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Thank you for your continued support and replyबहुत ही रोमांचक अपडेट
Bhaut hi Badhiya aur Shandar update
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Thank you for your prompt replyलाजवाब
35
अमर ने अपने हाथ को बढ़ाकर काली के गाल को छू कर सहलाया। काली ने शर्माते हुए अपने पति से लिपटकर अमर को देखा।
अमर, “काली, मुझे इस कीमती तोहफे से नवाजने के लिए शुक्रिया।”
अमर और काली ने एक दूसरे की आंखों में देखा और जान गए की अमर उनकी पहली गांड़ मराई के लिए काली को आभार जताते हुए वृषभ को गांड़ को कुंवारी मिलने का भ्रम बनाए रख रहा है।
काली, “आप कभी मेरे लिए मालिक नहीं थे क्योंकि आप ने कभी मुझे अपना गुलाम नहीं माना। आप ने ही मुझे शादी तय होने पर अपने से दूर करते हुए पतिव्रता होने का पहला सबक सिखाया। मैं अब अपने पति के लिए ही आप के साथ अपने तन को बांटूंगी। लेकिन आप दोनों मुझसे वादा कीजिए की आप दोनों के अलावा मेरी जिंदगी में कोई तीसरा मर्द नहीं आएगा!”
अमर ने अपने सर को हिलाकर हां कहा पर वृषभ हंस पड़ा।
वृषभ, “जानू, यह कैसे मुमकिन है? मतलब अगर तुम्हारे पेट में हमारा बेटा हुआ तो क्या तुम उसे अपनाने से मना कर दोगी?”
काली शर्माकर, “धत्त…”
अमर हंस पड़ा और वृषभ ने काली को चूमते हुए,
“अब भैय्या को और इंतजार मत कराओ! उन्हें भी तेरी गांड़ का मजा लेने दो!”
काली, “आप दोनों बगल में लेट जाइए ताकि मैं आप दोनों के लौड़े एक हाथ में पकड़ सकूं!”
अमर और वृषभ ने काली की बात मानी और एक दूसरे से चिपक कर लेट गए। काली ने दोनों के लौड़े एक हाथ में पकड़ कर हिलाना शुरू किया।
काली, “मैने कसम खाई है कि मेरे होठों पर सिर्फ अपने पति रहेंगे। पर मैं सूखे लौड़े से गांड़ मरवाने जितनी बेवकूफ नहीं! अब मै आप दोनों को तयार कर देती हूं और आप दोनों मुझसे अपना मजा ले लेना!”
काली की लंबी जीभ ने एक अरसे बाद अमर के शरीर को छेड़ा और वह तप कर धड़कने लगा। अपने लौड़े से चिपका दूसरा लौड़ा महसूस कर अमर ने सोचा की यह एक म्यान में दो तलवार से बिलकुल मेल खा गया।
वृषभ का लौड़ा फूल कर धड़कते दिल अमर के लौड़े को दबाता काली की लार से भीगते हुए लगभग फटने को तयार था। वृषभ से रहा नहीं गया और वह कराहने लगा। काली दोनों के लौड़ों पर मुस्कुराकर अपनी जीभ चलाती रही। वृषभ ने हार कर अपने लौड़े से गरम बौछार उड़ाई।
काली ने वृषभ के रसों को अपने मुंह में जमा कर लिया और फिर उसी गाढ़े चिकने घोल से दोनो लौड़ों को पोत दिया। जड़ी बूटियों से सक्त हो गया लौड़ा अगली लड़ाई के लिए तयार था।
काली ने अपने पति और प्रेमी को दूर करते हुए अपने पति को बेड के किनारे लिटा दिया। वृषभ के पेट को अपने घुटने से काली ने लांघ लिया। वृषभ की आंखों में देखते हुए काली ने नटखट मुस्कान दी।
काली, “क्या आप भैय्या को मेरे अंदर आते महसूस करना चाहेंगे?”
वृषभ बस आह भरते हुए हां कह पाया जब उसे अपनी पत्नी की उंगलियों ने पकड़ लिया। वृषभ का वीर्य से चिकना लौड़ा आसानी से वीर्य भरी योनि में समा गया। नए दंपति ने कामुत्तेजना की आह भरी और एक दूसरे को चूमते हुए अपने प्यार को बताने लगे।
काली को चैन से चूमने के बाद वृषभ, “भैय्या, आ जाइए! हम आप के लिए तयार हैं!”
