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Incest Rajsi parampara

Kahani m maa beta main rahe

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  • Shrey or anjali main rahe par dushre logo ki bhi life dikhe


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Letsdoit

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Update 6


.अगली सुबह मम्मी की नींद 8 बजे खुली वो घडी देखी

मम्मी- अरे आठ बज गए इतनी देर हो गई पता नही सब क्या सोच रहे होगे जल्दी से तैयार हो जाती हू फिर वो उठने लगती है तो देखती है की वो एकदम नंगी है उन्हें रात की बात याद आती है की कल रात सब बदल गया है और वो श्रेय की पत्नी है और उन्होंने रात मे एक हो गए है फिर वो एक चादर से खुद को ढक कर उठी और बाथरूम में रेडी होने चली गई और मै अभी भी सो रहा था फिर मेरी नींद खुल गई तो मैने देखा मै एकदम नंगा था कंबल मे मै सोचा कल क्या हो गया मम्मी और मै और मेरी नजर कमरे पर गई पूरे कमरे में हमारे कपडे बिखरे हुए


KAseuu
मै अपनी चड्डी ढूंढने लगा पर वो मुझे नही मिली उतने मे मम्मी टावल मे बाथरूम से बाहर आ गई
और मैने फिर से चादर से खुद को डक लिया
मम्मी- उठ गया श्रेय चल जल्दी से तैयार हो जा सब बाहर हमारा इंतजार कर रहे होगे
मै आश्चर्य मे था की मम्मी इतनी नार्मल बात कर रही है जैसे कुछ हुआ ही नही है
मम्मी- क्या सोच रहे हो तुम ज्यादा मत सोचो जो होना था हो गया अब हमे आगे की सोचना है चलो जल्दी से तैयार हो जाओ
मै - वो मम्मी वो
मम्मी- क्या वो
मै - मेरा अंडरवियर नही मिल रहा है मैने कुछ नही पहना है
मम्मी- तो क्या होगा यही कही जाओ और नहा लो मै तुम्हारे कपडे देती हू
मै - पर मम्मी मैने कुछ नही पहना है
मम्मी- अब हम पति पत्नी भी है तो अब कोई पर्दा नहीं है हम मे जाओ
मै जल्दी से दौड़ कर बाथरूम में चला गया और मेरा लंड अभी भी खडा था मै सोचने लगा की रात मे मै मम्मी के साथ कैसे सेक्स कर रहा था वो दृश्य मेरी आखों के सामने थे उतने मे मेरे मन से आवाज निकली कि श्रेय मगर ये गलत है फिर एक आवाज और आई की वो तेरी बीबी भी है फिर मै नहा कर बाहर आया तो मम्मी एकदम तैयार हो गई थी वो एकदम नई बहु की तरह तैयार थी मै बाहर आया तो उन्हें देखता ही रह गया

