और फिर वही हुआ, जिसे ना जाने कितनी बार सोचकर मैने बाथरूम मे मूठ मारी थी… मेरे लंड से धड़ाधड़ सफेद पानी निकल कर पायल दीदी के मूह मे जाने लगा…
पहले तो वो एक दम से हड़बड़ा सी गयी, पर ना जाने मुझमे कहाँ से इतनी बेशर्मी आ गयी कि मैने उनके सिर के उपर हाथ लगाकर लंड को बाहर ही नही निकालने दिया और झक्क मारकर उन्हे वो सारा रस पीना ही पड़ा…
और शायद एक-दो घूँट पीने के बाद उन्हे भी उसका स्वाद अच्छा लगा था क्योंकि फिर वो खुद ही अपने सिर को उपर नीचे करके मेरे लंड को किसी आइस्क्रीम की तरह चूस रही थी और आख़िरी की बूँद निकल जाने के बाद भी वो उसे चूसने मे लगी रही जैसे कोई करिश्मा होगा और एक बार फिर से दूध निकलेगा मेरे लंड से.
मैने अपना हाथ तब तक काजल के बूब्स से हटा लिया था… मेरे लंड का सूप पीकर वो मुस्कुराती हुई सी उपर आई और मुझे दबोच कर बोली : “बड़ा चालाक होता जा रहा है तू… क्यो मेरा सिर प्रेस करके मुझे अपनी क्रीम खिलाई…”
मैने भी मुस्कुराते हुए पूछा : “क्यो… अच्छी नही लगी क्या मेरी क्रीम….”
वो मेरे नीचुड़े हुए लंड को मरोड़ती हुई बोली : “अच्छी तो मुझे ये इतनी लगी है कि आज के बाद इसमे से निकलने वाली हर बूँद पर मेरा ही हक होगा… समझे… और खबरदार जो कभी भी मास्टरबेट करके इसको वेस्ट करने की सोची तो… जब भी मन करे तो मुझे . देना… आइ विल सक इट ऑफ….”
इतना कहते हुए उसने अपनी लंबी सी जीभ निकाल कर मेरे होंठों को किसी नागिन की तरह चाट लिया… मुझे तो दीदी के इस रूप को देख कर डर सा लग रहा था कि आगे ना जाने और कैसे-कैसे रूप दिखाएगी ये…
काफ़ी देर हो चुकी थी, मन तो मेरा और भी कुछ करने को था पर डर भी लग रहा था क़ि कोई आ ना जाए, इसलिए अभी के लिए दीदी को गुड नाइट कह कर अपने रूम मे जाना ही सही समझा मैने..
जाते हुए मैने आख़िरी बार काजल के नंगे सीने को जी भरकर देखा, और मुझे उसकी तरफ घूरते देखते हुए दीदी ने भी देख लिया और सबसे पहले उन्होने उसकी टी शर्ट को नीचे किया, बाद मे अपनी टी शर्ट पहनी..
सॉफ जाहिर था वो मुझपर अपना ही हक़ समझ रही थी, और मुझे किसी और की तरफ आकर्षित होते हुए भी नही देखना चाहती थी… मुझे आगे जो भी करना था, वो सब इन सब बातों का ध्यान करते हुए ही करना था.
पर वो कहते है ना जो किस्मत मे लिखा होता है, उसे तुम्हारे पास आने से कोई रोक ही नही सकता…
दीदी ने अपनी तरफ से तो कोशिश कर ली थी कि काजल को देख कर मैं आकर्षित ना हो जाउ, पर काजल पर तो उनका कोई कंट्रोल नही था ना, और अगले दिन कुछ ऐसा हुआ कि वो बेचारी भी कुछ नही कर पाई काजल और मुझे कुछ ख़ास करने से…
अगले दिन जब सभी नाश्ता कर रहे थे तो मोम ने जय भैया से कॉलेज अड्मिशन प्रोसेस के बारे मे पूछा, क्योंकि पायल दीदी भी बोर्ड एग्ज़ॅम्स के रिज़ल्ट के बाद कॉलेज मे ही जाने वाली थी.
जय भैया ने डीटेल मे सारी प्रोसेस बताई और ये भी कहा कि आजकल कुछ कॉलेजस मे न्यू सेशन के लिए इंडक्षन प्रोग्राम्स भी चल रहे है, जिसमे अड्मिशन प्रोसेस के बारे मे बताया जाता है.
ये सुनते ही पायल दीदी बोली : “हां, ये तो मेरी एक फ्रेंड ने भी कहा था, वो शायद नेक्स्ट वीक स्टार्ट होगा..”
जय : “नेक्स्ट वीक नही, इसी वीक स्टार्ट हो चुका है वो, न्यूसपेपर मे भी आया था कल के, ”
पायल ये सुनते ही न्यूसपेपर लेने भागी, और जय ने जब वो कोलम दिखाया तब उसने वो बात मानी,
मोम ने पायल को डाँटने के लहजे से कहा : “यही हाल रहा तो अड्मिशन की डेट्स भी निकल जाएँगी, तू अभी के अभी निकल और जाकर देख ज़रा, ”
जय : “तुम चाहो तो मैं भी चल सकता हूँ, आइ विल हेल्प यू अंडरस्टॅंड बेटर, ”
मों को भी ये बात पसंद आई और कुछ ही देर मे पायल दीदी और जय भैया बाहर निकल गये,
पापा तो ऑलरेडी ऑफीस जा चुके थे, मोम ने हाफ डे ऑफ लिया हुआ था, वो हमे नाश्ता करवाकर और . का खाना बनाकर ऑफीस के लिए निकल गयी.
