Shah40
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Episode 13
मैं घर पर आया तो 2 बज रहे थे।सब लोगो ने खाना खा लिया था।मैं जैसे ही घर में घुसा।मा के कमरे से आवाज आई।
मा:आ गए,कहा रह गए थे इतने देर तक,चलो खाना खा लो।
मैंने खाना खाते हुए:मा तुमसे एक बात कहनी है।
मा:हा बोलो!!
मैं:मैं अभी ठाकुर के फार्म हाउस पे आ रहा हु,बड़ी ठकुराइन जी ने बुलाया था।
मा:क्यो??उनको तुमसे क्या काम?
मैं जो भी मसला था सब मा को बता दिया।मा तो हक्का बक्का रह गयी।मा उठी बिना कुछ बोले और पिताजी को फोन लगाने लगी।
पर मा का इतना ज्यादा प्यार था पिताजी पर की कॉल लगने से पहले पिताजी की गाड़ी आ गयी।गाड़ी इतनी जोर से आ रुकी की घर के सारे लोग बाहर आये।अचानक से लाइट भी चली गयी।ये हो क्या रहा था।सब के सब हैरान।
कोई कुछ रियेक्ट करे उससे पहले पिताजी मेरे सामने के खड़े हुए और:वीनू मारधाड़ तक ठीक था,मार डालने की क्या जरूरत।
सब लोग एक दूसरे के चेहरे ताकने लगे।पिताजी क्या बोल रहे थे किसी को नही समझ आया।फिरसे कोई रियेक्ट करे,उससे पहले पिताजी ने बात को साफ कर दिया।
पिताजी:तुमने बल्लू को क्यो मारा,हमारी आपसी नोकझोक ठीक थी,ये थोड़ा ज्यादा हो गया।
मैं:पिताजी शांत हो जाओ बैठो।मा पानी लाओ।पिताजी मैं सुबह से ठाकुर के फार्म हाउस पे था।पर हुआ क्या है?
पिताजी:सांबा और बल्लू शहर गये थे।वहां से आते वक्त बल्लू की गाड़ी को किसीने ठोका और जिसने ठोका उसने ,जो पकड़ा गया ट्रॉली वाला उसने तेरा नाम लिया।
सब लोग मुझे ताड़ने लगे,मैं भी उनको ताड़ते हुए ।
मैं:क्या मेरा नाम,मैंने अयसे कोई काम नही किया,उसे चिढ़ाने में मजा था मरवाक़े क्या मिलेगा।आप चिंता मत करो।उसके बोलने से क्या होगा,कानून सबूत मांगता है और 18 साल पूरे होने में एक महीना बाकी है मेरा।तो ज्यादा पुलिस इंक़वाईरी नही होगी।
पिताजी:तूने नही किया तो किसने किया।और उसने तुम्हारा नाम क्यो लिया?
मैं:पिताजी आप चिंता मत करो,उसको मैं मिला नही रहूंगा,कॉल पे बात हुई रहेगी।कॉल पे कोई कुछ भी बोल सकता है।मैं आपको ये कंफर्म बता दे रहा हु की इसमे मेरा कोई हाथ नही है।जो है वो पकड़ा जरूर जाएगा।
दादी:चलो अभी वीनू बोला है न तो उसने नही किया होगा।पर ये लाइट को क्या हुआ,कितनी गर्मी हो रही है।
पिताजी:वो मा जहा ये हादसा हुआ वह पर लाइट का जंक्शन था।गाड़ी टक्कर लग के जंक्शन के पोल पर टकराई।कल तक लाइट नही आएगी।
दादी:है भगवांन,गर्मी से जान न चली जाए।बहु अंधेरे से पहले खाना बनवा लेना।बाद में तकलीफ नही होगी।
सब लोग इतर बितर हो गये वैसे मैंने पिताजी को थोड़ा बाहर लेके गया।
पिताजी:वीनू क्या हुआ?किधर ले जा रहे हो?
मैं:मेरी बात शांति से सुन लो।और कुछ भी बाहर नही बोलने का,आपको मेरी कसम।
पिताजी सोच के:ठीक है,बतवो।
मैं:ये जो चीजे हो रही है वो अभी अचानक नही हो रही है।हम लोगो का यहां आने से लेके ये हादसे तक जो भी हम लोगो के साथ हो रहा है सब एक बड़ी योजना है।
पिताजी:तुम्हे अइसे क्यो लगता है?कोई सबूत?!!
