एक दिन दोपहर का समय था। और रमेश नाम का किरायदार घर पूछते-पूछते घर आया और
मकान किराए के लिए पूछने लगा। छोटा भाई दरवाजे पर पूछा तो उसने बोला घर में कोई है। तो भाई ने बोला नहीं मैं और दीदी है। तो उसने बोला दीदी को बुलाओ, भाई अंदर जाके मुझे बोला तो बाहर आकर देखी। और पूछा क्या काम है आप बताएं। जैसे ही रमेश ने मुझे देखा तो वो देखता रह गया। और भूल गया क्या पूछना है। फिर मैंने दोबारा पूछा तो वो होश में आया फिर बोला कोई कमरा खाली है। तो मैंने बोला रूम तो है लेकिन कोई है नहीं आप शाम को आएंगे। फिर वो बोल के चला गया शाम को आऊंगा।
सुनीता यानि मैने बोला ठीक है। वो मुझे घूर के देख रहा था फिर चला गया।
शाम को जब घरवाले वापस आये तो मैंने माँ को बता दिया कोई आदमी आया था कमरे के लिए पुछ रहा था। तो माँ ने बोला ठीक है मैं तेरे पापा को बता देती हूँ।
पैसे की ज़रूरत भी थी घर में, इसलिए पिताजी बोले हमारा घर तो खाली है, अगर उसे पसंद आया तो उसे दे देंगे।
शाम को फिर वो आदमी वापस आया और घर के बाहर से आवाज लगाई।
पापा बाहर गए तो वो बोला दिन में आया था रूम के लिए। आपकी बेटी ने बताया कोई कमरा खाली है,
अगर आपका कोई कमरा खाली हो तो मुझे दे दीजिए बड़ी मेहरबानी होगी।
पापा ने बोला आप क्या करते हैं। तो उसने बोला मैं छोटा मोटा काम करता हूं सेलिंग का काम होता है माल पैक करके सेल करता हूं और करवाता हूं।
पापा- देखिये कमरा तो खाली है लेकिन अगर आपको पसंद आये तो।
रमेश- जी मुझे दिखा दीजिये
फिर पापा ने घर दिखाया और उसने कहा मैं यहां रह लूंगा..
फिर खरीदा तय हुआ और उसने दोनों फ्लैट ले लिया ये कहकर कि एक फ्लैट गोदाम की तरह इस्तेमाल कर लूंगा।
पापा बहुत खुश हुए और रूम दे दिया।
रमेश- कल मैं अपना सामान ले आऊंगा.
पापा - चलो एक कप चाय पी लो
रमेश-जी ठीक है
पापा - तुमने मुझे बोला सुनीता दो कप चाय बना दो।
रमेश करमे आ के बैठा था.
फिर उसने बताया उसकी शादी हो गई है और परिवार गांव में रहता है।
और मैं यहां सेल्समैन का काम करता हूं।
ऐसी ही बात चित होती रही फिर माई चाय बना के ले गई देने। जब मैंने चाय दी तो उसने धीरे से मेरा हाथ टच किया मुझे थोड़ा अजीब लगा।
सुनीता- मैंने चाय देके वापस आ गई उसके दो चार गाली मन में दिया
फ़िर वो चला गया अपना सामान ले आने