे भी काया मैडम से हुआ जो कि स्वाभाविक था ।

स्कूल से रेस्टिकेट होने के बाद मात्र तीन दिनों में वो बहुत बदल गया । कारण था उसके फेमिली का उसके साथ रहना । काश , यह सब बहुत पहले ही हो गया होता तो अब तक वह पुरी तरह स्वस्थ हो जाता ।
खैर , अभी भी कुछ बिगड़ा नहीं है । सही ट्रिटमेंट से बहुत जल्दी वो स्वस्थ हो जायेगा ।

इस कहानी में पहली बार " इन्सेस्ट " तब देखने को मिला जब जतिन ने अपनी ही छोटी बहन के उपर गंदी नजर डाली और कुछ गलत करने की कोशिश की । लेकिन शुक्र है यह मसला भी जल्द ही सुलझ गया । वैसे " इन्सेस्ट " की सोच आम तौर पर प्रायः इंसान की हैं जो एडल्ट साइट से जुड़े हुए हैं । सभी लोग कभी ना कभी किसी न किसी उम्र में ऐसी सोच रखते ही हैं । भले ही लोग मानने से इंकार करें !
पर उन्हें हकीकत में अमल करना गलत है ।

मैं यह सोचकर हलकान हो रहा हूं कि यह स्टोरी अभी तक बिल्कुल ही साफ सुथरी लिखी जा रही है । यश की सोच काफी अच्छी है फिर इसमें " इन्सेस्ट " कब और कैसे पैदा हो जायेगी ?

ईशा की " मीरा भक्ति " जैसे प्यार के लिए क्या कहूं ! मुझे उसका कैरेक्टर बहुत बढ़िया लगा । यह जानते हुए भी कि यश उसका नहीं हो सकता फिर भी " मीरा " की तरह दिवानगी दिखाई उसने ।
वैसे लगता है यश का मन अब बदलने लगा है ।

अंजलि और सुमन का किरदार भी बहुत बढ़िया लगा । भाई बहन के बीच जैसा प्यार और नोंक झोंक जैसा ।
पर सुमन शायद अपने भाई पर ही आशक्त हो चुकी है । शायद जैसा व्यवहार जतिन ने उसके साथ किया था, उससे सेक्स के प्रति उसकी रुचि बढ़ गई है । और सुरक्षित सेक्स यश के साथ करना चाहती है ।

जोया उससे उम्र में काफी बड़ी है फिर भी वह भी यश के चार्म से अपने को बचा नहीं पाई । ऐसे बहुतों एग्जाम्पल है जहां उम्र में ज्यादा अंतर होते हुए भी शादियां हुई है । इस लड़की को भी आपने शानदार ढंग से प्रस्तुत किया ।

डॉ भावना के रूप में भी एक बढ़िया किरदार गढ़ा आपने । अभी तक उनका रोल बहुत अच्छा लगा । देवर भाभी का रिश्ता जो हकीकत लगा मुझे ।

लेकिन जैसा कि मैंने पहले भी कहा , कहानी " इन्सेस्ट " कैटेगरी में है तो क्या ये सारी महिलाएं यश के साथ इंटिमेट होगी ?

आलू भाई का रिभियू मैंने पुरा पढ़ा था । उनका रेभो आउटस्टैंडिंग होता है । लेकिन शायद कुछेक रेभो में उनकी बात आप को पसंद नहीं आई थी इसलिए इस कहानी को नहीं लिखने का मन बना लिया था ।
जब कहानी बढ़िया होती है तो अच्छे रीडर्स कहानी के साथ पुरी तरह से जुड़ जाते हैं । रेभो में असलियत झलकने लगती है । लेकिन आगे से उन्हें कहिएगा - :D
अब परमपराएं धीरे धीरे टुटती जा रही है । सदियों पुरानी सोच से लोग बाहर निकल रहे हैं ।

भाई साहब ! आप सच में बहुत बढ़िया लिख रहे हैं । पुरी कहानी ही नहीं बल्कि प्रत्येक अपडेट को काफी सोच-विचार कर लिख रहे हैं ।
दो हजार रुपए लेकर यश , ईशा के साथ डेट पर गया था और आपने पुरे दो हजार रुपए का हिसाब किताब करवा दिया । यही नहीं बल्कि बहुत सारी ऐसी घटनाएं हुई थी जहां पर आप की पकड़ स्टोरी पर काफी पैनी थी ।

