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Incest Sagar (Completed)

Trojan_horse

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बहुत बहुत धन्यवाद भाई ?

स्टोरी में शायद कहीं न कहीं हमारी सोच तो पक्का ही मिलती है ।
आप का अंदाजा बिल्कुल सही था ‌।

आप ने मेरी कहानी को सराहा और इतना हौसला अफजाई किया उसके लिए आप को मेरा हार्दिक अभिनन्दन ।


मैंने इस या ' उस ' फोरम पर जो सबसे बेहतरीन Incest कहानी पढ़ी , वो थी - " और मां चुद गई " । जिसे आपने भी यहां पोस्ट किया है । उस फोरम पर इस कहानी का नाम शायद कुछ और ही था । क्या लाजबाव लिखी गई थी ।

इतना तो मैं भी समझता हूं कि यहां लोग लव स्टोरी , हाॅरर स्टोरी , फेमिली इमोशनल स्टोरी , सस्पेंस थ्रिलर स्टोरी , सामाजिक स्टोरी , और धार्मिक स्टोरी पढ़ने नहीं आते हैं ।

यहां लोग हर अध्याय में सिर्फ और सिर्फ सेक्स पढ़ने आते हैं । लेकिन बिना कहानी के सेक्स कैसा ?

आप को एक बार फिर से धन्यवाद भाई ?
Bhai wo sab thik hai.. lekin Shweta ko villain mat Bana dena???
 

Trojan_horse

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hmmmm!! ye mystery bahut ghehri hai .. aur abhi to filhaal indono ke hisaab se 4 + 1 suspect hai .. magar ye muder jaroori nahi ki ek he vyakti ne kiya ho .. isko anjaam dene waale 1 se jyaada log bhi to ho sakte hai .. aur rahi baat Kulbhushan khanna ki to wo itne paise wala aur khela-khaya aadmi hai .. aur uski pahuch bhi bade logo tak hai .. to wo iss kaam ko anzaam dene ke liye apne haath directly kyo gande karega .. Shveta didi bhi to ho sakti hai .. isko he kyon suspect ki soochi se bahar rakha gaya hai .. isne to bahut he safai se apne liye alibai taiyaar kari hai .. khud maayke mein hai .. bhai ko saaman laane ke liye bheja .. and that particular day ghar mein exact moment par ghar mein laash thi and ek suspect already ghar mein tha ...

isko anzaam dene ke liye shveta aur kulbhushan khanna aapas mein mil bhi to sakte hai .. aur anushka aur Rajesh ko fasane ke liye unke ghar mein Amar ko marva diya .. aur apne hero ko waha us moment par bhej kar ghawah banwa diya .. bas thodi si timing galat ho gayi .. Sheveta ka pati thoda late pahucha ...

hone ko to bahut kuch ho sakta hai .. kya pata koi teesra khiladi iss game mein ho ...

aur ek baat ye sochne wali hai ki Sanjay ji ki shaadi mein unpar jab goli chalayi gayi thi .. kya pata wo goli sanjay par nahi balke apne hero par chalayi gayi ho .. kyon ki uss goli ke direction mein to apna hero bhi tha ...

kya pata Amar aur apne hero ne kuch aisa dekha ho jo inko nahi dekhna chahiye tha .. ya ye koi aisa raaz jaante ho .. jiske kaaran koi indono ko maarna chaahta ho ...

well Versha-ritu ji aapki story to gazab ki hai .. aur isme suspense bhi rongate khade kar dene wala hai .. aur baate bhi ...
Ye Shweta or kulbhushan ka sath hona kafi strong point hai... Ye bate kafi kuchh indicate karta hai.. jese ki kulbhusan ko anushaka ke sambandh Rajiv se hona or Shweta ko v ye pata chal gya hoga ki uske pati ka sambandh kisi dusri ladki ke sath hai or wo ye baat pacha nahi pai hogi or wo kulbhushan ke physical ho gai hogi.. or ye kulbhushan or Shweta ke physical relation ke bare me amar ko pata chal gaya hoga... Or isi ko lekar sweta ne kulbhushan ke sath milke amar ko marwa diya ho...or mujhe lagta hai ye charo parter swaping karte honge... Or ye baat amar ko pata chal gaya hoga islie charo ne milke marwa diya ho lekin anushka ka wahan maujud hona ise galat sabit karta hai
 

