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Fantasy Samundar Ka Shikari ~ सम्राट मार्टिन की सल्तनत

Kingfisher

💞 soft hearted person 💞
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Awesome mind-blowing fabulous marvelous shandar amazing lajvab outstanding update yug purush Bhai superb

Koun kya hai Kuch pta nhi chal rha , Jo bhi Kar rhe hai Sab sab apne matalb ke liye Kar rhe rhi , sabhi cherecter apne aap me ek mystery hai jise suljana asan nhi hai , agar Ron es Kahan Ka lead cherecter hai to usme aisa ek bhi Acha Gunn nhi hai , usme or us dhurt swarthy matalabi Rubi me Kuch anter nhi ...BC es Rubina ne Apne matalb ke liye uski secretary ki jindagi ke sath bahut gandaa khel khel , eske sath to gang bang Hona Chahiye vo bhi dragon se
Par es bich jiske sath bahut Bura hua vo hai Riya ... I hope ki vo Rubi se badla legi vo bhi bde ajibo garib tarike se
Ab tak Ka sabse mysterious person hai to vo hai the Ron , abhi tak eske mansube khulkar bahar nhi aye hai ... Mja duguna tab Hoga jab sabki janm kundali khul Kar samne ayegi .... Sala bda ajeeb Banda hai sex bhi utpatang tarike se karta hai bechari gori mam ki c..t ko lal Kar Diya Hoga tharki me , edher hawasi Rubi the Ron show Dekh mst ho gai ...mja to tab ayega jab Rubi ki mulakat Aditya the tharki se hogi ...ya usse bhi dunguna mja tag aye jab Ron or Aditya dono eska chirrharan kre
Let's see what happens next
 
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राॅन के बारे में रूबी ने सही अंदाजा लगाया है । जैसा वो अपने को दर्शाता है वैसा है नहीं । नक्शा , मार्टिन , मुर्दों की जहाज , ड्रैगन इत्यादि सब उसे रहस्यमय बना रहा है ।
लेकिन एक बात तो तय है कि वो समंदर का शिकारी शर्तिया है । दोनों ही स्वार्थी और मतलबी है । दोनों धूर्त है । दोनों मौकापरस्त है । पर यह जर्नी जहां तक मुझे लगता है दोनों के स्वभाव में इंकलाबी परिवर्तन लाने वाला हो सकता है ।

रूबी ने अपने स्वार्थ के लिए अपनी सेक्रेटरी का इस्तेमाल किया और बेलाडोना पर राॅन की मौजूदगी भी उसके स्वार्थ का नतीजा है ।
रूबी अपने शारीरिक जरूरतों को अपनी सेक्रेटरी के माध्यम से पुरा करने की कोशिश की थी पर बेलाडोना पर शायद राॅन पुरी करे । सफर भी तो अच्छा खासा लम्बा होने वाला है । आखिर जो उसनेे चुपके-चुपके देखा उससे कब तक अपने भावनाओं पर नियंत्रण रख पायेगी ।

देखते है इस जर्नी का एडवेंचरस मोड़ कब तक आने वाला है ।
बहुत ही बेहतरीन अपडेट ज्ञानी भाई ।
जगमग जगमग अपडेट ।
 

harshit1890

" End Is Near "
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Aeeeeesalallllaaaaa :ecs: :ecs: :ecs: Bhai nawa kahani shuru kar diya... vo bhi aisi fantasy kahani... :yay: Itna sab padna ko hai.. lagtahai night out aaj idharich karna padega... Yug Purush sirji... :bow: :bow:...Dekh kar khushi huigawaa.... :vhappy1: :vhappy1:
 

Yug Purush

सादा जीवन, तुच्छ विचार
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#7. The Cursed ~ शापित


" कपड़े का क्या लेना देना.. इन सब से... वापस कौन पहनाएगा मुझे फिर......"

जिस्मानी खेल अंदर हो रहा था और रूबी एक मूक दर्शक की भांति दरवाजे के छेद से उस खेल का पूरा आनंद ले रही थी.... जब अंदर का खेल समाप्त हुआ तो रॉन ने उस गोरी औरत के चूत को अपने पैर से सहलाते हुए वहा से जाने के लिए कहा और उसकी चूत पर अपने पैर से दबाव बनाते हुए अपने पैर का अंगूठा उसकी चूत मे डाल दिया...


रॉन ने उस अंग्रेजन के नितम्बो पर थपकी देकर उसे वहाँ से जाने के लिए कहा और जब वो बिस्तर पर खड़े होकर कपडे पहनने लगी तो बाहर अपने छातियों और योनि को कपडे के बाहर से ही मसल रही रूबी को जैसे होश आया और वो तुरंत खड़ी होकर वहां से अपने रूम के लिए चल दी.... पर वो अपने रूम तक नहीं गई बल्कि वहाँ से सिर्फ थोड़ी दूर तक आई थी, उसने थोड़ी देर पहले जो देखा था... उसकी वजह से उसकी आँखों से अब नींद गायब थी. इसी बीच रॉन के कमरे का दरवाजा खुला और वो अंग्रेजन बाहर निकली... रूबी ने पीछे पलटकर उसको लंगड़ा -लंगड़ा कर जाते हुए देखा. अब क्योंकि रूबी की आंखों से नींद कोसों दूर थी और उसके मन मे कुछ सवाल भी थे... इसलिए उसने अपने रूम जाने का विचार त्यागा और वापस रॉन के रूम की तरफ चल दी ... इस बार रॉन के रूम का दरवाजा आधा खुला हुआ था. रूबी ने आधे खुले हुए दरवाजे पर हाथ रखकर अंदर झांका तो रॉन बिस्तर पर अपने दोनों पैर झूलाये , अपना सिर ऊपर किये, उंगलियों से ऊपर कुछ इशारा करते हुए बड़बड़ा रहा था...



"वो क्या है, उस आइलैंड के बीचो -बीच एक तहखाना है... जहा इतनी सारी लाशें रखी हुई है और उन्ही लाशों के बीच...."


" क्या सोच रहे है आप, रॉन? सॉरी... दी रॉन... " कमरे के अंदर आते हुए रूबी मुस्कुरा कर बोली


" रूबी तुमममम.... तुममम ... यहां.... यहाँ क्या कर रही हो.. वो भी इस वक़्त..? कही तुम वो सब करने तो नहीं आयी... मै तैयार हूँ... चलो हो जाए.. बहुत मजा आएगा..."


" बस नींद नहीं आ रही थी तो सोचा क्यों ना तुम्हारी बकवास बातें सुन लिया जाए..."रॉन के बिस्तर की तरफ बढ़ते हुए रूबी बोली


" अच्छा ख्याल है, मुझे भी जब नींद नहीं आती तो... मैं भी खुद से बाते करने लगता हूं... फिर बडी मस्त नींद आती है... याह्ह्ह्हह्ह...."अंडरटेकर के माफिक़ अचानक बिस्तर पर बैठते हुए रॉन बोला... जिससे रूबी डरकर थोड़ा दूर छिटक गई और रॉन, रूबी पर हँसने लगा...


"वैसे मैं तुमसे कुछ पूछ सकता हूं..."बिस्तर से नीचे उतरते हुए रॉन ने रूबी से पूछा


" बिल्कुल भी नहीं... मेरा मतलब ... बिल्कुल... बिल्कुल... क्यों नहीं"


" तुमने इस जहाज का नाम बेलाडोना (Belladonna ) क्यों रखा है..."


" क्यों तुम्हें नाम पसंद नहीं आया...?"


" ऐसा ही समझ लो..."


"ठीक है, तो फिर यदि तुम्हे मौका दिया जाता तो तुम इस जहाज का क्या नाम रखते...?"


"मै इसका नाम कुछ खुंखार टाइप रखता ...जैसे... मुर्दो का जहाज या फिर The Spiritual Ship.... वैसे दोनों एक ही जहाज के नाम है..... "


" बेलाडोना का मतलब समझते हो..?"


" नहीं.. शायद तुम्हारी किसी महिला मित्र का नाम होगा, जिसके साथ तुम्हारे समलैंगिक संबंध होंगे.. कही तुम्हारी सेक्रेटरी का नाम तो बेलाडोना नहीं... आखिरी बार मेरे पीछे ही पड़ गई थी वो "


" मतलब कुछ भी...? बेलाडोना का मतलब है एक मरी हुई खूबसूरत लड़की... जो अंधेरे समंदर में अपनी रूहानी ताकत से तैरते हुए बड़े से बड़े जहाज को डूबा दे... और उस भयंकर तरीके से डूबाये की एक भी इंसान जिंदा ना बचे.. ये मतलब है बेलाडोना का... Atleast, मेरी नजर मे तो यही है "


" कहीं वह मरी हुई खूबसूरत लड़की तुम तो नहीं..."


"वो छोडो और ये बताओ कि तुमने जहाज को किस दिशा में मोड़ना है, बिना किसी नक़्शे के कैसे बता दिया आज...?"


" बताया तो था कि मैं पहले भी उस डेविल्स ट्रायंगल में जा चुका हूं...."


"मछली मारने...?? है ना....?? कभी तो सच बता दिया करो.."


" जानेमन, मैं हमेशा सच ही बोलता हूं.... अब लोग ही इतने झूठे है की उन्हें सच सुनने की आदत नहीं है तो इसमें मै क्या कर सकता हूँ.. "


*********
*********


" ना रे, लवडे.... हम 2 दिनों से चले जा रहे हैं, चले जा रहे हैं.. लेकिन जमीन का कोई नामोनिशान तक नहीं, एक बार जब दो पहाड़ियों के बीच से निकाला तो लगा की... बस पहुंच गये और मैं प्लेन मे बैठकर कोलकाता के लिए सीधे निकल लूंगा... पर लवड़ा लगता है, यही मरना पड़ेगा. तुझे रास्ता मालूम भी है या यूं ही मुझे घुमा रहा है... " आदित्य ने कश्ती में बैठे हुए, राज से चिल्लाकर कहा....


"लवड़ा मतलब...??"


