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Incest Rajsi parampara

Kahani m maa beta main rahe

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parkas

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Introduction

दादाजी- राजा भानुप्रकाश उम्र- 70 यह हमारे राजपरिवार के राजा है पूरी रियासत मे इनका ही रौशनी भले ही आज राजशाही खत्म हो गई है मगर इनका रूतवा वही है

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दीदी- महारानी सुमित्रा देवी उम्र- 65 बहुत ही सुन्दर है महल मे इनकी ही चलता है इनके दो बेटे और एक बेटी है ये अपने बच्चों से बहुत प्यार करती है

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चाचा- अरुणोदय उम्र- 42 हमारे परिवार के सभी काम और बिजनेस यही संभालते है

चाची - निशा उम्र- 40 बहुत खूबसूरत और समझदार औरत है इनके दो बेटे हैं

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सूरज- चाची का बडा बेटा उम्र 21 बहुत स्मार्ट पर उतना ही अच्छा है

हर्षवर्धन- छोटा बेटा उम्र 18 काफी अच्छा और सरल स्वभाव का है

बुआ- सुलोचना उम्र 38 इनके पति नही है इनकी एक बेटी है यह बहुत सुन्दर मगर थोडी भोली है यह दादाजी दादी के साथ ही रहती है

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पापा- अमरेन्द्र उम्र 46 शहर मे रहते है और बहुत कामयाब बिजनेसमेन है पर दादाजी से बहुत डरते हैं

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मम्मी- अंजलि उम्र 42 काफी सुन्दर है पढी लिखी मगर उतनी ही संस्कारी और रीति रिवाज को मानने वाली है अपने बच्चों से बहुत प्यार करती है है

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दीदी- दिया उम्र 22 पापा के साथ बिजनेस संभालती है

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मालती काकी- उम्र40 हमारे घर मे काम करती है विधवा है इनकी एच बेटी है

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मीनू - उम्र 17 मालती काकी की बेटी

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मै - श्रेयांश उम्र 18 अभी 12 मे हू ठीक ठाक हू अपनी मम्मी पापा दीदी से बहुत प्यार करता हू

Gjo
Nice and lovely introduction of the story....
 

parkas

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Update 1

यह कहानी मेरे परिवार की है जिसमे मै मेरी मम्मी पापा और मेरी दीदी रहती है हम शहर मे एक पाॅश इलाके में रहते हैं पापा एक कामयाब बिजनेसमेन है मम्मी हाऊसबाइफ है पढी लिखी मगर उतनी ही संस्कारी और रीति रिवाज को मानने वाली है मै अभी स्कूल में हू 12 वी मे मै शहर के सबसे बड़े स्कूल में पढता हू वैसे तो हम बहुत मार्डन है पर हमारा बाकी परिवार गांव में रहता है वहा दादा दादी चाचा चाची बुआ और उनके बच्चे रहते हैं मेरे दादाजी गाव के जमींदार है तथा हमारे गाँव में हमारे परिवार की बहुत साख है ,शहर मे हमारी जिंदगी बहुत अच्छी चल रही थी
मम्मी सुबह रोज की तरह नाश्ता बना रही थी और मालती काकी उनकी मदद कर रही थी

