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Erotica Satisfaction of lust

IMUNISH

जिंदगी झंड बा, फिर भी घमंड बा ..
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Satisfaction of lust
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IMUNISH

जिंदगी झंड बा, फिर भी घमंड बा ..
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पापा मेरे पापा कितने प्यारे प्यारे तुम-1

दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और मस्त कहानी लेकर हाजिर हूँ दोस्तो ये कहानी एक बेटी की ज़ुबानी है उसने किस तरह अपने बाप को दूसरे की चुदाई करते हुए देखा और फिर कैसे वो अपने बाप की दीवानी हो गई..................
मेरा नाम सुनीता है और मेरी उमर 20 साल है, मेरे शरीर की रचना कुछ इस प्रकार है, मेरी लंबाई 5’6″.. चुचियाँ 36″.. कमर 28″.. और गान्ड.. 34″ है. एक बात मैं आपको कुछ भी शुरू करने से पहले बता दूं कि मुझे नये नये लंड लेना बहोत पसंद है.

दर असल मेरी ये नटखट चूत मुझे नये नये लंड लेने पर मजबूर कर देती है. क्योकि इसमे खुजली बहुत होती है और इसी लिए मेरी इस प्यारी सी चूत ने आज तक करीबन 13 लंड का स्वाद चखा है और मैं दावे के साथ कह सकती हूँ कि 14वा लंड आप सभी मे से किसी का भी हो सकता है. केसे वो कहानी के अंत मे बताउन्गि, तो चलो आब कहानी स्टार्ट करती हूँ.

बात आज से 2 साल पहले की है जब मैं 18 साल की होने वाली थी, मेरा बर्तडे बहोत नज़दीक आ रहा था और मुझे इसकी बड़ी खुशी भी थी. क्योकि मुझे बर्तडे गिफ्ट बहोत पसंद है, क्योकि मेरे मोम डॅड मुझे हर बार एक अलग ही गिफ्ट देते है और वो हमेशा ही अच्छा होता है.

तो बात मेरे बर्तडे से दो दिन पहले मैं रात को बाथरूम जाने के लिए उठी, मैं बाथरूम से जेसे ही बाहर निकली तो मैने एक साया सा देखा, पहले तो मैने अनदेखा कर दिया पर फिर जेसे ही मैं बेड पर बैठ और सोने लगी, तो मुझे डोर खुलने की आवाज़ आई, जिसे सुन कर मैं घबरा गयी. क्योकि उस वक्त रात के 1:38 बज रहे थे, तो मैने सोचा कही कोई चोर तो नही है ना, तो इस लिए मैं धीरे से आगे बढ़ी और रूम से बाहर आई और लॉबी मे आ गयी और चारो ओर देखने लगी कि आख़िर आवाज़ कहाँ से आई है.

मैं बहोत डर रही थी पर मैने होसला सा करके अपने कदम मैन-डोर की ओर बढ़ाए और देखा कि डोर लॉक नही है. मुझे थोड़ा अजीब सा लगा तो मैने हल्के से डोर खोला और बाहर की ओर झाँकने लगी, और मैं क्या देखती हूँ कि एक आदमी हमारे घर के गेट पर एक कोने मे लगा हुआ बैठा और बाहर की ओर देख रहा है. पहले तो मुझे समझ नही आया कि वो कॉन है पर जेसे ही उसने अपना फोन निकाला और फोन ऑन किया, तो उसकी लाइट से पता चला कि वो आदमी कोई और नही बल्कि मेरे डॅड है.

मैं हेरान थी कि डॅड आख़िर वहाँ इस वक्त रात को क्या कर रहे है, मैं उन्हे आवाज़ लगाने ही वाली थी कि वो चोरों की तरह छुपते हुए वहाँ से उठे और बाहर की और जाने लगे. मैने भी सोच लिया कि अब मुझे जानना ही पड़ेगा कि आख़िर माजरा क्या है, तो मैने भी छुपते हुए उनका पिछा शुरू किया और देखा कि वो हमारी पड़ोसन मिस काव्या के घर घुस गये.

मैं जब वहाँ पहुँची तो मैने देखा कि गेट खुला हुआ है तो मैं भी उनके घर मे घुस गयी, पर वहाँ कोई नही था और एक दम अंधेरा था. मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि आख़िर डॅड गये तो गये कहाँ? फिर अचानक एक रूम की लाइट ऑन हो गयी और उस रूम की खिड़की से रोशनी बाहर आने लगी. मैने तुरंत वहाँ से अंदर झाँका और मैं अंदर का नज़ारा देख कर दंग रह गयी.

मेरे पापा अंदर एक दम नंगे खड़े थे और मिस काव्या उनके लगभग 7″ लंबे और मोटे लंड को मूह मे लाकर मज़े से चूस रही थी. मैं ये सब देख कर हेरान थी पर मुझे गुस्सा भी बहोत आया कि डॅड ऐसा केसे कर सकते है. तभी अंदर से आवाज़ आने लगी.

काव्या – अम्म्म्म.. आमम्म्म.. डार्लिंग मुझे तुम्हारे लंड का स्वाद बहोत पसंद है.

डॅड – आह्ह्ह्ह.. आअहह.. मेरी जान जल्दी कर मुझे भी तेरी चूत का स्वाद चखना है.

काव्या – नही आज तो मैं जी भर के तुम्हारे इस मोटे लंड को चूसने वाली हूँ.

डॅड – अहह.. नही बेबी आज हमें जल्दी करना होगा, मैं बड़ी मुश्किल से आया हूँ.

काव्या – ओह्ह्ह.. फ्फो कभी तो जल्द बाजी छोड़ दिया करो.

डॅड – आह.. तुम मस्त चूस रही हो बेबी चुस्ती रहो.

काव्या – क्यो तुम्हारी वो कुत्ति पत्नी तुम्हारे लंड से नही खेलती क्या.

डॅड – नही वो ऐसे चुसाइ कभी नही करती मेरी जान कम ऑन अह्ह्ह्ह..

मुझे ये सुनकर बहोत गुस्सा आया, पर देखते ही देखते डॅड अपने असली रूप मे आ गये और उन्होने मिस काव्या को बेड पर लिटाया और अपने मोटे तगड़े साँप को उसकी चूत की गहराइयों मे पहुचा दिया, और कब डॅड ने अपनी स्पीड बढ़ा दी और कब रूम से आहह.. आह.. की आवाज़े आने लगी पता ही नही चला.

डॅड पूरी रफ़्तार से मिस काव्या की ठुकाई कर रहे थे, वो लंड को पूरा बाहर निकालते और स्टाककक से पूरा का पूरा लंड अंदर घुसा देते, इससे काव्या की चीख निकल जाती और वो डॅड वो गालिया निकालने लग गई, और डॅड भी उसकी माँ बहेन कर देते. वो चुदाई इतनी मजेदार हो गयी थी कि मेरा हाथ भी कब मेरी नरम से चूत पर चला गया मुझे पता ही नही चला और मैने लोअर मे हाथ घुसाया और अपनी चूत मे उंगली घुसाने लगी.

डॅड धड़ा धड़ काव्या की चुदाई कर रहे थे.

काव्या – चोद साले चोद आहह.. फाड़ दे मेरी चूत बहेन चोद साले अह्ह्ह्ह..

डॅड – तेरी माँ की चूत साली कुतिया बहेन की लौडी, ले ये ले बहेन चोद.

काव्या – ह.. चोद चोद मेर राजा आहह.. फाड़ दे आअज..

डॅड – अहह.. तेरी चूत आज बड़ी टाइट लग रही है, क्या हुआ तेरी वो खस्सि पति तेरी बजाता नही है क्या?

काव्या – नही वो बहेन का लोड्‍ा है साला बस काम करता रहता है सारा दिन रात ऑफीस मे.

काव्या – साले तू उस माँ चोद भोन्सडि के बीज का नाम क्यो ले रहा है, मेरा मज़ा खराब होता है.

डॅड- साली कुतिया ले तेरी चूत का बाजा बजाता हूँ आज.

और इतना बोलते ही डॅड ने पूरी रफ़्तार से मिस काव्या की चुदाई करना शुरू कर दिया. काव्या चिल्लाती रही पर डॅड एक ही पोज़ मे उसे 30 मिंट तक लगातार चोदते रहे, और इस दोरान वो तीन बार झड़ी पर डॅड बिना रुके उसे धड़ा धड़ बस चोदते रहे.

डॅड को देख कर मेरा नज़रिया अब उनके लिए कुछ और ही हो चुका था, उनका वो मोटा लंड मेरी आँखो मे वासना जगा चुका था और ये सोचते सोचते मैं भी झाड़ गयी, और उधर डॅड ने भी लंड चूत से निकाला और पचछररर पचछररर वीर्य की पिचकारियाँ मार मार कर काव्या का सारा शरीर अपने गरम गरम माल से नहला दिया.

मैं तो ये सब देख कर एक दम हेरान थी, मैने ऐसा दृश्य पहले कभी न्ही देखा था. डॅड का लंड अब आधा मुरझा गया था और इस दशा मे वो और भी सेक्सी लग रहा था. मैं तो जेसे उनके लंड की दीवानी सी हो गयी थी, फिर मैने वहाँ देर नही की और वहाँ से घर आ गई और थोड़ी देर बाद डॅड भी चुपके से आए और अपने रूम मे जा कर सो गये. मैने उस दिन रात भर डॅड को सोच कर अपनी चूत मे उंगली की और कई बार झड़ी.

क्रमशः.......................................................
 
