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Incest Rajsi parampara

Kahani m maa beta main rahe

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  • No

  • Or bhi ho

  • Shrey or anjali main rahe par dushre logo ki bhi life dikhe


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coolaqs

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48
Bhai great story par ye risto me confusion ho raha hai jo naye rishte hai vahi sab characters use kare to achha hoga vaise bhi dadi ko biwi bolke aur bahen hero ko papa bolke kare to maza aa jayega kyoki aisi story nahi hai abhi. Sab story me same hi hota hai to agar sabke samne mom ko naam se bulana kuchh alag hoga. Aage apki marzi.

GREAT STORY
 

Letsdoit

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Update 19



उधर सारा महल मे लोग उठ चुके थे और हमसो रहे थे
मेरी तीन दासी और दोनों पत्नी मेरे और,मम्मी के चाय और बाकी कामो के बारे व्यवस्था मे लगे थे
दादी- महाराज और महारानी उठे की नही
चाची- अभी नही अभी उनके कक्ष का दरवाजा बंद है शायद सो रहे होगे
मालती काकी- पर दीदी तो सुबह सुबह उठकर पूजा करती है
गिरिजा- शायद रात मे देर से सोए हो
यह सुनकर सब समझ गए की क्या बात होगी
नानी - पर एक बज रहा है अभी सभा भी है और उन्हें राज्य के भ्रमण करते हुए बाध के उदघाटन मे भी जाना है
दादी- हा वहा तो महाराज धीरेन्द्र भी आएगें महाराज श्रेयांश की सुरक्षा का इंतजाम अच्छा होना चाहिए एक काम करो मालती तुम जाकर मंत्री जी से कहो व्यवस्था अच्छी रखे मै तब तक महाराज और महारानी को उठा देती हू गिरिजा महाराज का दूध तैयार है
मालती काकी- मै कैसे और वो मेरी बात सुनेंगे आप राजमाता है आप जाइए न मै जगा देती हू
दादी- तुम अब नौकरानी नही महाराज की पत्नी भी हो और वो हमारे मंत्री है तो कुछ जिम्मेदारी निभाना आपका भी काम है जाइए और उन्हें हुक्म दीजिए हमसे ऊपर सिर्फ़ महाराज और महारानी है बाकी सब हमारे नीचे है और सभी को हमारे हुक्म मानना है जाइए और सब व्यवस्था पर नजर रखे
मालती काकी सोचती है मतलब अब मै भी रानी ही हू और मै अब श्रेयांश और दीदी के बाद सबसे बडी हू मेरी जिंदगी मे कैसे बदल गई कल तक नौकरानी थी आज रानी हू और अमीर भी फिर वो मंत्री से बात करने चली गई और दादी दूध लेकर मेरे कमरे की ओर


वही चाची सोच मे पडी थी
नानी- क्या हुआ निशा बेटी क्या बात है बहुत दुखी लग रही हो
चाची- क्या करू आंटी दुखी तो आप भी होगी की आप एक राज्य की महारानी थी और अब अपने ही नाती की शाही दासी और मेरा भी एक परिवार था और शान से जीती थी सभी मेरी इज्जत करते थे डरते थे मगर अब गिरिजा और और मै एक ही है
नानी- क्या कर सकते है बेटी बुरा तो मुझे भी लग रहा है मगर कर भी क्या सकते हैं
चाची- मै जानती हू मगर मेरै दो बेटे हैं उनको भी कोई इज्जत नहीं करेगा और उनको दौलत भी नही मिलेगी वल्की बेइज्जत करेंगे इससे अच्छा पत्नी बन जाती कम से कम रानी होते और सब हक और इज्जत होती कहने को शाही दासी है मगर बाहर इसका मतलब महाराज की रखैल होता है जिसका काम महाराज को खुश रखना है और महाराज जिसे चाहे दासी बना सकते है वो यो श्रेय एक अच्छा संस्कारी लडका है बरना ससुर जी जैसा होता तो शोषण ही होता
नानी- पर अब क्या कर सकते है
चाची- महाराज महारानी के हाथ मे सब है वो तो किसी भी दासी को पत्नी का अधिकार दे सकते है आप बात,कीजिये न द अंजलि दीदी से वो तो आपकी बेटी है उन्हें भी अच्छा नही लगेगा आपको इस हालत मे देखकर और मेरे लिए भी
नानी- मगर मै कैसे और अपनी ही बेटी की सौतन कैसे बन सकती हू
चाची- दासी बनने से तो अच्छा है और अगर अपने लिए नही कर सकती तो मेरे लिए कर दो
नानी- ठीक है मै तुम्हारे लिए बात करूगी
नानी- थैंक्स आटी आपका यह अहसान मै जिंदगी भर नही भूलूगी
वही दादी हमारे कमरे के पास आई और शाही चाबी से हमारा दरवाजा खोलकर अंदर आ गई हम दोनों एक कंबल मे एक दम नंगे सो रसे थे और पूरा कमरा बिखरा हुआ था

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furry weekend atlanta
दादी- लगता है रातभर इनके बीच संभोग हुआ है और काफी जोरदार हुआ है कमरे की हालत देखकर तो ऐसा ही लग रहा है और दोनों ऐसे ही सो गए हैं पर उठाना तो पडेगा न फिर उन्होंने हमें आवाज दी श्रेयांश महारानी अंजलि उठो एक बज चुके हैं
उनकी आवाज सुनकर मम्मी की नींद खुली तो दादी सामने खडी थी उनको शरम आ रही थी क्योंकि वो कुछ नही पहनी थी मगर चादर के अंदर थी

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वैसे तो वो हमेशा दादी के पैर छूती थी मगर ऐसी हालत में उठ नही सकती थी
मम्मी- राजमाता आप यहाँ और कोई आ जाता मै आ जाती
दादी- अब तुम महारानी हो और मै महाराज की दूसरी पत्नी तो यह मेरा भी कार्य है और काफी टाइम हो गया इसलिए आना पडा क्योंकि किसी और की हिम्मत नही थी की आप दोनों के कमरे मे आए वैसे लगता है सुबह ही सोए हो
मम्मी- जी वो रात मे सोने मे लेट हो गए कितने बज गए अरे एक बज गए इतनी देर तक सो रही थी आज तक नही सोई पूजा भी करना है आप चलिए मै तैयार होकर आती हू
दादी - श्रेयांश को भी उठा दो और दोनों तैयार हो जाओ आज आप दोनों को राज्य भ्रमण पर जाना है फि र हमे बाध के उदघाटन मे जाना वहा वो धीरेन्द्र भी आएगे
मम्मी- ठीक है मै और श्रेय आते है तैयार होकर
फिर दादी दूध रखकर चली गई और
मम्मी- उफ्फ क्या सोच रही होगी राजमाता की हम दोनों रातबर लगे रहे मेरे बारे मे क्या सोच रही होगी मगर कल रात वक्त का पता ही नही चला पूरा शरीर टूट रहा है मगर उठना तो पडेगा और एक बज गए है अभी तक पूजा भी नही की मेरे कपडे कहा है फिर वो ऐसे ही बाथरूम में चली गई और नहाकर बाहर आ गई तब तक मै भी उठ गया
मै - गुड मार्निग मम्मी आप उठकर तैयार भी हो रही हो
मम्मी- हा तू भी उठ जा हमे राज्य भ्रमण पर जाना है फिर एक समारोह में
मै - मम्मी बहुत थकान लग रही है आज घर मे आराम करते है न
मम्मी- थकान तो मुझे भी बहुत लगी है और पूरा बदन टूट रहा है मगर जाना तो पडेगा महाराज और महारानी जो है एक काम कर मेरे ब्लाऊस का हुक लगा दे जरा