काली ने पीछे मुड़कर अपने प्रेमी का खड़ा फौलाद अपनी गांड़ की ओर आते देखा और वह मंत्रमुग्ध हो कर देखती रही। वृषभ ने काली की बाईं चूची को अपने मुंह में भर कर जोर से चूसते हुए उसकी आहोंं का इंतजार किया।
अमर ने वृषभ के वीर्य से सना अपना लौड़ा पकड़ लिया काली के पीछे खड़ा हो गया। अमर के सुपाड़े ने काली की गांड़ को दबाया और काली की गांड़ ने अपने पहले चोदू का खुल कर स्वागत किया।
“उम्म्…
उन्म्म…
उन्ह्हह्ह!!…”
काली की हल्की सी सिसकारी से अमर का सुपाड़ा धड़क उठा। अमर ने काली की मीठी गांड़ में अपने पूरे लौड़े को जड़ तक दबाते हुए उसकी आहें निकाली।
“आह!!…
उनम्…
उन्म्म्म…
आह!!…
आह!!…
आन्ह्ह!!…”
काली ने अपने प्रेमियों के लौड़ों को अपनी गांड़ और चूत को अलग करती मांस की पतली पट्टी में से रगड़ते हुए महसूस किया। जहां काली के पति का लौड़ा उसकी चूत की तारों को चला रहा था उसके प्रेमी का खड़ा फौलाद उसकी गांड़ को फैलाकर मीठा दर्द दे रहा था।
काली ने अपनी हथेलियों को अपने पति के सर के पास रख कर अपने बदन को उठाते हुए पीछे देखा। अमर काली की कमर को पकड़ कर उसे धीरे धीरे चोदते हुए यह ध्यान दे रहा था कि अमर का मोटा लौड़ा अपनी पत्नी की चूत में से बाहर न निकले।
काली, “भैय्या आप जी की फिक्र मत करो, मैं उनका खयाल रखूंगी! मेरी तो बिलकुल फिक्र मत करना, मुझे आप को अपनी गांड़ में मजा देना है! (अमर की आंखों में देखते हुए) मेरी गांड़ मारो!!…”
अमर ने काली के कंधों को पीछे से पकड़ लिया और अपने लौड़े को खुली छूट देते हुए गांड़ की गर्मी में पेल दिया। काली की आह निकल गई और वृषभ ने अपनी पत्नी को नीचे से सहारा देते हुए अपने लौड़े पर बनाए रखा।
काली, “चोदो मुझे!!…
मुझे मां बना दो!!…
मैं आप दोनों को हमेशा खुश रखूंगी!!…
मेरा बदन लूट लो!!…
मारो!!…
और मारो!!…
चोदो!!…
चोदो!!…
चो…
ओ ओ…
ओह!!…
आह!!…
आह!!…
उन्ह्हह्…
उन्ह्हह…
हुंं…
अम्म्म…
आह!!…”
काली अपने पति और प्रेमी के बीच में कांपती हुई झड़ने लगी। काली की चूत वीर्य के साथ मिलकर यौन रसों की फुहार उड़ाकर अपने पति को निचोड़ने लगी। वृषभ अभी अभी झड़ने से अपने स्खलन पर काबू पाने में कामयाब हुआ पर अमर काली की गांड़ में हार गया।
वृषभ ने अपनी बाहों में अपनी जान के आह भर कर कांपते हुए बदन को पकड़ लिया। उसी समय वृषभ को अपनी पत्नी की चूत में से उसकी गांड़ में धड़कता अपनी पत्नी के प्रेमी का लौड़ा महसूस हुआ।
अमर ने जैसे तैसे अपने आप को काली पर झोंक कर वृषभ को कुचलने का मोह टाल दिया पर तभी वृषभ ने काली को लेकर अमर पर पलटी मारी। अब काली अपनी गांड़ में अमर को पूरी तरह दबा हुआ पाकर देख रही थी कि उसका पति उसे प्यार से चोद रहा है।
काली, “जी! आप को कोई ऐतराज तो नहीं ना?”
वृषभ काली को चूमते हुए, “जानू, जिसकी पत्नी उसके कहने पर उसे ऐसा लाजवाब मजा दे वह किस बात का ऐतराज करे?”
