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Kaali is to marry in 3 years. Guess what happens


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Lefty69

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Tired The Launch GIF by CTV

Happy Lets Go GIF by Shalita Grant
Desperate Housewives Waiting GIF by HULU
Sorry to keep you waiting

Thank you for your continued support and reply

Do give me your ideas and suggestions
 
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Lefty69

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prasha_tam

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काली ने अपने पति को अपने प्रेमी का रस चखते हुए पाया और वह इस अनुचित संबंध को अपनाए जाने से बेहद उत्तेजित होने लगी। वृषभ ने काली को चाटते हुए उसकी योनि में से बहता अमर का वीर्य चखा और उसे काली की योनि में दबाए रखते हुए पीने लगा।


काली की अमर से चुधवाकर संवेदनशील हुई चूत अपने पति की जीभ से झनझनाने लगी। काली की आहें बढ़ने लगी तो वृषभ ने अपनी रफ्तार बढ़ाते हुए अपनी जीभ को दबाना शुरू किया। जो वृषभ की वीर्य दबाने की कोशिश थी वह अब पीने में बदल गई।


काली जोर से आह भरते हुए झड़ने लगी और उसकी चूत में से वीर्य और स्त्री यौन रसों की लहर वृषभ के मुंह में बह आई। वृषभ अपनी पत्नी की इस भेंट को चट कर ऊपर उठा।


उत्तेजना की चोटी से उतरती काली ने गहरी सांसे लेते हुए सोचना शुरू किया। काली की आंखों में आंसू भर आए और वह सिसकने लगी।


काली सिसकते हुए चुपके से, “जी!…

मैंने ऐसा क्या किया जो आप ने मुझे इतनी बड़ी सज़ा दी! मुझे एक मौका दिया होता!…”


काली रोने लगी और वृषभ ने उसे अपनी बाहों में भर कर चूम लिया।


वृषभ काली को अपनी बाहों में कस कर पकड़ कर, “जानू मुझे माफ करना। यह सब मेरी वजह से है! (काली ने चौंक कर वृषभ की आंखों में देखा) अफ्रीका में बीमारी से बचने से मेरी जिंदगी बदली है। पर जब तुमने बच्चा होने के लिए अपनी जांच कराई तब मैने भी कराई। डॉक्टर गीता सोलंकी ने कहा कि बीमारी ने मेरे वीर्य में शुक्राणु बनाना बंद कर दिया है। अब मैं पति हूं पर पिता बनने के लिए मुझे दूसरे मर्द की जरूरत है!”


काली शर्माकर नीचे देखते हुए, “कोई और तरीका…?”


वृषभ, “अगर हमने बच्चा गोद लिया या किसी डॉक्टर के जरिए वीर्यदान लिया तो इसके सबूत रहेंगे। उनका गलत इस्तमाल कर कबीले में खून खराबा हो सकता है। अमर भैय्या हमारे अपने हैं और भरोसेमंद भी। मैंने ही उन्हें इस तरह मदद करने के लिए मनाया।”


अमर, “काली, तुम्हें डरने की कोई जरूरत नहीं! मैं तुम दोनों के रिश्ते में नहीं आने वाला। पर इस दुनिया में अपनी निशानी छोड़ने की चाहत ने मुझे बहका दिया।”


काली ने अपने पति की ओर देखा और उसका इशारा पा कर अमर को इशारे से अपने पास बुलाया।


काली, “मैं अपने पति की मर्जी के बाहर नहीं हूं। जिस बात से मेरे पति को खुशी मिलेगी मैं वह हर बात करने को तैयार हूं!”


वृषभ ने काली को माथे पर चूमा, “अब अगले 2 दिन भैय्या का इतना वीर्य अपनी कोख में लेना की बच्चा होने की संभावना ज्यादा से ज्यादा हो!”


काली शर्माते हुए, “आप भी…”


वृषभ, “मैं तुम्हारे साथ हूं ना!”


काली अपने सर को हिलाकर ना करते हुए नीचे देखने लगी।


वृषभ के दिल में लड्डू फूटे, “मैं भी भैय्या के साथ अपने प्यार को साथ दूं?”


काली ने अपने सर को हिलाकर हां कहा और उसके दोनों प्रेमी मुस्कुराए। वृषभ ने किचन में से दो दूध के ग्लास लाए और एक अमर को दिया।


अमर दूध पीकर, “इसका स्वाद अलग है!”


वृषभ समझाते हुए, “कबीले की जड़ी बूटियों को बकरी के दूध के साथ पिया जाता है।”


अमर का लौड़ा जल्द ही फूलने लगा और उसकी गोटियां भर कर झूलने लगी। अमर ने काली को दुबारा bed पर बांधते हुए उसकी आंखों पर पट्टी बांध दी।


18648420

अमर ने काली के पैरों को फैला कर अपने प्यार को उसकी प्यासी जवानी पर बरसाया। काली गरमाकर आहें भरने लगी। अमर ने धीरे से ऊपर उठाते हुए काली की नाभी को चूमते हुए अपनी उंगलियों से काली को सहलाना जारी रखा।

25401509

काली अमर की रोकते हुए, “भैय्या! आप मुझे हर तरह से भर सकते हो पर मुझे चूमना नहीं!! वह अधिकार सिर्फ मेरे पति का है! मेरे होठों पर सिर्फ मेरे पति का नाम और अधिकार होगा!”