मै- आप भी न इतना सिंपल तो है
मम्मी- पीछे हाथ नही पहुचता है न
मै- तो ऐसे ब्लाऊस क्यू लेती हो
मम्मी- ताकी तुझसे लगवा सकू और हस दी चल जाकर तैयार हो जि तब तक मै अपनी पूजा कर लेती हू फिर साथ मे बाहर चलते है
फिर मै बाथरूम में जाकर तैयार हो गया तब तक मम्मी की भी पूजा हो गई और रोज की तरह मैंने मम्मी के पैर छूकर आशीर्वाद लिया
फिर हम दोनों बाहर आए
सब - महाराज की जय हो
हम दोनों एक साथ बैठ गए
मै - आप सब भी बैठ जाइए
दादाजी- श्रेयांश अब आप महाराज है तो सारा कार्यभार आप दोनों के ऊपर है
मंत्री- जी महाराज महारानी आज सबसे पहले आप दोनों को गरीबों को दान देना है फिर भ्रमण फिर एक समारोह में चलना है जहा हमारे दुश्मन भी आएगे
मम्मी- वहा जाना जरूरी है श्रेयांश के ऊपर कोई खतरा तो नही होगा न
मंत्री- महारानी जाना जरूरी है सरकरी कार्य है और वहा वो कुछ नही करेगा वल्की आप उषे देख लेगे और सुरक्षा की व्यवस्था अच्छी की है हमने
मम्मी- ठीक है फिर हमने नाश्ता किया और नानी को दासी की तरह काम करते देख मम्मी को बहुत दुःख हो रहा था और चाची को दासी की तरह काम करते देख सूरज और हर्ष को और वो दोनों के आसू आ रसे थे मै सब देखकर खुद दुखी था की कही न कही मेरे कारण ही सब हो रहे है
फिर सबने खाना खाया और फिर महल के बाहर गरीबो को दान दिया और हमारे भ्रमण के लिए एक रथ आया चबूतरे और रथ के बीच दूरी थी तो मम्मी उतरने लगी चबूतरे से तो मै नीचे उतरा और रथ और चबूतरे के बीच हाथ से पुल बना दिया


यह देखकर सब चौक गए और महाराज की जय करने लगे मम्मी भी बहुत खुश हुई की कितना प्यार करता है है ये और फिर वो मेरे ऊपर चलकर रथ मे बैठ गई


और बैठकर मुस्कुरा दी


फिर मै भी रथ मे बैठ गया और हम भ्रमण पर निकल पड़े
मम्मी- ये क्यू किया मै उतर कर चड जाती न
मै- मेरे होते हुए आप तकलीफ क्यू उठाओगी मै हू न आपके लिए
मम्मी- पर तुम महाराज भी हो
मै- पर आपका बेटा भी हू और वैसे भी आप बहुत दुखी थी नानी को देखकर
मम्मी- तुझे पता था
मै- हा मैने देखा था आपकी आखे नम थी दुख तो मुझे भी है और सूरज और हर्ष भी बहुत दुखी थे चाची को ऐसे देख कर मै उनका दर्द समझ सकता हूँ
मम्मी- हा बेटा दासी बनना बहुत बुरा है मगर कुछ तो करना होगा
मै- मम्मी मैने मंत्री जी से पूछा था की दासी रखना जरूरी है और क्या मै मुक्त कर सकता हू तो उन्होंने बोला शाम को बताएगे
मम्मी- ठीक है शाम को देखते है ।
उतने मे एक लडका आया और हमसे कहने लगे महाराज महारानी मेरी मदद कीजिये हमारे गार्ड उन्से हटाने लगे
मम्मी- रूको छोडो उसे किसी भी जरूरतमंद को हमारे पास आने से रोका नही करो बताओ बेटा क्या बात है
लडका- आपनै मुझे बेटा कहा मैने सोचा आप हमारी नही सुनोगी जैसे पहले होता था हमसे कोई हमारा हाल नही पूछता था और आप भी वैसे होगे मगर इप तो अलग हो
मम्मी- पहले का तो नही पता मगर अब महल के दरवाजे सब के लिए खुले हैं बतिओ क्या बात है
लडका- जी मेरी मा की तबियत बहुत खराब है उनके इलाज के लिए बहुत पैसे मांग रहा है डाक्टर अगर उनका इलाज नही हुआ तो वो नही बचेगी
मै - तुम पहले क्यू नही आए महल
लडका- मै कई बार आया मगर महाराज नही मिलते थे और बाकी के लोग भी
मम्मी- अब ऐसा नही होगा
मै - हा अबसे किसी को भी कोई तकलीफ हो वो हमसे सीधे मिल सकता है मंत्री जी इनको जितने पैसे चाहिए दे दे और इनकी मा का इलाज अच्छे से करवाओ
मम्मी- तुम करते क्या हो
लडका- नौकरी ढूंढ रहा हू
मम्मी- इसको इसकी काबिलियत के हिसाब से नौकरी दे दो
फिर हम दोनों भ्रमण करके आ गए और फिर मै मम्मी और दादी समारोह के लिए निकल गए
वहा कलेक्टर ने हमारा स्वागत किया और हम मंच पर जाकर बैठ गए हमारे ही बगल मै धीरेन्द्र और उसका मुनीम भी बैठा था कार्यक्रम चल रहा है
धीरेन्द्र- मुनीम यही है क्या नया महाराज और महारानी
मुनीम- जी महाराज
धीरेन्द्र- यह महाराज तो बच्चा लग रहा है लगता है इसके बाप मे दम नही था जो इस बच्चे को महाराज बनाकर अपनी बीबी दे दी
दादी- जवान सम्हाल के बात करो धीरेन्द्र आप
धीरेन्द्र- सुमित्रा देवी सुना है अब तो तुम भी इसी महाराज की पत्नी हो मतलब वो पुराना महाराज भी नपुसंक था वैसे तुम अब भी कडक हो किसी को भी आज भी नियत खराब करने पर मजबूर कर सकती हो
दादी- धीरेन्द्र अपने जुवान पर काबू रखो बरना
धीरेन्द्र - बरना क्या इस बच्चे को कहोगी भूल गई तुम्हारे 400 लोग मर चुके हैं अब तक और वो भानुप्रकाश डर के इसे महाराज बना दिया मरने के लिए
मम्मी- राजमाता आप कहा इस बदतमीज़ आदमी के मुंह लग रही है
मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था मगर मम्मी ने मेरा हाथ पकड़ रखा था
धीरेन्द्र- ओ महारानी बोली वैसे मुनीम यह नई महारानी है बहुत ही ज्यादा खूबसूरत जितना सुना था उससे ज्यादा इस महाराज को मारने के बाद जब सब औरते हमारी होगी तब हम इसे ही अपनी नई महारानी बनाएगे और जिंदगी भर इसके हुश्न को हर रात निचोडकर पिऐगे
ये सुनकर मेरा गुस्सा बहुत बड गया और मै उठकर धीरेन्द्र की और बडा और उसके सीने मे एक लात मारकर गिरा दिया

