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Incest Statue game

Mr.Bond

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Thread ko delete nahin kar sakte But main aapko PDF send kar dunga jisse baki ke updates Yahan par C/p kar dena.
Siraj Patel bhai PDF ka kya hua
 

Sammysam1292

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Bhai aaaj shaam tk Puri upload or dunga
 

Sammysam1292

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अगले दिन मोम डॅड हमेशा की तरह सुबह ही घर से निकल गये… हम दोनो का तो स्कूल ब्रेक चल रहा था इसलिए जल्दी उठने का कोई मतलब ही नही था.. पर रोजाना की तरह मेरी नींद 8 बजे ही खुल चुकी थी, मैं बस आँखे बंद किए अपने बिस्तर मे गर्म रज़ाई मे लेटा रहा.

मेरी बंद आँखो मे कल के सारे सीन घूम रहे थे, जिसमे पायल दीदी ने मुझे स्टाचु गेम के ज़रिए जो मज़ा दिया था वो याद कर करके मैं अपने लंड को सहला रहा था..

तभी मेरे रूम के दरवाजे पर कुछ आहट हुई…
 

Sammysam1292

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तभी मेरे रूम के दरवाजे पर कुछ आहट हुई… वो पायल की सिवा कोई और हो ही नही सकता था, इसलिए मैं आँखे बंद किए लेटा रहा.

वो दबे पाँव मेरे बिस्तर के करीब आई और मुझे 1-2 बार पुकारा, पर मैं गहरी नींद मे सोने का नाटक करते हुए लेटा रहा.

फिर वो मेरे बेड पर बैठ गयी, और धीरे-2 करके उन्होने मेरी रज़ाई को उतार दिया… मैने सिर्फ़ एक शॉर्ट्स और टी-शर्ट पहनी हुई थी.. मेरा शरीर काँप सा गया बाहर की ठंडी हवा से पर मैं उठ नही सकता था, मैं देखना चाहता था कि अब कौनसी हद पार करती है मेरी बहेन.

वो कुछ देर तक तो मेरे अंडरवेर मे क़ैद खड़े लंड को निहारती रही और फिर धीरे-2 उन्होने मेरे लंड पर हाथ रख दिया.

मैने कुन्मूनाने का नाटक किया और उनके हाथ के उपर अपना हाथ रखा .… वो पूरी तरह से गर्म चुकी थी.. और शायद काँप भी रही थी..

मेरा हाथ उनके हाथ पर था इसलिए जब उन्होने अपने हाथ की मूव्मेंट स्टार्ट की तो मुझे सॉफ एहसास हुआ कि वो कैसे अपने काँपते हाथों से मेरे लंड को सहला रही है.

कुछ ही देर मे मेरा लंड कल की तरह उभरकर पूरा खड़ा हो गया..

मेरी साँसे तेज़ी से चल रही थी उनके अगले मूव के बारे मे सोच-सोचकर..

और फिर उन्होने वही किया जिसके बारे मे मैं सोच रहा था.

पायल दीदी ने मेरी शॉर्ट्स को धीरे-2 नीचे खिसकाना शुरू कर दिया और कुछ ही देर मे मेरा लंड तन कर उनके सामने खंबे की तरह खड़ा था… बंद कमरे मे उनकी तेज साँसों की आवाज़ मुझे सॉफ सुनाई दे रही थी..

फिर वो साँसे धीरे-2 मुझे मेरे लंड पर भी महसूस होने लगी… एक दम गर्म थी वो.. मेरे लंड को पिघला देने वाली गर्म साँसे… और फिर उन्होने अपनी गर्म जीभ को मेरे लंड से छू लिया.. मुझसे बर्दाश्त करना अब मुश्किल हो रहा था…

मैने एक जोरदार सिसकारी के साथ अपनी आँखे खोल दी और वो सीधा मेरी बहेन की आँखो से जा टकराई जो मेरे लंड को बस मुँह मे लेने ही वाली थी..

जैसे ही दीदी ने मुझे नींद से जागते देखा, वो झट से बोली स्टाचु

और एक बार फिर मैं जहाँ का तहाँ, जम कर रह गया..

हालाँकि मैं उन्हे रोकने वाला तो फिर भी नही था, पर फिर भी इस खेल की आड़ मे ये सब करने मे जो रोमांच हम दोनो को महसूस हो रहा था वो अलग ही था..
मुझे स्टाचु बनाकर उन्होने अपने गुलाबी होंठों को पूरा खोला और मेरे लंड के सुपाडे को मुँह मे लेकर बंद कर दिया…

मैं सिसकारी मारकर रह गया.

”उम्म्म्ममम अहह”

दीदी के नर्म होंठ मेरे लंड को पूरी तरह से जकड़ते हुए धीरे-2 नीचे जाने लगे… और कुछ ही पलों मे उन्होने मेरे 6 इंची लंड को पूरा नाप लिया…

मेरा लंड अब पूरी तरह से उनके होंठों के कब्ज़े मे था, ये एक अलग ही फीलिंग थी, जिसे शब्दों मे बयान करना मुश्किल है, मेरा पूरा बदन गर्म हो गया, जो कुछ देर पहले रज़ाई हटने से काँप रहा था अब उसपर पसीने की बूंदे चमकने लगी..

एक लड़की के गर्म शरीर मे कितनी ताक़त होती है ये मैने आज ही जाना.

पायल दीदी ने अपनी जीभ से मेरे लंड को चुभलाना शुरू कर दिया. मैने अपनी गान्ड थोड़ी सी हवा मे उठा ली जिसके वजह से रहा-सहा लंड भी जड़ तक उनके हलक मे उतर गया… बहुत ही मज़ा आ रहा था ये सब करवाने मे… उनके मुलायम बूब्स मेरे घुटनो पर बुरी तरह से पिस कर मुझे मस्साज़ दे रहे थे.

धीरे-2 उनकी लंड चूसने की स्पीड बढ़ती चली गयी.

मुझे ये तो अच्छे से पता था कि ये उनका फर्स्ट टाइम है, पर उनकी लंड चूसने की कला देख कर लग नही रहा था कि पहली ही बार मे वो एक प्रोफेशनल की तरह चूस रही है…

शायद उन्हे भी पॉर्न मूवीस का चस्का था.

