Azagar Dada
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Are Ankit bhai ye apke level ka nhi h jaisa bhi h likhne do or ap apni story pr new update regular doYe kya kiya.....maa ko ek hawasi hi bana diya.....kuch extra nhi ho gaya....??
Aur thakur ke ghar se veenu nikal aaya aur saale sab dekhte rahe.....kyo...namard hai kya...kuch bhi action nhi...ek ko maar padi aur sabki fat gai.....kuch jama nhi...
Well...dekhte hai ki thakur kya palatbaar karega.....kya thakur ki koi aourat/ladki koi saazis karegi....aisa hua to maza aayga.....
Maa kis mod par jati hai...kya veenu ki ho ke rah jaygi....???
sawaal kai hai...jawaab ka intzaar rahega....
Keep rocking......
Are Ankit bhai ye apke level ka nhi h jaisa bhi h likhne do or ap apni story pr new update regular do
सूरी अम्मा-दिखने में जरूर भयानक नही थी पर शरीर एकदम भारी,50 पार उम्र वाली औरत,पेशे से स्मगलर
तुरी-सूरी की बेटी,विष्णु की दूसरी बिवि/रखैल
Episode 5
अगर विष्णु का उस रती ताई के लड़की से टाका भिड़ा है तो इसका मतलब नशीली चीजो के धन्दे से बल्लू ठाकुर का कोई न कोई नाता जरूर है,क्योकि विष्णु बल्लू का खास आदमी है।बदला लेने का ये सही मौका था।विष्णु के साथ भी और बल्लू के साथ भी।
मैंने तुरन्त पिताजी के सेक्रेटरी को कॉल किया।और दो पुलिसकर्मियों को भेजने बोला साधे वेश में।जब तक वो आते मैंने ये पता करवा लिया की ठाकुर आज गाँव में नही थे।जैसे ही वो गाँव पहुंचे उनके गाड़ी से हम आदिवासी पाड़ा पहोंच गए।
आदिवासी पाड़ा उतना बड़ा नही था।5 6 कुटिया थी।हर कुटिये के बाहर औरते गांजा भर रही थी थैलियों में।हम तीनो ने सूरी अम्मा का पता निकलवाया।वो सारे कुटियो के बाद एक बड़े झोपड़े जैसे एक जगह थी वह थी।बाहर हट्टे कट्टे 2 आदमी।हमारे आने का मालूम होते ही सूरी अम्मा बाहर आ गयी।
सूरी अम्मा मुह से पान थूंकते हुए:क्यो रे मादर चोदो यहां काहे आये हो।जीने से मन उठ गया क्या तुम्हारा।
पुलिस 1:कलेक्टर का हुकुम है आपको गिरफ्तार करने का?
सूरी अम्मा:नए हो क्या यहां?सूरी अम्मा हु मैं।ठाकुर को मालूम पड़ा तो तुझे यही काट देगा।
मैं:बाप का राज है क्या उसके?
सूरी अम्मा:री ई कोन डेड फुटवा?
पुलिस 2:कलेक्टर जी का बेटा है?वो नही आ सके इसलिए इन्हें भेजा है।थोड़ा तमीज से बात करो।
सूरी अम्मा:ये भालू इन लोगो को तमीज सिखाओ रे(अपने आदमी को हमे मारने की आदेश करती हुई।)
दोनो आदमी हमे मारने आगे आ जाते है।बाकी लोग भी हमे घिर कर खड़े थे।
पुलिस 1 और 2 मेरे पास आके:
पुलिस 1:अब क्या करे छोटे साब ये तो कच्चा खा लेंगे।
मैं:बंदूक और गोली क्या गोटिया खेलने के लिए लाये हो।
पुलिस 2:पर इंक़वाईरी हुई तो?
मैं:तुम इनको ठोको बाकी मैं संभाल लूंगा।
पुलिस2:जैसा आप कहे।
और अगले मिनिट ही वो हुआ जो सूरी अम्मा ने सोचा न होगा।सारी भीड़ तिथरपीथर हो गयी।दो सांड झट से नीचे गिर गए।औरतोकि चींख घूमने लगी।
मेरे मुह से निकल गया:गुड़ शॉट ऑफिसर्स!!!!!
