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Bhaut hi Shandar aur Jabardast32
काली ने अपने पति को अपने प्रेमी का रस चखते हुए पाया और वह इस अनुचित संबंध को अपनाए जाने से बेहद उत्तेजित होने लगी। वृषभ ने काली को चाटते हुए उसकी योनि में से बहता अमर का वीर्य चखा और उसे काली की योनि में दबाए रखते हुए पीने लगा।
काली की अमर से चुधवाकर संवेदनशील हुई चूत अपने पति की जीभ से झनझनाने लगी। काली की आहें बढ़ने लगी तो वृषभ ने अपनी रफ्तार बढ़ाते हुए अपनी जीभ को दबाना शुरू किया। जो वृषभ की वीर्य दबाने की कोशिश थी वह अब पीने में बदल गई।
काली जोर से आह भरते हुए झड़ने लगी और उसकी चूत में से वीर्य और स्त्री यौन रसों की लहर वृषभ के मुंह में बह आई। वृषभ अपनी पत्नी की इस भेंट को चट कर ऊपर उठा।
उत्तेजना की चोटी से उतरती काली ने गहरी सांसे लेते हुए सोचना शुरू किया। काली की आंखों में आंसू भर आए और वह सिसकने लगी।
काली सिसकते हुए चुपके से, “जी!…
मैंने ऐसा क्या किया जो आप ने मुझे इतनी बड़ी सज़ा दी! मुझे एक मौका दिया होता!…”
काली रोने लगी और वृषभ ने उसे अपनी बाहों में भर कर चूम लिया।
वृषभ काली को अपनी बाहों में कस कर पकड़ कर, “जानू मुझे माफ करना। यह सब मेरी वजह से है! (काली ने चौंक कर वृषभ की आंखों में देखा) अफ्रीका में बीमारी से बचने से मेरी जिंदगी बदली है। पर जब तुमने बच्चा होने के लिए अपनी जांच कराई तब मैने भी कराई। डॉक्टर गीता सोलंकी ने कहा कि बीमारी ने मेरे वीर्य में शुक्राणु बनाना बंद कर दिया है। अब मैं पति हूं पर पिता बनने के लिए मुझे दूसरे मर्द की जरूरत है!”
काली शर्माकर नीचे देखते हुए, “कोई और तरीका…?”
वृषभ, “अगर हमने बच्चा गोद लिया या किसी डॉक्टर के जरिए वीर्यदान लिया तो इसके सबूत रहेंगे। उनका गलत इस्तमाल कर कबीले में खून खराबा हो सकता है। अमर भैय्या हमारे अपने हैं और भरोसेमंद भी। मैंने ही उन्हें इस तरह मदद करने के लिए मनाया।”
अमर, “काली, तुम्हें डरने की कोई जरूरत नहीं! मैं तुम दोनों के रिश्ते में नहीं आने वाला। पर इस दुनिया में अपनी निशानी छोड़ने की चाहत ने मुझे बहका दिया।”
काली ने अपने पति की ओर देखा और उसका इशारा पा कर अमर को इशारे से अपने पास बुलाया।
काली, “मैं अपने पति की मर्जी के बाहर नहीं हूं। जिस बात से मेरे पति को खुशी मिलेगी मैं वह हर बात करने को तैयार हूं!”
वृषभ ने काली को माथे पर चूमा, “अब अगले 2 दिन भैय्या का इतना वीर्य अपनी कोख में लेना की बच्चा होने की संभावना ज्यादा से ज्यादा हो!”
काली शर्माते हुए, “आप भी…”
वृषभ, “मैं तुम्हारे साथ हूं ना!”
काली अपने सर को हिलाकर ना करते हुए नीचे देखने लगी।
वृषभ के दिल में लड्डू फूटे, “मैं भी भैय्या के साथ अपने प्यार को साथ दूं?”
काली ने अपने सर को हिलाकर हां कहा और उसके दोनों प्रेमी मुस्कुराए। वृषभ ने किचन में से दो दूध के ग्लास लाए और एक अमर को दिया।
अमर दूध पीकर, “इसका स्वाद अलग है!”
