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चंदा
मालिक ने मुझसे झूठ कहा कि वह conference में जा रहे हैं। पर उनके जाने से मुझे कुछ सोचने की जरूरत महसूस हुई। जब तक कोई बात खोने का डर ना हो तब तक उसकी एहमियत समझ में नहीं आती।
मैंने कल शाम का पूरा वक्त अपने भविष्य के बारे में सोचते हुए बताया। UPSC PRELIMS अगले महीने थीं और उसके 3 महीने बाद UPSC mains थी। कॉलेज की exams तो मैं आसानी से पार कर गई थी पर अब मेरी सच्ची परीक्षा थी। इस से पहले कि मैं UPSC परीक्षा देकर अपना चुनाव करती मुझे अपने प्यार को परखना था।
मैने तयारी कर ली और कांपते हाथों में चिट्ठी मेज पर रखी। यह मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा जुआ था क्योंकि जिस से मैं अपने दिल को बांटना चाहती हूं उसे तो इस बात की भनक तक नहीं है। वह मेरा गुरु है, मेरा हमराज है और वह तो मुझे पहले ही अपने से दूर रहने की नसीहत दे चुका है। मेरा प्यार ऐसे आदमी के लिए है जो मेरे पिता के उम्र के करीब है।
मैंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली और अपने आप को बेड पर बांध लिया। अगर मेरे मालिक ने मुझे इस हालत में पकड़ा तो वह मुझे पीटेंगे और उसका सामान मेरी दहिनी ओर था। अगर मेरे प्यार ने मुझसे मिलना चाहा तो उसके लिए सामान मेरी बाईं ओर था। मैं नहीं जानना चाहती थीं कि कौन मुझे पाएगा!
आंखें बंद हो तो एक पल एक घंटे के समान लगता है। मैंने अपने डर को काबू में रखने के लिए मन ही मन पढ़ाई को दोहराना शुरू किया। एक पल ऐसा आया की मुझे लगा की 2 दिनों तक घर कोई नहीं आएगा और मैंने अपने आप को छुड़ाने का मन बना लिया जब मेरे कानों में दरवाजे की आवाज आई।
दरवाजे में से कदम मेज तक पहुंच कर रुके। कागज उठा कर रखा गया और कदम बेडरूम के दरवाजे तक आए।
कहीं मालिक जल्दी तो नहीं आ गए?
मालिक ने मुझे ऐसे देखा तो…
नहीं! मुझे अपने प्यार पर विश्वास करना होगा!
दरवाजा खुला और मेरी घंटी नीचे गिर कर बज उठी।
“मुझे ऐसा हर महीने में एक बार करना चाहिए। आप नहीं जानते की इंतजार करते हुए मैंने पूरी पढ़ाई को मन ही मन पूरा कर लिया।
(वह कुछ कहने लगा) अं!!…
कुछ बोलना नहीं!…
बस चुप चाप मुझे लूट लो! आज मैं वह हर औरत हूं जिसे आप हासिल नहीं कर पाए। आप वह मर्द हैं जिसे मैं अपनी मर्जी से अपना सब कुछ देना चाहती हूं!”
वह bed के पैरों की ओर खड़े होकर चुप रहा। मुझसे यह खामोशी सही नहीं गई। उसकी नजरें मेरी मुनिया में आग लगा रही थीं। मेरी मुनिया ने पानी छोड़ते हुए मेरे प्यार को पुकारा।
“अब तक आप ने मेरी दोनों ओर रखा सामान देखा होगा। अब आप को चुनना है कि आप क्या और कैसे इस्तमाल करना चाहते हैं!”
क्या मालिक जल्दी लौट आए हैं? नहीं, अगर वह अभी यहां पर है तो वह मालिक नहीं हो सकता! वह मेरा प्यार है! आओ, मुझे अपने प्यार से भर दो! मुझे अपना बना लो!
वह…
वह मेरी दाईं ओर जा रहा है! मालिक? नही!!…
नही!!…
माचिस की तीली सरसराकर जल उठी और मोमबत्ती की कांच से टकराई। दाईं मेज पर से कुछ आवाज आई। मेरा गला सुख गया और मुनिया बहने लगी।
काले डंडे के पतले सिरे ने मेरे पेट को छू लिया और डर कर मेरी आह निकल गई। डंडे ने मेरे पेट पर निशान बना शुरू किया और मैंने वह अक्षर कहा।
“S”
“A”
“Y… Say”
“M”
“Y… My”
“N”
“A… नहीं!”
“M… नहीं!”
“E… Name. नहीं! मैं अपने प्यार को नहीं पुकारूंगी!”
डंडे ने मेरी नाभि को चक्कर लगा कर नीचे सरकते हुए मेरी मुनिया को छेड़ा। मेरी आह निकल पड़ी और मैंने अपनी हथेलियों से अपने बंधन पकड़ लिए। दाईं ओर की में पर से कुछ उठाया गया।
अब क्या? चाबुक…
या पिघला हुआ मोम?…
मेरी चूचियां डर कर कड़क हो गई।
चाबुक के ऊपर की लंबी चमड़े की पट्टियां मेरी चूचियों को छू गई। डर कर मेरी सांस गले में अटक गई। मालिक?