अमर ने काली के पैरों को घुटनों में से मोड़ कर उठाते हुए काली के पैरों को फैलाया। काली ने अपने दोनों प्रेमियों को अपने दोनों छेदों को तेजी से चोदता पाकर उत्तेजना भरी आह भरते हुए अपने बदन को झड़ते पाया।
अब जब दोनों प्रेमी झड़ चुके थे और जड़ी बूटियों के असर से फौलादी मजबूती रखे हुए थे तो उन्होंने अपना ध्यान काली को मजे देने पर लगाया। काली बेचारी अब झड़ते हुए बेजार हो चुकी थी। काली ने झड़ते हुए अपने पति से लिपटकर अपने प्यार का इजहार करते हुए अपनी जवानी की आग में अपने आप को झोंक दिया।
काफी देर तक काली के दोनों छेद बुरी तरह छिल जाने के बाद अमर ने काली की गांड़ के कसाव से हार मान कर दुबारा झड़ना शुरू किया। अब की बार वृषभ अमर को झड़ता महसूस कर खुद को रोक नहीं पाया और आह भरते हुए अपनी पत्नी की कोख न झड़ गया।
दोनों प्रेमी अपनी प्रेमिका को अपनी बाहों में लेकर थक कर चूर होकर सोने लगे।
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Superb35
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अमर और काली ने एक दूसरे की आंखों में देखा और जान गए की अमर उनकी पहली गांड़ मराई के लिए काली को आभार जताते हुए वृषभ को गांड़ को कुंवारी मिलने का भ्रम बनाए रख रहा है।
काली, “आप कभी मेरे लिए मालिक नहीं थे क्योंकि आप ने कभी मुझे अपना गुलाम नहीं माना। आप ने ही मुझे शादी तय होने पर अपने से दूर करते हुए पतिव्रता होने का पहला सबक सिखाया। मैं अब अपने पति के लिए ही आप के साथ अपने तन को बांटूंगी। लेकिन आप दोनों मुझसे वादा कीजिए की आप दोनों के अलावा मेरी जिंदगी में कोई तीसरा मर्द नहीं आएगा!”
अमर ने अपने सर को हिलाकर हां कहा पर वृषभ हंस पड़ा।
वृषभ, “जानू, यह कैसे मुमकिन है? मतलब अगर तुम्हारे पेट में हमारा बेटा हुआ तो क्या तुम उसे अपनाने से मना कर दोगी?”
काली शर्माकर, “धत्त…”
अमर हंस पड़ा और वृषभ ने काली को चूमते हुए,
“अब भैय्या को और इंतजार मत कराओ! उन्हें भी तेरी गांड़ का मजा लेने दो!”
काली, “आप दोनों बगल में लेट जाइए ताकि मैं आप दोनों के लौड़े एक हाथ में पकड़ सकूं!”
अमर और वृषभ ने काली की बात मानी और एक दूसरे से चिपक कर लेट गए। काली ने दोनों के लौड़े एक हाथ में पकड़ कर हिलाना शुरू किया।
काली, “मैने कसम खाई है कि मेरे होठों पर सिर्फ अपने पति रहेंगे। पर मैं सूखे लौड़े से गांड़ मरवाने जितनी बेवकूफ नहीं! अब मै आप दोनों को तयार कर देती हूं और आप दोनों मुझसे अपना मजा ले लेना!”
काली की लंबी जीभ ने एक अरसे बाद अमर के शरीर को छेड़ा और वह तप कर धड़कने लगा। अपने लौड़े से चिपका दूसरा लौड़ा महसूस कर अमर ने सोचा की यह एक म्यान में दो तलवार से बिलकुल मेल खा गया।
वृषभ का लौड़ा फूल कर धड़कते दिल अमर के लौड़े को दबाता काली की लार से भीगते हुए लगभग फटने को तयार था। वृषभ से रहा नहीं गया और वह कराहने लगा। काली दोनों के लौड़ों पर मुस्कुराकर अपनी जीभ चलाती रही। वृषभ ने हार कर अपने लौड़े से गरम बौछार उड़ाई।
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काली ने अपने पति और प्रेमी को दूर करते हुए अपने पति को बेड के किनारे लिटा दिया। वृषभ के पेट को अपने घुटने से काली ने लांघ लिया। वृषभ की आंखों में देखते हुए काली ने नटखट मुस्कान दी।
काली, “क्या आप भैय्या को मेरे अंदर आते महसूस करना चाहेंगे?”
