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AdulterySon Of Collector-(Hindi,Incest,Group,Hidden Suspens)
जो लोग मुझे लेकर आये थे वो मुझे लेकर हवेली के पीछे जो बगीचा था उधर लेके गए।वहां पर भी एक छोटा से गेस्ट हाउस था।मुझे दरवाजे पे छोड़ वो वहां से निकल गए।आगे क्या करना था वो मुझे नही मालूम था।
मैं कुछ सोचता उससे पहले सामने का दरवाजा खुल गया।मीना चाची ने दरवाजा खोला था।
मीना चाची:आओ वीनू,पानी लोगे।
मै:ये सब क्या है?घर में इतनी बड़ी घटी और ये लोग...
मीना:कौन?
मैं:वो ठकुराइन!!!
मीना:लगता है कुछ गलतफहमी है,तुझे ठाकुर की बहन ने बुलवाया है।
मैं:कौन वो जिसका तलाक हुआ है?
मीना:हा!!!
मैं:उसका मुझसे क्या काम?
मीना:दिल आ गया है तेरे पर!!
मैं:मजाक चल रहा है क्या? वो अधेड़ उम्र की औरत जिसने कीस खुशी में पति का क़त्ल किया मालूम नही,अब नोजवान चाहिए उसे।ऐसा क्या देख लिया।
मीना चाची :मुझे नही मालूम क्या देख लिया उसने पर साली नशेड़ी कल से न दारु का घुट पीये जा रही है,गांजे को खिंचे जा रही है।और रट लगाई है सिर्फ तुझसे मिलना है उसे।
तभी ऊपर से आवाज आती है:अरे आ गया क्या वो?ऊपर भेज दो उसे।
मिनाचाची:जाओ ठकुराइन बुला रही है,और ह थोड़ा मुह सम्भाल के,गुस्सेल है वो कुछ गलत बोल दोगे तो वही ठोक देगी।समझे!!??
मै:ठीक है!!समझ गया!!!
मैं अंदर से थोड़ा डरा सा था,क्योकि जिससे मिलने जा रहा था वो सनकी औरत थी।कुछ थोड़ा भी गलत लगे उसे तो मेरे जान पे आ जाएगी।
कमरे के अंदर गया जो पहले माले पे था।वो सामने बेड पर लेटी थी।हाथ में हुक्के का पाइप और कमरे में धुंआ।
दामिनी:आओ लड़के आओ,क्या नाम बताया तुम्हारा!??
मैं:वीनू..
दामिनी:क्या रे बहोत चरबी चढ़ी तेरे को,ठाकुर हवेली से पंगा लेता है तू(गलियो के ऊपर गालियां चालू)।मा चोदनी पड़ेगी तेरी
मैं ठहरा गर्म दिमाग मुझे अपने ऊपर है तो सहन हो जाता है पर मा बाप पर सहन नही कर सकता।मेरा संयम टूटा और मैं बोल पड़ा।
मैं:अभी तक मैंने मा चुदाई इतनी तुम्हारे लोगो की क्या घन्टा उखाड़ लिया मेरा।लण्ड मेरा कुछ उखाड़ोगे तुम लोग।
दामिनी गुस्से में उठ कर नशे में मेरी तरफ आने लगी
दामिनी:अबे रंडी की पैदाइश तू मेरे को जानता नही,एक का कत्ल कर चुकी हु,तेरा करने में देर नही लगेगी।
मैं:अबे रंडिया तू मेरे झांट के बाल इतनी औकात की भी नही,तेरा पति भड़वा था।अच्छे से तेरे चुत गांड फाड़ा होता तो आज तेरे अंदर इतनी खुजली नही रहती।
दामिनी:अबे भड़बे ज्यादा बोल रहा है
मै:चल तेरे बाप को मत सीखा चोदने को।
दामिनी पहले ही गांजे के नशे में थी उसकी वजह से उसका दिमाग उतना काम नही कर रहा था।वो गुस्से में मेरा कॉलर पकड़ी।मैंने भी बिना सोचे उसके चुचो को घिसते हुए ब्लाउज को दबोच लिया।वो एकदम हक्काबक्का हो गयी।पहली बार उसके ऊपर पलटवार हुआ था।उसका पल्लु नीचे गिर गया था।उसके ब्लाउज को दबोचा हुआ मेरा हाथ।
