पायल दीदी और जय भैया मेरे दाँये-बाँये के सिंगल सोफे पर और काजल मेरे साथ लंबे सोफे पर आकर बैठ गयी, मूवी शुरू हुई तो सभी उसमे खो से गये, एक के बाद एक डरावने सीन को देख कर सभी की हालत खराब हो रही थी.
अचानक काजल ने मेरे बाजू मे अपनी बाहे फसा दी और खिसक कर मेरे करीब आ गयी और धीरे से बोली – “ये तो बड़ी डरावनी मूवी है… मुझे तो डर लग रहा है…”
उसकी बात सुनकर दूर बैठा जय बोला : “तुझे बोला था ना कि तू मत देख, बेकार मे डरेगी…” और फिर सभी मूवी देखने मे व्यस्त हो गये…
सिर्फ़ मुझे छोड़कर क्योंकि काजल के इतने करीब आने की वजह से उसके नन्हे स्तन मेरी बाजू से टकरा कर मुझे एक अलग ही आनंद प्रदान कर रहे थे, उसकी नरम चुचियाँ रूई के गोले की तरह मेरी बाहों पर रगड़ खा रही थी. मेरा लंड धीरे-2 खड़ा होने लगा..
अचानक एक सीन आया जिसमे दरवाजा खुलते ही कुछ उपर गिरता है हीरो के, और वो देख कर काजल के मुँह से जोरदार चीख निकल गयी… मैने हंसते हुए उसके सिर पर थपकी देते हुए कहा : “काजल, तू एक काम कर, डर लग रहा है तो उपर चली जा, वरना यहीं सो जा..”
उपर जाने का तो सवाल ही नही था, डरावनी मूवी देख कर अकेले मे वो कैसे सो पाएगी. इसलिए वो वही लेट गयी, सिर को उसने मेरी गोद मे रखा और मेरे पेट की तरफ मुँह करके आँखे बंद करके सो गयी..
जय भी बोला : “हां, ये सही किया तूने, वरना पूरी रात जागना पड़ता तुझे सुलाने के लिए…”
जय और पायल दीदी तो दोबारा मूवी देखने मे मस्त हो गये पर मेरी हालत खराब थी, कारण था मेरा खड़ा हुआ लंड, जो पिछले 10 मिनट से खड़ा होकर स्टील का डंडा बन चुका था और उसी के बिल्कुल करीब आकर काजल ने अपना मुँह लगा दिया था… और वो इतना करीब था कि उसकी गरम साँसे मैं अपने लंड पर सॉफ महसूस कर पा रहा था, सिर्फ़ 1-2 कपड़े थे बीच मे.. और कुछ नही…
सबकी मूवी देख कर और मेरी काजल को देख कर हालत खराब हो रही थी.. सब सोच रहे थे कि वो सो गयी है पर सिर्फ़ मैं ही जानता था कि वो जाग रही है..
क्योंकि उसने अपने हाथ से मेरी जाँघ वाले हिस्से को सहलाना शुरू कर दिया था… पता नही क्यो पर वो उसे लगातार सहलाए जा रही थी अपने नखुनो से… मुझे मज़ा तो बहुत आ रहा था ऐसे सेनुयल टच से पर मेरी फट भी रही थी क्योंकि जय भैया वही बैठे थे..
फिर कुछ देर बाद मैने भी हिम्मत करके अपना एक हाथ उसकी जाँघ पर रख दिया और उसे भी ठीक वैसे ही सहलाने लगा जैसे वो सहला रही थी. मेरे हाथो को महसूस करके वो मुस्कुरा उठी और धीरे-2 वो अपनी उंगलियो को और उपर लाने लगी.. मेरे लंड की तरफ.
मेरे हाथ भी उसी के अनुसार उसकी जाँघ से खिसकते हुए उसकी चूत की तरफ जाने लगे… मैं उसके चेहरे को देखे जा रहा था ताकि मुझे ये पता चल सके कि वो अब भी मेरी हरकतों को एंजाय कर रही है या नही…
उसके चेहरे से तो नही पर उसकी तेज हो चुकी सांसो को अपने लंड पर महसूस करके मुझे पता चल रहा था कि उसकी हालत भी मेरी तरह ही है… उसकी नन्ही छातियाँ उपर नीचे हो रही थी, उत्तेजित हो चुकी थी वो भी..
पर यहाँ हम कर भी क्या सकते थे, मेरी बहेन थी वहाँ, काजल का भाई भी वही था.. ऐसे मे कुछ करने का तो सवाल ही नही पैदा होता था.. पर एक बात तो तय थी कि काजल की जवानी भी लहरे मार रही है… और उसे अपनी बोतल मे उतारना मुश्किल नही होगा..
