Update 1
यह कहानी मेरे परिवार की है जिसमे मै मेरी मम्मी पापा और मेरी दीदी रहती है हम शहर मे एक पाॅश इलाके में रहते हैं पापा एक कामयाब बिजनेसमेन है मम्मी हाऊसबाइफ है पढी लिखी मगर उतनी ही संस्कारी और रीति रिवाज को मानने वाली है मै अभी स्कूल में हू 12 वी मे मै शहर के सबसे बड़े स्कूल में पढता हू वैसे तो हम बहुत मार्डन है पर हमारा बाकी परिवार गांव में रहता है वहा दादा दादी चाचा चाची बुआ और उनके बच्चे रहते हैं मेरे दादाजी गाव के जमींदार है तथा हमारे गाँव में हमारे परिवार की बहुत साख है ,शहर मे हमारी जिंदगी बहुत अच्छी चल रही थी
मम्मी सुबह रोज की तरह नाश्ता बना रही थी और मालती काकी उनकी मदद कर रही थी
मालती काकी हमारे घर मे काम करती है
पापा- अंजलि नाश्ता लाओ मेरी बहुत जरूरी मीटिंग है
मम्मी- बस लाई और मालती काकी के हाथो नाश्ता बाहर भेज दिया
दीदी - पापा वो सक्सेना जी से डील हो गई है
पापा- बेरी गुड
मम्मी- मालती श्रेयांश उठा की नही
मालती काकी- नही दीदी मै जाकर उठा देती हू
मम्मी- तेरे से नही उठेगा मुझे ही उठाना पडेगा
फिर मम्मी मेरे कमरे में आई
मम्मी- श्रेय चल उठ 9बज गए है संडे है तो क्या दिनभर सोऐगा
मै - मम्मी बस पांच मिनट
मम्मी- बोला न उठ
फिर मै उठा और नहाने के लिए बाथरूम मे गया और तैयार होकर बाहर आकर नाश्ता करने लगा
पापा- पढाई कैसी चल रही है
मै - बहुत अच्छी पापा
पापा- बढिया साल टाप कर फिर अगले साल आगे की पढाई के लिए लंडन जाना है
दीदी- हा श्रेय फिर तू भी बिजनेस को संभाल लेगा
फिर नाश्ता करके पापा और दीदी चले गए
मै - मम्मी मुझे 1000रू चाहिए
मम्मी- किस लिए
मै - दोस्त का जन्मदिन है तो उसे गिफ्ट देना है
फिर मम्मी ने मुझे रू दिए
तभी मेरा दोस्त कुश आया और मम्मी के पेर छूकर नमस्ते आंटी कहा
मम्मी- कैसे हो बेटा तुम्हारी मम्मी कैसी है उनको कहना मैने बुलाया है
कुश की मम्मी सुधा आंटी और मेरी मम्मी बहुत अच्छी दोस्त हैं बहनों की तरह
फिर मै और कुश चले गए और हमारे दोस्त रवि का जन्मदिन था हमने उसे गिफ्ट दिया फिर हम बता करने लगे
कुश - भाई फिर क्या सोचा है आगे के लिए
रवि - कालेज फिर पापा का बिजनेस और तू
कुश- कालेज और फिर देखते है और श्रेयांश तेरा
मै - पापा कह रहे है आगे की पढाई लंदन में करू और फिर बिजनेस संभालू
रवि- हा तेरे पापा का तो बहुत बडा बिजनेस है ।
कुश- भाई इसके दादाजी तो बहुत ज्यादा अमीर है उनके मुकाबले तो इसके पापा की दौलत कुछ भी नही है
रवि- भाई सुना वो राहुल है न
कुश - वो शर्मा अंकल का बेटा
रवि- हा वही उसने अपनी काम वाली बाई से शादी कर ली
मै - सरला आंटी से मगर वो तो उनकी मा की उम्र की है और उनकी तो एक बेटी भी है शायद राहुल के साथ ही तो पडती थी
रवि- हा भाई
कुश- तो उसके मम्मी पापा ने कुछ नहीं कहा
रवि- करते भी क्या एकलौता बेटा है मानना ही पडा बरना मर जाता
कुश- मतलब जो दोस्त थी वो अब बेटी बन गई और नौकरानी मालिक बन गई
मै - उसे लगा नही जिसकी गोद मे खेलकर बडा हुआ उसी के साथ
रवि- भाई सब होता है इस दुनिया में प्यार उम्र नही देखता और एक देश मे तो ऐसा रिवाज है की लडके लडकी को अपने घर में ही शादी करनी पडती है जैसे भाई की शादी बहन से और अगर भाई नही है तो लडकी को पापा से और अगर बहन नही है तो लडके को अपनी मा से शादी करनी पडती है जिंदगी भर पति पत्नी बनकर रहना पडता है