और पीछे रह गये मैं और काजल.
ये सब बातें जब हो रही थी तो काजल के चेहरे के एक्सप्रेशन बता रहे थे कि आने वाली संभावनाओ को सोच कर वो कितनी खुश हो रही है, और मेरा भी लगभग वही हाल था, कल रात के बाद तो काजल को देखने की नज़र ही बदल चुकी थी, उसमे खोट आ चुका था..
सबके जाने के बाद जैसे ही मैं दरवाजा बंद करके पलटा, काजल लगभग भागती हुई सी मेरे पास आई और बोली : “जब हम कॉलेज मे जाएगे तो एक साथ ऐसे इंडक्षन प्रोग्राम्स अटेंड करेंगे, आउटिंग भी हो जाएगी और डेट भी मार लेंगे..”
मैं : “अच्छा जी, डेट मारने का बड़ा मन है तुम्हारा, कभी मारी है क्या किसी के साथ, ”
काजल : “पागल हो क्या, पापा और भाई मार देंगे मुझे, जब टाइम आएगा तब मारूँगी, ”
मैने घूरकर उसके बूब्स को देखा और बोला : “टाइम तो आ ही चुका है तुम्हारा, बस तुझे ही पता नही है, ”
मेरी नज़रों का पीछे करते हुए उसने अपने बूब्स को देखा तो शर्मा सी गयी, वैसे भी कल शाम को मेरी गोद मे लेट के उसने मेरे पप्पू को जब अपने मुँह मे लिया था तो अपनी तरफ से तो उसने छूट दे ही डाली थी, ऐसे मे मैं अगर थोड़ी बहुत फ्लर्टिंग कर लूँ तो क्या प्राब्लम होगी..
और कुछ सोचकर मैं बोला : “डेट पर जाने का मतलब भी पता है तुझे, ”
उसने बड़ा ही भोला सा फेस बनाया और बोली : “हां, घूमते है, खाते है, मूवी देखते है, और मस्ती करते है, ”
मैने उसका हाथ पकड़कर सोफे पर बिठाया और उसके करीब बैठते हुए बोला : “अच्छा जी, और ये मस्ती मे क्या-2 इंक्लूड होता है, ”
उसके होंठ काँप से रहे थे, शायद वो जो कुछ बोलना चाहती थी, बोल नही पा रही थी.
फिर हिम्मत करके वो बोली : “पता नही, आप ही बताओ, ”
मैने उसका हाथ अपने हाथ मे लिया और बोला : “सबसे मैं काम तो तुमने बताया ही नही, किस भी करते है, ”
इतना कहते हुए मैने उसके हाथ को उपर करते हुए अपने होंठों से लगा लिया और एक गीला सा चुम्मा कर दिया उसकी हथेली पर.
वो सिसक उठी.. उसका पूरा बदन काँप सा रहा था, सीना उपर नीचे हो रहा था, पर उसने अपना हाथ छुड़ाने की कोई कोशिश नही की.
वो धीरे से बोली : “तो क्या, ऐसी किस तो कोई भी कर सकता है, मैने भी की है अपने फ्रेंड्स को तो ऐसी वाली किस, ”
मैं समझ गया कि वो मुझे उकसा रही है, वो अपनी गोल आँखो से मुझे ऐसे देख रही थी जैसे कुछ कर बैठेगी,
मैं : “चल एक गेम खेलते है, आज तो घर पर कोई नही है, क्यो ना हम दोनो डेट पर चलने की प्रॅक्टीस करे, ”
वो चहकति हुई बोली : “कैसे ?”
मैं : “सुन, थोड़ी देर के लिए मुझे अपना बाय्फ्रेंड समझ ले, ओके.. और फिर हम दोनो वही सब करेंगे जो डेट पर जाकर करते है, समझी, ”
मैने आँख मारकर जब ये बात बोली तो वो समझ गयी कि इस गेम की आद मे मैं क्या-2 करने के मूड मे हूँ..
उसे भला क्या प्राब्लम होने वाली थी, उसने झट से हां कर दी..
ऐसी बक्चोदि करते हुए मुझे हँसी भी आ रही थी, पर जिस तरह स्टाचु गेम के थ्रू पायल दी के साथ वो सब करना आसान हो गया था वैसे ही मैं काजल के साथ करके इन सबको ईज़ी बना देना चाहता था, ताकि ये सब जान बूझकर किया हुआ ना लगे, और इस गेम के ज़रिए मैं धीरे-2 आगे बढ़ कर ये भी जान लेना चाहता था कि वो किस हद तक मेरे साथ आगे जा सकती है.
