• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery Son Of Collector-(Hindi,Incest,Group,Hidden Suspens)

Kyo bhai pasand aa gyi kahani ?


  • Total voters
    68
191
1,313
124
Episode 14

दूसरे दिन सुबह मुझे लेकर हवेली गए।पार्वती चाची रो रही थी बाकी घर की औरते बाजू में बैठी थी।पिताजी और हम साम्बा के पास गए।

पिताजी :नमस्ते ठाकुर साहब।

साम्बा:नमस्ते

पिताजी:बहोत बुरा हुआ,पर आप चिंता न करे मैं उनको जरूर ढूंढ निकलूंगा।

पार्वती चाची आवेश में चिल्लाते हुए:आप क्या ढूंढेंगे,मारा तो आपके ही बेटे ने है न।

पिताजी कुछ बोलते उससे पहले:जब हादसा हुआ तब मैं बड़ी ठकुराइन के साथ था,मैं भला कैसे मार सकता हु।

सब लोग ठकुराइन को ताड़ने लगे।कावेरी ठकुराई के चेहरे पर डर के मारे पसीना आने लगा।मुझे लगा बात संभालनी पड़ेगी नही तो मेरेपर ही भारी पड़ेगी।

मैं:अरे उनको अइसे क्या देख रहे हो।श्वेता की जान बचाई थी इसलिए बगीचे के फल खाने बुलाया था।उनका इसमे कुछ हाथ नही है।

साम्बा:माफ करना कलेक्टर साब,उस ट्रॉली वाले ने जिसका नाम लिया उसका और आपके बेटे का मिल जुल रहा था इसलिए गलतफहमी हो गयी।बस आप मेरे भाई के कातिल को ढूंढ लेना।

पिताजी:ठाकुर साब,मुझे लगता है कोई आपके घर को उजाड़ना चाहता है।उसने पहले आपके बेटी पर वार किया।वीनू ने बचा लिया पर आपके भाई नही बच सके।वैसे हुआ क्या था?

सांबा रोते हुए:शहर से निकल रहे थे।रास्ते में मेरी गाड़ी खराब हो गयी।मुझे जल्दी थी तो वो और उसका साला रुक गए।मैं लिफ़्ट लेके आगे निकल गया।

पिताजी:लगता है कोई आपका पीछा कर रहा था।देखते गई,हम तहकीकात करेंगे।अभी आज्ञा दीजिए।नमस्ते।

हम हवेली के बाहर आ गए।गाड़ी में बैठ गए।

पिताजी:चलो ठाकुरों को तस्सली हो गयी की तुम समे नही हो।बस अभी उस हत्यारे को ढूंढना है और उस ट्रॉली वाले ने झूट क्यो बोला उसका पर्दाफाश करना है।

मैं:मुझे क्या लगता है पिताजी,ये हमला सिर्फ बल्लू के लिए था या सिर्फ सांबा के लिए या दोनो के लिए।क्योकि अगर सांबा होता तो वो भी मरता पर वो जिंदा है।अगर अइसा है तो हत्यारा फिरसे कोशिश करेगा।

पिताजि:हा वीनू,सही बोल रहे हो।किसीने बल्लू से साले को साम्बा समझ उस वक्त मारा होगा पर साम्बा को जिंदा सुन वो फिरसे आ सकता है।सम्भाजी को इधर ध्यान रखने बोलन पड़ेगा।अजनबी लोग लगा दूंगा तो हत्यारा शक करेगा।

मैं:सही कहा।बाकी मैं हु देखने के लिए।

पिताजी:हा जी छोटे कलेक्टर साहब।मैं अभी सीधा कलेक्टर भवन जा रहा हु।मन कर रहा है की तुम लोगो को भी वही बुला लू।पर जगह बहोत छोटी है।बस खुद का और घरवालों का भी ध्यान रखना।

मुझे घर पे छोड़ कर पिताजी शहर चले गए।मै घर में आया तो गेट पर हर बार की तरह पुलिस अंकल सिगार फूक रहे थे।देवघर में दादी पुलिस अंकल के बिवि के साथ सस्तन में लगी थी।