मै - क्या बकवास है भाई
कुश- हा यार
रवि- अरे भाई अपने देश मे भी कुछ गाँव में इस तरह की प्रथा है
मै - भाई अच्छा है हम शहर मे रहते और हमे इस तरह की गलत चीजों से दूर हम तो अपनी मम्मी के बारे मे ऐसा सोच भी नही सकते
फिर हम अपने अपने घर चले गए फिर एक दिन दादाजी का फोन आया
दादाजी- अभय जल्दी से गाँव आ जाओ
पापा- बाबूजी क्या हुआ इतनी जल्दी नहीं आ सकते
दादाजी- बाहर मेरे आदमी गाडी के साथ खडे है तुम सब उसमे बैठ कर आ जाओ तुम्हारा समान आ जाएगा
पापा- पर
दादाजी- ये हमारा हुक्म है
फिर हम सब गाडी मे बैठ गए
मम्मी- क्या हुआ श्रेय के पापा ऐसे अचानक क्यू बुलाए वो वो भी इस तरह से
दीदी- हा पापा ऐसा लग रहा है हमे किडनैप किया गया है
मै - हा दीदी
पापा- तुम्हारे दादाजी बहुत बडे जमींदार है सारा प्रदेश में उनकी चलती है बहुत नाम है उनका और उतने ही खतरनाक है
फिर हम कुछ घंटे बाद गाँव पहुंच गए
वहा दादी पापा को देखकर बहुत खुश हो गई और उनकी और हमारी आरती उतारि फिर चाची चाचा और सब हमारा स्वागत किया फिर पापा ने दादाजी के पैर छुए और मम्मी ने भी उनके पैर छुए
दादाजी- मेरा पोता आ गया मेरा वारिश तुम लो जाकर आराम कर लो थक गए होगे हम शाम को बात करेगे
फिर हम अपने अपने कमरे मे जाकर आराम करने लगे दादाजी की हवेली महल जैसी थी और मेरा कमरा बहुत बडा था और सुंदर भी पर समझ नहीं आ रहा था कि आखिर दादाजी ने हमे अचानक इस तरह से कैसे बुला लिया
वही मम्मी पापा अपने कमरे मे
मम्मी- क्या बात है हमे अचानक इस तरह से यहा क्यू लाया गया है
पापा - पता नही मै मा से पूछकर आता हू
फिर पापा दादी के पास गए और पूछा की क्या बात है
दादी- तुझे याद है जब तू 18 साल का हुआ था तब एक प्रथा करना था जिसमे तुझे मुझसे शादी करके इस जायदाद और गद्दी का उत्तराधिकारी बनना था
और तूने और मैने मना कर दिए थे और तेरी जान बचाने के लिए मैने कहा था की तेरा बेटा उत्तराधिकारी बनेगा और यह प्रथा करेगा
पापा- क्या मा वो प्रथा अब भी है मै तो सोचा सब खत्म हो गया होगा
मा - यह इस राजपरिवार की सत्ता रोपड की प्रथा है जो सदियों से चली आ रही है और इसे हर तीन पीढ़ियों मे एक बार करना अनिवार्य है बरना यह राजपरिवार और गाँव नष्ट हो जाएगा
पापा- और अगर नही करो तो
दादी- तो फिर उसकी बलि दी जाती है जो इंकार करता है और अगर तेरे बेटा यह नही करता तो उसके साथ तेरी भी बलि होगी क्योंकि तूने उसे उत्तराधिकारी बनाया था
पापा- मतलब आपकी शादी श्रेय से होगी
दीदी- नही मै उसकी दादी हू वो तेरा बेटा है तो उसकी शादी तेरी पत्नी मतलब उसकी मा से करनी होगी
पापा- क्या पर मा वो दोनों मा बेटे है और यह गलत है और वो दोनों कभी नही मानेगे
दीदी- देख बेटा मै सब जानती हू पर उस समय तो मैने तुझे बचा लिया था पर अब मेरे हाथ में कुछ नहीं है अगर ऐसा नही हुआ तो वो तुम दोनों को मार देंगे
पापा- पर मा
दादी- बेटा- अंजलि को समझा और तैयार कर तेरी और अपने बेटे की जिंदगी के लिए उसे यह करना ही होगा
पापा- मा कुछ उपाय नही है इससे निकलने का
दीदी- जो उपाय था वो 28 साल पहले कर चुके हैं अब इसे कोई नही रोक सकता हा अगर तेरा बेटा राजा बन जाएगा तो वो आगे इस प्रथा को खत्म कर सकता ताकि आगे की पीढी को यह न करना पडे