वृषभ समझाते हुए, “कबीले की जड़ी बूटियों को बकरी के दूध के साथ पिया जाता है।”
अमर का लौड़ा जल्द ही फूलने लगा और उसकी गोटियां भर कर झूलने लगी। अमर ने काली को दुबारा bed पर बांधते हुए उसकी आंखों पर पट्टी बांध दी।
अमर ने काली के पैरों को फैला कर अपने प्यार को उसकी प्यासी जवानी पर बरसाया। काली गरमाकर आहें भरने लगी। अमर ने धीरे से ऊपर उठाते हुए काली की नाभी को चूमते हुए अपनी उंगलियों से काली को सहलाना जारी रखा।
काली अमर की रोकते हुए, “भैय्या! आप मुझे हर तरह से भर सकते हो पर मुझे चूमना नहीं!! वह अधिकार सिर्फ मेरे पति का है! मेरे होठों पर सिर्फ मेरे पति का नाम और अधिकार होगा!”
अमर ने काली की आज्ञा का मान रखते हुए अपने होठों को उसकी चूचियों, गले और गालों तक सीमित रखा। वृषभ अपनी पत्नी के प्यार को देख कर उत्तेजित हो गया और उसके लौड़े के जड़ में भी वीर्य उबलने लगा।
अमर ने काली को बंधन मुक्त करते हुए उसके घुटनों को अपनी हथेलियों में पकड़कर उठाया। अपने सुपाड़े को काली की बहती हुई नदी पर लगाकर अमर ने धीरे पर गहरा गोता लगाया।
काली आह भरते हुए, “वृषभजी!!…”
वृषभ से अब रहा नही गया और वह काली के सिरहाने बैठ गया। काली का सर अपने पेट पर लिए वह अमर को तेज रफ्तार से अपनी बीवी को चोदते हुए देख रहा था। अमर अब जड़ी बूटियों के असर से अगले 6 घंटों तक लगातार चोदते हुए कई बार झड़ने के काबिल बनाया गया था।
काली का बदन अकड़ने लगा और वह अपने पति को पुकारने लगी। अमर ने काली की हालत पर रहम करते हुए उसे अपने लौड़े पर घुमाया। अब काली पेट के बल लेट कर अपने पैरों को अमर के दोनों ओर पसारे अपने पति की कमर का सहारा लिए हुए थी।
अमर के तेज धक्के उसके स्खलन को दर्शा रहे थे जब काली भी झड़ने लगी। वृषभ ने काली की आंखों पर से पट्टी उठाई और उसे देख मुस्कुराया।
काली वृषभ की आंखों में जलती वासना को देख चीख कर झड़ने लगी। अमर का लौड़ा निचोड़ लिया गया और उसके वीर्य से काली का गर्भ भर गया। काली अपने प्रेमी से मिले वीर्य को अपनी कोख में महसूस कर अपने पति को पुकारने लगी।
काली की उत्तेजना से प्रभावित हो कर वृषभ ने काली को कस कर चूम लिया। काली ने भी अपने पति को चूमते हुए उसके जवान लौड़े को हिलाना शुरू किया।
अमर ने काली की चूत में से अपना फौलाद बाहर निकाल लिया और उसे दुबारा bed पर पीठ के बल लिटा दिया। अमर ने अपनी प्रेमिका को संभालने का मौका न देते हुए उसे वापस तेजी से चोदना शुरू किया।
काली ने अपनी एड़ियों से अपने पहले प्रेमी को अपनी पिघलती जवानी में खींचते हुए अपने पति को इशारों से बुलाया। अमर ने काली के घुटनों को मोड़कर फैलाया जिस से उसे जोर लगाकर तेज चाप लगाने में सहूलियत हो। काली ने वृषभ को अपनी ओर बुलाते हुए उसके लौड़े को सहलाया।
वृषभ का जवान लौड़ा धड़कने लगा। काली के मुंह के सामने अपने लौड़े को ले जा कर वृषभ ने उसे अपने बदन के साथ खेलने की इजाजत दी। काली ने अपने पति के गरम लौड़े को सहलाते हुए अपनी जीभ बढ़ाई और उसे चाटने लगी।
