“ये किस तरह बात कर रही हो तुम मुझसे” अब मिसिज़ जोशी गुस्से से बोली। “जिस तरह आपको सूट करता है” सलोनी कह कर दरवाज़े से बाहर निकल गयी और मिसिज़ जोशी हक्का बक्का दरवाज़े को देखती रह गयी। सलोनी अपनी मर्जी करती थी पर उन्हें सलोनी से इतनी बदतमीज़ी की उम्मीद नहीं थी। ००० शाम को मिसिज़ जोशी ने सलोनी के साथ हुई सारी बातें ज्यों की त्यों अपने पति और बेटे को बताई। जिस पर कंवल गुस्से से चिल्ला कर सलोनी को आवाज़ लगता है “सलोनी.. सलोनी बाहर आओ” कंवल की आवाज़ सुन कर सलोनी अपने कमरे से निकल कर बाहर आती है “किसे मौत आयी है, क्यों चिल्ला रहे हो” सलोनी भी बाहर आ कर बिना डरे वापिस कंवल पर चिल्लाई। “ये किस तरह बात कर रही हो और तुमने मेरी माँ के साथ ऐसा सुलूक क्यों किया” कंवल ने गुस्से से सलोनी से पूछा। “मैंने कुछ गलत नहीं किया, ये बुढ़िया बात बात पर मुझे क्यों टोकती है”
“सलोनी.. अपनी हद में रहो” इस बार कंवल का गुस्सा सातवें आसमान पर था। अपनी माँ के बारे में ऐसे शब्द उसे बिल्कुल अच्छे नहीं लगे। “मैं हद में रहूँ.. क्या है मेरी हद। रुको! मैं तुम्हे तुम्हारी हद बताती हूँ” गुस्से से दनदनाती सलोनी ने रसोई में जा कर जलती गैस पर पास रखी हुई करछी उठा कर आग पर रख दी। “ये क्या कर रही हो सलोनी। घर मे ऐसे छोटे मोटे झगड़े तो होते रहते हैं” मिसिज़ जोशी सलोनी को रोकने आगे बढ़ी। “पीछे रह बुढ़िया, एक कदम भी मेरी तरफ बढ़ाया तो पूरे घर को आग लगा दूंगी” सलोनी आपे से बाहर हो रही थी। मिसिज़ जोशी आगे बढ़ कर उसे रोकती उससे पहले ही उसने आग पर लाल होती करछी को अपनी कलाई पर लगा दिया। “आह ह ह..” सलोनी दर्द की वजह से ज़ोर से चिल्लाई। “सलोनी..” कंवल सलोनी की तरफ भाग और उसके हाथ से गर्म करछी ले कर दूर फेंक दी। “सलोनी, ये क्या किया तुमने” कंवल सलोनी के दर्द को महसूस करता बोला। आगे क्या होने वाला है इस बात
से अनजान सलोनी को डॉक्टर के ले जाने को भागा पर सलोनी के शब्द सुन कर ठिठक गया और नफरत से सलोनी को एक तरफ धक्का दे दिया। “माँ जी, ये क्या किया आपने.. दहेज़ ना दे पाने पर मेरा हाथ जला दिया” सलोनी के कहे शब्द सीसे की तरह तीनों के कानों में पड़े। “क्या बकवास कर रही हो” इस बार मिस्टर जोशी चिल्लाये और अनजाने ही थप्पड़ मारने को हाथ उठा दिया। “ना ना.. ऐसा बिल्कुल ना करना पापा जी, अभी तो सिर्फ मेरा हाथ जलाने पर 498A, IPC की धारा लगाउंगी, अगर हाथ उठाया तो जान से मारने के आरोप में 304B, IPC की धारा भी लगवा दूंगी अपने माँ बाप से” “नहीं.. नहीं। मैंने कुछ नहीं किया” मिसिज़ जोशी आने वाले वक्त से डरती हुई बोली। “सलोनी तुम्हारा दिमाग तो ठीक है.. ये क्या बातें कर रही हो” माँ को डरा देख कंवल चीखा। “रुको, मैं अभी तुम्हारे माँ बाप को बुलाता हूँ” इतनी कह कर मिस्टर जोशी ने सलोनी के मायके फोन किया और उन्हें
फौरन आने का बोला। आधे धंटे में सलोनी के माँ बाप भी आ पहुँचे। “हाय मेरी बच्ची का हाथ जला दिया, मैं पुलिस को बुलाऊंगी, तुम सब को जेल करवाऊंगी” सलोनी की माँ ने आते ही हंगामा कर दिया। “आप लोगों ने खुद ही तो दहेज के लिए मना किया था फिर मेरी बेटी पर ये अत्याचार क्यों किया” अब सलोनी के पिता ने भी चीखना चिल्लाना शुरू कर दिया। “देखिये ऐसा कुछ नहीं है। आप गलत समझ रहे हैं। ये तो सलोनी से खुद अपने हाथ पर गर्म करछी लगा ली” कंवल ने उन्हें हो रही गलतफहमी दूर करनी चाही। “क्या सबूत है कि मैंने खुद अपना हाथ जलाया है” अब सलोनी और उसके माँ बाप मंद मंद मुसकुरा रहे थे जैसे ये सब उनकी पहले से सोची समझी साजिश हो। “क्या..” कंवल चोंका और मुड़ कर अपने पिता से बोला “पापा ये लोग कोई चाल चल रहे हैं हमें फ़साने की” “ये सब ड्रामा कर के क्या साबित करना चाहते हो तुम लोग” अब मिस्टर जोशी समझने लगे थे। “हम तो कुछ नहीं चाहते.. हाँ अगर आप कोई फैसला करना चाहे तो कर सकते हैं” अब सलोनी के पिता बोले।