फिर पापा उदास होकर अपने कमरे मे आ गए और पलंग मे सर झुका कर बैठ गए
मम्मी- क्या हुआ जी क्या बात है आप माजी से बात करने गए थे ने क्या कहा उन्होंने और आप इतना परेशान क्यू है
पापा कुछ नहीं बोले उन्हें कुछ समझ नही आ रहा था और आए भी कैसे अपनी पत्नी और बेटे की शादी की बात और दोनो मा बेटे को कैसे बताए
फिर मम्मी भी फिक्र मे आ गई
मम्मी- क्या बात है जी बोलिए न आखिर क्या बात है मुझे बहुत डर लग रहा है आखिर बात क्या है
पापा- अंजलि कैसे बताऊँ मै तो बोल भी नही पा रहे हू ( रोते हुए )
मम्मी- (रोते हुए) बोलिए न क्या बात है आपको मेरी कसम
फिर पापा ने सारी बात मम्मी को बता दी
मम्मी- यह क्या कह रहे है आप ये कैसे हो सकता है और ये कैसी प्रथा है एक मा बेटे की शादी और बोल दो हमे कुछ नहीं चाहिए हम चले जायेंगे
पापा- नही कर सकते मेरी मा ने मुझे इस प्रथा से बचाने के लिए यह मेरे आगे की संतान मे डाल दी थी और अगर मेरे बेटे ने यह नही किया और उत्तराधिकारी नही बना तो पिता नियम के मुताबिक श्रेय और मुझे दोनो की बलि दे देंगे
मम्मी- क्या कैसे आप उनके बेटे और श्रेय उनका पोता है वो ऐसा नही कर सकते
पापा- कर सकते हैं उनके पिताजी ने अपने बडे बेटे की बलि दी थी पिताजी के बडे भाई ने भी यह प्रथा करने से मना किया था तो वो भी अपनी परम्परा के लिए हमारी कुर्बानी दे देंगे
मम्मी- -(रोते हुए) पर श्रेय के पापा मै ऐसा कैसे कर सकती हू वो मेरा एकलौता बेटा है इससे अच्छा तो मे अपनी जान दे देती हू कम से कम मेरा पति और बेटा तो बच जाऐंगे
पापा- तब भी हमे मार देंगे मेरी दादी भी यही करी थी की मेरा बेटा बच जाएगा मगर उन्होंने तब ताऊ जी की बलि दे दी थी
मम्मी- है भगवान मेरी मौत से भी मेरे बेटे और पति की जान नही बच सकती क्या करू मै
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पापा- अब एक ही रास्ता है की तुम श्रेय से शादी करके उसकी पत्नी बन जाओ और बाकी का जीवन उसके साथ रहो
मम्मी-आप क्या बोल रहे हो पागल तो नही हो गए वो मेरा बेटा है और मै आपसे बहुत प्यार करती हूँ और वो बच्चा है अभी वो भी कभी तैयार नही होगा वो मुझे पूछता है
पापा- सब जानते हू और मै भी तुमसे बहुत प्यार करता हू पर अपने बेटे की मौत नही देख सकता और अगर सिर्फ़ मेरी मौत होती तो खुशी खुशी मर जाता पर क्या करू और तुम्हे भी अपने बेटे की जिंदगी के लिए उसे अपनाने होगा और उससे शादी करनी होगी
मम्मी- पर मै कैसे अपने ही बेटे की बीबी बन सकती हू और उसके साथ जीवन जीना
पापा- जानता हू यह बहुत मुश्किल है पूरी जिंदगी की सजा और अपने ही बेटे के साथ गृहस्थी गृहस्थी बसाना पर तुम्हे यह त्याग करना ही पडेगा
मम्मी- पर कैसे श्रेय के पापा मै अपने बेटे के ही साथ और वो अभी छोटा है और आपका क्या होगा और वो भी कभी नही मानेगे
पापा- देखो अंजू तुम्हे यह करना ही होगा अपने बेटे की जिंदगी के लिए अब तुम्हे मा के साथ एक पत्नी बनकर उसकी रक्षा करनी होगी और मै भी यह सजा सह लूगा अपने बेटे के लिए और श्रेय हमसे बहुत प्यार करता है मै अपनी कसम देकर उसे मना लूगा और तुम एक पतिव्रता संस्कारी औरत हो मुझे यकीन है तुम अपना पत्नी धर्म पूरी निष्ठा से निभाओगी
मम्मी- ठीक है जी अपने बेटे के जीवन की रक्षा के लिए मै यह जहर पी लेंगी