मेरा लंड बुरी तराहा से ऑर्गॅज़म के करीब पहुँच गया और जल्द ही वो पल भी आ गया जिसके लिए वो मेरे लंड को दोह रही थी..

मेरे लंड से ताबड़तोड़ वीर्य निकलने लगा… जिसकी एक बूँद तक मैं नही देख पाया, सारा का सारा रस वो नाश्ते का समान समझकर पी गयी…

उनकी इस कलाकारी को देख कर मैं अचंभित सा होकर उन्हे देखता रह गया..

मेरे लंड को अच्छी तरह से चूसने के बाद, उसमे से एक-2 बूँद निचोड़ने के बाद वो खड़ी हुई और दरवाजे तक मटकते हुए गयी और बाहर निकलने से पहले उन्होने मुझे ‘रिलीस’ बोला और चली गयी..

मैं एक बार फिर से अपने रस निकल चुके लंड को देख कर, अपनी किस्मत की दाद देता हुआ मुस्कुराने लगा..

कल के बाद आज सुबह भी उन्होने दो बार मुझे स्टाचु बनाकर मुझसे मज़ा लिया था…

अब किसी भी कीमत पर मुझे इस बात का बदला लेना था..यही मज़ा मुझे उन्हे देना था, दीदी को स्टाचु बनाकर.

मैं अपने बिस्तर से उठा और बाथरूम मे जाकर फ्रेश हुआ, ब्रश किया और फिर नीचे आ गया..

दीदी मेरे लिए नाश्ता बना रही थी..

इस वक़्त उन्होने अपनी रात वाली ड्रेस ही पहनी हुई थी जो एक कपरी और टी शर्ट थी.. मेरे दिमाग़ मे कुछ चल रहा था…

जब मुझे नाश्ता सर्व करके वो अपने रूम मे गयी तो मैं समझ गया कि वो नहाने जा रही है, मुझे तो कोई फ़र्क नही पड़मुझे तो कोई फ़र्क नही पड़ता था पर वो बिना नहाए ब्रेकफास्ट नही करती थी.

मैने जल्दी से अपना नाश्ता निपटाया और मैं भी दबे पाँव उनके रूम मे घुस गया…

दरवाजा खुला था, और बेड पर उन्होने अपने लिए ब्लॅक कलर की ब्रा और पैंटी का सेट रखा हुआ था जो वो आज पहेन ने वाली थी, मैने उसे उठाकर अपने चेहरे से लगा लिया, उसमे से उनके जिस्म की खुश्बू आ रही थी..

साथ मे दीदी ने एक टी-शर्ट और शॉर्ट्स रखी हुई थी, जो मुझे भी काफ़ी पसंद थी, उसमे उनकी सुडोल जांघे काफ़ी सेक्सी लगती थी.

फर्श पर उनकी टी शर्ट और कपरी पड़ी थी जिससे सॉफ पता चल रहा था कि उसे उतारकर वो नंगी ही अंदर चली गयी थी…

मैने बाथरूम के दरवाजे की तरफ देखा और धीरे-2 उसके करीब आ गया…

अंदर शावर चल रहा था और उनके गुनगुनाने की आवाज़े आ रही थी..

”मेरे ख्वाबो मे जो आए, आके मुझे छेड़ जाए, उससे कहो कभी सामने तो आए”

मेरा दिल मचल उठा ये सुनकर… ऐसी अल्हड़ उम्र मे ऐसे ही गाने निकलते है नहाते हुए..

मैने उपर वाले का नाम लेते हुए दरवाजे को धीरे से धक्का दिया और वो खुलता चला गया… दीदी ने उसे अंदर से बंद नही किया था. मेरे दिल की धड़कनें तेज हो गयी…
 

Sammysam1292

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ये पहला मौका था जब मैं अपनी तरफ से कोई ऐसी हरकत करने जा रहा था जो हमारे समाज मे सही नही समझी जाती पर ऐसा करने के लिए मुझे पायल दीदी ने ही विवश किया था. उन्होने ही इन सब की शुरूवात की थी वरना मैने तो आज तक इन्सेस्ट के बारे मे सोचा तक नही था..

मेने धड़कते दिल से पूरा दरवाजा खोल दिया और मेरे सामने वो नज़ारा था जिसकी मैने आज से पहले कभी कल्पना भी नही की थी…

पायल दीदी नंगी खड़ी होकर नहा रही थी.. उनकी पीठ थी मेरी तरफ और उनके भरे चूतड़ मेरी आँखो के बिल्कुल सामने थे..

पानी की बूंदे उनके संगमरमरी बदन से लूड़क कर नीचे फिसल रही थी, और गान्ड की दरारों मे घुसकर गायब होती जा रही थी..

मन तो कर रहा था कि उन दरारों मे जीभ लगाकर उस झरने का सारा पानी पी जाउ…

दीदी ने अपने सिर पर शेंपू लगाया और पूरा बाथरूम जेस्मीन की महक से नहा उठा… चेहरे और बदन पर पूरी झाग ने कब्जा कर लिया… और फिर शावर के नीचे खड़े होकर वो शॅंपू की झाग को निकालने लगी… और धीरे-2 घूमकर उन्होने मेरी तरफ मुँह कर लिया
ये नज़ारा तो पिछवाड़े से भी ज़्यादा ख़तरनाक था… पहले तो हल्की झाग ने उनके बूब्स और पुसी को कवर कर रखा था पर जैसे-2 पानी पड़ रहा था वो जगह निखरकर सामने आ रही थी… और कुछ ही पलों मे उनका पूरा जिस्म दमकने लगा… और मैने दीदी के बूब्स देख ही लिए…

एकदम मध्यम आकार के थे वो, करीब 34 साइज़ के, एकदम कठोर, लाल निप्पल्स लगे थे उनपर.. और उनकी पुसी तो मैने कल सुबह ही देख ली थी पर फिर भी एक बार फिर से उसे देख कर एक अजीब सी गुदगुदी हो रही थी मेरे लंड मे…

एकदम कसी हुई थी उनकी पुसी, हल्के बाल थे, देखने मे इतनी टाइट थी कि ऐसा लग रहा था कि उसमे एक उंगली का भी घुसना संभव नही होगा..

