रिश्ता निभाने ना आये
कहीं कसमें खाके भी रिश्ता निभाने ना आये।
भूलकर भी ना भूलने के बहाने ना आये।।
रुलाया है तुमने खुद को मुझ से भी ज्यादा।
तब ही आज हमें हँसाने ना आये।।
दारु और दवा दोनों बन गये हो तुम।
पर जहर भी ख़ुशी से पिलाने ना आये।।
सवालिया निशाँ तेरी खूबूसरती पर।
कभी हमारा घर सजाने ना आये।।
लगे अपनों ने ही छीन ली मेरी निंदिया
प्यार की झंकार सुनाने ना आne diya।।
जगमगाते तारों से उलझते रहे रातभर।
बेकाबू इन जुल्फों से सुलझाने ना आये।।
कहीं कसमें खाके भी रिश्ता निभाने ना आये।
भूलकर भी ना भूलने के बहाने ना आये।।
रुलाया है तुमने खुद को मुझ से भी ज्यादा।
तब ही आज हमें हँसाने ना आये।।
दारु और दवा दोनों बन गये हो तुम।
पर जहर भी ख़ुशी से पिलाने ना आये।।
सवालिया निशाँ तेरी खूबूसरती पर।
कभी हमारा घर सजाने ना आये।।
लगे अपनों ने ही छीन ली मेरी निंदिया
प्यार की झंकार सुनाने ना आne diya।।
जगमगाते तारों से उलझते रहे रातभर।
बेकाबू इन जुल्फों से सुलझाने ना आये।।