फिर इस तरह शाम हो गई और सब आ गए मेरे नाना नानी और उनका परिवार भी था
मम्मी पापा का चेहरा उतरा हुआ और उदास था दीदी और सोच रहे थे की आखिर क्या बात है मम्मी ने देखा की नानी नाना भी आए है
दादाजी- तो जैसा की सबको पता है हम यहा क्यू इक्कठे हुए है इस राजपरिवार की सत्ता के नए उत्तराधिकारी के लिए जो की मेरे बडे बेटे का बेटा श्रेयांश है
मै चौक गया की मै और उत्तराधिकारी कैसे सब ताली बजा रहे थे
दादाजी- जैसा की सबको जानते हैं कि इस राजपरिवार मे हर तीन पीढ़ियों मे एक बार करना ऐसा करना अनिवार्य होता है जिसमे एक प्रथा है वो करनी होती है अमरेन्द्र तुम्हारी मे ने तुझे सब पता दिया है न तुम दोनों तैयार हो न बहु तुम तै हो न
पापा- पिताजी को और रास्ता नही है अगर हम सिर्फ़ उत्तराधिकारी बस की रस्म करे और यह प्रथा न करे
दादाजी- ( चिल्लाते हुए) अमरेन्द्र चुप हो जा 28 साल पहले तूने यह नही किया और तेरी मा ने तुझे बचा लिया पर अब नही तेरे बेटे को यह करना ही पडेगा बरना दूसरा रास्ता तू जानता है
मै डर गया दादाजी का यह रूप देखकर मै और दीदी सोच रहे थे की आखिर ऐसी कौन सी प्रथा है जिसके लिए पापा नही कर रहे है
मम्मी धीरे से अपने पिताजी से - पापा आप कुछ करिए न ऐसा पाप मत होने दीजिए
नाना - बेटी यह प्रथा है जो अनिवार्य है और राजा साहब के आगे हम क्या कह सकते है
दादाजी- बहु तुम तैयार हो की नही बरना अंजाम तुम्हे पता है
मम्मी- धीरे से सर हिला दी
शाबाश मै जानता था तुम एक संस्कारी और रीति रिवाज को मानने वाली औरत हो वकील पेपर लाओ यह लो अमरेन्द्र और इसमे साइन कर दो और बहु तुम भी
पापा- यह क्या है
दादाजी- तुम दोनों कः तलाक के पेपर ताकि तुम दोनों कानूनी रूप से अलग हो जाओ और श्रेयांश और बहु की शादी हो सके
मै और दीदी यह सुनकर चौक गए हमे कुछ समझ नही आ रहा था की यह क्या है मै तो सन्न रह गया मगर दीदी ने बोला
दीदी- यह क्या कह रहे है आप दादाजी मम्मी और श्रेय की शादी यह कैसे हो सकता है वो दोनों मा बेटे है आपको पता है आप क्या कह रहै है यह पाप है और मम्मी पापा आप चुप क्यू है और मान कैसे गए
फिर पापा ने दीदी को चुप कराया और बोला बेटी चुप हो जा
दादाजी- अमरेन्द्र समझा अपनी बेटी को बरना तू जानता है हम दादा बाद मे है पहले राजा है
पापा ने अपनी कसम देकर उनको चुप करा दिया
मै - पर दादाजी यह गलत है मै अपनी मम्मी के साथ कैसे वो मेरे लिए पूजनीय है मै उनके बारे मे ऐसा सोच भी नही सकता मै ऐसा नही करूगा
दादाजी- तो तुम और तुम्हारे पापा को मरना होगा
मम्मी- डर कर नही ऐसा मत कीजिये वो मान जाएगा श्रेय तुझे मेरी कसम है
फिर मै चुप हो गया फिर मम्मी और पापा ने तलाक के पेपर पर साइन कर दिया
वकील- राजा साहब शाम तक इनका आधिकारिक रूप से तलाक हो जाएगा
दादाजी- ठीक है बहु अब तुम अमरेन्द्र की पत्नी नही हो तो यह मंगल सूत्र उतार कर अमरेन्द्र को दे दो और शादी तक तुम अलग कमरे मे रहोगी
मंत्री जी सारी रियासत मे ऐलान करवा दो की इस महीने की 21 को हमारे उत्तराधिकारी की शादी है
फिर मम्मी ने रोते हुए मंगल सूत्र उतार कर पापा को दे दिया मै और दीदी भी रो रहे थे
दादाजी- अब सब रोना धोना बंद करो और आगे की तैयारी करो सब अभी जाओ बहु तुम अमरेन्द्र और सुमित्रा और बहु के माता पिता यही रहे