"लवड़ा मतलब.. दोस्त... अब बता ,कितना टाइम लगींगा "



कई दिनों पहले वो उस छोटे से नाव मे उस आइलैंड से चले थे, जहा आदित्य ड्रैगन्स के हमले के बाद बहते हुए पंहुचा था... जो खाने -पीने के लिए राज ने समान रखा था, वो भी अब खत्म हो चुका था और अब भूख के मारे उसकी जान जा रही थी और उसे लगने लगा था की... ऐसे भूखे मरने से अच्छा वो ड्रैगन्स के मुँह का निवाला बन जाता तो ज्यादा बेहतर रहता.... वहाँ कम से कम कुछ देर ही उसे तड़पना पड़ता.. लेकिन यहाँ.. राज के साथ.... वो पिछले दो दिनों से भूखा था और ना जाने आगे कब तक उसे ऐसे ही भूखे प्यासे रहना था...


" ऐसे बेहूदा सवाल करने और मुझपर चिल्लाने की बजाय यदि पतवार चलाने में ध्यान दिया होता, तो अब तक हम पहुंच गए होते... कब तक मैं अकेले पतवार चलाऊ... अब तुम्हारी बारी..."


" पतवार.... पतवार... पतवार... बोर हो चुका हूं मैं इस मूत भरे पानी मे पतवार चला चला कर... साला जिधर देखो पानी.. पानी... पानी.... वह भी खारा... दरअसल ये पानी नहीं है बल्कि समुन्दर चुदने के बाद orgasm के रूप मे जो लिक्विड निकालती है ना.. वो चूत पानी है ये सब..... चोदरी कही की. बोर हो गया मैं... यहाँ "


" फिर तो तुम्हें मार्टिन के मुर्दे आईलैंड में भेज देना चाहिए, वहां जमीन में दफन मुर्दे तुम्हारा अच्छा टाइम पास करेंगे..."


" मुर्दा आईलैंड..? यह इंटरेस्टिंग टॉपिक लगता है.. इसके बारे में और बता तो . कुछ तो इस वीरान समंदर में टाइम पास होगा और भूख से ध्यान हटेगा.. "


"मुझे ज्यादा कुछ तो नहीं मालूम बस इतना सुना है कि.. कई साल पहले उस मुर्दे आईलैंड यानी डेथ आईलैंड~Death Island मे कई आदमियों को जिंदा दफनाया गया था.. साथ में समुंदर की शान कहे जाने वाले.. The Spiritual Ship~ मुर्दो के जहाज को भी. उसका जगह का प्राचीन नाम ड्रैगन्स आइलैंड था.. जो कलांतर मे D -Land और फिर अंततः Death आइलैंड कहलाने लगा ...."


" यह कौन सा जहाज है..? द स्पिरिचुअल शिप ..? साले, बीच समुन्दर मे मुझे बेकूफ़ बना रहा है तू और पहले तो इस आइलैंड और इस जहाज के बारे में कभी नहीं सुना..."


"कहा जाता है कि जब यह जहाज समुंदर में चलता था तो इसकी रक्षा.. समुंदर में मरे हुए लोगों की रूहे करती थी, उसे कोई नहीं डूबा सकता था "


"हा हा हा.. फिर डूबा कैसे... क्या बकवास है.. दे ताली.. " आदित्य ने अपना हाथ राज की तरफ किया, जिसके बाद राज ने भी ताली देने के लिए अपना हाथ उठाया...


"अबे हट... इतना चोमू समझा हूँ क्या मुझे ... कि मुझे तू कुछ भी बोलेगा और कैप्टन आदि उसे सच मान लेगा..."ऐन मौके पर अपना हाथ हटाते हुए आदित्य भड़क उठा, जिससे राज ने जो हाथ ताली देने के लिए उठाया था वो नीचे सीधे नाव से टकराया.... राज को गुस्सा तो आया पर उसने इसे जाहिर नहीं किया


" कुछ लोग इसे सच मानते हैं, तुम्हारा मानना या ना मानना... कोई फर्क नहीं पड़ता..." बोलते -बोलते राज अचानक से रुका, उसके चेहरे का रंग बदलने लगा. Literally.



ये उसके साथ पिछले कुछ महीनों से हो रहा था, जब उसके पुरे शरीर मे वक़्त -बेवक़्त अचानक ही जोरो की जलन शुरू हो जाती थी, मानो उसके शरीर को कोई प्रचंड अग्नि मे जला रहा हो या फिर... कोई गर्म लोहे का सरिया उसके पुरे शरीर मे रगड़ रहा हो.. उसके कबीले के लोग इसे कोई दैवीय श्राप मानने लगे थे, लेकिन साथ ही साथ इस श्राप से लड़ने का तरीका भी उन्होंने बहुत जल्द ढूंढ लिया था. जिससे राज को बहुत देर तक ये पीड़ा सहन नहीं करनी पडती थी.


"तुझे अचानक से क्या हुआ,.. चुतियो जैसी शक्ल क्यों बना ली.. कुछ गड़बड़ है क्या..?"राज जब बोलते हुए अचानक रुका तो आदित्य ने कहा "कही तेरा पेट तो ख़राब नहीं है और तूने अपने कपडे मे ही... कर दिया हो...?? छी... आकककक.. थू..."


" नहीं..... सबबबबब....ठीक है.. अब.... तुम पतवार चलाओ.". कहते हुए राज ने पतवार आदित्य की ओर फेक कर.. नाव मे पीछे होकर अपनी पीठ रगड़ कर जलन को कम करने की कोशिश करने लगा


" बोल ना क्या प्रॉब्लम है.. तेरा चेहरा अचानक से लाल क्यों हो गया.. सच सच बता.. तूने अपना पैंट गन्दा कर दिया ना.. देख सच बता दे.. शरमा मत, मैं भी कल रात सोते सोते पैंट मे मूत दिया था "


जिसके जवाब में कुछ ना बोलकर राज चुप चाप झटके से खड़ा हुआ और अपने कमर के ऊपर के पूरे कपड़े उतार कर कश्ती में एक ओर फेका और वही किनारे पर रखी एक बोतल आदित्य को देते हुए बोला....


" जब मेरी शरीर से आग की लपटे निकलने लगेंगी तो इसमें जो भी है, मेरे शरीर पर बने हुए निशान पर डाल देना..."


" बोतल में दारू है क्या.. पहले बताना था... और क्या बोला तूने आंड.. आग...?? कैसी आग...?"बोतल सूंघते हुए आदित्य ने पूछा



राज ने अपनी पीठ आदित्य की तरफ की और आदित्य की तरफ पीठ करते ही उसके पीठ और सीने मे बने अजीब तरह के निशान अचानक से जल उठे, राज के शरीर के कई भाग से आग की लपटे निकलने लगी... नाव मे नीचे घुटनो के बल गिरकर नाव को हाथो से जोर -जोर पीटते हुए राज दर्द से चिल्लाने लगा और इधर आदित्य यही सोच रहा था कि इस बोतल में दारू है या कुछ और है..


"यययएई.... जल्दी..... बोतल में जो भी है.. उड़ेल दो मेरी उपर.."


तब आदित्य का ध्यान वापस जलते हुए राज पर गया और उसने तुरंत पूरी बोतल राज के ऊपर एक बार मे उड़ेल दी. राज के कबीले द्वारा तैयार किये गये उस द्रव पदार्थ के राज के शरीर मे पड़ने से तुरंत राज नार्मल होने लगा और उसके शरीर मे धधक रही अग्नि धीरे -धीरे शांत होने लगी. लेकिन राज नाव मे एक किनारे लेटा , दर्द से कराहता रहा..... अंततः बोतल मे जो कुछ भी था.. उससे राज को जब पूरी तरह आराम मिला तो वो लम्बी -लम्बी साँसे भरते हुए नाव के सहारे अपना शरीर टिका कर बैठा



" यह क्या था बे.... "आदित्य को अभी तक ये हजम नहीं हो रहा था की अभी थोड़ी देर पहले जो हुआ.. वो क्यों हुआ, कैसे हुआ और किसलिए हुआ...


"मै ठीक हूँ..."


"साला, जबसे उन मनहूस ड्रैगंस को देखा है तब से ऐसी अजीब अजीब चीजें देखने को मिल रही है.. पहले आग उगलने वाले जहाज के बराबर पंछियो को देखा तो अब आग उगलने वाले एक इंसान को... आग से नफरत हो गई है मुझे. मै भी अब चाइनीजो की तरह बिना आग मे पकाये कच्चा मांस खाऊंगा... होने दो कोरोना "


" अब सब ठीक है..."


" यार, तेरा अलग ही फंडा है..? एक तो तू बचपन में अचानक से उस वीरान आईलैंड में पहुंच गया जहां तूने अपना पूरा जीवन बिताया और अब बिना किसी डर और मतलब के तू इस भयंकर समुंदर में मुझे लेकर आ गया और ऊपर से तेरे यह जलते हुए टैटू ... वैसे तेरे वो टैटू बड़े अजीब थे और डरावने भी... कहा से बनवाया...? मै भी सोच रहा हूँ कि यहाँ से यदि जिन्दा बच गया तो टैटू बनवाऊंगा... मेरी कोलकाता वाली रंडी को बहुत पसंद है टैटू..."


