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Romance TERI MERI KHAHANI (love story)

gauravrani

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“अरे भाई साहब! ये समोसे तो खाइये, सलोनी ने खुद अपने हाथों से बनाये हैं” सलोनी की माँ ने समोसों से भरा प्लेट मेहमानों के सामने किया। “अरे वाह बहन जी! बहुत ही स्वादिष्ट बने हैं” मिस्टर जोशी ने समोसे के साथ इंसाफ करते हुए कहा। “लड़की और क्या क्या बनना जानती है” मिसिज़ जोशी ने सलोनी की माँ से पूछा। “भगवान की दया से मेरी बेटी सब काम जानती है, जो भी आप कहेंगी झट आपके सामने बना कर परोस देगी” सलोनी की माँ ने खुश होते हुए कहा। “ये तो बहुत अच्छी बात है वरना आज कल की लड़कियां फैशन के आगे घर के कामों को अहमियत ही कहाँ देती हैं” मिसिज़ जोशी ने कहा। “ज़रा लड़की को तो बुलाइए, हमारे बेटे की नजरें कब से उसे ढूंढ रही हैं” मिस्टर जोशी ने हँसते हुए अपने बेटे को छेड़ा जिस पर वो भी शर्मा कर मुसकुरा दिया। “जी जी बिल्कुल, जाओ.. सलोनी को बुला लाओ” सलोनी के पिता ने सलोनी की माँ को इशारा किया।
 

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सलोनी की माँ के जाने के बाद वो कंवल की तरफ मुड़े “और सुनाओ बेटा, क्या क्या शौक रखते हो आप” “बस अंकल कुछ खास नहीं, ऑफिस के काम से इतनी फुरसत ही नहीं मिलती” कंवल ने केवल पूछे गए सवाल का जवाब दिया। “आप तो जानते ही हैं भाई साहब, अपने बिज़नेस में यही होता है, कमाई ज़्यादा तो काम भी ज़्यादा या यूँ कहिये काम ज़्यादा तो कमाई ज़्यादा.. हा हा हा” मिस्टर जोशी ने हँसते हुए कहा जिस पर सब हँसने लगे। “हा हा हा ! बिल्कुल सही कहा। लीजिये हमारी बेटी आ गयी” सलोनी की माँ सलोनी को साथ ले आयी। “आओ बेटा यहां बैठो मेरे पास” कंवल की माँ ने सलोनी के लिए अपने पास जगह बनाई जहां सलोनी सब को नमस्ते करती हुई जा बैठी। “भई आपकी बेटी तो बहुत सुंदर है” मिसिज़ जोशी ने सलोनी की माँ से कहा फिर बेटे की तरफ मुड़ते हुए बोली “बेटा तुम क्या कहते हो” कंवल जो काँखयों से सलोनी को ही देख रहा था “हाँ” में गर्दन हिला कर माँ को अपनी रज़ामंदी बता दी।
 

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“सलोनी बेटा ये तुम्हारे हाथ पर जलने के निशान कैसे” मिसिज़ जोशी ने सलोनी के बाएं हाथ की पड़े निशान की तरफ इशारा किया। “वो आंटी..” अचानक इस सवाल पर सलोनी कुछ घबरा गई पर सलोनी की माँ ने बात संभाल ली “अभी कुछ दिन पहले पूरियां तलते समय इसका हाथ गर्म बर्तन पर लग गया था, असल में इन्हें पुरियों का बहुत शौक है, आये दिन बनवाते रहते हैं” सलोनी की माँ ने अपने पति की तरफ इशारा करते है कहा। “ओह अच्छा..” कंवल की माँ ने कहा। “अगर आप लोगों को कोई एतराज नहीं हो तो इन दोनों को कुछ वक्त अकेले में बातें करने देते हैं इतने हम बड़े भी कुछ बातें कर लेते हैं” सलोनी के पिता ने मिस्टर जोशी से कहा। बेटी का बाप होने के नाते अब वो कुछ लेन देन की बात करना चाहते थे। “हमें कोई एतराज नहीं पर अगर आप अकेले में दहेज़ या लेन देन की बात करना चाहते हैं तो हम साफ कह देते हैं.. आपकी बेटी के सिवा हमें सिर्फ आप सब का प्रेम चाहिए। लक्ष्मी माँ की बहुत कृपा है हम पर, हमें किसी चीज़ की ज़रूरत नहीं” मिस्टर जोशी ने ये शब्द कह कर सलोनी के पिता का बोझ कुछ कम कर दिया।
 