मैने उसे कुछ बाते समझाई और मैं भागकर अपने रूम मे गया और उसके मोबाइल पर फोन लगाया.. और जब उसने हेलो कहा तो मेरे लंड का बुरा हाल हो गया दोस्तो, उसके हेलो कहने का स्टाइल इतना सेक्सी था, इतना उत्तेजक था कि मैने बाकी की बात करते हुए.
”हेलो काजल, मैं राज बोल रहा हूँ, हाउ आर यू..”
काजल : “मैं ठीक हूँ, आज सुबह-2 मेरी याद कैसे आ गयी, ”
मैं : “याद तो रात से ही आ रही है पर आज सुबह का मौसम ही इतना सेक्सी था कि सोचा तुमसे पूछ लूँ कि मूवी देखने चलोगि क्या मेरे साथ, ”
काजल : “ओके..तुम 5 मिनट मे मेरे घर आ जाओ, मैं तब तक तैयार हो जाती हूँ, ”
इतना कह कर उसने फोन रख दिया, मैने उसे पहले ही समझा दिया था कि तुम डेट पर जाने के लिए अच्छे कपड़े पहेनना.. वो पायल दीदी के रूम मे घुस गयी और अंदर से बंद करके कपड़े बदलने लगी..
करीब 5 मिनट के बाद मैने उस रूम का दरवाजा खटकाया और जब वो बाहर निकल कर आई तो मैं उसे देखता रह गया, काजल ने जो कपड़े पहने हुए थे उनमे शायद मैने उसे पहली बार देखा था,
उसने एक वाइट कलर की टी शर्ट पहनी हुई थी जो उसके बदन से बुरी तरह चिपकी हुई थी, और वो इतनी टाइट थी कि उसकी ब्रा की पूरी रूपरेखा मुझे दिखाई दे रही थी, और उसमे उसके बूब्स काफ़ी बड़े लग रहे थे, मैं तो रात को उसके बूब्स को नंगा देख चुका था इसलिए मुझे उनका असली साइज़ पता था, वरना इस पॅड वाली ब्रा मे उसके बूब्स देख कर मैं तो बेहोश ही हो जाता,
और नीचे उसने छोटी सी स्कर्ट पहनी हुई थी, जो उसकी जाँघो तक ही थी, वो भी काफ़ी टाइट थी, और उसे पहेन कर चलने मे उसे काफ़ी परेशानी हो रही थी..साथ मे उसने हाइ हील के सेंडिल पहने हुए थे..
कुल मिलाकर वो देखने मे एक कड़क माल लग रही थी, वो अगर मेरी कजिन ना भी होती तो इस वक़्त मैं उसे देख कर मर मिट ता..
मैने उसे देख कर सीटी मारी और वो शर्मा गयी, उसने अपना हाथ आगे किया क्योंकि उसे चलने मे परेशानी हो रही थी, मैने भी उसके हाथ के साथ-2 उसकी कमर को भी पकड़ लिया ताकि वो गिर ना जाए..
फिर हम पूरे घर मे इधर उधर घूमे. मैने उससे जब पूछा कि खाने मे क्या लोगि तो उसने चहकते हुए पिज़्ज़ा बोल दिया, मैने भी फोन उठाकर डोमिनोस से पिज़्ज़ा मंगवा लिया..
फिर मैने पूछा कि कौनसी मूवी देखोगी तो वो बोली कि जो तुम्हे पसंद हो..
मेरे चेहरे पर एक बार फिर से शरारत भरे एक्सप्रेशन आ गये.
मैं : “मुझे जिस तरह की मूवीस पसंद है वो तुम देख नही पाओगि, सोच लो, ”
उसके चेहरे पर एक बार फिर से लालिमा छा गयी , वो समझ चुकी थी कि मैं किस तरह की मूवीस की बात कर रहा हूँ..
वो बोली : “आज तुम मुझे डेट पर लाए हो, इसलिए पसंद भी तुम्हारी चलेगी, ”
यानी उसने मना नही किया, एक बार के लिए तो मैने सोचा कि इस खेल को इतनी दूर ले जाना सही नही है, जो थोड़ी बहुत चूमा चाटी करनी है वो ऐसे ही कर लेनी चाहिए क्योंकि वो मना तो करने वाली नही थी, पर फिर भी उस वक़्त उस गेम मे बाय्फ्रेंड-गर्लफ्रेंड का रोल प्ले करने मे जो रोमांच आ रहा था वो अलग ही था, इसलिए मैने भी सोच लिया कि गेम के ज़रिए ही करूँगा जो करना है..
मैं उसे लेकर अपने रूम मे आ गया, इस तरह की पॉर्न मूवीस का तो खजाना था मेरे पास, मुझे एक मूवी याद आ गयी जो इन्सेस्ट थीम पर ही थी, उसमे रियल ब्रदर-सिस्टर रात को माँ बाप के सोने के बाद आपस मे सेक्स करते है, वो मूवी मैने फुल स्क्रीन करके लगा दी.
मूवी शुरू होने से पहले मैं 2 कोल्ड ड्रिंक्स और पॉपकॉर्न ले आया ताकि मूवी देखने का मज़ा पूरा मिले..और मूवी शुरू करके मैने उसकी कमर मे हाथ डालकर हाथ पकड़ा और आराम से मूवी देखने लगा..
