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Introduction:-
शिवगामी :-
एक तेजस्वी किशोरी, जो बुद्धिमान होने के साथ-साथ युद्ध कौशल में भी प्रवीण है। वह माहिष्मती साम्राज्य के सामंत देवराय की पुत्री है। सम्राट ने उसके पिता को राजद्रोही घोषित कर मृत्युदंड दे दिया था। वह अपने पिता की मृत्यु का प्रतिशोध लेने के लिये वचनबद्ध है।
कटप्पा :-
अपने कर्तव्य के प्रति समर्पित यह इक्कीस वर्षीय गुलाम, स्वयं को माहिष्मती राजवंश की सेवा में पाकर धन्य है। उस पर ज्येष्ठ राजकुमार बिज्जलदेव की रक्षा का भार है। उसके पिता मलयप्पा महाराज सोमदेव के निजी गुलाम हैं।:-
पट्टराय :-
धनी एवं महत्वाकांक्षी सामंत। भूमिपति जैसे प्रतिष्ठित पद पर आसीन यह मनुष्य अत्यधिक चालाक एवं क्रूर है। अपनी बुद्धिमत्ता एवं कठोर परिश्रम के बल पर उसने निर्धनता को त्यागते हुए अथाह धन अर्जित किया। वह परिवार के प्रति पूर्णतः समर्पित है और पुत्री मेखला को अपने प्राणों से भी बढ़कर चाहता है।
शिवप्पा:-
कटप्पा का छोटा भाई। अठारह वर्षीय यह नौजवान गुलामी की जंजीरें तोड़ मुक्ति के स्वप्न देखता है। उसे अपने भाई से प्रेम है किंतु दोनों में वैचारिक टकराव भी है। वह गुलामों से मुक्त एक नया संसार बनाना चाहता है और माहिष्मती साम्राज्य के विरुद्ध संघर्षरत वैतालिकों के गुट में शामिल होने का सपना देखता है। वह शिवगामी की सखी कामाक्षी से अथाह प्रेम करता है।
राजकुमार बिज्जलदेव :-
महाराज सोमदेव की यह प्रथम संतान उत्तराधिकारी घोषित होने के लिये बेचैन है। वह किसी भी कीमत पर अपना सम्मान चाहते हैं और तनिक से अनादर पर भड़क जाते हैं। चाटुकारों की मंडली ने उन्हें घेर रखा है, जो अपने स्वार्थ के लिए उनका उपयोग करते हैं। उन्हें अपने छोटे भाई से घृणा है और प्रजा में उसकी लोकप्रियता से ईर्ष्या।
राजकुमार महादेव :-
स्वप्नद्रष्टा तथा आदर्शवादी, जिनका प्रजा के प्रति व्यवहार करुणा एवं स्नेह से भरा है। उन्हें पता है कि वह महान योद्धा नहीं हैं। वह अपने पिता का आदर करते हैं और उनसे तो आंख मिला लेते हैं किन्तु माता के सामने भीगी बिल्ली बन जाते हैं। उन्हें अपने बड़े भाई से प्रेम है किंतु उससे डरते भी हैं। वह एक कवि के साथ-साथ प्रेमी भी हैं।
जीमोता :-
अपने आपको बड़ा व्यापारी बताता है किंतु है एक समुद्री लुटेरा। वह कुशल नाविक है और अक्सर गैरकानूनी यात्राओं पर निकलता है। कठिन परिस्थितियों से बचकर निकलने के लिये वह प्रायः अपने मसखरेपन का उपयोग करता है किंतु आवश्यकता पड़ने पर हिंसा से भी पीछे नहीं हटता।
केकी:-
तीस वर्षीय यह किन्नर देवदासी कलिका की सहायक है। वह उसके धंधे के लिए सुन्दर लड़कियां ढूंढ़कर लाती है। उसकी जबान बहुत तीक्ष्ण है और इसका इस्तेमाल वह चाबुक की तरह करती है।फिलहाल, वह भूमिपति पट्टराय के गुट में है।
स्कंददास :-
माहिष्मती का उपप्रधानमंत्री, या उपप्रधान, स्कंददास सिद्धांतों वाला व्यक्ति है। वह अत्यधिक ईमानदार है किंतु अपने निम्न मूल को लेकर भीतर ही भीतर असुरक्षा से घिरा रहता है। अछूत जाति से होने के कारण सभा के अन्य उच्चकुलीन सामंतों से वह भिन्न है। प्रजा उसकी प्रशंसा करती है किंतु भ्रष्ट अधिकारियों एवं सामंतों को उससे घृणा है।