Desi Addy

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Ye Shweta or kulbhushan ka sath hona kafi strong point hai... Ye bate kafi kuchh indicate karta hai.. jese ki kulbhusan ko anushaka ke sambandh Rajiv se hona or Shweta ko v ye pata chal gya hoga ki uske pati ka sambandh kisi dusri ladki ke sath hai or wo ye baat pacha nahi pai hogi or wo kulbhushan ke physical ho gai hogi.. or ye kulbhushan or Shweta ke physical relation ke bare me amar ko pata chal gaya hoga... Or isi ko lekar sweta ne kulbhushan ke sath milke amar ko marwa diya ho...or mujhe lagta hai ye charo parter swaping karte honge... Or ye baat amar ko pata chal gaya hoga islie charo ne milke marwa diya ho lekin anushka ka wahan maujud hona ise galat sabit karta hai
Ye Shweta or kulbhushan ka sath hona kafi strong point hai... Ye bate kafi kuchh indicate karta hai.. jese ki kulbhusan ko anushaka ke sambandh Rajiv se hona or Shweta ko v ye pata chal gya hoga ki uske pati ka sambandh kisi dusri ladki ke sath hai or wo ye baat pacha nahi pai hogi or wo kulbhushan ke physical ho gai hogi.. or ye kulbhushan or Shweta ke physical relation ke bare me amar ko pata chal gaya hoga... Or isi ko lekar sweta ne kulbhushan ke sath milke amar ko marwa diya ho...or mujhe lagta hai ye charo parter swaping karte honge... Or ye baat amar ko pata chal gaya hoga islie charo ne milke marwa diya ho lekin anushka ka wahan maujud hona ise galat sabit karta hai
Bhai chachi bhi to hai Jo tabiyat kharab bolkar nikal gayi aur usi din mobile bhi chori hua aisa boli thi
 

Unique star

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टाइम तो मिला तो नाइटी गुम होने के बाद के आज सारे अपडेट पढ़े, रितु का दिमाग तो बहुत तेज निकला, ये मेरी पसंदीदा कहानियों में से एक है जो मैं पढ़ रहा हूं, इंसेस्ट, एडल्ट्री, एक्शन, थ्रिलर, सस्पेंस सब कुछ हैं।
 

amita

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शाम को चार बजे मैं उठा और अपने कमरे से बाहर निकला ।

बाहर निकलते ही मैंने छत पर एक साइड में रीतु को फोन पर बातें करते हुए पाया ।

उसने निगाह उठा कर मेरी तरफ देखा और फिर जानबूझ कर स्वर ऊंचा करते हुए बोली - " मैं तुझे फिर फोन करती हूं , महेश , अभी मेरे भैय्याया आ गये हैं ।"

उसके भैय्याया कहने से ही मैं समझ गया कि फोन पर कोई महेश नहीं था ।

मैं उसके सामने जा खड़ा हुआ ।

उसने बड़ी अदा से मुझे देखा ।

" महेश ।" - मैं उसे घुरता हुआ बोला ।

" यस भैयया ।" - वो पलक झपकते बोली ।

" कौन है ये महेश ?"

" मेरा ब्वायफ़्रेंड है ।"

" वो तो सुरेश है ना ।"

" वो प्रीलंच ब्वायफ़्रेंड है । ये पोस्टलंच ब्वायफ़्रेंड है ।"

" क्या मतलब ?"

" भुल गए... मेरी कालेज... वो लड़की मधुमिता... लड़कियों का ब्वायफ़्रेंड...घर से निकलते समय...घर आते समय ।

" ऐसे टोटल कितने हैं ?"

" ज्यादा नहीं है । आपकी बहनजियों से कम है ।"

" लिस्ट में मेरा नम्बर कौन सा है ?"

" आप का लिस्ट में क्या काम ?"

" क्यों नहीं काम ?"

" आप ब्वायफ़्रेंड कैसे हो सकते हो ? आप तो भैय्या हैं ।"

" भैय्या ब्वायफ़्रेंड नहीं हो सकता ?"

" नहीं हो सकता । ब्वायफ़्रेंड तो खास होता है , भैय्या तो खडुस , हमेशा अपना हुकुम चलाने वाला , बात बात में नुक्ता चीनी निकालने वाला और वाइफोकल्स लगाता है ।"

" मैं तुझे ऐसा दिखाई देता हूं ?"

" अभी नहीं ।"

" यानी देर सबेर तो वैसा बन के रहूंगा ।"

वो हंसी ।

" भीतर आ , तेरे से एक बात करनी है ।"

मैं अपने कमरे में प्रवेश किया और बिस्तर पर बैठ गया ‌।

मेरे पीछे पीछे वो भी वहां पहुंच गई ।

" बैठ ।"

उसकी भवें उठी ।

" अरे बिस्तर पर , कुर्सी पर , कहीं भी बैठ मेरी मां ।"

वो मेरे सामने बिस्तर पर बैठ गई ।

" बोल बेटा ।"

मेरी हंसी छुट गई ।

वो भी हंसने लगी ।

फिर हम दोनों संजीदा हुए ।

" रीतु " - मैं बोला -" अमर..मेरा दोस्त जिसका मर्डर हो गया था , उसको तु जानती ही हैं - मैं चाहता हूं कि तु पुरी बात सुन और फिर मुझे कोई सजेशन दे ।"

" वो तो ठीक है लेकिन पहले ये बताओ कि मेरी पाकेट मनी कहा है ।"

" अरे ! ले लेना । पहले सेनसियर हो के मेरी बात सुन ।

" सुन रही हूं ।"


मैंने एक सिगरेट सुलगा लिया और धीरे धीरे तफसील से तमाम वाकयात वयान किया ।

आखिरकार मै खामोश हुआ और प्रश्नसूचक निगाहों से उसकी तरफ देखा ।

" एक सिगरेट मुझे दीजिए ।" - वो बोली ।

" क्या ?"