वृषभ जानता था कि काली यह हरकत सिर्फ अपने पति यानी उसके लिए करेगी और इस से वह बुरी तरह उत्तेजित हो गया। अमर के तेज चाप से हिचकोले खाता काली का शरीर अपने पति के लिंग को अपने अंदर लेने की कोशिश कर रहा था।
अमर ने काली के सर के दोनों ओर अपने घुटने रख कर बेड को पकड़ लिया। काली ने अपने पति का सक्त लौड़ा अपने मुंह में लिया तो वृषभ काली के मुंह को चोदने लगा। अमर के तेज झटके काली को उठाकर नीचे खींचते जिस से काली अपने आप अपने पति के लौड़े से अपना मुंह चुधवा लेती। अमर भी इस चुधाई से उत्तेजित हो गया।
अमर ने कभी अपनी किसी प्रेमिका को दूसरे मर्द के साथ बांटा नहीं था। यहां दूसरे मर्द के साथ मिल कर चोदना उसके अंदर से प्रतिस्पर्धा की भावना जगा रहा था। अमर ने काली के गले को पकड़ कर अपने लौड़े को कस कर दबाया। काली की चीख निकल गई और अमर ने वृषभ को अपनी कमर नीच करने को कहा।
काली अपने दोनों ओर से दो लौड़े जड़ तक अन्दर लेते हुए उत्तेजना से सिहरने लगी। काली ने वृषभ को जोर से चूसा तो उसे अपना वीर्य बाहर निकलने को तड़पता महसूस हुआ।
वृषभ ने अपने लौड़े को काली के मुंह में से बाहर निकालकर उसके बगल में बैठ गया। काली ने वृषभ की मदद से उसके लौड़े को दुबारा चूसने की कोशिश की पर उत्तेजना उस पर हावी हो गई।
काली की आंखें घूम गई और वह वृषभ का नाम बुदबुदाते हुए झड़ते हुए बेहोश हो गई। काली की चिकनी चूत में अमर ने कराहते हुए अपने गाढ़े वीर्य को उड़ेला और अपने लौड़े की जड़ को काली की बहती चूत पर दबाकर रुका रहा।
वृषभ से और उत्तेजना सहना मुमकिन नहीं था और वह दोनों को यौन सुख की गर्मी में छोड़ किचन में चला गया।
32
काली ने अपने पति को अपने प्रेमी का रस चखते हुए पाया और वह इस अनुचित संबंध को अपनाए जाने से बेहद उत्तेजित होने लगी। वृषभ ने काली को चाटते हुए उसकी योनि में से बहता अमर का वीर्य चखा और उसे काली की योनि में दबाए रखते हुए पीने लगा।
काली की अमर से चुधवाकर संवेदनशील हुई चूत अपने पति की जीभ से झनझनाने लगी। काली की आहें बढ़ने लगी तो वृषभ ने अपनी रफ्तार बढ़ाते हुए अपनी जीभ को दबाना शुरू किया। जो वृषभ की वीर्य दबाने की कोशिश थी वह अब पीने में बदल गई।
काली जोर से आह भरते हुए झड़ने लगी और उसकी चूत में से वीर्य और स्त्री यौन रसों की लहर वृषभ के मुंह में बह आई। वृषभ अपनी पत्नी की इस भेंट को चट कर ऊपर उठा।
उत्तेजना की चोटी से उतरती काली ने गहरी सांसे लेते हुए सोचना शुरू किया। काली की आंखों में आंसू भर आए और वह सिसकने लगी।
काली सिसकते हुए चुपके से, “जी!…
मैंने ऐसा क्या किया जो आप ने मुझे इतनी बड़ी सज़ा दी! मुझे एक मौका दिया होता!…”
काली रोने लगी और वृषभ ने उसे अपनी बाहों में भर कर चूम लिया।
वृषभ काली को अपनी बाहों में कस कर पकड़ कर, “जानू मुझे माफ करना। यह सब मेरी वजह से है! (काली ने चौंक कर वृषभ की आंखों में देखा) अफ्रीका में बीमारी से बचने से मेरी जिंदगी बदली है। पर जब तुमने बच्चा होने के लिए अपनी जांच कराई तब मैने भी कराई। डॉक्टर गीता सोलंकी ने कहा कि बीमारी ने मेरे वीर्य में शुक्राणु बनाना बंद कर दिया है। अब मैं पति हूं पर पिता बनने के लिए मुझे दूसरे मर्द की जरूरत है!”