हमने सूरी अम्मा को लिया और पुलिस स्टेशन आ गए।मैंने जो ऑफिसर्स मंगवाए वो शहर के थे जो पिताजी के यह ड्यूटी पर थे।पर जिस जगह हम आये थे वो गाँव का पुलिस स्टेशन था।एक कॉन्स्टेबल और एक एसआई।मैंने बुलाये हुए ऑफिसर्स उनके ऊपरी वाले थे।तो उनको हमने संभाल लिया।
कुछ ही देर में वही हुआ जो होना था।बल्लू ठाकुर आग बबूला होकर स्टेशन के अंदर बौखलाहट में भोंकने लगा
"कौन है वो मादरजात जिसने मेरे धन्दे में हाथ डाला,सालो को जिंदगी प्यारी नही।"
सूरी अम्मा: ई लो बहन के लौड़ा भुगतो अभी अपना करा कराया
बल्लू को देख मैंने पुलिस को एक योजना बताई और अंदर की तरफ छुप गया।इतने जल्दी मुझे बल्लू के सामने नही आना था।
बल्लू गाँव के एसआई को:क्यो रे तुझे मालूम नही की सूरी मेरे लिए काम करती है।
एसआई:वो तो बड़े साब ने किया है।ऊपर से ऑर्डर आया था।मैं क्या करता।
पुलिस 1:गृहमंत्री का आदेश है,उनसे परमिशन लेके आओ और लेके जाओ इनको।
विष्णु:इतने ऊपर तक किसने पहुंचाया इस बात को।
पुलिस 2:अरे वो हमारा काम नही ,हम वही करेंगे जो ऊपर से ऑर्डर आएगा।
बौखलाते हुए आया हुआ बल्लू गृहमंत्री का नाम सुन शांत होकर लौट गया।
बाहर-
विष्णु:ठाकुर साब अभी क्या करे,गांजे का सारा धंदा डूब जावेगा अइसे तो।
बल्लू:अभी कुछ भी करेंगे तो हम भी फसेंगे।बात बहोत ऊपर गयी है।थोड़ा समय जाने दो ,देखेंगे।
विष्णु:पर सूरी अम्मा?
बल्लू:अरे भाड़ में जाए ओ हमे क्या उससे,झेल लेगी।
इधर पुलिस स्टेशन में।
मैं:क्यो सूरी अम्मा कैसा लग रहा है? डेड फुटिये का 420 का झटका कैसा लगा?
सूरी:अरे ओ मादरचोद ज्यादा फुदक ना,बल्लू की खास हु मैं,बस कुछ देर रुक,तुझे सबक सीखाउंगी।
मैं:तू है कोन उसकी रखैल,चुत मरवाती है या गांड।
सूरी:ये भड़बे मुह संभाल,तेरी मा की चुत साले तेरी मा रखैल बनेगी देख ठाकुर की।
मेरी दिमाग में अभी गुस्सा भर गया था।
मैं एसआई से:सुनो एसआई,कुछ दिन के लिए छूटी लेलो और घर चले जाओ,ठाकुर से सेफ नही हो आप।
एसआई:सही कहा अभी निकलता हु।
कॉन्स्टेबल:मेरा क्या?
मैं:जब तक हम यहां है तुम गाँव के चक्कर मरवाते रह।(बाकी के पुलिस वालो से)सर जी जाओ इसके साथ गाँव घूम लो।
वो बचे तीनो भी वहां से निकल गए।वो जाते ही मैंने जेल की कुंडी खोल अंदर गया।अंदर जाते ही सूरी ने मुझपे हमला किया।मैं जोर का जाके दीवार से टकराया।पूरी की पूरी काली सांड थी.फ़टका जोर का लगा था।
सूरी:साले मेरे से पंगा,देख कैसी हालत करती हु तेरी।
मुझे कुछ समझ नही आ रहा था क्या करू,जैसे ही वो आके मुझे मारने मेरे ऊपर झपकी मैंने उसके पलू को पकड़ा और दूसरी तरफ भागा।पर उसकी साड़ी इतनी शॉर्ट थी की वो थोड़ी घूमने पर साड़ी पूरी की पूरी निकल गयी।
अभी वो अपने सांड जैसे शरीर पर जो अभी ब्लाउज पेटीकोट में था उसको छुपाने लगी।
मैं:क्यो बड़ी शानी बन रही थी न,अभी आ देखता हु तुझे।
सूरी ने ताव में आके फिरसे मुझे झपटना चाहा।पर उसके पेटिकोट का नाडा मैंने खींच लिया वैसे ही उसने अपना संतुलन खोया और वो नीचे गिरी।मैंने फट से जाके उसके पेटीकोट के फाड़ के दो टुकड़े कर दिए।पर उसके बाद जो देखा वो भयानक था।उसने अंदर कुछ नही पहना था।जंगल के पेड़ो से भरा झांटो का झुंड सामने था मेरे।उसने फट से उठ कर पेटीकोट को लपेटा और कोने में बैठ गयी।मैं साड़ी लेके बाहर आया और साड़ी कचरे में फेक बाकी लोगो की राह देखने लगा।तभी विष्णु और सूरी की बेटी आ गयी।
तुरी:अम्मा अम्मा,कहा हो।
विष्णु मुझे देख बौखलाया:मुझे लगा ही था साले,तू ही होगा,बाकी किसी के गांड में इतना दम नही की ठाकुर से पंगा लेले।
विष्णु मुझे मारने मेरे ऊपर आ ही रहा था,उसने मुझे कॉलर उठा के पटकने की सोची ही थी तभी मेरे वाले पुलिस वाले आ गए।उन्होंने उसे पकड़ा।
मैं:ऑफिसर्स इसे मुझपे जानलेवा हमला करने के जुर्म मे अंदर डालो।
पुलिस वालो ने विष्णु को पकड़ कर अंदर डाला।उसको अंदर डालते ही उन्होंने सूरी की हालत भी देखी।उनको घटित घटना का अनुमान लगाने में ज्यादा समय नही लगा।
तुरी:साब रिहा कर दो दोनो को,कोई कसूर नही इनका।
पुलिस 2:तेरी अम्मा गांजे का व्यापार और दो पुलिस वालो पर जानलेवा हमला करने के जुर्म में अंदर है।
पुलिस 1:और तेरा ये आशिक़ पुलिस स्टेशन में एक सरकारी अफसर के बेटे पर जानलेवा हमला करते हुए पकड़ा गया है और तुम बोलते हो के ये बेकसूर है,सस्ता नशा किये हो क्या?