" जब मैं पैदा हुआ तब से यह निशान मेरे शरीर पर हैं.. और इसी निशान के चलते एक दिन कुछ लोग आए और मुझे, मेरी मां के साथ अधमरा करके समुंदर के किनारे फेंक दिया, जहा समुंदर ने हम दोनों को निगल लिया.. मेरी किस्मत अच्छी थी, लेकिन मेरी माँ... उनका कुछ पता नहीं चला. कभी -कभी रात मे तारो को देखते हुए सोचता हूँ उनके बारे मे.. उनकी शक्ल तक मुझे अब याद नहीं.. लेकिन उनका साया आज भी मैं महसूस कर सकता हूँ.. यदि वो जिन्दा रहती तो अवश्य ही मुझे मेरे श्राप के बारे मे कुछ बता सकती थी. पर अब... शायद ही मैं उनसे कभी मिल पाऊं... समुन्दर की देवी उस दिन मुझपर मेहरबान थी, जो उसने मुझे बक्श दिया... "


"वैसे यदि तेरे सीने और.... और..... पीठ के तरफ के निशान को मिलाया जाये.... तो....."गर्दन इधर -उधर करके राज के शरीर मे बने निशान को देखते हुए आदित्य ने कहा " तो... तो... ये सर्किल के अंदर एक फाइव पॉइंटेड स्टार का सिंबल बनाते है.... जिसका मतलब... किसी तरह का सुरक्षा कवच होता है शायद, यदि मैं सही हूँ तो "


"पता नहीं.. शायद इस निशान ने बचपन मे मुझे बचा लिया... ताकि जिंदगी भर मुझे तड़पता हुआ देख सके... तभी से मैं अक्सर समंदर में बहकर आए हुए लोगों की मदद करता हूं... परिस्थितियां चाहे कैसी भी हो, समुंदर उफान पर हो या फिर शांत हो, मैंने आज तक अपनी निगरानी में किसी को मरने नहीं दिया... और इसीलिए कुछ लोग जिनकी मैंने जान बचाई, वो मुझे समुन्दर का शिकारी भी कहते है ..."



"तेरी उस समुन्दर की देवी.. जिसकी बात तू कर रहा था... उसको तूने देखा है क्या..."चहकते हुए आदित्य ने पूछा
"नहीं... क्यों..?"


"वो चोदने को देगी...क्या...?? मिलेगी तो पूछ के बताना... बोल देना लौंडा कैप्टन है और फटत ले हैंडसम भी है... चोदता भी बहुत देर तक है, दो -दो बार तो मैं चूत चूसते हुए लड़कियों को झड़वा देता हूँ..."


"तुम इतनी गन्दी बात.. समुन्दर की देवी के बारे मे कैसी कर सकते हो..."


"क्यों.... उसके पास चूत नहीं है क्या..?? किसी ना किसी से तो चुदती ही होगी, तो मुझसे भी चोदवा ले..."


"यदि समुन्दर की देवी अपने पे आ गई ना तो... "


"लवड़ा... एक बार बुला तो.. पहले.. वैसे उसका नाम क्या है समुन्दर की देवी का..."


"शायद... लीना... एक प्राचीन सल्तनत थी समुन्दर मे. उसी काल मे कुछ लोग लीना नाम की जादूगरनी को समुन्दर की देवी कहते थे... कुछ तो ये भी कहते है कि.. उसी ने सम्राट मार्टिन के विशाल सल्तनत को बर्बाद किया था... "


"किस नस्ल की थी...??"


"मतलब... मैं समझा नहीं..."


"मतलब... नस्ल से पता चल जायेगा ना की.. उसकी चूत काली थी या गोरी... गोरी चूत चाटने का मजा ही अलग है.. Bf मे नहीं देखा तू...?? कितना मस्त चूत चाटते है वो लोग... BF... ऐसे क्या सोच रहा है... BF नहीं देखा क्या आज तक...?? वैसे तुझे जरूरत भी क्या.. तेरे इधर तो वैसे भी आधी नंगी औरते रहती है.. लोग-बाग़ जान -बुचकर टकराते होंगे, महिलाओ से... Anytime, उनका लंड खड़ा रहता होगा... मैं यदि तेरे आइलैंड मे रहता ना... तो रोज दिन मे 10 बार मुट्ठ मारता और उन्ही की चूचियों पर गिराता..."


"मेरे लोगो के बारे मे एक शब्द और गलत कहा तो... नीचे फेक दूंगा..."


" तू तो बुर मान गया... क्या शिकारी बनेगा."नाव पर खड़े होकर दूर समुन्दर की ओर देखते हुए आदित्य, किसी मंजिल की तलाश करने लगा... जहा से वो वापस कोलकाता जा सके.



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Update bhai ji
Sir ji next update kab :?:
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Moon Light

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#7 The Curshed~ Shaapit
" kapade ka kya lena dena.. in sab se... vaapas kaun pahanayega mujhe phir......"

jismaani khel andar ho raha tha aur Rubi ek mook darshak ki bhaanti darvaaje ke chhed se us khel ka poora aanand le rahee thee.... jab andar ka khel samaapt hua to Ron ne us goribaurat ke chut ko apne pair se sahalaate huye vaha se jaane ke liye kaha aur uski choot par apne pair se dabaav banaate huye apne pair ka angootha uski choot me daal diya...


Ron ne us angrejan ke nitambo par thapki dekar use vahaan se jaane ke liye kaha aur jab vo bistar par khade hokar kapde pahanane lagi to baahar apne chhaatiyon aur yoni ko kapde ke baahar se hee masal rahi Rubi ko jaise hosh aaya aur vo turant khadi hokar vahaan se apne room ke liye chal dee.... par vo apne room tak nahin gayi balki vahaan se sirf thodi door tak aayi thee, usne thodee der pahale jo dekha tha... uski vajah se uski aankhon se ab neend gaayab thi. isi beech Ron ke kamre ka darvaaja khula aur vo angrejan baahar nikali... Rubi ne peechhe palatkar usko langada -langada kar jaate huye dekha. ab kyonki Rubi kee aankhon se neend koso door thi aur uske man me kuchh savaal bhi the... isliye usne apne room jaane ka vichaar tyaaga aur vaapas Ron ke room ki tara f chal dee ... is baar Ron ke room ka daravaaja aadha khula hua tha. Rubi ne aadhe khule huye darvaaje par haath rakhkar andar jhaanka to Ron bistar par apne donon pair jhulaaye , apna sir upar kiye, ungaliyon se upar kuchh ishaara karte huye badbada raha tha...


"vo kya hai, us Ilaind ke beecho -beech ek tahkhaana hai... jaha itni saaree laashen rakhi huyi hai aur unhi laashon ke beech...."


" kya soch rahe hai aap, Ron? sorry... The Ron... " kamre ke andar aate huye Rubi muskura kar boli


" Rubi tummmm.... tummm ... yahaan.... yahaan kya kar rahi ho.. vo bhi is vaqt..? kahi tum vo sab karne to nahin aayi... mai taiyaar hoon... chalo ho jaye.. bahut maja aayega..."


" bas neend nahin aa rahi thi to socha kyon na tumhaari bakvaas baaten sun liya jaye..."ron ke bistar ki taraf badhte huye Rubi boli


" achchha khyaal hai, mujhe bhi jab neend nahin aati to... main bhi khud se baate karne lagata hoon... phir badi mast neend aati hai... yaahhhhahh...." Undertekar ke maafiq achaanak bistar par baithate huye Ron bola... jisse Rubi darkar thoda door chhitak gayi aur Ron, Rubi par hansne laga...


"vaise main tumse kuchh poochh sakta hoon..." bistar se neeche utarte huye Ron ne Rubi se poochha


" bilkul bhi nahin... mera matalab ... bilkul... bilkul... kyon nahin"


" tumne is jahaaj ka naam belladona kyon rakha hai..."


" kyon tumhe naam pasand nahin aaya...?"


" aisa hi samajh lo..."


"theek hai, to phir yadi tumhe mauka diya jaata to tum is jahaaj ka kya naam rakhte...?"


"mai iska naam kuchh khunkhaar type rakhta ...jaise... Murdo ka jahaaj ya phir The Spiritual ship.... vaise donon ek hee jahaaj ke naam hai..... "


" belladona ka matlab samajhte ho..?"


" nahin.. shaayad tumhaari kisi mahila mitra ka naam hoga, jiske saath tumhare samalaingik sambandh honge.. kahi tumhaaree secretary ka naam to belladona nahin... aakhiri baar mere peechhe hee pad gayi thee vo "


" matalab kuchh bhee...? belladona ka matalab hai ek Mari huyi khoobas urat ladki... jo andhere samandar mein apni Ruhani taakat se tairate huye bade se bade jahaaj ko dooba de... aur us bhayankar tarike se dubaaye kee ek bhee insaan jinda na bache.. ye matalab hai belladona ka... atleast, meri najar me to yahee hai "


" kahi wo mari huyi khoobasurat ladki tum to nahin..."


"vo chhodo aur ye batao ki tumne jahaaj ko kis disha mein modna hai, bina kisi naqshe ke kaise bata diya aaj...?"


" bataya to tha ki main pahle bhi us devils Triangle mein ja chuka hoon...."


"machhli maarne...?? hai na....?? kabhi to sach bata diya karo.."


" jaaneman, main hamesha sach hi bolta hoon.... ab log hi itne jhoothe hai ki unhen sach sunne ki aadat nahin hai to isame mai kya kar sakata hoon.. "

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*********


" na re, lavde.... ham 2 dino se chale ja rahe hain, chale ja rahe hain.. lekin jameen ka koyi naamonishaan tak nahin, ek baar jab do pahaadiyon ke beech se nikaala to laga kee... bas pahunch gaye aur main plan me baithkar kolkata ke liye seedhe nikal lunga... par lavda lagta hai, yahi marna padega. tujhe raasta maalum bhi hai ya yun hee mujhe ghuma raha hai... " aaditya ne kashti mein baithe huye, raaj se chillaakar kaha....


"lavda matalab...??"


"lavda matlab.. dost... ab bata, kitna time lagega "


kayi dino pahale vo us chhote se naav me us ilaind se chale the, jaha aaditya draigans ke hamle ke baad bahate huye pahucha tha... jo khaane -peene ke liye raaj ne samaan rakha tha, vo bhi ab khatm ho chuka tha aur ab bhookh ke maare uski jaan ja rahi th i aur use lagne laga tha ki... aise bhookhe marne se achchha vo draigans ke munh ka nivaala ban jaata to jyaada behatar rahata.... vahaan kam se kam kuchh der hee use tadapna padta.. lekin yahaan.. raaj ke saath.... vo pichhle do dinon se bhookha tha aur na jaane aage kab tak use aise hee bhookhe pyaase rahana tha...


" aise behuda savaal karane aur mujhapar chillaane ki bajaaye yadi patvaar chalaane mein dhyaan diya hota, to ab tak ham pahunch gaye hote... kab tak main akele patvaar chalau... ab tumhaari baari..."