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पापा मेरे पापा कितने प्यारे प्यारे तुम-2

रात को कई बार अपनी चूत मे उंगली करने के बाद मुझे काफ़ी अच्छी नीद आई और सुबह जब मेरी आँख खुली, तो बस मेरी आँखों के सामने डॅड का वो मोटा लंड नज़र आ रहा था. मुझे तो सोच कर ही बहोत खुशी हो रही थी, मैं मन ही मन मचल सी रही थी.

खेर मैं वहाँ से उठी और नहाने के लिए बाथरूम मे घुस गयी और नहाते वक्त तो मैं अपनी चूत मे उंगली किए बिना रह ही नही सकी. नहाने के बाद जब मैं कपड़े पहेन कर अपने रूम से बाहर आई, तो मोम-डॅड सामने टेबल पर बैठे ब्रेक फास्ट कर रहे थे.

मैं – गुड मॉर्निंग मोम-डॅड.

मोम – गुड मॉर्निंग

डॅड – गुड मॉर्निंग बेटा, आओ नाश्ता कर लो.

मैं – हां ठीक है.

मोम – नहा के भी आई हो या ऐसे ही आ गयी हो.

मैं – कम ऑन मोम मैं नहा कर आई हूँ.

डॅड – हां तभी पूरी चमक रही हो.

मैं – हाहाहा डॅड आप भी ना.

मैं (मन मे) – पर मुझसे ज़्यादा तो आपका वो मोटा लंड चमकता है मेरे सेक्सी डॅड.

खेर हम ने ब्रेक फास्ट किया और फिर डॅड अपने ऑफीस के लिए निकल गये और मोम भी घर के काम मे लग गयी, मेरी उस दिन स्कूल से छुट्टी थी, तो मैं तो बस बस ये ही सोच रही थी कि आख़िर डॅड के साथ ऐसा कॉन्सा खेल खेला जाए कि मुझे उनके साथ स्वर्ग मे जाने का मोका मिल सके.

वैसे तो मेरा एक बाय्फ्रेंड है और उसने मेरी कई बार ठुकाई भी की है, पर डॅड के लंड को और रात की वो चुदाई देखने के बाद मेरा मन मान ही नही रहा था. मैं तो बस ये चाहती थी कि आख़िर किसी भी तरह से कुछ ऐसा किया जाए कि मैं डॅड को ब्लॅकमेल या ऐसा ही कुछ कर सकूँ.

तो मैने तय किया कि मैं डॅड पर रात को नज़र रखूँगी और जब भी वो दोबारा हमारी पड़ोसन मिस काव्या के घर जाएगे तो मैने उनकी एक वीडियो बना लूँगी ताकि उससे उनको ब्लॅकमेल किया जा सके. मैं ऐसा ही किया मैं उस रात बिल्कुल नही सोई और बस डॅड के बाहर जाने का इंतेज़ार करने लगी. पर मेरी कराब किस्मत वो वहाँ नही गये और मुझे अपनी उंगली से ही अपनी प्यास बुझानी पड़ी.

मैं ऐसे ही कुछ दिनो तक उनपर रात को नज़र रखती रही, पर वो दोबारा वहाँ जा ही नही रहे थे. मेरा तो जेसे सबर ही टूटा जा रहा था, तो मैने तय किया कि कल सुबह मैं केसे भी करके कुच्छ ना कुच्छ तो ज़रूर करूँगी.

अगले दिन मैने पूरी प्लानिंग की हुई थी कि कोन्सि बात कब और कहाँ कहनी है, मैं रेडी हो कर अपने रूम से बाहर आई और मैने डॅड से कहा प्लीज़ आज मुझे स्कूल तक छोड़ देना मेरी सहेली आज नही जा रही नही तो मुझे अकेले ही जाना पड़ेगा. तो जो कि होना ही था उन्होने हां करदी और मेरा काम बन गया.

डॅड ने कार निकाली और हम दोनो बैठे और घर से निकल गये और इतेफ़ाक से जब हम घर से निकल रहे थे मिस काव्या हमे अपने गेट पर खड़ी मिली. डॅड ने उसे चोर नज़र से देखा और आँख मार दी, मैने सब देख लिया और फिर.

मैं – डॅड काव्या जी भी बहोत अच्छी है.

डॅड – हां बेटा बहोत अच्छी है

मैं – हां पर बेचारी हमेशा अकेली ही रहती है, उनके पति तो बस सारा दिन काम ही करते रहते है.

डॅड – हां बेटा पर इसी लिए वो बहोत अमीर भी तो है ना.

मैं – हां अमीर तो है पर खुश नही है.

डॅड – क्यो खुश क्यो नही है?

मैं – मतलब उनके साथ कोई बात करने वाला नही होता और वो आस पास के लोगो से भी ज़्यादा बात नही करती, हम लोगो से भी कभी कभी ही बात करती है.

डॅड – बेटा शायद वो भी अपने पति की तरह बिज़ी रही होगी, शायद इसी लिए.

मैं – हां, या फिर किसी और के साथ.

डॅड (हेरान होते हुए)- किसी और के साथ मतलब?

मैं – पता नही मैने कई बात उनके घर एक अंजाने से आदमी को आते हुए देखा है.

डॅड – किस तरह का अंजान आदमी?

मैं – पता न्ही, मैने एक दिन रात को उनके घर एक आदमी को चोरों की तरह छुपते हुए जाते देखा था.

मेर मूह से ये बात सुनके डॅड का तो जेसे हलक ही सूख गया.

डॅड (लड़खड़ाती हुई आवाज़ मे)- बेटा क्या पता वो कोई जानवर होगा कोई कुत्ता या और कुछ?

मैं – कम ऑन डॅड अब आप अपने आपको कुत्ता क्यो बुला रहे हो.

ये बात सुनते ही डॅड ने एक दम से कार साइड मे लगाई और हैरानी से मुझे देखने लगे, डर उनके चेहरे पर सॉफ नज़र आ रहा था.

डॅड (घबराते हुए) – सुनीता ये क्या बात है अपने पापा को कुत्ता कह रही है और तेरा मतलब क्या है.

मैं – कम ऑन डॅड अब इतने भी भोले मत बनो मुझे आपके और काव्या के बारे मे सब पता चल गया है.

डॅड (घबराते हुए) – क्या पता चल गया है.

मैं – अब क्या ये भी मुझे बताना पड़ेगा.

डॅड (घबराते हुए)- देख तेरा ये मज़ाक बहोत हो गया.

मैं – आह्ह्ह्ह.. आअहह.. मेरी जान जल्दी कर मुझे भी तेरी चूत का स्वाद चखना है.

मेरे मूह से ये बात सुनते ही मैं आपको लड़को के अंदाज मे बताऊ तो डॅड की तो गान्ड ही फट गयी.

डॅड (गुस्से मे)- बदतमीज़ अपने डॅड के सामने ये सब बाते करती है तुझे शरम नही आती?

मैं – डॅड अब ज़्यादा ओवर मत हो जाओ, सीधे सीधे अपनी ग़लती मान लो.

डॅड – अपनी बकवास बंद कर.

मैं – ठीक है तो फिर मैं आपकी और काव्या जी की वीडियो आज घर जाते ही मोम को दिखा दूँगी.

वीडियो की बात सुनते ही डॅड का तो पुच्छ मत बुरा ही हाल हो गया.

डॅड (गिडगिडाते हुए)- प्लीज़ बटी ऐसा मत करना मुझे माफ़ कर्दे मैं आगे से कभी अभी काव्या से नही मिलूँगा तेरी कसम.

मैं – कम ऑन डॅड मुझे इससे कोई फरक नही पड़ता कि आप किसके साथ सोते हो और किसके साथ नही, मुझे तो बस अपनी बात पूरी करवानी है.

डॅड (हैरानी से)- क्या?

मैं – ह्म्‍म्म्म.

डॅड – कौन सी बात?

मैं – डॅड मुझे भी आपके लंड का स्वाद चखना है.

मेरे ये कहते ही डॅड भड़क उठे और बेकाबू होकर मुझ पर चिल्लाने लगे, और जेसा कि आप सभी जानते ही है कि आख़िर मे जीत तो आख़िर मेरी ही होनी थी.

मैने डॅड से कहा कि कल मेरा 18वा बर्तडे है और मुझे आपका लंड ही गिफ्ट मे चाहिए. डॅड भी अब क्या कर सकते थे उनका एक अनमोल खजाना मेरे पास जो था जोकि उनके सारे राज खोल सकता था.

हम ने तय किया कि रात को आते टाइम डॅड आइस क्रीम लेकर आएगे और उसी मे हम मोम को नींद की गोलियाँ मिला कर दे देंगे. क्योकि उस रात घर मे बहोत हहा कार मचने वाला था.

सब वैसे ही किया जैसा मैने सोचा था और मैने वैसे ही मोम की आइस क्रीम मे नीद की गोलियाँ मिलाई और वो सोने चली गयी, और मैं रात के 1:04 बजने का इंतेज़ार करने लगी. अब आप सोचोगे कि 1:04 क्यों?, तो दोस्तो बात सीधी सी है मेरा जनम रात 1 बजकर 4 मिनट पर ही हुआ था, तो इसी लिए हम ने ये टाइम तय किया था.

मैं तो अपने बेड पर लेटी हुई बस दरवाजे की ओर देखे जा रही थी और साथ साथ अपनी चुचियों को तो कभी कभी अपनी चूत को सहला रही थी. मुझसे तो बिल्कुल भी इंतेज़ार नही हो रहा था, ऐसा लग रहा था जेसे पहली बात चुदने जा रही हूँ.