थिम्मा :-
शिवगामी का पालक पिता। वह देवराय का घनिष्ठ मित्र हुआ करता था। शक्तिशाली भूमिपति थिम्मा उदार हृदय वाला एवं मृदुभाषी है। वह अपने बच्चों को अत्यधिक स्नेह करने वाला पिता है।
अल्ली:-
विद्रोहियों की रानी अच्चि नागम्मा ने उसकी परवरिश की। महिलाओं की विद्रोही सेना में वह एक कुशल लड़ाका के साथ-साथ गुप्तचर भी है। ध्येय की पूर्ति के लिए वह अपनी कामुकता एवं संभोग की शक्ति का इस्तेमाल करने से नहीं हिचकिचाती।
कामाक्षी :-
सत्रह साल की एक सुन्दर और भोली-भाली लड़की। अनाथालय में वह शिवगामी की सबसे अच्छी सखी है। जीवन में उसका एकमात्र उद्देश्य, अपने प्रेमी शिवप्पा के साथ निर्दयी माहिष्मती नगर से कहीं दूर एक शांति भरा जीवन व्यतीत करना है।
गुंडु रामू:-
अनाथालय में शिवगामी का नन्हा साथी। यह गोलमटोल लड़का शिवगामी का बहुत सम्मान करता है और उसे अक्का कहकर पुकारता है। वह विनोदपूर्ण है और थोड़ा पेटू भी।
हिडुम्बा
माहिष्मती का यह बौना बहुत खतरनाक है। वह खनिपति है, भूमिपति से एक पद नीचे। उसका मानना है कि अदने आकार के कारण ही उसे पदोन्नति नहीं दी गई। फिलहाल वह पट्टराय के गुट में है, लेकिन पट्टराय भी इस बौने से सावधान रहता है।
देवदासी कलिका
पुष्यचक्र सराय की प्रमुख। किंतु उसकी सराय को कलिका के अड्डे के रूप में अधिक जाना जाता था। वह कामुकता की देवी है और माहिष्मती के आधे सामंतों को अपने पैरों तले रखती है। काम कला में पारंगत कलिका, राज अतिथियों के मनोरंजन के लिये महाराज के हरम में भी सुन्दर कमसिन लड़कियां पहुंचाती है।
महाराज सोमदेव
माहिष्मती के सम्राट। आम घटनाक्रम से दूर रहने वाले राजा को उनकी प्रजा बहुत आदर व सम्मान देती है किंतु उनसे भयभीत भी रहती है।
मलयप्पा
महाराज सोमदेव का निजी गुलाम। कटप्पा और शिवप्पा का पिता। वह अपने कर्तव्य के प्रति पूर्णतः समर्पित एक स्वाभिमानी पुरुष है।
महाप्रधान परमेश्वर
माहिष्मती के वयोवृद्ध प्रधानमंत्री। पचहत्तर वर्ष की अवस्था वाले परमेश्वर सम्राट के विश्वासपात्र हैं, जो उन्हें अपना गुरु भी मानते हैं। वह उदार हृदय वाले किंतु कुशल राजनीतिज्ञ हैं। वह स्कंददास के मार्गदर्शक भी हैं।
रूपक
महाप्रधान परमेश्वर का विश्वसनीय सहायक।
महारानी हेमवती
माहिष्मती की अभिमानी एवं गौरवान्वित महारानी। राजगुरु रुद्र भट्ट माहिष्मती के राजपुरोहित। वह भूमिपति पट्टराय के करीबी मित्र हैं।
दंडकार प्रताप
माहिष्मती का नगर-रक्षक प्रमुख, जिससे प्रजा भयभीत रहती है। वह पट्टराय का मित्र है।
वैतालिक
विद्रोही कबीला, जो अपने पूजनीय गौरीपर्वत को माहिष्मती के कब्जे से छीनना चाहता है।
भूतराय
वैतालिकों का रहस्यपूर्ण एवं शक्तिशाली सरदार।
गुहा
नदी तट के घास के मैदानों पर रहने वाले लोगों का भूमिपति। क्रूर एवं चालाक इस वृद्ध को उसके लोग पूज्य मानते हैं। वह केवल महाराज सोमदेव के आगे झुकता है।
अक्कुंडा
एक प्रभावशाली भूमिपति। अच्चि नागम्मा महिलाओं की सेना की सरदार। सत्तर वर्ष की यह वृद्धा माहिष्मती के भ्रष्ट एवं दुष्ट लोगों के विरुद्ध लड़ रही है। अल्ली उसकी सेना की एक सदस्य है।
देवराय
शिवगामी के पिता, जिन्हें राजद्रोही घोषित कर मृत्युदंड दे दिया गया।
राघव
