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Amezing... Jese sab kuchh Karma kar raha ho. Jesi karni vesi bharni. Inshan ki lalach hi unki mout thi. Maza aa gaya. Muje andaza ho gaya tha ki end kya hoga. Magar end to aapne umido se bhi badhakar bahetarin likha. Umid hai ki ese hi kuchh aage bhi likhne ki kosis karoge. Maza aa gayaUPDATE 3
पिछली बार आपने पड़ा कैसे जगराम घर के श्राप के कारण कैसे मारा गया
लेकिन जब जगराम के साथ ये सब हो रहा था तब रघु और मोहन अलग अलग कमरे में गए थे खजाने को तलाशी लेने तब
रघु –(कमरे में आते ही उसे अलमारी , संदूक और तिजोरी दिखी जिसे कारण रघु की आंख चमक गई) मोहन सही बोल रहा था इस घर में खजाना सच में है (अलमारी और तिजोरी खोलते ही रघु को सोने की सिक्के हीरे जवाहरात देख के खुश होगया) अब मुझे नौकरी करने की जरूरत नही पड़ेगी मैं अपना खुद का काम करूंगा (हंसने लगा तभी पीछे से)
मोहन– तो तुझे मिल गया खजाना
रघु –हा मोहन ये देखो कितना सारा खजाना रखा है यहां पे अब हम नौकरी करने की जरूरत नही पड़ेगी कबी भी
मोहन– वो सब तो ठीक है लेकिन बाकी दोनो का क्या करे हम खजाना था से ले जाय उन्हें बिना पता चले ये हो नही सकता क्या करे अब
रघु–करना क्या है मोहन वो दोनो वैसे भी लालची है पैसे के आगे किसी के सगे नही है है वो दोनो रवि और उस बुड्ढे के साथ इन दोनो को भी मार देते है उसके बाद सारा मॉल सिर्फ अपना होगा
फिर मोहन और रघु दोनो एक साथ कमरे से बाहर जाते है रवि वाले कमरे में जाते है वह पे रवि और बुड्ढा आदमी दोनो जमीन में लेते थे तभी रघु बन्दूक निकाल के दोनों को गोली मार देता है उसके बाद मोहन और रघु दूसरे कमरों में जाते है जहा रघु बंदूक से हरीश और जगराम को मार देता है
मोहन– तुमने तो कमाल कर दिया रघु अब हम दोनो मिल के इनको ठिकाने लगाते है
रघु –(मोहन की तरफ बंदूक तान देता है)तुम भरोसे के काबिल नही हो मोहन जो इंसान लोन के बहाने लोगो को लूटने समय नहीं सोचता वो मेरे लिए तो क्या किसी के लिए अच्छा नहीं सोच सकता है तुम्हारे बाद ये सारा खजाना मैं अकेले ले जाऊंगा (इतना बोलते ही रघू गोली चला देता है जिससे मोहन मर जाता है उसके बाद रघु तुरंत भाग के जाता है कमरे से खजाना बैग में भरता है और बैग लेके जाने लगता है जैसे ही घर के मेन गेट को खोलने की कोशिश करता है नही खुलता है दरवाजा जोर जोर से धक्का देते ही दरवाजा खुल जाता है और रघु बाहर जा के गिरता है जैसे ही रघु उठता है सामने जगराम को देखता है को मारा हुआ है अचनक से डरते हुए रघु पीछे होता है फिर से गिर जाता है किसी के उपर पलट के देखता है वहा रवि और बुड्ढे आदमी की लाश होती है रघु दर जाता है भागने की सोचता है लेकिन चारो तरफ देख के सिर्फ मिट्टी मिटी दिख रहे थी उसे समझ नही आराहा वो कहा है तभी रघु को महसूस हुआ वो किसी गड्ढे में है तुरंत उपर चढ़ने लगा भर निकलते ही रघु ने देखा ये वाह गड्ढा है जो रवि को मार के गड़ने के लिए खोदा गया था ये बात समझते ही रघु भागने के लिए आगे बड़ा ही था की पीछे जगराम ने पैर को पकड़ लिया रघु ने पलट के देखा हैरान रह गया जगराम को देख के इससे पहले रघु कुछ करता रवि ने रघु का एक हाथ पकड़ लिया रघु जोर लगाता रहा और तभी
मोहन– (घड्डे में बैग फेका) तुझे तेरी लालच देख कहा ले आई यही चाहिए था तुझे रख ले इसे ले जा अपने साथ (इतना बोलते ही जगराम और रवि छोर देते है रघु को और रघु जल्दी से बैग उठा के उपर आने को बड़ता है तनी पीछे से