फिर आख़िर वो टाइम आ ही गया जब डॅड ने अपने दर्शन मेरे रूम मे ठीक 1:04 पर दिए, मैं तो उन्हे देख कर ही फूली नही समा रही थी. डॅड भी मुझे कामुकता भरी नज़रों से देख रहे थे, शायद वो समझ चुके थे कि अब अगर जवान माल मिल ही रहा है तो क्यो ना इस मज़े से चोदा जाए. उस वक्त मेरे सामने खड़ा वो आदमी मेरे लिए सिर्फ़ एक मर्द था और शायद डॅड के लिए मैं एक औरत. दोस्तो पढ़ते रहिए क्योकि कहानी अभी जारी रहेगी,

रात को कई बार अपनी चूत मे उंगली करने के बाद मुझे काफ़ी अच्छी नीद आई और सुबह जब मेरी आँख खुली, तो बस मेरी आँखों के सामने डॅड का वो मोटा लंड नज़र आ रहा था. मुझे तो सोच कर ही बहोत खुशी हो रही थी, मैं मन ही मन मचल सी रही थी.

खेर मैं वहाँ से उठी और नहाने के लिए बाथरूम मे घुस गयी और नहाते वक्त तो मैं अपनी चूत मे उंगली किए बिना रह ही नही सकी. नहाने के बाद जब मैं कपड़े पहेन कर अपने रूम से बाहर आई, तो मोम-डॅड सामने टेबल पर बैठे ब्रेक फास्ट कर रहे थे.

मैं – गुड मॉर्निंग मोम-डॅड.

मोम – गुड मॉर्निंग

डॅड – गुड मॉर्निंग बेटा, आओ नाश्ता कर लो.

मैं – हां ठीक है.

मोम – नहा के भी आई हो या ऐसे ही आ गयी हो.

मैं – कम ऑन मोम मैं नहा कर आई हूँ.

डॅड – हां तभी पूरी चमक रही हो.

मैं – हाहाहा डॅड आप भी ना.

मैं (मन मे) – पर मुझसे ज़्यादा तो आपका वो मोटा लंड चमकता है मेरे सेक्सी डॅड.

खेर हम ने ब्रेक फास्ट किया और फिर डॅड अपने ऑफीस के लिए निकल गये और मोम भी घर के काम मे लग गयी, मेरी उस दिन स्कूल से छुट्टी थी, तो मैं तो बस बस ये ही सोच रही थी कि आख़िर डॅड के साथ ऐसा कॉन्सा खेल खेला जाए कि मुझे उनके साथ स्वर्ग मे जाने का मोका मिल सके.

वैसे तो मेरा एक बाय्फ्रेंड है और उसने मेरी कई बार ठुकाई भी की है, पर डॅड के लंड को और रात की वो चुदाई देखने के बाद मेरा मन मान ही नही रहा था. मैं तो बस ये चाहती थी कि आख़िर किसी भी तरह से कुछ ऐसा किया जाए कि मैं डॅड को ब्लॅकमेल या ऐसा ही कुछ कर सकूँ.

तो मैने तय किया कि मैं डॅड पर रात को नज़र रखूँगी और जब भी वो दोबारा हमारी पड़ोसन मिस काव्या के घर जाएगे तो मैने उनकी एक वीडियो बना लूँगी ताकि उससे उनको ब्लॅकमेल किया जा सके. मैं ऐसा ही किया मैं उस रात बिल्कुल नही सोई और बस डॅड के बाहर जाने का इंतेज़ार करने लगी. पर मेरी कराब किस्मत वो वहाँ नही गये और मुझे अपनी उंगली से ही अपनी प्यास बुझानी पड़ी.

मैं ऐसे ही कुछ दिनो तक उनपर रात को नज़र रखती रही, पर वो दोबारा वहाँ जा ही नही रहे थे. मेरा तो जेसे सबर ही टूटा जा रहा था, तो मैने तय किया कि कल सुबह मैं केसे भी करके कुच्छ ना कुच्छ तो ज़रूर करूँगी.

अगले दिन मैने पूरी प्लानिंग की हुई थी कि कोन्सि बात कब और कहाँ कहनी है, मैं रेडी हो कर अपने रूम से बाहर आई और मैने डॅड से कहा प्लीज़ आज मुझे स्कूल तक छोड़ देना मेरी सहेली आज नही जा रही नही तो मुझे अकेले ही जाना पड़ेगा. तो जो कि होना ही था उन्होने हां करदी और मेरा काम बन गया.

डॅड ने कार निकाली और हम दोनो बैठे और घर से निकल गये और इतेफ़ाक से जब हम घर से निकल रहे थे मिस काव्या हमे अपने गेट पर खड़ी मिली. डॅड ने उसे चोर नज़र से देखा और आँख मार दी, मैने सब देख लिया और फिर.

मैं – डॅड काव्या जी भी बहोत अच्छी है.

डॅड – हां बेटा बहोत अच्छी है

मैं – हां पर बेचारी हमेशा अकेली ही रहती है, उनके पति तो बस सारा दिन काम ही करते रहते है.

डॅड – हां बेटा पर इसी लिए वो बहोत अमीर भी तो है ना.

मैं – हां अमीर तो है पर खुश नही है.

डॅड – क्यो खुश क्यो नही है?

मैं – मतलब उनके साथ कोई बात करने वाला नही होता और वो आस पास के लोगो से भी ज़्यादा बात नही करती, हम लोगो से भी कभी कभी ही बात करती है.

डॅड – बेटा शायद वो भी अपने पति की तरह बिज़ी रही होगी, शायद इसी लिए.

मैं – हां, या फिर किसी और के साथ.

डॅड (हेरान होते हुए)- किसी और के साथ मतलब?

मैं – पता नही मैने कई बात उनके घर एक अंजाने से आदमी को आते हुए देखा है.

डॅड – किस तरह का अंजान आदमी?

मैं – पता न्ही, मैने एक दिन रात को उनके घर एक आदमी को चोरों की तरह छुपते हुए जाते देखा था.

मेर मूह से ये बात सुनके डॅड का तो जेसे हलक ही सूख गया.

डॅड (लड़खड़ाती हुई आवाज़ मे)- बेटा क्या पता वो कोई जानवर होगा कोई कुत्ता या और कुछ?

मैं – कम ऑन डॅड अब आप अपने आपको कुत्ता क्यो बुला रहे हो.

ये बात सुनते ही डॅड ने एक दम से कार साइड मे लगाई और हैरानी से मुझे देखने लगे, डर उनके चेहरे पर सॉफ नज़र आ रहा था.

डॅड (घबराते हुए) – सुनीता ये क्या बात है अपने पापा को कुत्ता कह रही है और तेरा मतलब क्या है.

मैं – कम ऑन डॅड अब इतने भी भोले मत बनो मुझे आपके और काव्या के बारे मे सब पता चल गया है.

डॅड (घबराते हुए) – क्या पता चल गया है.

मैं – अब क्या ये भी मुझे बताना पड़ेगा.

डॅड (घबराते हुए)- देख तेरा ये मज़ाक बहोत हो गया.

मैं – आह्ह्ह्ह.. आअहह.. मेरी जान जल्दी कर मुझे भी तेरी चूत का स्वाद चखना है.

मेरे मूह से ये बात सुनते ही मैं आपको लड़को के अंदाज मे बताऊ तो डॅड की तो गान्ड ही फट गयी.

डॅड (गुस्से मे)- बदतमीज़ अपने डॅड के सामने ये सब बाते करती है तुझे शरम नही आती?

मैं – डॅड अब ज़्यादा ओवर मत हो जाओ, सीधे सीधे अपनी ग़लती मान लो.

डॅड – अपनी बकवास बंद कर.

मैं – ठीक है तो फिर मैं आपकी और काव्या जी की वीडियो आज घर जाते ही मोम को दिखा दूँगी.

वीडियो की बात सुनते ही डॅड का तो पुच्छ मत बुरा ही हाल हो गया.

डॅड (गिडगिडाते हुए)- प्लीज़ बटी ऐसा मत करना मुझे माफ़ कर्दे मैं आगे से कभी अभी काव्या से नही मिलूँगा तेरी कसम.

मैं – कम ऑन डॅड मुझे इससे कोई फरक नही पड़ता कि आप किसके साथ सोते हो और किसके साथ नही, मुझे तो बस अपनी बात पूरी करवानी है.

डॅड (हैरानी से)- क्या?

मैं – ह्म्‍म्म्म.

डॅड – कौन सी बात?

मैं – डॅड मुझे भी आपके लंड का स्वाद चखना है.

मेरे ये कहते ही डॅड भड़क उठे और बेकाबू होकर मुझ पर चिल्लाने लगे, और जेसा कि आप सभी जानते ही है कि आख़िर मे जीत तो आख़िर मेरी ही होनी थी.

मैने डॅड से कहा कि कल मेरा 18वा बर्तडे है और मुझे आपका लंड ही गिफ्ट मे चाहिए. डॅड भी अब क्या कर सकते थे उनका एक अनमोल खजाना मेरे पास जो था जोकि उनके सारे राज खोल सकता था.

हम ने तय किया कि रात को आते टाइम डॅड आइस क्रीम लेकर आएगे और उसी मे हम मोम को नींद की गोलियाँ मिला कर दे देंगे. क्योकि उस रात घर मे बहोत हहा कार मचने वाला था.