मैं उनके नंगे बदन की सुंदरता को निहार ही रहा था कि अचानक उन्होने आँखे खोल दी और मुझे सामने खड़े देख कर बोखलाते हुए वो ज़ोर से चीखी

“राज तू…..तू यहाँ क्या कर रहा है…”

इतना कहते हुए उन्होने एक हाथ अपने बूब्स पर और दूसरे को अपनी चूत पर रखकर उसे ढक लिया…

और लगभग तभी मैने वो बोलकर उन्हे चुप करा दिया जिसे इस्तेमाल करके वो पिछली 2 बार से मुझे सता रही थी.

स्टाचु

मेरे मुँह से स्टाचु सुनते ही वो शावर के नीचे फ्रीज़ होकर खड़ी रह गयी..

उनके चेहरे पर आए हैरानी के भाव बता रहे थे कि उन्होने ये एक्सपेक्ट ही नही किया था मुझसे…

पर ये तो टिट फॉर टॅट हो रहा था

उन्होने जिस तरह मुझे कल मूठ मारते हुए स्टाचु बोलकर ना हिलने पर मजबूर कर दिया था उसी तरह से मैने भी उन्हे नहाते देख कर ये तरीका अपनाया था.

मैने सबसे पहले तो आगे बढ़ कर शावर बंद कर दिया ताकि उन्हे ज़्यादा परेशानी ना हो.. और उसके बाद जब पानी की सारी बूँदो ने उनके जिस्म का साथ छोड़ दिया तो नीचे का नंगा बदन उजागर होकर सामने आ गया…

अब मैं उन्हे काफ़ी गोर से देख रहा था…

उनके जिस्म के रोँये खड़े हो चुके थे, जो इस बात को दर्शा रहे थे कि वो पूरी तरह से उत्तेजित है.

मैने उनकी आँखो मे देखा, जो विनती कर रही थी कि उनकी इस मजबूरी का फ़ायदा ना उठाए..

मैने कहा : “दीदी , इस गेम को यहाँ तक लाने मे आपका ही हाथ है… अदरवाइज़ मैं तो सपने मे भी ये गुस्ताख़ी नही करता…”

इतना कह कर मैने उनके कूल्हे पर हाथ रख दिया..

ऐसा करने की हिम्मत मुझमे कहाँ से आई ये मैं आज तक नही जान पाया…

पर मज़ा बहुत आया…

इतने मुलायम, गद्देदार और कठोर कूल्हे पकड़ कर मेरे लंड का पारा फिर से चढ़ने लगा
हालाँकि मैं अभी कुछ देर पहले ही झडा था पर फिर भी वो बैठने का नाम नही ले रहा था, नज़ारा ही इतना सेक्सी था.

मैने पायल दीदी के दोनो हाथ नीचे कर दिए, वो तो बुत बनकर खड़ी रही जैसे उनमे कोई जान ही ना हो..
और हाथ नीचे होते ही उनके बूब्स एक बार फिर से मेरे सामने आ गये…

उनके उठते-गिरते सीने को देख कर उनके अंदर चल रही उथल-पुथल का सॉफ पता लगाया जा सकता था..

और फिर मैने नीचे झुक कर उनके बूब्स को चूम लिया..

उनके मुँह से ना चाहते हुए भी एक जोरदार सिसकारी निकल गयी

”आआआहह उम्म्म्ममम विक्ककीईईईईईई”

मुझे तो ऐसा लग रहा था जैसे माँस से बना कोई पिल्लो मैने अपने होंठों से लगा लिया है…
मैने उसे दांतो से काटा तो और भी ज़्यादा मज़ा आया..
और शायद मुझसे ज़्यादा मज़ा उन्हे आ रहा था क्योंकि उनकी सिसकारियाँ तेज होती जा रही थी..

मैने अब उन्हे इतनी छूट दे दी थी कि इस गेम मे वो सिसकारियाँ मार सकती है..

और फिर धीरे-2 उनके बूब्स को अच्छी तरह चूसने के बाद मैने उनके निप्पल को मुँह मे भर लिया…

ये वो मौका था जब उनकी सिसकारी अब तक की सिसकारियो मे सबसे तेज थी.

”अहह उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़… म्म्म्मममम”

मैं खुद सातवे आसमान पर पहुँच गया… ऐसा लग रहा था जैसे कोई रसीला फ्रूट चूस रहा हूँ मैं अंदर से रस निकले ही जा रहा था… रुकने का नाम ही नही ले रहा था.

और एक के बाद दूसरा फल चूसने के लिए जब मैने दूसरे बूब की तरफ मुँह बढ़ाया तो मैने महसूस किया कि उन्होने खुद ही अपना वो स्तन मेरी तरफ कर दिया है… यानी वो भी पूरी तरह से एंजाय कर रही थी.

मैने मस्ती मे भरकर उनके दूसरे बूब को भी उसी तरह से चूसा जैसे पहले को चूसा था.. अब तो पायल दीदी का शरीर फड़फड़ाने सा लगा… उनके अंदर की उत्तेजना उबल्कर बाहर आ रही थी…

फिर मैने सोचा कि देखा जाए कि ये उत्तेजना उनसे क्या करवाती है

उन्हे यहाँ से भागने पर मजबूर करती है या यही रुक कर मज़े दिल्वाति है…

मैने धीरे से उनके गालो को चूमते हुए कहा रिलीस

और मेरे इतना कहने की देर थी कि उन्होने मुझे बुरी तरह से पकड़ कर मुझे चूमना शुरू कर दिया..

यानी जो आग मैने लगाई थी वो पूरी तरह से भड़क कर बाहर आ चुकी थी…

उन्होने अपने गीले और रसीले होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और मुझे अपनी जवानी का रस पिलाने लगी..

और साथ ही साथ वो बुदबुदा भी रही थी..