बुड्ढा आदमी– (रघु को पकड़ को बोलता है) मैने बोला था तुझे जो इस घर में आगया वो बाहर कभी नही जाता है (इतना बोलते ही वो गद्दा अपने आप मिट्टी से भरने लगता है रघु चिल्लाता रहता है (बचाओ बचाओ) जबकि बाकी सब हंसने लगते है देखते ही देखते खड्डा मिट्टी से भरते ही जमीन एसी हो जाती है जैसे कभी कोई घडडा था है नही वहा पे
तभी रवि और बूढ़े आदमी को चिल्लाने की आवाज सुनाई देती है
रवि– बाबा ये किसकी चिल्लाने की आवाज है
बूढ़ा आदमी –(मुस्कुराते हुए)मौत का खेल सुरु हो गया है बेटा
रवि– बाबा हमे कुछ करना चाहिए उनके लिए
बूढ़ा आदमी –(मुस्कुराते हुए) जो लोग तुम्हे मरना चाहते है तुम उनको बचाने की सोच रहे हो लेकिन तुम चाह के भी कुछ नही कर पाओगे बेटा तुम बस यहीं रहो मेरे साथ उनके साथ जो कुछ हो रहा है उसके जिम्मेदार वो खुद है बेटा
इसके बाद रवि कुछ नही बोला बस एक कोने में बैठ के अपने पर्स में लगी अपनी बीवी अंजली की फोटो देखता रहा
जबकि इस्तरफ मोहन और हरीश अलग अलग कमरे में आराम कर रहे थे तभी मोहन उठ के कमरे से बाहर चला गया जहा उसने एक बच्चा को खेलते हुए देखा आंगन में
उस बच्चे ने घर के आंगन में 1 से लेके 100 तक की गिनती लिखी हुई थी और बीच में 4 सीडिया लगाय 3 छोटी और 1 बड़ी थी जैसे साप सीढ़ी में होता है
मोहन–(बच्चे के पास जाते ही)तुम यहां कैसे आय बच्चे
बच्चा–(हस्ते हुए)मैं यहां रोज खेलने आता हू लेकिन आज अकेला हू
मोहन–अकेला मतलब
बच्चा–मेरा दोस्त आज नही आया क्या आप मेरे साथ खेलोगे साप सीढ़ी
मोहन–मैं बच्चो के साथ नही खेलता हू
बच्चा–डर लगता है बच्चो के साथ खेलने में कही हार ना जाओ इसीलिए
मोहन–मैं कोई डरपोक नही हू और ना जाने से डरता हू
बच्चा –तो मेरे साथ खेल के दिखाओ मैं कभी नही हारता हो इस खेल में
मोहन–(हस्ते हुए) मैं भी कभी नही हरा हो इस खेल में लेकिन आज तुझे जरूर हराओगा मैं
बच्चा पासा देता है मोहन को चाल चलने के लिए लेकिन कई बार कोशिश करने के बाद मोहन की गोटी खुलती नही है जबकि बच्चे की दूसरे बार में गोटी खुल जाती है और बच्चा खुश होने लगता है जबकि मोहन को गुस्सा आने लगा था तभी मोहन की गोटी खुल जाती है कुछ समय तक खेल चलता रहता है जिसमे बच्चा के बराबर आजाता है मोहन अब बस आखरी पड़ाव बचा था जहा पे 100 पे खेल खत्म होता है जबकि 97 पे साप बैठा है बच्चा पासा फेकता है उसका 5 आता है लेकिन मोहन पासा फेकता है 3 आता है फिर बच्चा पासा फेकता है इस बार 4 आता है जिससे बच्चा खुश हो जाता है हसने लगता है गुस्से में मोहन पासा फेकता है 4 आता है तभी मोहन जोर से चिल्लाता है बच्चे के उपर आ की बच्चा जोर जोर से हंसने लगता है
बच्चा –(जोर से हस्ते हुए) मैने कहा था में कभी नही हारता हू इस खेल में
मोहन–(गुस्से में) एक बार जीत गया लेकिन अब नही जीतेगा तू चल फिर से खेलते है
बच्चा –(हस्ते हुए)कैसे खेलेंगे आप आपको साप काटने वाला है पहले उससे बच जाओ फिर खेलने आना मेरे पास
मोहन–(हैरानी से) क्या मतलब है तेरा (इतना बोलते ही जैसे आगे बड़ा मोहन अपने सामने सापो को देखा तभी डर से पीछे पलट की देखा तो मोहन को चारो तरफ से साप घेर के बैठे थे बच्चा मोहन को देख के हस्ते जा रहा था तभी मोहन ने जेब से बंदूक निकल के साप को गोली चलाई लेकिन तभी पीछे से साप ने मोहा को डस लिया पैर में दर्द से मोह। जमीन में गिर गया तभी चारो तरफ से सापो ने मिल के मोहन को डसने लगे और मोहन के गले से एक जोरदार चीख निकल आई जिसे रवि , बूढ़ा आदमी और हरीश ने सुन लिया जब तक हरीश कमरे से बाहर आता तब तक मोहन ने अपना दम तोड़ दिया था