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और उनके लोगो ने बंदूक तान दी तो हमारी तरफ से भी बंदूकें तन गई धीरेन्द्र उठकर मुझे मारने के लिए हाथ उठाया तो मैने उसे फिर से थप्पड़ मार दिया
धीरेन्द्र- तू जानता नही तूने कितनी बडी गलती की है बच्चे अब तू गया यहा तो तू बच जाएगा मगर अब तू नही बचेगा
उतने मे मम्मी भी मुझे पकड ली
मै- गलती तूने करी मम्मी के बारे मे गलत बोलकर और धमकी न किसी और को देना देख लिया इस बच्चे के हाथ मे कितना दम है चेक कर लेना कही एक थप्पड़ से कोई दात न टूट गया हो तेरा
धीरेन्द्र- सुमित्रा देवी इस बच्चे ने सबके सामने मुझपे हाथ उठाया है इसका अंजाम तुम्हारा पूरा खानदान भुगतेगा और उसने पिस्टल निकालकर मुझपर तान दी मम्मी डर गई और गार्ड की पिस्टल लेकर धीरेन्द्र पर तान दी


मम्मी- बंदूक नीचे करो
धीरेन्द्र- अरे ये महारानी तो दिलेर भी है मतलब और मजा आएगा महारानी मै इसे मार दू अभी तो तुम मेरी होगी
मम्मी- उससे पहले मै तुम्हे मार दूगी और,ये मत सोचना मुझे चलानी नही आती मैने पुलिस ट्रेनिंग ले रखी है तो अपनी बंदूक नीचे करो
उतने मे मैने धीरेन्द्र की बंदूक छीन ली और उस पर तान दी
मै- मुझे बच्चा समझकर गलती मत कर धीरेन्द्र तुम्हारा बाप हू और बंदूक तो मुझे भी चलानी आती है तो अपने लोगो से कहो हथियार नीचे करे और चुपचाप चले जाओ यहा से
कलेक्टर- आपसब बंदूक के नीचे करे
धीरेन्द्र- तुम बीच मे मत आओ यह हमारा मामला है और बच्चे तू तो आज मरेगा चला गोली मेरे आदमी तुझे भून के रख देगे
हम कम थे और वो ज्यादा मै और मम्मी जानते थे की हम फसे हुए है तभी पापा और लोगों के साथ आ गए
पापा- ओ धीरेन्द्र अब चुपचाप यहा से चले जाओ बरना कोई नही बचेगा
धीरेन्द्र- अभी तो मै जा रहा हू मगर तू नही बचेगा ये थप्पड़ याद रहेगा मुझे और तेरे सामने ही इस महारानी के साथ मै सब करूगा
मै- ऐसा न हो कही उल्टा हो जाए
फिर वो चला गया और मम्मी और दादी को टीक लगा
मम्मी- तुझे रोक रसी थी न फिर भी नही माना क्या जरूरत थी उसपर हाथ उठाने की
मै- वो आपके बारे मे इतना गंदा बोला कैसे रोकता
मम्मी- और तूने ये गन चलाना कहा से सीखा और उसके हाथ से कैसे छिन ली
मै- आपको पता तो है मै मार्सल आर्ट सीखता हू और एनसीसी कैडट भी था वही सीखा पर आपने कब सीखा और पुलिस ट्रेनिंग
मम्मी - शादी से पहले पुलिस बनना चाहती थी और सलेक्सन भी हो गया था मगर तेरे पापा से प्यार हुआ फिर शादी के बाद सब छोड़ दी और आज अगर तेरे पापा टाइम पर नही आते तो पता नही क्या होता
दादी- हा अमरेन्द्र सही वक्त पर आ गया बरना पता नही क्या होता
पापा- तुम लोग ठीक हो न
मै- हा पापा हम ठीक है
पापा- चलो अब घर चले
फिर हम घर आ गए और महल आते ही
दीदी- मम्मी आप दोनों ठीक तो हो न कुछ हुआ तो नही श्रेय तू ठीक है
दादाजी- दिया वो अब तुम्हारा पिता है उसे नाम सै बुला रही हो
पापा- आप रहने दीजिए पिताजी सब आपके कारण हुआ है अपनी जान के लिए एक बच्चे को इस मुसीबत और रिश्तों की दुविधा में डाल दिए और एक ऐसा दलदल है जिसमे डूबते ही जाएगा और श्रेय अब मै कह रहा हू तू अब महाराज है तो तू जो चाहे वो कर जो गया उसे बदल नही सकते मगर अगर अंजलि तेरी मम्मी और पत्नी हो सकती है तो दिया भी तेरी बठी बहन है
पिताजी- तुझे पता है तू किससे बात ईर रहा है अपने बाप से
पापा- आप मेरी नजर मे गिर गए हो मेरे बेटे को इस दलदल मे डिल दिया है जिसमे अगर उसकी जान बच भी गई तो बहुत कुछ सहना पडेगा और अगर उसे कुछ हुआ तो पूरा खानदान खत्म
 
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Kumarshiva

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Update 19



उधर सारा महल मे लोग उठ चुके थे और हमसो रहे थे
मेरी तीन दासी और दोनों पत्नी मेरे और,मम्मी के चाय और बाकी कामो के बारे व्यवस्था मे लगे थे
दादी- महाराज और महारानी उठे की नही
चाची- अभी नही अभी उनके कक्ष का दरवाजा बंद है शायद सो रहे होगे
मालती काकी- पर दीदी तो सुबह सुबह उठकर पूजा करती है
गिरिजा- शायद रात मे देर से सोए हो
यह सुनकर सब समझ गए की क्या बात होगी
नानी - पर एक बज रहा है अभी सभा भी है और उन्हें राज्य के भ्रमण करते हुए बाध के उदघाटन मे भी जाना है
दादी- हा वहा तो महाराज धीरेन्द्र भी आएगें महाराज श्रेयांश की सुरक्षा का इंतजाम अच्छा होना चाहिए एक काम करो मालती तुम जाकर मंत्री जी से कहो व्यवस्था अच्छी रखे मै तब तक महाराज और महारानी को उठा देती हू गिरिजा महाराज का दूध तैयार है
मालती काकी- मै कैसे और वो मेरी बात सुनेंगे आप राजमाता है आप जाइए न मै जगा देती हू
दादी- तुम अब नौकरानी नही महाराज की पत्नी भी हो और वो हमारे मंत्री है तो कुछ जिम्मेदारी निभाना आपका भी काम है जाइए और उन्हें हुक्म दीजिए हमसे ऊपर सिर्फ़ महाराज और महारानी है बाकी सब हमारे नीचे है और सभी को हमारे हुक्म मानना है जाइए और सब व्यवस्था पर नजर रखे
मालती काकी सोचती है मतलब अब मै भी रानी ही हू और मै अब श्रेयांश और दीदी के बाद सबसे बडी हू मेरी जिंदगी मे कैसे बदल गई कल तक नौकरानी थी आज रानी हू और अमीर भी फिर वो मंत्री से बात करने चली गई और दादी दूध लेकर मेरे कमरे की ओर