" patvaar.... patvaar... patvaar... bor ho chuka hoon main is moot bhare pani me patvaar chala chala kar... saala jidhar dekho pani...pani.. pani.... vah bhi khaara... darasal ye pani nahin hai balki samundar chudne ke baad orgasm ke roop me jo liqwid nikalati hai na.. vo choot pani hai ye sab..... chodri kahi kee. bor ho gaya main... yahaan "


" phir to tumhen Maartin ke murde Ilaind mein bhej dena chaahiye, vahaan jameen mein daphan murde tumhaara achchha time paas karenge..."


" murda Ilaind..? yah intaresting topic lagata hai.. iske baare mein aur bata to . kuchh to is veeraan samandar mein time paas hoga aur bhookh se dhyaan hatega.. "


"mujhe jyaada kuchh to nahi maaloom bas itna suna hai ki.. kayi saal pahle us murde ilaind yaanee death Ilaind me kayi admiyon ko jinda daphanaaya gaya tha.. saath mein samundar kee shaan kahe jaane vaale.. The Spiritual ship~ Murdo ke jahaaj ko bhi. uska jagah ka praacheen naam draigans ilaind tha.. jo kalantar me D-land aur phir
antatah death ilaind kahalaane laga ...."

" yah kaun sa jahaaj hai..? The Spiritual ship ..? saale, beech samundar me mujhe bekoof bana raha hai tu aur pahle to is ilaind aur is jahaaj ke baare mein kabhee nahin suna..."


"kaha jaata hai ki jab yah jahaaj samundar mein chalta tha to iski raksha.. samundar mein mare hue logon ki roohe karti thi, use koi nahin duba sakata tha "


"ha ha ha.. phir dooba kaise... kya bakavaas hai.. de taali... " aaditya ne apna haath raaj kee taraph kiya, jiske baad raaj ne bhee taalee dene ke liye apna haath uthaaya...


"abe hatt... itna chomu samajha hai kya mujhe ... ki mujhe tu kuchh bhee bolega aur Caiptan aadi use sach maan lega..." ain mauke par apna haath hataate huye aaditya bhadak utha, jisse raaj ne jo haath taalee dene ke liye uthaaya tha vo neeche seedhe naav se takaraaya.... raaj ko gussa to aaya par usne ise jaahir nahin kiya


" kuchh log ise sach maanate hain, tumhaara maanna ya na maanna... koi Fark nahin padta..." bolte -bolte raaj achaanak se ruka, uske chehare ka rang badalane laga. literally. ye uske saath pichhale kuchh maheenon se ho raha tha, jab uske pure shareer me vaqt -bevaqt achaanak hee joro kee jalan shuru ho jaatee thee, maano uske shareer ko koi prachand agni me jala raha ho ya phir... koi garm lohe ka sariya uske pure shareer me ragad raha ho.. uske kabeele ke log ise koi daiviye shraap maanne lage the, lekin saath hee saath is shraap se ladne ka tareeka bhee unhonne bahut jald dhoondh liya tha. jisse raaj ko bahut der tak ye peeda sahan nahin karni padti thee.


"tujhe achaanak se kya hua,.. chutiyo jaisi shakl kyon bana lee.. kuchh gadabad hai kya..?" raaj jab bolte huye achaanak ruka to aaditya ne kaha "kahee tera pet to kharaab nahin hai aur tune apne kapde me hee... kar diya ho...?? chhee... aakakakak.. thoo..."


" nahin..... sababababab....theek hai.. ab.... tum patavaar chalao.". kahte huye raaj ne patvaar aaditya kee or phek kar.. naav me peechhe hokar apnee peeth ragad kar jalan ko kam karne kee koshish karane laga


" bol na kya problam hai.. tera chehra achaanak se laal kyon ho gaya.. sach sach bata.. tune apna paint ganda kar diya na.. dekh sach bata de.. sharama mat, main bhi kal raat sote sote paint me moot diya tha "


jisake javaab mein kuchh na bolakar raaj chup chaap jhatke se khada hua aur apne kamar ke upar ke poore kapade utaar kar kashtee mein ek or pheka aur vahee kinaare par rakhee ek botal aaditya ko dete hue bola....


" jab meri shareer se aag kee lapte nikalne lagengi to isame jo bhi hai, mere shareer par bane huye nishaan par daal dena..."


" bottle mein daaru hai kya.. pahle bataana tha... aur kya bola tune aand.. aag...?? kaisi aag...?" bot tle soonghte huye aaditya ne poochha raaj ne apni peeth aaditya kee taraph kee aur aaditya kee taraph peeth karte hee uske peeth aur seene me bane ajeeb tarah ke nishaan achaanak se jal uthe, raaj ke shareer ke kayi bhaag se aag kee lapte nikalne lagee... naav me neeche ghutano ke bal girakar naav ko haatho se jor -jor peette huye raaj dard se chillaane laga aur idhar aaditya yahee soch raha tha ki is bottle mein daaroo hai ya kuchh aur hai..


"yayayeee.... jaldee..... bottle mein jo bhee hai.. udel do merre upar.." tab aaditya ka dhyaan vaapas jalte huye raaj par gaya aur usane turant pooree botal raaj ke upar ek baar me udel dee. raaj ke kabeele dvaara taiyaar kiye gaye us drav padaarth ke raaj ke shareer me padne se turant raaj naarmal hone laga aur uske shareer me dhadhak rahee agni dheere -dheere shaant hone lagee. lekin raaj naav me ek kinaare leta , dard se karaahata raha..... antatah bottle me jo kuchh bhee tha.. usse raaj ko jab pooree tarah aaraam mila to vo lambee -lambee saanse bharte huye naav ke sahaare apana shareer tika kar baitha


" yah kya tha be.... " aaditya ko abhi tak ye hajam nahin ho raha tha kee abhee thodee der pahale jo hua.. vo kyon hua, kaise hua aur kisalie hua...

"mai theek hoon..."


"saala, jabse un manhoos dragons ko dekha hai tab se aisee ajeeb ajeeb cheejen dekhane ko mil rahee hai.. pahle aag ugalne vaale jahaaj ke baraabar panchhiyo ko dekha to ab aag ugalane vaale ek insaan ko... aag se napharat ho gayi hai mujhe. mai bhi ab Chineso kee tarah bina aag me pakaaye kachcha maans khaoonga... hone do Corona "


" ab sab theek hai..."


" yaar, tera alag hee fanda hai..? ek to tu bachapan mein achaanak se us veeraan ilaind mein pahunch gaya jahaan tune apna poora jeevan bitaaya aur ab bina kisi dar aur matlab ke tu is bhayankar samundar mein mujhe lekar aa gaya aur upar se tere yah jalate hue tattoo ... vaise tere vo tattoo bade ajeeb the aur daraavane bhee... kaha se banavaaya...? mai bhee soch raha hoon ki yahaan se yadi jinda bach gaya to tattoo banvaunga... meri kolkata vaali rand i ko bahut pasand hai tattoo..."


" jab main paida hua tab se yah nishaan mere shareer par hain.. aur isi nishaan ke chalate ek din kuchh log aaye aur mujhe, meri maa ke saath adhamara karke samundar ke kinaare fenk diya, jaha samundar ne ham donon ko nigal liya.. meri kismat achchhee thee, lekin meri maa... unka kuchh pata nahin chala. kabhee -kabhee raat me taaro ko dekhate huye sochata hoon unke baare me.. unki shakl tak mujhe ab yaad nahin.. lekin unka saaya aaj bhi main mahasoos kar sakta hoon.. yadi vo jinda rahti to avashya hee mujhe mere shraap ke baare me kuchh bata sakti thee. par ab... shaayad hee main unse kabhee mil paoon... samundar kee devi us din mujhapar meharabaan thee, jo usne mujhe baksh diya... "


"vaise yadi tere seene aur.... aur..... peeth ke taraph ke nishaan ko milaaya jaaye.... to....."gardan idhar -udhar karake raaj ke shareer me bane nishaan ko dekhate hue aaditya ne kaha " to... to... ye circle ke andar ek five pointed star ka simbal banaate hai.... jiska matalab... kisi tarah ka suraksha kavach hota hai shaayad, yadi main sahi hoon to "


"pata nahin.. shaayad is nishaan ne bachapan me mujhe bacha liya... taaki jindagi bhar mujhe tadapta hua dekh sake... tabhi se me
aksar samandar mein bahkar aaye huye logon kee madad karata hoon... paristhitiyaan chaahe kaisee bhee ho, samundar ufan par ho ya phir shaant ho, maine aaj tak apni nigraani me kisi ko marne nahin diya... aur isiliye kuchh log jinki mainne jaan bachaee, vo mujhe samundar ka shikari bhi kahte hai ..."


"teri us samundar ki devi.. jiski baat tu kar raha tha... usko tune dekha hai kya..." chahakate huye aaditya ne poochha


"nahin... kyon..?"


"vo chodne ko degi..kya...?? milegi to poochh ke bataana... bol dena launda Caiptan hai aur Fatat le handsom bhi hai... chodta bhee bahut der tak hai, do -do baar to main chut chuste huye ladakiyon ko jhadva deta hoon..."


"tum itni gandi baat.. samundar ki devi ke baare me kaise kar sakte ho..."


"kyon.... uske paas choot nahin hai kya..?? kisi na kisi se to chudti hi hogi, to mujhase bhee chodva le..."


"yadi samundar ki devi apne pe aa gayi na to... "

"lavda... ek baar bula to.. pahle.. vaise uska naam kya hai samundar kee devi ka..."


"shaayad... Leena... ek praacheen saltanat thi samundar me. usk kaal me kuchh log leena naam kee jaadugarani ko samundar ki devi kahate the... kuchh to ye bhee kahate hai ki.. usi ne samraat maartin ke vishaal saltnat ko barbaad kiya tha... "


"kis nasl kee thee...??"


"matalab... main samajha nahin..."