हरीश ने चारो तरफ सापो के देख के हैरान हो गया अपनी जेब से बंदूक निकलता तब तक सारे साप गायब हो गए थे और मोहन का शरीर नीला हो गया था
ये सब देख हरीश को अपनी आखों पे यकीन नही हो रहा था गुस्से में उसने बंदूक हाथ में लेके रवि के कमरे में
कमरे में आते ही हरीश ने बंदूक तान दी
हरीश–(गुस्से में) कमीनो तुम दोनो ने मिल के मेरे साथी को मार के यहां पे आग्ये क्या सोचा कोई जान नही पाएगा सच को
बूढ़ा आदमी –(हस्ते हुए) हम तब से इसी कमरे में है जब तुमलोगो ने हम दोनो को यह बंद किया था तो हम कैसे बाहर निकल सकते है।
मैने तुमलोगो को पहले बोला था मत आओ घर में लेकिन तुमलोग माने नही
इतना ही बोला बूढ़ा आदमी की तभी हरीश ने गली चला दी बूढ़े आदमी पे
गोली लगते ही बूढ़ा आदमी जमीन में गिर गया साथ ही रवि ने तुरंत बूढ़े आदमी को सहारा दिया
रवि–(बूढ़े आदमी को संभालते हुए) बाबा बाबा आंखे बंद मत करना मैं आपको अस्पताल ले चलता हूं
बूढ़ा आदमी –(मुस्कुराते हुए) मुझे माफ़ करना बेटा मैं तुम्हारे लिए रुका था यहां पे शायद तुम्हे बचा सकू
रवि –कोई बात नही बाबा मैं
बूढ़ा आदमी –(रवि के सिर में हाथ फेर के) तुम हमेशा खुश रहो बेटा (इतना बोल के बूढ़े आदमी ने दम तोड़ दिया)
हरीश–(हस्ते हुए) दोनो में बहोत अपना पन बन गया था लगता है क्यू रवि अफसोस हो रहा है तुझे इसकी मौत का तुझे भी इसके पास भेज देता हो दोनो मिल के अफसोस केरते रहना (बंदूक को रवि की तरफ करता है चलने जाता है की तभी कमरे में कोहरा आने लगता है जिसे देख रवि और हरीश हैरान हो जाते हैं हरीश तुरंत रवि पे फायर करने जाता है के अचनक देखता है की रवि गायब हो गया है जबकि बूढ़ा आदमी का शशिर जमीन में पड़ा है हरीश गुस्से में चारो तरफ देखने लगता है लेकिन कोहरे के कारण सही से दिख नही रहा होता
हरीश चारो तरफ देखते देखते दीवार की तरफ आजाता है अचानक से दीवार से चिपक जाने से हरीश डर जाता है पीछे पलट के देखता है दीवार से टकरा गया है तनी हरीश देखता है दीवार पे लगी पेंटिंग को को पुराने जमाने की थी जिसमे बग्घी है उसमे कोई सवार है आगे बग्घी को चलाने वाला सारथी है और बग्घी के पीछे सैनिकों की टोली है
तभी कोहरा और ज्यादा बड़ने लगता है हरीश को कुछ दिखाई नहीं देता और फिर धीरे धीरे कोहरा कम होने लगता है कोहरे के हटते ही हरीश के होश उड़ जाते है वो देखता है उसके हाथ रस्सी से बंधे हुए है पीछे सैनिक है हाथ में तलवार और भला लिए आगे रथ है जिसमे सैनिकों का मुख्य सवार है जो बोलता है
सैनिक का मुख्या –(हरीश को देखते हुए) तुमने यह की प्रजा को नुकसान पहौचाया , उनके जीवन भर की पूंजी को लूटा , साथ में एक बुर्जुग को मार दिया जिसके वजह से तुम्हे राजा के समक्ष हाजिर किया जाएगा जहा तुम्हे दंड मिलेगा
हरीश–(बस चारो तरफ देख के हैरान था की वो यहां कैसे आगया कहा गया कमरा तभी सैनिक की बात सुन बोलता है) मैं यह पे कैसे आगया हू कोन हो तुमलोग क्यू बंद रखा है मुझे खोलो इसको(अपने आप को छुड़ाने की कोशिश करता है तभी रथ में बैठा हुआ सैनिक रस्सी हाथ में लेता है जिसका सिरा हरीश के हाथ में बंधा हुआ था और रथ को आगे बडा देता है तेजी से जिसके चलते हरीश संभाल नही पता गिर जाता है जमीन में लेकिन रथ तेजी से चलते रहता है जिसका नतीजा हरीश रास्ते भर में जमीन में घिसता हुआ जा रहा था साथ ही रास्ते भर में पत्थर से टकराता जा रहा था नतीजा ये हुआ जब रथ रुका तब तक हरीश मर चुका था जिसे सैनिक देख रहे थे तभी धीरे धीरे वो नजारा पेंट में बदलने लगा और तभी दीवार पे पेंटिंग बन के सामने आगया जिसमे साफ दिख रहा था हरीश की मौत का नजारा
