Update 19.
सुबह नौ बजे नाश्ते के बाद मैं अपनी बाइक लिए चाचा के घर गया । चाची ने कल मुझे नया मोबाइल लाने के लिए कहा था । दरवाजा बंद था । मैंने बेल बजाईं ।
चाचा ने दरवाजा खोला । मैं आश्चर्यचकित हुआ । उन्हें तो ड्यूटी पर होना चाहिए था , ये अभी तक घर पर क्या कर रहे हैं ?
मेरे चाचा जिनका नाम रमेश था , अडतालीस वरषिय करीब दुबले-पतले शख्स जो कि एक नम्बर के खड़ूस और निहायत ही हाट टेम्पर माइंडेड आदमी । एक नम्बर के जेलेसी मैन । जहां मेरे डैड एक सोवर और मिलनसार व्यक्ति थे वहीं चाचा रिजर्व और जलनखोर टाइप के आदमी थे । मैंने शायद ही इन्हें कभी हंसते हुए देखा हो ।
चाचा ने मुझे घुरते हुए कहा -" क्या है ?"
" चाची ने बुलाया था ।" मैंने कहा ।
" किस लिए ?"
" डाइवोर्स के लिए ।"
" क्या मतलब "- वो चौंकते हुए बोले ।
तभी चाची आ गई । वो इस वक्त साड़ी पहनी हुई थी । वो मुझे देखते हैं बोली ।
" अरे सागर बेटा , आओ आओ ।"
" ये क्या कह रहा है ? किसका डाइवोर्स है ?"
" डाइवोर्स " चाची ने चौंकते हुए कहा -" किसका डाइवोर्स ?"
चाचा ने मुझे गुस्से से देखा -" किसका डाइवोर्स ?"
" चाचा मेरे एक दोस्त की मम्मी है , वो अपने पति के रोज के किच किच से परेशान होकर डाइवोर्स लेना चाहती है । वो मुझे किसी काबिल वकील के बारे में पुछ रही थी । मैंने चाची को कहा था इसके बारे में तो इन्होंने कहा था कि कल आना बात करेंगे ।"
चाचा ने मुड़कर चाची को देखा ।
" अरे हां , मैं तो भुल ही गयी थी । कल सागर ने बताया था "- चाची ने बात संभालते हुए कहा ।
मेरा तात श्री इतना भी अक्ल का कोल्हू नहीं था जो इस ब्यंग्य को समझ नहीं रहा था ।
मैं निकल रहा हूं " - चाचा ने मुझे अपने आंखों से भस्म करते हुए नजरों से देख कर बोला - " थोड़ा पढ़ाई-लिखाई पर भी ध्यान दो , ऐसी चीजें पर दिमाग लगाओगे तो जिन्दगी भर भीख मांगते फिरोगे ।"
बोलकर चाचा बाहर निकल गया ।
" उफ़ चाची ! क्या खा के पैदा की थी ऐसे हसबैंड को " - मैं लम्बी सांसें लेते हुए सोफे पर ढेर हो गया ।
" नालायक कहीं का.... मैंने पैदा किया था या तेरी दादी ने । और पैदा किया तो किया ले आके मेरे ही पल्लू से बांध दिया "- चाची ने मेन दरवाजा बंद करते हुए कहा ।
" तुम तो ऐसे कह रही हो जैसे तुम्हारी जबरदस्ती शादी करवा दी गई हो । हंटर मार के लग्न मंडप पे बैठा दिया गया हो । कोई प्यार मोहब्बत था ही नही । तो फिर ये आपके प्यारे प्यारे टाबरे ( लड़के और लड़कियां ) कहां से आ गए ।"
" जिस दिन तुम्हारी शादी होगी उस दिन तुम खुद जान जाओगे । जब तुम्हारी शादी भी हमारे जैसे , पुराने जमाने की तरह होगी " - चाची मेरे बगल में बैठते हुए बोली ।
" मेरी शादी आप जैसे किसी हसीना से होती तो मैं अपनी बीवी को चौबिसों घंटा इतना मीठा मीठा बोलता न कि.... इतना मीठा मीठा बोलता न..."
" तो क्या होता ?"
" उसे शुगर हो जाता ।"
" नालायक । हर घड़ी मसखरी करता है "- चाची ने हंसते हुए कहा -" चाय लाऊं ?"
" नहीं । अभी तो नाश्ता किया है । आप ये बताओ कि चाचा ने मोबाइल लाया है कि नहीं ?"
" कहां लाया है । बोलते हैं कि समय नहीं मिला , भुल गया , कल पक्का ही ले आऊंगा । रोज रोज वहीं बहाना ।"
" ओह ! अच्छा चाची क्या चाचा शुरू से ही ऐसे थे न बाद में हुए ।"
" अरे वो शुरू से ही ऐसे थे । तु तो देख ही रहा है ।"
" मैंने तो जब से होश संभाला है तब से ही मैं उन्हें ऐसे ही कठोर और किसी से कोई मतलब नहीं रखने वाला देखा है लेकिन जब आपकी शादी हुई थी तब भी क्या वो ऐसे ही थे ।"
" वो शुरू से ही ऐसे थे । ज्यादा किसी से मतलब नहीं । अपने में ही खोया रहना "- चाची अपने शादी के समय को याद करते हुए बोली " कालेज में खेल कुद में बहुत ही माहिर थे और उन्हें खेलकूद के चलते ही नौकरी भी मिली थी । उन्होंने कई प्रतियोगिताएं भी जीती थी । मेरे मां बाप ने सरकारी नौकरी वाला लड़का देखा और फिर
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