#7. The Cursed ~ शापित
रॉन ने उस अंग्रेजन के नितम्बो पर थपकी देकर उसे वहाँ से जाने के लिए कहा और जब वो बिस्तर पर खड़े होकर कपडे पहनने लगी तो बाहर अपने छातियों और योनि को कपडे के बाहर से ही मसल रही रूबी को जैसे होश आया और वो तुरंत खड़ी होकर वहां से अपने रूम के लिए चल दी.... पर वो अपने रूम तक नहीं गई बल्कि वहाँ से सिर्फ थोड़ी दूर तक आई थी, उसने थोड़ी देर पहले जो देखा था... उसकी वजह से उसकी आँखों से अब नींद गायब थी. इसी बीच रॉन के कमरे का दरवाजा खुला और वो अंग्रेजन बाहर निकली... रूबी ने पीछे पलटकर उसको लंगड़ा -लंगड़ा कर जाते हुए देखा. अब क्योंकि रूबी की आंखों से नींद कोसों दूर थी और उसके मन मे कुछ सवाल भी थे... इसलिए उसने अपने रूम जाने का विचार त्यागा और वापस रॉन के रूम की तरफ चल दी ... इस बार रॉन के रूम का दरवाजा आधा खुला हुआ था. रूबी ने आधे खुले हुए दरवाजे पर हाथ रखकर अंदर झांका तो रॉन बिस्तर पर अपने दोनों पैर झूलाये , अपना सिर ऊपर किये, उंगलियों से ऊपर कुछ इशारा करते हुए बड़बड़ा रहा था...
"वो क्या है, उस आइलैंड के बीचो -बीच एक तहखाना है... जहा इतनी सारी लाशें रखी हुई है और उन्ही लाशों के बीच...."
" क्या सोच रहे है आप, रॉन? सॉरी... दी रॉन... " कमरे के अंदर आते हुए रूबी मुस्कुरा कर बोली
" रूबी तुमममम.... तुममम ... यहां.... यहाँ क्या कर रही हो.. वो भी इस वक़्त..? कही तुम वो सब करने तो नहीं आयी... मै तैयार हूँ... चलो हो जाए.. बहुत मजा आएगा..."
" बस नींद नहीं आ रही थी तो सोचा क्यों ना तुम्हारी बकवास बातें सुन लिया जाए..."रॉन के बिस्तर की तरफ बढ़ते हुए रूबी बोली
" अच्छा ख्याल है, मुझे भी जब नींद नहीं आती तो... मैं भी खुद से बाते करने लगता हूं... फिर बडी मस्त नींद आती है... याह्ह्ह्हह्ह...."अंडरटेकर के माफिक़ अचानक बिस्तर पर बैठते हुए रॉन बोला... जिससे रूबी डरकर थोड़ा दूर छिटक गई और रॉन, रूबी पर हँसने लगा...
"वैसे मैं तुमसे कुछ पूछ सकता हूं..."बिस्तर से नीचे उतरते हुए रॉन ने रूबी से पूछा
" बिल्कुल भी नहीं... मेरा मतलब ... बिल्कुल... बिल्कुल... क्यों नहीं"
" तुमने इस जहाज का नाम बेलाडोना (Belladonna ) क्यों रखा है..."
" क्यों तुम्हें नाम पसंद नहीं आया...?"
" ऐसा ही समझ लो..."
"ठीक है, तो फिर यदि तुम्हे मौका दिया जाता तो तुम इस जहाज का क्या नाम रखते...?"
"मै इसका नाम कुछ खुंखार टाइप रखता ...जैसे... मुर्दो का जहाज या फिर The Spiritual Ship.... वैसे दोनों एक ही जहाज के नाम है..... "
" बेलाडोना का मतलब समझते हो..?"