" सोचने के लिए ।"

" तु सिगरेट पियेगी ?"

" खाऊंगी । आप दीजिए तो सही ।"

मैंने भुनभुनाते हुए अपना क्लासिक का पैकेट और लाइटर उस के सामने फेंका ।

उसने पैकेट से एक सिगरेट निकाला , लेकिन लाइटर की तरफ हाथ न लगाया । उसने सिगरेट को होंठों के करीब ले जाकर - लेकिन होंठों से लगाकर नहीं - नथुनों से धुआं निकालने का अभियान किया ।

" तो राजीव जीजू का अनुष्का नाम की औरत से अफेयर है । बेचारी श्वेता दी का फिर क्या होगा ? वो तो बेचारी टुट ही जाएंगी ।"

" मैंने अभी तो सारी बातें बताई । राजीव जीजू का अनुष्का के साथ मोहब्बत सिर्फ जिस्मानी है और इसके चलते उन दोनों की शादी पर कोई असर नहीं पड़ेगा । तु दिमाग केन्द्रित कर क़ातिल ढुढने में ।"

" आप की सारी स्टोरी सुनने के बाद क़ातिल होने का शक पांच लोगों पर जाता है ।"

" कौन कौन ?"

" पहला शक अनुष्का पर जाता है । दुसरा उसके पति कुलभूषण खन्ना पर । और तिसरा जीजू पर ।"

" और बाकी दो ?"

" चौथा आप पर ।"

" क्या बक रही है ?"

" हम केस से सम्बंधित यदि हर किसी को शामिल करें तो उसमें आप भी आते हैं । और आप को यदि बाद कर दिया जाय तो सिर्फ चार बचते हैं ।"

" चौथा कौन ?"

" आप शायद उस गुमनाम व्यक्ति को भुल गए हैं जिसने पुलिस को पब्लिक बुथ से वारदात की सूचना दी थी ।"

" ओके । तो हमारे पास चार सस्पेक्ट है । अब तु बारी बारी से उनके बारे में डिस्कसन कर ।"

" सबसे पहले अनुष्का के बारे में बात करते हैं ।"

" बोल ।"

" मर्डर पुलिस के डाक्टर के अनुसार सुबह दस बजे से लेकर साढ़े ग्यारह बजे के बीच में हुआ है । ठीक ।"

" हां ।"

" और अनुष्का मर्डर के वक्त मौका ए वारदात पर मौजूद थी । खुद उसी के बयान के अनुसार वो वहां अधिक देर तक रूकी थी । इसलिए उसके पास मर्डर करने का भरपूर मौका था ।"

" बिल्कुल सही लेकिन खुन करने का मकसद क्या था ?"

" यही चीज तो इसके पक्ष में जा रही है । लेकिन मर्डर विपन तक इसकी पहूंच तो शर्तिया थी । इसके हसबैंड के पास वही रिवाल्वर है जिस तरह की रिवाल्वर से अमर का खून हुआ था ।"

" ३६ कैलिवर का रिवाल्वर । और उनके रिवाल्वर से कारतूस भी कम पाया गया था ।"

" इसका मतलब यह हुआ कि अनुष्का के पास वारदात को अंजाम देने के लिए मौका भी था और मर्डर करने के लिए हथियार भी । लेकिन मर्डर करने का कारण , वजह अभी क्लियर नहीं है ।"

" हूं । अब उसके पति कुलभूषण खन्ना की बारे में बोल ।"

" कुलभूषण खन्ना के पास मर्डर करने के लिए वजह भी है और हथियार भी उपलब्ध है ।"

" क्या वजह है ?"

" वो अपनी बीवी से बहुत प्यार करता है । जब उसे अपनी बीवी की बेवफ़ाई के बारे में पता चला तो वो अपना आपा खो दिया और उसकी जासूसी करते करते जीजू के फ्लेट में पहूंच गया । वहां उसने अपनी बीवी को अमर के बाहों में देखा और गुस्से में अमर पर गोली चला दी ।"

" लेकिन अमर पर क्यों ? अनुष्का की आशनाई तो जीजू के साथ थी । अगर उसे मारना होता तो जीजू को मारता । अमर को क्यों ?"

" क्यों अनुष्का की आशनाई जब जीजू से हो सकती है तो अमर से क्यों नहीं । क्या अमर भगवान राम था , क्या वो लड़कियों के मामले में कोई महात्मा था । ये तो आप मुझसे बेहतर जानते होंगे ।"

" लेकिन ये बात अभी सामने कहां आई है कि अनुष्का का सम्बन्ध अमर से भी था । और मान लिया उन दोनों के बीच आपस में एक गहरा सम्बन्ध था लेकिन आशनाई करने के लिए उन्हें जीजू का ही घर मिला था । वे और भी कहीं मिल सकते थे । जीजू के घर ही क्यों ?"