अमर ने काली की आज्ञा का मान रखते हुए अपने होठों को उसकी चूचियों, गले और गालों तक सीमित रखा। वृषभ अपनी पत्नी के प्यार को देख कर उत्तेजित हो गया और उसके लौड़े के जड़ में भी वीर्य उबलने लगा।


अमर ने काली को बंधन मुक्त करते हुए उसके घुटनों को अपनी हथेलियों में पकड़कर उठाया। अपने सुपाड़े को काली की बहती हुई नदी पर लगाकर अमर ने धीरे पर गहरा गोता लगाया।


काली आह भरते हुए, “वृषभजी!!…”


वृषभ से अब रहा नही गया और वह काली के सिरहाने बैठ गया। काली का सर अपने पेट पर लिए वह अमर को तेज रफ्तार से अपनी बीवी को चोदते हुए देख रहा था। अमर अब जड़ी बूटियों के असर से अगले 6 घंटों तक लगातार चोदते हुए कई बार झड़ने के काबिल बनाया गया था।


काली का बदन अकड़ने लगा और वह अपने पति को पुकारने लगी। अमर ने काली की हालत पर रहम करते हुए उसे अपने लौड़े पर घुमाया। अब काली पेट के बल लेट कर अपने पैरों को अमर के दोनों ओर पसारे अपने पति की कमर का सहारा लिए हुए थी।


अमर के तेज धक्के उसके स्खलन को दर्शा रहे थे जब काली भी झड़ने लगी। वृषभ ने काली की आंखों पर से पट्टी उठाई और उसे देख मुस्कुराया।


काली वृषभ की आंखों में जलती वासना को देख चीख कर झड़ने लगी। अमर का लौड़ा निचोड़ लिया गया और उसके वीर्य से काली का गर्भ भर गया। काली अपने प्रेमी से मिले वीर्य को अपनी कोख में महसूस कर अपने पति को पुकारने लगी।


28048054

काली की उत्तेजना से प्रभावित हो कर वृषभ ने काली को कस कर चूम लिया। काली ने भी अपने पति को चूमते हुए उसके जवान लौड़े को हिलाना शुरू किया।


अमर ने काली की चूत में से अपना फौलाद बाहर निकाल लिया और उसे दुबारा bed पर पीठ के बल लिटा दिया। अमर ने अपनी प्रेमिका को संभालने का मौका न देते हुए उसे वापस तेजी से चोदना शुरू किया।


काली ने अपनी एड़ियों से अपने पहले प्रेमी को अपनी पिघलती जवानी में खींचते हुए अपने पति को इशारों से बुलाया। अमर ने काली के घुटनों को मोड़कर फैलाया जिस से उसे जोर लगाकर तेज चाप लगाने में सहूलियत हो। काली ने वृषभ को अपनी ओर बुलाते हुए उसके लौड़े को सहलाया।


20323566

वृषभ का जवान लौड़ा धड़कने लगा। काली के मुंह के सामने अपने लौड़े को ले जा कर वृषभ ने उसे अपने बदन के साथ खेलने की इजाजत दी। काली ने अपने पति के गरम लौड़े को सहलाते हुए अपनी जीभ बढ़ाई और उसे चाटने लगी।

वृषभ जानता था कि काली यह हरकत सिर्फ अपने पति यानी उसके लिए करेगी और इस से वह बुरी तरह उत्तेजित हो गया। अमर के तेज चाप से हिचकोले खाता काली का शरीर अपने पति के लिंग को अपने अंदर लेने की कोशिश कर रहा था।


अमर ने काली के सर के दोनों ओर अपने घुटने रख कर बेड को पकड़ लिया। काली ने अपने पति का सक्त लौड़ा अपने मुंह में लिया तो वृषभ काली के मुंह को चोदने लगा। अमर के तेज झटके काली को उठाकर नीचे खींचते जिस से काली अपने आप अपने पति के लौड़े से अपना मुंह चुधवा लेती। अमर भी इस चुधाई से उत्तेजित हो गया।


अमर ने कभी अपनी किसी प्रेमिका को दूसरे मर्द के साथ बांटा नहीं था। यहां दूसरे मर्द के साथ मिल कर चोदना उसके अंदर से प्रतिस्पर्धा की भावना जगा रहा था। अमर ने काली के गले को पकड़ कर अपने लौड़े को कस कर दबाया। काली की चीख निकल गई और अमर ने वृषभ को अपनी कमर नीच करने को कहा।


24654862

काली अपने दोनों ओर से दो लौड़े जड़ तक अन्दर लेते हुए उत्तेजना से सिहरने लगी। काली ने वृषभ को जोर से चूसा तो उसे अपना वीर्य बाहर निकलने को तड़पता महसूस हुआ।


वृषभ ने अपने लौड़े को काली के मुंह में से बाहर निकालकर उसके बगल में बैठ गया। काली ने वृषभ की मदद से उसके लौड़े को दुबारा चूसने की कोशिश की पर उत्तेजना उस पर हावी हो गई।


काली की आंखें घूम गई और वह वृषभ का नाम बुदबुदाते हुए झड़ते हुए बेहोश हो गई। काली की चिकनी चूत में अमर ने कराहते हुए अपने गाढ़े वीर्य को उड़ेला और अपने लौड़े की जड़ को काली की बहती चूत पर दबाकर रुका रहा।