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“धन्य है आप, आपने तो मेरी मुश्किल ही आसान कर दी, वरना एक बेटी का पिता इसी दिन से डर डर कर समय से पहले बूढ़ा हो जाता है” सलोनी के पिता ने मेहमानों के सामने हाथ जोड़ते हुए कहा। “अरे बस बस, आप भी कमाल करते हैं। बेटी का बाप कन्या दान करता है, ऊपर से दहेज़ का एक और बोझ डाल देना कहाँ का इंसाफ है” मिस्टर जोशी ने कहा। “अगर हर बेटे के बाप की आप जैसी सोच हो जाये तो किसी बाप को अपनी बेटी बोझ ना लगे” सलोनी की माँ इतने अच्छे और अमीर रिश्तेदार मिलने पर बहुत खुश थी। “बेटा आप दोनों एक दूसरे से कुछ पूछना चाहते हो तो पूछ सकते हो” कंवल के पिता ने दोनों से कहा। “हाँ जाओ सलोनी, कंवल बेटे को अपना कमरा तो दिखा लाओ” सलोनी के पिता सलोनी से बोले। कुछ देर हँसी खुशी बातें होती रही फिर बात पक्की कर के मेहमान अपने घर चले गए। ००० रिश्ता पक्का होते ही दोनों घरों में शादी की रस्में शुरू हो गयी और तयशुदा तारीख पर सात फेरे ले कर सलोनी कंवल की पत्नी बन कर कंवल के साथ रहने लगी। शादी
 

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के बाद दो तीन महीने यूँ ही हँसते खेलते, घूमते घूमाते निकल गए। सलोनी की सास सलोनी के खूब लाड़ उठती पर जब मिसिज़ जोशी सलोनी को कोई काम के लिए कहती तो वो कोई बहाना बना देती। घर में नोकरानी थी इसलिए अब तक उसने रसोई में झाँका तक नहीं था। मिसिज़ जोशी ने भी सोचा “कोई बात नहीं, कुछ दिन घूमने फिरने दो दोनो को” पर पूरी रसोई नोकरानी पर कब तक छोड़ी जा सकती थी। आहिस्ता आहिस्ता सलोनी ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया था। “सलोनी, कहाँ जा रही हो बेटा” सोफे पर बैठी मिसिज़ जोशी ने मैगजीन से नज़रें उठा कर चटख मटक कपड़े पहन कर जाती हुई सलोनी से पूछा। सलोनी को सास का टोकना बुरा लगा इसलिए मुह बना कर बोली “शॉपिंग के लिए जा रही हूं” “पर बेटा इस तरह के कपड़े सही नहीं है, कोई साड़ी ही डाल लो। कंवल देखेगा तो बहुत गुस्सा होगा, उसे बिल्कुल नहीं पसंद इस तरह के आधे अधूरे कपड़े” सास ने समझते हुए कहा। “कंवल क्यों देखेगा जब तक आप अपना मुँह बन्द रखोगी” बदतमीज़ी से जवाब देती सलोनी ने आगे कदम बढ़ाये।
 