" ये तो सभी को पता है कि श्वेता दी कई दिनों से यहां अपने मायके में है और जीजू दिन के वक्त अपने आफिस में होते हैं । और आपने ही कहा था कि फ्लेट की एक चाबी अनुष्का के पास भी रहती है । और यहां दिल्ली से गाजियाबाद जाने में ट्रेन से समय ही कितना लगता है ।"

" लेकिन उस दिन अनुष्का की डेट जीजू के साथ थी । और उसी लिए जीजू ने उस दिन आफिस से छुट्टी लेकर घर आ गए थे । अगर अनुष्का की डेट उस दिन पहले से ही फिक्स थी तो भला वो क्यों कर अजय के साथ उसी फ्लेट में जाएगी ।"

" कुछ न कुछ तो है जो अभी दिखाई नहीं दे रहा है लेकिन भले ही अभी कुलभूषण खन्ना के क़ातिल होने की वजह नहीं दिख रही हो पर हथियार तो उसके पास भी है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जिस समय कतल हुआ था उस वक्त के लिए उसके पास कोई एलीबाई , कोई गवाह नहीं है । वो कहता है कि उस वक्त वो अपने घर पर था लेकिन कौन जानता है कि वो अपने घर पर ही था या वहां से दुर गाजियाबाद में ।

" ओके । अब जीजू के बारे में बता ?"

" जीजू के पास भी कत्ल करने का मौका हासिल था ।"

" कैसे ?"

" जीजू ने पुलिस को दिए बयान में कहा कि वो उस वक्त दिल्ली से अपने घर बाइ कार लौट रहे थे । उन्हें वहां से अपने घर तक आते-आते अढ़ाई घंटे लग गए । "

" हां ।"

" कौन कहता है ?"

" क्या मतलब ?"

" ये तो जीजू कह रहे हैं न । हो सकता है कि वो बहुत पहले ही आ गये हों ।"

" और ?"

" और उन्होंने अनुष्का को अमर की बाहों में देखा और गुस्से में अमर का खून कर दिया ।"

" लेकिन हथियार... हथियार कहां से आया ?"

" हथियार कौन सी बड़ी बात है । कहीं से जुगाड़ कर लिया होगा ।"

" ओके । अब वो चौथा खबरी ?"

" जिस ने पुलिस को सूचना दी थी क्या वो मर्द था ?"

" हां ।"

" उसे कैसे पता कि इग्जेक्ट जीजू के ही फ्लेट में खून हुआ है ? आप सबसे पहले तो ये बताओ कि उस आदमी ने पुलिस को क्या कहा था ?"

" मतलब ?"

" मतलब ये कि उसने पुलिस को पब्लिक बुथ से क्या कहा था ? कि उसने जीजू के फ्लेट में किसी गोली चलने की आवाज सुनी है या किसी का खून होते हुए देखा है या किसी झगड़े या मारपीट का अंदेशा हुआ है ?"

" ये तो मुझे नहीं पता ।" मैंने निराश होकर कहा ।

" तो ये भी तो हो सकता है कि उस गुमनाम खबरी ने ही अमर का खून किया हो और चूंकि उसने खून किया है तो उसे बखूबी पता होगा कि उसने खून कब किया है और किसी खास समय का इंतजार किया और फिर उसने पुलिस को फोन करके बताया ।"

" किस खास समय का ?"

" उस खास समय का जब फ्लेट के अन्दर अनुष्का मौजूद पाई जाय या उस खास समय का जब आप फ्लेट के अन्दर पाए जाय ।"

मेरी आंखें चौड़ी हो गई ।

" तुम्हारे कहने का मतलब है कि उसने पहले अमर का खून किया फिर अनुष्का या फिर मुझे उस खून के इल्ज़ाम में फंसाने के लिए पुलिस को इन्फोर्मे किया ।

नेक्स्ट रात तक ।
Superb
 

amita

Well-Known Member
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" हां ।" - रीतु ने विश्वास के साथ कहा ।

" लेकिन कौन ? और यदि वो मुझे या अनुष्का को फंसाना चाहता था तो क्यों ? इससे उसको क्या हासिल होता ?"

" ये तो अभी तहकीकात की विषय है । अच्छा ! एक बात बताओ ? जीजू के फ्लेट का पुलिस ने फिंगरप्रिंट तो लिया होगा ?"

" हां । वहां कुल सात लोगों का फिंगर कहो या फुट प्रिंट मिला है । जिनमें जीजू , श्वेता दी , अमर , अनुष्का और मेरा मिल चुका है लेकिन बाकी के दो का मिलान अभी तक नहीं हो पाया है ।"

" जिन दो लोगों का मिलान अभी तक नहीं हो पाया है उनमें एक तो वो खबरी भी हो सकता है ।"

" हो सकता है ।"

" अमर की मोबाइल कहां है ?"

मैं चौंका । मैं तो अमर के मोबाइल के बारे में भुल ही गया था ‌।

" ये तो मेरे दिमाग से ही उतर गया था । मैंने इसके बारे में पुलिस से पूछा ही नहीं ।"- मैंने खेद पूर्वक कहा ।

" कोई बात नहीं । इस बार पुछ लेना और अमर की मम्मी से भी ।"

" अच्छा एक बात बता आगरा में संजय जी के उपर जो हमला हुआ था , क्या उसका भी अमर के कत्ल से कुछ सम्बन्ध हो सकता है ?"