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मुझे देखकर वो बोली ये कपडे है चल तैयार होकर बाहर आ जा मै बाहर हू
फिर मम्मी बाहर चली गई और बाहर जाकर दादाजी दादी के पैर छुए
दादाजी- जीती रहो बहु
दादी- उठ गई बहु चलो अब कुछ रसोई की रस्म है जाकर तुम कुछ मीठा बना दो
फिर मम्मी किचिन मे चली गई और साथ ही दीदी भी उनके साथ गई
दीदी- मम्मी आप ठीक हो न
मम्मी- हा मै ठीक हू मुझे क्या होगा चल तुम गाजर छील दो तब तक मै दूसरी तैयारी कर लेती हू
दीदी- ( मन मे ) मम्मी दिखा तो रही है सब ठीक है मगर मै जानती हू वो अंदर से दुखी हैं और हो भी क्यों न कल जो हुआ है मगर उनसे पूछ भी तो नही सकती सीधे
मम्मी- क्या हुआ चल जो बोला वो कर लेट हो रहा है
उतने मे चाची आ गई
चाची - अरे अंजलि तुम दिया से कैसे बात कर रही हो अब वो तुम्हारी नन्द है और श्रेयांश की बडी बहन तो उससे इज्जत से और दीदी कहकर बात करो
दीदी- क्या चाची कुछ भी एक रात मे रिश्ते थोडी बदल जाते है
चाची- बदल जाते नही बदल गए हैं तो जो अब रिश्ते है उन्हें ही निभाना है
दीदी- तो फिर तो मम्मी अब महारानी भी होने वाली है तो उनका पद तो सबसे बडा है
चाची- पद के नाते तो इनका हुक्म चलेगा मगर जो रिश्ते है उन्हें तो निभाना ही पडेगा न क्यू अंजलि
मम्मी- हम्म
फिर मम्मी चुप चाप हलवा बनाने लगी और वही बाहर सब बैठे थे
नाना - राजा साहब अब जब अंजलि और श्रेयांश की शादी हो गई है तो अब आपके बेटे तो अकेले रह गए हैं और बहुत दुखी भी है और अंजलि भी इतनी जल्दी तो उन्हें नही भूल पाएगी तो क्या करना चाहिए
दादाजी - सही कह रहे है आप इसका एक ही रास्ता है की अमरेन्द्र की दूसरी शादी कर दी जाए ताकि वो भी अपन नई जिंदगी शुरू कर सके
फिर पापा आए और बैठ गए
दादी - कैसे हो बेटा
पापा- ठीक हू मा
दादाजी- देखो अमरेन्द्र अब तुम्हारे बेटे का घर बस गया है तो अब तुम भी अपने बारे में सोचो क्योकिं अगर तुम दुखी रहोगे तो अंजलि और श्रेयांश भी दुखी रहेंगे और जिंदगी में आगे नही बडा पाएंगे
पापा- जानता हू पिताजी पर क्या करू
दादाजी - मेरे ख्याल से तुम्हे भी शादी कर लेनी चाहिए ताकि अंजलि और तुम्हारे बीच कुछ भी न बचे
पापा- पर कैसे मैने सिर्फ़ एक बार प्यार किया है और उसकी जगह किसी और को
दादाजी- मगर अब वो तुम्हारे बेटे की बीबी है तो तुम खुद सोचो और अंजलि भी तुम्हे भूल नही पाएगी पूरी तरह अगर तुम आगे नही बढोगे इसलिए उन दोनों की खुशी के लिए कर दो
पापा- ठीक है पिताजी मे सोचता हूँ
फिर मै बाहर आया और पहले पापा के पैर छुए फिर दादाजी दादी के पैर छूकर आशीर्वाद लिया
दादी- देखा मेरा पोता कितना संस्कारी है आजकल के बच्चों की तरह नहीं
पापा- हा मा सब अंजलि के कारण है उसी ने अपने बच्चों को संस्कार दिए है
दादी- हा बहु तो है ही लाख मे एक और मुझे विश्वास है कि श्रेयांश और अंजलि के बच्चे भी बहुत संस्कारी होगे
नानी- जी अंजलि हमारी बेटी है और उसके बच्चे तो गुणवान होगे ही
मै चुपचाप सब सुन रहा था
मै - दादी मम्मी कहा है
नाना - बेटा अब वो तुम्हारी पत्नी है नाम लो उसका सबके सामने मम्मी कहोगे तो सब क्या सोचेगे
मै - पर सच तो यही है न नानू की वो मेरी मम्मी है
दादी कहा है वो
दादी- किचिन मे है
फिर मै किचिन मे चला गया
नाना- राजा साहब यह कैसे चलेगा श्रेयांश योगिनी अभी भी मम्मी ही मानता है
दादाजी- कोई रिश्ता एक पल मे नही बदलता और वो दोनों अगर दोनों रिश्ते निभाना चाहते हैं तो ठीक है
मै किचिन मे गया तो वहा मम्मी हलवा बना रही थी और,दीदी उनकी मदद कर रही थी और चाची और बुआ भी थी
मैंने जाकर रोज की तरह उनके पैर छूकर आशीर्वाद लिया
चाची- यह क्या कर रहे हो श्रेय अब वो तुम्हारी पत्नी है उसे तुम्हारे आशीर्वाद लेने चाहिए न की तुझे
मै - चाची आप हमारे बीच में आए पहले वो मेरी मम्मी है और उनका सम्मान करना वो मेरा पहला धर्म है
चाची- पर पर अंजलि तुम तो समझदार हो समझाओ इसे
मै - चाची मैने पहल ही मम्मी को सब बता दिया है
फिर वो चुप हो गई
फिर मम्मी हलवा बना कर बाहर आई और सबको खिलाई और सबने उन्हें नेग दिया और सब अपने काम में व्यस्त हो गए
मै दीदी के साथ छत पर बैठा था
दीदी- श्रेय तू ठीक तो है न
मै - दीदी कल रात मेरे मम्मी के बीच मुझे बहुत बुरा लग रहा है है और थोडा कंफ्यूजन भी है यह सही है या गलत