सब वैसे ही किया जैसा मैने सोचा था और मैने वैसे ही मोम की आइस क्रीम मे नीद की गोलियाँ मिलाई और वो सोने चली गयी, और मैं रात के 1:04 बजने का इंतेज़ार करने लगी. अब आप सोचोगे कि 1:04 क्यों?, तो दोस्तो बात सीधी सी है मेरा जनम रात 1 बजकर 4 मिनट पर ही हुआ था, तो इसी लिए हम ने ये टाइम तय किया था.

मैं तो अपने बेड पर लेटी हुई बस दरवाजे की ओर देखे जा रही थी और साथ साथ अपनी चुचियों को तो कभी कभी अपनी चूत को सहला रही थी. मुझसे तो बिल्कुल भी इंतेज़ार नही हो रहा था, ऐसा लग रहा था जेसे पहली बात चुदने जा रही हूँ.

फिर आख़िर वो टाइम आ ही गया जब डॅड ने अपने दर्शन मेरे रूम मे ठीक 1:04 पर दिए, मैं तो उन्हे देख कर ही फूली नही समा रही थी. डॅड भी मुझे कामुकता भरी नज़रों से देख रहे थे, शायद वो समझ चुके थे कि अब अगर जवान माल मिल ही रहा है तो क्यो ना इस मज़े से चोदा जाए. उस वक्त मेरे सामने खड़ा वो आदमी मेरे लिए सिर्फ़ एक मर्द था और शायद डॅड के लिए मैं एक औरत.
 

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जिंदगी झंड बा, फिर भी घमंड बा ..
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पत्नी को चुदने दिया

अब मैं 34 साल का हूँ; और मेरी बीवी का नाम उर्मि है | मेरा खुद का एक कंप्यूटर सेंटर है और मेरी बीवी एक बैंक में असिस्टेंट मैनेजर है | मैं हर रोज़ सेंटर पे जाने से पहले उर्मि को बैंक में छोड़ता हूँ

एक दिन उर्मि ने घर आ कर बताया के उनके बैंक ने एडवांस कंप्यूटर कोर्स के लिए क्वोटेशन्स फ्लोट की है और बिड की आखरी तारीख भी बता दी. मैंने उर्मि से कहा की अगर ये contract हमें मिल जाए बात बन जाएगी. निधि ने कहा की वो पूरी कोशिश करेगी. अगले दिन घर आ कर उर्मि ने फिर बताया कि सारा मामला उनके मैनेजर सिस्टम के हाथ में है और उसका नाम प्रशांत है. उर्मि ने ये भी बताया कि प्रशांत आज लंच के बाद उसे मिला था और चलते चलते उसने उर्मि से पूछा था कि ये कंप्यूटर कोर्स वाले मामले में क्या वो प्रशांत को असिस्ट कर सकती है. इस पर उर्मि ने कहा कि सर आप रीजनल मैनेज सर से बात कर लो, मुझे कोई दिक्कत नहीं है..

अगले दिन उर्मि ने कहा कि मैं उसे बैंक के सामने न उतारूँ क्योंकि वो कोशिश करेगी के बैंक वालों को ये पता न चले कि ये बिज़नस मैं भी करता हूँ और मैं उर्मि का पति हूँ. मैं उर्मि की प्लानिंग समझ गया और उस दिन से उसे बैंक से दूर उतारने लग गया. इसी बीच मैंने भी बैंक में अपना कोटेशन भी दाल दिया.

1 हफ्ते के बाद शाम को 4:30 बजे के करीब उर्मि ने बैंक से मुझे फोन किया और कहा "हो गया" बाकी बात शाम को. मै ख़ुशी के मारे उछल पड़ा.

शाम को उर्मि आई तो हम दोनों ख़ुशी के मारे पागल हो रहे थे. उर्मि ने कहा की भूल से भी किसी को ये पता न चले की हम दोनों पति पत्नी हैं. मैंने कहा बिलकुल पता नहीं चलेगा. उर्मि ने कहा की प्रशांत के साथ दोस्ती गांठना अब मेरी जिम्मेवारी होगी, ताकि आगे के लिए बैंक कंप्यूटर से संबंधित सर्विस करने के लिए प्रशांत मेरा मुह ही ताके क्यों की अब सब कुछ उसी के ही हाथ में है. मैंने कहा तुम चिंता मत करो और अब मैं सब को शीशे में उतार लूँगा. और उस रात हम दोनों ने जम कर सेक्स किया

धीरे धीर बैंक के लोग शाम को बैंक टाइम ख़तम होने के बाद 1 घंटा कंप्यूटर कोर्स के लिए आने लग पड़े. बीच बीच में मेरी प्रशांत से भी बात होती रहती थी. 1 हफ्ते के अन्दर ही हम 3-4 बार मिले और 7-8 बार फोन पर बात हुई. एक दिन दोपहर 3 बजे प्रशांत का फोन आया और उसने कहा कि उसके लिए कोर्स अटेंड करने के लिए कोई 7 बजे का टाइम फिक्स कर लो और साथ ही प्रशांत ने ये भी कहा की कि कोई अच्छा सा इंस्ट्रक्टर भी अप्पोइंट कर दूं. मैंने कहा "सर आप आज शाम को आयिए सब अरेंजमेंट हो जायेगा"

शाम 7:30 बजे के करीब प्रशांत मेरे केबिन में आया. फिर हम दोनों बैठ कर बातें करने लगे.प्रशांत ने कहा कि क्या किसी अच्छे इंस्ट्रक्टर को कहा मैंने. मैंने कहा कि आपको कोई ज़रूरत नहीं है क्लास अटेंड करने की और न ही इंस्ट्रक्टर की, मैं आपको यहीं अपने ऑफिस में अपने लैपटॉप पे सिखा दूंगा.

2-3 दिनों में ही हम काफी घुल मिल गए और फिर 4th day क्लास ख़तम होने पर मैंने कहा "सर आप आज मेरे साथ डिनर करिए".प्रशांत ने कहा- "हाँ ठीक कहते हो आज सारा दिन बहुत काम था. एक-एक बियर भी पियेंगे...तुम पी लेते हो न बियर". मैंने कहा "चलो आज थोड़ी मस्ती करते हैं, बढ़िया वाली बियर पीते हैं"

और में प्रशांत को एक बहुत अच्छे रेस्टोरेंट में ले गया. बियर पिटे हुए हम ने इधर उधर की बातें शुरू की. फिर प्रशांत ने कहा- "यार तुम तो सारा दिन फ्रेश रहते होओगे. हर क्लास में कितनी सुंदर सुंदर लड़कियां आती हैं". मैं जोर से हंसा और कहा- "और हम ये सोचते हैं की आपके बैंक में एक से एक पटाका एम्प्लोयी है".
उसने हँसते हुए कहा," हाँ और वो भी आज कल तुम्हारी स्टूडेंट्स हैं".

फिर हम दोनों हंस पड़े. प्रशांत ने कहा- "यार अभिनव ! हमारे बैंक का पटाका नंबर 1 तो अभी तुमने देखा नहीं है".

मैंने पूछा कब दिखा रहे हो. इस पर प्रशांत ने कहा- "अरे जी भर के देख लेना तुम भी. मैं तो दीवाना हूँ उसका, एक बार ,तुम्हें अगर उसकी मिल जाये , सच कहता हूँ तुम्हारी लाइफ बन जाएगी".

मैंने कहा :" मतलब आप पेल चुके हो उसको.!!!"

"अरे यार अभिनव बस पूरी कोशिश में हूँ., पिछले दो हफ़्तों से ही ज्यादा इंटिमेसी हुई है बस कार में ही थोडा बहुत कर पाए हैं."

मैंने कहा: "क्या क्या कर चुके हो बताओ न, अब मेरे साथ बैठ के बियर पी सकते हो तो बता भी दो क्या क्या किया है और कौन है वो पटाका?"

प्रशांत ने हँसते हुए कहा.
"नहीं यार असल में बहुत ही सेक्सी है . पता नहीं कब देगी, स्मूच तक तो बात पहुँच चुकी है और 5 -6 बार बूब्स भी दबवा चुकी है,लेकिन एक तो वो शाम को ही फ्री होती है और दूसरे हम कार में होते हैं, तीसरे वो भी शादीशुदा है और मैं भी.इसलिए दुनिया की नज़रों से भी बचना चाहते हैं. और भाई असल में तो बात ये है के कार में जगह कम होती है नहीं तो उसको कब का रगड़ दिया होता".

"अरे भाई साब मिलवाओ तो कभी उसको, आप तो सब कुछ हो बैंक में, अपने साथ ही ले आया करो ट्रेनिंग के लिए."

शाम को करीब 7 बजे प्रशांत आ गया और साथ में थी उर्मि . मैंने प्रशांत से हाथ मिलाया और उर्मि से अनजान बना रहा. प्रशांत ने हमारी इंट्रोडक्शन करवाई. प्रशांत ने उर्मि को कहा,"उर्मि मेरी नोटबुक कार कि बैक सीट पे ही रह गयी है प्लीज ले आओ". और उर्मि उठी ओर नोटबुक लेने चली गयी.

मैंने पूछा,"आपका वो पटाका नहीं आया."

तभी प्रशांत ने कहा,"अरे यही तो है जो तुमने अभी देखा!"
यही है वो पटाका ! और मेरे पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक गयी. मुझे लगा कि मेरे दिल की धड़कन रुक गयी.