" मुझे वहां की सारी बातें फिर से बताओ ।"

मैंने आगरा में रिसेप्शन में हुई सारी बातें बताई लेकिन श्वेता दी और मेरे बीच हुई सेक्स को छुपा लिया ।

" तुझे क्या लगता है संजय जी के उपर हमला का इस केस से कोई सम्बन्ध है ?"

" आप को लगता है कि वहां किसी ने संजय जी पर गोली चलाई और उन्हें जान से मारने का प्रयत्न किया ।"

" हां ।"

" लेकिन मुझे तो कुछ और ही लग रहा है ।"

" क्या ?"

" मुझे तो लगता है कि वहां संजय जी पर नहीं बल्कि आप पर गोली चलाई गई है । उस गोली का शिकार संजय जी नहीं बल्कि आप होने वाले थे ‌।"

मैं सकपकाया.... फिर हड़बड़ाया ।

" क्या बोल रही है ?"

" जब गोली चलाई गई तब स्टेज पर संजय जी के ठीक आगे आप खड़ थे । मतलब संजय जी आप के ओट में खड़े थे । आप ने संजय जी के चश्मे के प्रतिबिंब से अपनी तरफ तनी हुई रिवाल्वर देखी । आप ने कुद कर ये निष्कर्ष निकाला कि कोई संजय जी को मारना चाहता है लेकिन वो गोली उन्हें कैसे लगती । वो तो आप की कवर में थे । यदि आप संजय जी को लिए जमीन पर नहीं गिरते तो गोली आपने लगनी थी ना कि संजय जी को ।"

मैं भौंचक्का आंखें फाड़े चुपचाप उसे देखता रहा । मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि किसी ने मुझे आगरा में मारने की कोशिश की थी ।

मैं प्रशंसा भरी नजरों से उसे देखा ।

" तब तो इसका मतलब यही लग रहा है कि दोनों घटनाएं आपस में जुड़ी हुई है " - मैंने कहा ।

" हो सकता है और नहीं भी हो सकता है ।"

मैं कुछ देर तक सोचता रहा ।

" भाई " - रीतु चिन्तित भरे स्वर से बोली -" कहीं आप ने कुछ ऐसी वैसी हरकत तो नहीं न कर दी जिससे कोई आप के जान का प्यासा हो गया हो ।"

" अरे नहीं नहीं । मैंने कोई भी ऐसी वैसी हरकत नहीं की हैं । "

" तो फिर ये सब क्या है ? क्यों कोई आप के जान के पीछे पड़ा है ?"

" यही तो समझ में नहीं आ रहा है । जरूर कोई किसी के मुगालते में मेरे पीछे पड़ गया है । मैं एक काम करता हूं परसो रविवार है , उस दिन श्वेता दी और जीजू यहां शिफ्ट होने वाले हैं , मैं उस दिन वही चला जाता हूं और पुलिस से भी मिल लुंगा और उनसे ये सारी बातें डिसकस कर लुंगा ।"

" हूं , ये सही रहेगा और आप एक काम और करना ।"

" क्या ?"

" एक बार अपने बुद्धि से श्वेता दी के फ्लेट की छानबीन भी कर लेना । वैसे तो पुलिस पहले छानबीन कर चुकी है लेकिन आप एक बार खुद बड़ी बारीकी से जांच लेना । हो सकता है आप को कुछ ऐसा दिख जाए जो पुलिस को न दिखी हो और यदि दिखी भी हो तो उन्हें वो महत्वपूर्ण जैसी ना लगी हो । वो कहते है न कि मुजरिम कितना भी होशियार क्यों न हो मगर अपने जुर्म की निशानी कहीं ना कहीं छोड़ ही जाता है ।"

" एक महिना के आसपास हो गया , क्या इतने दिनों तक कुछ निशानी या क्लू बची भी होंगी । इतने दिनों में तो कितनों बार बाथरूम ही नहीं बल्कि पुरे घर की साफ-सफाई हो गई होगी ।"

" फिर भी आप देखना जरूर ।"

" जरूर देखूंगा "- मैंने कहा -" अमर का कत्ल ३६ कैलिवर के रिवाल्वर से हुआ है । तु कहती है कि काजल के डैड के पास भी रिवाल्वर है । क्या तुने वो रिवाल्वर देखी है ? क्या वो ३६ कैलिवर की रिवाल्वर है ?"

" काजल के डैड के पास रिवाल्वर तो है लेकिन वो कौन सी रिवाल्वर है , ये मुझे नहीं पता । मुझे रिवाल्वर की किसी भी क्वालिटी के बारे जानकारी नहीं है ।"

मैं कुछ नहीं बोला ।

" क्या आप को काजल के डैड पर शक है ?"