"matalab... nasl se pata chal jaayega na kee.. usju choot kaali thee ya gori.... gori choot chaatne ka maja hee alag hai.. bf me nahin dekha tu...?? kitna mast choot chaatate hai vo log... bf... aise kya soch raha hai... bf nahin dekha kya aaj tak...?? vaise tujhe jarurat bhee kya.. tere idhar to vaise bhi aadhi nangi aurate rahti hai.. log-baar jaan -bujhakar takaraate honge, mahilao se... any time, unka lund khada rahata hoga... main yadi tere ilaind me rahta na... to roj din me 10 baar mutth maarta aur unhi k i choochiyon par giraata..."


"mere logo ke baare me ek shabd aur galat kaha to... neeche phek doonga..."


" tu to bur maan gaya... kya shikari banega."naav par khade hokar dur samundar ki or dekhte huye aaditya, kisi manjil ki talaash karne laga... jaha se vo vaapas kolkata ja sake.



Pics-Art-07-16-03-05-35


 
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#7. The Cursed ~ शापित





रॉन ने उस अंग्रेजन के नितम्बो पर थपकी देकर उसे वहाँ से जाने के लिए कहा और जब वो बिस्तर पर खड़े होकर कपडे पहनने लगी तो बाहर अपने छातियों और योनि को कपडे के बाहर से ही मसल रही रूबी को जैसे होश आया और वो तुरंत खड़ी होकर वहां से अपने रूम के लिए चल दी.... पर वो अपने रूम तक नहीं गई बल्कि वहाँ से सिर्फ थोड़ी दूर तक आई थी, उसने थोड़ी देर पहले जो देखा था... उसकी वजह से उसकी आँखों से अब नींद गायब थी. इसी बीच रॉन के कमरे का दरवाजा खुला और वो अंग्रेजन बाहर निकली... रूबी ने पीछे पलटकर उसको लंगड़ा -लंगड़ा कर जाते हुए देखा. अब क्योंकि रूबी की आंखों से नींद कोसों दूर थी और उसके मन मे कुछ सवाल भी थे... इसलिए उसने अपने रूम जाने का विचार त्यागा और वापस रॉन के रूम की तरफ चल दी ... इस बार रॉन के रूम का दरवाजा आधा खुला हुआ था. रूबी ने आधे खुले हुए दरवाजे पर हाथ रखकर अंदर झांका तो रॉन बिस्तर पर अपने दोनों पैर झूलाये , अपना सिर ऊपर किये, उंगलियों से ऊपर कुछ इशारा करते हुए बड़बड़ा रहा था...



"वो क्या है, उस आइलैंड के बीचो -बीच एक तहखाना है... जहा इतनी सारी लाशें रखी हुई है और उन्ही लाशों के बीच...."


" क्या सोच रहे है आप, रॉन? सॉरी... दी रॉन... " कमरे के अंदर आते हुए रूबी मुस्कुरा कर बोली


" रूबी तुमममम.... तुममम ... यहां.... यहाँ क्या कर रही हो.. वो भी इस वक़्त..? कही तुम वो सब करने तो नहीं आयी... मै तैयार हूँ... चलो हो जाए.. बहुत मजा आएगा..."


" बस नींद नहीं आ रही थी तो सोचा क्यों ना तुम्हारी बकवास बातें सुन लिया जाए..."रॉन के बिस्तर की तरफ बढ़ते हुए रूबी बोली


" अच्छा ख्याल है, मुझे भी जब नींद नहीं आती तो... मैं भी खुद से बाते करने लगता हूं... फिर बडी मस्त नींद आती है... याह्ह्ह्हह्ह...."अंडरटेकर के माफिक़ अचानक बिस्तर पर बैठते हुए रॉन बोला... जिससे रूबी डरकर थोड़ा दूर छिटक गई और रॉन, रूबी पर हँसने लगा...


"वैसे मैं तुमसे कुछ पूछ सकता हूं..."बिस्तर से नीचे उतरते हुए रॉन ने रूबी से पूछा


" बिल्कुल भी नहीं... मेरा मतलब ... बिल्कुल... बिल्कुल... क्यों नहीं"


" तुमने इस जहाज का नाम बेलाडोना (Belladonna ) क्यों रखा है..."


" क्यों तुम्हें नाम पसंद नहीं आया...?"


" ऐसा ही समझ लो..."


"ठीक है, तो फिर यदि तुम्हे मौका दिया जाता तो तुम इस जहाज का क्या नाम रखते...?"


"मै इसका नाम कुछ खुंखार टाइप रखता ...जैसे... मुर्दो का जहाज या फिर The Spiritual Ship.... वैसे दोनों एक ही जहाज के नाम है..... "


" बेलाडोना का मतलब समझते हो..?"


" नहीं.. शायद तुम्हारी किसी महिला मित्र का नाम होगा, जिसके साथ तुम्हारे समलैंगिक संबंध होंगे.. कही तुम्हारी सेक्रेटरी का नाम तो बेलाडोना नहीं... आखिरी बार मेरे पीछे ही पड़ गई थी वो "


" मतलब कुछ भी...? बेलाडोना का मतलब है एक मरी हुई खूबसूरत लड़की... जो अंधेरे समंदर में अपनी रूहानी ताकत से तैरते हुए बड़े से बड़े जहाज को डूबा दे... और उस भयंकर तरीके से डूबाये की एक भी इंसान जिंदा ना बचे.. ये मतलब है बेलाडोना का... Atleast, मेरी नजर मे तो यही है "


" कहीं वह मरी हुई खूबसूरत लड़की तुम तो नहीं..."


"वो छोडो और ये बताओ कि तुमने जहाज को किस दिशा में मोड़ना है, बिना किसी नक़्शे के कैसे बता दिया आज...?"


" बताया तो था कि मैं पहले भी उस डेविल्स ट्रायंगल में जा चुका हूं...."


"मछली मारने...?? है ना....?? कभी तो सच बता दिया करो.."


" जानेमन, मैं हमेशा सच ही बोलता हूं.... अब लोग ही इतने झूठे है की उन्हें सच सुनने की आदत नहीं है तो इसमें मै क्या कर सकता हूँ.. "


*********
*********


" ना रे, लवडे.... हम 2 दिनों से चले जा रहे हैं, चले जा रहे हैं.. लेकिन जमीन का कोई नामोनिशान तक नहीं, एक बार जब दो पहाड़ियों के बीच से निकाला तो लगा की... बस पहुंच गये और मैं प्लेन मे बैठकर कोलकाता के लिए सीधे निकल लूंगा... पर लवड़ा लगता है, यही मरना पड़ेगा. तुझे रास्ता मालूम भी है या यूं ही मुझे घुमा रहा है... " आदित्य ने कश्ती में बैठे हुए, राज से चिल्लाकर कहा....


"लवड़ा मतलब...??"


"लवड़ा मतलब.. दोस्त... अब बता ,कितना टाइम लगींगा "



कई दिनों पहले वो उस छोटे से नाव मे उस आइलैंड से चले थे, जहा आदित्य ड्रैगन्स के हमले के बाद बहते हुए पंहुचा था... जो खाने -पीने के लिए राज ने समान रखा था, वो भी अब खत्म हो चुका था और अब भूख के मारे उसकी जान जा रही थी और उसे लगने लगा था की... ऐसे भूखे मरने से अच्छा वो ड्रैगन्स के मुँह का निवाला बन जाता तो ज्यादा बेहतर रहता.... वहाँ कम से कम कुछ देर ही उसे तड़पना पड़ता.. लेकिन यहाँ.. राज के साथ.... वो पिछले दो दिनों से भूखा था और ना जाने आगे कब तक उसे ऐसे ही भूखे प्यासे रहना था...


" ऐसे बेहूदा सवाल करने और मुझपर चिल्लाने की बजाय यदि पतवार चलाने में ध्यान दिया होता, तो अब तक हम पहुंच गए होते... कब तक मैं अकेले पतवार चलाऊ... अब तुम्हारी बारी..."


" पतवार.... पतवार... पतवार... बोर हो चुका हूं मैं इस मूत भरे पानी मे पतवार चला चला कर... साला जिधर देखो पानी.. पानी... पानी.... वह भी खारा... दरअसल ये पानी नहीं है बल्कि समुन्दर चुदने के बाद orgasm के रूप मे जो लिक्विड निकालती है ना.. वो चूत पानी है ये सब..... चोदरी कही की. बोर हो गया मैं... यहाँ "


" फिर तो तुम्हें मार्टिन के मुर्दे आईलैंड में भेज देना चाहिए, वहां जमीन में दफन मुर्दे तुम्हारा अच्छा टाइम पास करेंगे..."


" मुर्दा आईलैंड..? यह इंटरेस्टिंग टॉपिक लगता है.. इसके बारे में और बता तो . कुछ तो इस वीरान समंदर में टाइम पास होगा और भूख से ध्यान हटेगा.. "


"मुझे ज्यादा कुछ तो नहीं मालूम बस इतना सुना है कि.. कई साल पहले उस मुर्दे आईलैंड यानी डेथ आईलैंड~Death Island मे कई आदमियों को जिंदा दफनाया गया था.. साथ में समुंदर की शान कहे जाने वाले.. The Spiritual Ship~ मुर्दो के जहाज को भी. उसका जगह का प्राचीन नाम ड्रैगन्स आइलैंड था.. जो कलांतर मे D -Land और फिर अंततः Death आइलैंड कहलाने लगा ...."


" यह कौन सा जहाज है..? द स्पिरिचुअल शिप ..? साले, बीच समुन्दर मे मुझे बेकूफ़ बना रहा है तू और पहले तो इस आइलैंड और इस जहाज के बारे में कभी नहीं सुना..."


"कहा जाता है कि जब यह जहाज समुंदर में चलता था तो इसकी रक्षा.. समुंदर में मरे हुए लोगों की रूहे करती थी, उसे कोई नहीं डूबा सकता था "


"हा हा हा.. फिर डूबा कैसे... क्या बकवास है.. दे ताली.. " आदित्य ने अपना हाथ राज की तरफ किया, जिसके बाद राज ने भी ताली देने के लिए अपना हाथ उठाया...