मैं:पिताजी मेरे साथ पुलसिया खेल मत खेलो।मुझे अभी आशंका है।मैंने कुछ बातो को हवे में लिया पर मुझे इसका अहसास नही था की ये आके मेरे पर ही उलटेगी।
पिताजी:अभी वीनू तुम्हे बहोत ज्यादा हौशियर रहना पड़ेगा।इस केस में मुझे लिया है इन्होंने।जो करना है करो पर अइसा कुछ मत करो जिससे मेरी इज्जत चली जाए।
मैं:आप उसकी चिंता छोड़ो।बस केस को फैलाते जाओ।ये केस आपको नही सुलझेगा क्योकि आपको ये उलझायेंगे।और हा इस बात पर सिर्फ हम लोग बाहर बात करेंगे।घर में किसी और से या घर के अंदर कोई बात नही होगी।आजकल हमारे ही घर के दीवारों को कान निकल आये है।
अयसेही करीब 7 बजे तक हमारी बाते होती रही।कुछ पल बाद पुलिस अंकल जुड़ गए।पापा ने उनको भी कुछ बाते समझाई।
फिर हम लोग घर में आ गए।8 बजे सबने खाना खाया।पिताजी बहोत दिनों बाद आये थे तो दादी के रूम में बैठ कर सारा परिवार बाते कर रहा था।पिताजी दादी के पैर दबाते हुए बाते कर रहे थे बाकी हम लोग हस के या हां में हां मिला के साथ दे रहे थे।एक मोमबत्ती में वैसे भी कुछ दिख नही रहा था।तभी मुझे शैतानी सूझी
मैं:पिताजी आप अगर आपके मा की सेवा कर रहे तो मैं क्यो न करू।
पिताजी:हा हा करो,किसने रोका है।
दादी ने पुलिस वाले अंकल के बिवि को भी उसके बदन को दबाने बोला,वो भी तो जगते है,बदन तो उनका भी दुखता होगा।
मा टेबल पर बैठी थी,मैं मा के कंधों को दबाने लगा पीछे से।
मा:ऊऊ ,मेरा लाडला बेटा,बहोत समझदार हो गया है।
हस्ते हुए फिरसे सब लोग बातचीत में लग गए।दादी पापा के बचपन के,उनके बचपन के,दादा के बारे में किस्से बताने लगी।सब लोग उसमे घुल गए।
मैने कंधे को दबाते हुए थोड़ा हाथ नीचे ले जाने लगा।सर सामबे हस्ते हुए नॉएमल रख मा ने मेरा हाथ पकड़ के रोक दिया।और उंगलियां दबाते हुए 'अभी मत'का इशारा देने लगी।पर मैंने जोर लगा कर हाथ खिसका कर पल्लु के अंदर से हाथ डाल के चुचो के ऊपर सहलाने लगा।
मा पूरी सन्न हो गयी थी।उनको मालूम था की मैं जिद्दी हु।अगर ओ और कोशिश करती तो हलचल होती और सबका ध्यान उनपर आ जाता,इसलिए वो वैसे ही बैठ गयी।
मैंने अपना लण्ड बाहर निकाला शॉर्ट से चैन नीचे कर के।मेरे हाइट के हिसाब से मेरा लंड उनके कमर तक जा रहा था।मैं थोड़ा नीचे होकर लण्ड को उनके कमर और गांड के बीच में घिसाने लगा।मा के तो होश उड़ गए।उनको पसीना आने लगा।
मैं बड़े मजे ले रहा था।थोड़ी घिसंघीसाई के बाद लण्ड एक दम तन गया और मा को उसकी चुंबन महसूस होने लगी।आखिर वो औरत थी ।मा अभी हवस के वश में जा रही थी।उनका मचलता बदन उसकी गवाही दे रहा था।उनको भी थोड़ा मजा देने के लिए।मैंने कुछ सोच लिया।
मैं:मैं क्या बोलता हु पिताजी,दादी लुक्काचुपी की बात कर रही है तो इस अंधेरे का फायदा उठा कर लुककछूपी खेली जाए।
पिताजी:बुरा आईडिया नही है।बचपन की यादे ताजा हो जाएगी।
फिर क्या सब लोग इक्कठा हुए,दाव पिताजी पर आया।दादी के साथ सब लोग छुपने गए।अंधेरे के छुपन्छुपाई में मा को लेकर मै मेरे रूम के अलमारी के पीछे चला गया।क्योकि मुझे मालूम थी वो खुपिया जगह। तीन लोग आसानी से रह सकते है उतनी जगह थी।
मा:वीनू तू ये क्या कर रहा है?पिताजी ने पकड़ा तो शामत आ जाएगी।
मैंने मा को एक स्मूच करते हुए:क्यो चिंता कर रही हो,मैं हु न।तुम बस मजे लो।बैठो नीचे।
नीचे बैठ के मा मेरा लण्ड शॉर्ट नीचे कर के:तुम्हारा लंड दिन बदिन बदमाश होता जा रहा है।कभी भी खड़ा हो जाता है चुदाई के लिए।
मैं:क्या करू चुत की खुशबू आते ही वो बिघड जाता है,फिर उसे शांत करना मेरे हाथ में नही होता।
मा लंड को हाथ से सहलाते हुए:उसके बाद उसे शांत करना मेरी जिम्मेदारी।
मा ने बातचीत न बढ़ाते हुए लंड को सीधा मुह में ले लिया।
मैं:आआह क्या स्वर्ग का आनंद आता है जब तुम मेरा लंड मुह में लेते हो।
मा:मुझे भी बहोत मजा आता है जब तेरा तगड़ा लंड मेरे मुह में होता है।एकदम तगड़ा घोड़ा।(और पूरा लंड मुह में ले लेती है)
मैं:अभी ये घोड़ा बहोत दौड़ेगा।(तभी पापा की आहट आती है।)
हम भूल गए थे की हम खेल खेल रहे थे।बस क्या,मा को खड़े कर के दीवार को लगा कर साड़ी ऊपर कर के लंड को सेट कर के धक्का लगा दिया। मा के मुह से सिसक निकल गयी।
मैंने थोड़े आहिस्ते से चोदना चालू किया। क्योकि मुझे मजा किरकिरा नही करना चाहता था।काफी देर हम चुदाई की रंगीन खेल में मगन थे।जिस समय हम लोगो का झड़ने का आया तभी लाइट जल गयी।और सामने पिताजी खड़े थे।
कुछ समय के लिए हम लोगो की फट गयी थी।पर तभी मुझे ये अहसास हुआ की वो आयना है।पर फिर भी पिताजी कमरे में थे।पर शुक्र है भगवान का लाइट आते ही पिताजी बाहर चले गए।
मा:तुम बहोत शैतान हो गए हो।अइसे रिस्क बाहर लिया करो।घर में नही।
इतना बोल मा एक स्मूच कर के कपड़े सीधा कर बाहर चली गयी।मैं भी थोड़ा समय लेके बाहर चला गया।