" नहीं । मैं बस जानकारी के लिए पुछ रहा था - मैंने कहा -" लेकिन दिल्ली जैसे शहर में गन का लाइसेंस मिलना बड़ी मुश्किल काम है , जबकि यहां हम देख रहे हैं कि जो तो गन लिए घुम रहा है ।

" गन होना बड़ी बात तो है ही , लेकिन उसे हैंडल करना भी बड़ी बात है । इतना भी आसान नहीं है कि हर कोई गन से टारगेट कर सके । जिस तरह से अमर के सीने में बिल्कुल दिल के करीब गोली मारी गई थी और जैसा कि आगरा में हुआ था उससे तो यही लगता है कि वो आदमी बहुत अच्छी तरह से गन हैंडल करता है । "

" हां । बिल्कुल परफेक्ट निशाना साधा था , वो तो किस्मत अच्छी थी कि मैंने चश्मे में देख लिया ।"

" भाई मुझे बहुत डर लग रहा है । आप प्लीज सावधानी से रहिएगा ।" - वो भावुक होकर बोली ‌।

" अरे क्यों चिंता करती है , कुछ नहीं होगा मुझे । मुझे मरना होता तो मैं उसी दिन मर गया होता । मेरा ग्रहण खतम हो गया है और अब से उस मादरचोद का ग्रहण शुरू होने वाला है । " - मैंने शुष्क लहजे में कहा ।

" आप पुलिस प्रोटेक्शन क्यों नहीं ले लेते ।"

" पुलिस जिस तिस को प्रोटेक्शन थोड़ी न दे देती है । और क्या कहेंगे पुलिस से ? अभी हमने जो भी डिस्कसन किया है वो तो हमारी इमेजिनेशन है । और वैसे भी तुझे इतना भी डरने की जरूरत नहीं है । कोई धोखे से कुछ कर दे तो बात अलग है । वैसे यु नो....आयम मार्शल आर्ट्स एंड ब्लेक बेल्ट होल्डर । पांच सात से तो ऐसे ही निपट लुंगा ।"

वो कुछ बोली नहीं , सिर्फ आगे बढ़कर मेरी गले लग गई । मैंने भी उसे अपने बाहों में कस लिया । थोड़ी देर हम ऐसे ही पड़े रहे फिर वो मुझसे अलग हो गई और बोली - " तो अब आप क्या करोगे ?"

" करूंगा ना । कुछ ना कुछ तो जरूर करूंगा । पहले इंस्पेक्टर कोठारी से मिलता हूं फिर बाद की प्लानिंग करेंगे ।"

" फिर भी क्या सोचे हो ?"

" सभी की जन्म कुंडली निकालूंगा , फिर देखते हैं ।"

वो कुछ नहीं बोली ।

अचानक मुझे कुछ याद आया ।

" चाची की मोबाइल भी चोरी हो गई है ।"

" क्या ? कब ?"- वो चौंकते हुए बोली ।

" जिस दिन उर्वशी की शादी थी । "

" और उसी दिन सुबह अजय का खून हुआ था "- वो अचरज भरे स्वर में बोली ।

" हां । "

" क्या इसका भी ताल्लुक इस केस से है ?" - वो प्रश्न सूचक दृष्टि डालते हुए बोली ।

" कह नहीं सकता । हो सकता है कि ये एक इत्तफाक हो । लेकिन अभी जैसी परिस्थितियां हैं उसमें किसी भी बात को नजरंदाज नहीं किया जा सकता ।"

मैंने कुछ देर तक सोचा फिर बोला -" जिस दिन अमर का कतल और रात में उर्वशी का शादी होना था , उस दिन यहां की कंडीशन कैसी थी । मतलब हमारे घर में । चाची के घर में ।"

" जहां तक मुझे याद है आप सुबह दस बजे डैड की कार लेकर यहां से श्वेता दी के घर जाने के लिए निकल गये थे । और आपसे पहले ही डैड आफिस के लिए निकल गये थे। मैं उस दिन कालेज नहीं गई थी , दिन भर घर पर ही थी । आपके निकलने के आधे घंटे बाद चाची और श्वेता दी आ गई थी । फिर माॅम , चाची , श्वेता दी और मैं गप शप करने लगे । "

" कैसी गप शप ?"

" खास कुछ नहीं , औरतों वाली बात । फिर करीब आधे घंटे बाद ही चाची चली गई । "

" क्यों ?"

" बोली तबीयत थोड़ी ठीक नहीं है ।"

" हूं , फिर ?"

" फिर चाची के जाने के पौन घंटे बाद श्वेता दी भी चली गई । बोली ब्यूटी पार्लर जाना है । क्योंकि उस दिन उनकी सहेली उर्वशी की शादी जो थी ।"

" और चाचा , राहुल ?"