वृषभ बस आह भरते हुए हां कह पाया जब उसे अपनी पत्नी की उंगलियों ने पकड़ लिया। वृषभ का वीर्य से चिकना लौड़ा आसानी से वीर्य भरी योनि में समा गया। नए दंपति ने कामुत्तेजना की आह भरी और एक दूसरे को चूमते हुए अपने प्यार को बताने लगे।
काली को चैन से चूमने के बाद वृषभ, “भैय्या, आ जाइए! हम आप के लिए तयार हैं!”
काली ने पीछे मुड़कर अपने प्रेमी का खड़ा फौलाद अपनी गांड़ की ओर आते देखा और वह मंत्रमुग्ध हो कर देखती रही। वृषभ ने काली की बाईं चूची को अपने मुंह में भर कर जोर से चूसते हुए उसकी आहोंं का इंतजार किया।
अमर ने वृषभ के वीर्य से सना अपना लौड़ा पकड़ लिया काली के पीछे खड़ा हो गया। अमर के सुपाड़े ने काली की गांड़ को दबाया और काली की गांड़ ने अपने पहले चोदू का खुल कर स्वागत किया।
“उम्म्…
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काली की हल्की सी सिसकारी से अमर का सुपाड़ा धड़क उठा। अमर ने काली की मीठी गांड़ में अपने पूरे लौड़े को जड़ तक दबाते हुए उसकी आहें निकाली।
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काली, “भैय्या आप जी की फिक्र मत करो, मैं उनका खयाल रखूंगी! मेरी तो बिलकुल फिक्र मत करना, मुझे आप को अपनी गांड़ में मजा देना है! (अमर की आंखों में देखते हुए) मेरी गांड़ मारो!!…”
अमर ने काली के कंधों को पीछे से पकड़ लिया और अपने लौड़े को खुली छूट देते हुए गांड़ की गर्मी में पेल दिया। काली की आह निकल गई और वृषभ ने अपनी पत्नी को नीचे से सहारा देते हुए अपने लौड़े पर बनाए रखा।
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मुझे मां बना दो!!…
मैं आप दोनों को हमेशा खुश रखूंगी!!…
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वृषभ ने अपनी बाहों में अपनी जान के आह भर कर कांपते हुए बदन को पकड़ लिया। उसी समय वृषभ को अपनी पत्नी की चूत में से उसकी गांड़ में धड़कता अपनी पत्नी के प्रेमी का लौड़ा महसूस हुआ।
अमर ने जैसे तैसे अपने आप को काली पर झोंक कर वृषभ को कुचलने का मोह टाल दिया पर तभी वृषभ ने काली को लेकर अमर पर पलटी मारी। अब काली अपनी गांड़ में अमर को पूरी तरह दबा हुआ पाकर देख रही थी कि उसका पति उसे प्यार से चोद रहा है।
काली, “जी! आप को कोई ऐतराज तो नहीं ना?”
वृषभ काली को चूमते हुए, “जानू, जिसकी पत्नी उसके कहने पर उसे ऐसा लाजवाब मजा दे वह किस बात का ऐतराज करे?”
अमर ने काली के पैरों को घुटनों में से मोड़ कर उठाते हुए काली के पैरों को फैलाया। काली ने अपने दोनों प्रेमियों को अपने दोनों छेदों को तेजी से चोदता पाकर उत्तेजना भरी आह भरते हुए अपने बदन को झड़ते पाया।
अब जब दोनों प्रेमी झड़ चुके थे और जड़ी बूटियों के असर से फौलादी मजबूती रखे हुए थे तो उन्होंने अपना ध्यान काली को मजे देने पर लगाया। काली बेचारी अब झड़ते हुए बेजार हो चुकी थी। काली ने झड़ते हुए अपने पति से लिपटकर अपने प्यार का इजहार करते हुए अपनी जवानी की आग में अपने आप को झोंक दिया।
काफी देर तक काली के दोनों छेद बुरी तरह छिल जाने के बाद अमर ने काली की गांड़ के कसाव से हार मान कर दुबारा झड़ना शुरू किया। अब की बार वृषभ अमर को झड़ता महसूस कर खुद को रोक नहीं पाया और आह भरते हुए अपनी पत्नी की कोख न झड़ गया।
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