काली शर्माकर नीचे देखते हुए, “कोई और तरीका…?”
वृषभ, “अगर हमने बच्चा गोद लिया या किसी डॉक्टर के जरिए वीर्यदान लिया तो इसके सबूत रहेंगे। उनका गलत इस्तमाल कर कबीले में खून खराबा हो सकता है। अमर भैय्या हमारे अपने हैं और भरोसेमंद भी। मैंने ही उन्हें इस तरह मदद करने के लिए मनाया।”
अमर, “काली, तुम्हें डरने की कोई जरूरत नहीं! मैं तुम दोनों के रिश्ते में नहीं आने वाला। पर इस दुनिया में अपनी निशानी छोड़ने की चाहत ने मुझे बहका दिया।”
काली ने अपने पति की ओर देखा और उसका इशारा पा कर अमर को इशारे से अपने पास बुलाया।
काली, “मैं अपने पति की मर्जी के बाहर नहीं हूं। जिस बात से मेरे पति को खुशी मिलेगी मैं वह हर बात करने को तैयार हूं!”
वृषभ ने काली को माथे पर चूमा, “अब अगले 2 दिन भैय्या का इतना वीर्य अपनी कोख में लेना की बच्चा होने की संभावना ज्यादा से ज्यादा हो!”
काली शर्माते हुए, “आप भी…”
वृषभ, “मैं तुम्हारे साथ हूं ना!”
काली अपने सर को हिलाकर ना करते हुए नीचे देखने लगी।
वृषभ के दिल में लड्डू फूटे, “मैं भी भैय्या के साथ अपने प्यार को साथ दूं?”
काली ने अपने सर को हिलाकर हां कहा और उसके दोनों प्रेमी मुस्कुराए। वृषभ ने किचन में से दो दूध के ग्लास लाए और एक अमर को दिया।
अमर दूध पीकर, “इसका स्वाद अलग है!”
वृषभ समझाते हुए, “कबीले की जड़ी बूटियों को बकरी के दूध के साथ पिया जाता है।”
अमर का लौड़ा जल्द ही फूलने लगा और उसकी गोटियां भर कर झूलने लगी। अमर ने काली को दुबारा bed पर बांधते हुए उसकी आंखों पर पट्टी बांध दी।
अमर ने काली के पैरों को फैला कर अपने प्यार को उसकी प्यासी जवानी पर बरसाया। काली गरमाकर आहें भरने लगी। अमर ने धीरे से ऊपर उठाते हुए काली की नाभी को चूमते हुए अपनी उंगलियों से काली को सहलाना जारी रखा।
काली अमर की रोकते हुए, “भैय्या! आप मुझे हर तरह से भर सकते हो पर मुझे चूमना नहीं!! वह अधिकार सिर्फ मेरे पति का है! मेरे होठों पर सिर्फ मेरे पति का नाम और अधिकार होगा!”