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मालती काकी हमारे घर मे काम करती है
पापा- अंजलि नाश्ता लाओ मेरी बहुत जरूरी मीटिंग है
मम्मी- बस लाई और मालती काकी के हाथो नाश्ता बाहर भेज दिया
दीदी - पापा वो सक्सेना जी से डील हो गई है
पापा- बेरी गुड
मम्मी- मालती श्रेयांश उठा की नही
मालती काकी- नही दीदी मै जाकर उठा देती हू
मम्मी- तेरे से नही उठेगा मुझे ही उठाना पडेगा
फिर मम्मी मेरे कमरे में आई
मम्मी- श्रेय चल उठ 9बज गए है संडे है तो क्या दिनभर सोऐगा
मै - मम्मी बस पांच मिनट
मम्मी- बोला न उठ
फिर मै उठा और नहाने के लिए बाथरूम मे गया और तैयार होकर बाहर आकर नाश्ता करने लगा
पापा- पढाई कैसी चल रही है
मै - बहुत अच्छी पापा
पापा- बढिया साल टाप कर फिर अगले साल आगे की पढाई के लिए लंडन जाना है
दीदी- हा श्रेय फिर तू भी बिजनेस को संभाल लेगा
फिर नाश्ता करके पापा और दीदी चले गए
मै - मम्मी मुझे 1000रू चाहिए
मम्मी- किस लिए
मै - दोस्त का जन्मदिन है तो उसे गिफ्ट देना है
फिर मम्मी ने मुझे रू दिए
तभी मेरा दोस्त कुश आया और मम्मी के पेर छूकर नमस्ते आंटी कहा
मम्मी- कैसे हो बेटा तुम्हारी मम्मी कैसी है उनको कहना मैने बुलाया है
कुश की मम्मी सुधा आंटी और मेरी मम्मी बहुत अच्छी दोस्त हैं बहनों की तरह
फिर मै और कुश चले गए और हमारे दोस्त रवि का जन्मदिन था हमने उसे गिफ्ट दिया फिर हम बता करने लगे
कुश - भाई फिर क्या सोचा है आगे के लिए
रवि - कालेज फिर पापा का बिजनेस और तू
कुश- कालेज और फिर देखते है और श्रेयांश तेरा
मै - पापा कह रहे है आगे की पढाई लंदन में करू और फिर बिजनेस संभालू
रवि- हा तेरे पापा का तो बहुत बडा बिजनेस है ।
कुश- भाई इसके दादाजी तो बहुत ज्यादा अमीर है उनके मुकाबले तो इसके पापा की दौलत कुछ भी नही है
रवि- भाई सुना वो राहुल है न
कुश - वो शर्मा अंकल का बेटा
रवि- हा वही उसने अपनी काम वाली बाई से शादी कर ली
मै - सरला आंटी से मगर वो तो उनकी मा की उम्र की है और उनकी तो एक बेटी भी है शायद राहुल के साथ ही तो पडती थी
रवि- हा भाई
कुश- तो उसके मम्मी पापा ने कुछ नहीं कहा
रवि- करते भी क्या एकलौता बेटा है मानना ही पडा बरना मर जाता
कुश- मतलब जो दोस्त थी वो अब बेटी बन गई और नौकरानी मालिक बन गई
मै - उसे लगा नही जिसकी गोद मे खेलकर बडा हुआ उसी के साथ
रवि- भाई सब होता है इस दुनिया में प्यार उम्र नही देखता और एक देश मे तो ऐसा रिवाज है की लडके लडकी को अपने घर में ही शादी करनी पडती है जैसे भाई की शादी बहन से और अगर भाई नही है तो लडकी को पापा से और अगर बहन नही है तो लडके को अपनी मा से शादी करनी पडती है जिंदगी भर पति पत्नी बनकर रहना पडता है
मै - क्या बकवास है भाई
कुश- हा यार
रवि- अरे भाई अपने देश मे भी कुछ गाँव में इस तरह की प्रथा है
मै - भाई अच्छा है हम शहर मे रहते और हमे इस तरह की गलत चीजों से दूर हम तो अपनी मम्मी के बारे मे ऐसा सोच भी नही सकते
फिर हम अपने अपने घर चले गए फिर एक दिन दादाजी का फोन आया
दादाजी- अभय जल्दी से गाँव आ जाओ
पापा- बाबूजी क्या हुआ इतनी जल्दी नहीं आ सकते
दादाजी- बाहर मेरे आदमी गाडी के साथ खडे है तुम सब उसमे बैठ कर आ जाओ तुम्हारा समान आ जाएगा
पापा- पर
दादाजी- ये हमारा हुक्म है
फिर हम सब गाडी मे बैठ गए
मम्मी- क्या हुआ श्रेय के पापा ऐसे अचानक क्यू बुलाए वो वो भी इस तरह से
दीदी- हा पापा ऐसा लग रहा है हमे किडनैप किया गया है
मै - हा दीदी
पापा- तुम्हारे दादाजी बहुत बडे जमींदार है सारा प्रदेश में उनकी चलती है बहुत नाम है उनका और उतने ही खतरनाक है
फिर हम कुछ घंटे बाद गाँव पहुंच गए
वहा दादी पापा को देखकर बहुत खुश हो गई और उनकी और हमारी आरती उतारि फिर चाची चाचा और सब हमारा स्वागत किया फिर पापा ने दादाजी के पैर छुए और मम्मी ने भी उनके पैर छुए
दादाजी- मेरा पोता आ गया मेरा वारिश तुम लो जाकर आराम कर लो थक गए होगे हम शाम को बात करेगे
फिर हम अपने अपने कमरे मे जाकर आराम करने लगे दादाजी की हवेली महल जैसी थी और मेरा कमरा बहुत बडा था और सुंदर भी पर समझ नहीं आ रहा था कि आखिर दादाजी ने हमे अचानक इस तरह से कैसे बुला लिया
वही मम्मी पापा अपने कमरे मे
मम्मी- क्या बात है हमे अचानक इस तरह से यहा क्यू लाया गया है
पापा - पता नही मै मा से पूछकर आता हू
फिर पापा दादी के पास गए और पूछा की क्या बात है
दादी- तुझे याद है जब तू 18 साल का हुआ था तब एक प्रथा करना था जिसमे तुझे मुझसे शादी करके इस जायदाद और गद्दी का उत्तराधिकारी बनना था
और तूने और मैने मना कर दिए थे और तेरी जान बचाने के लिए मैने कहा था की तेरा बेटा उत्तराधिकारी बनेगा और यह प्रथा करेगा
पापा- क्या मा वो प्रथा अब भी है मै तो सोचा सब खत्म हो गया होगा
मा - यह इस राजपरिवार की सत्ता रोपड की प्रथा है जो सदियों से चली आ रही है और इसे हर तीन पीढ़ियों मे एक बार करना अनिवार्य है बरना यह राजपरिवार और गाँव नष्ट हो जाएगा
पापा- और अगर नही करो तो
दादी- तो फिर उसकी बलि दी जाती है जो इंकार करता है और अगर तेरे बेटा यह नही करता तो उसके साथ तेरी भी बलि होगी क्योंकि तूने उसे उत्तराधिकारी बनाया था
पापा- मतलब आपकी शादी श्रेय से होगी
दीदी- नही मै उसकी दादी हू वो तेरा बेटा है तो उसकी शादी तेरी पत्नी मतलब उसकी मा से करनी होगी
पापा- क्या पर मा वो दोनों मा बेटे है और यह गलत है और वो दोनों कभी नही मानेगे
दीदी- देख बेटा मै सब जानती हू पर उस समय तो मैने तुझे बचा लिया था पर अब मेरे हाथ में कुछ नहीं है अगर ऐसा नही हुआ तो वो तुम दोनों को मार देंगे
पापा- पर मा
दादी- बेटा- अंजलि को समझा और तैयार कर तेरी और अपने बेटे की जिंदगी के लिए उसे यह करना ही होगा
पापा- मा कुछ उपाय नही है इससे निकलने का
दीदी- जो उपाय था वो 28 साल पहले कर चुके हैं अब इसे कोई नही रोक सकता हा अगर तेरा बेटा राजा बन जाएगा तो वो आगे इस प्रथा को खत्म कर सकता ताकि आगे की पीढी को यह न करना पडे
फिर पापा उदास होकर अपने कमरे मे आ गए और पलंग मे सर झुका कर बैठ गए
मम्मी- क्या हुआ जी क्या बात है आप माजी से बात करने गए थे ने क्या कहा उन्होंने और आप इतना परेशान क्यू है
पापा कुछ नहीं बोले उन्हें कुछ समझ नही आ रहा था और आए भी कैसे अपनी पत्नी और बेटे की शादी की बात और दोनो मा बेटे को कैसे बताए
फिर मम्मी भी फिक्र मे आ गई
मम्मी- क्या बात है जी बोलिए न आखिर क्या बात है मुझे बहुत डर लग रहा है आखिर बात क्या है
पापा- अंजलि कैसे बताऊँ मै तो बोल भी नही पा रहे हू ( रोते हुए )
मम्मी- (रोते हुए) बोलिए न क्या बात है आपको मेरी कसम
फिर पापा ने सारी बात मम्मी को बता दी
मम्मी- यह क्या कह रहे है आप ये कैसे हो सकता है और ये कैसी प्रथा है एक मा बेटे की शादी और बोल दो हमे कुछ नहीं चाहिए हम चले जायेंगे
पापा- नही कर सकते मेरी मा ने मुझे इस प्रथा से बचाने के लिए यह मेरे आगे की संतान मे डाल दी थी और अगर मेरे बेटे ने यह नही किया और उत्तराधिकारी नही बना तो पिता नियम के मुताबिक श्रेय और मुझे दोनो की बलि दे देंगे
मम्मी- क्या कैसे आप उनके बेटे और श्रेय उनका पोता है वो ऐसा नही कर सकते
पापा- कर सकते हैं उनके पिताजी ने अपने बडे बेटे की बलि दी थी पिताजी के बडे भाई ने भी यह प्रथा करने से मना किया था तो वो भी अपनी परम्परा के लिए हमारी कुर्बानी दे देंगे
मम्मी- -(रोते हुए) पर श्रेय के पापा मै ऐसा कैसे कर सकती हू वो मेरा एकलौता बेटा है इससे अच्छा तो मे अपनी जान दे देती हू कम से कम मेरा पति और बेटा तो बच जाऐंगे
पापा- तब भी हमे मार देंगे मेरी दादी भी यही करी थी की मेरा बेटा बच जाएगा मगर उन्होंने तब ताऊ जी की बलि दे दी थी
मम्मी- है भगवान मेरी मौत से भी मेरे बेटे और पति की जान नही बच सकती क्या करू मै