28134377

वृषभ से और उत्तेजना सहना मुमकिन नहीं था और वह दोनों को यौन सुख की गर्मी में छोड़ किचन में चला गया।
Bhaut hi Shandar aur Jabardast
:applause:
:yippi:

Snl Reaction GIF
Happy Amy Adams GIF
The Best Thank You GIF by SWR3
Awesome Drag Queen GIF by Paramount+

Lazawab
:perfect:
:love2::yippi: Fantastic Update
:ciao:
:superb:
:giveme:
:wave:

Well Done Ok GIF by funk
Masterchef Singapore Thumbs Up GIF by Mediacorp SG
Drag Queen Kiss GIF by Paramount+

Please to be continue 👍 :victory:
continue red carpet GIF by Golden Globes
Meaghan Rath Dancing GIF by Children Ruin Everything

Waiting for next update
:yay:
👉
👋

Dance Dancing GIF by Padrisimo Magazine
Moving Dancing With Myself GIF by NBC

alia bhatt sexy indian GIF by bypriyashah

Slow Motion Dance GIF
 

Ajju Landwalia

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काली ने अपने पति को अपने प्रेमी का रस चखते हुए पाया और वह इस अनुचित संबंध को अपनाए जाने से बेहद उत्तेजित होने लगी। वृषभ ने काली को चाटते हुए उसकी योनि में से बहता अमर का वीर्य चखा और उसे काली की योनि में दबाए रखते हुए पीने लगा।


काली की अमर से चुधवाकर संवेदनशील हुई चूत अपने पति की जीभ से झनझनाने लगी। काली की आहें बढ़ने लगी तो वृषभ ने अपनी रफ्तार बढ़ाते हुए अपनी जीभ को दबाना शुरू किया। जो वृषभ की वीर्य दबाने की कोशिश थी वह अब पीने में बदल गई।


काली जोर से आह भरते हुए झड़ने लगी और उसकी चूत में से वीर्य और स्त्री यौन रसों की लहर वृषभ के मुंह में बह आई। वृषभ अपनी पत्नी की इस भेंट को चट कर ऊपर उठा।


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काली सिसकते हुए चुपके से, “जी!…

मैंने ऐसा क्या किया जो आप ने मुझे इतनी बड़ी सज़ा दी! मुझे एक मौका दिया होता!…”


काली रोने लगी और वृषभ ने उसे अपनी बाहों में भर कर चूम लिया।


वृषभ काली को अपनी बाहों में कस कर पकड़ कर, “जानू मुझे माफ करना। यह सब मेरी वजह से है! (काली ने चौंक कर वृषभ की आंखों में देखा) अफ्रीका में बीमारी से बचने से मेरी जिंदगी बदली है। पर जब तुमने बच्चा होने के लिए अपनी जांच कराई तब मैने भी कराई। डॉक्टर गीता सोलंकी ने कहा कि बीमारी ने मेरे वीर्य में शुक्राणु बनाना बंद कर दिया है। अब मैं पति हूं पर पिता बनने के लिए मुझे दूसरे मर्द की जरूरत है!”


काली शर्माकर नीचे देखते हुए, “कोई और तरीका…?”


वृषभ, “अगर हमने बच्चा गोद लिया या किसी डॉक्टर के जरिए वीर्यदान लिया तो इसके सबूत रहेंगे। उनका गलत इस्तमाल कर कबीले में खून खराबा हो सकता है। अमर भैय्या हमारे अपने हैं और भरोसेमंद भी। मैंने ही उन्हें इस तरह मदद करने के लिए मनाया।”


अमर, “काली, तुम्हें डरने की कोई जरूरत नहीं! मैं तुम दोनों के रिश्ते में नहीं आने वाला। पर इस दुनिया में अपनी निशानी छोड़ने की चाहत ने मुझे बहका दिया।”


काली ने अपने पति की ओर देखा और उसका इशारा पा कर अमर को इशारे से अपने पास बुलाया।


काली, “मैं अपने पति की मर्जी के बाहर नहीं हूं। जिस बात से मेरे पति को खुशी मिलेगी मैं वह हर बात करने को तैयार हूं!”


वृषभ ने काली को माथे पर चूमा, “अब अगले 2 दिन भैय्या का इतना वीर्य अपनी कोख में लेना की बच्चा होने की संभावना ज्यादा से ज्यादा हो!”


काली शर्माते हुए, “आप भी…”


वृषभ, “मैं तुम्हारे साथ हूं ना!”


काली अपने सर को हिलाकर ना करते हुए नीचे देखने लगी।


वृषभ के दिल में लड्डू फूटे, “मैं भी भैय्या के साथ अपने प्यार को साथ दूं?”