पायल दीदी तो पहले ही स्टाचु की गेम के ज़रिए मेरे करीब आ चुकी थी और अब ये काजल भी आने को तैयार थी.. मुझे बस हर दाँव सोच समझ कर चलना होगा ताकि किसी को कानो कान खबर ना हो कि हमारे बीच क्या चल रहा है..
पर शायद ये मेरी ग़लत फहमी थी कि काजल और मेरे बीच जो चल रहा था वो कोई समझ नही पा रहा था..
पायल दीदी को सब पता चल चुका था कि काजल सोने का नाटक कर रही है, क्योंकि उन्होने मेरे हाथ को उसकी चूत की तरफ जाते हुए देख लिया था और काजल के कसमसाते हुए जिस्म पर भी उनकी पेनी नज़र थी.
पर वो कुछ बोली नही, शायद भरी महफ़िल मे वो मुझे रुसवा नही करना चाहती थी..
काजल का चेहरा मेरे लंड से सिर्फ़ एक इंच की दूरी पर था, मैं तो सोच रहा था कि काश मैं इस वक़्त नंगा बैठा होता तो एक झटके मे अपने लंड को उसके मुँह मे ठूंस देता..
और आप यकीन मानो दोस्तो, मैं ये सोच ही रहा था और काजल ने जैसे मेरे मन की बात जान ली, उसने अपना मुँह खोला और कपड़े समेट मेरे लंड के निचले हिस्से को मुँह मे भरकर काट लिया.. दर्द सा हुआ, शरीर अकड़ भी गया, पर मुँह से कुछ निकाल नही पाया..
जय भैया का डर था.. पर काजल की हिम्मत की दाद देनी पड़ी मुझे..
फिर वो मेरे लंड को पजामे के उपर से ही ऐसे चूसने लगी जैसे इंग्लीश मूवीस मे दिखाते है और वो देख कर एक बात तो पक्की थी कि वो ये काम पहले भी कर चुकी है..
मैने जय की तरफ देखा, वो पूरी तरह से मूवी मे डूबकर उसे एंजाय कर रहा था.. पर जैसे ही मेरी नज़र पायल दीदी की तरफ गयी तो उन्हे अपनी तरफ ही घूरते हुए पाया..
उनकी नज़रें कभी मेरे चेहरे को और कभी काजल की जाँघो के बीच फँसे मेरे हाथ को देख रही थी, मतलब सॉफ था कि वो जान चुकी थी की मैं क्या हरकत कर रहा हूँ और उनकी आँखो मे जैसे यही सवाल था कि ‘ये क्या हो रहा है ?’
मैं घबरा गया, और मैने अपना हाथ वापिस खींच लिया.. काजल भी मेरे हाथ के हटने से सहम सी गयी, उसे लगा कि ज़रूर कोई देख रहा है, इसलिए उसने भी अपने मुँह से मेरे खूँटे जैसे लंड को बाहर निकाल दिया..
कुछ देर बाद वो जमहाई लेती हुई उठी और सभी को देख कर बोली : “आप लोग अभी तक मूवी देख रहे हो… मुझे तो पता ही नही चला कि मैं कब सो गयी…”
जय ने कुछ ध्यान नही दिया उसकी बात का, पर पायल दीदी बोली : “भाई की गोद मे सोने को मिलेगा तो गहरी नींद तो आएगी ही ना…”
बेचारी काजल कुछ ना बोल पाई.. मैने भी नज़रें घुमा ली…
मुझे पता नही चल पा रहा था कि दीदी को इस बात का बुरा लगा है कि मैं काजल के साथ भी वैसा खेल खेल रहा हूँ जैसा कि उनके साथ या फिर इस बात का बुरा लगा है कि उन्हे जलता हुआ छोड़कर मैं अपनी ही मस्ती मे लगा हुआ हूँ..
पर जो भी था, उन्हे गुस्सा तो आ ही रहा था.
कुछ ही देर मे मूवी ख़तम हो गयी और पायल दीदी के साथ काजल उनके रूम मे सोने चली गयी, जय भैया मेरे रूम मे आ गये और हम दोनो सो गये.