तुरी:अब होगयी गलती आप ही बताओ क्या करू मैं इनको छुड़ाने के लिए?
पुलिस 2:हम क्या बताएंगे।ऊपर से ऑर्डर है।
तुरी ने मुझे देखा,उसे लगा की मैं कुछ मदद कर दु इसलिए वो मेरे पास आई।
तुरी:साब आप ही कुछ मदद कर दो,बड़ी मेहरबानी हो जाएगी आपकी।
मैं:मै क्या मदद कर सकता हु।गलती नही गुनाह किया है इन्होंने ,इनको बचाने में बड़ी रिस्क है।
तभी कोई आदमी वहाँ आ गया।
वो:मै बल्लू ठाकुर का वकील हु,ये पेपर देखो और सूरी को छोड़ दो।
पुलिस2:वकील साब लगता है आपको मालूम नही की इनके ऊपर नॉन बेलेबल एक्ट्स लगे है।कैसे रिहा करू?
वकील ने FIR पढ़ी और बल्लू को भी समझाई फोन कर के और वहाँ से निकल जाने लगा।
तुरी:अरे वकील साब क्या हुआ?निकालो इनको बाहर।
वकील:इनके ऊपर जो आरोप लगे है,उसके लिए इनको कोर्ट जाना पड़ेगा और मुझे नही लगता की कोर्ट में जाने के बाद ये सही सलामत बाहर आएंगे।मुझे करो माफ,मै चलता हु।
पुलिस 2:छोटे कलेक्टर साब हम खाना खाके आते है।तबतक आप रुक जाओ यह पर।आपकी मेहरबानी होगी।
मैं:नही नही मेहरबानी कैसी,आपने मेरा इतना बड़ा काम किया है,आराम से खाना खाके आओ।
पुलिस वाले जाने के बाद-
तुरी - मतलब तुमने ही ये सब कराया है।
मैं:कोई शक,मेरे से पंगा नॉट चंगा।
विष्णु:साले मुझे बाहर आने दे,फिर देखता हु तुझे।
मैं:अबे झांट के बाल तेरा यही चूतियापा तुझे महंगा पड़ रहा है।
तुरी:कहना का चाहते हो?
मैं:तेरा ये जो यार है उसने मेरे मा के इज्जत पे हाथ डाला है।मेरे परिवार पर हाथ डालने वाले को अइसे थोड़े छोडूंगा।
तुरी:तो मेरे मा की क्या गलती है उसमे।
मैं:उसकी गलती ही कुछ नही है,मैं तो तुम्हारे लिए आया था पर तेरी मा के चुत में खुजली आई तो फस गयी,मेरा कोई बैर नही तेरे मा से।
तुरी:मुझे क्यो ढूंढ रहे थे?
मैं:तेरी चुत जो मारनी थी।
तुरी:क्या!!!!!!!
विष्णु:अबे वो भोसडीके मुह सम्भलके बात कर,नही तो काट दूंगा।
मैं:अबे वो झांट के बाल,कभी एनकाउंटर का नाम सुने हो,तू आया यहाँ मेरी मर्जी से जाएगा भी मेरी मर्जी से।
तुरी:तुम इतने छोटे हो पर कैसी घटियापन्ति कर रहे हो,थोड़ी तो शर्म करो।
मैं:औए ज्यादा ज्ञान मत दे,मैं क्या हु मुझे मालूम है।अभी तू बोल क्या फैसला है तेरा।
तुरी: कैसा फैसला?!!!
मैं:अगर मा औऱ इस झाटु आशिक को बचाना है तो मेरा लण्ड लेना होगा।
तुरी सोचने लगी।विष्णु मुझे गालियां देते हुए उसे मनाई करे लगा।सूरी अम्मा तो जिंदा लाश की तरह कोने में ही बैठी थी।विष्णु उसे अपनी बेटी को चुदने से रुकाने के लिए बोल रहा था,पर सूरी पर कोई असर नही।
मैं:ज्यादा समय नही अपने पास,जल्दी सोचो,मुझे और भी कही जाना है।
तुरी जल्दबाजी में:ठीक है,मैं तैयार हु।
मैं:लो यह पर हस्ताक्षर देदे।
तुरी:क्या है ये?