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वही चाची सोच मे पडी थी
नानी- क्या हुआ निशा बेटी क्या बात है बहुत दुखी लग रही हो
चाची- क्या करू आंटी दुखी तो आप भी होगी की आप एक राज्य की महारानी थी और अब अपने ही नाती की शाही दासी और मेरा भी एक परिवार था और शान से जीती थी सभी मेरी इज्जत करते थे डरते थे मगर अब गिरिजा और और मै एक ही है
नानी- क्या कर सकते है बेटी बुरा तो मुझे भी लग रहा है मगर कर भी क्या सकते हैं
चाची- मै जानती हू मगर मेरै दो बेटे हैं उनको भी कोई इज्जत नहीं करेगा और उनको दौलत भी नही मिलेगी वल्की बेइज्जत करेंगे इससे अच्छा पत्नी बन जाती कम से कम रानी होते और सब हक और इज्जत होती कहने को शाही दासी है मगर बाहर इसका मतलब महाराज की रखैल होता है जिसका काम महाराज को खुश रखना है और महाराज जिसे चाहे दासी बना सकते है वो यो श्रेय एक अच्छा संस्कारी लडका है बरना ससुर जी जैसा होता तो शोषण ही होता
नानी- पर अब क्या कर सकते है
चाची- महाराज महारानी के हाथ मे सब है वो तो किसी भी दासी को पत्नी का अधिकार दे सकते है आप बात,कीजिये न द अंजलि दीदी से वो तो आपकी बेटी है उन्हें भी अच्छा नही लगेगा आपको इस हालत मे देखकर और मेरे लिए भी
नानी- मगर मै कैसे और अपनी ही बेटी की सौतन कैसे बन सकती हू
चाची- दासी बनने से तो अच्छा है और अगर अपने लिए नही कर सकती तो मेरे लिए कर दो
नानी- ठीक है मै तुम्हारे लिए बात करूगी
नानी- थैंक्स आटी आपका यह अहसान मै जिंदगी भर नही भूलूगी
वही दादी हमारे कमरे के पास आई और शाही चाबी से हमारा दरवाजा खोलकर अंदर आ गई हम दोनों एक कंबल मे एक दम नंगे सो रसे थे और पूरा कमरा बिखरा हुआ था

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दादी- लगता है रातभर इनके बीच संभोग हुआ है और काफी जोरदार हुआ है कमरे की हालत देखकर तो ऐसा ही लग रहा है और दोनों ऐसे ही सो गए हैं पर उठाना तो पडेगा न फिर उन्होंने हमें आवाज दी श्रेयांश महारानी अंजलि उठो एक बज चुके हैं
उनकी आवाज सुनकर मम्मी की नींद खुली तो दादी सामने खडी थी उनको शरम आ रही थी क्योंकि वो कुछ नही पहनी थी मगर चादर के अंदर थी

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वैसे तो वो हमेशा दादी के पैर छूती थी मगर ऐसी हालत में उठ नही सकती थी
मम्मी- राजमाता आप यहाँ और कोई आ जाता मै आ जाती
दादी- अब तुम महारानी हो और मै महाराज की दूसरी पत्नी तो यह मेरा भी कार्य है और काफी टाइम हो गया इसलिए आना पडा क्योंकि किसी और की हिम्मत नही थी की आप दोनों के कमरे मे आए वैसे लगता है सुबह ही सोए हो
मम्मी- जी वो रात मे सोने मे लेट हो गए कितने बज गए अरे एक बज गए इतनी देर तक सो रही थी आज तक नही सोई पूजा भी करना है आप चलिए मै तैयार होकर आती हू
दादी - श्रेयांश को भी उठा दो और दोनों तैयार हो जाओ आज आप दोनों को राज्य भ्रमण पर जाना है फि र हमे बाध के उदघाटन मे जाना वहा वो धीरेन्द्र भी आएगे
मम्मी- ठीक है मै और श्रेय आते है तैयार होकर
फिर दादी दूध रखकर चली गई और
मम्मी- उफ्फ क्या सोच रही होगी राजमाता की हम दोनों रातबर लगे रहे मेरे बारे मे क्या सोच रही होगी मगर कल रात वक्त का पता ही नही चला पूरा शरीर टूट रहा है मगर उठना तो पडेगा और एक बज गए है अभी तक पूजा भी नही की मेरे कपडे कहा है फिर वो ऐसे ही बाथरूम में चली गई और नहाकर बाहर आ गई तब तक मै भी उठ गया
मै - गुड मार्निग मम्मी आप उठकर तैयार भी हो रही हो
मम्मी- हा तू भी उठ जा हमे राज्य भ्रमण पर जाना है फिर एक समारोह में
मै - मम्मी बहुत थकान लग रही है आज घर मे आराम करते है न
मम्मी- थकान तो मुझे भी बहुत लगी है और पूरा बदन टूट रहा है मगर जाना तो पडेगा महाराज और महारानी जो है एक काम कर मेरे ब्लाऊस का हुक लगा दे जरा

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मै- आप भी न इतना सिंपल तो है
मम्मी- पीछे हाथ नही पहुचता है न
मै- तो ऐसे ब्लाऊस क्यू लेती हो
मम्मी- ताकी तुझसे लगवा सकू और हस दी चल जाकर तैयार हो जि तब तक मै अपनी पूजा कर लेती हू फिर साथ मे बाहर चलते है
फिर मै बाथरूम में जाकर तैयार हो गया तब तक मम्मी की भी पूजा हो गई और रोज की तरह मैंने मम्मी के पैर छूकर आशीर्वाद लिया
फिर हम दोनों बाहर आए
सब - महाराज की जय हो
हम दोनों एक साथ बैठ गए
मै - आप सब भी बैठ जाइए
दादाजी- श्रेयांश अब आप महाराज है तो सारा कार्यभार आप दोनों के ऊपर है
मंत्री- जी महाराज महारानी आज सबसे पहले आप दोनों को गरीबों को दान देना है फिर भ्रमण फिर एक समारोह में चलना है जहा हमारे दुश्मन भी आएगे
मम्मी- वहा जाना जरूरी है श्रेयांश के ऊपर कोई खतरा तो नही होगा न
मंत्री- महारानी जाना जरूरी है सरकरी कार्य है और वहा वो कुछ नही करेगा वल्की आप उषे देख लेगे और सुरक्षा की व्यवस्था अच्छी की है हमने
मम्मी- ठीक है फिर हमने नाश्ता किया और नानी को दासी की तरह काम करते देख मम्मी को बहुत दुःख हो रहा था और चाची को दासी की तरह काम करते देख सूरज और हर्ष को और वो दोनों के आसू आ रसे थे मै सब देखकर खुद दुखी था की कही न कही मेरे कारण ही सब हो रहे है
फिर सबने खाना खाया और फिर महल के बाहर गरीबो को दान दिया और हमारे भ्रमण के लिए एक रथ आया चबूतरे और रथ के बीच दूरी थी तो मम्मी उतरने लगी चबूतरे से तो मै नीचे उतरा और रथ और चबूतरे के बीच हाथ से पुल बना दिया

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यह देखकर सब चौक गए और महाराज की जय करने लगे मम्मी भी बहुत खुश हुई की कितना प्यार करता है है ये और फिर वो मेरे ऊपर चलकर रथ मे बैठ गई