" नहीं.. शायद तुम्हारी किसी महिला मित्र का नाम होगा, जिसके साथ तुम्हारे समलैंगिक संबंध होंगे.. कही तुम्हारी सेक्रेटरी का नाम तो बेलाडोना नहीं... आखिरी बार मेरे पीछे ही पड़ गई थी वो "
" मतलब कुछ भी...? बेलाडोना का मतलब है एक मरी हुई खूबसूरत लड़की... जो अंधेरे समंदर में अपनी रूहानी ताकत से तैरते हुए बड़े से बड़े जहाज को डूबा दे... और उस भयंकर तरीके से डूबाये की एक भी इंसान जिंदा ना बचे.. ये मतलब है बेलाडोना का... Atleast, मेरी नजर मे तो यही है "
" कहीं वह मरी हुई खूबसूरत लड़की तुम तो नहीं..."
"वो छोडो और ये बताओ कि तुमने जहाज को किस दिशा में मोड़ना है, बिना किसी नक़्शे के कैसे बता दिया आज...?"
" बताया तो था कि मैं पहले भी उस डेविल्स ट्रायंगल में जा चुका हूं...."
"मछली मारने...?? है ना....?? कभी तो सच बता दिया करो.."
" जानेमन, मैं हमेशा सच ही बोलता हूं.... अब लोग ही इतने झूठे है की उन्हें सच सुनने की आदत नहीं है तो इसमें मै क्या कर सकता हूँ.. "
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" ना रे, लवडे.... हम 2 दिनों से चले जा रहे हैं, चले जा रहे हैं.. लेकिन जमीन का कोई नामोनिशान तक नहीं, एक बार जब दो पहाड़ियों के बीच से निकाला तो लगा की... बस पहुंच गये और मैं प्लेन मे बैठकर कोलकाता के लिए सीधे निकल लूंगा... पर लवड़ा लगता है, यही मरना पड़ेगा. तुझे रास्ता मालूम भी है या यूं ही मुझे घुमा रहा है... " आदित्य ने कश्ती में बैठे हुए, राज से चिल्लाकर कहा....
"लवड़ा मतलब...??"
"लवड़ा मतलब.. दोस्त... अब बता ,कितना टाइम लगींगा "
कई दिनों पहले वो उस छोटे से नाव मे उस आइलैंड से चले थे, जहा आदित्य ड्रैगन्स के हमले के बाद बहते हुए पंहुचा था... जो खाने -पीने के लिए राज ने समान रखा था, वो भी अब खत्म हो चुका था और अब भूख के मारे उसकी जान जा रही थी और उसे लगने लगा था की... ऐसे भूखे मरने से अच्छा वो ड्रैगन्स के मुँह का निवाला बन जाता तो ज्यादा बेहतर रहता.... वहाँ कम से कम कुछ देर ही उसे तड़पना पड़ता.. लेकिन यहाँ.. राज के साथ.... वो पिछले दो दिनों से भूखा था और ना जाने आगे कब तक उसे ऐसे ही भूखे प्यासे रहना था...
" ऐसे बेहूदा सवाल करने और मुझपर चिल्लाने की बजाय यदि पतवार चलाने में ध्यान दिया होता, तो अब तक हम पहुंच गए होते... कब तक मैं अकेले पतवार चलाऊ... अब तुम्हारी बारी..."
" पतवार.... पतवार... पतवार... बोर हो चुका हूं मैं इस मूत भरे पानी मे पतवार चला चला कर... साला जिधर देखो पानी.. पानी... पानी.... वह भी खारा... दरअसल ये पानी नहीं है बल्कि समुन्दर चुदने के बाद orgasm के रूप मे जो लिक्विड निकालती है ना.. वो चूत पानी है ये सब..... चोदरी कही की. बोर हो गया मैं... यहाँ "
" फिर तो तुम्हें मार्टिन के मुर्दे आईलैंड में भेज देना चाहिए, वहां जमीन में दफन मुर्दे तुम्हारा अच्छा टाइम पास करेंगे..."