अब दोस्तो, आपको तो पता ही है, पॉर्न मूवी मे वैसे तो कोई ख़ास स्टोरीलाइन होती नही है, ये भी लगभग वैसी ही थी.. शुरू होने के एक मिनट के अंदर ही एक गरमा गरम सीन आ गया जिसमे वो लड़का अपनी बहेन को स्वीमिंग पूल मे नहाते हुए देखता है, और वो साली भी पूरी नंगी होकर नहा रही थी.
ये सोचकर कि वो घर पर अकेली है, लौन्डा चेयर के पीछे छुपकर अपनी बहेन के नंगे बदन को पूरा देखता है, और जब कॅमरा लड़की के बूब्स और चूत को क्लोज़ अप पर से दिखाने लगा तो मेरा लंड तंन करके खड़ा हो गया, मेरे हाथ का दबाव उसके हाथ पर बढ़ गया, काजल भी नज़रे गाढ कर वो मूवी देख रही थी, और वो शायद उसकी लाइफ की पहली पॉर्न मूवी थी जो वो इस तरह से किसी और के साथ देख रही थी.
ये सोचकर कि वो घर पर अकेली है, लौन्डा चेयर के पीछे छुपकर अपनी बहेन के नंगे बदन को पूरा देखता है, और जब कॅमरा लड़की के बूब्स और चूत को क्लोज़ अप पर से दिखाने लगा तो मेरा लंड तंन करके खड़ा हो गया, मेरे हाथ का दबाव उसके हाथ पर बढ़ गया, काजल भी नज़रे गाढ कर वो मूवी देख रही थी, और वो शायद उसकी लाइफ की पहली पॉर्न मूवी थी जो वो इस तरह से किसी और के साथ देख रही थी.
जैसे ही वो लड़की टावल लपेट कर अंदर जाने लगती है वो लड़का पहले से अंदर जाकर बैठ जाता है, अपने भाई को अंदर बैठे देख कर वो घबराने का नाटक करती है, पर उसके खड़े हुए लंड को देख कर वो समझ जाती है कि वो उसे छुपकर देख चुका है, वो भी सेनुयल तरीके से चलती हुई उसके पास आती है और अपना टावाल खोल देती है, और अपनी आँखो के बिल्कुल करीब अपनी बहेन के बूब्स देख कर वो बोलता है वाउ..
मेरे मुँह से भी वाउ निकल गया वो देख कर.
ये सुनकर वो शरारती आँखो से मुझे देख कर बोली : “भाई, तू बहुत बदमाश हो गया है, उसे तो वहाँ देख कर मज़े आ रहे है, तुम क्यो इतना खुश हो रहे हो यहाँ बैठ कर..”
मैने भोला सा चेहरा उसके सामने बनाया और कहा : “मैने कभी देखे नही है ना किसी के , इसलिए वाउ निकल गया, ”
वो मेरे गालो को पकड़कर बोली : “ओले ओले, लगता तो नही है कि तुमने ऐसा कुछ देखा नही है लाइफ मे, ”
और फिर एक बार फिर से वो मूवी देखने मे व्यस्त हो गयी.
इसी बीच लड़की अपने भाई की गोद मे बैठकर उसे जोरदार तरीके से स्मूच करने लग जाती है. ये देख कर मेरा मूड एकदम से उसे किस करने का बन गया और मैं अपने होंठ उसके कानो के बिल्कुल करीब लाकर गहरी साँसे लेने लगा.. समझ तो वो भी गयी क्योंकि उसके कानो मे मैं अपनी गर्म साँसे छोड़ने मे लगा हुआ था..
उसका बदन अब पूरा काँप सा रहा था, और काँपते हुए उसने जैसे ही मेरी तरफ चेहरा किया, मैं उसके गुलाबी होंठों पर टूट पड़ा, वो इतने मोटे और रसीले थे जैसे चाशनी वाले बंगाली रसगुल्ले.. उन्हे चूस्कर मुझे इतना मज़ा मिला जितना आज तक किसी और को किस करने मे नही मिला था,
वो भी अपनी तरफ से मुझे किस करने मे लगी थी, और वो किस कम मुझे काट ज़्यादा रही थी, पर उसके काटने मे भी एक अलग ही मज़ा मिल रहा था.
उधर मूवी मे भी गर्मी काफ़ी बढ़ चुकी थी, लड़के ने भी अपने कपड़े उतार दिए थे और लड़की ने उसके लंड को मुँह मे लेकर चूसना शुरू कर दिया था..
मैने उसका हाथ पकड़ कर अपने खड़े हुए लंड पर रख दिया, और अपना हाथ उसके बूब्स पर रखकर उन्हे दबा दिया, मेरे लंड पर हाथ लगाते ही वो और भी ज़्यादा उत्तेजित हो गयी, उसकी लाइफ का पहला लंड था ये जिसे वो इस तरह अपने हाथो मे पकड़ रही थी.
रात के मुक़ाबले इस वक़्त ज़्यादा मज़ा मिल रहा था उसकी चुचियों को दबाने मे..