मैं:खुद पढ़ ले।
तुरी:मुझे पढ़ना नही आता।
मैं:ओ अच्छा ,इसमे लिखा है की तुम स्वख़ुशी से मुझसे शारीरिक सम्बंध बना रही हो।क्या मालूम तुम बादमे बलात्कारी का आरोप लगा दो।
तुरी ने अंगूठा लगा दिया और:चलो अभी जो भी है पूरा करो और छोड़ दो इन्हें।
मैं:कहा चलो।यही पर होगी रासलीला।
तुरी:नही हरगिज़ नही।मैं मेरे मा के सामने!!!!छि....ये कैसे हो सकता है।
विष्णु:औए कलेक्टर तू बहोत पछतायेगा,आग में कूद रहा है तू,अभी भी वक्त है।
मैंने उसको नजरअंदाज करते हुए अपनी शॉर्ट उतारी टीशर्ट उतारी और अंडरवेअर और बनियान में खड़ा था।
तुरी:साब इतना कठोर मत बनो।कुछ तो रहम करो।
मैं:बल्लू और ये हिजड़ा इतने लोग और मेरी दादी के सामने मा से बदसलुकी किये तब कहा गयी थी रहम।आ इधर।
तुरी को अपने तरफ खींचा और पीछे से बाहों में लिया।उसने साड़ी पहनी थी तो उसका पल्लु नीचे खिसकाया।उसका पूरा शरीर कांप रहा था।उसकी नजर विष्णु की ओर थी,विष्णु पूरा आग बबूला हो रहा था।पर मैं मेरे योजना की होती सफलता पर खुश हो रहा था।
मैंने तुरी का ब्लाउज नीचे खिसकाया और पूरा ही निकाल दिया।मैंने देखा की तुरी के गले में मंगलसूत्र था,मतलब ये विष्णु की दूसरी बिवि थी।मैंने उसके चुचो को सहलाने लगा।काफी नरम थे और भरे हुए।उसके चुचे सहलाने में मसलने में मजा बहोत आ रहा था।तुरी"आआह आआह आहाह उम्म"की सिस्कारिया छोड़े जा रही थी।
मैंने उसको मेरे तरफ घुमाया और उसके चेहरे के पास गया और उसके ओंठो को चूमा।वो सिहर गयी।
विष्णु:देख भड़वे तू बहोत पछतायेगा।
मैं खुर्सी पे बैठ कर उसे घुटने के बल बिठाके लण्ड शॉर्ट से बाहर निकाला और उसके मुह में ठूसा।उसको चुदाई का उतना अनुभव नही था।पर मेरे इशारों पे ओ चल रही थी।
मैं:क्यो बे झांट के बाल बहोत फुदक रहा था न।देख तेरी बिवि लंड चूस रही है मेरा।
विष्णु अभी थोड़ा नरम गया था,उसकी आंखों से आँसू निकल रहे थे।वो नीचे बैठ गया।क्या अजीब नजारा होगा जब एक सांड जैसा राक्षस फूटफूट कर रो रहा है।पर मुझे उसपे जरा भी दया नही आ रही थी।जिसने मेरे मा पे हाथ डालने की हिम्मत की उसने तो कितने माओ बहनों को अपने नीचे सुलाया होगा।इसे तो आज उसकी औकात दिखानी ही पड़ेगी।
मैं तुरी से:री रंडी कभी लण्ड नही चुसाई क्या इस झांट के बाल का।चल खड़ी हो।और पूरे कपड़े निकाल।
तुरी खड़ी हो गयी।अपने पूरे कपड़े निकाल दी।कुछ भी कहो विष्णु की दूसरी बिवि कयामत थी।ज्यादा भरा हुआ बदन नही था जैसी की उसकी मा पर तुरी के बदन के हर अंग गठीला था।एक मादक आकार था उसके बदन का।
मैंने उसके चुचो को मसलने लगा।वो आंखे बन्द करके खड़ी थी।मैं मेरे हाथ घिसते हुए उसके चुत तक लेके आया।उसकी आंखे और खींच गई।ओंठ दांतो के नीचे दब गए।उसकी चुत झांट से भरी हुई थी।मैंने उसके चुत में हल्के उंगली घुसाई।तुरी आआह कर गयी।
विष्णु:ओ कलेक्टर बाबू मैं हाथ जोड़ता हु मत करो अइसे चाहिए तो पैर पकड़ कर माफी मांगता हु आपके माता जी की,बस ये मत करो,मुझे सहन नही हो रहा।
मैन तुरी को खींचा और अपने ऊपर बिठाया।उसकी पीठ मेरे तरफ थी।नीचे से चुत में लण्ड सेट कर के चुचे कस कर पकड़ कर उसे ऊपर नीचे करने लगा।तुरी सिस्कारिया निकालने लगी।
मैं उठा उसको टेबल पर झुका कर पिछे से चुत चोदने लगा।तुरी बस"आआह आआह उम्मम आआह आउच्च अम्मा आआह मर गयी"।
बस काफी था ये उसकी चुत के लिए,उसने अपना पानी छोड़ दिया था।मैं भी समय देख अपना स्पीड बढ़ाया।
तुरी:आआह आहिस्ता आआह मर्र्रर्ररर आआह गईईईई आआह अम्माआआ मममम आआह धीरे करो चुत फट जाएगी आआह"
उसको उल्टा घुमाया और पूरा गाढ़ा रस उसके मुह पे फैला दिया।मुझे मतलब नही था की वो पीयेगी या नही बस मुझे फैलाने में आनंद आया था।उसका ब्लाउज उठा कर लंड पोंछ कपड़े पहने उसने भी मुह पोंछ के कपड़े पहने।
तुरी:अभी चुत तो मरवाई मेरी,अभी तो पति और मा को छोड़ दो मेरे।
मैं:पति को छोड़ दूंगा,तेरी मा को मै नही छुड़वा पाऊंगा।
तुरी:ठीक है।
तभी पुलिस ऑफिसर भी आ गए।
पुलिस 1:क्या हुआ,क्या करना है अब?