वो पीछे की तरफ हुई।उसके बटन मेरे हाथ में ही रह गए।ब्लाउज निकल गया था।वो अभी अपने ब्रा में अधनंगे चुचे छुपा रही थी,नशे में उसको वो भी सही से संभाला नही जा रहा।
मैं उनके पास गया:औरत हो इज्जत रखेंगे पर तबतक जबतक तुम इज्जत दोगी,नही तो हम भी कोई हरिश्चंद्र नही ठहरे।
पर वो थी की मान ही नही रही थी।फिरसे मेरे ऊपर हाथ से मारना चालू किया।मैंने उसको दोनो हाथो से पकड़ लिया।झपट में हम लोगो बेड पर गिर गए।वो नीचे और उनके ऊपर मैं।
बेड पर गिरते ही वो मेरे नीचे दबोच गयी।अभी उसके खुले चुचे मेरे छाती के चपेट में थे।थोड़ी देर कोशिश कर तो ली उसने पर नशे की वजह से उसमे उतनी ताकद नही थी की वो मेरा सामना कर सके।वो शांत हो गयी।
हमारी सांसे एकदूसरे को महसूस होने लगी।दोनो को शरीर की गर्माहट का अहसास होने लगा।मेरा लण्ड साड़ी के ऊपर से उसके चुत पर घिस रहा था।
मैं:क्यो जी।हो गया!!चुत की गर्मी बुझ गयी?मेरी मा चूदाएगी।
मैंने उसके चुचो को मसला,उसे थोड़ा दर्द हुआ ।उस कशमकश में उसने मुझे बाजू में धकेला और खुद मेरे पेट पर बैठ मेरे ऊपर हाथ के वार करने लगी।कुछ देर तक अइसे ही हातपायी होती रही बेड पर .मैंने शर्ट पहना था उसके बटन खुल चुके थे।वो कमर तक पूरी नंगी और साड़ी निकल चुकी थी सिर्फ पेटिकोट बचा था।पर वो इतने गुस्से में थी की उसको उसका कोई इल्म नही था।
अभी वो मेरे ऊपर थी।गाल के साफे जड़े जा रही थी।मैंने नीचे से पेटीकोट के ऊपर से ही उसकि चुत को दबोच लिया।अचानक से दबोचने से उसके मुह से आआह निकल गयी।उसने मेरे हाथ को पकड़ कर छुड़ाने की कोशिश की।जिससे दूसरा हाथ बेड पे टिका दिया।
उसको थोड़ा ढीला पड़ते देख उसकी गर्दन पकड़ के उसके मुह को पास में लाकर ओंठो पर ओंठ टिका दिए।उसके लब्जो को मुह में चुसने लगा।दोनो तरफ स्व हुए इस हमले से वो बौखला गयी।वो हाथ पैर पटकने लगी।जिसकी वजह से उस हलचल में पेटीकोट का नाडा निकल गया।इसका फायदा उठाते हुए मैंने पेटीकोट नीचे खिसका दिया
थोडे देर झटपटाने के बाद वो शांत हो गयी।आखिर वो एक औरत थी।हवस तो उसकी भी अंदर थी।अभी उसको नीचे सुलाक़े उसके ऊपर आया।
उसके ओंठोंके रसपान के साथ उसकी चुचिओ को भी रगड़ने लगा।वो सिस्काने लगी।उसको मस्त होते देख मैंने अपना शॉर्ट अंडरवियर के साथ नीचे उतार दिया।और उसका पेंटी भी।
पेंटी निकालते ही उसकी चुत में उंगली डाल के उसकी चुत की चुदाई की,जैसे ही उसकी चुत खुली।उसमे अपना लन्ड लगाया और धक्का दिया।
दामिनी:आआह आआह आआह मर गयी बडवे मादरचोद तेरी बहन की चुत साले तेरे मा के गांड में डंडा निकाल।
मैं निकाल के बाजू हुआ।उसकी चुत पानी छोड़ने लगी थीं।
