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Adultery Son Of Collector-(Hindi,Incest,Group,Hidden Suspens)

Kyo bhai pasand aa gyi kahani ?


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Chinnaya Mathur

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Bro 1 week+ ho gya update aaye
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Episode 4

मैं थोड़ा गर्म दिमाग वाला था।ज्यादा उसूल वैगरा नही था पर जो थे उनको बहोत कठोरता से मानता था।मा के ऊपर किसी अजनबी का हाथ डालना मुझे पसंद नही आया।वो भी दुश्मन था और शर्म की बात ये थी की पिताजी के न रहते मैं जिम्मेदारी नही निभा सका ,जब की मैं हर बार कम उम्र बोलने पर लड़ जाता था की मैं बड़ा हो गया हु,समझदारी है मुझमे।और अभी ये घटना होना मेरे जमीर पर चोट थी।बस तय हो गया इनको अइसे नही छोड़ना इतनी घटिया सजा दूंगा की ये पलटवार जरूर करेंगे पर औरतो को निशाना नही बनाएंगे।मेरा क्या अभी युद्ध में कूद दिया हु अभी जो होगा देखा जाएगा पर मेरी और पिताजी की बात अलग है।घर की औरतो पर कोई खतरा नही चाहिए।कुछ लोग सोचेंगे की ये औरतो को कम समझ रहा है पर उनको यही बोलूंगा की भाई मेरे अगर सही ढंग का दुश्मन हो तो अलग बात है यहां पर दरिंदे है।इनसे लड़ना मेरे घर के औरतो के तो बस में नही है।

नाश्ता होने के बाद बर्तन रखते वक्त मैंने सीता चाची को चुपचाप बाहर गार्डन ने हमारी रोज की जगह पर आने बोला और मैं वहा पहले चला गया।सीता चाची करीब 10 मिनट में आई।

मैं:काम तो खत्म करके आई हो न?मा ने कुछ पूछा?

सीता:काम निपटा लिया है और दादी और मा भगवान की पूजा में है।

मैं:अच्छा हुआ ,हुश्शश~~~~

सीता चाची मुस्कराते हुए:इश्श हाये दैया,बाबूजी अभी नहीं बाद में।

मै चौक कर:अरे अभी तुमको क्या हुआ!??

सीता:आपने उसके लिए बुलाया है न,पर अभी नही रात को।

मैं:ओहो गरीबो की सनी लियोनी अपनी हवस को रोक,कुछ और काम है आपसे!!

मुझे चिंतित और इतना कठोर स्वर में बात करते देख वो भी थोड़ा गंभीरता को समझते हुए बोली:बोलिये क्या हुआ!??

मैं:आप विष्णु को जानती हो!??

सीता:कौन विष्णु!???

मैं:बल्लू ठाकुर.........

सीता:अच्छा वो सांड ठाकुरों का!!हा हा उसको कौन नही जानता। बहोत हरामी नस्ल का है बहनचोद।गाँव की बुढिया के ऊपर भी उसकी नजर रहती है भोसड़ीवालेकि।

मैं:घर में कौन कौन है??

सीता:मा है,बहन है,बाप है,बिवि है।

मैं:उसकी कोई खास बात या कोई उसके बारे में खास खबर आजकल!!??

सीता:बिवि पेट से है,बहन की शादी तय हो गयी है।मा बीमार रहती है,बाप तो सालो से बेड ले लेटा है औऱ ये भोसड़ी वाला उस रंडिया के पास मरा रहता है,घर वालों की फिक्र ही नही इसको।

मैं:लड़कीबाजी का शौक है क्या!??

सीता चाची:वो होता तो भी ठीक था 2 से 3 दिन महीने में आ जाता पर इसने तो सौतन जमा रखी है।

मैं:दूसरी बिवि!!?

सीता चाची: नही तो क्या!!दिन रात जब भी समय मिलता उधर ही पड़ा रहता है।

मैं:ठीक है ,जाओ आप ,लगता है मा का सत्संग हो गया है,ढूंढने लगेंगी आपको आप जाओ।

सीता चाची:वो एक बात कहनी थी।

मैं:बोलिये!!!!