इसी बीच जब उसकी नज़र स्क्रीन पर पड़ी जहाँ वो लड़की अपने भाई का लंड चूस रही थी तो वो शरमाते हुए बोली : “मुझे ये बहुत पसंद है, पर कभी करने का मौका ही नही मिला, ”
उफफफफ्फ़.. उसकी इस बात ने तो मेरा दिल ही जीत लिया, ऐसी लड़किया बहुत कम ही मिलती है जिन्हे लंड चूसने का शॉंक हो, लड़के तो होते ही हरामी है शुरू से, वो तो जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही चुचि और चूत चूसने के सपने देखने लग जाते है, और वही दूसरी तरफ कयि लड़किया और औरतें लंड चूसने के नाम से ही बिदक जाती है.
और यहाँ काजल तो खुद ही इस बात को कबूल रही थी कि उसे लंड चूसने का मन करता है.
मैं : “ओहो, तभी रात को मेरी गोद मे लेटकर तुम मेरे शेर को अपने मुँह मे दबोच रही थी, ”
उसने हां मे सिर हिलाया और मुस्कुराते हुए मेरी पेंट मे हाथ डालकर मेरे फड़कते हुए लंड को पकड़ लिया..
मैं ज़ोर से सीसीया उठा.
उसने आनन फानन मे मेरी जीन्स खोली और मेरे लंड को बाहर निकाल लिया, और नीचे झुककर जब उसने मेरे लंड को पहली बार देखा तो उसकी आँखो की भूख बता रही थी कि मेरे लंड का वो क्या हाल करने वाली है..
और उसने किया भी.. एक ही झटके मे उसने मेरे लंड को केले की तरह मुँह मे लिया और उसे चूसने लगी.
मैने उसके बालों को ज़ोर से पकड़ लिया क्योंकि उसके हमले काफ़ी ख़तरनाक लग रहे थे और मुझे डर था कि कहीं वो मेरे लंड को कोई नुकसान ना पहुँचा दे, और इससे पहले कि मैं उसके बालों को खींचकर उसकी लगाम रोक पाता, बाहर की घंटी बज गयी.
मेरी और काजल, दोनो की फट कर हाथ मे आ गयी.
मैने फटाफट अपना हुलिया ठीक किया, लॅपटॉप को बंद किया औट दरवाजा खोलने भागा..
दरवाजा खोलते ही मेरी जान मे जान आई, वो पिज़्ज़ा वाला था… इनकी टाइमिंग इतनी पर्फेक्ट होती है, दूसरो से तो कोई मतलब ही नही है ना इनको, वो क्या कर रहे है, क्या नही, उन्हे कुछ सरोकार नही होता, बस अपना पिज़्ज़ा टाइम से पहुँचाना होता है..
खैर, मैं पिज़्ज़ा लेकर वापिस अंदर आ गया, बेचार
बेचारी तब तक बाथरूम मे जाकर अपना हुलिया ठीक कर आई थी, उसके चेहरे का रंग अभी तक उड़ा हुआ था, उसे लगा था कि उसका भाई जय और पायल दीदी वापिस आ गयी है.. और मन मे चोर हो तो ऐसे अचानक दखल मिलने की वजा से इंसान डर ही जाता है.
काजल का भी यही हाल था, मैं उसके करीब गया और उसे गले लगाकर कूल डाउन होने के लिए कहा…
वो डरी हुई सी आवाज़ मे बोली : “भाई, हमे ये नही करना चाहिए, किसी को पता चल गया तो मैं किसी को मुँह दिखाने के काबिल नही रहूंगी…”
मेरी तो झान्टे सुलग उठी ये सुनकर, साली कल रात को सबके सामने मेरी गोद मे लेटकर मेरे लंड को मुँह मे ले रही थी, तब तो डर नही लगा था, आज ये पिज़्ज़ा वाले के आने भर से इसकी फट कर हाथ मे आ गयी.
मैने उसे चूमना चाहा तो उसने अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया, मेरी और सुलग गयी… अभी कुछ देर पहले तक तो सही थी ये एकदम से क्या हो गया इसे..
मैं बोला : “अगर ये सब करना है तो बंद करते है ना ये सब…”
कहते हुए मैने अपना लॅपटॉप उठा कर वापिस रख दिया, मुझे लगा कि वो रोकेगी पर ऐसा कुछ नही हुआ, वो शायद सच मे अंदर तक डर सी चुकी थी, पर मेरे सिर पर भी जैसे कोई सनक सी चढ़ चुकी थी, उसका ये रवैय्या मुझे सच मे पसंद नही आ रहा था.
पर ज़बरदस्ती भी तो नही कर सकता था ना, और जब मैने देखा की लॅपटॉप उठाने के बाद भी उसे कोई फ़र्क नही पड़ा तो मैं पैर पटकता हुआ अपने रूम की तरफ चला गया और टीवी ऑन करके बैठ गया..
मैने सोच लिया कि अब वो खुद ही आकर मेरे से माफी माँगेगी तो कुछ करूँगा, पर वो नही आई और मैं अपने लंड को मसलता हुआ, उसे अंदर से गालियाँजब उठा तो शाम के 6 बज चुके थे, बाहर से पायल दीदी और जय भैया की बातों की आवाज़ें आ रही थी… मैं उठकर बाहर आया तो देखा कि काजल भी उनके साथ ही बैठी है पर उसका चेहरा अभी भी उतरा हुआ था.