”ओह्ह्ह राज…… अहह…. सककककक इट बैबी…… एसस्स्स्स्स्सस्स सकककक इट…… उम्म्म्मम”

मेरे हाथ पकड़ कर उन्होने खुद ही अपने बूब्स पर रख दिए और उन्हे दबाने लगी जैसे अपनी कोई पीड़ा कम करवा रही हो…

मेरी हथेलियो के नीचे दबकर उनके बूब्स पिस कर रह गये थे पर उसमे भी उन्हे बड़ा मज़ा मिल रहा था..

फिर दीदी ने मेरे सिर को पकड़ कर अपने बूब्स पर रख दिया और मैं एक बार फिर से उनके निप्पल्स को मुँह मे लेकर उनकी सेवा करने लगा..
ऐसा शायद और भी काफ़ी देर तक चलता रहता और शायद बहुत कुछ और भी हो जाता अगर नीचे के दरवाजे की बेल ना बजी होती…



हम दोनो ने एक दूसरे को देखा, कोई बाहर के दरवाजे की बेल लगातार बजाए जा रहा था.. और दोनो के मन का चोर एक साथ बोल पड़ा कि कहीं ये मम्मी तो नही है जो घर वापिस आ गयी है…



दीदी तो नंगी थी, मेरे कपड़े भी थोड़े बहुत गीले हो गये थे उनके पानी से भीगे बदन को बाहों मे लेने की वजह से…



पर फिर भी बाहर जाया जा सकता था… मैने अपना हुलिया ठीक किया और दरवाजा खोने भागा..



पर मन ही मन मेरी हालत खराब हो रही थी.



दरवाजा खोला तो मैं हेरान रह गया, सामने मेरी मौसी की लड़की काजल और उसका भाई जय खड़े थे.. मैं उन्हे देख कर जितना हैरान था उतना ही खुश भी था..



मेरी मौसी आगरा मे रहती है और उनके दोनो बच्चे लगभग हमारी ही उमर के है.. अक्सर छुट्टियों मे हम एक दूसरे के घर पर जाया करते थे, इन दोनो से मिलने के लिए तो मैं हमेशा तैयार रहता था.
 
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Sammysam1292

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उन्हे गले से लगाकर, हाथ मिलाकर अंदर बिठाया मैने, तब तक पायल दीदी भी कपड़े पहन कर नीचे आ गयी, और मेरी तरह वो भी उन्हे देख कर हैरान रह गयी.. पर साथ ही साथ खुश भी काफ़ी हुई.



तब उन दोनो ने बताया कि यहाँ आने के प्रोग्राम के बारे मे हमारी मोम को ऑलरेडी पता था, ये तो बस काजल और जय हम दोनो को सर्प्राइज़ देना चाहते थे, इसलिए हमे नही बताया गया था इस बारे मे.. पर उन दोनो से मिलकर काफ़ी अच्छा लगा.. अब वो अगले 1 हफ्ते के लिए यहीं रहने वाले थे.



मैने पायल दीदी की तरफ देखा, खुश तो वो भी थी उनके आने से पर इस वक़्त उन्होने आकर जिस तरह से हम दोनो को डिस्टर्ब किया था, उसका गुस्सा भी उनके चेहरे पर सॉफ देखा जा सकता था.



पर पायल दीदी समझदार थी, वो जान चुकी थी कि जहाँ तक हम दोनो इस गेम के ज़रिए निकल आए है, वहाँ से सिर्फ़ आगे जाया जा सकता है, पीछे नही और एक ही घर मे रहने की वजह से ऐसे कई मोके और मिलेंगे जिसमे हम दोनो भाई बहेन ऐसी मस्तियाँ जारी रख सकते है.



अब मैं आपको काजल के बारे मे बता देता हूँ, वो मुझसे 2 महीने छोटी है, और मैं उसे अपनी छोटी बहेन की तरह ही मानता था.. मानता था मैने इसलिए कहा क्योंकि वो 2 साल पहले तक छोटी ही लगती थी. बाल बिखरे हुए से, चेहरे पर कोई रोनक नही होती थी.. बात-2 पर लड़ती झगड़ती रहती थी.. देखने मे वो थोड़ी काली थी और बॉडी बिल्कुल फ्लॅट थी उसकी..



पर पिछले साल जब मैं मौसी के घर रहने गया था तो उसका बदला हुआ रूप देख कर मैं हैरान रह गया था, वो भी 12थ मे आ चुकी थी और उसके पहनावे मे तो ज़मीन आसमान का अंतर आ चुका था…



हमेशा वेस्टर्न कपड़े पहनती थी वो जिनमे उसके शरीर के कटाव सॉफ नज़र आते थे और तभी मुझे पता चला था कि उसके बदन मे कहाँ-2 और कैसे-2 बदलाव आ चुके है… उसकी छातियाँ निकल आई थी जो करीब 32 के साइज़ की थी… गान्ड वाला हिस्सा भी उभरकर उतना ही बाहर आ चुका था जितनी छातिया बाहर थी..



उपर से उसकी अदाए, उसका चलने का तरीका और बोलने का अंदाज, सब बदल चुका था… उसकी सेक्सी आँखो मे एक अलग ही शरारत झलकने लगी थी… और उस शरारत को महसूस करके कई बार मेरा मन उसके लिए बेईमान हुआ था… और तभी से मैं उसके बारे मे गंदा सोचने लगा था और तभी से मैं उसे अपनी बहेन की तरह नही बल्कि एक कच्ची कली की तरह देखने लगा जो कभी भी फूल बन सकती थी.



वहीं जय, दीदी से 2 साल बड़ा था, वो कॉलेज के 2न्ड एअर मे था, उसकी और दीदी की हमेशा लड़ाई हुआ करती थी, पर पिछले 1-2 सालो मे काफ़ी कुछ बदल चुका था, शायद उनकी लड़ाई भी ख़त्म हो चुकी थी.