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और बैठकर मुस्कुरा दी

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फिर मै भी रथ मे बैठ गया और हम भ्रमण पर निकल पड़े
मम्मी- ये क्यू किया मै उतर कर चड जाती न
मै- मेरे होते हुए आप तकलीफ क्यू उठाओगी मै हू न आपके लिए
मम्मी- पर तुम महाराज भी हो
मै- पर आपका बेटा भी हू और वैसे भी आप बहुत दुखी थी नानी को देखकर
मम्मी- तुझे पता था
मै- हा मैने देखा था आपकी आखे नम थी दुख तो मुझे भी है और सूरज और हर्ष भी बहुत दुखी थे चाची को ऐसे देख कर मै उनका दर्द समझ सकता हूँ
मम्मी- हा बेटा दासी बनना बहुत बुरा है मगर कुछ तो करना होगा
मै- मम्मी मैने मंत्री जी से पूछा था की दासी रखना जरूरी है और क्या मै मुक्त कर सकता हू तो उन्होंने बोला शाम को बताएगे
मम्मी- ठीक है शाम को देखते है ।
उतने मे एक लडका आया और हमसे कहने लगे महाराज महारानी मेरी मदद कीजिये हमारे गार्ड उन्से हटाने लगे
मम्मी- रूको छोडो उसे किसी भी जरूरतमंद को हमारे पास आने से रोका नही करो बताओ बेटा क्या बात है
लडका- आपनै मुझे बेटा कहा मैने सोचा आप हमारी नही सुनोगी जैसे पहले होता था हमसे कोई हमारा हाल नही पूछता था और आप भी वैसे होगे मगर इप तो अलग हो
मम्मी- पहले का तो नही पता मगर अब महल के दरवाजे सब के लिए खुले हैं बतिओ क्या बात है
लडका- जी मेरी मा की तबियत बहुत खराब है उनके इलाज के लिए बहुत पैसे मांग रहा है डाक्टर अगर उनका इलाज नही हुआ तो वो नही बचेगी
मै - तुम पहले क्यू नही आए महल
लडका- मै कई बार आया मगर महाराज नही मिलते थे और बाकी के लोग भी
मम्मी- अब ऐसा नही होगा
मै - हा अबसे किसी को भी कोई तकलीफ हो वो हमसे सीधे मिल सकता है मंत्री जी इनको जितने पैसे चाहिए दे दे और इनकी मा का इलाज अच्छे से करवाओ
मम्मी- तुम करते क्या हो
लडका- नौकरी ढूंढ रहा हू
मम्मी- इसको इसकी काबिलियत के हिसाब से नौकरी दे दो
फिर हम दोनों भ्रमण करके आ गए और फिर मै मम्मी और दादी समारोह के लिए निकल गए
वहा कलेक्टर ने हमारा स्वागत किया और हम मंच पर जाकर बैठ गए हमारे ही बगल मै धीरेन्द्र और उसका मुनीम भी बैठा था कार्यक्रम चल रहा है
धीरेन्द्र- मुनीम यही है क्या नया महाराज और महारानी
मुनीम- जी महाराज
धीरेन्द्र- यह महाराज तो बच्चा लग रहा है लगता है इसके बाप मे दम नही था जो इस बच्चे को महाराज बनाकर अपनी बीबी दे दी
दादी- जवान सम्हाल के बात करो धीरेन्द्र आप
धीरेन्द्र- सुमित्रा देवी सुना है अब तो तुम भी इसी महाराज की पत्नी हो मतलब वो पुराना महाराज भी नपुसंक था वैसे तुम अब भी कडक हो किसी को भी आज भी नियत खराब करने पर मजबूर कर सकती हो
दादी- धीरेन्द्र अपने जुवान पर काबू रखो बरना
धीरेन्द्र - बरना क्या इस बच्चे को कहोगी भूल गई तुम्हारे 400 लोग मर चुके हैं अब तक और वो भानुप्रकाश डर के इसे महाराज बना दिया मरने के लिए
मम्मी- राजमाता आप कहा इस बदतमीज़ आदमी के मुंह लग रही है
मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था मगर मम्मी ने मेरा हाथ पकड़ रखा था
धीरेन्द्र- ओ महारानी बोली वैसे मुनीम यह नई महारानी है बहुत ही ज्यादा खूबसूरत जितना सुना था उससे ज्यादा इस महाराज को मारने के बाद जब सब औरते हमारी होगी तब हम इसे ही अपनी नई महारानी बनाएगे और जिंदगी भर इसके हुश्न को हर रात निचोडकर पिऐगे
ये सुनकर मेरा गुस्सा बहुत बड गया और मै उठकर धीरेन्द्र की और बडा और उसके सीने मे एक लात मारकर गिरा दिया

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और उनके लोगो ने बंदूक तान दी तो हमारी तरफ से भी बंदूकें तन गई धीरेन्द्र उठकर मुझे मारने के लिए हाथ उठाया तो मैने उसे फिर से थप्पड़ मार दिया
धीरेन्द्र- तू जानता नही तूने कितनी बडी गलती की है बच्चे अब तू गया यहा तो तू बच जाएगा मगर अब तू नही बचेगा
उतने मे मम्मी भी मुझे पकड ली
मै- गलती तूने करी मम्मी के बारे मे गलत बोलकर और धमकी न किसी और को देना देख लिया इस बच्चे के हाथ मे कितना दम है चेक कर लेना कही एक थप्पड़ से कोई दात न टूट गया हो तेरा
धीरेन्द्र- सुमित्रा देवी इस बच्चे ने सबके सामने मुझपे हाथ उठाया है इसका अंजाम तुम्हारा पूरा खानदान भुगतेगा और उसने पिस्टल निकालकर मुझपर तान दी मम्मी डर गई और गार्ड की पिस्टल लेकर धीरेन्द्र पर तान दी

priyanka
मम्मी- बंदूक नीचे करो
धीरेन्द्र- अरे ये महारानी तो दिलेर भी है मतलब और मजा आएगा महारानी मै इसे मार दू अभी तो तुम मेरी होगी
मम्मी- उससे पहले मै तुम्हे मार दूगी और,ये मत सोचना मुझे चलानी नही आती मैने पुलिस ट्रेनिंग ले रखी है तो अपनी बंदूक नीचे करो
उतने मे मैने धीरेन्द्र की बंदूक छीन ली और उस पर तान दी
मै- मुझे बच्चा समझकर गलती मत कर धीरेन्द्र तुम्हारा बाप हू और बंदूक तो मुझे भी चलानी आती है तो अपने लोगो से कहो हथियार नीचे करे और चुपचाप चले जाओ यहा से
कलेक्टर- आपसब बंदूक के नीचे करे
धीरेन्द्र- तुम बीच मे मत आओ यह हमारा मामला है और बच्चे तू तो आज मरेगा चला गोली मेरे आदमी तुझे भून के रख देगे
हम कम थे और वो ज्यादा मै और मम्मी जानते थे की हम फसे हुए है तभी पापा और लोगों के साथ आ गए
पापा- ओ धीरेन्द्र अब चुपचाप यहा से चले जाओ बरना कोई नही बचेगा
धीरेन्द्र- अभी तो मै जा रहा हू मगर तू नही बचेगा ये थप्पड़ याद रहेगा मुझे और तेरे सामने ही इस महारानी के साथ मै सब करूगा
मै- ऐसा न हो कही उल्टा हो जाए
फिर वो चला गया और मम्मी और दादी को टीक लगा
मम्मी- तुझे रोक रसी थी न फिर भी नही माना क्या जरूरत थी उसपर हाथ उठाने की
मै- वो आपके बारे मे इतना गंदा बोला कैसे रोकता
मम्मी- और तूने ये गन चलाना कहा से सीखा और उसके हाथ से कैसे छिन ली
मै- आपको पता तो है मै मार्सल आर्ट सीखता हू और एनसीसी कैडट भी था वही सीखा पर आपने कब सीखा और पुलिस ट्रेनिंग
मम्मी - शादी से पहले पुलिस बनना चाहती थी और सलेक्सन भी हो गया था मगर तेरे पापा से प्यार हुआ फिर शादी के बाद सब छोड़ दी और आज अगर तेरे पापा टाइम पर नही आते तो पता नही क्या होता
दादी- हा अमरेन्द्र सही वक्त पर आ गया बरना पता नही क्या होता
पापा- तुम लोग ठीक हो न
मै- हा पापा हम ठीक है
पापा- चलो अब घर चले
फिर हम घर आ गए और महल आते ही
दीदी- मम्मी आप दोनों ठीक तो हो न कुछ हुआ तो नही श्रेय तू ठीक है
दादाजी- दिया वो अब तुम्हारा पिता है उसे नाम सै बुला रही हो
पापा- आप रहने दीजिए पिताजी सब आपके कारण हुआ है अपनी जान के लिए एक बच्चे को इस मुसीबत और रिश्तों की दुविधा में डाल दिए और एक ऐसा दलदल है जिसमे डूबते ही जाएगा और श्रेय अब मै कह रहा हू तू अब महाराज है तो तू जो चाहे वो कर जो गया उसे बदल नही सकते मगर अगर अंजलि तेरी मम्मी और पत्नी हो सकती है तो दिया भी तेरी बठी बहन है
पिताजी- तुझे पता है तू किससे बात ईर रहा है अपने बाप से
पापा- आप मेरी नजर मे गिर गए हो मेरे बेटे को इस दलदल मे डिल दिया है जिसमे अगर उसकी जान बच भी गई तो बहुत कुछ सहना पडेगा और अगर उसे कुछ हुआ तो पूरा खानदान खत्म
Fantastic update
Shrey apni maa bole to maharani se bolker sbb ko free kra de
Koi dasi nhi koi dusri wife nhi only and only
Srey aur anjali aur
Dusri traf sudha aur uska beta
Qki maa aur bete ka pyar hi kafi iss story ko superhit bnane ke liye🙏🙏🙏🙏🙏🙏
 