पायल दीदी ने बताया कि आज जाने का काफ़ी फ़ायदा हुआ और जय भैया ने भी उनकी काफ़ी हेल्प की… मैं देख रहा था कि वो जय भैया की तरफ कुछ ख़ास नज़रों से देख रही है. पर इस वक़्त मेरा सारा ध्यान काजल की तरफ ही था, मैं नही चाहता था कि हाथ आई चिड़िया ऐसे ही निकल जाए.. उसके दाँतों की चुभन मुझे अभी तक अपने लंड पर महसूस हो रही थी.
मेरा मन तो यही कर रहा था कि उसे जिस तरह का डर लग रहा है वो पायल दीदी के बारे मे उसे बताकर दूर किया जा सकता है पर वो बात काजल को बताना सही नही था, पायल दीदी नाराज़ हो गयी तो क्या होगा, मैं ना इधर का रहूँगा और ना ही उधर का.. मैं परेशान हो गया और उठकर मैं छत पर चला गया.
उपर काफ़ी ठंडी हवा चल रही थी, मैं ठंडी हवा का मज़ा लेते हुए रलिंग के पास जाकर खड़ा हो गया. छत पर घुप्प अंधेरा था, चाँद भी नही निकला था आज.
तभी पीछे से मुझे किसी के आने का एहसास हुआ, कोई दबे पाँव मेरी तरफ आ रहा था. मैं समझ गया कि ये काजल ही है, मैं भी अपनी अकड़ मे ही रहा और उसकी तरफ पलटा नही, वो मेरे पीछे आई और मेरी कमर से अपना सीना लगाकर मुझसे लिपट गयी…
गर्म साँसों और नर्म सीने का एहसास मुझे अंदर तक झंझोड़ गया.. मैं ठंडी हवा और गर्म जिस्म के मिले जुले एहसास को महसूस करके सिहर उठा..वो अपना बदन मेरी पीठ पर उपर से नीचे तक रगड़ने लगी.. उसके कड़क मम्मे मेरी पीठ पर हल जोतने का काम कर रहे थे, उसके निप्पल्स मुझे बुरी तरह से चुभ रहे थे पर इन सबके लिए मैं शिकायत नही कर सकता था क्योंकि ये सब महसूस करके मुझे एक अलग ही तरह के आनंद की अनुभूति हो रही थी.
अचानक उसने अपना एक हाथ आगे किया और मेरे लंड के उपर लेजाकर उसे सहलाने लगी… मैने उसके हाथ को झटक दिया, ताकि उसे भी मेरे गुस्से का एहसास हो… पर ऐसा कुछ नही हुआ, उसने फिर से अपना हाथ मेरे लंड पर लगा कर उसे सहला दिया, इस बार मैने कुछ नही किया, क्योंकि स्वार्थ तो मेरा ही था ना, और वैसे भी उसके लिपटने के बाद से ही मेरे लंड ने फिर से खड़ा होना शुरू कर दिया था, उसे एक बार फिर से बिठा कर मैं कोई ग़लती नही करना चाहता था..
पर उसकी दोपहर वाली ग़लती का बदला तो मुझे लेना ही था, इसलिए मैने बिजली की तेज़ी से अपने लंड को बाहर निकाला और उसके हाथ मे पकड़ा दिया… और साथ ही उसकी तरफ घूमते हुए उसे अपने घुटनो पर बिठाया और बड़ी ही बेदर्दी से उसके मुँह मे अपना लंड ठूंस दिया…
वो बेचारी घिघिया कर रह गयी पर कुछ बोली नही, मेरी बेरूख़ी और जंगलिपन को उसने बड़े प्यार से कबूल करते हुए मेरे लंड को अपने मुँह मे भर लिया और उसे चूसने लगी… उसके गर्म मुँह मे मेरा कड़क लंड घुसते ही मेरी आँखे बंद हो गयी, मैं ठंडक से भरे माहॉल मे अपना लंड चुस्वाता हुआ हवा मे उड़ने लगा… सारी दुनिया से बेख़बर होकर मैं इस वक़्त अपनी छत पर खड़ा होकर काजल से अपना लंड चुस्वा रहा था, इस वक़्त मुझे इस बात का भी डर नही था कि कोई नीचे से उपर आ जाएगा, कोई हमे पकड़ लेगा … बस अपनी ही मस्ती मे भरकर मैं अपना लंड चुस्वा रहा था…
काजल भी बड़ी तेज़ी से मेरे लंड को चूस रही थी, उसके चूसने की ताक़त ही इतनी तेज थी कि मेरे लंड की हालत एकदम से खराब होने लगी, सच मे लंड चूसने मे उसका कोई मुकाबला नही था…
और जल्द ही उसके मुँह की ताक़त के आगे मुझे हारना पड़ा और मेरे लंड का पानी निकल कर उसके मुँह मे जाने लगा..