शाम को जब मोम आई तो सभी ने मिल जुलकर धमाल किया… पापा हम सभी को एक अच्छे से रेस्टोरेंट मे ले गये.. मैने नोट किया कि जय की नज़रें दीदी के उपर ही थी, शायद वो भी उनके शरीर मे आए बदलाव को देख कर हैरान था.. हालाँकि दीदी को इस बात का इल्म नही था कि जय उन्हे घूर रहा है, वो तो मुझे ही देखने मे लगी हुई थी… जबकि मैं काजल को ताड़ रहा था..



मेरे मन मे ये विचार भी आया की काश ऐसा हो जाए कि हम सभी भाई बहेन आपस मे एक दूसरे के साथ मज़े कर सके… जय मेरी दीदी के साथ और मैं जय की बहेन यानी काजल के साथ…



पर ये सोचने मे ही इतना अटपटा लग रहा था कि करने मे कैसा लगेगा वो… खैर ये तो मेरे दिमाग़ मे चल रहे गंदे ख़याल थे, जो सच होंगे या नही इसका कोई अता-पता नही था..



पर एक बात तो पक्की थी, काजल के दिल मे ज़रूर कुछ चल रहा था मेरे लिए.. इसलिए जब भी हम दोनो की नज़रें आपस मे मिलती तो वो मुस्कुरा देती.. और एक लड़का होने की वजह से मुझे पता था कि ऐसी मुस्कुराहट का मतलब क्या होता है… उसकी आँखो की चमक भी एक अलग ही इशारा कर रही थी, एक बार तो उसने मुझे आँख भी मारी.. और उसी वक़्त मैने निश्चय कर लिया कि मैं उसपर भी हाथ आजमा कर ही रहूँगा..



इस बीच मैं थोड़ी देर के लिए भूल चुका था कि मेरा और पायल दीदी का खेल अधूरा सा रह गया है, जिसकी मुझसे ज़्यादा उन्हे चिंता थी शायद.

रात को जल्दी सोने का कोई मतलब नही था, छुट्टियां जो चल रही थी, इसलिए हम चारो ड्रॉयिंग रूम मे बैठकर मूवी देखने लगे..


जय अपने साथ पेन ड्राइव मे हॉरर मूवी कॉंज्रिंग 2 लेकर आया था, और पायल दीदी को हमेशा से ही हॉरर मूवीस पसंद थी, इसलिए सभी देखने बैठ गये..
 

Sammysam1292

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पायल दीदी और जय भैया मेरे दाँये-बाँये के सिंगल सोफे पर और काजल मेरे साथ लंबे सोफे पर आकर बैठ गयी, मूवी शुरू हुई तो सभी उसमे खो से गये, एक के बाद एक डरावने सीन को देख कर सभी की हालत खराब हो रही थी.

अचानक काजल ने मेरे बाजू मे अपनी बाहे फसा दी और खिसक कर मेरे करीब आ गयी और धीरे से बोली – “ये तो बड़ी डरावनी मूवी है… मुझे तो डर लग रहा है…”

उसकी बात सुनकर दूर बैठा जय बोला : “तुझे बोला था ना कि तू मत देख, बेकार मे डरेगी…” और फिर सभी मूवी देखने मे व्यस्त हो गये…

सिर्फ़ मुझे छोड़कर क्योंकि काजल के इतने करीब आने की वजह से उसके नन्हे स्तन मेरी बाजू से टकरा कर मुझे एक अलग ही आनंद प्रदान कर रहे थे, उसकी नरम चुचियाँ रूई के गोले की तरह मेरी बाहों पर रगड़ खा रही थी. मेरा लंड धीरे-2 खड़ा होने लगा..

अचानक एक सीन आया जिसमे दरवाजा खुलते ही कुछ उपर गिरता है हीरो के, और वो देख कर काजल के मुँह से जोरदार चीख निकल गयी… मैने हंसते हुए उसके सिर पर थपकी देते हुए कहा : “काजल, तू एक काम कर, डर लग रहा है तो उपर चली जा, वरना यहीं सो जा..”

उपर जाने का तो सवाल ही नही था, डरावनी मूवी देख कर अकेले मे वो कैसे सो पाएगी. इसलिए वो वही लेट गयी, सिर को उसने मेरी गोद मे रखा और मेरे पेट की तरफ मुँह करके आँखे बंद करके सो गयी..

जय भी बोला : “हां, ये सही किया तूने, वरना पूरी रात जागना पड़ता तुझे सुलाने के लिए…”

जय और पायल दीदी तो दोबारा मूवी देखने मे मस्त हो गये पर मेरी हालत खराब थी, कारण था मेरा खड़ा हुआ लंड, जो पिछले 10 मिनट से खड़ा होकर स्टील का डंडा बन चुका था और उसी के बिल्कुल करीब आकर काजल ने अपना मुँह लगा दिया था… और वो इतना करीब था कि उसकी गरम साँसे मैं अपने लंड पर सॉफ महसूस कर पा रहा था, सिर्फ़ 1-2 कपड़े थे बीच मे.. और कुछ नही…

सबकी मूवी देख कर और मेरी काजल को देख कर हालत खराब हो रही थी.. सब सोच रहे थे कि वो सो गयी है पर सिर्फ़ मैं ही जानता था कि वो जाग रही है..

क्योंकि उसने अपने हाथ से मेरी जाँघ वाले हिस्से को सहलाना शुरू कर दिया था… पता नही क्यो पर वो उसे लगातार सहलाए जा रही थी अपने नखुनो से… मुझे मज़ा तो बहुत आ रहा था ऐसे सेनुयल टच से पर मेरी फट भी रही थी क्योंकि जय भैया वही बैठे थे..

फिर कुछ देर बाद मैने भी हिम्मत करके अपना एक हाथ उसकी जाँघ पर रख दिया और उसे भी ठीक वैसे ही सहलाने लगा जैसे वो सहला रही थी. मेरे हाथो को महसूस करके वो मुस्कुरा उठी और धीरे-2 वो अपनी उंगलियो को और उपर लाने लगी.. मेरे लंड की तरफ.