आउटस्टैंडिंग स्टोरी एवं आउटस्टैंडिंग अपडेट्स । अपडेट्स भी तो काफी लम्बी चौड़ी दे रहे हैं । बहुत एनर्जी लगती है इसमें । इसके लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद ।

एक बार फिर से आप को बहुत बहुत आभार ।
ऐसे ही लिखते रहिए ।
 

aalu

Well-Known Member
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" प्यार है तो परिवार है " , प्यार और विश्वास किसी भी रिश्ते की सबसे अहम कड़ी होती है । खुद के फेमिली में ही नहीं बल्कि रिश्तेदारों में , दोस्ती में , यहां तक कि व्यापार में भी ।

शीर्षक बहुत ही बढ़िया रखा है आपने कहानी का । बिल्कुल कहानी के अनुरूप ।
मुझे लगता है -
यश को बचपन में फेमिली से दूर रखने का फैसला सही नहीं लिया गया था । बच्चे बचपन में शरारती होते ही हैं । यह बात अलग है कुछ ज्यादा ही शरारती होते हैं । हमने अकसर देखा है जो बच्चे बचपन में जितना ज्यादा शरारती होते हैं , जवानी में उतना ही गंभीर हो जाते हैं । यही बात हम बचपन में शर्मिला और शांत रहने वाले बच्चों के लिए भी कह सकते हैं । जवानी में ऐसे बच्चे काफी बातूनी और ओवर स्मार्ट हो जाते हैं । ऐसा अधिकांशतः देखा है मैंने पर यह ऐसा भी नहीं कि हंड्रेड परसेंट सच है ।

दस बारह साल का बच्चा अपने परिवार से बहुत दूर चंडीगढ़ भेज दिया गया पढ़ाई-लिखाई करने के लिए । आठ साल से अपनी फेमिली से मिला तक नहीं । ऐसे हालात में उसके मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ना ही था । हाइपरटेंशन का शिकार होना ही था ।
लेकिन ऐसा उसके खुद के लिए गए फैसले के कारण हुआ । वो अपने परिवार से मिलना ही नहीं चाहता था ।
वो तो बच्चा था पर उसके माता-पिता तो बच्चे नहीं थे । ऐसा हो ही नहीं सकता कि वो अपने बच्चे से मिलने का मन बनाएं और उससे मिल न पाएं !
माता पिता की गलती और उदासीनता ने यश को मेंटली बिमार कर दिया । शुक्र था उसके टीचर काया मैडम का जिसने उसे अपने बच्चे की तरह पाला । बिमारी मालूम पड़ने पर मनोरोगी एक्सपर्ट डॉ को दिखाया ।
( वैसे एक फुल अपडेट था डॉ मनीषा और उनके वीडियो क्लिप पर । गजब ही लिखा था आपने उस अपडेट को ।)
सात आठ सालों तक उन्होंने उसे वो दिया जो उसके मां बाप ने नहीं दिया ।
बच्चों का पहला क्रश अधिकतर अपने से बड़ी उम्र की महिलाओं से होता है । उसे भी काया मैडम से हुआ जो कि स्वाभाविक था ।

स्कूल से रेस्टिकेट होने के बाद मात्र तीन दिनों में वो बहुत बदल गया । कारण था उसके फेमिली का उसके साथ रहना । काश , यह सब बहुत पहले ही हो गया होता तो अब तक वह पुरी तरह स्वस्थ हो जाता ।
खैर , अभी भी कुछ बिगड़ा नहीं है । सही ट्रिटमेंट से बहुत जल्दी वो स्वस्थ हो जायेगा ।

इस कहानी में पहली बार " इन्सेस्ट " तब देखने को मिला जब जतिन ने अपनी ही छोटी बहन के उपर गंदी नजर डाली और कुछ गलत करने की कोशिश की । लेकिन शुक्र है यह मसला भी जल्द ही सुलझ गया । वैसे " इन्सेस्ट " की सोच आम तौर पर प्रायः इंसान की हैं जो एडल्ट साइट से जुड़े हुए हैं । सभी लोग कभी ना कभी किसी न किसी उम्र में ऐसी सोच रखते ही हैं । भले ही लोग मानने से इंकार करें !
पर उन्हें हकीकत में अमल करना गलत है ।

मैं यह सोचकर हलकान हो रहा हूं कि यह स्टोरी अभी तक बिल्कुल ही साफ सुथरी लिखी जा रही है । यश की सोच काफी अच्छी है फिर इसमें " इन्सेस्ट " कब और कैसे पैदा हो जायेगी ?