और सबसे बड़ी ग़लती मुझसे ये हो गयी उस वक़्त की झड़ते वक़्त मेरे मुँह से ‘आआहह काजल’ निकल गया…
और ग़लती मैने इसलिए कहा क्योंकि जब मेरे मुँह से उसने ये सुना और अपना चेहरा उपर उठाया तो मेरी फट कर हाथ मे आ गयी
क्योंकि वो काजल नही बल्कि मेरी बहन पायल थी…
मैं तो अभी तक समझ नही पा रहा था कि ये कैसे हो गया, मैने कैसे इतनी बड़ी भूल कर दी, क्यो मैने पहले गोर से नही देखा कि वो काजल नही बल्कि पायल दीदी है… और आख़िर मे आकर मैने जो काजल का नाम ले लिया था उसके बाद तो पायल दीदी मेरी जो हालत करने वाली थी उसका मुझे अंदाज़ा भी नही था.
भले ही एक बार का मज़ा मुझे अभी के लिए मिल गया था पर आगे ये सब मिलना दूर की बात थी. अपनी एक ग़लती की वजह से मैने खुद ही अपना पर्दाफाश कर दिया था.
पायल दीदी धीरे से उठी, उनका चेहरा भी देखने लायक था, बाल बिखर से चुके थे, चेहरे पर, होंठों पर मेरे लंड से निकला सफेद माल चमक रहा था, आँखे लाल हो चुकी थी, अब वो उत्तेजना की वजह से थी या गुस्से की, मुझे नही पता था..
पर उनकी टी शर्ट मे से उभरे हुए निप्पल्स सॉफ दिख रहे थे, यानी उत्तेजित तो वो भी थी इस वक़्त पर मेरी टाइमिंग की वजह से सब गड़बड़ हो चुका था..
वो निकालता हुआ कुछ देर मे सो गया.
जब उठा तो शाम के 6 बज चुके थे, बाहर से पायल दीदी और जय भैया की बातों की आवाज़ें आ रही थी… मैं उठकर बाहर आया तो देखा कि काजल भी उनके साथ ही बैठी है पर उसका चेहरा अभी भी उतरा हुआ था.
पायल दीदी ने बताया कि आज जाने का काफ़ी फ़ायदा हुआ और जय भैया ने भी उनकी काफ़ी हेल्प की… मैं देख रहा था कि वो जय भैया की तरफ कुछ ख़ास नज़रों से देख रही है. पर इस वक़्त मेरा सारा ध्यान काजल की तरफ ही था, मैं नही चाहता था कि हाथ आई चिड़िया ऐसे ही निकल जाए.. उसके दाँतों की चुभन मुझे अभी तक अपने लंड पर महसूस हो रही थी.
मेरा मन तो यही कर रहा था कि उसे जिस तरह का डर लग रहा है वो पायल दीदी के बारे मे उसे बताकर दूर किया जा सकता है पर वो बात काजल को बताना सही नही था, पायल दीदी नाराज़ हो गयी तो क्या होगा, मैं ना इधर का रहूँगा और ना ही उधर का.. मैं परेशान हो गया और उठकर मैं छत पर चला गया.
उपर काफ़ी ठंडी हवा चल रही थी, मैं ठंडी हवा का मज़ा लेते हुए रलिंग के पास जाकर खड़ा हो गया. छत पर घुप्प अंधेरा था, चाँद भी नही निकला था आज.
तभी पीछे से मुझे किसी के आने का एहसास हुआ, कोई दबे पाँव मेरी तरफ आ रहा था. मैं समझ गया कि ये काजल ही है, मैं भी अपनी अकड़ मे ही रहा और उसकी तरफ पलटा नही, वो मेरे पीछे आई और मेरी कमर से अपना सीना लगाकर मुझसे लिपट गयी…
गर्म साँसों और नर्म सीने का एहसास मुझे अंदर तक झंझोड़ गया.. मैं ठंडी हवा और गर्म जिस्म के मिले जुले एहसास को महसूस करके सिहर उठा..वो अपना बदन मेरी पीठ पर उपर से नीचे तक रगड़ने लगी.. उसके कड़क मम्मे मेरी पीठ पर हल जोतने का काम कर रहे थे, उसके निप्पल्स मुझे बुरी तरह से चुभ रहे थे पर इन सबके लिए मैं शिकायत नही कर सकता था क्योंकि ये सब महसूस करके मुझे एक अलग ही तरह के आनंद की अनुभूति हो रही थी.
अचानक उसने अपना एक हाथ आगे किया और मेरे लंड के उपर लेजाकर उसे सहलाने लगी… मैने उसके हाथ को झटक दिया, ताकि उसे भी मेरे गुस्से का एहसास हो… पर ऐसा कुछ नही हुआ, उसने फिर से अपना हाथ मेरे लंड पर लगा कर उसे सहला दिया, इस बार मैने कुछ नही किया, क्योंकि स्वार्थ तो मेरा ही था ना, और वैसे भी उसके लिपटने के बाद से ही मेरे लंड ने फिर से खड़ा होना शुरू कर दिया था, उसे एक बार फिर से बिठा कर मैं कोई ग़लती नही करना चाहता था..
