ये नॉवेल पाठक जी की शायद अब तक की सबसे बेकार और बकवास नॉवेल्स में से एक है... हालाँकि मुझे लगता नहीं कि पाठक जी ने और कोई बेकार नॉवेल लिखी है या नहीं... पर ये है... मैंने अपने पास के बुक स्टॉल से विशेष ऑर्डर दे कर मँगवाया था.. बहुत शौक से पढ़ना शुरू किया था.. पर क्या बताऊँ... इतने जबरदस्ती के ठूंसे हुए सीन्स, डायलॉग्स, इत्यादि ने पूरा भेजा ही गर्म कर दिया था. कहानी को तो अंत में जैसे तैसे खत्म किया गया था. (जबकि मैं पाठक जी एवं सुनील; दोनों का ही बहुत जबर्दस्त फैन हूँ.)
लगता है निर्माता - निर्देशक - लेखक ने भी वर्षों से अपने अंदर दबी भड़ास को वेब सीरीज में निकालने का सोचा है..
सुनील सीरीज की ये सबसे बेकार व बकवास नॉवेल है.
ऑनलाइन रेटिंग्स में भी इस बुक को बहुत ख़राब रिव्यू मिले हैं.
मेरी आप सबसे पर्सनल रिक्वेस्ट है; यदि आप अपना बहुमूल्य समय और दिमाग को व्यर्थ नहीं जाने देना चाहते तो कृप्या इसे न पढ़ें.
अन्यथा बाद में आप सब को भी मेरी ही तरह अपनी बाकी का जीवन इस बुक को गाली देते हुए बिताना पड़ सकता है.
धन्यवाद.
(ये जो भाई पीडीऍफ़ पोस्ट कर रहे हैं सभी नॉवेल्स की; बहुत पुण्य का काम कर रहे हैं. आपको बारम्बार धन्यवाद. मेरे द्वारा किए गए ऊपर के टिप्पणी पर बुरा न माने.)