मेरे हाथ भी उसी के अनुसार उसकी जाँघ से खिसकते हुए उसकी चूत की तरफ जाने लगे… मैं उसके चेहरे को देखे जा रहा था ताकि मुझे ये पता चल सके कि वो अब भी मेरी हरकतों को एंजाय कर रही है या नही…

उसके चेहरे से तो नही पर उसकी तेज हो चुकी सांसो को अपने लंड पर महसूस करके मुझे पता चल रहा था कि उसकी हालत भी मेरी तरह ही है… उसकी नन्ही छातियाँ उपर नीचे हो रही थी, उत्तेजित हो चुकी थी वो भी..

पर यहाँ हम कर भी क्या सकते थे, मेरी बहेन थी वहाँ, काजल का भाई भी वही था.. ऐसे मे कुछ करने का तो सवाल ही नही पैदा होता था.. पर एक बात तो तय थी कि काजल की जवानी भी लहरे मार रही है… और उसे अपनी बोतल मे उतारना मुश्किल नही होगा..
पायल दीदी तो पहले ही स्टाचु की गेम के ज़रिए मेरे करीब आ चुकी थी और अब ये काजल भी आने को तैयार थी.. मुझे बस हर दाँव सोच समझ कर चलना होगा ताकि किसी को कानो कान खबर ना हो कि हमारे बीच क्या चल रहा है..







पर शायद ये मेरी ग़लत फहमी थी कि काजल और मेरे बीच जो चल रहा था वो कोई समझ नही पा रहा था..



पायल दीदी को सब पता चल चुका था कि काजल सोने का नाटक कर रही है, क्योंकि उन्होने मेरे हाथ को उसकी चूत की तरफ जाते हुए देख लिया था और काजल के कसमसाते हुए जिस्म पर भी उनकी पेनी नज़र थी.



पर वो कुछ बोली नही, शायद भरी महफ़िल मे वो मुझे रुसवा नही करना चाहती थी..



काजल का चेहरा मेरे लंड से सिर्फ़ एक इंच की दूरी पर था, मैं तो सोच रहा था कि काश मैं इस वक़्त नंगा बैठा होता तो एक झटके मे अपने लंड को उसके मुँह मे ठूंस देता..



और आप यकीन मानो दोस्तो, मैं ये सोच ही रहा था और काजल ने जैसे मेरे मन की बात जान ली, उसने अपना मुँह खोला और कपड़े समेट मेरे लंड के निचले हिस्से को मुँह मे भरकर काट लिया.. दर्द सा हुआ, शरीर अकड़ भी गया, पर मुँह से कुछ निकाल नही पाया..
जय भैया का डर था.. पर काजल की हिम्मत की दाद देनी पड़ी मुझे..



फिर वो मेरे लंड को पजामे के उपर से ही ऐसे चूसने लगी जैसे इंग्लीश मूवीस मे दिखाते है और वो देख कर एक बात तो पक्की थी कि वो ये काम पहले भी कर चुकी है..



मैने जय की तरफ देखा, वो पूरी तरह से मूवी मे डूबकर उसे एंजाय कर रहा था.. पर जैसे ही मेरी नज़र पायल दीदी की तरफ गयी तो उन्हे अपनी तरफ ही घूरते हुए पाया..



उनकी नज़रें कभी मेरे चेहरे को और कभी काजल की जाँघो के बीच फँसे मेरे हाथ को देख रही थी, मतलब सॉफ था कि वो जान चुकी थी की मैं क्या हरकत कर रहा हूँ और उनकी आँखो मे जैसे यही सवाल था कि ‘ये क्या हो रहा है ?’



मैं घबरा गया, और मैने अपना हाथ वापिस खींच लिया.. काजल भी मेरे हाथ के हटने से सहम सी गयी, उसे लगा कि ज़रूर कोई देख रहा है, इसलिए उसने भी अपने मुँह से मेरे खूँटे जैसे लंड को बाहर निकाल दिया..



कुछ देर बाद वो जमहाई लेती हुई उठी और सभी को देख कर बोली : “आप लोग अभी तक मूवी देख रहे हो… मुझे तो पता ही नही चला कि मैं कब सो गयी…”



जय ने कुछ ध्यान नही दिया उसकी बात का, पर पायल दीदी बोली : “भाई की गोद मे सोने को मिलेगा तो गहरी नींद तो आएगी ही ना…”



बेचारी काजल कुछ ना बोल पाई.. मैने भी नज़रें घुमा ली…



मुझे पता नही चल पा रहा था कि दीदी को इस बात का बुरा लगा है कि मैं काजल के साथ भी वैसा खेल खेल रहा हूँ जैसा कि उनके साथ या फिर इस बात का बुरा लगा है कि उन्हे जलता हुआ छोड़कर मैं अपनी ही मस्ती मे लगा हुआ हूँ..



पर जो भी था, उन्हे गुस्सा तो आ ही रहा था.



कुछ ही देर मे मूवी ख़तम हो गयी और पायल दीदी के साथ काजल उनके रूम मे सोने चली गयी, जय भैया मेरे रूम मे आ गये और हम दोनो सो गये.



मैं काफ़ी देर तक पायल दीदी के गुस्से के बारे मे ही सोचता रहा, और आख़िर मे जाकर मैं इसी निसकर्ष पर निकला कि दीदी को इस बात का ही गुस्सा है कि मैं उन्हे अब अटेन्षन नही दे रहा और काजल के साथ लग गया हूँ.. इसलिए पहले मुझे दीदी को ही सॅटिस्फाइ करना पड़ेगा, वरना काजल के साथ कुछ करना तो पासिबल ही नही हो सकेगा..



मैने जय भैया के सो जाने का इंतजार किया, कुछ ही देर मे, थकान की वजह से उन्हे गहरी नींद आ गयी और मैं चुपचाप अपने रूम मे निकल कर दीदी के रूम की तरफ चल दिया.. वहाँ जाते हुए मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था कि कहीं किसी ने देख लिया तो मेरा क्या हाल होगा..



मैं धीरे से रूम मे घुसा, अंदर ज़ीरो वॉट का बल्ब जल रहा था, दीदी अपने मोबाइल मे कुछ चेक कर रही थी और उनकी बगल मे काजल बेसूध होकर खर्राटे मारती हुई सो रही थी..