वो उठ के बाथरूम जाने लगी।जैसे ही बाथरूम में घुसी ।मैं भी उसके पिछे पीछे घुस गया और उसको दीवार पर लगाके दबोचा।हम अभी एक दूसरे को चिपक कर नंगे खड़े थे।
दामिनी:देख वीनू छोड़ मुझे,तू पछतायेगा।
मैं:कोई बात नही,मुझे पसन्द है पछताना।
दामिनी:वीनू छोड़ मुझे,मैं माफी मांगती हु तेरी।
मैं:अरे आप तो मेरी मा चुदाने वाली थी।क्या हुआ?खुद की चुत पर आयी तो सब घमंड उतरा न।
इतना बोल के मैंने उनको छोड़ा।
मैं:हम आपके जैसे है नही और हमे को शौक भी नही आपके जैसे बनने का।आपके परिवार से कोई जाती दुश्मनी है नही हमारी।शुरवात आपके भाई ने कि थी।तो हम तो चुप बैठने वाले थे नही।और हा तेरे उस बल्लू भाई को नही मारा मैंने।
दामिनी:मालूम है मुझे।और ये भी मालूम है की उनको मारना सांबा को था और फसा वो।
मैं:अरे वा नशेडी को मालूम है सब।
दामिनी:मैं कोई पेशावर नशेड़ी नही हु।उन लोगो ने मेरे पति को मारा फिर मुझे भी न मार दे इसलिए ये ढोंग करके रहती हु।बाहर लड़ इस लिए रही थी की वहाँपर कैमेरा लगे है।
मैं:फिर मुझे बुलाने का कारण?!!
दामिनी:मुझे पूरा भरोसा है की अभी मेरी और बाकी लोगो की जान तुम ही बचा सकते हो।
मैं:अच्छा।तुम्हारे पति को किसने मारा?
दामिनी:बल्लू और कालिया।
मैं:फिर अभी कालिया?
दामिनी:मुझे नही लगता इसमे सिर्फ कालिया होगा।उसकी इतनी हिम्मत नही है।कोई और है इसमे।
मैं:ठीक है,ओ तो मैं ढूंढ ही लूंगा।चलो चलता हु।
दामिनी:चले,सामने इतना हसीन बदन तड़पता छोड़ के।
मैं:बदन है पर हसीन नही है।
दामिनी:क्यो?क्या कमी है मुझमे?चुत एकदम भरी फूली है।गांड का नक्शा भी है।तेरा लण्ड भी खड़ा है।लुफ्त उठाना चाहते हो तो उठा सकते हो।
मैं दामिनी को ओंठो पर किस किया:तेरी चुत सम्भाल नही पाएगी रे।बूढ़ी हो गयी हो।
दामिनी:तू घुसाके तो देख।मजा बहुत आएगा।2 साल से लंड नही गया है।
मैंने चुत को सहलाते हुए:देख लो बाद में पछताओगी।
दामिनी:कोई बात नही मुझे पसन्द है पछताना।
दोनो हस दिए इस बात पर।
मैंने उसको उठाया और लंड पर बिठा दिया।
दामिनी:आआह,उम्म(मेरे ओंठो को स्मूच किया) बहोत दिनों बाद किसी मर्द का लण्ड ली हु।मजा आ गया।
मैं उसे ऊपर नीचे करने लगा।वो बस सिसकती रही।
दामिनी:आआह आआह चोद दे मुझे आज आआह तेरी रंडी बना दे आआह पूरा अंदर डाल चुत की आग मिटा दे आआह आआह।
अयसेही चोदते हुए मैं तक गया।फिर उसको नीचे उतारा और घोड़ी बनाकर दीवार को सट कर खड़ा किया।और पीछे से चुत मारने लगा।
दामिनी:आज चुत धन्य हो गयी मेरी आआह मस्त लण्ड से चुद रही है उम्म उम्मम
मैंने चोदने का स्पीड बढ़ाया।उसका भी सिस्कारिया से चिल्लाने का स्वर निकलने लगा।और चुत की काफी खुदाई के बाद हम दोनो झड गए।मैंने पूरा गाढ़ा रस उसके मुह में छोड़ दिया।
अभी बहोत देर हो रही थी तो उनको वैसे ही छोड़ मैं बाहर आया और घर की तरफ निकला।