मैं काफ़ी देर तक पायल दीदी के गुस्से के बारे मे ही सोचता रहा, और आख़िर मे जाकर मैं इसी निसकर्ष पर निकला कि दीदी को इस बात का ही गुस्सा है कि मैं उन्हे अब अटेन्षन नही दे रहा और काजल के साथ लग गया हूँ.. इसलिए पहले मुझे दीदी को ही सॅटिस्फाइ करना पड़ेगा, वरना काजल के साथ कुछ करना तो पासिबल ही नही हो सकेगा..
मैने जय भैया के सो जाने का इंतजार किया, कुछ ही देर मे, थकान की वजह से उन्हे गहरी नींद आ गयी और मैं चुपचाप अपने रूम मे निकल कर दीदी के रूम की तरफ चल दिया.. वहाँ जाते हुए मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था कि कहीं किसी ने देख लिया तो मेरा क्या हाल होगा..
मैं धीरे से रूम मे घुसा, अंदर ज़ीरो वॉट का बल्ब जल रहा था, दीदी अपने मोबाइल मे कुछ चेक कर रही थी और उनकी बगल मे काजल बेसूध होकर खर्राटे मारती हुई सो रही थी..
दीदी की पीठ मेरी तरफ थी, मैने दरवाजे की चिटकनी बंद की और दबे पाँव उनके बेड तक गया और उनके पीछे जाकर लेट गया, उन्हे जैसे ही ये एहसास हुआ कि कोई उनके बेड पर आकर लेटा है तो वो घबरा गयी और जैसे ही वो चिल्लाने लगी मैने उनके मुँह पर हाथ रख दिया और उनसे लिपट कर बोला ”दीदी, मैं हूँ… राज…”
वो तो हैरान रह गयी मेरी ये हिम्मत देख कर, और फटी हुई आँखो से मुझे देखती हुई वो मेरी तरफ पलट गयी… और फुसफुसा कर बोली : “राज, तू… यहाँ क्या कर रहा है… कोई देख लेगा तो… जय भैया कहाँ है…”
मैं : “दीदी, वो भी काजल की तरह खर्राटे मारकर सो रहे है, 6 घंटे का सफ़र करके आए है दोनो, अब सुबह से पहले नही उठने वाले… और मैने ये दरवाजा भी अंदर से बंद कर दिया है, सो डॉन’ट वरी…”
पायल दीदी ने प्यारा सा मुँह बना लिया और बोली : “वैसे अब क्या करने आया है यहाँ, ऐसी क्या मजबूरी पड़ गयी जो इतनी रात को मेरे पास आ गया…”
मैने प्यार भरी आवाज़ मे कहा : “दीदी, मुझे लगा कि शायद आप मुझसे नाराज़ हो गयी हो… इसलिए सोचा कि…”
पायल : “क्या सोचा ? बोल…. बोल ना…”
मैं : “आप सब जानती हो दीदी… मुझसे क्यो बुलवा रही हो…”
पायल : “वो इसलिए कि मैं देख रही हूँ कि एक ही दिन मे तेरे दोनो हाथ मे लड्डू आ गये है और तुझे पता नही है कि पहले कॉन्सा लड्डू खाना चाहिए था…”
मैं : “इसी लिए तो मैं इस वक़्त यहाँ आया हूँ दीदी…”
पायल (आँखे नचाते हुए) : “लड्डू खाने …”
मैं : “हां… और खिलाने भी…”
इतना कहते हुए मैने उनका हाथ पकड़ कर अपने लंड के नीचे लटक रही गोटियों पर रख दिया और मैने उनके बूब्स पर पंजा जमाकर उन्हे दबोच लिया…
ये सब इतनी जल्दी हुआ कि उन्हे भी यकीन नही हुआ कि मैने इतनी हिम्मत अपनी तरफ से दिखा दी है…
पर वो सिसक ज़रूर उठी अपने कबूतरों को मेरे हाथों मे महसूस करके.. और मैं भी जन्नत मे पहुँच गया उनके नर्म और मुलायम मम्मों को पकड़ कर..
पर उनके दिमाग़ मे शायद मुझसे बदला लेने का विचार आ चुका था, क्योंकि मैने उन्हे अनदेखा करके जो काजल के साथ किया था वो उन्हे बिल्कुल भी पसंद नही आया था… और इसलिए जैसे ही मैने उनके रसीले होंठों को किस करना चाहा वो धीरे से मेरे कान मे बोली स्टाचु!!!
मैं तो झल्ला सा गया इस बात पर.. भला ऐसी सिचुयेशन मे ये बोलने का मतलब ही क्या था.. ये भी कोई खेल खेलने का वक़्त है… पर मैं समझ तो चुका ही था कि दीदी ये सब किसलिए कर रही है…