" मुर्दा आईलैंड..? यह इंटरेस्टिंग टॉपिक लगता है.. इसके बारे में और बता तो . कुछ तो इस वीरान समंदर में टाइम पास होगा और भूख से ध्यान हटेगा.. "
"मुझे ज्यादा कुछ तो नहीं मालूम बस इतना सुना है कि.. कई साल पहले उस मुर्दे आईलैंड यानी डेथ आईलैंड~Death Island मे कई आदमियों को जिंदा दफनाया गया था.. साथ में समुंदर की शान कहे जाने वाले.. The Spiritual Ship~ मुर्दो के जहाज को भी. उसका जगह का प्राचीन नाम ड्रैगन्स आइलैंड था.. जो कलांतर मे D -Land और फिर अंततः Death आइलैंड कहलाने लगा ...."
" यह कौन सा जहाज है..? द स्पिरिचुअल शिप ..? साले, बीच समुन्दर मे मुझे बेकूफ़ बना रहा है तू और पहले तो इस आइलैंड और इस जहाज के बारे में कभी नहीं सुना..."
"कहा जाता है कि जब यह जहाज समुंदर में चलता था तो इसकी रक्षा.. समुंदर में मरे हुए लोगों की रूहे करती थी, उसे कोई नहीं डूबा सकता था "
"हा हा हा.. फिर डूबा कैसे... क्या बकवास है.. दे ताली.. " आदित्य ने अपना हाथ राज की तरफ किया, जिसके बाद राज ने भी ताली देने के लिए अपना हाथ उठाया...
"अबे हट... इतना चोमू समझा हूँ क्या मुझे ... कि मुझे तू कुछ भी बोलेगा और कैप्टन आदि उसे सच मान लेगा..."ऐन मौके पर अपना हाथ हटाते हुए आदित्य भड़क उठा, जिससे राज ने जो हाथ ताली देने के लिए उठाया था वो नीचे सीधे नाव से टकराया.... राज को गुस्सा तो आया पर उसने इसे जाहिर नहीं किया
" कुछ लोग इसे सच मानते हैं, तुम्हारा मानना या ना मानना... कोई फर्क नहीं पड़ता..." बोलते -बोलते राज अचानक से रुका, उसके चेहरे का रंग बदलने लगा. Literally.
ये उसके साथ पिछले कुछ महीनों से हो रहा था, जब उसके पुरे शरीर मे वक़्त -बेवक़्त अचानक ही जोरो की जलन शुरू हो जाती थी, मानो उसके शरीर को कोई प्रचंड अग्नि मे जला रहा हो या फिर... कोई गर्म लोहे का सरिया उसके पुरे शरीर मे रगड़ रहा हो.. उसके कबीले के लोग इसे कोई दैवीय श्राप मानने लगे थे, लेकिन साथ ही साथ इस श्राप से लड़ने का तरीका भी उन्होंने बहुत जल्द ढूंढ लिया था. जिससे राज को बहुत देर तक ये पीड़ा सहन नहीं करनी पडती थी.
"तुझे अचानक से क्या हुआ,.. चुतियो जैसी शक्ल क्यों बना ली.. कुछ गड़बड़ है क्या..?"राज जब बोलते हुए अचानक रुका तो आदित्य ने कहा "कही तेरा पेट तो ख़राब नहीं है और तूने अपने कपडे मे ही... कर दिया हो...?? छी... आकककक.. थू..."
" नहीं..... सबबबबब....ठीक है.. अब.... तुम पतवार चलाओ.". कहते हुए राज ने पतवार आदित्य की ओर फेक कर.. नाव मे पीछे होकर अपनी पीठ रगड़ कर जलन को कम करने की कोशिश करने लगा
" बोल ना क्या प्रॉब्लम है.. तेरा चेहरा अचानक से लाल क्यों हो गया.. सच सच बता.. तूने अपना पैंट गन्दा कर दिया ना.. देख सच बता दे.. शरमा मत, मैं भी कल रात सोते सोते पैंट मे मूत दिया था "
जिसके जवाब में कुछ ना बोलकर राज चुप चाप झटके से खड़ा हुआ और अपने कमर के ऊपर के पूरे कपड़े उतार कर कश्ती में एक ओर फेका और वही किनारे पर रखी एक बोतल आदित्य को देते हुए बोला....