DB Singh

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जिसमे अगर उसकी जान बच भी गई तो बहुत कुछ सहना पडेगा और अगर उसे कुछ हुआ तो पूरा खानदान खत्म
भाई ये लाइन समझ में नहीं आया। उसकी किसकी बात हो रही है और उसे किसे कुछ हुआ तो पूरा खानदान खत्म।

यार एक दो जवान लड़की को भी बीवी बनाते श्रेयांश के जैसे के दिया और मालती की बेटी।
 

Letsdoit

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भाई ये लाइन समझ में नहीं आया। उसकी किसकी बात हो रही है और उसे किसे कुछ हुआ तो पूरा खानदान खत्म।

यार एक दो जवान लड़की को भी बीवी बनाते श्रेयांश के जैसे के दिया और मालती की
 
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parkas

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उधर सारा महल मे लोग उठ चुके थे और हमसो रहे थे
मेरी तीन दासी और दोनों पत्नी मेरे और,मम्मी के चाय और बाकी कामो के बारे व्यवस्था मे लगे थे
दादी- महाराज और महारानी उठे की नही
चाची- अभी नही अभी उनके कक्ष का दरवाजा बंद है शायद सो रहे होगे
मालती काकी- पर दीदी तो सुबह सुबह उठकर पूजा करती है
गिरिजा- शायद रात मे देर से सोए हो
यह सुनकर सब समझ गए की क्या बात होगी
नानी - पर एक बज रहा है अभी सभा भी है और उन्हें राज्य के भ्रमण करते हुए बाध के उदघाटन मे भी जाना है
दादी- हा वहा तो महाराज धीरेन्द्र भी आएगें महाराज श्रेयांश की सुरक्षा का इंतजाम अच्छा होना चाहिए एक काम करो मालती तुम जाकर मंत्री जी से कहो व्यवस्था अच्छी रखे मै तब तक महाराज और महारानी को उठा देती हू गिरिजा महाराज का दूध तैयार है
मालती काकी- मै कैसे और वो मेरी बात सुनेंगे आप राजमाता है आप जाइए न मै जगा देती हू
दादी- तुम अब नौकरानी नही महाराज की पत्नी भी हो और वो हमारे मंत्री है तो कुछ जिम्मेदारी निभाना आपका भी काम है जाइए और उन्हें हुक्म दीजिए हमसे ऊपर सिर्फ़ महाराज और महारानी है बाकी सब हमारे नीचे है और सभी को हमारे हुक्म मानना है जाइए और सब व्यवस्था पर नजर रखे
मालती काकी सोचती है मतलब अब मै भी रानी ही हू और मै अब श्रेयांश और दीदी के बाद सबसे बडी हू मेरी जिंदगी मे कैसे बदल गई कल तक नौकरानी थी आज रानी हू और अमीर भी फिर वो मंत्री से बात करने चली गई और दादी दूध लेकर मेरे कमरे की ओर

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वही चाची सोच मे पडी थी
नानी- क्या हुआ निशा बेटी क्या बात है बहुत दुखी लग रही हो
चाची- क्या करू आंटी दुखी तो आप भी होगी की आप एक राज्य की महारानी थी और अब अपने ही नाती की शाही दासी और मेरा भी एक परिवार था और शान से जीती थी सभी मेरी इज्जत करते थे डरते थे मगर अब गिरिजा और और मै एक ही है
नानी- क्या कर सकते है बेटी बुरा तो मुझे भी लग रहा है मगर कर भी क्या सकते हैं
चाची- मै जानती हू मगर मेरै दो बेटे हैं उनको भी कोई इज्जत नहीं करेगा और उनको दौलत भी नही मिलेगी वल्की बेइज्जत करेंगे इससे अच्छा पत्नी बन जाती कम से कम रानी होते और सब हक और इज्जत होती कहने को शाही दासी है मगर बाहर इसका मतलब महाराज की रखैल होता है जिसका काम महाराज को खुश रखना है और महाराज जिसे चाहे दासी बना सकते है वो यो श्रेय एक अच्छा संस्कारी लडका है बरना ससुर जी जैसा होता तो शोषण ही होता
नानी- पर अब क्या कर सकते है
चाची- महाराज महारानी के हाथ मे सब है वो तो किसी भी दासी को पत्नी का अधिकार दे सकते है आप बात,कीजिये न द अंजलि दीदी से वो तो आपकी बेटी है उन्हें भी अच्छा नही लगेगा आपको इस हालत मे देखकर और मेरे लिए भी
नानी- मगर मै कैसे और अपनी ही बेटी की सौतन कैसे बन सकती हू
चाची- दासी बनने से तो अच्छा है और अगर अपने लिए नही कर सकती तो मेरे लिए कर दो
नानी- ठीक है मै तुम्हारे लिए बात करूगी
नानी- थैंक्स आटी आपका यह अहसान मै जिंदगी भर नही भूलूगी
वही दादी हमारे कमरे के पास आई और शाही चाबी से हमारा दरवाजा खोलकर अंदर आ गई हम दोनों एक कंबल मे एक दम नंगे सो रसे थे और पूरा कमरा बिखरा हुआ था

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furry weekend atlanta
दादी- लगता है रातभर इनके बीच संभोग हुआ है और काफी जोरदार हुआ है कमरे की हालत देखकर तो ऐसा ही लग रहा है और दोनों ऐसे ही सो गए हैं पर उठाना तो पडेगा न फिर उन्होंने हमें आवाज दी श्रेयांश महारानी अंजलि उठो एक बज चुके हैं
उनकी आवाज सुनकर मम्मी की नींद खुली तो दादी सामने खडी थी उनको शरम आ रही थी क्योंकि वो कुछ नही पहनी थी मगर चादर के अंदर थी