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पापा- अब एक ही रास्ता है की तुम श्रेय से शादी करके उसकी पत्नी बन जाओ और बाकी का जीवन उसके साथ रहो
मम्मी-आप क्या बोल रहे हो पागल तो नही हो गए वो मेरा बेटा है और मै आपसे बहुत प्यार करती हूँ और वो बच्चा है अभी वो भी कभी तैयार नही होगा वो मुझे पूछता है
पापा- सब जानते हू और मै भी तुमसे बहुत प्यार करता हू पर अपने बेटे की मौत नही देख सकता और अगर सिर्फ़ मेरी मौत होती तो खुशी खुशी मर जाता पर क्या करू और तुम्हे भी अपने बेटे की जिंदगी के लिए उसे अपनाने होगा और उससे शादी करनी होगी
मम्मी- पर मै कैसे अपने ही बेटे की बीबी बन सकती हू और उसके साथ जीवन जीना
पापा- जानता हू यह बहुत मुश्किल है पूरी जिंदगी की सजा और अपने ही बेटे के साथ गृहस्थी गृहस्थी बसाना पर तुम्हे यह त्याग करना ही पडेगा
मम्मी- पर कैसे श्रेय के पापा मै अपने बेटे के ही साथ और वो अभी छोटा है और आपका क्या होगा और वो भी कभी नही मानेगे
पापा- देखो अंजू तुम्हे यह करना ही होगा अपने बेटे की जिंदगी के लिए अब तुम्हे मा के साथ एक पत्नी बनकर उसकी रक्षा करनी होगी और मै भी यह सजा सह लूगा अपने बेटे के लिए और श्रेय हमसे बहुत प्यार करता है मै अपनी कसम देकर उसे मना लूगा और तुम एक पतिव्रता संस्कारी औरत हो मुझे यकीन है तुम अपना पत्नी धर्म पूरी निष्ठा से निभाओगी
मम्मी- ठीक है जी अपने बेटे के जीवन की रक्षा के लिए मै यह जहर पी लेंगी
फिर इस तरह शाम हो गई और सब आ गए मेरे नाना नानी और उनका परिवार भी था
मम्मी पापा का चेहरा उतरा हुआ और उदास था दीदी और सोच रहे थे की आखिर क्या बात है मम्मी ने देखा की नानी नाना भी आए है
दादाजी- तो जैसा की सबको पता है हम यहा क्यू इक्कठे हुए है इस राजपरिवार की सत्ता के नए उत्तराधिकारी के लिए जो की मेरे बडे बेटे का बेटा श्रेयांश है
मै चौक गया की मै और उत्तराधिकारी कैसे सब ताली बजा रहे थे
दादाजी- जैसा की सबको जानते हैं कि इस राजपरिवार मे हर तीन पीढ़ियों मे एक बार करना ऐसा करना अनिवार्य होता है जिसमे एक प्रथा है वो करनी होती है अमरेन्द्र तुम्हारी मे ने तुझे सब पता दिया है न तुम दोनों तैयार हो न बहु तुम तै हो न
पापा- पिताजी को और रास्ता नही है अगर हम सिर्फ़ उत्तराधिकारी बस की रस्म करे और यह प्रथा न करे
दादाजी- ( चिल्लाते हुए) अमरेन्द्र चुप हो जा 28 साल पहले तूने यह नही किया और तेरी मा ने तुझे बचा लिया पर अब नही तेरे बेटे को यह करना ही पडेगा बरना दूसरा रास्ता तू जानता है
मै डर गया दादाजी का यह रूप देखकर मै और दीदी सोच रहे थे की आखिर ऐसी कौन सी प्रथा है जिसके लिए पापा नही कर रहे है
मम्मी धीरे से अपने पिताजी से - पापा आप कुछ करिए न ऐसा पाप मत होने दीजिए
नाना - बेटी यह प्रथा है जो अनिवार्य है और राजा साहब के आगे हम क्या कह सकते है
दादाजी- बहु तुम तैयार हो की नही बरना अंजाम तुम्हे पता है
मम्मी- धीरे से सर हिला दी
शाबाश मै जानता था तुम एक संस्कारी और रीति रिवाज को मानने वाली औरत हो वकील पेपर लाओ यह लो अमरेन्द्र और इसमे साइन कर दो और बहु तुम भी
पापा- यह क्या है
दादाजी- तुम दोनों कः तलाक के पेपर ताकि तुम दोनों कानूनी रूप से अलग हो जाओ और श्रेयांश और बहु की शादी हो सके
मै और दीदी यह सुनकर चौक गए हमे कुछ समझ नही आ रहा था की यह क्या है मै तो सन्न रह गया मगर दीदी ने बोला
दीदी- यह क्या कह रहे है आप दादाजी मम्मी और श्रेय की शादी यह कैसे हो सकता है वो दोनों मा बेटे है आपको पता है आप क्या कह रहै है यह पाप है और मम्मी पापा आप चुप क्यू है और मान कैसे गए

फिर पापा ने दीदी को चुप कराया और बोला बेटी चुप हो जा
दादाजी- अमरेन्द्र समझा अपनी बेटी को बरना तू जानता है हम दादा बाद मे है पहले राजा है
पापा ने अपनी कसम देकर उनको चुप करा दिया
मै - पर दादाजी यह गलत है मै अपनी मम्मी के साथ कैसे वो मेरे लिए पूजनीय है मै उनके बारे मे ऐसा सोच भी नही सकता मै ऐसा नही करूगा
दादाजी- तो तुम और तुम्हारे पापा को मरना होगा
मम्मी- डर कर नही ऐसा मत कीजिये वो मान जाएगा श्रेय तुझे मेरी कसम है
फिर मै चुप हो गया फिर मम्मी और पापा ने तलाक के पेपर पर साइन कर दिया
वकील- राजा साहब शाम तक इनका आधिकारिक रूप से तलाक हो जाएगा
दादाजी- ठीक है बहु अब तुम अमरेन्द्र की पत्नी नही हो तो यह मंगल सूत्र उतार कर अमरेन्द्र को दे दो और शादी तक तुम अलग कमरे मे रहोगी
मंत्री जी सारी रियासत मे ऐलान करवा दो की इस महीने की 21 को हमारे उत्तराधिकारी की शादी है
फिर मम्मी ने रोते हुए मंगल सूत्र उतार कर पापा को दे दिया मै और दीदी भी रो रहे थे
दादाजी- अब सब रोना धोना बंद करो और आगे की तैयारी करो सब अभी जाओ बहु तुम अमरेन्द्र और सुमित्रा और बहु के माता पिता यही रहे
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parkas