सीता चाची:आपकी वजह से मेरे बुद्धू बेटे की शादी धूमधाम से हो गयी। आपको ठीक से धन्यवाद भी ना कर पाए ,तो शाम को खाना खाने आ जाना हमारे पास,उतने से अहसान उतर पायेगा पर थोड़ी कोशिश ।

मैं:ठीक है,मैं मा से पूछ लेता हु।

तभी मा सीता को पुकारी,सीता चाची फट से वहां से निकल गयी घर में,कुछ देर पश्चात मैं भी अंदर गया।तभी मा ने पास बुलाकर कहा।

मा:शाम को मै दादी को लेके शहर जा रही हुऔर देर रात लगने की वजह से वही रुकना पड़ सकता है।सीता चाची खाना बना देगी वो खाके सो जाना।मैं सुबह तक आ जाऊंगी।पिताजी वही मिलेंगे शहर में तो जोभी है वो देख लेंगे।

मैं:तो क्या पिताजी घर आएंगे!?

मा:नही बेटे,वो सिर्फ हस्ताक्षर देने आएंगे अपनी मा के लिए बस,वह से काम के लिए निकल जाएंगे।

मैं घर से घूमने बाहर निकल गया गाँव में।आजकल मुझे डर नही लगता था उसदिन के कारनामे के बाद।पर विष्णु को मजा चखाना था।और अभी उसके दूसरी बिवि के बारे में और पता लगाना था।मुझे उसका न नाम पता था न पता,न की उसके करीबी पहचान वाला।मैं घूमते हुए बस्ती से गुजर रहा था।हवेली में घटी और उससे पहले भी जो घटनाएं हुई उससे सब लोग मुझे अच्छे से पहचानने लगे थे।जो ठाकुर से डर से नमस्ते करते थे वे मुझे आदर से नमस्ते करने लगे थे लोग।

मैं शम्भू के साथ विष्णु के दूसरी बिवि का पता लगाना था।पर उसी बीच रास्ते में मीना चाची ने मुझे पुकारा।पूरे गाँव में वो अकेली औरत थी जो मुझे आप में नही बुलाती थी।वैसे मुझे उससे कोई एतराज भी ना था।मैं उनके झोपड़े में घुस गया।

मीना चाची:क्यो कलेक्टर आजकल बहोत घमासान कर रहे हो गाँव में।

मैं:हा तो!!?

मीना:कुछ नही,बस सम्भालके रहियो,ठाकुर से पंगा अच्छा नही सेहत के लिए।

मैं:ये बताने रुकाया है आपने मुझे।

मीना चाची:अरे मुझपे क्यो गुस्सा होते हो।मैंने किसी और बात के लिए रोका था।

मीना चाची अपने कपड़े उतारने लगी।

मैं:ये क्या कर रहे हो!??

मीना:जो तुम सीता और शकीना को देते हो वही मुझे भी चाहिए।

मैं:क्या,और आपको किसने बताया ये!??

मीना चाची:भोले मत बनो,सीता मै और शकीना बहोत अच्छी सहेलियां है,मेरी मजबूरी है की मै ठाकुर के यह काम करती हु नही तो तुमने जो उनकी मदद की वो मुझे भी अच्छी लगी।

मै:अच्छा,ये बात है।तो आपको ये भी मालूम होगा की मैं देता हु वैसे लेता भी हु।

मीना:क्या चाहिए!??(चौक कर)

मैं:वो बताऊंगा आपको बाद में,आप देगी या नही वो बतव,हा या ना।

मीना कुछ सोच कर:ठीक है,दे दूंगी,जो तुम चाहो।अभी बस मेरी चुत मारलो,सहन नही हो रहा।

मीना चाची पूरी नंगी हो चुकी थी।गदराई हुई भैस थी साली।भरे चुचे फूली गांड।मैं भी झट से दरवाजा बंद कर नंगा हो गया।

मीना:शकीना सही बोली थी,बड़ा है तेरा लौड़ा।

मैं:और आपकी गांड भी कम फूली नही है।कितनो से मरवा चुकी हो।

मीना:अरे कहा,ठाकुर तो कुछ करते ही नही,शादी के बाद शम्भू भी नही आता,तेरे साथ हवेली पे किया वही आखरी वाला।पर उस वक्त इतना बड़ा नही था।

मैं:अरे आप कुछ भी कहो चुत का भोसड़ा बन गया है आपका डंडा भी कम ही लगेगा आपको अगर घुसेड़ा तो।