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वैसे तो वो हमेशा दादी के पैर छूती थी मगर ऐसी हालत में उठ नही सकती थी
मम्मी- राजमाता आप यहाँ और कोई आ जाता मै आ जाती
दादी- अब तुम महारानी हो और मै महाराज की दूसरी पत्नी तो यह मेरा भी कार्य है और काफी टाइम हो गया इसलिए आना पडा क्योंकि किसी और की हिम्मत नही थी की आप दोनों के कमरे मे आए वैसे लगता है सुबह ही सोए हो
मम्मी- जी वो रात मे सोने मे लेट हो गए कितने बज गए अरे एक बज गए इतनी देर तक सो रही थी आज तक नही सोई पूजा भी करना है आप चलिए मै तैयार होकर आती हू
दादी - श्रेयांश को भी उठा दो और दोनों तैयार हो जाओ आज आप दोनों को राज्य भ्रमण पर जाना है फि र हमे बाध के उदघाटन मे जाना वहा वो धीरेन्द्र भी आएगे
मम्मी- ठीक है मै और श्रेय आते है तैयार होकर
फिर दादी दूध रखकर चली गई और
मम्मी- उफ्फ क्या सोच रही होगी राजमाता की हम दोनों रातबर लगे रहे मेरे बारे मे क्या सोच रही होगी मगर कल रात वक्त का पता ही नही चला पूरा शरीर टूट रहा है मगर उठना तो पडेगा और एक बज गए है अभी तक पूजा भी नही की मेरे कपडे कहा है फिर वो ऐसे ही बाथरूम में चली गई और नहाकर बाहर आ गई तब तक मै भी उठ गया
मै - गुड मार्निग मम्मी आप उठकर तैयार भी हो रही हो
मम्मी- हा तू भी उठ जा हमे राज्य भ्रमण पर जाना है फिर एक समारोह में
मै - मम्मी बहुत थकान लग रही है आज घर मे आराम करते है न
मम्मी- थकान तो मुझे भी बहुत लगी है और पूरा बदन टूट रहा है मगर जाना तो पडेगा महाराज और महारानी जो है एक काम कर मेरे ब्लाऊस का हुक लगा दे जरा

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मै- आप भी न इतना सिंपल तो है
मम्मी- पीछे हाथ नही पहुचता है न
मै- तो ऐसे ब्लाऊस क्यू लेती हो
मम्मी- ताकी तुझसे लगवा सकू और हस दी चल जाकर तैयार हो जि तब तक मै अपनी पूजा कर लेती हू फिर साथ मे बाहर चलते है
फिर मै बाथरूम में जाकर तैयार हो गया तब तक मम्मी की भी पूजा हो गई और रोज की तरह मैंने मम्मी के पैर छूकर आशीर्वाद लिया
फिर हम दोनों बाहर आए
सब - महाराज की जय हो
हम दोनों एक साथ बैठ गए
मै - आप सब भी बैठ जाइए
दादाजी- श्रेयांश अब आप महाराज है तो सारा कार्यभार आप दोनों के ऊपर है
मंत्री- जी महाराज महारानी आज सबसे पहले आप दोनों को गरीबों को दान देना है फिर भ्रमण फिर एक समारोह में चलना है जहा हमारे दुश्मन भी आएगे
मम्मी- वहा जाना जरूरी है श्रेयांश के ऊपर कोई खतरा तो नही होगा न
मंत्री- महारानी जाना जरूरी है सरकरी कार्य है और वहा वो कुछ नही करेगा वल्की आप उषे देख लेगे और सुरक्षा की व्यवस्था अच्छी की है हमने
मम्मी- ठीक है फिर हमने नाश्ता किया और नानी को दासी की तरह काम करते देख मम्मी को बहुत दुःख हो रहा था और चाची को दासी की तरह काम करते देख सूरज और हर्ष को और वो दोनों के आसू आ रसे थे मै सब देखकर खुद दुखी था की कही न कही मेरे कारण ही सब हो रहे है
फिर सबने खाना खाया और फिर महल के बाहर गरीबो को दान दिया और हमारे भ्रमण के लिए एक रथ आया चबूतरे और रथ के बीच दूरी थी तो मम्मी उतरने लगी चबूतरे से तो मै नीचे उतरा और रथ और चबूतरे के बीच हाथ से पुल बना दिया

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यह देखकर सब चौक गए और महाराज की जय करने लगे मम्मी भी बहुत खुश हुई की कितना प्यार करता है है ये और फिर वो मेरे ऊपर चलकर रथ मे बैठ गई

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और बैठकर मुस्कुरा दी

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फिर मै भी रथ मे बैठ गया और हम भ्रमण पर निकल पड़े
मम्मी- ये क्यू किया मै उतर कर चड जाती न
मै- मेरे होते हुए आप तकलीफ क्यू उठाओगी मै हू न आपके लिए
मम्मी- पर तुम महाराज भी हो
मै- पर आपका बेटा भी हू और वैसे भी आप बहुत दुखी थी नानी को देखकर
मम्मी- तुझे पता था
मै- हा मैने देखा था आपकी आखे नम थी दुख तो मुझे भी है और सूरज और हर्ष भी बहुत दुखी थे चाची को ऐसे देख कर मै उनका दर्द समझ सकता हूँ
मम्मी- हा बेटा दासी बनना बहुत बुरा है मगर कुछ तो करना होगा
मै- मम्मी मैने मंत्री जी से पूछा था की दासी रखना जरूरी है और क्या मै मुक्त कर सकता हू तो उन्होंने बोला शाम को बताएगे
मम्मी- ठीक है शाम को देखते है ।
उतने मे एक लडका आया और हमसे कहने लगे महाराज महारानी मेरी मदद कीजिये हमारे गार्ड उन्से हटाने लगे
मम्मी- रूको छोडो उसे किसी भी जरूरतमंद को हमारे पास आने से रोका नही करो बताओ बेटा क्या बात है
लडका- आपनै मुझे बेटा कहा मैने सोचा आप हमारी नही सुनोगी जैसे पहले होता था हमसे कोई हमारा हाल नही पूछता था और आप भी वैसे होगे मगर इप तो अलग हो
मम्मी- पहले का तो नही पता मगर अब महल के दरवाजे सब के लिए खुले हैं बतिओ क्या बात है
लडका- जी मेरी मा की तबियत बहुत खराब है उनके इलाज के लिए बहुत पैसे मांग रहा है डाक्टर अगर उनका इलाज नही हुआ तो वो नही बचेगी
मै - तुम पहले क्यू नही आए महल
लडका- मै कई बार आया मगर महाराज नही मिलते थे और बाकी के लोग भी
मम्मी- अब ऐसा नही होगा
मै - हा अबसे किसी को भी कोई तकलीफ हो वो हमसे सीधे मिल सकता है मंत्री जी इनको जितने पैसे चाहिए दे दे और इनकी मा का इलाज अच्छे से करवाओ
मम्मी- तुम करते क्या हो
लडका- नौकरी ढूंढ रहा हू
मम्मी- इसको इसकी काबिलियत के हिसाब से नौकरी दे दो
फिर हम दोनों भ्रमण करके आ गए और फिर मै मम्मी और दादी समारोह के लिए निकल गए
वहा कलेक्टर ने हमारा स्वागत किया और हम मंच पर जाकर बैठ गए हमारे ही बगल मै धीरेन्द्र और उसका मुनीम भी बैठा था कार्यक्रम चल रहा है
धीरेन्द्र- मुनीम यही है क्या नया महाराज और महारानी
मुनीम- जी महाराज
धीरेन्द्र- यह महाराज तो बच्चा लग रहा है लगता है इसके बाप मे दम नही था जो इस बच्चे को महाराज बनाकर अपनी बीबी दे दी
दादी- जवान सम्हाल के बात करो धीरेन्द्र आप
धीरेन्द्र- सुमित्रा देवी सुना है अब तो तुम भी इसी महाराज की पत्नी हो मतलब वो पुराना महाराज भी नपुसंक था वैसे तुम अब भी कडक हो किसी को भी आज भी नियत खराब करने पर मजबूर कर सकती हो
दादी- धीरेन्द्र अपने जुवान पर काबू रखो बरना
धीरेन्द्र - बरना क्या इस बच्चे को कहोगी भूल गई तुम्हारे 400 लोग मर चुके हैं अब तक और वो भानुप्रकाश डर के इसे महाराज बना दिया मरने के लिए
मम्मी- राजमाता आप कहा इस बदतमीज़ आदमी के मुंह लग रही है
मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था मगर मम्मी ने मेरा हाथ पकड़ रखा था
धीरेन्द्र- ओ महारानी बोली वैसे मुनीम यह नई महारानी है बहुत ही ज्यादा खूबसूरत जितना सुना था उससे ज्यादा इस महाराज को मारने के बाद जब सब औरते हमारी होगी तब हम इसे ही अपनी नई महारानी बनाएगे और जिंदगी भर इसके हुश्न को हर रात निचोडकर पिऐगे
ये सुनकर मेरा गुस्सा बहुत बड गया और मै उठकर धीरेन्द्र की और बडा और उसके सीने मे एक लात मारकर गिरा दिया