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दादाजी- देखो बहु मै जानता हू की यह तुम्हारे लिए बहुत मुश्किल है मगर तुम बहुत संस्कारी और एक पतिव्रता औरत हो और अब तुम हमारे राजपरिवार की नई महारानी बनने वाली हो तो अब इस राजपरिवार की जिम्मेदारी तुम्हारे ऊपर है तुम्हे अपना हर धर्म पूरी निष्ठा और ईमानदारी से निभाना होगा मै जानता हूँ कि तुम खुश नही हो मगर हम भी मजबूर है तो जो हो रहा है उसे स्वीकार कर लो और श्रेयांश के लिए भी सोचो मै उम्मीद करता हू की तुम उसकी खुशी का ख्याल रखोगी और जिस तरह तुमने अमरेन्द्र के साथ पत्नी धर्म निभाया है उसी तरह श्रेयांश के साथ भी तन मन धन से पत्नी धर्म का पालन करोगी

मम्मी- पिताजी वो अभी बच्चा है यह हम बाद मे नही कर सकते उसे थोडा समझदार तो हो जाने दो

दादाजी- वो 18 का हो गया है और बडा हो गया है हमारे समय तो और कम उम्र में शादी हो जाती थी और तुम तो समझदार हो इस रिश्ते मे तुम ही मुख्य रहोगी हमेशा और तुम्हे सोचना है की तुम अपने बेटे की जिंदगी में शादी के बाद कमी छोडोगी की नही और अपना जो फर्ज है निभाओगी की नही
फिर मम्मी धीरे से बस अपनी गर्दन को हिला दिया

दादी- देखो यह बहुत कठिन है मगर तुझे ही अपने बेटे को सम्भालना है

दादाजी- अमरेन्द्र अब से तुम्हे बहु को अपने बेटे की बीबी और अपनी बहु की तरह देखना है और वैसा ही व्यवहार करना है तुम दोनों के कारण तुम्हारे आज की रिश्ते नही खराब होने चाहिए और बहु तुम्हे भी अमरेन्द्र को अपने ससुर की तरह देखना है और अमरेन्द्र तुम चाहो तो दूसरी शादी कर सकते हो

पापा- मुझे दूसरी शादी नही करनी और मै अपना हर फर्ज और धर्म निभाऊगा पिताजी

नाना- देख बेटी अब श्रेयांश हमारा दामाद बनने वाला है और तुझे जो संस्कार दिए उसके मुताबिक तुझे अपना पत्नी धर्म पूरी निष्ठा निभाना है

नानी- हा बेटी वो तेरा बेटा है यह सच है मगर अब तेरा पति भी बनने वाला है तो उस हर खुशी देना

मम्मी- वो मेरा बेटा पहले है मैने उसे पैदा किया है तो हमेशा वो पहले मेरा बेटा ही रहेगा और यह शादी मै उसके जीवन की रक्षा के लिए कर रही हू मगर हा शादी के बाद वो मेरा पति भी हो जाएगा इसलिए मै अपना हर फर्ज पूरा करूंगी जो एक पत्नी का होता है मगर वो हमेशा मेरा बेटा ही रहेगा

दादाजी- वो तुम्हारी मर्जी है मगर अब इस राजपरिवार की जिम्मेदारी तुम्हारी है तो इसे आगे बढाने भी तुम्हे ही है समझ रही है न
फिर सब अपने अपने कमरे मे चले गए मम्मी पापा अपने कमरे मे मे गए और कमरे में आकर मम्मी रोने लगी

sad-nayanthara
big nose smileys
पापा- देखो अंजू अब जो होना है होगा हो उसे हम नही बदल सकते मगर अगर तुम ही टूट जाओगी तो हम अपने बच्चों को कैसे समझाएगे

मम्मी- तो क्या करू मुझे कुछ समझ नही आ रहा आपसे मेरा तलाक हो गया और दस दिन बाद मेरी शादी मेरे ही बेटे से होने वाली है और मै किस मुंह से अपने बेटे से यह कहू

पापा- हमदोनों मिलकर समझाएगे
फिर मम्मी थोडा शांत हुई और अपना समान पैक करने ली
फिर थोडी देर मे मै और दीदी उनके कमरे मे गए

पापा- आओ बैठो तुम दोनों हमे तुम दोनों से बहुत जरूरी बात करनी है
फिर हम बैठ गए

पापा- तुम दोनों हमे कितना प्यार करते हो?
दीदी और,मै - यह कोई पूछने की बात है हम आप दोनों को बहुत प्यार करते है और आपका हर हुक्म हमारे लिए पत्थर की लकीर है

दीदी- पर पापा आखिर यह चल क्या रहा है दादाजी श्रेय और मम्मी की शादी की बात कर रहे है और आप दोनों भी मान गए

पापा- देखो पहले तुम दोनों हमारी कसम खाओ की हम जो भी कहेंगे उसे तुम बिना सबाल किए मानेगे
और,हमारे फैसले पर कोई उंगली नही उठाओगे

मै - पर पापा ऐसी क्या बात है

दीदी- हा पापा हम तो अमान दोनों की हर बात मानते है और मुझे तो यहा कुछ समझ नही आ रहा है हम यहा से अपने घर चलते है

पापा- तुम दोनों कसम खा रहे हो या नही
फिर हम दोनों ने कसम खा ली की हम आपका हर फैसला मानेगे

पापा- देखो बच्चों बाहर जो हुआ वो सच है और अगर हमने यह नही किया तो वो हमे मार देंगे

दीदी- पापा ऐसे कैसे मार देंगे हम पुलिस के पास जाएंगे

पापा- दिया तुम्हारे दादाजी राजा है यहा उनकी ही चलती है और परम्परा के लिए वो कुछ भी कर सकते है