" राहुल तो अपने स्कूल में था और चाचा ड्यूटी पर ।"

" चल ठीक है " - मैंने घड़ी में टाईम देखते हुए कहा -" मेरा क्लब जाने का टाइम हो गया है , निकलता हूं अब ।"

" दो मिनट रुक जाओ मैं चाय बना देती हूं ।"

मैंने हां में सर हिलाया । वो नीचे चली गई । उसके जाने के बाद बाथरूम में जाकर हाथ मुंह धोया फिर नीचे हाल में जाकर सोफे पर बैठ गया । माॅम अभी अपने कमरे से बाहर नहीं निकली थी ।

चाय पीकर अपनी बाइक से क्लब निकल गया ।

शाम को साढ़े सात बजे जब मैं घर आया तब सभी मतलब डैड , माॅम और रीतु को हाल में बैठे गहन मुद्रा में विचार विमर्श करते हुए पाया ।

" क्या बात है ? सभी इतने गम्भीर क्यों बैठे हैं ?"- मैंने डैड की तरफ देखते हुए कहा ।

" तुमने दिन में रीतु से जो बातें की थी , उन्हीं को लेकर चर्चा हो रही है ।" - डैड ने चिन्तित हो कर कहा ।

" भाई " - रीतु बोली - " मैंने सारी बातें माॅम डैड को बता दी है ।"

" तुमने हमें ये सब पहले क्यों नहीं बताया ?" - डैड ने कहा ।

" आप सभी को सारी बातें तो पता ही थी । अमर के मर्डर केस के बारे में आप सब जानते ही हैं । और आगरा में जो हुआ था , वो भी मैंने माॅम को बताया था " - मैंने माॅम की तरफ देखते हुए कहा -" क्यों माॅम बताया था न ?"

" हां बताया था " - माॅम ने कहा -" लेकिन ये थोड़ी न बताया था कि वहां तुझे मारने की कोशिश की गई थी ।"

" अरे माॅम , मुझे भी कहां पता था कि वहां मुझे मारने के लिए कोशिश की गई थी। रीतु से बात करने से पहले मैं भी यही समझता था कि वहां संजय जी को मारने के लिए गोली चलाई गई थी ।"

" भाई सही बोल रहे हैं माॅम " - रीतु ने कहा - " मैंने बताया तो था आप लोगों को सारी बातें जो भाई और मेरे बीच में हुई थी ।"

" है कौन वो जो तुम्हारे पीछे पड़ा है ।" - डैड ने कहा ।

" मैं " - रीतु ने कहा - " चाय बना के ले आती हूं ।"

रीतु किचन चली गई ।

मैं , डैड और माॅम के साथ - जो बातें दिन में रीतु के साथ हुई थी - वही सब बातें होने लगी ।

रीतु के आने के बाद भी वही सब चर्चा होती रही ।

डिनर का समय हो गया था । हमने एक साथ डिनर किया ।

मैंने डिनर के वक्त सबको समझाया कि ये सारी बातें हमारे बीच में ही रहनी चाहिए । कोई भी किसी को इसके बारे में किसी को नहीं बतायेगा । सभी ने मेरी राय से सहमति जताई ।

डिनर के पश्चात सभी अपने अपने कमरे में चले गए । मैं भी अपने रूम में जाकर कपड़े वगैरह चेंज कर के बिस्तर पर लेट गया ।

रीतु के बातों ने मुझे झकझोर के रख दिया था ।

कौन है वो जो मुझे मारना चाहता है ?

कौन है वो जो मुझे अमर के कतल में फंसाना चाहता है ?

आखिर मैंने ऐसा किया क्या है ?

कौन है जो मेरा इतना बड़ा दुश्मन बना बैठा है ?

अमर ने क्या किया था कि उसे जान से हाथ धोना पड़ा ।

अगर हमने कुछ ग़लत भी किया था तो वो सिर्फ और सिर्फ सेक्स ।

लेकिन सेक्स भी किया तो किसी को दबाव देकर नहीं बल्कि उन युवतियों के रजामंदी से । कभी सपने में भी जबरदस्ती का ख्याल नहीं आया ।

क्या अमर का अनुष्का के साथ सच में रिलेशनशिप था ‌।

लेकिन यदि अमर की रिलेशनशिप अनुष्का के साथ थी भी तो फिर मैं टारगेट क्यों ।

सिर्फ एक युवती थी जिसके साथ मैंने और अजय ने एकसाथ सेक्सुअल रिलेशनशिप बनाया था लेकिन वो भी कई साल पहले । शायद चार साल हो गए होंगे । लेकिन हमने कोई जबरदस्ती तो नहीं की थी बल्कि उसी की इच्छा थी कि थ्रीसम करने की ।

तो फिर आखिर में अजय और मेरा कौन ऐसा काॅमन शख्स है जो हमें दुश्मन समझता है ।

कौन है वो चौथा आदमी जिसने पुलिस को अमर के खून होने की सूचना दी ।

कौन है वो खबरी ।

मैंने काजल को कहा था कि रात में चैटिंग करेंगे लेकिन इन परिस्थितियों में में खुद ही टेंशन से भरा हुआ था । मैंने काजल को एक मैसेज कर दिया ।

और मैं घंटों सोचते सोचते समय गुजार दिया ।
Bahut badhiya
 
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Update 19.


सुबह नौ बजे नाश्ते के बाद मैं अपनी बाइक लिए चाचा के घर गया । चाची ने कल मुझे नया मोबाइल लाने के लिए कहा था । दरवाजा बंद था । मैंने बेल बजाईं ।

चाचा ने दरवाजा खोला । मैं आश्चर्यचकित हुआ । उन्हें तो ड्यूटी पर होना चाहिए था , ये अभी तक घर पर क्या कर रहे हैं ?