मैं:इस झंड को छोड़ दो,अभी ये नही फड़फड़ायेगा।
पुलिस 2:और ये औरत??!!???
मैं:जो तुम चाहो,आप लोगो की अमानत है वो।(मैं हस दिया)
पुलिस 2 :अच्छा ठीक है,समझ गया मैं।
शाम हो गयी थी मुझे सीता के घर जाना था मैं ज्यादा समय ना निकलते हुए सीधा सीता के घर चला गया।
Episode 5
अगर विष्णु का उस रती ताई के लड़की से टाका भिड़ा है तो इसका मतलब नशीली चीजो के धन्दे से बल्लू ठाकुर का कोई न कोई नाता जरूर है,क्योकि विष्णु बल्लू का खास आदमी है।बदला लेने का ये सही मौका था।विष्णु के साथ भी और बल्लू के साथ भी।
मैंने तुरन्त पिताजी के सेक्रेटरी को कॉल किया।और दो पुलिसकर्मियों को भेजने बोला साधे वेश में।जब तक वो आते मैंने ये पता करवा लिया की ठाकुर आज गाँव में नही थे।जैसे ही वो गाँव पहुंचे उनके गाड़ी से हम आदिवासी पाड़ा पहोंच गए।
आदिवासी पाड़ा उतना बड़ा नही था।5 6 कुटिया थी।हर कुटिये के बाहर औरते गांजा भर रही थी थैलियों में।हम तीनो ने सूरी अम्मा का पता निकलवाया।वो सारे कुटियो के बाद एक बड़े झोपड़े जैसे एक जगह थी वह थी।बाहर हट्टे कट्टे 2 आदमी।हमारे आने का मालूम होते ही सूरी अम्मा बाहर आ गयी।
सूरी अम्मा मुह से पान थूंकते हुए:क्यो रे मादर चोदो यहां काहे आये हो।जीने से मन उठ गया क्या तुम्हारा।
पुलिस 1:कलेक्टर का हुकुम है आपको गिरफ्तार करने का?
सूरी अम्मा:नए हो क्या यहां?सूरी अम्मा हु मैं।ठाकुर को मालूम पड़ा तो तुझे यही काट देगा।
मैं:बाप का राज है क्या उसके?
सूरी अम्मा:री ई कोन डेड फुटवा?
पुलिस 2:कलेक्टर जी का बेटा है?वो नही आ सके इसलिए इन्हें भेजा है।थोड़ा तमीज से बात करो।
सूरी अम्मा:ये भालू इन लोगो को तमीज सिखाओ रे(अपने आदमी को हमे मारने की आदेश करती हुई।)
दोनो आदमी हमे मारने आगे आ जाते है।बाकी लोग भी हमे घिर कर खड़े थे।
पुलिस 1 और 2 मेरे पास आके:
पुलिस 1:अब क्या करे छोटे साब ये तो कच्चा खा लेंगे।
मैं:बंदूक और गोली क्या गोटिया खेलने के लिए लाये हो।
पुलिस 2:पर इंक़वाईरी हुई तो?
मैं:तुम इनको ठोको बाकी मैं संभाल लूंगा।
पुलिस2:जैसा आप कहे।
और अगले मिनिट ही वो हुआ जो सूरी अम्मा ने सोचा न होगा।सारी भीड़ तिथरपीथर हो गयी।दो सांड झट से नीचे गिर गए।औरतोकि चींख घूमने लगी।
मेरे मुह से निकल गया:गुड़ शॉट ऑफिसर्स!!!!!
हमने सूरी अम्मा को लिया और पुलिस स्टेशन आ गए।मैंने जो ऑफिसर्स मंगवाए वो शहर के थे जो पिताजी के यह ड्यूटी पर थे।पर जिस जगह हम आये थे वो गाँव का पुलिस स्टेशन था।एक कॉन्स्टेबल और एक एसआई।मैंने बुलाये हुए ऑफिसर्स उनके ऊपरी वाले थे।तो उनको हमने संभाल लिया।
कुछ ही देर में वही हुआ जो होना था।बल्लू ठाकुर आग बबूला होकर स्टेशन के अंदर बौखलाहट में भोंकने लगा
"कौन है वो मादरजात जिसने मेरे धन्दे में हाथ डाला,सालो को जिंदगी प्यारी नही।"
सूरी अम्मा: ई लो बहन के लौड़ा भुगतो अभी अपना करा कराया
बल्लू को देख मैंने पुलिस को एक योजना बताई और अंदर की तरफ छुप गया।इतने जल्दी मुझे बल्लू के सामने नही आना था।
बल्लू गाँव के एसआई को:क्यो रे तुझे मालूम नही की सूरी मेरे लिए काम करती है।
एसआई:वो तो बड़े साब ने किया है।ऊपर से ऑर्डर आया था।मैं क्या करता।
पुलिस 1:गृहमंत्री का आदेश है,उनसे परमिशन लेके आओ और लेके जाओ इनको।
विष्णु:इतने ऊपर तक किसने पहुंचाया इस बात को।
पुलिस 2:अरे वो हमारा काम नही ,हम वही करेंगे जो ऊपर से ऑर्डर आएगा।
बौखलाते हुए आया हुआ बल्लू गृहमंत्री का नाम सुन शांत होकर लौट गया।
बाहर-
विष्णु:ठाकुर साब अभी क्या करे,गांजे का सारा धंदा डूब जावेगा अइसे तो।
बल्लू:अभी कुछ भी करेंगे तो हम भी फसेंगे।बात बहोत ऊपर गयी है।थोड़ा समय जाने दो ,देखेंगे।
विष्णु:पर सूरी अम्मा?