अमर ने काली की आज्ञा का मान रखते हुए अपने होठों को उसकी चूचियों, गले और गालों तक सीमित रखा। वृषभ अपनी पत्नी के प्यार को देख कर उत्तेजित हो गया और उसके लौड़े के जड़ में भी वीर्य उबलने लगा।
अमर ने काली को बंधन मुक्त करते हुए उसके घुटनों को अपनी हथेलियों में पकड़कर उठाया। अपने सुपाड़े को काली की बहती हुई नदी पर लगाकर अमर ने धीरे पर गहरा गोता लगाया।
काली आह भरते हुए, “वृषभजी!!…”
वृषभ से अब रहा नही गया और वह काली के सिरहाने बैठ गया। काली का सर अपने पेट पर लिए वह अमर को तेज रफ्तार से अपनी बीवी को चोदते हुए देख रहा था। अमर अब जड़ी बूटियों के असर से अगले 6 घंटों तक लगातार चोदते हुए कई बार झड़ने के काबिल बनाया गया था।
काली का बदन अकड़ने लगा और वह अपने पति को पुकारने लगी। अमर ने काली की हालत पर रहम करते हुए उसे अपने लौड़े पर घुमाया। अब काली पेट के बल लेट कर अपने पैरों को अमर के दोनों ओर पसारे अपने पति की कमर का सहारा लिए हुए थी।
अमर के तेज धक्के उसके स्खलन को दर्शा रहे थे जब काली भी झड़ने लगी। वृषभ ने काली की आंखों पर से पट्टी उठाई और उसे देख मुस्कुराया।
काली वृषभ की आंखों में जलती वासना को देख चीख कर झड़ने लगी। अमर का लौड़ा निचोड़ लिया गया और उसके वीर्य से काली का गर्भ भर गया। काली अपने प्रेमी से मिले वीर्य को अपनी कोख में महसूस कर अपने पति को पुकारने लगी।
काली की उत्तेजना से प्रभावित हो कर वृषभ ने काली को कस कर चूम लिया। काली ने भी अपने पति को चूमते हुए उसके जवान लौड़े को हिलाना शुरू किया।
अमर ने काली की चूत में से अपना फौलाद बाहर निकाल लिया और उसे दुबारा bed पर पीठ के बल लिटा दिया। अमर ने अपनी प्रेमिका को संभालने का मौका न देते हुए उसे वापस तेजी से चोदना शुरू किया।
काली ने अपनी एड़ियों से अपने पहले प्रेमी को अपनी पिघलती जवानी में खींचते हुए अपने पति को इशारों से बुलाया। अमर ने काली के घुटनों को मोड़कर फैलाया जिस से उसे जोर लगाकर तेज चाप लगाने में सहूलियत हो। काली ने वृषभ को अपनी ओर बुलाते हुए उसके लौड़े को सहलाया।
वृषभ का जवान लौड़ा धड़कने लगा। काली के मुंह के सामने अपने लौड़े को ले जा कर वृषभ ने उसे अपने बदन के साथ खेलने की इजाजत दी। काली ने अपने पति के गरम लौड़े को सहलाते हुए अपनी जीभ बढ़ाई और उसे चाटने लगी।
वृषभ जानता था कि काली यह हरकत सिर्फ अपने पति यानी उसके लिए करेगी और इस से वह बुरी तरह उत्तेजित हो गया। अमर के तेज चाप से हिचकोले खाता काली का शरीर अपने पति के लिंग को अपने अंदर लेने की कोशिश कर रहा था।
अमर ने काली के सर के दोनों ओर अपने घुटने रख कर बेड को पकड़ लिया। काली ने अपने पति का सक्त लौड़ा अपने मुंह में लिया तो वृषभ काली के मुंह को चोदने लगा। अमर के तेज झटके काली को उठाकर नीचे खींचते जिस से काली अपने आप अपने पति के लौड़े से अपना मुंह चुधवा लेती। अमर भी इस चुधाई से उत्तेजित हो गया।