काली ने अपने सर को हिलाकर हां कहा और उसके दोनों प्रेमी मुस्कुराए। वृषभ ने किचन में से दो दूध के ग्लास लाए और एक अमर को दिया।


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वृषभ समझाते हुए, “कबीले की जड़ी बूटियों को बकरी के दूध के साथ पिया जाता है।”


अमर का लौड़ा जल्द ही फूलने लगा और उसकी गोटियां भर कर झूलने लगी। अमर ने काली को दुबारा bed पर बांधते हुए उसकी आंखों पर पट्टी बांध दी।


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अमर ने काली के पैरों को फैला कर अपने प्यार को उसकी प्यासी जवानी पर बरसाया। काली गरमाकर आहें भरने लगी। अमर ने धीरे से ऊपर उठाते हुए काली की नाभी को चूमते हुए अपनी उंगलियों से काली को सहलाना जारी रखा।

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अमर ने काली की आज्ञा का मान रखते हुए अपने होठों को उसकी चूचियों, गले और गालों तक सीमित रखा। वृषभ अपनी पत्नी के प्यार को देख कर उत्तेजित हो गया और उसके लौड़े के जड़ में भी वीर्य उबलने लगा।


अमर ने काली को बंधन मुक्त करते हुए उसके घुटनों को अपनी हथेलियों में पकड़कर उठाया। अपने सुपाड़े को काली की बहती हुई नदी पर लगाकर अमर ने धीरे पर गहरा गोता लगाया।


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काली का बदन अकड़ने लगा और वह अपने पति को पुकारने लगी। अमर ने काली की हालत पर रहम करते हुए उसे अपने लौड़े पर घुमाया। अब काली पेट के बल लेट कर अपने पैरों को अमर के दोनों ओर पसारे अपने पति की कमर का सहारा लिए हुए थी।


अमर के तेज धक्के उसके स्खलन को दर्शा रहे थे जब काली भी झड़ने लगी। वृषभ ने काली की आंखों पर से पट्टी उठाई और उसे देख मुस्कुराया।


काली वृषभ की आंखों में जलती वासना को देख चीख कर झड़ने लगी। अमर का लौड़ा निचोड़ लिया गया और उसके वीर्य से काली का गर्भ भर गया। काली अपने प्रेमी से मिले वीर्य को अपनी कोख में महसूस कर अपने पति को पुकारने लगी।


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काली ने अपनी एड़ियों से अपने पहले प्रेमी को अपनी पिघलती जवानी में खींचते हुए अपने पति को इशारों से बुलाया। अमर ने काली के घुटनों को मोड़कर फैलाया जिस से उसे जोर लगाकर तेज चाप लगाने में सहूलियत हो। काली ने वृषभ को अपनी ओर बुलाते हुए उसके लौड़े को सहलाया।


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वृषभ का जवान लौड़ा धड़कने लगा। काली के मुंह के सामने अपने लौड़े को ले जा कर वृषभ ने उसे अपने बदन के साथ खेलने की इजाजत दी। काली ने अपने पति के गरम लौड़े को सहलाते हुए अपनी जीभ बढ़ाई और उसे चाटने लगी।

वृषभ जानता था कि काली यह हरकत सिर्फ अपने पति यानी उसके लिए करेगी और इस से वह बुरी तरह उत्तेजित हो गया। अमर के तेज चाप से हिचकोले खाता काली का शरीर अपने पति के लिंग को अपने अंदर लेने की कोशिश कर रहा था।


अमर ने काली के सर के दोनों ओर अपने घुटने रख कर बेड को पकड़ लिया। काली ने अपने पति का सक्त लौड़ा अपने मुंह में लिया तो वृषभ काली के मुंह को चोदने लगा। अमर के तेज झटके काली को उठाकर नीचे खींचते जिस से काली अपने आप अपने पति के लौड़े से अपना मुंह चुधवा लेती। अमर भी इस चुधाई से उत्तेजित हो गया।


अमर ने कभी अपनी किसी प्रेमिका को दूसरे मर्द के साथ बांटा नहीं था। यहां दूसरे मर्द के साथ मिल कर चोदना उसके अंदर से प्रतिस्पर्धा की भावना जगा रहा था। अमर ने काली के गले को पकड़ कर अपने लौड़े को कस कर दबाया। काली की चीख निकल गई और अमर ने वृषभ को अपनी कमर नीच करने को कहा।


24654862

काली अपने दोनों ओर से दो लौड़े जड़ तक अन्दर लेते हुए उत्तेजना से सिहरने लगी। काली ने वृषभ को जोर से चूसा तो उसे अपना वीर्य बाहर निकलने को तड़पता महसूस हुआ।


वृषभ ने अपने लौड़े को काली के मुंह में से बाहर निकालकर उसके बगल में बैठ गया। काली ने वृषभ की मदद से उसके लौड़े को दुबारा चूसने की कोशिश की पर उत्तेजना उस पर हावी हो गई।


काली की आंखें घूम गई और वह वृषभ का नाम बुदबुदाते हुए झड़ते हुए बेहोश हो गई। काली की चिकनी चूत में अमर ने कराहते हुए अपने गाढ़े वीर्य को उड़ेला और अपने लौड़े की जड़ को काली की बहती चूत पर दबाकर रुका रहा।


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वृषभ से और उत्तेजना सहना मुमकिन नहीं था और वह दोनों को यौन सुख की गर्मी में छोड़ किचन में चला गया।


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वृषभ ने किचन में जाकर ठंडा पानी पिया और अपने चेहरे पर भी लगाया। आज उसे अपनी प्रेमिका, अपनी पतिव्रता पत्नी को दूसरे मर्द से चुधवाना पड़ा था। उसकी पत्नी उसकी बाहों में गैर मर्द से चुधवा कर झड़ गई और फिर उसने अपनी पतिव्रता पत्नी की चूत में से बहता वीर्य देखा और चखा भी।