दीदी- देख अब मम्मी तेरी पत्नी भी है तो जो हुआ सही हुआ और सुन अब तुझे मम्मी का ख्याल रखना है जैसे पापा देते थे उन्हें एक पत्नी की तरह भी देखना है प्यार देना है ताकि उन्हें कोई दुख न हो और एक नई जिंदगी देना है
मै - दीदी पर हम दोनों पति पत्नी है तो क्या हमे आगे चलकर जो दादी बोल रही थी वो भी करना होगा
दीदी- हा वो तो जरूरी है और तू खुशकिस्मत हैं कि मम्मी जैसी सुंदर संस्कारी औरत तेरी जीवन साथी है और तुझे सबसे ज्यादा प्यार करती है
मै - हा दीदी मम्मी बहुत सुन्दर और संस्कारी है मै सचमुच खुशकिस्मत हू
वही दूसरी तरफ पापा मेरे कमरे मे गए तो मम्मी वहा थी उन्होंने पा को देखकर सर मे पल्लू डाल ली
पापा समझ गए की मम्मी अपना फर्ज निभा रही है
पापा - अंजू मै जानता हूँ कि यह हम दोनों के लिए ही बहुत मुश्किल है मगर अब यही सच है
मम्मी- जी जानती हू पर क्या करू ये जो बंधन है न वो बंध गया है अब मेरे गले मे श्रेय का मंगल सूत्र है
पापा - हम्म चलो वो सब छोड़ दो और आगे बढो देखो शहर मे काम बिखरा पडा है तो मुझे और दिया को जाना पडेगा तुम दोनो चाहो तो कुछ दिन यहा रह सकते हो
मम्मी- हम यहा रहकर क्या करेगे और श्रेय का स्कूल भी है तो हम भी चलते है उसकी पढाई का नुकसान हो रहा है
पापा- ठीक है पिताजी से कह देता हूं हम रात को निकल जाएंगे और कल सुबह पहुंच जाएंगे
फिर पापा दादाजी के पास गए
पापा- पिताजी मुझे शहर मे काम है मै बापस जा रहा हू और अंजलि भी कह रही है की श्रेय का स्कूल है तो वो भी हमारे साथ आ रहे है
दादाजी- थोडे दिन और रूक जाते और श्रेयांश राजा बनने वाला है तो उसे क्या परवाह पढाई की
पापा- अंजलि ने कहा की उसे खूब पढ्ना है ।
दादाजी- चलो ठीक है मगर ध्यान रहे की अब अंजलि तुम्हारी बहु है राज्याभिषेक से पहले तुम्हे उसे लेकर यहा आना है
पापा- ठीक है पिताजी
फिर पापा ने हमे भी बताया मै और दीदी खुश हो गए और जल्दी से समान पैक कर लिया
फिर पापा ने दादाजी दादी के पैर छूकर आशीर्वाद लिया
दादी- बेटा खुश रहना और फिक्र मत करना
फिर मैने और मम्मी ने उनके आशीर्वाद लिया
दादाजी- दूधों नहाओ पूतों फलो
फिर हम कार मे बैठ गए
मगर इस बार पापा और दीदी आगे और मै मम्मी पीछे बैठे थे ।
फिर पापा गाडी चला रहे थे
मै - दीदी थैंक्स गाड की हम वहा से निकल आए सबकुछ ही बदल गया वहा पूरी लाइफ ही चेंज हो गई
दीदी- हा उन लोगों के कारण सब बदल गया चलो अब हम अपने घर चल रहे है मगर पापा शहर मे क्या कहेंगे और काकी को भी कुछ नही पता है
पापा- बेटा सच तो बताना ही पडेगा और शादी मे बहुत से ल आए थे तो काफी लोगो पता है और तुम्हारी मम्मी भी झूठ नहि बोलती और अपेक्षा सुहाग को लेकर तो बिलकुल नहीं तो जो सच है बता देंगे क्यू अंजलि
मम्मी- जी सही है आखिर कब तक झूठ कहेंगे और ये तो जिंदगी भर का नाता है
मै - पर मम्मी स्कूल में कैसे कहूँगा की आप और मेरी शादी हो गई है और आप ही तो प्रिन्सिपल से मिलने जाती हो
मम्मी- वो सब देख लेंगे
फिर इसी तरह हम कुछ घंटे बाद अपने घर पहुच गए
और हमने डोर बैल बजाई
तो मालती काकी ने दरवाजा खोला
मालती काकी- आप लोग आ गए मालिक आइए अंदर और दीदी आप तो बहुत सजी हुई है एकदम नई दुल्हन की तरह क्या मालिक से फिर से शादी कर ली गाँव में
फिर दीदी बोली रूको मम्मी फिर वो गई और आरती और कलश लेकर आई और कलश को चौखट मे रख दिया और आरती उतारने लगी मम्मी और मेरी फिर मुझसे बोली श्रेय चल अब नेग दे
मै - दीदी मै कैसे मै तो खुद आपसे लेता हूँ
दीदी- हा मगर रस्म है और तू अब अरबों का मालिक है कुछ भी दे
फिर मैंने दो हजार रूपये दे दिए फिर दीदी ने मम्मी से कहा की कलश को लात मार कर अंदर आओ
फिर मम्मी ने वही किया मालती काकी सब देखकर सोच रही थी मालिक क्या सचमुच में गाँव मे शादी हुई है आपकी और दीदी की
पापा ने कुछ नहीं कहा और सब अपने समान के साथ अपने कमरे मे मे जाने लगे मम्मी मेरे साथ मेरे कमरे में जाने लगी
मालती- दीदी वो श्रेय बाबा का कमरा है मालिक और आपका कमरा वहा है
मम्मी- अब यही मेरा कमरा है
फिर पापा ने मालती काकी को सबकुछ बता दिया
मालती काकी - पर मालिक यह तो गलत है
पापा- मगर अब यही सच है
मालती काकी सोच मे पड गई मा बेटे अब पति पत्नी फिर थक गए तो सो गए
 
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