लेकिन जरूरी बात ये है की रवि का की हुए आखिर कहा गायब हो गया था रवि
जब ये सब हो रहा था तभी रवि कोहरे में फसा था उसे कुछ दिख नही रहा था धीरे धीरे कोहरा हटने लगा
कोहरा हटते ही रवि ने अपने आप को किसी पार्क के गार्डन में पाया रवि हैरानी से चारो तरफ देखने लगा के तभी एक तरफ रवि की नजर रुक गई जहा का नजारा ये था की
गार्डन में चटाई बिछी हुई है साथ में खाने पीने का सामान रखा है उसमे कोई लड़की बैठी है खाने की प्लेट को बनाते हुए
uploading pictures
जिसे देख के
रवि –(अपने सामने बैठी लड़की को देख के) अंजली
अंजली –(आवाज सुन के रवि को देखते हुए)आप आगाए (मुस्कुरा के) कब से मैं बस आपका इंतजार कर रही थी
रवि –(खुशी से आखों में आसू लिए गले लगा के) अंजली मैं तुम्हारे बगैर कितना अकेला हो गया था
अंजली–(रवि की आखों से आसू पूछते हुए)अब रोने की जरूरत नही है आपको मैं और आप अब से हमेशा साथ रहेंगे
रवि–लेकिन अंजली मैं यह पर कैसे आगया
अंजली–(रवि को अपने साथ बैठा के) आप जैसे भी आय मेरे लिए बस यह काफी है की मैं आपके साथ हो और आप मेरे (दोनो मुस्कुरा के गले लग गए)
जबकि इस तरफ घर में सुबह हो गई माहौल पहले जैसा हो गया था जैसे कोई आया है ना हो उस घर में के तभी
बूढ़ा आदमी –(जमीन में पड़े रवि के (wallet) पर्स को उठाते हुए उसे देखता है जिसमे रवि और उसकी बीवी अंजली एक साथ बैठे थे)
(उन्हें देख के बोलता है) इस शरापित घर में बरसो से लोगो को जबरन आते हुए देखा है लेकिन आज तक कोई ना जा पाया हमेशा के लिए इस घर में दफन होके रह गया लेकिन तुम्हे देख के आज मैं खुश हू तेरा सच्चा प्यार देख के शायद लोग सही कहते है प्यार में बहुत ताकत होती
भले मैं इस शराप से कभी मुक्त नही हो सकता हू फिर भी आज मैं बहुत खुश हू
क्यू की आज मेरा ये श्राप तेरे लिए वरदान साबित हुआ है
समाप्त
THE END
Really mujhe to yakeen nhi ho Raha tha ki esa ker paoga maiAmezing... Jese sab kuchh Karma kar raha ho. Jesi karni vesi bharni. Inshan ki lalach hi unki mout thi. Maza aa gaya. Muje andaza ho gaya tha ki end kya hoga. Magar end to aapne umido se bhi badhakar bahetarin likha. Umid hai ki ese hi kuchh aage bhi likhne ki kosis karoge. Maza aa gaya
Ha ye consept mila kese???Really mujhe to yakeen nhi ho Raha tha ki esa ker paoga mai
Kher maine aapko iske bare me bataya tha kuch yad hai aapko
Aapne concept ka pocha tha kaha se Mila mujhe
Ky abhi bhi aap janna chahoge iska secret
Message kia maine aapko dekhyeHa ye consept mila kese???
Ha ok... Amezing.Message kia maine aapko dekhye
Thanku so much dev61901 bhaiBahut badhiya story bro
Lalach chiz hi aisi ha jo insan ko barbad kar hi deti ha or pyar aisi chiz hoti ha jo shrap ko bhi wardan me badal deti ha jaise lalach ki wajah se budhe admi ko shrap mila to wahin Ravi ke sachhe pyar ki wajah se wo shrap bhi Ravi ke liye wardan sabit hua use uski anjali mil gayi.
Ek dam lajwab story likhi apne jaisa agaz hua waisa hi ant bhi hua.