वृषभ जानता था कि मर्द अपनी मादा के लिए कितना अधिकार भाव रखते हैं। यहां तक कि अपनी औरत को केवल देखने से भी खून खराबा हो जाता है। पर वृषभ और काली को अमर पर विश्वास था कि वह उन दोनों के बीच में नहीं आएगा। हालांकि यह बात वृषभ के मन को शांत करने के लिए काफी थी पर उसका दिल उसे बता रहा था कि उसमें कोई खोट है।


वृषभ 10 मिनट बाहर निकाल कर फिर बेडरूम में गया। वृषभ ने देखा की उसकी बेहोश पड़ी पत्नी पेट के बल लेटी हुई थी। अपने पहले प्रेमी से चुधते हुए लगातार झड़ कर काली बेड को अपने रसों से भिगो रही थी। अमर भी जड़ी बूटियों के असर से पगलाकर तेज चाप लगाते काली को पीछे से चोद रहा था।


वृषभ को एक पल के लिए लगा की अमर काली की गांड़ मार रहा था। वृषभ कई बार काली की गदराई गांड़ को देख कर उसे चोदने के बारे में सोच चुका था पर पहले साल में वह काली को यह बात कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाया और बाद में काली को बच्चे की भूख जाग गई। वृषभ हमेशा सोचा करता की क्या अमर ने काली के इस छेद को कुंवारा छोड़ा है या काली यहां भी लेने को आदि हो चुकी है?


वृषभ ने चुपके से bed के पैरों के पास जा कर प्रेमियों के जुड़े अंगों को देखा। वृषभ नहीं जानता था कि वह खुश था या नहीं जब उसने अमर भैय्या के लौड़े को काली की चूत में अपने वीर्य को मथते देखा। अपनी पत्नी की चूत को ठोकते लौड़े का तेज धड़कना इस दुर्लभ दृश्य को देखते हुए वृषभ खो गया जब अमर किसी सांड की तरह चिंघाड़ पड़ा।


22084843

अमर के लौड़े ने एक और बार काली की उपजाऊ कोख में अपने बीज बोए और काली की गांड़ को छूते हुए बाहर निकाला।


काली अपनी कोख में फैलती गर्मी से जाग उठी और सिसकते हुए झड़ने लगी। अमर bed की दूसरी ओर लेट कर हांफते हुए ताकत जुटाने लगा जब काली ने अपने पति को पुकारा।


वृषभ ने काली की पीठ के ऊपर लेट कर उसके बालों को चूमते हुए, “हां जानू!!…
मैं यहीं पर हूं…”


काली की आंखों में आंसू भर आए, “आप मुझ पर गुस्सा है ना?”


अपने फूले हुए सुपाड़े को काली की वीर्य से लबालब भरी फुद्दी पर रगड़ते हुए, “नहीं, पर क्या तुम मुझ पर गुस्सा हो?”


काली वृषभ की आंखों में देखते हुए, “यह हमारा बच्चा होगा ना?”


वृषभ उत्तेजित हो कर, “हम दोनों का!”


काली हल्के से मुस्कुराकर, “आप इतने जल्दी थकते नहीं जितने जल्दी मा… अमर भैय्या थक गए!”


वृषभ के मन में एक शैतानी खयाल आया।


वृषभ, “क्यों न तुम अमर भैय्या की थकान मिटने तक उनकी सवारी करो?”


काली शरारती मुस्कान से, “सच!!…”


वृषभ ने काली को इशारे से हां कहा और वह वृषभ के नीचे से बाहर निकल कर अमर के बगल में बैठ गई। अमर का खड़ा लौड़ा अब भी दोनों के रसों से चिकना था।


काली ने फिर भी अमर के लौड़े पर थूंक कर अपनी लार लगाई। काली ने फिर अमर के सीने पर अपनी दोनों हथेलियों को रख कर उसे हिलने से रोका और अपने दाएं घुटने से लांघ कर अमर के पेट पर सवार हो गई।


अमर के लौड़े पर अपनी वीर्य टपकाती चूत को रगड़ते हुए काली ने अपनी कमर को ऊपर नीचे करके अमर को तड़पाया। अमर का लौड़ा गर्मी की तलाश में काली की गांड़ पर दब गया।


काली चौंक कर आह भरते हुए अपनी कमर उठाकर, “नहीं!!…
शैतान!!…
कोई शैतानी नहीं!!…”


काली ने अपनी लंबी उंगलियों से अमर का मोटा अंग पकड़ा और अपनी चूत के मुंह पर लगाया। चूत में से गाढ़े वीर्य के घोल की धारा बह गई और अमर का लौड़ा अपने ही रस से भीग गया।


“उन्मम्…”


काली ने आह भरते हुए अमर का मोटा लौड़ा अपनी योनि में लिया और वह धीरे धीरे अपनी कमर हिलाकर अमर की सवारी करने लगी। क्योंकि अमर काली को चूम नहीं सकता था तो उसने काली के मम्मे दबाते हुए उसकी चूचियां चूसने लगा।


काली ने अपने पीछे से वृषभ को देखते हुए महसूस किया। काली जानती थी कि पिछले 1 घंटे से ज्यादा उसका पति उसे अपने पहले प्रेमी से चुधवाते हुए देख रहा था। अपने पति की आंखों के सामने पराए मर्द से चुधवाने की विचित्र अनुभूति से काली और ज्यादा उत्तेजित हो कर सवारी कर रही थी।