" जब मेरी शरीर से आग की लपटे निकलने लगेंगी तो इसमें जो भी है, मेरे शरीर पर बने हुए निशान पर डाल देना..."
" बोतल में दारू है क्या.. पहले बताना था... और क्या बोला तूने आंड.. आग...?? कैसी आग...?"बोतल सूंघते हुए आदित्य ने पूछा
राज ने अपनी पीठ आदित्य की तरफ की और आदित्य की तरफ पीठ करते ही उसके पीठ और सीने मे बने अजीब तरह के निशान अचानक से जल उठे, राज के शरीर के कई भाग से आग की लपटे निकलने लगी... नाव मे नीचे घुटनो के बल गिरकर नाव को हाथो से जोर -जोर पीटते हुए राज दर्द से चिल्लाने लगा और इधर आदित्य यही सोच रहा था कि इस बोतल में दारू है या कुछ और है..
"यययएई.... जल्दी..... बोतल में जो भी है.. उड़ेल दो मेरी उपर.."
तब आदित्य का ध्यान वापस जलते हुए राज पर गया और उसने तुरंत पूरी बोतल राज के ऊपर एक बार मे उड़ेल दी. राज के कबीले द्वारा तैयार किये गये उस द्रव पदार्थ के राज के शरीर मे पड़ने से तुरंत राज नार्मल होने लगा और उसके शरीर मे धधक रही अग्नि धीरे -धीरे शांत होने लगी. लेकिन राज नाव मे एक किनारे लेटा , दर्द से कराहता रहा..... अंततः बोतल मे जो कुछ भी था.. उससे राज को जब पूरी तरह आराम मिला तो वो लम्बी -लम्बी साँसे भरते हुए नाव के सहारे अपना शरीर टिका कर बैठा
" यह क्या था बे.... "आदित्य को अभी तक ये हजम नहीं हो रहा था की अभी थोड़ी देर पहले जो हुआ.. वो क्यों हुआ, कैसे हुआ और किसलिए हुआ...
"मै ठीक हूँ..."
"साला, जबसे उन मनहूस ड्रैगंस को देखा है तब से ऐसी अजीब अजीब चीजें देखने को मिल रही है.. पहले आग उगलने वाले जहाज के बराबर पंछियो को देखा तो अब आग उगलने वाले एक इंसान को... आग से नफरत हो गई है मुझे. मै भी अब चाइनीजो की तरह बिना आग मे पकाये कच्चा मांस खाऊंगा... होने दो कोरोना "
" अब सब ठीक है..."
" यार, तेरा अलग ही फंडा है..? एक तो तू बचपन में अचानक से उस वीरान आईलैंड में पहुंच गया जहां तूने अपना पूरा जीवन बिताया और अब बिना किसी डर और मतलब के तू इस भयंकर समुंदर में मुझे लेकर आ गया और ऊपर से तेरे यह जलते हुए टैटू ... वैसे तेरे वो टैटू बड़े अजीब थे और डरावने भी... कहा से बनवाया...? मै भी सोच रहा हूँ कि यहाँ से यदि जिन्दा बच गया तो टैटू बनवाऊंगा... मेरी कोलकाता वाली रंडी को बहुत पसंद है टैटू..."