अमर ने कभी अपनी किसी प्रेमिका को दूसरे मर्द के साथ बांटा नहीं था। यहां दूसरे मर्द के साथ मिल कर चोदना उसके अंदर से प्रतिस्पर्धा की भावना जगा रहा था। अमर ने काली के गले को पकड़ कर अपने लौड़े को कस कर दबाया। काली की चीख निकल गई और अमर ने वृषभ को अपनी कमर नीच करने को कहा।
काली अपने दोनों ओर से दो लौड़े जड़ तक अन्दर लेते हुए उत्तेजना से सिहरने लगी। काली ने वृषभ को जोर से चूसा तो उसे अपना वीर्य बाहर निकलने को तड़पता महसूस हुआ।
वृषभ ने अपने लौड़े को काली के मुंह में से बाहर निकालकर उसके बगल में बैठ गया। काली ने वृषभ की मदद से उसके लौड़े को दुबारा चूसने की कोशिश की पर उत्तेजना उस पर हावी हो गई।
काली की आंखें घूम गई और वह वृषभ का नाम बुदबुदाते हुए झड़ते हुए बेहोश हो गई। काली की चिकनी चूत में अमर ने कराहते हुए अपने गाढ़े वीर्य को उड़ेला और अपने लौड़े की जड़ को काली की बहती चूत पर दबाकर रुका रहा।
वृषभ से और उत्तेजना सहना मुमकिन नहीं था और वह दोनों को यौन सुख की गर्मी में छोड़ किचन में चला गया।
Thank you for your continued support and replyBhaut hi Shandar aur Jabardast
LazawabFantastic Update
Please to be continue![]()
Waiting for next update
Thank you for your continued support and reply Ajju LandwaliaWow, Awesome update
Thank you for your continued support and reply.update ka intezzar rahega bhai
Thank you vickyrock for your continued support and encouragement32
काली ने अपने पति को अपने प्रेमी का रस चखते हुए पाया और वह इस अनुचित संबंध को अपनाए जाने से बेहद उत्तेजित होने लगी। वृषभ ने काली को चाटते हुए उसकी योनि में से बहता अमर का वीर्य चखा और उसे काली की योनि में दबाए रखते हुए पीने लगा।
काली की अमर से चुधवाकर संवेदनशील हुई चूत अपने पति की जीभ से झनझनाने लगी। काली की आहें बढ़ने लगी तो वृषभ ने अपनी रफ्तार बढ़ाते हुए अपनी जीभ को दबाना शुरू किया। जो वृषभ की वीर्य दबाने की कोशिश थी वह अब पीने में बदल गई।
काली जोर से आह भरते हुए झड़ने लगी और उसकी चूत में से वीर्य और स्त्री यौन रसों की लहर वृषभ के मुंह में बह आई। वृषभ अपनी पत्नी की इस भेंट को चट कर ऊपर उठा।
उत्तेजना की चोटी से उतरती काली ने गहरी सांसे लेते हुए सोचना शुरू किया। काली की आंखों में आंसू भर आए और वह सिसकने लगी।
काली सिसकते हुए चुपके से, “जी!…
मैंने ऐसा क्या किया जो आप ने मुझे इतनी बड़ी सज़ा दी! मुझे एक मौका दिया होता!…”
काली रोने लगी और वृषभ ने उसे अपनी बाहों में भर कर चूम लिया।
वृषभ काली को अपनी बाहों में कस कर पकड़ कर, “जानू मुझे माफ करना। यह सब मेरी वजह से है! (काली ने चौंक कर वृषभ की आंखों में देखा) अफ्रीका में बीमारी से बचने से मेरी जिंदगी बदली है। पर जब तुमने बच्चा होने के लिए अपनी जांच कराई तब मैने भी कराई। डॉक्टर गीता सोलंकी ने कहा कि बीमारी ने मेरे वीर्य में शुक्राणु बनाना बंद कर दिया है। अब मैं पति हूं पर पिता बनने के लिए मुझे दूसरे मर्द की जरूरत है!”
काली शर्माकर नीचे देखते हुए, “कोई और तरीका…?”