थिम्मा का पुत्र, जिसकी परवरिश शिवगामी के साथ हुयी। वह उसके प्रेम में पागल है।
अखिला
थिम्मा की पांच वर्षीय पुत्री। शिवगामी उससे बहुत स्नेह करती है।
मेखला
भूमिपति पट्टराय की पुत्री, जो अक्सर अपने पिता के तर्कों और तरीकों से सहमत नहीं रहती।
बृहन्नला
राजकीय हरम की प्रमुख किन्नर। उसका अपना एक अलग रहस्य है। नला एक व्यापारी और बृहन्नला का दत्तक भाई। वह अक्सर बृहन्नला के संदेशवाहक का कार्य करता है।
ननजुंडा
भविष्यद्वक्ता है। एक धूर्त और पियक्कड़, जो एक बोतल ताड़ी के लिए जादू-टोना करने को तैयार रहता है। यह ज्योतिषी जीमोता का सहायक है।
भैरव
नदी किनारे भटकने वाला एक पागल। कभी वह महाराज सोमदेव का गुलाम हुआ करता था।
रेवम्मा
राजकीय अनाथालय की संचालक।
नागय्या
गुलाम जो राज्य का एक अति संवेदनशील रहस्य चुराकर भाग जाता है।
तोंडका
राजकीय अनाथालय में लड़कों का वरिष्ठ। वह शिवगामी से घृणा करता है।
उथंगा
अनाथालय का एक लड़का।
Dosto maine pehle bi ek story ko copy karne ki sochi jo adhwika naam jana jata hai usse pehle maine pada nahi tha jab maine pada tho usko age leke jana mere bas ki baat nahi lagi isliye iss story ko start kiya hai so pls co-oprate me iss story ko jarur poori karunga ye mera wada hai or haan daily tho nai ek do din ke gap me update doonga so pls comment karke bataye kaise hai abhi story start nahi kiya hai sirf kirdaar hi prastut kiya hai tho kya kehte ho age badu yaa.......
Or haan sabse important baat iss ko bi maine copy hi kiya hai khud nahi likha hai
Or iska writer hai
ANAND NILA KANTAN
शिवगामी :-
एक तेजस्वी किशोरी, जो बुद्धिमान होने के साथ-साथ युद्ध कौशल में भी प्रवीण है। वह माहिष्मती साम्राज्य के सामंत देवराय की पुत्री है। सम्राट ने उसके पिता को राजद्रोही घोषित कर मृत्युदंड दे दिया था। वह अपने पिता की मृत्यु का प्रतिशोध लेने के लिये वचनबद्ध है।
कटप्पा :-
अपने कर्तव्य के प्रति समर्पित यह इक्कीस वर्षीय गुलाम, स्वयं को माहिष्मती राजवंश की सेवा में पाकर धन्य है। उस पर ज्येष्ठ राजकुमार बिज्जलदेव की रक्षा का भार है। उसके पिता मलयप्पा महाराज सोमदेव के निजी गुलाम हैं।:-
पट्टराय :-
धनी एवं महत्वाकांक्षी सामंत। भूमिपति जैसे प्रतिष्ठित पद पर आसीन यह मनुष्य अत्यधिक चालाक एवं क्रूर है। अपनी बुद्धिमत्ता एवं कठोर परिश्रम के बल पर उसने निर्धनता को त्यागते हुए अथाह धन अर्जित किया। वह परिवार के प्रति पूर्णतः समर्पित है और पुत्री मेखला को अपने प्राणों से भी बढ़कर चाहता है।
शिवप्पा:-
कटप्पा का छोटा भाई। अठारह वर्षीय यह नौजवान गुलामी की जंजीरें तोड़ मुक्ति के स्वप्न देखता है। उसे अपने भाई से प्रेम है किंतु दोनों में वैचारिक टकराव भी है। वह गुलामों से मुक्त एक नया संसार बनाना चाहता है और माहिष्मती साम्राज्य के विरुद्ध संघर्षरत वैतालिकों के गुट में शामिल होने का सपना देखता है। वह शिवगामी की सखी कामाक्षी से अथाह प्रेम करता है।
राजकुमार बिज्जलदेव :-