ईशा की " मीरा भक्ति " जैसे प्यार के लिए क्या कहूं ! मुझे उसका कैरेक्टर बहुत बढ़िया लगा । यह जानते हुए भी कि यश उसका नहीं हो सकता फिर भी " मीरा " की तरह दिवानगी दिखाई उसने ।
वैसे लगता है यश का मन अब बदलने लगा है ।

अंजलि और सुमन का किरदार भी बहुत बढ़िया लगा । भाई बहन के बीच जैसा प्यार और नोंक झोंक जैसा ।
पर सुमन शायद अपने भाई पर ही आशक्त हो चुकी है । शायद जैसा व्यवहार जतिन ने उसके साथ किया था, उससे सेक्स के प्रति उसकी रुचि बढ़ गई है । और सुरक्षित सेक्स यश के साथ करना चाहती है ।

जोया उससे उम्र में काफी बड़ी है फिर भी वह भी यश के चार्म से अपने को बचा नहीं पाई । ऐसे बहुतों एग्जाम्पल है जहां उम्र में ज्यादा अंतर होते हुए भी शादियां हुई है । इस लड़की को भी आपने शानदार ढंग से प्रस्तुत किया ।

डॉ भावना के रूप में भी एक बढ़िया किरदार गढ़ा आपने । अभी तक उनका रोल बहुत अच्छा लगा । देवर भाभी का रिश्ता जो हकीकत लगा मुझे ।

लेकिन जैसा कि मैंने पहले भी कहा , कहानी " इन्सेस्ट " कैटेगरी में है तो क्या ये सारी महिलाएं यश के साथ इंटिमेट होगी ?

आलू भाई का रिभियू मैंने पुरा पढ़ा था । उनका रेभो आउटस्टैंडिंग होता है । लेकिन शायद कुछेक रेभो में उनकी बात आप को पसंद नहीं आई थी इसलिए इस कहानी को नहीं लिखने का मन बना लिया था ।
जब कहानी बढ़िया होती है तो अच्छे रीडर्स कहानी के साथ पुरी तरह से जुड़ जाते हैं । रेभो में असलियत झलकने लगती है । लेकिन आगे से उन्हें कहिएगा - :D
अब परमपराएं धीरे धीरे टुटती जा रही है । सदियों पुरानी सोच से लोग बाहर निकल रहे हैं ।

भाई साहब ! आप सच में बहुत बढ़िया लिख रहे हैं । पुरी कहानी ही नहीं बल्कि प्रत्येक अपडेट को काफी सोच-विचार कर लिख रहे हैं ।
दो हजार रुपए लेकर यश , ईशा के साथ डेट पर गया था और आपने पुरे दो हजार रुपए का हिसाब किताब करवा दिया । यही नहीं बल्कि बहुत सारी ऐसी घटनाएं हुई थी जहां पर आप की पकड़ स्टोरी पर काफी पैनी थी ।

आउटस्टैंडिंग स्टोरी एवं आउटस्टैंडिंग अपडेट्स । अपडेट्स भी तो काफी लम्बी चौड़ी दे रहे हैं । बहुत एनर्जी लगती है इसमें । इसके लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद ।

एक बार फिर से आप को बहुत बहुत आभार ।
ऐसे ही लिखते रहिए ।
abhi tak kee kahani jin bhaio ne bhi nahin padhi aur ek baar mein hi samajhna chahte hain wo iss ek review ke jariye samajh jayenge.... hats off to you sanju bhai...
 

Thekingmaker

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Behad hi shanadar or jabardast update bhai.
Bahut khoob superb.

Ma ke sath subah khoobsurat.
Isha ke sath planning kar li.
Bahut achhe yaara.
Badhiya update raha.
Mazaaaa aa gaya bhai waah....
thanx dost update ready hai jaldi hee hazir hoga thoda wait kare
 

Thekingmaker

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Wahhhhh jabrdast mindblowing superbbb speechless update.......
waiting for next update.......
thanx dost update ready hai jaldi hee hazir hoga thoda wait kare
 
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