फ़ायरफ़ॉक्स भाई.... बहुत बहुत आभार । ?
मैं आपको इस फोरम पर कई सालों से जानता हूं कि आप एक बहुत ही उम्दा किस्म के क्रिटिक है और एक बार फिर ये बात साबित हो गई ।
असहमति , मतभेद , वैचारिक भिन्नता , वाद विवाद आदि की हमारे यहां एक मजबूत परम्परा है और ये आवश्यक भी है ।
जैसे कि मैंने पहले कहा था कि ये मेरा प्रथम प्रयास है कहानी लिखने का । यदि इस कहानी को निबंध के तौर पर लिखता तो शायद हर किरदार की हरकतें पाठकों को प्रत्यक्ष रूप से दृष्टिगोचर होती । लेकिन ये कहानी निबंध से अधिक " संवाद " के माध्यम से अधिक चल रही है और वो भी कहानी के मुख्य नायक " सागर " के नजरिए से ।
जहां जहां सागर है कैमरे का फोकस वहीं है ।
अतः आपके कई सवालों का जवाब तो इस मैसेज से ही मिल जाना चाहिए । कौन कहां है ? कौन क्या कर रहा है ? कौन क्या सोच रहा है ? ये सब नायक को थोड़ी न पता है ।
वो एक आम बन्दा है जो मस्ती करता है , इनसेस्ट सोच रखता है , काम के लिए समर्पित है और अभी हालात के मारे अपने दोस्त के क़ातिल का पता लगाने की कोशिश कर रहा है ।
अमर की फेमिली के बारे में मैंने पहले ही बताया था कि उन मां बेटे के अलावा उनका दुनिया में और कोई भी नहीं है ।
अमर की मम्मी सागर को अपने बेटे के समान ही प्यार करती है । अमर के मरने के बाद वो सागर पर अधिक निर्भर है । उसे सागर पर अटूट विश्वास है इसलिए उसके किसी भी बात या फैसले से एतराज नहीं है । राजीव और श्वेता के अपने घर पर पनाह देने से भी उसे आपत्ति नहीं है । वैसे राजीव अभी तक अपराधी साबित नहीं हुआ है ।
कुलभूषण एक उम्रदराज आदमी है जिसने एक हुर , अपने से लगभग आधे उम्र की लड़की से शादी किया है । और अपनी बीवी के बेवफाई जानने के बाद भी अपनी बीवी से न पुछ कर सागर से वाद विवाद किया जिसके फलस्वरूप सागर को उसके मनोस्थिति का आभास हुआ और सागर को यह पता लगा कि वो अपनी बीवी को उसके बेवफाई के बावजूद भी बहुत प्यार करता है । शायद अब इस उम्र में वो अपनी बीवी खोना नहीं चाहता ।
श्वेता भी कौन सी दुध की धुली हुई है । वो तो अपने हसबैंड से भी कहीं उपर उठकर अपने कजन भाई के साथ संसर्ग का सुख भोग प्राप्त करना चाहती है । और जैसे कि मैंने पहले ही कहा है राजीव और श्वेता के बीच क्या क्या बातें हो रही है , उनके बीच अनुष्का को लेकर कोई बखेड़ा हुआ है या नहीं ये अभी नायक को पता नहीं । और अगर नायक को पता नहीं तो फिर पाठकों को कैसे पता होगा । हो सकता है बाद में सागर का श्वेता से बात हो तो कुछ मालूम चले ।
लास्ट में आप ने बवासीर वाला प्वाइंट उठाया । गलती तो किसी से भी हो सकती है... मैंने पाइल्स की जगह पायरिया का इस्तेमाल कर दिया... जिसे मैंने तुरंत दुरूस्त भी कर दिया । ये एक मानवीय भुल है जिसके लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूं ।
ये एक इनसेस्ट कहानी है जिसमें रिश्तेदारों के बीच कई तरह की नोंक झोंक , कई तरह की हरकतें , कई तरह की अश्लील जोक्स , थोड़ी सी कहीं रोमांटिक तो थोड़ी सी कहीं फुहड़ता दर्शाई गई है ।
और लास्ट वाला पैराग्राफ उसी का एक हिस्सा था । ये एक सिम्पल सा मजाक था जिसे शायद पाठकों ने पसंद नहीं किया ।
इस के लिए एक बार फिर से क्षमा प्रार्थी हूं और कोशिश करूंगा कि नेक्स्ट बार ऐसा न हो ।
धन्यवाद भाई.....