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और उनके लोगो ने बंदूक तान दी तो हमारी तरफ से भी बंदूकें तन गई धीरेन्द्र उठकर मुझे मारने के लिए हाथ उठाया तो मैने उसे फिर से थप्पड़ मार दिया
धीरेन्द्र- तू जानता नही तूने कितनी बडी गलती की है बच्चे अब तू गया यहा तो तू बच जाएगा मगर अब तू नही बचेगा
उतने मे मम्मी भी मुझे पकड ली
मै- गलती तूने करी मम्मी के बारे मे गलत बोलकर और धमकी न किसी और को देना देख लिया इस बच्चे के हाथ मे कितना दम है चेक कर लेना कही एक थप्पड़ से कोई दात न टूट गया हो तेरा
धीरेन्द्र- सुमित्रा देवी इस बच्चे ने सबके सामने मुझपे हाथ उठाया है इसका अंजाम तुम्हारा पूरा खानदान भुगतेगा और उसने पिस्टल निकालकर मुझपर तान दी मम्मी डर गई और गार्ड की पिस्टल लेकर धीरेन्द्र पर तान दी

priyanka
मम्मी- बंदूक नीचे करो
धीरेन्द्र- अरे ये महारानी तो दिलेर भी है मतलब और मजा आएगा महारानी मै इसे मार दू अभी तो तुम मेरी होगी
मम्मी- उससे पहले मै तुम्हे मार दूगी और,ये मत सोचना मुझे चलानी नही आती मैने पुलिस ट्रेनिंग ले रखी है तो अपनी बंदूक नीचे करो
उतने मे मैने धीरेन्द्र की बंदूक छीन ली और उस पर तान दी
मै- मुझे बच्चा समझकर गलती मत कर धीरेन्द्र तुम्हारा बाप हू और बंदूक तो मुझे भी चलानी आती है तो अपने लोगो से कहो हथियार नीचे करे और चुपचाप चले जाओ यहा से
कलेक्टर- आपसब बंदूक के नीचे करे
धीरेन्द्र- तुम बीच मे मत आओ यह हमारा मामला है और बच्चे तू तो आज मरेगा चला गोली मेरे आदमी तुझे भून के रख देगे
हम कम थे और वो ज्यादा मै और मम्मी जानते थे की हम फसे हुए है तभी पापा और लोगों के साथ आ गए
पापा- ओ धीरेन्द्र अब चुपचाप यहा से चले जाओ बरना कोई नही बचेगा
धीरेन्द्र- अभी तो मै जा रहा हू मगर तू नही बचेगा ये थप्पड़ याद रहेगा मुझे और तेरे सामने ही इस महारानी के साथ मै सब करूगा
मै- ऐसा न हो कही उल्टा हो जाए
फिर वो चला गया और मम्मी और दादी को टीक लगा
मम्मी- तुझे रोक रसी थी न फिर भी नही माना क्या जरूरत थी उसपर हाथ उठाने की
मै- वो आपके बारे मे इतना गंदा बोला कैसे रोकता
मम्मी- और तूने ये गन चलाना कहा से सीखा और उसके हाथ से कैसे छिन ली
मै- आपको पता तो है मै मार्सल आर्ट सीखता हू और एनसीसी कैडट भी था वही सीखा पर आपने कब सीखा और पुलिस ट्रेनिंग
मम्मी - शादी से पहले पुलिस बनना चाहती थी और सलेक्सन भी हो गया था मगर तेरे पापा से प्यार हुआ फिर शादी के बाद सब छोड़ दी और आज अगर तेरे पापा टाइम पर नही आते तो पता नही क्या होता
दादी- हा अमरेन्द्र सही वक्त पर आ गया बरना पता नही क्या होता
पापा- तुम लोग ठीक हो न
मै- हा पापा हम ठीक है
पापा- चलो अब घर चले
फिर हम घर आ गए और महल आते ही
दीदी- मम्मी आप दोनों ठीक तो हो न कुछ हुआ तो नही श्रेय तू ठीक है
दादाजी- दिया वो अब तुम्हारा पिता है उसे नाम सै बुला रही हो
पापा- आप रहने दीजिए पिताजी सब आपके कारण हुआ है अपनी जान के लिए एक बच्चे को इस मुसीबत और रिश्तों की दुविधा में डाल दिए और एक ऐसा दलदल है जिसमे डूबते ही जाएगा और श्रेय अब मै कह रहा हू तू अब महाराज है तो तू जो चाहे वो कर जो गया उसे बदल नही सकते मगर अगर अंजलि तेरी मम्मी और पत्नी हो सकती है तो दिया भी तेरी बठी बहन है
पिताजी- तुझे पता है तू किससे बात ईर रहा है अपने बाप से
पापा- आप मेरी नजर मे गिर गए हो मेरे बेटे को इस दलदल मे डिल दिया है जिसमे अगर उसकी जान बच भी गई तो बहुत कुछ सहना पडेगा और अगर उसे कुछ हुआ तो पूरा खानदान खत्म
Bahut hi badhiya update diya hai Letsdoit bhai....
Nice and lovely update....
 

Letsdoit

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भाई ये लाइन समझ में नहीं आया। उसकी किसकी बात हो रही है और उसे किसे कुछ हुआ तो पूरा खानदान खत्म।

यार एक दो जवान लड़की को भी बीवी बनाते श्रेयांश के जैसे के दिया और मालती की बेटी।
 
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Sauravb

Victory 💯
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Op update bro ☺️☺️
 
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Letsdoit

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Fantastic update
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Qki maa aur bete ka pyar hi kafi iss story ko superhit bnane ke liye🙏🙏🙏🙏🙏🙏
 
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