मीना:अभी तू तेरा डंडा डाल,चुत तेरा लन्ड देख कर ही पानी छोड़ रही है।(मीना खटिये पर सो गयी।उसके चुचे उभर कर दिख रहे थे।)

मैंने मीना के ऊपर चढ़ा और उसके चुचो को मसलना चालू किया।काफी कठोर बन गए थे।लगता है बहोत दिन से इसको किसीने मसला नही था।मीना चाची के निप्पल काफी बड़े थे लगता है हवस की मनचलाहट में बहोत ज्यादा खींच लिए थे

मीना चाची:आआह और जोर से मसल आआह आआह उफ आआह

मैं:अरे इतनी तड़प क्यो रही हो।अगर इतनी ही आग है बदन में तो चुद लिया करो किसीसे हवेली में हट्टे कट्टे जानवर बहोत है।

मीना:अरे वो भड़वे साले सारे के सारे निठल्ले है।उनके सिर्फ हाथ उठते है ,लन्ड तो उठता ही नही।आआह

मैंने उसको पूरा नंगा कर दिया।

मैं:अरे तुमको देख जिसका लन्ड ना उठे वो मर्द हो ही नही सकता।पूरी गदराई घोड़ी है तू।

उसके साड़ी को ऊपर कर लन्ड को चुत में ठूसा के धक्का दे दिया।

मीना:आआह आउच्च आहहिस्ता तेरा लन्ड हद से बड़ा है,मेरी चुत नही सह पाएगी ।

मैं:अभी आदत डाल देना(मैं कमिनापन्ति में हस दिया।)

मीना:हा,अभी तो आदत डालनी ही पड़ेगी।

मैं:पर मुझे लगा तुम उस विष्णु से जरूर चुदती रहोगी,साले में बहोत ज्यादा चुदास है,भड़वा साला।

मीना:अरे कहा,ओ तो नल्ला है,बहन का लौड़ा।सबको मालूम है की उसकी बिवि का पेट से होने के पीछे कौन है।

मैं:पर उसकी और भी एक जोरू है न।

मीना:अरे तुमको कैसे मालूम?(मीना चौक कर बोली)

मैं:अरे पता चल गया,बस।बताओ तो सही।

मीना:अरे वो सूरी ताई की लड़की है।

मैं:ये सूरी चाची कौन?

मीना:है एक चुड़ैल,सांबा के गैरकानूनी कामो में मदत करने वाली.।अइसी कोई नशीली चीज नही जो वो बनाती नही हो।

मैं:मतलब!!!!

मीना:गांजा,अफीम,और वो मंदिर के पीछे वाला दारू का गुत्था है वो उसीका है।वो रहने दो।तुम ये खेल खत्म करो जल्दी,हवेली जाना है।

मैंने मीना के चुत को जोर से पेलना चालू किया।वो पूरे मजे ले रही थी।काफी समय घनघाती चुदाई के बाद हम लोग झड गए।

मीना उठ कर तैयार हुई और पूछी:तुम्हे आज विष्णु के दूसरे बिवि की याद क्यो आयी।

मैं:उससे आपको क्या मतलव।

मीना:मतलव ठाकुर के ऊपर अगला हमला करने का पिलान है तुम्हारा।

मैं:जैसी चुत है वैसा अपना मुह का ढक्कन भी बंद रखियो।बस इतना बताओ ये सूरी ताई और उसकी बेटी रहती कहा है।

मीना:वो नदी के उसपार छोटा आदिवासी पड़ा है।वहाँ की मुखिया है।कोई भी पता बता देगा।

इतना बोल मीना वहाँ से चुपचाप निकल गयी।

✊?✊?✊?✊??
 
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प्रिय साथियों

Work from Home की वजह से कहानी के अपडेट नही दे सका,उसके लिए माफी चाहता हु।अभी से पूरी कोशिश होगी रोजाना अपडेट की।

आपका
@mrsexywebee
 
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kamdev99008

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प्रिय साथियों

Work from Home की वजह से कहानी के अपडेट नही दे सका,उसके लिए माफी चाहता हु।अभी से पूरी कोशिश होगी रोजाना अपडेट की।

आपका
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कोई बात नहीं भाई.............. चाहे कम दो........... लेकिन अपडेट देते रहो और बीच-बीच में बता दिया करो कमेंट करके
 
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