किचन का दरवाजा बन्द तब।खोला और किचन में देखा तो मेरी दोनो रंडिया काम कर रही थी।दादी को तकलीफ न हो इसलिए बन्द किया रहेगा तो मैंने भी वैसे ही आहिस्ता बन्द कर किचन के ओटे के पास ठीक उनके पीछे शॉर्ट निकाल कर लंड हिलाते हुए बैठ गया।दोनो एक हाथ दूरी पर थे पर काम में इतना मगन थे की मेरे आने का ध्यान ही नही रहा।

कुछ देर हिलाते हुए मेरा लण्ड तन गया और उसी वक्त सीता चाची पलटी।

सीता:अरे बाबूजी आप।और ये क्या!!!

मा भी पलटी:वीनू,तुम कब आये,और ये क्या!?पिताजी आ जाएंगे।चलो ठीक से कपड़े पहन के बैठो।

मैं:(सीता चाची का हाथ खींच के लंडपर रख हिलाने बोला।)मा पिताजी चले गए ऑफिस और दादी 1 घण्टे उठेगी नही।

मा:उन्होंने बताया नही।अइसे कैसे चले गए।

मैं:तुम क्यो चिंता कर रही हो।एक गया दूसरा पति अभी है।

मेरी बात सुन सीता चाची हसने लगी।मा भी शर्मा गयी।

मा:तुम ना एकदम बेशर्म हो।

मैं:मा आपकी गांड चाटनी है।बहोत मजा आएगा।

मा:छि कैसी गन्दी बाते कर रहे हो।वो क्या चाटने की जगह है।

सीता चाची भी मुह आढा टेढा करने लगी।

मैं:तुम्हे क्या करना है,बस पल्लु उठाओ,थोड़ी घोड़ी बनके पैर फैलाओ।बाकी मैं देख लूंगा।

मा ओटे को लग के घोड़ी की तरह खड़ी हो गयी।सीता चाची को मैंने मेरे पैरों के नीचे घुटनो पे बैठाया और लंड मुह में दिया।

अभी खड़ी घोड़ी बनी मेरी मा।नीचे से नंगा लंड सिताचाची के मुह में देके मा की गांड में मुह घुसेड़ा हुआ मैं और मेरे लंड को घुटनो पर बैठ कर मजे से चुस्ती हुई सीता चाची।

मैंने मा के गांड पे जीभ घुमाना चालू किया।उसके मुह से सिसकिया निकल रही थी।"उम्मुमम्मूम्माहम्म"की सिताचाची की आवाज भी मन मोहक थी।

मा के चुत पर हाथ रगड़ रहा था।और गांड का स्वाद ले रहा था।

मा:आआह उम्म वीनू आआहाआ उम्ममाः आआह

कुछ देर बाद मा के चुत से पानी निकलने लगा।मा का जोश ठंडा पड़ रहा था।मैंने भी अपना सारा माल सिताचाची के मुह में खाली कर दिया।दोनो ने नैपकिन से खुद को साफ किया।मैं भी सीधा तैयार होकर वही बैठ गया।

मैं:क्यो मजा आ गया मा?

मा:हा बहोत,पर तुझे गंदा नही लगता।

मैं:नही,मुझे तो मजा आता है।


दोपहर को हमने खाना खा लिया।मैं हॉल में अइसे बैठा था की ठाकुर के घर के 2 आदमी मेरे पास आये।

मा:कौन हो आप,क्या चाहिए?

उसमेंसे एक:मेमसाब ठकुराइन ने इनको बुलाया है।

मैं:मन में-कौनसी?अभी पार्वती तो नही होगी,जरूर बड़ी ठकुराइन।

मा कुछ बोलती उससे पहले उठ गया और उनको बोल के निको पड़ा।
 
191
1,313
124
Sorry for inconvenience Guys
 

Yash420

👉 कुछ तुम कहो कुछ हम कहें 👈
2,325
6,801
144
भाई अपडेट थोड़ा बड़ा वाला दो यार
बाकी
Your Story is Just Wow
 

Royal king

Active Member
1,675
1,407
158
Waiting
 

Gokb

Well-Known Member
5,236
7,530
188
Wah bhai wah
 
  • Like
Reactions: Rony Singh
Top