वृषभ, “अगर हमने बच्चा गोद लिया या किसी डॉक्टर के जरिए वीर्यदान लिया तो इसके सबूत रहेंगे। उनका गलत इस्तमाल कर कबीले में खून खराबा हो सकता है। अमर भैय्या हमारे अपने हैं और भरोसेमंद भी। मैंने ही उन्हें इस तरह मदद करने के लिए मनाया।”
अमर, “काली, तुम्हें डरने की कोई जरूरत नहीं! मैं तुम दोनों के रिश्ते में नहीं आने वाला। पर इस दुनिया में अपनी निशानी छोड़ने की चाहत ने मुझे बहका दिया।”
काली ने अपने पति की ओर देखा और उसका इशारा पा कर अमर को इशारे से अपने पास बुलाया।
काली, “मैं अपने पति की मर्जी के बाहर नहीं हूं। जिस बात से मेरे पति को खुशी मिलेगी मैं वह हर बात करने को तैयार हूं!”
वृषभ ने काली को माथे पर चूमा, “अब अगले 2 दिन भैय्या का इतना वीर्य अपनी कोख में लेना की बच्चा होने की संभावना ज्यादा से ज्यादा हो!”
काली शर्माते हुए, “आप भी…”
वृषभ, “मैं तुम्हारे साथ हूं ना!”
काली अपने सर को हिलाकर ना करते हुए नीचे देखने लगी।
वृषभ के दिल में लड्डू फूटे, “मैं भी भैय्या के साथ अपने प्यार को साथ दूं?”
काली ने अपने सर को हिलाकर हां कहा और उसके दोनों प्रेमी मुस्कुराए। वृषभ ने किचन में से दो दूध के ग्लास लाए और एक अमर को दिया।
अमर दूध पीकर, “इसका स्वाद अलग है!”
वृषभ समझाते हुए, “कबीले की जड़ी बूटियों को बकरी के दूध के साथ पिया जाता है।”
अमर का लौड़ा जल्द ही फूलने लगा और उसकी गोटियां भर कर झूलने लगी। अमर ने काली को दुबारा bed पर बांधते हुए उसकी आंखों पर पट्टी बांध दी।
अमर ने काली के पैरों को फैला कर अपने प्यार को उसकी प्यासी जवानी पर बरसाया। काली गरमाकर आहें भरने लगी। अमर ने धीरे से ऊपर उठाते हुए काली की नाभी को चूमते हुए अपनी उंगलियों से काली को सहलाना जारी रखा।
काली अमर की रोकते हुए, “भैय्या! आप मुझे हर तरह से भर सकते हो पर मुझे चूमना नहीं!! वह अधिकार सिर्फ मेरे पति का है! मेरे होठों पर सिर्फ मेरे पति का नाम और अधिकार होगा!”
अमर ने काली की आज्ञा का मान रखते हुए अपने होठों को उसकी चूचियों, गले और गालों तक सीमित रखा। वृषभ अपनी पत्नी के प्यार को देख कर उत्तेजित हो गया और उसके लौड़े के जड़ में भी वीर्य उबलने लगा।
अमर ने काली को बंधन मुक्त करते हुए उसके घुटनों को अपनी हथेलियों में पकड़कर उठाया। अपने सुपाड़े को काली की बहती हुई नदी पर लगाकर अमर ने धीरे पर गहरा गोता लगाया।
काली आह भरते हुए, “वृषभजी!!…”
वृषभ से अब रहा नही गया और वह काली के सिरहाने बैठ गया। काली का सर अपने पेट पर लिए वह अमर को तेज रफ्तार से अपनी बीवी को चोदते हुए देख रहा था। अमर अब जड़ी बूटियों के असर से अगले 6 घंटों तक लगातार चोदते हुए कई बार झड़ने के काबिल बनाया गया था।
काली का बदन अकड़ने लगा और वह अपने पति को पुकारने लगी। अमर ने काली की हालत पर रहम करते हुए उसे अपने लौड़े पर घुमाया। अब काली पेट के बल लेट कर अपने पैरों को अमर के दोनों ओर पसारे अपने पति की कमर का सहारा लिए हुए थी।