मैं- हम यहा से भाग जाते है और लंदन चले जाते हैं

पापा- तुम्हारे दादाजी हमे कही भी नही छोडेंगे वो कितने पावरफुल है यह तुम नही जानते

दीदी- तो क्या मम्मी और श्रेय की शादी करा देंगे

पापा- हा बेटी हमारे पास और कोई रास्ता नहीं है

मै - मै यह नही कर सकता इससे अच्छा मै अपनी जान दे दूंगा
यह सुनते ही मम्मी मुझे एक चाटा मारा

मम्मी- ऐसा दोवारा मत कहना तेरी जिंदगी के लिए हम यह कर रहे है तू हमारी जान है अगर मरने से ही सब ठीक हो जाता तो मै मर जाती मगर उससे भी कुछ नही होगा

मै- पर मम्मी आप मेरी मम्मी हो आपके साथ शादी कैसे यह पाप है

मम्मी- बेटा यह करना ही पडेगा मै जानती हू यह बहुत मुश्किल है

मै - पर मम्मी मै आपके साथ कैसे

पापा- तुम दोनों ने कसम खाई है बरना हमारा मरा मुंह मै और दीदी अपने कमरे मे चले गए और मम्मी भी अपना समान लेकर दूसरे कमरे में चली गई
फिर हम चुप हो गए आखिर अब क्या कह सकते थे
मै अपने कमरे मे परेशान होकर सोच रहा था यह क्या हो रहा है मम्मी से शादी मतलब मै और मम्मी पति पत्नी यह कैसे हो सकता है क्या करू कुछ समझ नही आ रहा ऐसे ही सोचते रचते मै सो गया
अगली सुबह महल मे तैयारी शुरू हो गई थी महल मे सजावट हो रही थी मै परेशान था मुझे कुछ समझ नही आ रहा था मै चुप चाप अपने कमरे मे बैठा दीदी भी परेशान थी मम्मी पापा तो दुखी थे ही सब अपने काम में लगे थे पापा अपने आफिस का काम करके अपने दर्द को छिपा रहे थे और मम्मी चुप चाप बैठी बस सोंच रही थी
फिर दीदी मेरे कमरे मे आई
दीदी- क्या कर रहा है श्रेय

मै - क्या करूगा दीदी कुछ समझ नही आ रहा है पता नही क्या हो रहा है

दीदी- देख अब जो हो रहा है वो तो हम रोक नही सकते और मम्मी पापा ने कुछ फैसला लिया है तो हमारे बारे मे सोचकर ही लिया होगा

मै - आप क्या कह रही हो दीदी मतलब मम्मी से शादी कर लू

दीदी- हा और कोई रास्ता भी तो नही है और कभी न कभी तो तुझे शादी करनी पड़ेगी और वो लडकी अंजान होगी मगर मम्मी तो हमारी मम्मी है वो तुझे तुझसे अच्छा जानती है और उनके जैसी संस्कारी और अच्छी औरत नही है वो एक पतिव्रता और बहुत अच्छी है और वो कितनी खूबसूरत बी है

मै - पर दीदी वो मम्मी है और,उनके साथ शादी

दीदी - देख तू चाहे या न चाहे अब होगा वही जो हो रहा है और अब हम कुछ नही कर सकते अब एक ही रास्ता है जो हो रहा है उसे मान ले और अपनी शादी को एंजाय कर शादी एक बार ही होती है

मै कुछ नहीं बोला और चुप चाप रहा दीदी चली गई
वही दूसरी ओर नानी मम्मी के पास गई

नानी - बेटी देख मै जानती हू जो हो रहा है उससे तुम खुश नही हो मगर क्या कर सकते हैं जो हो रहा है उसे स्वीकार कर ले और इस नये रिश्ते को पूरा सम्मान दे और श्रेयांश को भी तू समझा ताकी वो भी कोई गिल्ट न रखे नही तो बेचारा टूट जाएगा आखिर उसकी उम्र ही क्या है अगर तूसमझाएगी तो मान जाएगा

मम्मी- ठीक कह रही हो मा आप अगर मै ही टूट गई तो उसे कौन सम्हालेगा मै तो अपने आप को समझा लूंगी और उसे भी

नानी- शाबाश शाम को दरबार मे तुम दोनों की शादी की घोषणा होगी और बाकी चीजें भी बताई जाएगी तो तुम दोनों तैयार रहना
फिर नानी चली गई और मम्मी मेरे कमरे में आई
मम्मी-श्रेय क्या कर रहा है

मै - हा मम्मी बस बैठा हू

मम्मी- देख मै जानती हू जो कुछ हो रहा है वो नही होना चाहिए मगर यह हमारे राजपरिवार की परम्परा है और मैने तुझे सिखाया है की परम्परा निभाना चाहिए
मै - मम्मी मगर यह गलत परम्परा है ।

मम्मी- अगर तुझे लगता है की यह गलत है तो तुझे इसे रोकने के लिए अपने दादाजी की जगह आना होगा और फिर तू इसे बदल सकता है मगर उसके लिए हमे यह करना ही पडेगा ताकि आगे किसी को भी यह न करना पडे

मै - पर मम्मी आपके साथ कैसे

मम्मी- देख मै तुझे जानती हू तू मुझे समझता है और क्या चाहिए और तेरे साथ मै हमेशा खुश रहूंगी और तू भी मुझे बेटे और पति दोनों तरह का सम्मान देगा और मेरा बेटा ही मेरा पति होगा हा मै थोडी उम्र वाली हू

मै - मम्मी आप ठीक हो और आपसी अच्छी कोई नही है मगर आपके साथ ये गलती है

मम्मी- मै कह रही हंसने न गलत नही है और तू और मै हमेशा पहले मा बेटा ही रहेंगे बाद मे पति पत्नी

मै- आप कह रही हो तो ठीक है मम्मी मगर सच मै यह ठीक है न और पापा का क्या वो आपसे बहुत प्यार करते है और आप भी उनसे

मम्मी- यह हम दोनों का फैसला है और तुझे सबसे ज्यादा प्यार करते हैं क्यू की तू हम दोनों की निशानी है
फिर मेरे मन से ओढा बोझ हल्का हुआ और मम्मी वहा से चली गई

फिर शाम हो गई और सब इक्कठे हो गए पूरा रियासत से बहुत से लोग आए थे सभी बडे बडे लोग यहा तक की मेरे स्कूल के प्रिंसिपल भी मै चौक गया