बल्लू:अरे भाड़ में जाए ओ हमे क्या उससे,झेल लेगी।
इधर पुलिस स्टेशन में।
मैं:क्यो सूरी अम्मा कैसा लग रहा है? डेड फुटिये का 420 का झटका कैसा लगा?
सूरी:अरे ओ मादरचोद ज्यादा फुदक ना,बल्लू की खास हु मैं,बस कुछ देर रुक,तुझे सबक सीखाउंगी।
मैं:तू है कोन उसकी रखैल,चुत मरवाती है या गांड।
सूरी:ये भड़बे मुह संभाल,तेरी मा की चुत साले तेरी मा रखैल बनेगी देख ठाकुर की।
मेरी दिमाग में अभी गुस्सा भर गया था।
मैं एसआई से:सुनो एसआई,कुछ दिन के लिए छूटी लेलो और घर चले जाओ,ठाकुर से सेफ नही हो आप।
एसआई:सही कहा अभी निकलता हु।
कॉन्स्टेबल:मेरा क्या?
मैं:जब तक हम यहां है तुम गाँव के चक्कर मरवाते रह।(बाकी के पुलिस वालो से)सर जी जाओ इसके साथ गाँव घूम लो।
वो बचे तीनो भी वहां से निकल गए।वो जाते ही मैंने जेल की कुंडी खोल अंदर गया।अंदर जाते ही सूरी ने मुझपे हमला किया।मैं जोर का जाके दीवार से टकराया।पूरी की पूरी काली सांड थी.फ़टका जोर का लगा था।
सूरी:साले मेरे से पंगा,देख कैसी हालत करती हु तेरी।
मुझे कुछ समझ नही आ रहा था क्या करू,जैसे ही वो आके मुझे मारने मेरे ऊपर झपकी मैंने उसके पलू को पकड़ा और दूसरी तरफ भागा।पर उसकी साड़ी इतनी शॉर्ट थी की वो थोड़ी घूमने पर साड़ी पूरी की पूरी निकल गयी।
अभी वो अपने सांड जैसे शरीर पर जो अभी ब्लाउज पेटीकोट में था उसको छुपाने लगी।
मैं:क्यो बड़ी शानी बन रही थी न,अभी आ देखता हु तुझे।
सूरी ने ताव में आके फिरसे मुझे झपटना चाहा।पर उसके पेटिकोट का नाडा मैंने खींच लिया वैसे ही उसने अपना संतुलन खोया और वो नीचे गिरी।मैंने फट से जाके उसके पेटीकोट के फाड़ के दो टुकड़े कर दिए।पर उसके बाद जो देखा वो भयानक था।उसने अंदर कुछ नही पहना था।जंगल के पेड़ो से भरा झांटो का झुंड सामने था मेरे।उसने फट से उठ कर पेटीकोट को लपेटा और कोने में बैठ गयी।मैं साड़ी लेके बाहर आया और साड़ी कचरे में फेक बाकी लोगो की राह देखने लगा।तभी विष्णु और सूरी की बेटी आ गयी।
तुरी:अम्मा अम्मा,कहा हो।
विष्णु मुझे देख बौखलाया:मुझे लगा ही था साले,तू ही होगा,बाकी किसी के गांड में इतना दम नही की ठाकुर से पंगा लेले।
विष्णु मुझे मारने मेरे ऊपर आ ही रहा था,उसने मुझे कॉलर उठा के पटकने की सोची ही थी तभी मेरे वाले पुलिस वाले आ गए।उन्होंने उसे पकड़ा।
मैं:ऑफिसर्स इसे मुझपे जानलेवा हमला करने के जुर्म मे अंदर डालो।
पुलिस वालो ने विष्णु को पकड़ कर अंदर डाला।उसको अंदर डालते ही उन्होंने सूरी की हालत भी देखी।उनको घटित घटना का अनुमान लगाने में ज्यादा समय नही लगा।
तुरी:साब रिहा कर दो दोनो को,कोई कसूर नही इनका।
पुलिस 2:तेरी अम्मा गांजे का व्यापार और दो पुलिस वालो पर जानलेवा हमला करने के जुर्म में अंदर है।
पुलिस 1:और तेरा ये आशिक़ पुलिस स्टेशन में एक सरकारी अफसर के बेटे पर जानलेवा हमला करते हुए पकड़ा गया है और तुम बोलते हो के ये बेकसूर है,सस्ता नशा किये हो क्या?
तुरी:अब होगयी गलती आप ही बताओ क्या करू मैं इनको छुड़ाने के लिए?