चाबुक ने मेरे पेट पर निशान बना कर मुझ से दुबारा सवाल पूछा।
“S…A…Y…
M…Y…
N…A…M…E.
नहीं!!”
मैं भी जिद पर अड़ी थी। अगर यह मालिक है तो मैं इसे अपने प्यार का नाम कभी नहीं बताऊंगी! जो करना है कर लें!!…
चाबुक हटा और वह मेरी बाईं ओर आया। कौन है यह?…
कोई चोर?…
पर चोर दिन में?…
और इतना वक्त क्यों जाया करेगा?…
अब मैं पूछ भी तो नहीं सकती थी!
बाईं मेज पर कुछ आवाज आई…
शीशी गिर गई…
pherhormone?
Injection?
कागज फटा…
वह अब चॉकलेट खाएगा?…
कौन है?…
Plastic की आवाज हुई…
cold cream!…
यह कौन है और क्या कर रहा है?
मेरी चीख निकल गई जब ठंडे क्रीम से मेरे पेट पर निशान बनाया।
“S…A…Y… M…Y… N…A…M…E.
नहीं!!…
नहीं!!…”
गरम हथेली ने मेरे पेट पर ठंडे क्रीम को मलते हुए गर्माहट दी। मेरी नाक में उसकी खुशबू आ गई। एक ऐसी लुभावनी खुशबू जिस से मेरी धड़कने तेज हो गई और मेरी मुनिया बरसने लगी।
Pherhormone!!…
उसने pherhormone लगा लिया है!!…
“यह गलत है!…
आप को एक चुनना था!!…”
एक गरम उंगली ने कोल्ड क्रीम लगे मेरे दूदू पर उंगली रख कर फिर से हुकुम दिया।
“S…A…Y… M…Y… N…A…M…E. (सिसककर) नहीं!!”
चॉकलेट की मीठी खुशबू हवा में उड़ने लगी। चॉकलेट की खुशबू भी मेरी धड़कने बढ़ा रही थी। क्या… हो… रहा… है?…
मेरी ठंडी सक्त चूची पर गरम बंद टपक पड़ी और मेरी चीख निकल गई। मालिक ने मेरी चूची पर पिघला हुआ मोम गिरा दिया था!…
पर मोम इतना गरम नहीं था और तुरंत ठंडा हो गया। दूसरी बूंद दूसरी चूची पर गिरी और आह भरते हुए मैं समझ गई। मेरे प्रेमी की शरारत पर मुझे प्यार आया। उसने मुझ पर चॉकलेट टपकाया था।
चॉकलेट मेरी चूचियों पर बरसते हुए मेरे दूदू पर बहकर जमने लगा और मेरी आहें सिसकियां बनकर मेरे प्यार को पुकारने लगी। मैंने अपने होठों को अपने दांतों तले दबाकर अपने प्यार का नाम दबाए रखा।
डंडे के छोर से मेरी बूंड को दबाया गया और मेरी आह निकल गई। डंडा पीटने के लिए था!!… न की!!…
“आह!!…”
डंडे के छोर पर लगे कोल्ड क्रीम की ठंडक मेरी आतों में सामने लगी। गांड़ मरवाने को आदि होने के बावजूद भी मैं इन अनोखी संवेदनाओं से झुलस उठी।
डंडे ने 7 इंच तक अंदर बाहर करते हुए मुझे पूरी तरह फैलाया। मेरे पेट पर चाबुक ने घूमते हुए फिर से आदेश दिया।
“S…A…Y… M…Y… N…A…M…E.
(सिसककर) नहीं!!…
Please…
नहीं!!…”
वह मेरे ऊपर आते हुए अपनी मुट्ठी में डंडा पकड़कर हिलाता रहा और अपनी गरम जीभ से मेरी चूचियों पर जमा ठंडा चॉकलेट चाटने लगा। मैं पागल होने लगी!
इतना दर्द तो जलने में भी नहीं हो सकता! मेरा पूरा बदन उत्तेजना में जलता उसके एक स्पर्श को तड़पता हुआ इंतजार कर रहा था। पर वह जालिम मेरी प्यासी मुनिया को छूने से इंकार कर रहा था!
“Please…
Please मुझे तकलीफ हो रही है!!…
Please मुझे आजाद करा दो!!…
Please!!…
Please!!…”
मेरे कूल्हे उठकर डंडे पर कूद रहे थे, मेरे दूदू चाटे जाने से गर्माका चूसे जाने को तड़प रहे थे और मेरी सुनी पड़ी प्यासी मुनिया अपने प्रेमी के लिए तड़पकर रो रही थी।
मेरा बदन जवानी के ज्वर में जलकर अकड़ते हुए मेरे बंधनों को खींचने लगा जब उसने मेरी मुनिया पर अपने सुपाड़े को छूते हुए मेरे कानों में फुसफुसाकर आदेश दिया,
“मेरा नाम लो!!…”
मैं टूट कर बिखर गई और मेरा बदन कांपते हुए झड़ने लगा। उसका सुपाड़ा मेरी मुनिया को चूमते हुए मेरे अंदर आ गया और मैंने चीख कर अपने प्रेमी को उसके नाम से पुकार कर अपने दिल को भेंट किया।
“अमर!!…”