मैं अभी पिछली शाम कि बातें सोच ही रहा था कि प्रशांत ने कहा था कि--- "नहीं यार असल में बहुत ही सेक्सी है ,पता नहीं कब देगी, स्मूच तक तो बात पहुँच चुकी है और 5 -6 बार बूब्स भी दबवा चुकी है"
तभी प्रशांत ने कहा," आज प्रोग्राम बना के आया हूँ के यहाँ से जाते हुए रास्ते में पक्का कुछ न कुछ करूंगा." इतने में केबिन का दरवाज़ा खुला और उर्मि नोटबुक ले कर आ गयी. उससे प्रशांत ने कहा," तुम क्लास अटेंड कर लो मैं अभिनव जी के साथ कुछ ज़रूरी काम कर लेता हूँ."

उर्मि के बाहर जाते ही प्रशांत ने कहा," क्यों भाई कहा खो गए ?.कैसी लगी ?"

अब मैं प्रशांत को क्या बताता कि लगी तो बहुत अच्छी लेकिन जो लगी थी वो मेरी गांड लगी थी धरती में.

मैंने कहा,"हाँ हाँ बहुत अच्छी है बिलकुल मस्त."

"आज हम एक स्टेप और बढ़ गए."
"क्या ?"
"बैंक से ले कर यहाँ तक मैंने उसका हाथ अपनी पेंट के ऊपर से ही अपने लंड पे रखवाया और कमाल तो ये हुआ कि इसने एक बार भी नहीं हटाया और मेरी पेंट के ऊपर से ही मेरे लंड को सहलाती रही."

ये मैं क्या सुन रहा था वो भी उर्मि के बारे में जो पिछले 7 साल से मेरी पत्नी है. क्या वो ये सब ज़बरदस्ती सह रही है मेरे लिए!
या इस कॉन्ट्रैक्ट तो हांसिल करने के लिए, ये मैंने क्या किया?
अपनी पत्नी को फ़ोर्स किया?
.क्या इस सब का रीज़न मैं हूँ?

तभी प्रशांत ने मेरा ध्यान तोडा,उसने कहा ," आज तो पक्का इसकी चुदाई करूँगा चाहे होटल ही बुक क्यों न करवाना पड़े,"
मैंने कहा," और ये घर पे क्या बताएगी ?"
"जो मर्ज़ी बताए लेकिन अभिनव सच कह रहा हूँ पूरी तरह तैयार है देने को. मैं ही देर कर रहा हूँ. कोई जगह भी तो नहीं है."

उस समय मुझे जलन और गुस्सा दोनों हो रहा था लेकिन मेरा लौड़ा भी टाइट हो गया था

तभी प्रशांत ने कहा,"यार अभिनव कर सको तो तुम कोई तो अरेंजमेंट करो."

मेरे मुह से अनायास निकल पड़ा," ऐसा है कि मेरे पास तो ये कंप्यूटर सेंटर है..और ये रात 8:30 के बाद बंद होता है और खाली रहता है."

हे भगवान् !!!! ये मैं क्या कह रहा था.... प्रशांत को चोदने के लिए अपनी पत्नी दे रहा था और अपनी ही जगह दे रहा था. इससे पहले मैं संभल पाता प्रशांतने कहा," ये हुई न बात! बस 8 :30 का बाद आज ही !"

खैर प्रशांत के कहने से क्या होगा, जब उर्मि मानेगी तभी न !.मुझे पाता था कि उर्मि चुदने के लिए यदि तैयार तो यह कभी नहीं चाहेगी कि मुझे इस बात का पता लगे इसलिए अगर वो यहाँ चुदने के लिए तैयार हुई तो इसका मतलब कि वो जानती है कि मेरे और प्रशांत के बीच में क्या बात है.
लेकिन ऐसा नहीं हो सकता!!!!!

तभी मेरे मन में एक विचार कौंधा. मैंने प्रशांत से कहा कि मैं अभी आया और बाहर जा कर मैंने उर्मि के मोबाइल पे फोन किया और कहा,"मै उसे ये बताना भूल गया था कि मुझे आज रात को एक पार्टी में जाना है और पार्टी एक फार्म हॉउस में है."
उर्मि ने कहा ,"अब क्या करें?"
मैंने कहा," वैसे तो मैं रमेश(ऑफिस असिस्टेंट जो सबसे बाद में जाता है) को कह दूंगा कि वो ध्यान रखे, लेकिन क्या प्रशांत को इस तरह छोड़ के जाना शालीनता होगी?"
उर्मि ने कहा ,"तुम प्रशांत को कह दो कि कोई इमरजेंसी है और जल्दी से घर जा के तैयार हो जाओ और पार्टी में जाओ. मैं बाद में आ जाउंगी. और फिर सेंटर पे मैं तो रहूंगी ही. चिंता कि कोई बात नहीं है."
एक पल के लिए मुझे लगा कि उर्मि कि चूत के होठों में शायद प्रशांत को सोच कर पानी आ रहा है. फिर मुझे गिल्टी फीलिंग भी हुई कि मैं ये क्या सोच रहा हूँ.
खैर वापिस ऑफिस में आ कर मैंने प्रशांत से कहा कि मुझे तो कोई इमरजेंसी है और अभी जाना पड़ेगा लास्ट क्लास चल रही है 15 मिनट के बाद ख़तम हो जाएगी.
प्रशांत ने तुरंत कहा,"अभिनव क्या रात को यहाँ पे कोई और भी रहता है ?"
"कोई नहीं बस रमेश सबसे बाद में लॉक लगा कर जाता है."
"तुम रमेश को कह दो कि आज लॉक मैं लगा कर चाबी उसके घर दे दूंगा."
मैंने पूछा," पक्का आज ही करोगे और अगर उसके पति को पता चल गया तो?"

"यार वो कोई बहाना बना देगी और फिर कौन सा हमने पूरी रात बितानी है? 1 घंटे में फ्री हो जायेंगे हम दोनों."

मैंने सोचा कि मैं ये क्या कर रहा हूँ?.क्या मेरे दिमाग में जो विचार कौंधा था क्या वो मैं देखना चाहता हूँ?

तभी न चाहते हुए भी मैंने इण्टरकॉम पे रमेश को बुलाया और कहा," प्रशांत सर को सेंटर कि सारी चाबियाँ दे दो और सुबह इनके घर से ले लेना अभी 1-2 घंटे इनको बैंक की कोई स्टेटमेंट्स वेरीफाई करवानी हैं मुंबई ब्रांच से."
रमेश ने चाभियां प्रशांत को दे दी और फिर मैं उसको बॉय बॉय कह के बाहर आ गया.
जिस बिल्डिंग में मेरा कंप्यूटर सेंटर है उसके साथ वाली बिल्डिंग नयी बन रही थी. मैं कार में बैठा और घुमा फिरा कर कार उस बिल्डिंग के पीछे ले गया. वहां अँधेरा और गन्दगी पड़ी थी. वहां पे 2 ट्रक और एक वन खड़ी रहती थी. मैंने सलीके से अपनी कार उन दोनों ट्रकों और वन के बीच खड़ी कर दी और जल्दी से कूड़े के ढेर में से होता हुआ साथ वाली बन रही बिल्डिंग के पिछले हिस्से से अन्दर घुस गया और सीढ़ियों से चढ़ कर टॉप फ्लोर पे पहुँच गया सारा शहर दिखाई दे रहा था.मैं 6th फ्लोर पे था और साथ वाली बिल्डिंग में मेरा ऑफिस 4th फ्लोर पे था.मैं जल्दी से छत के रास्ते होता हुआ अपने बिल्डिंग के टॉप फ्लोर पे आ गया. और नीचे देखते हुए इंतज़ार करने लगा की कब सभी लोग सेंटर से बाहर जायेंगे. धीरे धीरे सभी बाहर आने लगे और लास्ट में १० मिनट के बाद रमेश निकला और चला गया.
 

IMUNISH

जिंदगी झंड बा, फिर भी घमंड बा ..
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अब मेरी मेरी पत्नी उर्मि और प्रशांत सर अकेले मेरे कंप्यूटर सेंटर में थे . मैं फटा फट भाग कर 4th फ़्लू r पे आगया और कॉरिडोर से होता हुआ बिल्डिंग की पीछे वाले इलाके में चला गया . वहां पर लकड़ी का दरवाज़ा सिर्फ चिटकनी के साथ बंद था. दरवाज़ा खोल कर मैं अन्दर घुस गया और अन्दर से चिटकनी लगा ली. ये हमारे कंप्यूटर सेंटर की किचन थी. किचन में घुप अँधेरा था. थोड़ी थोड़ी लाइट बस दरवाज़े के नीचे से आ रही थी. लेकिन सर्विस विंडो के शीशे पर ब्लैक कलर का चार्ट चिपकाया हुआ था. जो की पुराना हो चूका था और थोडा थोडा सा फट रहा था. मैंने थोडा सा उसे और फाड़ा और मेरा कंप्यूटर सेंटर पूरा दिखाई दे रहा था!.

प्रशांत और उर्मि .मेरे ऑफिस केबिन में थे. उसने उर्मि को कुछ कहा और वो उठ कर गयी और मैं दूर को लॉक कर दिया. लॉक ऐसा था जो कि बाहर से भी खुल सकता था और अन्दर से भी. उस लॉक कि एक चाबी मेरी जेब में थी. मैं चाहता तो अपनी पत्नी का भांडा फोड़ सकता था. पर पता नहीं क्यों मैं उसे किसी दूसरे मर्द से चुदने कि चाहत दिल में बिठा चुका था. और वो भी वो आदमी जिसने मेरे सामने ही मेरी पत्नी के बारे में बहुत कुछ बताया था. अब मुझे सिर्फ इस बात का इंतज़ार था कि क्या उर्मि ने ये सब मुझे ये कॉन्ट्रैक्ट दिलवाने कि लिए किया है?

