धीरे-धीरे दिन बीत गया और रमेश घर के लोगो से नज़दीकियां बढ़ाने लग गया था, जैसे घर का हर काम कर देता, किसी को कुछ भी चाहिए होता तो वो ला देता। घर वालो का विश्वास भी अब बदलने लगा था 2-3 महिनो में बहुत घुल मिल गया घर के सभी लोगो से।
लेकिन सुनीता के अंदर कोई अभी ऐसा एहसास नहीं था
लेकिन रमेश सुनीता को पटाने के चक्कर में लगा हुआ था
लेकिन सुनीता के अंदर कोई अभी ऐसा एहसास नहीं था
लेकिन रमेश सुनीता को पटाने के चक्कर में लगा हुआ था