वृषभ ने काली की अपनी ओर आती और दूर जाती गांड़ और घुटने फैलाने से फैले चूतड़ों से खुलकर दिखती कसी हुई गांड़ देखी। वृषभ ने निर्धार किया और अपने लौड़े पर थूंक लगा कर आगे बढ़ा।


काली ने अपने पति को अपनी गांड़ सहलाते हुए पाया और वह अपने प्रेमी के मुंह से अपनी चूची निकालकर कुछ कहने के लिए थोड़ी उठी। काली को अचानक एहसास हुआ कि उसकी गांड़ में वृषभ का सुपाड़ा धंस गया है।


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काली चीख पड़ी, “जी!!…
जी!!…
ज…
ई!!…
ईई…
आह!!…
आह!!…
मां!!!…
उन्ह्ह…
उन्ह्हं…
अन्ह…
जी!!…
उन्म्ह्ह…
जी…
(कराहते हुए) जी!!…
मैंने कभी…
आह!!…
ऐसे नहीं!!…(वृषभ ने काली को पीछे खींच कर चूमते हुए चुप कराया)”


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काली की चीखें वृषभ के गले में आहें बन गई। काली एक साथ दो लौड़ों से चुधते हुए अपने दोनों छेदों को फैला हुआ महसूस कर बुरी तरह उत्तेजित हो कर झड़ने लगी।


वृषभ को काली के झड़ते हुए निकले आंसू अपने गालों पर महसूस हुए। काली की झड़ती गांड़ में बना कसाव प्रतिकार लगा तो उत्तेजना का कंपन दर्द की छटपटाहट लगी।


वृषभ काली को पीछे से पकड़ कर, “शूश…
काली तुम्हारी कुंवारी गांड़ ऐसे बिना बताए लेने के लिए माफ करना। अगर बताता तो शायद तुम डर जाती! शूश…
अब बस मजा लो!!…
अब दर्द नही होगा!!…”

काली ने अपने पति को कुंवारी गांड़ ऐसा लगने से आंखें खोली और अमर से नजरें मिली। अमर ने काली को आंख मार कर इशारा किया कि वह अपने पति से यह खुशी न छीने।


काली, “जी!!…
आप ने कभी…
आह!!…
कहा नही!!…
उन्म…
मैं आप को…
मना नहीं करती…”


वृषभ और अमर के लौड़े काली के मांस की पतली पट्टी से एक दूसरे से रगड़ते हुए काली को सेंक रहे थे। वृषभ ने काली की गांड़ को कोरी समझते हुए अपने सुपाड़े को काली की गांड़ के छेद तक बाहर निकाला और धीरे धीरे काली की गांड़ में अपना पूरा लौड़ा दबाया।


काली 2 सालों बाद अपनी गांड़ मरवाने से आहें भरते हुए अपनी कमर उठाकर वृषभ के साथ ऊपर उठ गई जिस से अमर का मोटा लौड़ा काली की चिकनी चूत में से लगभग बाहर निकल गया।


अमर ने काली को अपनी बाहों में भर कर नीचे खींच लिया और पति पत्नी अमर के लौड़े को अपने गुप्तांग में महसूस करते हुए आह भरते हुए नीचे हो गए। वृषभ समझता था कि अगर वह धीरे धीरे बारी बारी काली को चोदते रहे तो दोनों मर्द कभी झड़ नहीं पाएंगे। इस लिए वृषभ ने काली की कमर को अमर के लौड़े पर दबाकर उसे तेजी से चोदना शुरू किया।


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“मां…
आह…
आं…
उन्म्…
अन्ह…
ऊंह…
ह्न्न…
हूं!!…
हम्मम…
आ…
आ…
आन्हा…
जी!!…
जी!!…
जी…
हा!!…”


काली दुबारा झड़ने लगी और वृषभ का लौड़ा काली की गांड़ में निचोड़ लिया गया। वृषभ कराहते हुए अपनी बीवी के ऊपर गिर गया जिसके नीचे उसका प्रेमी दब गया।


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झड़ते हुए काली के कांपते बदन में से अमर को वृषभ के लौड़े का धड़कना महसूस हुआ। किसी मर्द के लौड़े को छूना यह उसने अपनी निजी जिंदगी में होगा ऐसा कभी सोचा नहीं था। पर यह एहसास गलत नहीं लग रहा था।


अमर ने सोचा की एक म्यान में दो तलवारें तब तक gay नहीं होंगी जब तक म्यान उन तलवारों को थामे हुए है!