मेरे चाचा जिनका नाम रमेश था , अडतालीस वरषिय करीब दुबले-पतले शख्स जो कि एक नम्बर के खड़ूस और निहायत ही हाट टेम्पर माइंडेड आदमी । एक नम्बर के जेलेसी मैन । जहां मेरे डैड एक सोवर और मिलनसार व्यक्ति थे वहीं चाचा रिजर्व और जलनखोर टाइप के आदमी थे । मैंने शायद ही इन्हें कभी हंसते हुए देखा हो ।

चाचा ने मुझे घुरते हुए कहा -" क्या है ?"

" चाची ने बुलाया था ।" मैंने कहा ।

" किस लिए ?"

" डाइवोर्स के लिए ।"

" क्या मतलब "- वो चौंकते हुए बोले ।

तभी चाची आ गई । वो इस वक्त साड़ी पहनी हुई थी । वो मुझे देखते हैं बोली ।

" अरे सागर बेटा , आओ आओ ।"

" ये क्या कह रहा है ? किसका डाइवोर्स है ?"

" डाइवोर्स " चाची ने चौंकते हुए कहा -" किसका डाइवोर्स ?"

चाचा ने मुझे गुस्से से देखा -" किसका डाइवोर्स ?"

" चाचा मेरे एक दोस्त की मम्मी है , वो अपने पति के रोज के किच किच से परेशान होकर डाइवोर्स लेना चाहती है । वो मुझे किसी काबिल वकील के बारे में पुछ रही थी । मैंने चाची को कहा था इसके बारे में तो इन्होंने कहा था कि कल आना बात करेंगे ।"

चाचा ने मुड़कर चाची को देखा ।

" अरे हां , मैं तो भुल ही गयी थी । कल सागर ने बताया था "- चाची ने बात संभालते हुए कहा ।

मेरा तात श्री इतना भी अक्ल का कोल्हू नहीं था जो इस ब्यंग्य को समझ नहीं रहा था ।

मैं निकल रहा हूं " - चाचा ने मुझे अपने आंखों से भस्म करते हुए नजरों से देख कर बोला - " थोड़ा पढ़ाई-लिखाई पर भी ध्यान दो , ऐसी चीजें पर दिमाग लगाओगे तो जिन्दगी भर भीख मांगते फिरोगे ।"

बोलकर चाचा बाहर निकल गया ।

" उफ़ चाची ! क्या खा के पैदा की थी ऐसे हसबैंड को " - मैं लम्बी सांसें लेते हुए सोफे पर ढेर हो गया ।

" नालायक कहीं का.... मैंने पैदा किया था या तेरी दादी ने । और पैदा किया तो किया ले आके मेरे ही पल्लू से बांध दिया "- चाची ने मेन दरवाजा बंद करते हुए कहा ।

" तुम तो ऐसे कह रही हो जैसे तुम्हारी जबरदस्ती शादी करवा दी गई हो । हंटर मार के लग्न मंडप पे बैठा दिया गया हो । कोई प्यार मोहब्बत था ही नही । तो फिर ये आपके प्यारे प्यारे टाबरे ( लड़के और लड़कियां ) कहां से आ गए ।"

" जिस दिन तुम्हारी शादी होगी उस दिन तुम खुद जान जाओगे । जब तुम्हारी शादी भी हमारे जैसे , पुराने जमाने की तरह होगी " - चाची मेरे बगल में बैठते हुए बोली ।

" मेरी शादी आप जैसे किसी हसीना से होती तो मैं अपनी बीवी को चौबिसों घंटा इतना मीठा मीठा बोलता न कि.... इतना मीठा मीठा बोलता न..."

" तो क्या होता ?"

" उसे शुगर हो जाता ।"

" नालायक । हर घड़ी मसखरी करता है "- चाची ने हंसते हुए कहा -" चाय लाऊं ?"

" नहीं । अभी तो नाश्ता किया है । आप ये बताओ कि चाचा ने मोबाइल लाया है कि नहीं ?"

" कहां लाया है । बोलते हैं कि समय नहीं मिला , भुल गया , कल पक्का ही ले आऊंगा । रोज रोज वहीं बहाना ।"

" ओह ! अच्छा चाची क्या चाचा शुरू से ही ऐसे थे न बाद में हुए ।"

" अरे वो शुरू से ही ऐसे थे । तु तो देख ही रहा है ।"

" मैंने तो जब से होश संभाला है तब से ही मैं उन्हें ऐसे ही कठोर और किसी से कोई मतलब नहीं रखने वाला देखा है लेकिन जब आपकी शादी हुई थी तब भी क्या वो ऐसे ही थे ।"

" वो शुरू से ही ऐसे थे । ज्यादा किसी से मतलब नहीं । अपने में ही खोया रहना "- चाची अपने शादी के समय को याद करते हुए बोली " कालेज में खेल कुद में बहुत ही माहिर थे और उन्हें खेलकूद के चलते ही नौकरी भी मिली थी । उन्होंने कई प्रतियोगिताएं भी जीती थी । मेरे मां बाप ने सरकारी नौकरी वाला लड़का देखा और फिर
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