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“ये किस तरह बात कर रही हो तुम मुझसे” अब मिसिज़ जोशी गुस्से से बोली। “जिस तरह आपको सूट करता है” सलोनी कह कर दरवाज़े से बाहर निकल गयी और मिसिज़ जोशी हक्का बक्का दरवाज़े को देखती रह गयी। सलोनी अपनी मर्जी करती थी पर उन्हें सलोनी से इतनी बदतमीज़ी की उम्मीद नहीं थी। ००० शाम को मिसिज़ जोशी ने सलोनी के साथ हुई सारी बातें ज्यों की त्यों अपने पति और बेटे को बताई। जिस पर कंवल गुस्से से चिल्ला कर सलोनी को आवाज़ लगता है “सलोनी.. सलोनी बाहर आओ” कंवल की आवाज़ सुन कर सलोनी अपने कमरे से निकल कर बाहर आती है “किसे मौत आयी है, क्यों चिल्ला रहे हो” सलोनी भी बाहर आ कर बिना डरे वापिस कंवल पर चिल्लाई। “ये किस तरह बात कर रही हो और तुमने मेरी माँ के साथ ऐसा सुलूक क्यों किया” कंवल ने गुस्से से सलोनी से पूछा। “मैंने कुछ गलत नहीं किया, ये बुढ़िया बात बात पर मुझे क्यों टोकती है”
“सलोनी.. अपनी हद में रहो” इस बार कंवल का गुस्सा सातवें आसमान पर था। अपनी माँ के बारे में ऐसे शब्द उसे बिल्कुल अच्छे नहीं लगे। “मैं हद में रहूँ.. क्या है मेरी हद। रुको! मैं तुम्हे तुम्हारी हद बताती हूँ” गुस्से से दनदनाती सलोनी ने रसोई में जा कर जलती गैस पर पास रखी हुई करछी उठा कर आग पर रख दी। “ये क्या कर रही हो सलोनी। घर मे ऐसे छोटे मोटे झगड़े तो होते रहते हैं” मिसिज़ जोशी सलोनी को रोकने आगे बढ़ी। “पीछे रह बुढ़िया, एक कदम भी मेरी तरफ बढ़ाया तो पूरे घर को आग लगा दूंगी” सलोनी आपे से बाहर हो रही थी। मिसिज़ जोशी आगे बढ़ कर उसे रोकती उससे पहले ही उसने आग पर लाल होती करछी को अपनी कलाई पर लगा दिया। “आह ह ह..” सलोनी दर्द की वजह से ज़ोर से चिल्लाई। “सलोनी..” कंवल सलोनी की तरफ भाग और उसके हाथ से गर्म करछी ले कर दूर फेंक दी। “सलोनी, ये क्या किया तुमने” कंवल सलोनी के दर्द को महसूस करता बोला। आगे क्या होने वाला है इस बात
से अनजान सलोनी को डॉक्टर के ले जाने को भागा पर सलोनी के शब्द सुन कर ठिठक गया और नफरत से सलोनी को एक तरफ धक्का दे दिया। “माँ जी, ये क्या किया आपने.. दहेज़ ना दे पाने पर मेरा हाथ जला दिया” सलोनी के कहे शब्द सीसे की तरह तीनों के कानों में पड़े। “क्या बकवास कर रही हो” इस बार मिस्टर जोशी चिल्लाये और अनजाने ही थप्पड़ मारने को हाथ उठा दिया। “ना ना.. ऐसा बिल्कुल ना करना पापा जी, अभी तो सिर्फ मेरा हाथ जलाने पर 498A, IPC की धारा लगाउंगी, अगर हाथ उठाया तो जान से मारने के आरोप में 304B, IPC की धारा भी लगवा दूंगी अपने माँ बाप से” “नहीं.. नहीं। मैंने कुछ नहीं किया” मिसिज़ जोशी आने वाले वक्त से डरती हुई बोली। “सलोनी तुम्हारा दिमाग तो ठीक है.. ये क्या बातें कर रही हो” माँ को डरा देख कंवल चीखा। “रुको, मैं अभी तुम्हारे माँ बाप को बुलाता हूँ” इतनी कह कर मिस्टर जोशी ने सलोनी के मायके फोन किया और उन्हें
फौरन आने का बोला। आधे धंटे में सलोनी के माँ बाप भी आ पहुँचे। “हाय मेरी बच्ची का हाथ जला दिया, मैं पुलिस को बुलाऊंगी, तुम सब को जेल करवाऊंगी” सलोनी की माँ ने आते ही हंगामा कर दिया। “आप लोगों ने खुद ही तो दहेज के लिए मना किया था फिर मेरी बेटी पर ये अत्याचार क्यों किया” अब सलोनी के पिता ने भी चीखना चिल्लाना शुरू कर दिया। “देखिये ऐसा कुछ नहीं है। आप गलत समझ रहे हैं। ये तो सलोनी से खुद अपने हाथ पर गर्म करछी लगा ली” कंवल ने उन्हें हो रही गलतफहमी दूर करनी चाही। “क्या सबूत है कि मैंने खुद अपना हाथ जलाया है” अब सलोनी और उसके माँ बाप मंद मंद मुसकुरा रहे थे जैसे ये सब उनकी पहले से सोची समझी साजिश हो। “क्या..” कंवल चोंका और मुड़ कर अपने पिता से बोला “पापा ये लोग कोई चाल चल रहे हैं हमें फ़साने की” “ये सब ड्रामा कर के क्या साबित करना चाहते हो तुम लोग” अब मिस्टर जोशी समझने लगे थे। “हम तो कुछ नहीं चाहते.. हाँ अगर आप कोई फैसला करना चाहे तो कर सकते हैं” अब सलोनी के पिता बोले।
 