पुलिस 2:हम क्या बताएंगे।ऊपर से ऑर्डर है।
तुरी ने मुझे देखा,उसे लगा की मैं कुछ मदद कर दु इसलिए वो मेरे पास आई।
तुरी:साब आप ही कुछ मदद कर दो,बड़ी मेहरबानी हो जाएगी आपकी।
मैं:मै क्या मदद कर सकता हु।गलती नही गुनाह किया है इन्होंने ,इनको बचाने में बड़ी रिस्क है।
तभी कोई आदमी वहाँ आ गया।
वो:मै बल्लू ठाकुर का वकील हु,ये पेपर देखो और सूरी को छोड़ दो।
पुलिस2:वकील साब लगता है आपको मालूम नही की इनके ऊपर नॉन बेलेबल एक्ट्स लगे है।कैसे रिहा करू?
वकील ने FIR पढ़ी और बल्लू को भी समझाई फोन कर के और वहाँ से निकल जाने लगा।
तुरी:अरे वकील साब क्या हुआ?निकालो इनको बाहर।
वकील:इनके ऊपर जो आरोप लगे है,उसके लिए इनको कोर्ट जाना पड़ेगा और मुझे नही लगता की कोर्ट में जाने के बाद ये सही सलामत बाहर आएंगे।मुझे करो माफ,मै चलता हु।
पुलिस 2:छोटे कलेक्टर साब हम खाना खाके आते है।तबतक आप रुक जाओ यह पर।आपकी मेहरबानी होगी।
मैं:नही नही मेहरबानी कैसी,आपने मेरा इतना बड़ा काम किया है,आराम से खाना खाके आओ।
पुलिस वाले जाने के बाद-
तुरी - मतलब तुमने ही ये सब कराया है।
मैं:कोई शक,मेरे से पंगा नॉट चंगा।
विष्णु:साले मुझे बाहर आने दे,फिर देखता हु तुझे।
मैं:अबे झांट के बाल तेरा यही चूतियापा तुझे महंगा पड़ रहा है।
तुरी:कहना का चाहते हो?
मैं:तेरा ये जो यार है उसने मेरे मा के इज्जत पे हाथ डाला है।मेरे परिवार पर हाथ डालने वाले को अइसे थोड़े छोडूंगा।
तुरी:तो मेरे मा की क्या गलती है उसमे।
मैं:उसकी गलती ही कुछ नही है,मैं तो तुम्हारे लिए आया था पर तेरी मा के चुत में खुजली आई तो फस गयी,मेरा कोई बैर नही तेरे मा से।
तुरी:मुझे क्यो ढूंढ रहे थे?
मैं:तेरी चुत जो मारनी थी।
तुरी:क्या!!!!!!!
विष्णु:अबे वो भोसडीके मुह सम्भलके बात कर,नही तो काट दूंगा।
मैं:अबे वो झांट के बाल,कभी एनकाउंटर का नाम सुने हो,तू आया यहाँ मेरी मर्जी से जाएगा भी मेरी मर्जी से।
तुरी:तुम इतने छोटे हो पर कैसी घटियापन्ति कर रहे हो,थोड़ी तो शर्म करो।
मैं:औए ज्यादा ज्ञान मत दे,मैं क्या हु मुझे मालूम है।अभी तू बोल क्या फैसला है तेरा।
तुरी: कैसा फैसला?!!!
मैं:अगर मा औऱ इस झाटु आशिक को बचाना है तो मेरा लण्ड लेना होगा।
तुरी सोचने लगी।विष्णु मुझे गालियां देते हुए उसे मनाई करे लगा।सूरी अम्मा तो जिंदा लाश की तरह कोने में ही बैठी थी।विष्णु उसे अपनी बेटी को चुदने से रुकाने के लिए बोल रहा था,पर सूरी पर कोई असर नही।
मैं:ज्यादा समय नही अपने पास,जल्दी सोचो,मुझे और भी कही जाना है।
तुरी जल्दबाजी में:ठीक है,मैं तैयार हु।
मैं:लो यह पर हस्ताक्षर देदे।
तुरी:क्या है ये?