महाराज सोमदेव की यह प्रथम संतान उत्तराधिकारी घोषित होने के लिये बेचैन है। वह किसी भी कीमत पर अपना सम्मान चाहते हैं और तनिक से अनादर पर भड़क जाते हैं। चाटुकारों की मंडली ने उन्हें घेर रखा है, जो अपने स्वार्थ के लिए उनका उपयोग करते हैं। उन्हें अपने छोटे भाई से घृणा है और प्रजा में उसकी लोकप्रियता से ईर्ष्या।
राजकुमार महादेव :-
स्वप्नद्रष्टा तथा आदर्शवादी, जिनका प्रजा के प्रति व्यवहार करुणा एवं स्नेह से भरा है। उन्हें पता है कि वह महान योद्धा नहीं हैं। वह अपने पिता का आदर करते हैं और उनसे तो आंख मिला लेते हैं किन्तु माता के सामने भीगी बिल्ली बन जाते हैं। उन्हें अपने बड़े भाई से प्रेम है किंतु उससे डरते भी हैं। वह एक कवि के साथ-साथ प्रेमी भी हैं।
जीमोता :-
अपने आपको बड़ा व्यापारी बताता है किंतु है एक समुद्री लुटेरा। वह कुशल नाविक है और अक्सर गैरकानूनी यात्राओं पर निकलता है। कठिन परिस्थितियों से बचकर निकलने के लिये वह प्रायः अपने मसखरेपन का उपयोग करता है किंतु आवश्यकता पड़ने पर हिंसा से भी पीछे नहीं हटता।
केकी:-
तीस वर्षीय यह किन्नर देवदासी कलिका की सहायक है। वह उसके धंधे के लिए सुन्दर लड़कियां ढूंढ़कर लाती है। उसकी जबान बहुत तीक्ष्ण है और इसका इस्तेमाल वह चाबुक की तरह करती है।फिलहाल, वह भूमिपति पट्टराय के गुट में है।
स्कंददास :-
माहिष्मती का उपप्रधानमंत्री, या उपप्रधान, स्कंददास सिद्धांतों वाला व्यक्ति है। वह अत्यधिक ईमानदार है किंतु अपने निम्न मूल को लेकर भीतर ही भीतर असुरक्षा से घिरा रहता है। अछूत जाति से होने के कारण सभा के अन्य उच्चकुलीन सामंतों से वह भिन्न है। प्रजा उसकी प्रशंसा करती है किंतु भ्रष्ट अधिकारियों एवं सामंतों को उससे घृणा है।
थिम्मा :-
शिवगामी का पालक पिता। वह देवराय का घनिष्ठ मित्र हुआ करता था। शक्तिशाली भूमिपति थिम्मा उदार हृदय वाला एवं मृदुभाषी है। वह अपने बच्चों को अत्यधिक स्नेह करने वाला पिता है।
अल्ली:-
विद्रोहियों की रानी अच्चि नागम्मा ने उसकी परवरिश की। महिलाओं की विद्रोही सेना में वह एक कुशल लड़ाका के साथ-साथ गुप्तचर भी है। ध्येय की पूर्ति के लिए वह अपनी कामुकता एवं संभोग की शक्ति का इस्तेमाल करने से नहीं हिचकिचाती।
कामाक्षी :-
सत्रह साल की एक सुन्दर और भोली-भाली लड़की। अनाथालय में वह शिवगामी की सबसे अच्छी सखी है। जीवन में उसका एकमात्र उद्देश्य, अपने प्रेमी शिवप्पा के साथ निर्दयी माहिष्मती नगर से कहीं दूर एक शांति भरा जीवन व्यतीत करना है।
गुंडु रामू:-
अनाथालय में शिवगामी का नन्हा साथी। यह गोलमटोल लड़का शिवगामी का बहुत सम्मान करता है और उसे अक्का कहकर पुकारता है। वह विनोदपूर्ण है और थोड़ा पेटू भी।
हिडुम्बा
माहिष्मती का यह बौना बहुत खतरनाक है। वह खनिपति है, भूमिपति से एक पद नीचे। उसका मानना है कि अदने आकार के कारण ही उसे पदोन्नति नहीं दी गई। फिलहाल वह पट्टराय के गुट में है, लेकिन पट्टराय भी इस बौने से सावधान रहता है।
देवदासी कलिका
पुष्यचक्र सराय की प्रमुख। किंतु उसकी सराय को कलिका के अड्डे के रूप में अधिक जाना जाता था। वह कामुकता की देवी है और माहिष्मती के आधे सामंतों को अपने पैरों तले रखती है। काम कला में पारंगत कलिका, राज अतिथियों के मनोरंजन के लिये महाराज के हरम में भी सुन्दर कमसिन लड़कियां पहुंचाती है।
महाराज सोमदेव