दीदी की पीठ मेरी तरफ थी, मैने दरवाजे की चिटकनी बंद की और दबे पाँव उनके बेड तक गया और उनके पीछे जाकर लेट गया, उन्हे जैसे ही ये एहसास हुआ कि कोई उनके बेड पर आकर लेटा है तो वो घबरा गयी और जैसे ही वो चिल्लाने लगी मैने उनके मुँह पर हाथ रख दिया और उनसे लिपट कर बोला ”दीदी, मैं हूँ… राज…”



वो तो हैरान रह गयी मेरी ये हिम्मत देख कर, और फटी हुई आँखो से मुझे देखती हुई वो मेरी तरफ पलट गयी… और फुसफुसा कर बोली : “राज, तू… यहाँ क्या कर रहा है… कोई देख लेगा तो… जय भैया कहाँ है…”


मैं : “दीदी, वो भी काजल की तरह खर्राटे मारकर सो रहे है, 6 घंटे का सफ़र करके आए है दोनो, अब सुबह से पहले नही उठने वाले… और मैने ये दरवाजा भी अंदर से बंद कर दिया है, सो डॉन’ट वरी…”
पायल दीदी ने प्यारा सा मुँह बना लिया और बोली : “वैसे अब क्या करने आया है यहाँ, ऐसी क्या मजबूरी पड़ गयी जो इतनी रात को मेरे पास आ गया…”

मैने प्यार भरी आवाज़ मे कहा : “दीदी, मुझे लगा कि शायद आप मुझसे नाराज़ हो गयी हो… इसलिए सोचा कि…”

पायल : “क्या सोचा ? बोल…. बोल ना…”

मैं : “आप सब जानती हो दीदी… मुझसे क्यो बुलवा रही हो…”

पायल : “वो इसलिए कि मैं देख रही हूँ कि एक ही दिन मे तेरे दोनो हाथ मे लड्डू आ गये है और तुझे पता नही है कि पहले कॉन्सा लड्डू खाना चाहिए था…”

मैं : “इसी लिए तो मैं इस वक़्त यहाँ आया हूँ दीदी…”

पायल (आँखे नचाते हुए) : “लड्डू खाने …”

मैं : “हां… और खिलाने भी…”

इतना कहते हुए मैने उनका हाथ पकड़ कर अपने लंड के नीचे लटक रही गोटियों पर रख दिया और मैने उनके बूब्स पर पंजा जमाकर उन्हे दबोच लिया…

ये सब इतनी जल्दी हुआ कि उन्हे भी यकीन नही हुआ कि मैने इतनी हिम्मत अपनी तरफ से दिखा दी है…

पर वो सिसक ज़रूर उठी अपने कबूतरों को मेरे हाथों मे महसूस करके.. और मैं भी जन्नत मे पहुँच गया उनके नर्म और मुलायम मम्मों को पकड़ कर..

पर उनके दिमाग़ मे शायद मुझसे बदला लेने का विचार आ चुका था, क्योंकि मैने उन्हे अनदेखा करके जो काजल के साथ किया था वो उन्हे बिल्कुल भी पसंद नही आया था… और इसलिए जैसे ही मैने उनके रसीले होंठों को किस करना चाहा वो धीरे से मेरे कान मे बोली स्टाचु!!!

मैं तो झल्ला सा गया इस बात पर.. भला ऐसी सिचुयेशन मे ये बोलने का मतलब ही क्या था.. ये भी कोई खेल खेलने का वक़्त है… पर मैं समझ तो चुका ही था कि दीदी ये सब किसलिए कर रही है…
 
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Sammysam1292

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इसलिए मैं बुत सा बनकर लेटा रहा.. मेरा एक हाथ अभी भी उनके मम्मे पर था..

वो बोली : “अब बताती हूँ बच्चू, मुझे सताने का क्या अंजाम होता है…”

इतना कहते हुए उन्होने बड़ी ही बेबाकी से अपनी टी-शर्ट को उतार दिया.. त-शर्ट उतारने से पहले उन्होने मेरा हाथ नीचे कर दिया था.. अंदर उन्होने कुछ भी नही पहना हुआ था.. और अब वो मेरे सामने उपर से नंगी होकर लेटी थी…

मेरे चेहरे के ठीक सामने उनके मोटे मम्मे थे, इतने मोटे… इतने गोल… और उपर ब्राउन रंग का निपल उसकी शोभा बढ़ा रहा था… मेरे तो मुँह मे पानी आ गया और मन किया कि उसे दबोच कर पी जाउ..

पर ऐसा हो नही सकता था.. मैं स्टाचु बन चुका था.. और अपनी तरफ से मैं इस खेल के नियम कभी तोड़ना नही चाहता था…

वो मेरे सकपकाए चेहरे को देख कर मुस्कुरा रही थी.. सॉफ जाहिर था कि वो मेरी इस सिचुयेशन का मज़ा ले रही है.. वो मुझे ललचा रही थी, अपने योवन को दिखा कर.. उसकी जल रही आग मे झुलसा कर..

पायल : “अब बोलो, कॉन्सा लड्डू ज़्यादा पसंद है तुम्हे.. मेरा या उसका…”

उन्होने साथ सो रही काजल की तरफ इशारा किया
मेरी आँखे कभी उनके और कभी काजल के मम्मों का अवलोकन करने लगी..

वो बोली : “इट्स ओके… तुम स्टाचु की पोज़िशन मे हिल तो नही सकते पर बोल सकते हो… बोलो…”

मुझे थोड़ी राहत मिली..

मैं बोला : “दी… आपके ही सही लग रहे है अभी तो…”

वो तुनक सी गयी मेरा जवाब सुनकर , और बोली : “अभी तो से क्या मतलब है… मेरे ही अच्छे है… उसके तो छोटे है… देख ले..”