वृषभ का लौड़ा काली की गांड़ में से बाहर निकला और अमर ने काली को चोदना जारी रखा। काली अपने पति का नाम लेते हुए अपने प्रेमी के लौड़े पर फुदक रही थी।


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आखिर में और 3 मिनट काली की चूत को चोद कर अमर ने आह भरते हुए अपने वीर्य का फव्वारा छोड़ दिया। काली कुछ पल अमर के धड़कते हुए लौड़े से उसकी आखरी बूंद निकलने तक अमर पर लेटी रही।


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काली ने अमर के ऊपर से बगल में लेटते हुए किचन की ओर देखा तो वृषभ जड़ी बूटियों वाला दूध पीता नजर आया।


काली थककर चूर मुस्कुराते हुए, “हे भगवान!!…”
 

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update ka intezzar rahega bhai
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काली ने अपने पति को अपने प्रेमी का रस चखते हुए पाया और वह इस अनुचित संबंध को अपनाए जाने से बेहद उत्तेजित होने लगी। वृषभ ने काली को चाटते हुए उसकी योनि में से बहता अमर का वीर्य चखा और उसे काली की योनि में दबाए रखते हुए पीने लगा।


काली की अमर से चुधवाकर संवेदनशील हुई चूत अपने पति की जीभ से झनझनाने लगी। काली की आहें बढ़ने लगी तो वृषभ ने अपनी रफ्तार बढ़ाते हुए अपनी जीभ को दबाना शुरू किया। जो वृषभ की वीर्य दबाने की कोशिश थी वह अब पीने में बदल गई।


काली जोर से आह भरते हुए झड़ने लगी और उसकी चूत में से वीर्य और स्त्री यौन रसों की लहर वृषभ के मुंह में बह आई। वृषभ अपनी पत्नी की इस भेंट को चट कर ऊपर उठा।


उत्तेजना की चोटी से उतरती काली ने गहरी सांसे लेते हुए सोचना शुरू किया। काली की आंखों में आंसू भर आए और वह सिसकने लगी।


काली सिसकते हुए चुपके से, “जी!…

मैंने ऐसा क्या किया जो आप ने मुझे इतनी बड़ी सज़ा दी! मुझे एक मौका दिया होता!…”


काली रोने लगी और वृषभ ने उसे अपनी बाहों में भर कर चूम लिया।


वृषभ काली को अपनी बाहों में कस कर पकड़ कर, “जानू मुझे माफ करना। यह सब मेरी वजह से है! (काली ने चौंक कर वृषभ की आंखों में देखा) अफ्रीका में बीमारी से बचने से मेरी जिंदगी बदली है। पर जब तुमने बच्चा होने के लिए अपनी जांच कराई तब मैने भी कराई। डॉक्टर गीता सोलंकी ने कहा कि बीमारी ने मेरे वीर्य में शुक्राणु बनाना बंद कर दिया है। अब मैं पति हूं पर पिता बनने के लिए मुझे दूसरे मर्द की जरूरत है!”


काली शर्माकर नीचे देखते हुए, “कोई और तरीका…?”


वृषभ, “अगर हमने बच्चा गोद लिया या किसी डॉक्टर के जरिए वीर्यदान लिया तो इसके सबूत रहेंगे। उनका गलत इस्तमाल कर कबीले में खून खराबा हो सकता है। अमर भैय्या हमारे अपने हैं और भरोसेमंद भी। मैंने ही उन्हें इस तरह मदद करने के लिए मनाया।”


अमर, “काली, तुम्हें डरने की कोई जरूरत नहीं! मैं तुम दोनों के रिश्ते में नहीं आने वाला। पर इस दुनिया में अपनी निशानी छोड़ने की चाहत ने मुझे बहका दिया।”


काली ने अपने पति की ओर देखा और उसका इशारा पा कर अमर को इशारे से अपने पास बुलाया।


काली, “मैं अपने पति की मर्जी के बाहर नहीं हूं। जिस बात से मेरे पति को खुशी मिलेगी मैं वह हर बात करने को तैयार हूं!”


वृषभ ने काली को माथे पर चूमा, “अब अगले 2 दिन भैय्या का इतना वीर्य अपनी कोख में लेना की बच्चा होने की संभावना ज्यादा से ज्यादा हो!”


काली शर्माते हुए, “आप भी…”


वृषभ, “मैं तुम्हारे साथ हूं ना!”


काली अपने सर को हिलाकर ना करते हुए नीचे देखने लगी।


वृषभ के दिल में लड्डू फूटे, “मैं भी भैय्या के साथ अपने प्यार को साथ दूं?”


काली ने अपने सर को हिलाकर हां कहा और उसके दोनों प्रेमी मुस्कुराए। वृषभ ने किचन में से दो दूध के ग्लास लाए और एक अमर को दिया।


अमर दूध पीकर, “इसका स्वाद अलग है!”


वृषभ समझाते हुए, “कबीले की जड़ी बूटियों को बकरी के दूध के साथ पिया जाता है।”


अमर का लौड़ा जल्द ही फूलने लगा और उसकी गोटियां भर कर झूलने लगी। अमर ने काली को दुबारा bed पर बांधते हुए उसकी आंखों पर पट्टी बांध दी।


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अमर ने काली के पैरों को फैला कर अपने प्यार को उसकी प्यासी जवानी पर बरसाया। काली गरमाकर आहें भरने लगी। अमर ने धीरे से ऊपर उठाते हुए काली की नाभी को चूमते हुए अपनी उंगलियों से काली को सहलाना जारी रखा।

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काली अमर की रोकते हुए, “भैय्या! आप मुझे हर तरह से भर सकते हो पर मुझे चूमना नहीं!! वह अधिकार सिर्फ मेरे पति का है! मेरे होठों पर सिर्फ मेरे पति का नाम और अधिकार होगा!”