"अबे हट... इतना चोमू समझा हूँ क्या मुझे ... कि मुझे तू कुछ भी बोलेगा और कैप्टन आदि उसे सच मान लेगा..."ऐन मौके पर अपना हाथ हटाते हुए आदित्य भड़क उठा, जिससे राज ने जो हाथ ताली देने के लिए उठाया था वो नीचे सीधे नाव से टकराया.... राज को गुस्सा तो आया पर उसने इसे जाहिर नहीं किया


" कुछ लोग इसे सच मानते हैं, तुम्हारा मानना या ना मानना... कोई फर्क नहीं पड़ता..." बोलते -बोलते राज अचानक से रुका, उसके चेहरे का रंग बदलने लगा. Literally.



ये उसके साथ पिछले कुछ महीनों से हो रहा था, जब उसके पुरे शरीर मे वक़्त -बेवक़्त अचानक ही जोरो की जलन शुरू हो जाती थी, मानो उसके शरीर को कोई प्रचंड अग्नि मे जला रहा हो या फिर... कोई गर्म लोहे का सरिया उसके पुरे शरीर मे रगड़ रहा हो.. उसके कबीले के लोग इसे कोई दैवीय श्राप मानने लगे थे, लेकिन साथ ही साथ इस श्राप से लड़ने का तरीका भी उन्होंने बहुत जल्द ढूंढ लिया था. जिससे राज को बहुत देर तक ये पीड़ा सहन नहीं करनी पडती थी.


"तुझे अचानक से क्या हुआ,.. चुतियो जैसी शक्ल क्यों बना ली.. कुछ गड़बड़ है क्या..?"राज जब बोलते हुए अचानक रुका तो आदित्य ने कहा "कही तेरा पेट तो ख़राब नहीं है और तूने अपने कपडे मे ही... कर दिया हो...?? छी... आकककक.. थू..."


" नहीं..... सबबबबब....ठीक है.. अब.... तुम पतवार चलाओ.". कहते हुए राज ने पतवार आदित्य की ओर फेक कर.. नाव मे पीछे होकर अपनी पीठ रगड़ कर जलन को कम करने की कोशिश करने लगा


" बोल ना क्या प्रॉब्लम है.. तेरा चेहरा अचानक से लाल क्यों हो गया.. सच सच बता.. तूने अपना पैंट गन्दा कर दिया ना.. देख सच बता दे.. शरमा मत, मैं भी कल रात सोते सोते पैंट मे मूत दिया था "


जिसके जवाब में कुछ ना बोलकर राज चुप चाप झटके से खड़ा हुआ और अपने कमर के ऊपर के पूरे कपड़े उतार कर कश्ती में एक ओर फेका और वही किनारे पर रखी एक बोतल आदित्य को देते हुए बोला....


" जब मेरी शरीर से आग की लपटे निकलने लगेंगी तो इसमें जो भी है, मेरे शरीर पर बने हुए निशान पर डाल देना..."


" बोतल में दारू है क्या.. पहले बताना था... और क्या बोला तूने आंड.. आग...?? कैसी आग...?"बोतल सूंघते हुए आदित्य ने पूछा



राज ने अपनी पीठ आदित्य की तरफ की और आदित्य की तरफ पीठ करते ही उसके पीठ और सीने मे बने अजीब तरह के निशान अचानक से जल उठे, राज के शरीर के कई भाग से आग की लपटे निकलने लगी... नाव मे नीचे घुटनो के बल गिरकर नाव को हाथो से जोर -जोर पीटते हुए राज दर्द से चिल्लाने लगा और इधर आदित्य यही सोच रहा था कि इस बोतल में दारू है या कुछ और है..


"यययएई.... जल्दी..... बोतल में जो भी है.. उड़ेल दो मेरी उपर.."


तब आदित्य का ध्यान वापस जलते हुए राज पर गया और उसने तुरंत पूरी बोतल राज के ऊपर एक बार मे उड़ेल दी. राज के कबीले द्वारा तैयार किये गये उस द्रव पदार्थ के राज के शरीर मे पड़ने से तुरंत राज नार्मल होने लगा और उसके शरीर मे धधक रही अग्नि धीरे -धीरे शांत होने लगी. लेकिन राज नाव मे एक किनारे लेटा , दर्द से कराहता रहा..... अंततः बोतल मे जो कुछ भी था.. उससे राज को जब पूरी तरह आराम मिला तो वो लम्बी -लम्बी साँसे भरते हुए नाव के सहारे अपना शरीर टिका कर बैठा



" यह क्या था बे.... "आदित्य को अभी तक ये हजम नहीं हो रहा था की अभी थोड़ी देर पहले जो हुआ.. वो क्यों हुआ, कैसे हुआ और किसलिए हुआ...


"मै ठीक हूँ..."


"साला, जबसे उन मनहूस ड्रैगंस को देखा है तब से ऐसी अजीब अजीब चीजें देखने को मिल रही है.. पहले आग उगलने वाले जहाज के बराबर पंछियो को देखा तो अब आग उगलने वाले एक इंसान को... आग से नफरत हो गई है मुझे. मै भी अब चाइनीजो की तरह बिना आग मे पकाये कच्चा मांस खाऊंगा... होने दो कोरोना "


" अब सब ठीक है..."


" यार, तेरा अलग ही फंडा है..? एक तो तू बचपन में अचानक से उस वीरान आईलैंड में पहुंच गया जहां तूने अपना पूरा जीवन बिताया और अब बिना किसी डर और मतलब के तू इस भयंकर समुंदर में मुझे लेकर आ गया और ऊपर से तेरे यह जलते हुए टैटू ... वैसे तेरे वो टैटू बड़े अजीब थे और डरावने भी... कहा से बनवाया...? मै भी सोच रहा हूँ कि यहाँ से यदि जिन्दा बच गया तो टैटू बनवाऊंगा... मेरी कोलकाता वाली रंडी को बहुत पसंद है टैटू..."


" जब मैं पैदा हुआ तब से यह निशान मेरे शरीर पर हैं.. और इसी निशान के चलते एक दिन कुछ लोग आए और मुझे, मेरी मां के साथ अधमरा करके समुंदर के किनारे फेंक दिया, जहा समुंदर ने हम दोनों को निगल लिया.. मेरी किस्मत अच्छी थी, लेकिन मेरी माँ... उनका कुछ पता नहीं चला. कभी -कभी रात मे तारो को देखते हुए सोचता हूँ उनके बारे मे.. उनकी शक्ल तक मुझे अब याद नहीं.. लेकिन उनका साया आज भी मैं महसूस कर सकता हूँ.. यदि वो जिन्दा रहती तो अवश्य ही मुझे मेरे श्राप के बारे मे कुछ बता सकती थी. पर अब... शायद ही मैं उनसे कभी मिल पाऊं... समुन्दर की देवी उस दिन मुझपर मेहरबान थी, जो उसने मुझे बक्श दिया... "


"वैसे यदि तेरे सीने और.... और..... पीठ के तरफ के निशान को मिलाया जाये.... तो....."गर्दन इधर -उधर करके राज के शरीर मे बने निशान को देखते हुए आदित्य ने कहा " तो... तो... ये सर्किल के अंदर एक फाइव पॉइंटेड स्टार का सिंबल बनाते है.... जिसका मतलब... किसी तरह का सुरक्षा कवच होता है शायद, यदि मैं सही हूँ तो "


"पता नहीं.. शायद इस निशान ने बचपन मे मुझे बचा लिया... ताकि जिंदगी भर मुझे तड़पता हुआ देख सके... तभी से मैं अक्सर समंदर में बहकर आए हुए लोगों की मदद करता हूं... परिस्थितियां चाहे कैसी भी हो, समुंदर उफान पर हो या फिर शांत हो, मैंने आज तक अपनी निगरानी में किसी को मरने नहीं दिया... और इसीलिए कुछ लोग जिनकी मैंने जान बचाई, वो मुझे समुन्दर का शिकारी भी कहते है ..."



"तेरी उस समुन्दर की देवी.. जिसकी बात तू कर रहा था... उसको तूने देखा है क्या..."चहकते हुए आदित्य ने पूछा
"नहीं... क्यों..?"


"वो चोदने को देगी...क्या...?? मिलेगी तो पूछ के बताना... बोल देना लौंडा कैप्टन है और फटत ले हैंडसम भी है... चोदता भी बहुत देर तक है, दो -दो बार तो मैं चूत चूसते हुए लड़कियों को झड़वा देता हूँ..."


"तुम इतनी गन्दी बात.. समुन्दर की देवी के बारे मे कैसी कर सकते हो..."


"क्यों.... उसके पास चूत नहीं है क्या..?? किसी ना किसी से तो चुदती ही होगी, तो मुझसे भी चोदवा ले..."


"यदि समुन्दर की देवी अपने पे आ गई ना तो... "


"लवड़ा... एक बार बुला तो.. पहले.. वैसे उसका नाम क्या है समुन्दर की देवी का..."


"शायद... लीना... एक प्राचीन सल्तनत थी समुन्दर मे. उसी काल मे कुछ लोग लीना नाम की जादूगरनी को समुन्दर की देवी कहते थे... कुछ तो ये भी कहते है कि.. उसी ने सम्राट मार्टिन के विशाल सल्तनत को बर्बाद किया था... "


"किस नस्ल की थी...??"


"मतलब... मैं समझा नहीं..."


"मतलब... नस्ल से पता चल जायेगा ना की.. उसकी चूत काली थी या गोरी... गोरी चूत चाटने का मजा ही अलग है.. Bf मे नहीं देखा तू...?? कितना मस्त चूत चाटते है वो लोग... BF... ऐसे क्या सोच रहा है... BF नहीं देखा क्या आज तक...?? वैसे तुझे जरूरत भी क्या.. तेरे इधर तो वैसे भी आधी नंगी औरते रहती है.. लोग-बाग़ जान -बुचकर टकराते होंगे, महिलाओ से... Anytime, उनका लंड खड़ा रहता होगा... मैं यदि तेरे आइलैंड मे रहता ना... तो रोज दिन मे 10 बार मुट्ठ मारता और उन्ही की चूचियों पर गिराता..."


"मेरे लोगो के बारे मे एक शब्द और गलत कहा तो... नीचे फेक दूंगा..."


" तू तो बुर मान गया... क्या शिकारी बनेगा."नाव पर खड़े होकर दूर समुन्दर की ओर देखते हुए आदित्य, किसी मंजिल की तलाश करने लगा... जहा से वो वापस कोलकाता जा सके.