उसने टी-शर्ट के उपर से ही काजल के मम्मों को उभार कर उपर कर दिया.. मेरी तो फट कर हाथ मे आ गयी, ऐसे मे अगर काजल जाग गयी तो उसने सब देख लेना था, मैं दीदी के उपर ही लेटा सा हुआ था और वो इस वक़्त टॉपलेस थी, हम दोनो को ऐसी हालत मे देख कर अगर उन्होने शोर मचा दिया तो सारा खेल खराब हो जाएगा…

पर ऐसा हुआ नही, वो अभी भी गहरी नींद मे थी, उसे तो कोई फ़र्क ही नही पड़ा दीदी के हाथ लगाने से, उसके खर्राटे पहले की तरह निकलते रहे..

मैने एक बार और चैन की साँस ली..

और बोला : “दीदी… ऐसा मत करो.. वो जाग गयी तो सब गड़बड़ हो जाएगा…”

पायल : “वो नही जागेगी, मुझे पता है कि वो कितनी गहरी नींद मे सोती है.. इसके सारे कपड़े भी उतार दे तो भी ये ऐसे ही सोती रहेगी…”

मैं : “सच मे…”

पायल : “और नही तो क्या… देखना चाहता है… रुक…”

इतना कह कर उन्होने पहले तो मुझे रिलीस कहा, ताकि मैं स्टाचु की पोज़िशन से बाहर निकल आउ और फिर धीरे से उन्होने काजल की टी शर्ट को उपर करना शुरू कर दिया.. पूरी उतारना तो मुश्किल था पर उन्होने उसे उपर लेजाकर उसकी छातियो से उपर ज़रूर कर दिया…

नीचे उसने ब्लॅक कलर की एक ब्रा पहनी हुई थी.. दीदी ने उसकी ब्रा का कप्स को नीचे कर दिया और उसकी नन्ही बूबीयाँ बाहर खींच कर निकाल दी…

एक तो पहले ही दीदी अपनी छातियों का जलवा दिखाकर मुझे ललचा रही थी और अब काजल को भी उन्होने अपने जैसा टॉपलेस बनाकर मेरी हालत पतली करने मे कोई कसर नही छोड़ी थी..

अब आप ही बताओ दोस्तो, जिसने आज तक कोई नंगी लड़की ना देखी हो, उसे एक ही दिन मे 2-2 नंगी लड़कियाँ देखने को मिल जाए, उसका क्या हाल होगा… और उपर से वो दोनो उसकी सेक्सी बहने हो…

बस वही हाल मेरा हो रहा था… समझ नही आ रहा था कि किसकी छातियो पर नज़र जमा कर रखूं.. दीदी की ब्रेस्ट थोड़ी बड़ी थी, पर काजल की एकदम कड़क और अन्छुई सी थी.. उसके निप्पल्स बहुत लंबे थे, सोए होने के बावजूद वो दीदी के निपल्स से बड़े लग रहे थे, उन्हे चूसने मे कितना मज़ा आएगा, ये बस मैं ही जानता था…

पायल : “अब बोलो … किसके बढ़िया है…”

अब मैं इस अवस्था मे भला क्या बोलता.. काजल के बूब्स की तारीफ करने का मतलब था कि दीदी को एक बार फिर से नाराज़ करना.. इसलिए मैने कहा : “दीदी.. आपके… इनसे अच्छे बूब्स किसी के हो ही नही सकते…”

ये सुनकर दीदी मुस्कुरा दी… उनके चेहरे पर एक अभिमान सा आ गया.. जैसे कोई जंग जीत ली हो उन्होने…

और अब मैं अच्छी तरह से जान चुका था कि दीदी को इसी तरह मक्खन लगा कर अपना काम निकलवाया जा सकता है… और इस काम मे तो मैं माहिर था..

आज की रात मुझे इसी बात का ध्यान रख कर उनके साथ पूरी तरह से मज़े लेने थे और मैं झुलस भी रहा था, इतना कि मेरे लंड का बुरा हाल हो रहा था, उसमे दर्द होने लगा, ऐसा लग रहा था जैसे वो फट ही जाएगा..



मेरी मनोदशा शायद वो समझ चुकी थी, इसलिए उनके हाथ सीधा मेरे पाजामे के उपर आकर मेरे लंड को टटोलने लगे.. वो तो पहले से ही उनके हाथो मे जाने के लिए कुलबुला रहा था, उन्होने एक ही झटके मे मेरे पाजामे को नीचे किया और उसे आज़ाद करा लिया.

पिछली बार की तरह आज भी जैसे ही उन्होने मेरे लंड को अपनी नर्म हथेली मे पकड़ कर ज़ोर से मसला, मेरे मुँह से एक जोरदार सिसकारी निकल गयी.

”अहह डीईईईईईई.. आप इसको धीरे पकड़ा करो.. नाआ.. अहह’

पर उन्हे शायद मेरे दर्द को देख कर कुछ अलग ही मज़ा मिलता था, वो मुस्कुरा दी, मैं समझ गया कि शेतानी प्रवृति की इंसान है वो.. मैं भी कम नही था, मैं भी उनके नंगे स्तनों पर टूट पड़ा और अपने पैने दांतो से उनके निपल्स को काट डाला…

वो तड़प उठी.. और अपना शरीर उन्होने कमान की भाँति हवा मे उठा लिया, मेरा खड़ा हुआ लंड बुरी तरह से उनकी चूत वाले हिस्से पर घिस्से लगा रहा था.

एक बार फिर से दीदी के पाजामे ने उन्हे चुदने से बचा लिया वरना इस वक़्त मेरा खड़ा हुआ लंड सीधा उनकी चूत मे उतर गया होता..
दीदी की चूत मे लंड घुसने की कल्पना मात्र से मैं सिहर उठा… काश ऐसा हो जाए कभी… पर अपनी ठरक को मैं खुद दिखाकर वो गंदा काम नही करना चाहता था, क्या पता दीदी सिर्फ़ उपर के मज़े लेना चाहती हो, चुदाई करने की बात बोलकर मैं उनके सामने कोई गुस्ताख़ी नही करना चाहता था, पता चले कि ये जो मिल रहा है वो भी हाथ से निकल जाए…

इसलिए उस बात की फिकर छोड़कर मैं उन्हे चूमने मे लग गया… इनकी नारंगियो मे काफ़ी माल भरा हुआ था, जिसे मसल्
 
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