पर उसकी दोपहर वाली ग़लती का बदला तो मुझे लेना ही था, इसलिए मैने बिजली की तेज़ी से अपने लंड को बाहर निकाला और उसके हाथ मे पकड़ा दिया… और साथ ही उसकी तरफ घूमते हुए उसे अपने घुटनो पर बिठाया और बड़ी ही बेदर्दी से उसके मुँह मे अपना लंड ठूंस दिया…
वो बेचारी घिघिया कर रह गयी पर कुछ बोली नही, मेरी बेरूख़ी और जंगलिपन को उसने बड़े प्यार से कबूल करते हुए मेरे लंड को अपने मुँह मे भर लिया और उसे चूसने लगी… उसके गर्म मुँह मे मेरा कड़क लंड घुसते ही मेरी आँखे बंद हो गयी, मैं ठंडक से भरे माहॉल मे अपना लंड चुस्वाता हुआ हवा मे उड़ने लगा… सारी दुनिया से बेख़बर होकर मैं इस वक़्त अपनी छत पर खड़ा होकर काजल से अपना लंड चुस्वा रहा था, इस वक़्त मुझे इस बात का भी डर नही था कि कोई नीचे से उपर आ जाएगा, कोई हमे पकड़ लेगा … बस अपनी ही मस्ती मे भरकर मैं अपना लंड चुस्वा रहा था…
काजल भी बड़ी तेज़ी से मेरे लंड को चूस रही थी, उसके चूसने की ताक़त ही इतनी तेज थी कि मेरे लंड की हालत एकदम से खराब होने लगी, सच मे लंड चूसने मे उसका कोई मुकाबला नही था…
और जल्द ही उसके मुँह की ताक़त के आगे मुझे हारना पड़ा और मेरे लंड का पानी निकल कर उसके मुँह मे जाने लगा..
और सबसे बड़ी ग़लती मुझसे ये हो गयी उस वक़्त की झड़ते वक़्त मेरे मुँह से ‘आआहह काजल’ निकल गया…
और ग़लती मैने इसलिए कहा क्योंकि जब मेरे मुँह से उसने ये सुना और अपना चेहरा उपर उठाया तो मेरी फट कर हाथ मे आ गयी
क्योंकि वो काजल नही बल्कि मेरी बहन पायल थी…
मैं तो अभी तक समझ नही पा रहा था कि ये कैसे हो गया, मैने कैसे इतनी बड़ी भूल कर दी, क्यो मैने पहले गोर से नही देखा कि वो काजल नही बल्कि पायल दीदी है… और आख़िर मे आकर मैने जो काजल का नाम ले लिया था उसके बाद तो पायल दीदी मेरी जो हालत करने वाली थी उसका मुझे अंदाज़ा भी नही था.
भले ही एक बार का मज़ा मुझे अभी के लिए मिल गया था पर आगे ये सब मिलना दूर की बात थी. अपनी एक ग़लती की वजह से मैने खुद ही अपना पर्दाफाश कर दिया था.
पायल दीदी धीरे से उठी, उनका चेहरा भी देखने लायक था, बाल बिखर से चुके थे, चेहरे पर, होंठों पर मेरे लंड से निकला सफेद माल चमक रहा था, आँखे लाल हो चुकी थी, अब वो उत्तेजना की वजह से थी या गुस्से की, मुझे नही पता था..
पर उनकी टी शर्ट मे से उभरे हुए निप्पल्स सॉफ दिख रहे थे, यानी उत्तेजित तो वो भी थी इस वक़्त पर मेरी टाइमिंग की वजह से सब गड़बड़ हो चुका था..
वोमुझे घूरते हुए बोली : “अच्छा, तो मेरा अंदाज़ा सही निकला, ये सब चल रहा है तेरे और काजल के बीच, ”
मैं : “न, नही दी, ये बात नही है, वो तो बस, मैं, ”
पायल (थोड़ी तेज आवाज़ मे) : “क्या ये बात नही है, मैं तुम्हे सक कर रही हूँ और तुम काजल का नाम ले रहे हो, क्या मतलब है इसका.. यही ना की ज़रूर तुम्हारे बीच कुछ हुआ है आज दिन मे, वैसे भी कोई नही था आज घर पर, बोलो, क्या किया तुम दोनो ने आज बोलो राज, ”
मैं तो सहम सा गया, दीदी की डाँट सुनकर, मैने आज से पहले सोचा भी नही था कि पायल दीदी की लाइफ मे पहली बार मुझे ऐसी बात पर डाँट पड़ेगी, आज से पहले उन्होने ऐसी कोई बात नही की थी..
और मैं तो उनकी डाँट सुनकर इतना सहम सा गया कि सब उगलने को तैयार हो गया, पर जैसे ही मैने अपना मुँह खोलना चाहा, मुझे सीडियो से किसी के आने की आहट हुई.
और वो आहट पायल दी ने भी सुनी और जैसे ही वो पलटी, तो हमने देखा कि काजल और जय भैया भी उपर आ रहे है, उन्होने मुझे घूर कर देखा और चुप रहने का इशारा किया, मैने भी उन्हे इशारा करके उनके चेहरे और होंठों पर लगे सफेद माल को सॉफ करने को कहा.
जय (पायल दी से) : “अर्रे, तुम उपर थी और हम दोनो तुम्हे नीचे ढूँढ रहे थे, ”