अमर ने काली की आज्ञा का मान रखते हुए अपने होठों को उसकी चूचियों, गले और गालों तक सीमित रखा। वृषभ अपनी पत्नी के प्यार को देख कर उत्तेजित हो गया और उसके लौड़े के जड़ में भी वीर्य उबलने लगा।


अमर ने काली को बंधन मुक्त करते हुए उसके घुटनों को अपनी हथेलियों में पकड़कर उठाया। अपने सुपाड़े को काली की बहती हुई नदी पर लगाकर अमर ने धीरे पर गहरा गोता लगाया।


काली आह भरते हुए, “वृषभजी!!…”


वृषभ से अब रहा नही गया और वह काली के सिरहाने बैठ गया। काली का सर अपने पेट पर लिए वह अमर को तेज रफ्तार से अपनी बीवी को चोदते हुए देख रहा था। अमर अब जड़ी बूटियों के असर से अगले 6 घंटों तक लगातार चोदते हुए कई बार झड़ने के काबिल बनाया गया था।


काली का बदन अकड़ने लगा और वह अपने पति को पुकारने लगी। अमर ने काली की हालत पर रहम करते हुए उसे अपने लौड़े पर घुमाया। अब काली पेट के बल लेट कर अपने पैरों को अमर के दोनों ओर पसारे अपने पति की कमर का सहारा लिए हुए थी।


अमर के तेज धक्के उसके स्खलन को दर्शा रहे थे जब काली भी झड़ने लगी। वृषभ ने काली की आंखों पर से पट्टी उठाई और उसे देख मुस्कुराया।


काली वृषभ की आंखों में जलती वासना को देख चीख कर झड़ने लगी। अमर का लौड़ा निचोड़ लिया गया और उसके वीर्य से काली का गर्भ भर गया। काली अपने प्रेमी से मिले वीर्य को अपनी कोख में महसूस कर अपने पति को पुकारने लगी।


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काली की उत्तेजना से प्रभावित हो कर वृषभ ने काली को कस कर चूम लिया। काली ने भी अपने पति को चूमते हुए उसके जवान लौड़े को हिलाना शुरू किया।


अमर ने काली की चूत में से अपना फौलाद बाहर निकाल लिया और उसे दुबारा bed पर पीठ के बल लिटा दिया। अमर ने अपनी प्रेमिका को संभालने का मौका न देते हुए उसे वापस तेजी से चोदना शुरू किया।


काली ने अपनी एड़ियों से अपने पहले प्रेमी को अपनी पिघलती जवानी में खींचते हुए अपने पति को इशारों से बुलाया। अमर ने काली के घुटनों को मोड़कर फैलाया जिस से उसे जोर लगाकर तेज चाप लगाने में सहूलियत हो। काली ने वृषभ को अपनी ओर बुलाते हुए उसके लौड़े को सहलाया।


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वृषभ का जवान लौड़ा धड़कने लगा। काली के मुंह के सामने अपने लौड़े को ले जा कर वृषभ ने उसे अपने बदन के साथ खेलने की इजाजत दी। काली ने अपने पति के गरम लौड़े को सहलाते हुए अपनी जीभ बढ़ाई और उसे चाटने लगी।

वृषभ जानता था कि काली यह हरकत सिर्फ अपने पति यानी उसके लिए करेगी और इस से वह बुरी तरह उत्तेजित हो गया। अमर के तेज चाप से हिचकोले खाता काली का शरीर अपने पति के लिंग को अपने अंदर लेने की कोशिश कर रहा था।


अमर ने काली के सर के दोनों ओर अपने घुटने रख कर बेड को पकड़ लिया। काली ने अपने पति का सक्त लौड़ा अपने मुंह में लिया तो वृषभ काली के मुंह को चोदने लगा। अमर के तेज झटके काली को उठाकर नीचे खींचते जिस से काली अपने आप अपने पति के लौड़े से अपना मुंह चुधवा लेती। अमर भी इस चुधाई से उत्तेजित हो गया।


अमर ने कभी अपनी किसी प्रेमिका को दूसरे मर्द के साथ बांटा नहीं था। यहां दूसरे मर्द के साथ मिल कर चोदना उसके अंदर से प्रतिस्पर्धा की भावना जगा रहा था। अमर ने काली के गले को पकड़ कर अपने लौड़े को कस कर दबाया। काली की चीख निकल गई और अमर ने वृषभ को अपनी कमर नीच करने को कहा।


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काली अपने दोनों ओर से दो लौड़े जड़ तक अन्दर लेते हुए उत्तेजना से सिहरने लगी। काली ने वृषभ को जोर से चूसा तो उसे अपना वीर्य बाहर निकलने को तड़पता महसूस हुआ।


वृषभ ने अपने लौड़े को काली के मुंह में से बाहर निकालकर उसके बगल में बैठ गया। काली ने वृषभ की मदद से उसके लौड़े को दुबारा चूसने की कोशिश की पर उत्तेजना उस पर हावी हो गई।


काली की आंखें घूम गई और वह वृषभ का नाम बुदबुदाते हुए झड़ते हुए बेहोश हो गई। काली की चिकनी चूत में अमर ने कराहते हुए अपने गाढ़े वीर्य को उड़ेला और अपने लौड़े की जड़ को काली की बहती चूत पर दबाकर रुका रहा।


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वृषभ से और उत्तेजना सहना मुमकिन नहीं था और वह दोनों को यौन सुख की गर्मी में छोड़ किचन में चला गया।
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