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“मतलब” “मतलब ये कि दहेज न मिलने पर मेरी बेटी को जला कर मारने की कोशिश में धारा 498A के तहत जुर्माने का साथ 2 साल तक जेल में रहना पसंद करेंगे या 2 लाख रुपये दे कर बात को यहीं रफा दफा करेंगे” सलोनी के पिता अब मतलब की बात पर आ गए थे। “तुम झूठा इल्ज़ाम लगा रहे हो हम पर। मैं केस करूँगा तुम सब पर, अभी अपने वकील को फोन लगता हूँ” मिस्टर जोशी गुस्से से बोले और जेब से मोबाइल निकाल कर नंबर मिलने लगे पर सलोनी की माँ की बात सुन कर रुक गए। “जो मर्जी कर लें.. अदालत तफ़तीश के लिए जिस को भी यहां भेजेगी मुजरिम आप ही ठहरेंगे। क्या सबूत है आपके पास की ये हाथ सलोनी ने खुद जलाया है” सलोनी की माँ भी बोली। “सलोनी तुम अपने अधिकार का गलत प्रयोग कर रही हो” कंवल सलोनी को समझने की नाकाम कोशिश करने लगा। “अधिकार इस्तेमाल करने के लिए होते हैं, गलत या सही क्या होता है” सलोनी ने एक अदा से आंखों से बहते आँसू
साफ किये जो हाथ जलने की वजह से उसकी आँखों मे आये थे। “सुनो जी, इन्हें 2 लाख रुपये दे दो। बात अदालत तक जायेगी तो बहुत बदनामी होगी हमारी” मिसिज़ जोशी रोते हुए बोली। “क्या कह रही हो.. कहाँ से लाऊंगा इतनी बड़ी रकम” मिस्टर जोशी बोले। “पापा! माँ ठीक कहती है। पैसों का इंतज़ाम हम कर लेंगे कहीं ना कहीं से” कंवल ने माँ की हाँ में हाँ मिलाई। “ठीक है, पर तुम लोग ये सही नहीं कर रहे हो। कमाई का अच्छा तरीका अपनाया है” मिस्टर जोशी पछतावे से बोले। “सब ठीक है भाई साहब। अपने कर्म अपने साथ। तो आप रकम के साथ साथ डाइवोर्स पेपर भी भेज दीजिये गा। ज़ाहिर है अब इतने बुरे लोगों के साथ आप रिश्ता रखना तो नहीं चाहेंगे” सलोनी की माँ बोली। “मुझे ज़रूरत नहीं ऐसी बीवी की जिसे औरत कहते हुए भी शर्म आती है” कंवल सलोनी पर घुर्राया जिस पर सलोनी मुसकुरा दी।
मिस्टर जोशी के परिवार ने अपनी इज़्ज़त न उछलते हुए मामला वही खत्म कर दिया और उन धोंकेबाज़ों से पीछा छुड़ा लिया। ००० “हे वरुण..” कंवल मॉल में कुछ ज़रूरी समान लेने आया था जहां उसे अपने कालेज का दोस्त मिला। वरुण से वो 3 साल बाद मिल रहा था। “अरे कंवल, कैसा है यार” वरुण भी कंवल को देख कर खुश हो गया। “मैं अच्छा हूँ, तू सुना कैसा है। बड़े टाइम बाद मिल रहा है यार। कहाँ चला गया था कालेज के बाद” कंवल ने ढेर सारे सवाल कर डाले। “हाँ 3 साल हो गए शायद कालेज कम्पलीट हुए, बस यार पढ़ाई के लिए ही तो आया था यहाँ फिर वापिस अपने शहर अपने घर। और सुना अंकल आंटी कैसे हैं.. शादी वादी करी या अभी भी कुँवारा है” वरुण भी बिछड़े दोस्त से मिल कर बहुत खुश था। “हाँ शादी भी हुई थी एक साल पहले” कंवल कुछ उदास हो गया पर बिता वक़्त भूल कर वरुण से बोला “मेरी छोड़ अपनी बात, तेरी शादी हुई या नहीं”
 

Chinturocky

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Shuruwat me hi bechare kunwar ke Saath Trezady ho gayi. Achchhi shuruwat hai. Per us ladki saloni aur usaki family ko sabak jaroor seekhana chahiye.
 

gauravrani

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“हाँ अभी एक महीना पहले ही हुई है, उन्ही के नाज़ नखरे उठाने यहां आया हूँ” “मतलब” “मतलब उसका मायका यहाँ है तो मिलाने लाया था। सोचा उसे उसके घर छोड़ कर कुछ शॉपिंग कर लूँ” वरुण में खुल कर बताया। “अरे वाह! दिख ज़रा भाभी कैसी है। आज कल तो मोबाइल उन्हीं के फोटो से भरा रहता होगा” कंवल ने छेड़ा। “हाँ.. ये देख” वरुण ने मोबाइल से एक तस्वीर कंवल को दिखाई जिससे देख कर उसके मुंह से निकला “सलोनी” “हाँ सलोनी, तू जनता है क्या सलोनी को” “हाँ जनता हूँ, एक साल पहले इसी से मेरी शादी हुई थी” “क्या.. ये क्या बकवास है” वरुण नाराज़ होता बोला। “ये देख” कंवल ने मोबाइल से अपनी शादी की एक तस्वीर निकल कर उसे दिखाई। शायद अभी भी कंवल के दिल में वो मौजूद थी तभी उसका फ़ोटो अब तक मोबाइल में संभाल कर रखा हुआ था।
 
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