इतने में उर्मि वापिस आई और प्रशांत ने उठ कर उसे अपनी बाहों में भर लिया और लगा उर्मि के होंठ चूसने. वे मुझ से करीब 25 फ़ुट कि दूरी पे थे पर साफ़ पता चल रहा था कि उर्मि भी पूरा साथ दे रही थी. अब प्रशांत ने अपने एक हाथ उर्मि के चूतड पे रखा और उसे दबाने लगा. फिर दूसरा हाथ भी दूसरे चूतड पे रख के दबाने लगा. उर्मि के होंठ प्रशांत के होंठों से चिपके हुए थे ओए वो उन्हें बिलकुल अलग नहीं कर रही थी. तभी प्रशांत ने एक उंगली उर्मि के चूतडों की दरार में घुसा दी और उर्मि थोडा सा उछल पड़ी. अब धीरे धीरे प्रशांत अपने हाथों से उर्मि की साड़ी उठाने लगा.
तभी उर्मि ने प्रशांत को कुछ कहा और वो उस से अलग हो गयी और स्विच बोर्ड के पास जा कर लाइट बंद कर दी और मेरे केबिन में अँधेरा हो गया.

मैंने सोच की शायद वो शरमा रही है इसलिए लाइट बंद कर दी है. अब वो दोनों थोड़े थोड़े ही दिखाई दे रहे थे क्योंकि मेन हॉल में लाइट अभी भी जल रही थी और उसकी रोशनी मेरे केबिन में भी जा रही थी. लेकिन वो दोनों मेरे केबिन से निकल कर हॉल में आ गए और अब मुझे उस दोनों कि बातें सुनाई देने लगी. प्रशांत ने पूछा ''क्या हुआ, वहां क्यों नहीं?"

उर्मि ने कहा," वो जो विंडो है, वहां पे लाइट जलने से नीचे सडक पे पता लगता है कि सेंटर में अभी भी कोई है, और कोई आ न जाये इसलिए इस हॉल में ज्यादा ठीक रहेगा''.

' 'लेकिन यहाँ करेंगे कैसे. सोफा तो अभिनव के केबिन में ही है''.

"अरे बाबा जब करना होगा तो वहां चल पड़ेंगे. लाइट ज्यादा ज़रूरी है क्या?"

और इतना कहते ही प्रशांत ने उर्मि को फिर से अपने बाहों में जकड लिया और लगा चूमा चाटी करने. अब वो भी प्रशांत को बेतहाशा चाट और चूम रही थी. एक दुसरे को चूसते चाटते हुए ही प्रशांत ने उर्मि के ब्लाउज के हुक खोलने शुरू कर दिए. और थोडा सा पीछे हो कर सामने से उसके खुले ब्लाउज को देखने लगा.

"क्या देख रहे हो?"

"देख रहा हूँ कि तुम कितनी सेक्सी हो. ज़रा देखो अपने बूब्स को! कितनी सुंदर तरह से इस सेक्सी ब्रा में पैक्ड हैं."

"तो ये गिफ्ट पैक खोल के अपना गिफ्ट ले लो!"

और प्रशांत अपने दोनों हाथ उर्मि के पीछे ले गया और ब्रा के हुक खोलने लग गया. ब्रा के हुक खुलते ही उर्मि के बूब्स हलके से नीचे की और लहराए. अब प्रशांत उर्मि से अलग हो गया और २-3 कदम पीछे हट कर देखने लगा.

"अब क्या हुआ आपको?"

"देख रहा हूँ तुम्हें के क्या लाजवाब लग रही हो. थोडा सा साड़ी का पल्लू हटाओ."

और पल्लू हटाते ही प्रशांत के साथ साथ मैं भी अपनी पत्नी के सौंदर्य को निहारने लगा. ब्लाउज के खुले हुक और उसमें से झांकती वाइट ब्रा जो की अब हुक खुल जाने के कारण मुश्किल से उर्मि की चूचियों को ढक पा रही थी.उर्मि के निप्पल अभी भी ब्रा के पीछे ही थे लेकिन उसके बूब्स की गोलाइयाँ और शेप साफ़ नज़र आ रही थी.

"कार में तो बड़े उतावले होते हो इनको पकड़ने के लिए?और अब खोल के भी छोड़ दिए?"

"उर्मि ! क्या तुम्हें कभी किसी ने बताया है की तुम कितनी सेक्सी हो?"
"क्या मतलब ?"
"इधर आओ."

उर्मि प्रशांत के पास गयी और प्रशांत ने उर्मि की साड़ी के नीचे फिर से हाथ डाला और कुछ हलचल हुई. और उर्मि ने हलकी से मुस्कराहट के साथ हंसी की फुलझड़ी सी छोड़ी और कहा,"अरे रुको तो!"

और अब प्रशांत ने उर्मि की साड़ी और पेटीकोट ऊपर उठाना शुरू किया. घुटनों से साडी ऊपर उठे ही मैंने देखा की उर्मि की पीले रंग की पेंटी उर्मि के घुटनों में फंसी हुई थी. मैंने सोच की ओह्ह तो वो हलचल उर्मि की पेंटी को नीचे करने की थी. प्रशांत का एक हाथ उर्मि के चूचे को रगड़ रहा था और दूसरा हाथ साडी के अन्दर था.

क्योंकि उर्मि की पेंटी अब उसके घुटनों के आसपास थी इसलिए मुझे यकीं था की अब प्रशांत की उंगलिया मेरी पत्नी की चूत से खेल रही थी.

तभी उर्मि ने एक हलकी सी आह भर कर अपनी आँखे बंद कर ली....
"क्या हुआ? मज़ा आया?"

उर्मि ने हाँ में सर हिलाया और अपना हाथ प्रशांत की गर्दन में लपेट लिया.

उर्मि थोड़ी से जोर से हिली और बोली," प्लीज़ दो उँगलियाँ नहीं,एक से ही कर लो."

प्रशांत मेरी पत्नी की चूत में उंगली डाल रहा था.

तभी प्रशांत ने वहां पड़ी एक रिवॉल्विंग कुर्सी पे उर्मि को बिठाया और कहा,"उर्मि तुम्हारे हस्बैंड कितने लकी हैं, अगर मैं तुम्हारा पति होता तो दिन रात तुम्हारी साड़ी में ही घुसा रहता."

"तुम्हें क्या पता मेरी साड़ी में क्या है?"

"मेरी इन उँगलियों ने देख लिया है की क्या है तुम्हारी साड़ी में और वो ये बता रही हैं कि साड़ी में जो छेद है वो उँगलियों से खेलने कि नहीं है."

"तो फिर किस चीज़ से खेलने कि है?"

प्रशांत ने अपनी जीभ की टिप निकली और कहा,"-इस से."

ये कह कर प्रशांत, उर्मि की पेंटी निकालने लगा.

प्रशांत ने उर्मि को थोडा सा कुर्सी पर और लिटाया ताकि उसके चूतड़ थोड़े से बाहर निकल आयें और उर्मि की साड़ी को ऊपर उठा दिया. अब उर्मि की गोरी गोरी पिंडलियाँ और जांघे प्रशांत को तो क्या मुझे भी साफ़ साफ़ नज़र आने लगी. प्रशांत ने जांघो को थोडा सा खोला और अब उर्मि की चूत , जिस पर छोटे छोटे बाल थे, नज़र आने लगी

प्रशांत ने एक लम्बी सांस भरी और कहा-,"ओह गॉड ! उर्मि तुम्हारी चूत इतनी सुंदर है !"

"प्रशांत !! मुझे शर्म आ रही है. प्लीज़ ऐसे मत बोलो !"

"उर्मि ! सच कह रहा हूँ, इतनी सुंदर चूत मैंने आज तक नहीं देखी."
प्रशांत ने उर्मि की चूत की दरार में अपनी जीभ फिरानी शुरू की. और जैसे ही प्रशांत की जीभ चूत पर नीचे से ऊपर गयी, उर्मि ने एक छोटी सी सिसकी ली. अब प्रशांत ने अपनी जीभ पूरी बाहर निकली और उर्मि की चूत पर सबसे नीचे रखी और पूरी जीभ से उर्मि की चूत को चाटता हुआ धीर धीर ऊपर ले जाने लगा.

"आआ...ह्ह्ह्हह्ह.....प्रा ......शा ........नत .......ओह्ह्ह .....मर जा....उंगी......मैं.....अह्ह्

ह.......उह्ह्ह बस....बस प्रशांत....!!!"

इतना कहते ही उर्मि ने प्रशांत के बाल पकड़ किये और सारा शरीर अकड़ने लगा. और बोली,".प्रआस्स्श ......!!!!....ओह्ह्ह गौड़ड़ड़ !......ऑउच..........अह्ह्ह.... आई म.... कम्मिंग!! ....प्रशांत !!!

और ये उर्मि का पहला ओर्गास्म था. उर्मि ने शायद 1 मिनट तक लम्बी लम्बी साँसे ली.

"अरे उर्मि तुम तो पहले चखने में ही निकल गयी!.इतनी जल्दी !"
और उर्मि प्रशांत को देख कर मुस्करा दी और कहा,".प्लीज़ डू इट अगेन!"
और अब प्रशांत ने उर्मि की चूत को जीभ से चाटने की रेल सी चला दी. लगा मेरी बीवी की चूत को अच्छी तरह से चाटने. अब प्रशांत मेरी पत्नी की चूत के अंदर जीभ घुसाने लगा और उर्मि की आहें तेज़ होती गयी. प्रशांत ने अपना चेहरा थोडा सा पीछे किया और अपने हाथो की दोनों उँगलियों से उर्मि की चूत की फलको को खोलने और फिर अपनी पूरी लम्बी जीभ से अन्दर उनको को चाटने लगा.