दादाजी- जैसा आप सबको पता है हमारे राजपरिवार को उसका अगला उत्तराधिकारी मिल रहा है मेरे बडे बेटे का बेटा श्रेयांश हमारा अगला उत्तराधिकारी है परम्परा के मुताबिक उसकी शादी अंजलि से हो रही है और शादी 21 को है और अब वो हमारी जो 10 हजार करोड़ की संपत्ति है उसमे से 8000 करोड़ की संपत्ति अंजलि और श्रेयांश की होगी और बाकी हमारे छोटे बेटे और उनकी पत्नी और बच्चों की
यह सुनकर मै चौक गया की दादाजी की इतनी संपत्ति है और अब वो मम्मी और मेरी है पापा की संपत्ति तो बस 100 करोड़ की है दीदी भी चौक गई मगर पापा को कोई फर्क न।ई पडा क्याकी उन्हें पता था
सबने ताली बजाई और दादी ने शाही कंगन मम्मी को दे दिए
फिर सबको दादाजी ने आमंत्रित किया और फिर सब चले गए

दीदी - पापा क्या सच मे इतनी संपत्ति है और अब वो श्रेय और मम्मी की हो गई है

पापा- हा बेटा यह सच है

दीदी- इतनी दौलत अब हमे कोई फिक्र नहीं है कम से कम कुछ तो अच्छा हुआ इस सब मै

दीदी- अब तुम राजा बनने वाले हो श्रेय और मम्मी रानी

मै - क्या दीदी

दीदी- तू ठीक लग रहा है क्या तू तैयार हो गया ।

मै - हा मम्मी ने मुझे समझाया की अब हमे एकसाथ दो रिश्ते निभाना है और हम हमेशा पहले मा बेटा ही रहेंगे

दीदी- अच्छा हुआ तू मान गया अब अपनी शादी को एंजॉय कर और नये जिंदगी की तैयारी कर
और मम्मी आप भी दुख को भूल जाओ और एक नई शुरुआत करो
फिर सारे परिवार के लोग बैठे और बात शुरू हुई

दादाजी- देखो अब मै बूढे हो गया हू तो मेरा पोता मेरा उत्तराधिकारी है और अब से सबको श्रेयांश और अंजलि को सम्मान देना और उनका हुक्म मानना है हमारे बाद और जैसे की शादी हो रहै तो कुछ रिश्ते बदल जाएंगे हा अंजलि और श्रेयांश अपने दोनों रिश्ते मान सकते है मगर बाकी लोग अब उन्हें नए रिश्ते से ही मानेंगे

मै - क्या

दादी- हा बेटा ऐसा ही है

दादाजी- तो अब से अंजलि बहु हमारे पोते की बीबी होगी और हम उसके ससुर नही दादा ससुर होगे और वो बी हमे दादाजी कहेंगीले और सुमित्रा को दादी

मम्मी- पर पिताजी यह जरूरी है

दादाजी - पिताजी नही दादाजी और तुम और श्रेयांश चाहो वो पहले की तरह बुला सकते हो मगर बाकी रिश्ते बदल गए हैं जैसे तुम्हारे माता पिता अब श्रेयांश के नाना नानी नही है बल्कि सास ससुर है और श्रेयांश अब तुम उन्हें मा पिताजी कहोगे और अमरेन्द्र का छोटा भाई और उसकी पत्नी तुम्हारे भी चाची चाचा है और श्रेयांश की बुआ तुम्हारी बुआ और अमरेन्द्र अब तुम्हारे ससुर है तो उन्हे अब तुम भी श्रेयांश की तरह पापाजी कहोगी और दिया अब तुम्हारी बेटी के साथ नन्द भी है तो तुम से दीदी कहोगी क्योकिं वो श्रेयांश की बडी बहन है और दिया तुम अब अंजलि को भाभी कहोगी

दीदी- क्या वो मम्मी है मेरी और मै कैसे

दादाजी- देखो यह करना ही होगा हुक्म है हमारा बाकी सब बाद मे वकील प्रॉपर्टी के पेपर रेडी हो गए

वकील- जी राजा साहब
फिर दादाजी ने मम्मी को जायदाद के पेपर दे दिए और उसमे हमारे नाम पर सब कुछ हो गया था
फिर सब चले गए और हम चारो पापा के कमरे मे आ गए
Nice and beautiful update....
 

parkas

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Update 3



दीदी- पापा अब ये क्या है की नए नाम से नए रिश्ते को मानना होगा
पापा- क्या कर सकते हैं बेटा उनका हुक्म है
मै - पर पापा सब बदल जाएगा
पापा- तुम दोनों को अपने पुराने तरीके से मानने का हक है
मम्मी- जी पर सबको तो ठीक है मगर दिया को दीदी और आपको पापाजी कैसे
पापा- करना पडेगा अंजलि आखिर सच भी तो यही है
दीदी पेपर पढ रही थी तभी यह क्या है पापा
पापा मम्मी- क्या
दीदी- इसमे लिखा है की सारी संपत्ति जब मम्मी और श्रेय के नाम हंस्तातरित होगी जब इनकी संतान होगी और श्रेयांश का राज्याभिषेक होगा
मै - क्या यह क्या बकवास है
पापा- मुझे पता है और पिताजी ने कहा था न की दोनों को अब जिंदगी एक साथ जीनी है और जब शादी होगी तो कभी न कभी यह भी होगा ही
दीदी- आपको यह गलत नही लग रहा

पापा- मैने सब सोच समझकर ही सब किया है और मैरा बेटा और अंजलि है तो मै क्यू परेशान होए हा थोडा गुस्सा है पर वो खुद पर है
मम्मी- मै समझ सकती हूँ जी मेरे लिए भी यह आसान नहीं होगा
पापा - देखो अंजू तुम एक पतिव्रता संस्कारी औरत हो तो तुम यह रिश्ता भी निष्ठा से निभाना और श्रेय बेटा अपनी मम्मी को हमेशा सम्मान देना और और अच्छे बेटे के साथ अच्छे पति के सारे फर्ज निभाना और जो खुशी मुझसे नही मिली वो भी देना वादा करो
मै- मै हमेशा मम्मी का ख्याल रखूगा और सारी खुशी दूंगा फिर हम अपने अपने कमरे मे चले गए
फिर ऐसे ही शादी की तैयारी जारी रही