" जब मैं पैदा हुआ तब से यह निशान मेरे शरीर पर हैं.. और इसी निशान के चलते एक दिन कुछ लोग आए और मुझे, मेरी मां के साथ अधमरा करके समुंदर के किनारे फेंक दिया, जहा समुंदर ने हम दोनों को निगल लिया.. मेरी किस्मत अच्छी थी, लेकिन मेरी माँ... उनका कुछ पता नहीं चला. कभी -कभी रात मे तारो को देखते हुए सोचता हूँ उनके बारे मे.. उनकी शक्ल तक मुझे अब याद नहीं.. लेकिन उनका साया आज भी मैं महसूस कर सकता हूँ.. यदि वो जिन्दा रहती तो अवश्य ही मुझे मेरे श्राप के बारे मे कुछ बता सकती थी. पर अब... शायद ही मैं उनसे कभी मिल पाऊं... समुन्दर की देवी उस दिन मुझपर मेहरबान थी, जो उसने मुझे बक्श दिया... "
"वैसे यदि तेरे सीने और.... और..... पीठ के तरफ के निशान को मिलाया जाये.... तो....."गर्दन इधर -उधर करके राज के शरीर मे बने निशान को देखते हुए आदित्य ने कहा " तो... तो... ये सर्किल के अंदर एक फाइव पॉइंटेड स्टार का सिंबल बनाते है.... जिसका मतलब... किसी तरह का सुरक्षा कवच होता है शायद, यदि मैं सही हूँ तो "
"पता नहीं.. शायद इस निशान ने बचपन मे मुझे बचा लिया... ताकि जिंदगी भर मुझे तड़पता हुआ देख सके... तभी से मैं अक्सर समंदर में बहकर आए हुए लोगों की मदद करता हूं... परिस्थितियां चाहे कैसी भी हो, समुंदर उफान पर हो या फिर शांत हो, मैंने आज तक अपनी निगरानी में किसी को मरने नहीं दिया... और इसीलिए कुछ लोग जिनकी मैंने जान बचाई, वो मुझे समुन्दर का शिकारी भी कहते है ..."
"तेरी उस समुन्दर की देवी.. जिसकी बात तू कर रहा था... उसको तूने देखा है क्या..."चहकते हुए आदित्य ने पूछा
"नहीं... क्यों..?"
"वो चोदने को देगी...क्या...?? मिलेगी तो पूछ के बताना... बोल देना लौंडा कैप्टन है और फटत ले हैंडसम भी है... चोदता भी बहुत देर तक है, दो -दो बार तो मैं चूत चूसते हुए लड़कियों को झड़वा देता हूँ..."
"तुम इतनी गन्दी बात.. समुन्दर की देवी के बारे मे कैसी कर सकते हो..."
"क्यों.... उसके पास चूत नहीं है क्या..?? किसी ना किसी से तो चुदती ही होगी, तो मुझसे भी चोदवा ले..."
"यदि समुन्दर की देवी अपने पे आ गई ना तो... "
"लवड़ा... एक बार बुला तो.. पहले.. वैसे उसका नाम क्या है समुन्दर की देवी का..."
"शायद... लीना... एक प्राचीन सल्तनत थी समुन्दर मे. उसी काल मे कुछ लोग लीना नाम की जादूगरनी को समुन्दर की देवी कहते थे... कुछ तो ये भी कहते है कि.. उसी ने सम्राट मार्टिन के विशाल सल्तनत को बर्बाद किया था... "
"किस नस्ल की थी...??"
"मतलब... मैं समझा नहीं..."
"मतलब... नस्ल से पता चल जायेगा ना की.. उसकी चूत काली थी या गोरी... गोरी चूत चाटने का मजा ही अलग है.. Bf मे नहीं देखा तू...?? कितना मस्त चूत चाटते है वो लोग... BF... ऐसे क्या सोच रहा है... BF नहीं देखा क्या आज तक...?? वैसे तुझे जरूरत भी क्या.. तेरे इधर तो वैसे भी आधी नंगी औरते रहती है.. लोग-बाग़ जान -बुचकर टकराते होंगे, महिलाओ से... Anytime, उनका लंड खड़ा रहता होगा... मैं यदि तेरे आइलैंड मे रहता ना... तो रोज दिन मे 10 बार मुट्ठ मारता और उन्ही की चूचियों पर गिराता..."
"मेरे लोगो के बारे मे एक शब्द और गलत कहा तो... नीचे फेक दूंगा..."
" तू तो बुर मान गया... क्या शिकारी बनेगा."नाव पर खड़े होकर दूर समुन्दर की ओर देखते हुए आदित्य, किसी मंजिल की तलाश करने लगा... जहा से वो वापस कोलकाता जा सके.