तभी उर्मि ने कहा," लिंक माय क्लिट प्लीज़ .".

उसकी तरफ देख कर प्रशांत ने कहा,"अभी चाटता हूँ उर्मि,.तुम देखती जाओ आज तुम्हारी कैसे हर तमन्ना पूरी करूँगा." और ये कह कर प्रशांत ने उर्मि कि चूत की क्लिट अपनी जीभ के टिप से चाटना शुरू किया.

" अह्ह्ह्ह.....हाँ ..........धीरे थोडा धीरे प्रशांत........आउच ........अह्ह्ह...... अहह्म्म्म.....ओह माय गॉड . ये क्या कर रहे हो !!"और प्रशांत ने अब उर्मि की क्लिट अपने लिप्स के बीच में पकड़ लिया और चूसने लगा.

"बस करो प्रशांत !!!! मर जाउंगी मैं ......ऊह्ह्ह्ह .......फिर से होने वाली हूँ मैं .......आःह्ह.....ध्रुवव्वव्व.. .....आ रही हूँ मैं फिर से.......थोडा और......यहीं पे...बस यही पे...और करो .....आआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह!!!"

और उर्मि एक बार फिर से झड़ने लगी. १-२ मिनट तक अकड़ती रही और फिर निढाल हो कर कुर्सी पे अधलेटी सी हो गयी. प्रशांत एक विजयी मुस्कान के साथ उठा और कहा,"क्या हुआ उर्मि ? थक गयी हो क्या अभी से?"

उर्मि ने एक थकी हुई मुस्कान के साथ कहा," अगर कहूँ कि थक गयी हूँ तो क्या आप मुझे छोड़ दोगे?"

"अच्छा बाबा थोड़ी देर आराम कर लो."

"जी नहीं अब तो एक बार ही आराम होगा."
और उँगली से प्रशांत को अपने पास आने का इशारा किया.

जैसे ही प्रशांत उर्मि कि लेफ्ट साइड पे आया, उर्मि ऊपर मुंह करके प्रशांत की और देखने लगी लेकिन उसके हाथ प्रशांत के पैंट खोलने लगे. बेल्ट और पैंट के हुक खोलने के बात उर्मि ने प्रशांत कि पैंट नीचे सरका दी और प्रशांत ने सफ़ेद रंग का अंडरवियर पहना हुआ था.
प्रशांत ने पूछा,"क्या देख रही हो."

"अभी तो कुछ नहीं दिखा?"

" क्या देखना चाहती हो."

उर्मि ने कुछ नहीं बोला और उंगली से प्रशांत के अंडरवियर के उभरे हुए हिस्से की तरफ अपनी आँखों से इशारा किया.

"कौन रोक रहा है? देख लो."

उर्मि नीचे मुंह करके बोली, मुझे शर्म आ रही है."

प्रशांत ने कहा ,"जब ..."फिर से होने वाली हूँ मैं .......आःह्ह......आ रही हूँ मैं फिर से.......थोडा और......यहीं पे...बस यही पे...और करो" कह रही थी तो शर्म नहीं आ रही थी क्या...मेरा लौड़ा देखने में शर्म आ रही है अब !".

"हाय राम कितने गंदे हो आप....!!! कैसे कैसे बोलते हो".

"अरे अगर लौडे को लौडा नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे?"

" अच्छा अब चुप भी करो."

"तो फिर निकालो इसे बाहर नहीं तो फिर से कहता हूँ लौ..".

इतना कहता ही उर्मि ने ध्रुव के अंडरवियर धीरे नीचे करने लगी.

अंडरवीयर नीचे आते ही प्रशांत का कड़ा सा लंड बाहर आ गया.

लौड़े का टोपा मशरूम जैसा चिकना और मोटा.

उर्मि ने हाथ में ले कर लौड़ा थोड़ी देर तक मुठियाया....और फिर बिना कोई नोटिस दिए एक किस लंड के सुपाड़े पे दे दी.

जब से हमारी शादी हुई है उर्मि ने सिर्फ २ बार मेरे लंड पे किस की है. हाथ में ज़रूर पकड़ लेती है.

प्रशांत ने कहा,"निधि एक बात पूछूं"

उर्मि ने लंड पकडे हुए ध्रुव की और देखा और कहा "हाँ पूछिए"

"तुम्हारे पति से बड़ा है क्या"

उर्मि ने कहा ,"नहीं मेरे पति से बहुत बड़ा नहीं है, लेकिन इसका मशरूम शेप और गोरापन ज्यादा है."

उर्मि अभी भी प्रशांत के लुंड को मुठिया रही थी और फिर ऐसा हुआ की एक दम से अपनी जीभ निकली और लंड की लम्बाई को जीभ से चाटने लगी. नीचे से ऊपर-ऊपर से नीचे....और फिर मुह खोल के पूरा सुपाड़ा अंदर ले कर चूसने लगी.

उर्मि बड़ी मुश्किल से मेरे लंड चुस्ती थी और यहाँ मेरी बीवी किसी गैर मर्द के लैंड मुंह में डाल कर चूस रही थी. कितनी तम्मना थी मेरी की मेरी बीवी मेरा लंड चूसे. लेकिन वो आज किसी और की तम्मना पूरी कर रही थी.

उर्मि, प्रशांत के लौड़े को ऐसे चूस रही थी मानो पता नहीं कितने सालों से लंड चूसने की प्रैक्टिस है.
प्रशांत बड़बड़ाने लगा," फ़क यू उर्मि ! ओह्ह माय गॉड ! लगी रहो.....बहुत अच्छा लग रहा है." ५-७ मिनट चूसने के बाद उर्मि ने ध्लौड़ा मुंह से बहार निकाला और प्रशांत के टट्टे चाटने लगी.

तभी प्रशांत बोला," बस यार...अब और नहीं.....!!!"

उर्मि ने ऊपर देख कर पूछा क्या हुआ?

प्रशांत ने उर्मि को उठाया और कुर्सी पे बिठाया और कहा "चौड़ी करो अपनी टाँगे"

उर्मि ने कहा," अरे रुको ....यहाँ नहीं......कंडोम नहीं है....प्लीज़ ...बिना कंडोम के नहीं!"

प्रशांत उर्मि के चेहरे के पास आया और होंठो से होंठ मिला कर बोला, "उर्मि आई वान्ना फ़क यु राइट नाउ! मै तुमको नंगे लंड से यही चोदना चाहता हूँ! तुम्हरी चूत मेरे लंड को पूरा महसूस करे उर्मि रानी!".

उर्मि मिमयाती बोली," लेकिन बिना कंडोम के? ये मेरे सेफ डेज भी नहीं हैं,प्लीज़ प्रशांत मान जाओ !

प्रशांत बोला," सिर्फ एक बार कह दो तुम्हारा मन नहीं है मैं कुछ नहीं करूँगा."

उर्मि ने शर्माते हुए कहा,"मन तो बहुत है प्रशांत लेकिन बिना कंडोम के खतरा है,कहीं कुछ गडबड न हो जाये"

प्रशांत ने कहा ," उर्मि चिंता मत करो,तुम्हारे अंदर नहीं छोडूंगा ,पक्का जेंटलमैन प्रॉमिस."
और ये कह कर उर्मि के होंठ चूसने लगा .
यह कह के प्रशांत, उर्मि से अलग होने लगा.
.तभी उर्मि ने प्रशांत का लौड़ा (जो अब थोडा ढीला पड़ चूका था) पकड़ा और धीरे से कहा "अरे बाबा ! मैं कह रही हूँ आज तो कर लो पर फिर कभी कंडोम के बिना मत करना"

प्रशांत ने मुस्कुराते हुए कहा,"बहुत शरारती हो तुम."

और फिर अपना ठीला होता लौड़ा एक बार फिर से उर्मि के मुंह में दे दिया और उर्मि फिर से उसे चूसने लगी और 1 मिनट के अंदर ही फिर से एक दम कड़क लंड बना दिया.

अब प्रशांत ने अपना लौड़ा उर्मि के मुंह छुडवाया और उर्मि उसकी जांघे चौड़ी कर के उसकी चूत को 7-8 बड़े बड़े चुंबन दिए और उर्मि सिहरने वाली ही थी कि प्रशांत ने उसे छोड़ दिया.

प्रशांत जैसे ही उर्मि कि चूत पे अपना लौड़ा लगाने लगा तो उर्मि ने प्रशांत का लंड पकड़ा और चूत के ऊपर रख दिया. जिस चूत को मेरे लंड ने चोदा था अब वो मेरे ही ऑफिस में किसी गैर मर्द के साथ चुदवाने के लिए तैयार थी. और मैं एक बेचारे की तरह छुप के देख रहा था.

तभी उर्मि ने कहा," प्रशांत! अगर मुझे तुमसे प्यार हो गया तो?"और कह कर हंस दी.

"ओह्ह्ह! आई लव यु उर्मि!"और कह कर अपना लंड धीरे धीरे उर्मि की चूत में घुसेड़ना लगा.

" अह्ह्ह्ह्म्म्म्म ......आह.....धी..रे ...धी....रे....अहह....हाँ करो अब पूरा अंदर.....आउच .....पलीज़ .थोडा धीरे!"