दादी- अमरेन्द्र बेटा देख शादी के लिए कपडे शादी का जोडा गहने और मंगल सूत्र लेने जाना होगा एक काम कर अंजलि तू और श्रेयांश और दिया और सुलोचना को ले जा
पापा- ठीक है मा
बुआ - मा दुल्हन ऐसे दूल्हे के साथ जाए शादी से पहले
दीदी- वो उसकी मा भी है तो यह जरूरी है मा ही खरीदारी करती है बेटे बहु की
फिर हम खरीदारी करने चले गए मै और मम्मी पापा चुप चाप थे
दीदी- मम्मी श्रेय की शादी की शाॅपिग करने जा रहे है बहत एक्साइटेड हूं मै तो घाघरा पहनेगी वो डिजायनर मनीष मल्होत्रा वाला
बुआ- दिया अब वो तुम्हारी मम्मी नही है भाभी है तो वही कहो
दीदी- अभी तो मम्मी ही है शादी नही हुई है अभी
बुआ- पर आदत डाल लो क्यू भईया
पापा-हा ठीक ही है
फिर हम माल पहुंच गए सबसे पहले हम कपडे की दुकान में गए
दुकानदार अरे अमरेन्द्र जी कैसे है आप आइए बताइए क्या दिखाऊ सुना है आपके बेटे की शादी है और आपके राजपरिवार का अगला राजा बनने वाला है
पापा- हा श्रेयांश अंकल को नमस्ते करो
मैंने उन्हे नमस्ते करा और फिर बुआ बोली
इन दोनों नए जोडा के लिए कपडे दिखाओ
सेल्समैन- सर आपके लिए यह बहुत बढिया रहेगा
मै - मम्मी देखो यह ठीक है
सेल्समैन - (मन मे ) अभी वो आंटी तो इन्हें दूल्हा दुल्हन कह रही थी और ये मम्मी लगता बहुत बडा झोल है
फिर मम्मी ने एक ड्रेस पसंद की और मैने फाइनल कर दिया
सेल्समैन मालिक के पास जाकर - सर आप जानते है न उन लोगो को वो लडका उस औरत को मम्मी कह रहा है और वो और कह रही है उनके दोनो की शादी है
मालिक- अरे वो राजपरिवार से है और उनके यहा रिवाज है
सेल्समैन- ऐसा कैसा रिवाज
मालिक- तेरे को क्या हमे तो बस अपना काम करना है जा काम कर फिर बुआ और दीदी मम्मी के कपडे लेने लगे
दीदी- देखो सबसे महंगी और डिजाईनर शादी का लहंगा दिखाओ महारानी है ये
फिर सबसे अच्छा और महंगा लहंगा लिया 10 लाख का

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मम्मी- इतना महंगा लहंगा रहने दे एक दिन के लिए इतना खर्च
दीदी- आप रानी हो और बेस्ट नही होगा मै कभी किसी की शादी मे पहन लूंगी
फिर वो पैक करवा दिया फिर हम कहने खरीदने गए
पापा- एक मंगल सूत्र दिखाना
फिर उसने एक मंगल सूत्र दिखाया


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दीदी- श्रेय यह कैसा है बता
मै - अच्छा है
दीदी- ठीक है इसे पैक करदो कितने का है 14 लाख
मम्मी- क्या रहने दे कोई दूसरा दिखाओ
दीदी- आप रहने दो श्रेय ने पसंद किया है और आपको तो हमेशा ही पहनना है और आप को आम नही महारानी हो
फिर मुझे एक हार पसंद आया


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मै- दीदी ये हार कैसा है
दीदी बहुत अच्छा
मै- मम्मी पर अच्छा लगेगा
दीदी- हा मगर अभी मत देना शादी के दिन देना सरप्राइज
मै - भइया ऐसे दो हार पैक कर दो
दीदी- दूसरा किसके लिए
मै - आपके लिए और कौन है
दीदी- मै भी सोच रही थी थैंक्स छोटे भईया कितने का है दोनों
दुकानदार- 45,लाख
दीदी- क्या
मै - रहने दो दीदी वैसे भी पैसे तो दादाजी देंगे
फिर हम बापस घर आ गए
फिर रात को मेरे दोस्त कुश का फोन आया
कुश- कैसा है भाई तूने एक फोन भी नही किया
मै - हा भाई थोडा फस गया था बता कैसा है और स्कूल में कैसा है और सब नोट बना लेना ताकि मै तुझसे ले सकूँ
कुश - वो छोड यह बता तू राजा बन रहा है और तेरी शादी हो रही है तूने बताया नही और अपने दोस्तों को बुलाया भी नही
मै - तुझे किसने बताया
कुश- मेरे पापा को प्रिंसिपल ने वो आए थे न तेरे महल मे
मै - और क्या बताया
कुश- बस इतने ही क्या कुछ और भी है
मै - क्या बताऊँ क्या हो रहा है और क्यों नही बताया और किस मुंह से बताऊँ
कुश- क्या बात है कुछ सीरियस है पापा तो क। रहे थे की दादाजी से तुझे 8000 करोड़ की दौलत मिली है
मै - हा मिली तो है मगर बात वो नही है हम फस गए है
कुश- मतलब
मै - भाई जानता मेरी शादी किससे हो रही है
कुश - किससे
मै - मम्मी से
कुश- क्या बकवास कर रहा है तू पर कैसे और
मै - भाई मजबूरी है हमारे राजपरिवार की प्रथा है बरना हमारी कुर्बानी दे देंगे और यहपहलेहो भी चुका है
कुश- पर भाई आंटी के साथ कैसे तू और तुम दोनों पति पत्नी
मै - क्या कर सकते है और इसलिए नही बताया की तुम लोग मेरे बारे मे क्या सोचेगे कही मुझसे दोस्ती न तोड़ दो
कुश,- भाई ऐसा नही है और मै तेरे साथ हमेशा हू तू फिक्र मत कर
मै - थैंक्स भाई अगर तू आना चाहे तो आ सकता है वैसे सब खत्म होने के बाद मै कोशिश करूगा जल्दी शहर आने की
कुश- ठीक है चल बाद मे बात करते हे
फिर उसने फोन रख दिया और फिर मै भी सोच गया

ऐसे ही कुछ दिन निकल गए और शादी कल थी और आज मेहंदी की रस्म थी
नानी- देखो अंजलि के हाथ मे अच्छी सी मेहंदी लगाओ
मेहंदी वाली- नाम क्या लिखना है
दादी- श्रेयांश लिखो

फिर उनको मेहंदी लग गई वो सोच रही थी की उनके हाथ में मेरे नाम की मेहंदी है क्या से क्या हो गया

फिर वो दिन आ गया शादी का सारी सजावट हो गई थी और सारे मेहमान भी आ गए थे बहुत ही रोनक थी