Pics-Art-07-16-03-05-35


Kaptan Aditya ko hawas apne chaman pe he sorry charam pe he.
Logo ke andar thodi hawas hoti hogi, lekin janab ke andar thoda insan aur baki puri hawas he hawas he:bow:
Achha he ke ye sidhe he :hint: warna ho jata kalyan bakiyo ka bhi
 

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#7. The Cursed ~ शापित





रॉन ने उस अंग्रेजन के नितम्बो पर थपकी देकर उसे वहाँ से जाने के लिए कहा और जब वो बिस्तर पर खड़े होकर कपडे पहनने लगी तो बाहर अपने छातियों और योनि को कपडे के बाहर से ही मसल रही रूबी को जैसे होश आया और वो तुरंत खड़ी होकर वहां से अपने रूम के लिए चल दी.... पर वो अपने रूम तक नहीं गई बल्कि वहाँ से सिर्फ थोड़ी दूर तक आई थी, उसने थोड़ी देर पहले जो देखा था... उसकी वजह से उसकी आँखों से अब नींद गायब थी. इसी बीच रॉन के कमरे का दरवाजा खुला और वो अंग्रेजन बाहर निकली... रूबी ने पीछे पलटकर उसको लंगड़ा -लंगड़ा कर जाते हुए देखा. अब क्योंकि रूबी की आंखों से नींद कोसों दूर थी और उसके मन मे कुछ सवाल भी थे... इसलिए उसने अपने रूम जाने का विचार त्यागा और वापस रॉन के रूम की तरफ चल दी ... इस बार रॉन के रूम का दरवाजा आधा खुला हुआ था. रूबी ने आधे खुले हुए दरवाजे पर हाथ रखकर अंदर झांका तो रॉन बिस्तर पर अपने दोनों पैर झूलाये , अपना सिर ऊपर किये, उंगलियों से ऊपर कुछ इशारा करते हुए बड़बड़ा रहा था...



"वो क्या है, उस आइलैंड के बीचो -बीच एक तहखाना है... जहा इतनी सारी लाशें रखी हुई है और उन्ही लाशों के बीच...."


" क्या सोच रहे है आप, रॉन? सॉरी... दी रॉन... " कमरे के अंदर आते हुए रूबी मुस्कुरा कर बोली


" रूबी तुमममम.... तुममम ... यहां.... यहाँ क्या कर रही हो.. वो भी इस वक़्त..? कही तुम वो सब करने तो नहीं आयी... मै तैयार हूँ... चलो हो जाए.. बहुत मजा आएगा..."


" बस नींद नहीं आ रही थी तो सोचा क्यों ना तुम्हारी बकवास बातें सुन लिया जाए..."रॉन के बिस्तर की तरफ बढ़ते हुए रूबी बोली


" अच्छा ख्याल है, मुझे भी जब नींद नहीं आती तो... मैं भी खुद से बाते करने लगता हूं... फिर बडी मस्त नींद आती है... याह्ह्ह्हह्ह...."अंडरटेकर के माफिक़ अचानक बिस्तर पर बैठते हुए रॉन बोला... जिससे रूबी डरकर थोड़ा दूर छिटक गई और रॉन, रूबी पर हँसने लगा...


"वैसे मैं तुमसे कुछ पूछ सकता हूं..."बिस्तर से नीचे उतरते हुए रॉन ने रूबी से पूछा


" बिल्कुल भी नहीं... मेरा मतलब ... बिल्कुल... बिल्कुल... क्यों नहीं"


" तुमने इस जहाज का नाम बेलाडोना (Belladonna ) क्यों रखा है..."


" क्यों तुम्हें नाम पसंद नहीं आया...?"


" ऐसा ही समझ लो..."


"ठीक है, तो फिर यदि तुम्हे मौका दिया जाता तो तुम इस जहाज का क्या नाम रखते...?"


"मै इसका नाम कुछ खुंखार टाइप रखता ...जैसे... मुर्दो का जहाज या फिर The Spiritual Ship.... वैसे दोनों एक ही जहाज के नाम है..... "


" बेलाडोना का मतलब समझते हो..?"


" नहीं.. शायद तुम्हारी किसी महिला मित्र का नाम होगा, जिसके साथ तुम्हारे समलैंगिक संबंध होंगे.. कही तुम्हारी सेक्रेटरी का नाम तो बेलाडोना नहीं... आखिरी बार मेरे पीछे ही पड़ गई थी वो "


" मतलब कुछ भी...? बेलाडोना का मतलब है एक मरी हुई खूबसूरत लड़की... जो अंधेरे समंदर में अपनी रूहानी ताकत से तैरते हुए बड़े से बड़े जहाज को डूबा दे... और उस भयंकर तरीके से डूबाये की एक भी इंसान जिंदा ना बचे.. ये मतलब है बेलाडोना का... Atleast, मेरी नजर मे तो यही है "


" कहीं वह मरी हुई खूबसूरत लड़की तुम तो नहीं..."


"वो छोडो और ये बताओ कि तुमने जहाज को किस दिशा में मोड़ना है, बिना किसी नक़्शे के कैसे बता दिया आज...?"


" बताया तो था कि मैं पहले भी उस डेविल्स ट्रायंगल में जा चुका हूं...."


"मछली मारने...?? है ना....?? कभी तो सच बता दिया करो.."


" जानेमन, मैं हमेशा सच ही बोलता हूं.... अब लोग ही इतने झूठे है की उन्हें सच सुनने की आदत नहीं है तो इसमें मै क्या कर सकता हूँ.. "


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" ना रे, लवडे.... हम 2 दिनों से चले जा रहे हैं, चले जा रहे हैं.. लेकिन जमीन का कोई नामोनिशान तक नहीं, एक बार जब दो पहाड़ियों के बीच से निकाला तो लगा की... बस पहुंच गये और मैं प्लेन मे बैठकर कोलकाता के लिए सीधे निकल लूंगा... पर लवड़ा लगता है, यही मरना पड़ेगा. तुझे रास्ता मालूम भी है या यूं ही मुझे घुमा रहा है... " आदित्य ने कश्ती में बैठे हुए, राज से चिल्लाकर कहा....


"लवड़ा मतलब...??"


"लवड़ा मतलब.. दोस्त... अब बता ,कितना टाइम लगींगा "



कई दिनों पहले वो उस छोटे से नाव मे उस आइलैंड से चले थे, जहा आदित्य ड्रैगन्स के हमले के बाद बहते हुए पंहुचा था... जो खाने -पीने के लिए राज ने समान रखा था, वो भी अब खत्म हो चुका था और अब भूख के मारे उसकी जान जा रही थी और उसे लगने लगा था की... ऐसे भूखे मरने से अच्छा वो ड्रैगन्स के मुँह का निवाला बन जाता तो ज्यादा बेहतर रहता.... वहाँ कम से कम कुछ देर ही उसे तड़पना पड़ता.. लेकिन यहाँ.. राज के साथ.... वो पिछले दो दिनों से भूखा था और ना जाने आगे कब तक उसे ऐसे ही भूखे प्यासे रहना था...


" ऐसे बेहूदा सवाल करने और मुझपर चिल्लाने की बजाय यदि पतवार चलाने में ध्यान दिया होता, तो अब तक हम पहुंच गए होते... कब तक मैं अकेले पतवार चलाऊ... अब तुम्हारी बारी..."


" पतवार.... पतवार... पतवार... बोर हो चुका हूं मैं इस मूत भरे पानी मे पतवार चला चला कर... साला जिधर देखो पानी.. पानी... पानी.... वह भी खारा... दरअसल ये पानी नहीं है बल्कि समुन्दर चुदने के बाद orgasm के रूप मे जो लिक्विड निकालती है ना.. वो चूत पानी है ये सब..... चोदरी कही की. बोर हो गया मैं... यहाँ "


" फिर तो तुम्हें मार्टिन के मुर्दे आईलैंड में भेज देना चाहिए, वहां जमीन में दफन मुर्दे तुम्हारा अच्छा टाइम पास करेंगे..."


" मुर्दा आईलैंड..? यह इंटरेस्टिंग टॉपिक लगता है.. इसके बारे में और बता तो . कुछ तो इस वीरान समंदर में टाइम पास होगा और भूख से ध्यान हटेगा.. "


"मुझे ज्यादा कुछ तो नहीं मालूम बस इतना सुना है कि.. कई साल पहले उस मुर्दे आईलैंड यानी डेथ आईलैंड~Death Island मे कई आदमियों को जिंदा दफनाया गया था.. साथ में समुंदर की शान कहे जाने वाले.. The Spiritual Ship~ मुर्दो के जहाज को भी. उसका जगह का प्राचीन नाम ड्रैगन्स आइलैंड था.. जो कलांतर मे D -Land और फिर अंततः Death आइलैंड कहलाने लगा ...."


" यह कौन सा जहाज है..? द स्पिरिचुअल शिप ..? साले, बीच समुन्दर मे मुझे बेकूफ़ बना रहा है तू और पहले तो इस आइलैंड और इस जहाज के बारे में कभी नहीं सुना..."


"कहा जाता है कि जब यह जहाज समुंदर में चलता था तो इसकी रक्षा.. समुंदर में मरे हुए लोगों की रूहे करती थी, उसे कोई नहीं डूबा सकता था "


"हा हा हा.. फिर डूबा कैसे... क्या बकवास है.. दे ताली.. " आदित्य ने अपना हाथ राज की तरफ किया, जिसके बाद राज ने भी ताली देने के लिए अपना हाथ उठाया...


"अबे हट... इतना चोमू समझा हूँ क्या मुझे ... कि मुझे तू कुछ भी बोलेगा और कैप्टन आदि उसे सच मान लेगा..."ऐन मौके पर अपना हाथ हटाते हुए आदित्य भड़क उठा, जिससे राज ने जो हाथ ताली देने के लिए उठाया था वो नीचे सीधे नाव से टकराया.... राज को गुस्सा तो आया पर उसने इसे जाहिर नहीं किया


" कुछ लोग इसे सच मानते हैं, तुम्हारा मानना या ना मानना... कोई फर्क नहीं पड़ता..." बोलते -बोलते राज अचानक से रुका, उसके चेहरे का रंग बदलने लगा. Literally.