माहिष्मती के सम्राट। आम घटनाक्रम से दूर रहने वाले राजा को उनकी प्रजा बहुत आदर व सम्मान देती है किंतु उनसे भयभीत भी रहती है।
मलयप्पा
महाराज सोमदेव का निजी गुलाम। कटप्पा और शिवप्पा का पिता। वह अपने कर्तव्य के प्रति पूर्णतः समर्पित एक स्वाभिमानी पुरुष है।
महाप्रधान परमेश्वर
माहिष्मती के वयोवृद्ध प्रधानमंत्री। पचहत्तर वर्ष की अवस्था वाले परमेश्वर सम्राट के विश्वासपात्र हैं, जो उन्हें अपना गुरु भी मानते हैं। वह उदार हृदय वाले किंतु कुशल राजनीतिज्ञ हैं। वह स्कंददास के मार्गदर्शक भी हैं।
रूपक
महाप्रधान परमेश्वर का विश्वसनीय सहायक।
महारानी हेमवती
माहिष्मती की अभिमानी एवं गौरवान्वित महारानी। राजगुरु रुद्र भट्ट माहिष्मती के राजपुरोहित। वह भूमिपति पट्टराय के करीबी मित्र हैं।
दंडकार प्रताप
माहिष्मती का नगर-रक्षक प्रमुख, जिससे प्रजा भयभीत रहती है। वह पट्टराय का मित्र है।
वैतालिक
विद्रोही कबीला, जो अपने पूजनीय गौरीपर्वत को माहिष्मती के कब्जे से छीनना चाहता है।
भूतराय
वैतालिकों का रहस्यपूर्ण एवं शक्तिशाली सरदार।
गुहा
नदी तट के घास के मैदानों पर रहने वाले लोगों का भूमिपति। क्रूर एवं चालाक इस वृद्ध को उसके लोग पूज्य मानते हैं। वह केवल महाराज सोमदेव के आगे झुकता है।
अक्कुंडा
एक प्रभावशाली भूमिपति। अच्चि नागम्मा महिलाओं की सेना की सरदार। सत्तर वर्ष की यह वृद्धा माहिष्मती के भ्रष्ट एवं दुष्ट लोगों के विरुद्ध लड़ रही है। अल्ली उसकी सेना की एक सदस्य है।
देवराय
शिवगामी के पिता, जिन्हें राजद्रोही घोषित कर मृत्युदंड दे दिया गया।
राघव
थिम्मा का पुत्र, जिसकी परवरिश शिवगामी के साथ हुयी। वह उसके प्रेम में पागल है।
अखिला
थिम्मा की पांच वर्षीय पुत्री। शिवगामी उससे बहुत स्नेह करती है।
मेखला
भूमिपति पट्टराय की पुत्री, जो अक्सर अपने पिता के तर्कों और तरीकों से सहमत नहीं रहती।
बृहन्नला
राजकीय हरम की प्रमुख किन्नर। उसका अपना एक अलग रहस्य है। नला एक व्यापारी और बृहन्नला का दत्तक भाई। वह अक्सर बृहन्नला के संदेशवाहक का कार्य करता है।
ननजुंडा
भविष्यद्वक्ता है। एक धूर्त और पियक्कड़, जो एक बोतल ताड़ी के लिए जादू-टोना करने को तैयार रहता है। यह ज्योतिषी जीमोता का सहायक है।
भैरव
नदी किनारे भटकने वाला एक पागल। कभी वह महाराज सोमदेव का गुलाम हुआ करता था।
रेवम्मा
राजकीय अनाथालय की संचालक।
नागय्या
गुलाम जो राज्य का एक अति संवेदनशील रहस्य चुराकर भाग जाता है।
तोंडका
राजकीय अनाथालय में लड़कों का वरिष्ठ। वह शिवगामी से घृणा करता है।
उथंगा
अनाथालय का एक लड़का।
Dosto maine pehle bi ek story ko copy karne ki sochi jo adhwika naam jana jata hai usse pehle maine pada nahi tha jab maine pada tho usko age leke jana mere bas ki baat nahi lagi isliye iss story ko start kiya hai so pls co-oprate me iss story ko jarur poori karunga ye mera wada hai or haan daily tho nai ek do din ke gap me update doonga so pls comment karke bataye kaise hai abhi story start nahi kiya hai sirf kirdaar hi prastut kiya hai tho kya kehte ho age badu yaa.......
Or haan sabse important baat iss ko bi maine copy hi kiya hai khud nahi likha hai
Or iska writer hai
ANAND NILA KANTAN