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सभी बहुत खुश लग रहे थे पर पापा नही वो वैसे तो सबके सामने अच्छे से स्वागत और काम कर रहे थे मगर मन से दुखी थे और हो भी क्यू न जिस पत्नी से वो बहुत प्यार करते थे उसकी शादी उसी के बेटे से हो रही थी वही दादाजी बहुत खुश थे की उनको उनका उत्तराधिकारी मिल जाएगा आज बही मम्मी अपने कमरे मे तैयार हो रही थी उनको चाची मामी और दीदी तैयार कर रही थी

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मामी - देखो दीदी जो होना था हो गया अब आज से आप नई जिंदगी मे कदम रखने वाली है तो उसके बारे मे सोचो और खुश रहो नही तो आपका चेहरा देखकर श्रेयांश भी उदास हो जाएगा और उसे लगेगा की वो गलत कर रहा है
दीदी- हा मम्मी और जो हो गया उसे भूल जाओ और श्रेय के साथ एक नई जिंदगी की शुरुआत करो और वो अभी छोटा भी है तो आपको ही उसे संभालना है
मम्मी- ठीक कह रहे हो आप लोग पर क्या करू श्रेय से तो बोल दिया की सब ठीक है मगर जानती हू की गलत है आखिर मेरा बेटा है और उसके पापा का भी दुख है वो बताते नही मगर अंदर से बहुत दुखी है वैसे कहा है वो
दीदी- पापा बाहर मेहमानों को संभाल रहे है
फिर मम्मी तैयार हो गई
वही दूसरे कमरे मै तैयार हो रहा था फिर मामा जी ने मुझे बुलाया चलिए आपको पिताजी मंडप मे बुला रहे है फिर बुआ मुझे लेकर मंडप मे आ गई मै मंडप मे बैठ

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गया मुझे बहुत अजीब लग रहा था की सभी लोग आए है और सब खुश है पर मै अभी भी कंन्फूज और थोडा दुखी था पर मम्मी ने कहा है की हम बस एक और रिश्ते में बंध रहे बांकी पहले हम मा बेटे ही रहेंगे तो मै थोडा ठीक हू मैने देखा तो प्रिंसिपल सर भी आए है मैने सोचा अब स्कूल में पता चल गया तो सब क्या सोचेगे वही पापा भी खडे थे वो नार्मल लग तपः थे मगर अंदर से बहुत दुखी थे उतने मे पंडित जी ने कहा बधु को बुलाओ तो नानी मम्मी के कमरे मे गई
नानी- चलो अंजू तुम्हे पंडित जी बुला रहे है
मम्मी सहम गई की आखिर वो पल आ ही गया उनके कदम रूक गए वो सोचने लगी की क्या मै सही कर रही हू अपने बेटे की जिंदगी बर्बाद तो नही कर रही मेरी उम्र भी है फिर उनके दिमाग में आया की अगर नही करेगी तो श्रेय और उसके पापा की जिंदगी ही नही बेचेगी फिर उन्होंने अपने आप को समझाएगा सिर दीदी और मामी उनको लेकर मंडप मे आने लगी सब उन्हें देख रहे थे वो बहुत सुन्दर लग रही थी

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मै भी पहली बार मम्मी को इतनी गौर से देख रहा था वो बहुत ही ज्यादा खूबसूरत लग रही थी फिर मम्मी मेरे बगल मे आकर बैठ गई फिर शादी की रस्म शुरू हो गई और पंडित जी मंत्र पडने लगे मै और मम्मी दोनों ही असमंजस में थे पर हम कुछ कर भी तो नहीं सकते थे फिर पंडित जी ने हमे फेरो के लिए उठने को कहा
पंडित जी- अब मै जो भी वचन कहूँगा तुम दोनों को एक दूसरे को देना होगा हर फेरे के साथ
मेरे लिए यह नया था मगर मम्मी जानती थी वो सोच रही थी की अब मेरे उपर दो जिम्मेदारी आ गई है एक मा की और एक पत्नी की
फिर फेरे शुरू हुए

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पहला फेरा - मै सदैव अपने पति/पत्नी की रक्षा करूगा/करूंगी
दूसरा फेरा - मै तन मन से सारे अधिकार दूंगा/ दूंगी
तीसरा फेरा - मेरे लिए अपने साथी मर्जी सबसे पहले होगी
चौथा फेरा - मै हमेशा अपने पति/पत्नी को सम्मान दूंगा/दूंगी
पांचवा फेरा - मेरे ऊपर मेरे पति/पत्नी का पुरा अधिकार रहेगा तथा वो मेरे लिए सबसे पहले रहेंगे
छठा फेरा - हर फैसले मे एक दूसरे के साथ रहेंगे
सातवा फेरा - मै हर खुशी अपने साथी को दूंगा- दूंगी और अपने गृहस्थी को पूर्ण करूंगी
मम्मी-(मन मे) आज से मैने जो वचन लिए है उसे निभाना ही मेरा धर्म है और अपने दोनों रिश्ते को बराबर संतुलन बनाना कर्तव्य है
मै - यार अबसे मुझे मम्मी की हर खुशी के ख्याल रखना है चाहे कुछ भी हो
फिर हम बैठ गए फिर पंडित जी ने मुझे मंगल सूत्र पहनाने को कहा
फिर दीदी ने मुझे मंगल सूत्र दिया और मै पहनाने लगा

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मम्मी- अब मेरे गले मे श्रेय के नाम का मंगल सूत्र डर गया है
मै - (मन मै) अब मम्मी और मै एक नए बंधन मे बंध गए है
फिर पंडित जी मांग भरने को कहा
तो मैने सिंदूर को उठा तो लिया मगर मेरे हाथ रूक गए मै सोचने लगा क्या ये सही है सब मुझे देख रहे थे की क्या हुआ मम्मी भी मुझे देख रही थी वो समझ गई की क्या बात है मगर क्या कहे फिर दादाजी ने कहा श्रेयांश मांग मे सिंदूर भरो फिर मैने जल्दी से मांग भर दी और मम्मी ने आखिर बंद कर ली

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exhausted smileys
औ, पंडित जी ने कहा शादी संपन्न हए आज से आप पति पत्नी है
मम्मी- ( मन मे) आखिर वो हो ही गया जो नही होना था मेरा बेटा अब सिर्फ़ मेरा बेटा नही रहा पति भी हो गया है और मुझे यह एक पतिव्रता औरत की त,ह निभाना है
मै- यार यह क्या मम्मी और मै पति पत्नी पता नही मै कैसे दो रिश्ते को निभा पाएगा
फिर पंडित जी ने कहा दुल्हन सबसे पहले अपने पति का आशीर्वाद ले
यह सुनकर मै दंग रह गया और मम्मी भी की कैसे अपने बेटे से आशीर्वाद ले
Nice and awesome update....
 
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