मैं:खुद पढ़ ले।
तुरी:मुझे पढ़ना नही आता।
मैं:ओ अच्छा ,इसमे लिखा है की तुम स्वख़ुशी से मुझसे शारीरिक सम्बंध बना रही हो।क्या मालूम तुम बादमे बलात्कारी का आरोप लगा दो।
तुरी ने अंगूठा लगा दिया और:चलो अभी जो भी है पूरा करो और छोड़ दो इन्हें।
मैं:कहा चलो।यही पर होगी रासलीला।
तुरी:नही हरगिज़ नही।मैं मेरे मा के सामने!!!!छि....ये कैसे हो सकता है।
विष्णु:औए कलेक्टर तू बहोत पछतायेगा,आग में कूद रहा है तू,अभी भी वक्त है।
मैंने उसको नजरअंदाज करते हुए अपनी शॉर्ट उतारी टीशर्ट उतारी और अंडरवेअर और बनियान में खड़ा था।
तुरी:साब इतना कठोर मत बनो।कुछ तो रहम करो।
मैं:बल्लू और ये हिजड़ा इतने लोग और मेरी दादी के सामने मा से बदसलुकी किये तब कहा गयी थी रहम।आ इधर।
तुरी को अपने तरफ खींचा और पीछे से बाहों में लिया।उसने साड़ी पहनी थी तो उसका पल्लु नीचे खिसकाया।उसका पूरा शरीर कांप रहा था।उसकी नजर विष्णु की ओर थी,विष्णु पूरा आग बबूला हो रहा था।पर मैं मेरे योजना की होती सफलता पर खुश हो रहा था।
मैंने तुरी का ब्लाउज नीचे खिसकाया और पूरा ही निकाल दिया।मैंने देखा की तुरी के गले में मंगलसूत्र था,मतलब ये विष्णु की दूसरी बिवि थी।मैंने उसके चुचो को सहलाने लगा।काफी नरम थे और भरे हुए।उसके चुचे सहलाने में मसलने में मजा बहोत आ रहा था।तुरी"आआह आआह आहाह उम्म"की सिस्कारिया छोड़े जा रही थी।
मैंने उसको मेरे तरफ घुमाया और उसके चेहरे के पास गया और उसके ओंठो को चूमा।वो सिहर गयी।
विष्णु:देख भड़वे तू बहोत पछतायेगा।
मैं खुर्सी पे बैठ कर उसे घुटने के बल बिठाके लण्ड शॉर्ट से बाहर निकाला और उसके मुह में ठूसा।उसको चुदाई का उतना अनुभव नही था।पर मेरे इशारों पे ओ चल रही थी।
मैं:क्यो बे झांट के बाल बहोत फुदक रहा था न।देख तेरी बिवि लंड चूस रही है मेरा।
विष्णु अभी थोड़ा नरम गया था,उसकी आंखों से आँसू निकल रहे थे।वो नीचे बैठ गया।क्या अजीब नजारा होगा जब एक सांड जैसा राक्षस फूटफूट कर रो रहा है।पर मुझे उसपे जरा भी दया नही आ रही थी।जिसने मेरे मा पे हाथ डालने की हिम्मत की उसने तो कितने माओ बहनों को अपने नीचे सुलाया होगा।इसे तो आज उसकी औकात दिखानी ही पड़ेगी।
मैं तुरी से:री रंडी कभी लण्ड नही चुसाई क्या इस झांट के बाल का।चल खड़ी हो।और पूरे कपड़े निकाल।
तुरी खड़ी हो गयी।अपने पूरे कपड़े निकाल दी।कुछ भी कहो विष्णु की दूसरी बिवि कयामत थी।ज्यादा भरा हुआ बदन नही था जैसी की उसकी मा पर तुरी के बदन के हर अंग गठीला था।एक मादक आकार था उसके बदन का।
मैंने उसके चुचो को मसलने लगा।वो आंखे बन्द करके खड़ी थी।मैं मेरे हाथ घिसते हुए उसके चुत तक लेके आया।उसकी आंखे और खींच गई।ओंठ दांतो के नीचे दब गए।उसकी चुत झांट से भरी हुई थी।मैंने उसके चुत में हल्के उंगली घुसाई।तुरी आआह कर गयी।
विष्णु:ओ कलेक्टर बाबू मैं हाथ जोड़ता हु मत करो अइसे चाहिए तो पैर पकड़ कर माफी मांगता हु आपके माता जी की,बस ये मत करो,मुझे सहन नही हो रहा।
मैन तुरी को खींचा और अपने ऊपर बिठाया।उसकी पीठ मेरे तरफ थी।नीचे से चुत में लण्ड सेट कर के चुचे कस कर पकड़ कर उसे ऊपर नीचे करने लगा।तुरी सिस्कारिया निकालने लगी।
मैं उठा उसको टेबल पर झुका कर पिछे से चुत चोदने लगा।तुरी बस"आआह आआह उम्मम आआह आउच्च अम्मा आआह मर गयी"।
बस काफी था ये उसकी चुत के लिए,उसने अपना पानी छोड़ दिया था।मैं भी समय देख अपना स्पीड बढ़ाया।
तुरी:आआह आहिस्ता आआह मर्र्रर्ररर आआह गईईईई आआह अम्माआआ मममम आआह धीरे करो चुत फट जाएगी आआह"
उसको उल्टा घुमाया और पूरा गाढ़ा रस उसके मुह पे फैला दिया।मुझे मतलब नही था की वो पीयेगी या नही बस मुझे फैलाने में आनंद आया था।उसका ब्लाउज उठा कर लंड पोंछ कपड़े पहने उसने भी मुह पोंछ के कपड़े पहने।
तुरी:अभी चुत तो मरवाई मेरी,अभी तो पति और मा को छोड़ दो मेरे।
मैं:पति को छोड़ दूंगा,तेरी मा को मै नही छुड़वा पाऊंगा।
तुरी:ठीक है।
तभी पुलिस ऑफिसर भी आ गए।
पुलिस 1:क्या हुआ,क्या करना है अब?
मैं:इस झंड को छोड़ दो,अभी ये नही फड़फड़ायेगा।
पुलिस 2:और ये औरत??!!???
मैं:जो तुम चाहो,आप लोगो की अमानत है वो।(मैं हस दिया)
पुलिस 2 :अच्छा ठीक है,समझ गया मैं।
शाम हो गयी थी मुझे सीता के घर जाना था मैं ज्यादा समय ना निकलते हुए सीधा सीता के घर चला गया।
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bhai Gajab Ka update
sabse badhiya ye Lagi ki hero ne apni Maa Ka Badla liya bagair Koi dayaa dikhayen Vishnu ke Aansuon Se vo Pagla Nahin