अमर के तेज धक्के उसके स्खलन को दर्शा रहे थे जब काली भी झड़ने लगी। वृषभ ने काली की आंखों पर से पट्टी उठाई और उसे देख मुस्कुराया।
काली वृषभ की आंखों में जलती वासना को देख चीख कर झड़ने लगी। अमर का लौड़ा निचोड़ लिया गया और उसके वीर्य से काली का गर्भ भर गया। काली अपने प्रेमी से मिले वीर्य को अपनी कोख में महसूस कर अपने पति को पुकारने लगी।
काली की उत्तेजना से प्रभावित हो कर वृषभ ने काली को कस कर चूम लिया। काली ने भी अपने पति को चूमते हुए उसके जवान लौड़े को हिलाना शुरू किया।
अमर ने काली की चूत में से अपना फौलाद बाहर निकाल लिया और उसे दुबारा bed पर पीठ के बल लिटा दिया। अमर ने अपनी प्रेमिका को संभालने का मौका न देते हुए उसे वापस तेजी से चोदना शुरू किया।
काली ने अपनी एड़ियों से अपने पहले प्रेमी को अपनी पिघलती जवानी में खींचते हुए अपने पति को इशारों से बुलाया। अमर ने काली के घुटनों को मोड़कर फैलाया जिस से उसे जोर लगाकर तेज चाप लगाने में सहूलियत हो। काली ने वृषभ को अपनी ओर बुलाते हुए उसके लौड़े को सहलाया।
वृषभ का जवान लौड़ा धड़कने लगा। काली के मुंह के सामने अपने लौड़े को ले जा कर वृषभ ने उसे अपने बदन के साथ खेलने की इजाजत दी। काली ने अपने पति के गरम लौड़े को सहलाते हुए अपनी जीभ बढ़ाई और उसे चाटने लगी।
वृषभ जानता था कि काली यह हरकत सिर्फ अपने पति यानी उसके लिए करेगी और इस से वह बुरी तरह उत्तेजित हो गया। अमर के तेज चाप से हिचकोले खाता काली का शरीर अपने पति के लिंग को अपने अंदर लेने की कोशिश कर रहा था।
अमर ने काली के सर के दोनों ओर अपने घुटने रख कर बेड को पकड़ लिया। काली ने अपने पति का सक्त लौड़ा अपने मुंह में लिया तो वृषभ काली के मुंह को चोदने लगा। अमर के तेज झटके काली को उठाकर नीचे खींचते जिस से काली अपने आप अपने पति के लौड़े से अपना मुंह चुधवा लेती। अमर भी इस चुधाई से उत्तेजित हो गया।
अमर ने कभी अपनी किसी प्रेमिका को दूसरे मर्द के साथ बांटा नहीं था। यहां दूसरे मर्द के साथ मिल कर चोदना उसके अंदर से प्रतिस्पर्धा की भावना जगा रहा था। अमर ने काली के गले को पकड़ कर अपने लौड़े को कस कर दबाया। काली की चीख निकल गई और अमर ने वृषभ को अपनी कमर नीच करने को कहा।
काली अपने दोनों ओर से दो लौड़े जड़ तक अन्दर लेते हुए उत्तेजना से सिहरने लगी। काली ने वृषभ को जोर से चूसा तो उसे अपना वीर्य बाहर निकलने को तड़पता महसूस हुआ।
वृषभ ने अपने लौड़े को काली के मुंह में से बाहर निकालकर उसके बगल में बैठ गया। काली ने वृषभ की मदद से उसके लौड़े को दुबारा चूसने की कोशिश की पर उत्तेजना उस पर हावी हो गई।
काली की आंखें घूम गई और वह वृषभ का नाम बुदबुदाते हुए झड़ते हुए बेहोश हो गई। काली की चिकनी चूत में अमर ने कराहते हुए अपने गाढ़े वीर्य को उड़ेला और अपने लौड़े की जड़ को काली की बहती चूत पर दबाकर रुका रहा।
वृषभ से और उत्तेजना सहना मुमकिन नहीं था और वह दोनों को यौन सुख की गर्मी में छोड़ किचन में चला गया।