और प्रशांत ने धीरे धीरे अपना पूरा लौड़ा मेरी पतिव्रता पत्नी की चूत में जड़ तक घुसा दिया.

" कैसा लग रहा है?"

"प्लीज़ प्रशांत अभी धक्के शुरू मत करना!" और उर्मि ने प्रशांत की बाहों को कस के पकड़ लिया और आँखे बंद कर ली और थोड़ी तेज़ आवाज़ में फिर से कहा, "प्रशांत अभी बाहर मत निकलना!!! मैं अह्हह्ह.....फिर से......ओह्ह्ह्ह्ह्ह....हे भगवान.......यार क्या हो तुम......आः.. अह्ह्म्म......ओह्ह गॉड ...आई आम कम्मिंग प्रशांत!!.येस्स्स .. !!! आई आम कम्मिंग अगेन!!"

और उर्मि एक बार फिर से झड गयी.

इधर प्रशांत ने उर्मि के झड़ते ही चूत की चुदाई शुरू कर दी...जैसे ही प्रशांत ने अपना लौड़ा उर्मि की चूत से बाहर निकालता तो लौड़ा उर्मि की चूत के गीलेपन से चमकता हुआ दिखाई देता. धीरे धीर प्रशांत ने झटकों की स्पीड बढ़ा दी और लगा चूत का चूरमा बनाने.

उर्मि के मुह से आवाज निकल रही थी," अहह..थो..डा ...धीरे....अह्ह्ह..ध्रुव..... ओह्ह्ह...प्लीज़ थोड़ा रुक के !"

"क्यों ...मज़ा नहीं आ रहा क्या ...धीरे धीर करूँगा तो मैं सुबह तक नहीं निकलूंगा !"

"बहुत मज़ा आ रहा है !कभी ऐसा महसूस नहीं किया!मन करता है चुदते चुदते मर ही जाऊं !"

"हाँ उर्मि अब हुई हो मस्त! निकल गयी न सारी शर्म.! तुम भी बोलने लग गयी ये सब."

इधर मुझे अपने कानो पर विश्वास नहीं हो रहा था ."चुदते चुदते मर जाऊं" ये क्या बोल रही थी मेरी उर्मि!

फिर यका यक प्रशांत ने अपना लौड़ा उर्मि की चूत से बारह निकाला और कहा-"निकलो बाहर कुर्सी से"

उर्मि कुर्सी से बारह निकली और अपने कपडे सँभालते हुए बोली," "क्या हुआ?"

प्रशांत कुर्सी पे बैठा और उर्मि को कहा "बैठो अब अपने यार पे !"

"बेशरम!क्या बोल रहे हो"

प्रशांत अपने लंड हो जड़ से पकड़ कर बोला "क्यों ये तुम्हारा यार नहीं है?अच्छा नहीं लगता ये"

उर्मि अपने चेहरे पे मुस्कान लाती हुई बोली "बहुत गंदे और बेशर्म हो" और प्रशांत के और से मुह फिरा के अपने चूतड़ पीछे की और बहार निकाल के दोनों जांघों के बीच से अपनी कलाई को ले जा कर मदमस्त लौड़ा पकड़ लिया और अपनी चूत के मुहाने पे लगाने लगी . जैसे ही लंड के टोपे ने उर्मि की चूत के होंठों को छुआ, उर्मि ने अपने चूतड़ों को नीचे करना शुरू कियाऔर धीरे धीरे उर्मि की चिकनी चूत एक बार फिर से प्रशांत का पूरा लौड़ा खा गयी.
उर्मि के दोनों चूंचियां अब प्रशांत ने अपने हाथों में पकड़ रखे थे. मुश्किल से पांच मिनट चुदाई चली होगी के उर्मि ने ऊपर नीचे होना बंद कर दिया और एक झटके के साथ प्रशांत के लौड़े पे बैठ कर लंबी लंबी साँसे लेने लगी.

"फिर झड गयी?"

"नहीं. अबकी बार थक गयी हूँ."

"ओके उठो फिर."

उर्मि प्रशांत के लौड़े पे से उठ गयी और फिर प्रशांत भी उठ गया.
प्रशांत ने कहा," उर्मि अपने कपडे उतर कर नंगी हो जाओ."
"हाय राम बेशरम ! और कितनी होऊं ?सब कुछ तो देख लिया मेरा और क्या बाकी है अब?"
"बस उर्मि अब गाडी स्टेशन पे ही आ के रुकेगी"

इसके बाद दोनों ने अपने कपडे निकलने शुरू किये और बिलकुल नंगे हो गए..

प्रशांत ने उर्मि से कहा," तुम इस मेज़ पे दोनों हाथ टिका के कड़ी हो जाओ मैं पीछे से घुसाऊंगा."

और उर्मि टेबल के ऊपर अपने दोनों हाथ टिका के खड़ी हो गयी. उर्मि की कमर और सुन्दर चूतड़ मेरी और थे. अब प्रशांत, उर्मि के पीछे आया और अपना लौड़ा उर्मि के चूत पे लगाया और एक ही झटके में अंदर कर दिया.
जैसे प्रशांत का लंड उसकी चूत में घुसा, उर्मि ने कहा,"आह्ह्ह.......हर बार...जान निकल देते हो !"

और प्रशांत ने टाप लगनी शुरू की....एक दो तीन चार .....धक् धक् धक् धक्.....लौड़ा पूरा बाहर जाता और फिर अंदर. मैं पीछे खड़ा ध्यान से यही देख रहा था....प्रशांत के लंड ने उर्मि की चूत चौड़ी कर रखी थी. अब उसने तेज तेज चुदाई शुरू की

"आआह्ह्ह्ह......प्रशांत ... ..रुकना मत.........ह्ह्ह ह्ह्ह्ह........हाय......उफ़.... .म्म्म..मम..मम्म्म.....लगे रहो...बहुत म...जा ...आह्ह्ह....आ रहा....आआऔऊउच.....है!!!"

और कस के मेज़ पकड़ कर झुक गयी, , उर्मि ने कहा का लंड एक पिस्टन की तरह अंदर बहार होता दिख रहा था .तभी प्रशांत ने उर्मि के चूतड़ पकडे और कहा," उर्मि,तैयार हो जाओ,बस अब आने वाला हूँ!!"

" ओह्ह........ह्ह्ह... ...अंदर नहीं बस....जहाँ मर्ज़ी कर दो.......मै भी झड़ने वाली हूँ!"
यह कह कर शायद उर्मि भी झड़ने लगी.
 

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तभी प्रशांत ने अपना लौड़ा निकाला और उर्मि की गांड की दरार में रख दिया और मुझे कुछ दिखाई नहीं दिया. बस फिर मैंने देखा के उर्मि की गांड की दरार में से प्रशांत का गाढ़ा वीर्य उर्मि की मांसल जांघों की ओर बहना शुरू हुआ और एक के बाद एक वीर्य की लहर उर्मि की जांघों में से होती हुई उर्मि के टखनो तक पहुँच गयी और प्रशांत की जकड़न को देख कर लग रहा था की वो अभी भी अपने लंड को उर्मि की गांड पे अंतिम बूँद तक उर्मि के चूतडों की दरार में निकल देना चाहता था.

"बस करो प्रशांत,अब और कितना निकलोगे!"

ओर फिर प्रशांत , उर्मि पीछे से हटा तो उर्मि की खूबसूरत गांड, जांघे और टखने प्रशांत के वीर्य से चमक रहे थे और वीर्य अभी भी चूतडों से नीचे की और बह रहा था.

उर्मि ने कहा,"प्लीज़ मेरी अंडरवीयर दे दो."

प्रशांत ने अपने लंड को सहलाते हुए उर्मि की अंडरवीयर तक गया और उठा कर सूंघने लगा और हँसते हुए उर्मि को दे दी.उर्मि ने अपनी पीली पैंटी से अपनी गांड साफ़ करने लगी और फिर धीरे धीरे अपनी जांघें और टाँगे साफ़ की.फिर अपनी पैंटी को मेज़ पे रख के अपने कपडे पहनने लगी.
प्रशांत ने कहा," तुमने तो साफ़ कर लिया ,मेरा क्या होगा?"
उर्मि बोली," तुम भी मेरी ही पैंटी से साफ़ कर लो "और कह कर हँसने लगी

प्रशांत ने उर्मि को कन्धों से पकड़ा और कुर्सी पे बिठा दिया.

" क्या कर रहे हो?"

प्रशांत ने अपना लंड उर्मि की और किया और कहा," चूसो और लंड लो साफ़ करो ."

उर्मि ने सर हिला कर मन किया लेकिन प्रशांत ने ज़बरदस्ती उर्मि के होंठों पे अपना ढीला लंड लगाया और कहा- "उर्मि प्लीज़ डू ईट" और ये कह कर उर्मि के मुंह में ज़बरदस्ती ठूंसने लगा.

उर्मि ने अनमने ढंग से 7-8 चूसे मार कर प्रशांत का लौड़ा छोड़ दिया और सीधी खड़ी हो कर ज़बरदस्ती प्रशांत के होंठो के साथ होंठ मिला कर उसे किस करने कगी और शायद सारा (saliva)जो उसने प्रशांत के लंड से लिया था प्रशांत के ही मुंह में दे दिया और फिर अलग हो कर हँसने लगी.

और कहने लगी "टिट फॉर टाट! "

मै सब देखता रहा और अनजाने में अपने लंड को हिलाते हिलाते वही खड़ा खड़ा झड़ गया.



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