ये उसके साथ पिछले कुछ महीनों से हो रहा था, जब उसके पुरे शरीर मे वक़्त -बेवक़्त अचानक ही जोरो की जलन शुरू हो जाती थी, मानो उसके शरीर को कोई प्रचंड अग्नि मे जला रहा हो या फिर... कोई गर्म लोहे का सरिया उसके पुरे शरीर मे रगड़ रहा हो.. उसके कबीले के लोग इसे कोई दैवीय श्राप मानने लगे थे, लेकिन साथ ही साथ इस श्राप से लड़ने का तरीका भी उन्होंने बहुत जल्द ढूंढ लिया था. जिससे राज को बहुत देर तक ये पीड़ा सहन नहीं करनी पडती थी.


"तुझे अचानक से क्या हुआ,.. चुतियो जैसी शक्ल क्यों बना ली.. कुछ गड़बड़ है क्या..?"राज जब बोलते हुए अचानक रुका तो आदित्य ने कहा "कही तेरा पेट तो ख़राब नहीं है और तूने अपने कपडे मे ही... कर दिया हो...?? छी... आकककक.. थू..."


" नहीं..... सबबबबब....ठीक है.. अब.... तुम पतवार चलाओ.". कहते हुए राज ने पतवार आदित्य की ओर फेक कर.. नाव मे पीछे होकर अपनी पीठ रगड़ कर जलन को कम करने की कोशिश करने लगा


" बोल ना क्या प्रॉब्लम है.. तेरा चेहरा अचानक से लाल क्यों हो गया.. सच सच बता.. तूने अपना पैंट गन्दा कर दिया ना.. देख सच बता दे.. शरमा मत, मैं भी कल रात सोते सोते पैंट मे मूत दिया था "


जिसके जवाब में कुछ ना बोलकर राज चुप चाप झटके से खड़ा हुआ और अपने कमर के ऊपर के पूरे कपड़े उतार कर कश्ती में एक ओर फेका और वही किनारे पर रखी एक बोतल आदित्य को देते हुए बोला....


" जब मेरी शरीर से आग की लपटे निकलने लगेंगी तो इसमें जो भी है, मेरे शरीर पर बने हुए निशान पर डाल देना..."


" बोतल में दारू है क्या.. पहले बताना था... और क्या बोला तूने आंड.. आग...?? कैसी आग...?"बोतल सूंघते हुए आदित्य ने पूछा



राज ने अपनी पीठ आदित्य की तरफ की और आदित्य की तरफ पीठ करते ही उसके पीठ और सीने मे बने अजीब तरह के निशान अचानक से जल उठे, राज के शरीर के कई भाग से आग की लपटे निकलने लगी... नाव मे नीचे घुटनो के बल गिरकर नाव को हाथो से जोर -जोर पीटते हुए राज दर्द से चिल्लाने लगा और इधर आदित्य यही सोच रहा था कि इस बोतल में दारू है या कुछ और है..


"यययएई.... जल्दी..... बोतल में जो भी है.. उड़ेल दो मेरी उपर.."


तब आदित्य का ध्यान वापस जलते हुए राज पर गया और उसने तुरंत पूरी बोतल राज के ऊपर एक बार मे उड़ेल दी. राज के कबीले द्वारा तैयार किये गये उस द्रव पदार्थ के राज के शरीर मे पड़ने से तुरंत राज नार्मल होने लगा और उसके शरीर मे धधक रही अग्नि धीरे -धीरे शांत होने लगी. लेकिन राज नाव मे एक किनारे लेटा , दर्द से कराहता रहा..... अंततः बोतल मे जो कुछ भी था.. उससे राज को जब पूरी तरह आराम मिला तो वो लम्बी -लम्बी साँसे भरते हुए नाव के सहारे अपना शरीर टिका कर बैठा



" यह क्या था बे.... "आदित्य को अभी तक ये हजम नहीं हो रहा था की अभी थोड़ी देर पहले जो हुआ.. वो क्यों हुआ, कैसे हुआ और किसलिए हुआ...


"मै ठीक हूँ..."


"साला, जबसे उन मनहूस ड्रैगंस को देखा है तब से ऐसी अजीब अजीब चीजें देखने को मिल रही है.. पहले आग उगलने वाले जहाज के बराबर पंछियो को देखा तो अब आग उगलने वाले एक इंसान को... आग से नफरत हो गई है मुझे. मै भी अब चाइनीजो की तरह बिना आग मे पकाये कच्चा मांस खाऊंगा... होने दो कोरोना "


" अब सब ठीक है..."


" यार, तेरा अलग ही फंडा है..? एक तो तू बचपन में अचानक से उस वीरान आईलैंड में पहुंच गया जहां तूने अपना पूरा जीवन बिताया और अब बिना किसी डर और मतलब के तू इस भयंकर समुंदर में मुझे लेकर आ गया और ऊपर से तेरे यह जलते हुए टैटू ... वैसे तेरे वो टैटू बड़े अजीब थे और डरावने भी... कहा से बनवाया...? मै भी सोच रहा हूँ कि यहाँ से यदि जिन्दा बच गया तो टैटू बनवाऊंगा... मेरी कोलकाता वाली रंडी को बहुत पसंद है टैटू..."


" जब मैं पैदा हुआ तब से यह निशान मेरे शरीर पर हैं.. और इसी निशान के चलते एक दिन कुछ लोग आए और मुझे, मेरी मां के साथ अधमरा करके समुंदर के किनारे फेंक दिया, जहा समुंदर ने हम दोनों को निगल लिया.. मेरी किस्मत अच्छी थी, लेकिन मेरी माँ... उनका कुछ पता नहीं चला. कभी -कभी रात मे तारो को देखते हुए सोचता हूँ उनके बारे मे.. उनकी शक्ल तक मुझे अब याद नहीं.. लेकिन उनका साया आज भी मैं महसूस कर सकता हूँ.. यदि वो जिन्दा रहती तो अवश्य ही मुझे मेरे श्राप के बारे मे कुछ बता सकती थी. पर अब... शायद ही मैं उनसे कभी मिल पाऊं... समुन्दर की देवी उस दिन मुझपर मेहरबान थी, जो उसने मुझे बक्श दिया... "


"वैसे यदि तेरे सीने और.... और..... पीठ के तरफ के निशान को मिलाया जाये.... तो....."गर्दन इधर -उधर करके राज के शरीर मे बने निशान को देखते हुए आदित्य ने कहा " तो... तो... ये सर्किल के अंदर एक फाइव पॉइंटेड स्टार का सिंबल बनाते है.... जिसका मतलब... किसी तरह का सुरक्षा कवच होता है शायद, यदि मैं सही हूँ तो "


"पता नहीं.. शायद इस निशान ने बचपन मे मुझे बचा लिया... ताकि जिंदगी भर मुझे तड़पता हुआ देख सके... तभी से मैं अक्सर समंदर में बहकर आए हुए लोगों की मदद करता हूं... परिस्थितियां चाहे कैसी भी हो, समुंदर उफान पर हो या फिर शांत हो, मैंने आज तक अपनी निगरानी में किसी को मरने नहीं दिया... और इसीलिए कुछ लोग जिनकी मैंने जान बचाई, वो मुझे समुन्दर का शिकारी भी कहते है ..."



"तेरी उस समुन्दर की देवी.. जिसकी बात तू कर रहा था... उसको तूने देखा है क्या..."चहकते हुए आदित्य ने पूछा
"नहीं... क्यों..?"


"वो चोदने को देगी...क्या...?? मिलेगी तो पूछ के बताना... बोल देना लौंडा कैप्टन है और फटत ले हैंडसम भी है... चोदता भी बहुत देर तक है, दो -दो बार तो मैं चूत चूसते हुए लड़कियों को झड़वा देता हूँ..."


"तुम इतनी गन्दी बात.. समुन्दर की देवी के बारे मे कैसी कर सकते हो..."


"क्यों.... उसके पास चूत नहीं है क्या..?? किसी ना किसी से तो चुदती ही होगी, तो मुझसे भी चोदवा ले..."


"यदि समुन्दर की देवी अपने पे आ गई ना तो... "


"लवड़ा... एक बार बुला तो.. पहले.. वैसे उसका नाम क्या है समुन्दर की देवी का..."


"शायद... लीना... एक प्राचीन सल्तनत थी समुन्दर मे. उसी काल मे कुछ लोग लीना नाम की जादूगरनी को समुन्दर की देवी कहते थे... कुछ तो ये भी कहते है कि.. उसी ने सम्राट मार्टिन के विशाल सल्तनत को बर्बाद किया था... "


"किस नस्ल की थी...??"


"मतलब... मैं समझा नहीं..."


"मतलब... नस्ल से पता चल जायेगा ना की.. उसकी चूत काली थी या गोरी... गोरी चूत चाटने का मजा ही अलग है.. Bf मे नहीं देखा तू...?? कितना मस्त चूत चाटते है वो लोग... BF... ऐसे क्या सोच रहा है... BF नहीं देखा क्या आज तक...?? वैसे तुझे जरूरत भी क्या.. तेरे इधर तो वैसे भी आधी नंगी औरते रहती है.. लोग-बाग़ जान -बुचकर टकराते होंगे, महिलाओ से... Anytime, उनका लंड खड़ा रहता होगा... मैं यदि तेरे आइलैंड मे रहता ना... तो रोज दिन मे 10 बार मुट्ठ मारता और उन्ही की चूचियों पर गिराता..."


"मेरे लोगो के बारे मे एक शब्द और गलत कहा तो... नीचे फेक दूंगा..."


" तू तो बुर मान गया... क्या शिकारी बनेगा."नाव पर खड़े होकर दूर समुन्दर की ओर देखते हुए आदित्य, किसी मंजिल की तलाश करने लगा... जहा से वो वापस कोलकाता जा सके.



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Very nice update bhai maza aa gya ab dekhte hai ki aage kya hota hai
 
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